Rahul Sankrityayan
राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन (9 अप्रैल 1893 – 14 अप्रैल 1963) जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिंदी के एक प्रमुख साहित्यकार थे।
वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक
योगदान किए। वह हिंदी यात्रासाहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिंदी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है,
जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा
वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
कृतियां - कहानियाँ : सतमी के बच्चे, वोल्गा से गंगा, बहुरंगी मधुपुरी, कनैला की कथा,
उपन्यास : बाईसवीं सदी, जीने के लिए, सिंह सेनापति, जय यौधेय, भागो नहीं, दुनिया को बदलो, मधुर स्वप्न,
राजस्थान निवास, विस्मृत यात्री, दिवोदास, सप्तसिन्धु,
यात्रा वृत्तांत : मेरी जीवन यात्रा, मेरी लद्दाख यात्रा, किन्नर प्रदेश में, रूस में 25 मास, यूरोप यात्रा,
जीवनियाँ : सरदार पृथ्वीसिंह, नए भारत के नए नेता, बचपन की स्मृतियाँ, अतीत से वर्तमान, स्टालिन,
लेनिन, कार्ल मार्क्स, माओ-त्से-तुंग, घुमक्कड़ स्वामी, असहयोग के मेरे साथी, जिनका मैं कृतज्ञ,
वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली, सिंहल घुमक्कड़ जयवर्धन, कप्तान लाल, सिंहल के वीर पुरुष, महामानव बुद्ध,
यात्रा साहित्य : लंका, जापान, इरान, किन्नर देश की ओर, चीन में क्या देखा, मेरी लद्दाख यात्रा, मेरी तिब्बत यात्रा,
तिब्बत में सवा वर्ष, रूस में पच्चीस मास, विश्व की रूपरेखा, ल्हासा की ओर, शांतिनिकेतन में।
राहुल सांकृत्यायन : हिन्दी कहानियाँ
Rahul Sankrityayan : Hindi Stories
राहुल सांकृत्यायन : वोल्गा से गंगा (कहानी संग्रह)
Rahul Sankrityayan : Volga Se Ganga (Story-Book)
राहुल सांकृत्यायन : तुम्हारी क्षय
Rahul Sankrityayan : Tumhari Kshay
राहुल सांकृत्यायन : घुमक्कड़-शास्त्र
Rahul Sankrityayan : Ghumakkad-Shastra
राहुल सांकृत्यायन : यात्रा साहित्य
Rahul Sankrityayan : Yatra Sahitya
राहुल सांकृत्यायन : हिन्दी उपन्यास
Rahul Sankrityayan : Hindi Novels
राहुल सांकृत्यायन : विविध रचनाएँ
Rahul Sankrityayan : Vividh Rachnayen