झारखण्ड कहानियां और लोक कथाएं
Jharkhand Kahaniyan Aur Lok Kathayen

झारखण्ड कहानियां

  • दुर्गी के बच्चे और एल्मा की कल्पनाएँ : एलिस एक्का
  • खरगोशों का कष्ट : रामदयाल मुंडा
  • संगी : वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’
  • पतझड़ अभी औेर भी है : वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’
  • धोखा : मंगल सिंह मुंडा
  • सिन्दूर की डिबिया (नाटक) : मंगल सिंह मुंडा
  • मीठा दर्द (नाटक) : मंगल सिंह मुंडा
  • बेरथा का ब्याह : प्यारा केरकेट्टा
  • एक बित्ता जमीन : डॉ. कृष्ण चंद्र टुडू
  • भँवर : रोज केरकेट्टा
  • छोटी बहू : रोज केरकेट्टा
  • घाना लोहार का : रोज केरकेट्टा
  • केराबांझी : रोज केरकेट्टा
  • कोंपलों को रहने दो : रोज केरकेट्टा
  • फिक्सड डिपोजिट : रोज केरकेट्टा
  • वे चार वर्ष : पीटर पौल एक्का
  • कोराईन डूबा : ज्योति लकड़ा
  • मूसल : फ्रांसिस्का कुजूर
  • सीढ़ी लगाकर बैंगन तोड़ना : सिकरा दास तिर्की
  • चिड़ियाँ लटकाना : सिकरा दास तिर्की
  • लीलमनी की ड्यूटी : कृष्ण मोहन सिंह मुंडा
  • मोहरी : राजेंद्र मुंडा
  • अमावस की रात में भगजोगनी : रूपलाल बेदिया
  • झारखण्ड की लोक कथाएँ

  • दो चतुर (झारखण्ड/मुंडारी)
  • ईर्ष्या का फल (झारखण्ड/मुंडारी)
  • तीन बूँद हँड़िया, तीन बूँद खून (झारखण्ड/मुंडारी)
  • त्याग का फल (झारखण्ड/मुंडारी)
  • गुंगु और छतरी (झारखण्ड/मुंडारी)
  • पलाश (झारखण्ड)
  • बूढ़े की चालाकी (झारखण्ड)
  • मूर्ख महतो (झारखण्ड)
  • रमई और साँप (झारखण्ड)
  • सियार और कुत्ता (झारखण्ड)
  • संताड़ी/संताल/सांथाल जनजाति परिचय
  • लेधा और तेंदुआ (सांथाल/संताल परगना)
  • अनुवा और उसकी माँ (सांथाल/संताल परगना)
  • बाजून और झोरे (सांथाल/संताल परगना)
  • ईर्ष्यालु सौतेली माँ (सांथाल/संताल परगना)
  • करमू और धरमू (सांथाल/संताल परगना)
  • निर्दयी सौतेली माँ (सांथाल/संताल परगना)
  • राजकुमार को ज्ञान मिला (सांथाल/संताल परगना)
  • बन्दर बेटा (सांथाल/संताल परगना)
  • चरवाहे को कैसे दुल्हन मिली (सांथाल/संताल परगना)
  • हँसने वाली मछली (सांथाल/संताल परगना)
  • जादुई गाय (सांथाल/संताल परगना)
  • कंजूस नौकर (सांथाल/संताल परगना)
  • कारा और गूजा (सांथाल/संताल परगना)
  • कुंवर और राजा की बेटी (सांथाल/संताल परगना)
  • चाँद-सूरज (झारखण्ड)
  • रात और दिन (झारखण्ड)
  • लं चिड़िया की पूँछ (झारखण्ड)