रमई और साँप : संताली/झारखण्ड लोक-कथा
Ramai Aur Saamp : Lok-Katha (Santali/Jharkhand)
मुंडारी लोक-कथाबहुत पहले की बात है। एक गाँव में एक लुहार रहता था। उसके पाँच बेटे थे। वे हमेशा आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे। पिता उन्हें आपस में मिलकर रहने को कहता, मगर वे उसकी बात पर ध्यान नहीं देते थे।
एक दिन पिता ने अपने पाँचों बेटों को बुलाया और कहा, “तुम सब आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हो और अपना समय बर्बाद करते हो। तुम लोगों को पाल-पोसकर इतना बड़ा कर दिया। तुम सभी में कितनी योग्यता है, मैं उसकी परीक्षा लेना चाहता हूँ। तुम पाँचों को मैं एक-एक सौ रुपए देता हूँ। मुझे यह देखना है कि तुम इन रुपयों का कैसे सदुपयोग करते हो। तुममें से जो इन रुपयों से मुनाफा कमा करके दिखाएगा, उसे ही मैं अपना बेटा मानूँगा। तुममें से जो कोई इन रुपयों को व्यर्थ में उड़ा देगा, उसे मैं लड़की कहा करूँगा।"
पाँचों भाई रुपए लेकर व्यापार करने के लिए घर से निकल पड़े। चार भाइयों ने अपने सोच के अनुसार अलग-अलग मवेशी खरीदे और घर लौट आए। एक भाई ने भैंस, दूसरे ने घोड़ा, तीसरे और चौथे ने अन्य मवेशी खरीदे थे।
सबसे छोटा भाई रोजगार करने के लिए जब घर से निकला, तो रास्ते में देखा कि एक आदमी एक बिल्ली को मारने जा रहा था। उस बिल्ली पर उसे दया आ गई। उसने कहा, "इसे मारो मत, मैं इसे खरीद लेता हूँ।" और उसने बिल्ली खरीद ली। इसके बाद वह आगे बढ़ा, तो देखा एक आदमी एक कुत्ते को जान से मारने की तैयारी में था। रमई को दया आ गई। उसने उस आदमी को पैसे देकर कुत्ते को खरीद लिया। आगे जाने पर उसने देखा की एक आदमी एक बगुले को मारने जा रहा था। कारण पूछने पर उस आदमी ने बताया, "यह राजा के तालाब की मछलियाँ खा जाता है।" रमई ने कहा, "इसे मारो मत, मुझे बेच दो। मैं इसे अपने पास रखूगा।" उसने बगुले को भी खरीद लिया। तीनों जावों को लेकर वह आगे बढ़ा। रमई ने देखा कि एक आदमी एक काले साँप को मार रहा था। रमई ने उसे रोका, “तुम इसकी हत्या कर रहे हो? इसे मारो मत, मुझे बेच दो।" उसने साँप को मरने से बचा लिया। साँप को भी खरीद लिया।
उन चारों जीवों को लेकर रमई अपने घर पहुंचा। कुत्ता, बिल्ली और बगुले को आंगन में रख दिया। और काले साँप को एक घड़े में रख, उस पर ढक्कन डालकर गौहाल में सिकहर पर लटका दिया।
रमई का पिता उन चारों जीवों को देखकर बहुत क्रोधित हुआ। उसने कहा, "तुम्हें औरत से अधिक बुद्धि नहीं है। यदि तुम साँप की हत्या नहीं पसंद करते, तो फौरन इसे कहीं फेंक आओ।"
पिता के आदेशानुसार रमई ने साँप वाले घड़े को गोहाल के सिकहर से नीचे उतारा। साँप रमई के पिता की सारी बातें सुन चुका था। उसने रमई से अनुरोध किया, "यार, मुझे मेरी माँ और पिता के पास पहुँचा दो। वे तुम्हें पुरस्कृत करेंगे। हाँ, एक बात याद रखना। जब मेरे पिता तुमसे पुरस्कार मांगने को कहेंगे, तो तुम पुरस्कार में उनसे हाथवाली अंगूठी ही माँग लेना। वह जादुई अँगूठी है। उस अंगूठी से तुम जो चाहोगे, तुम्हें वह फौरन मिल जाएगा।"
साँप को लेकर रमई उसके बताए हुए रास्ते पर चल पड़ा। जब रमई साँप को लेकर उसके घर पहुंचा, तो साँप के माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए। साँप के पिता ने रमई से कहा, "तुम मेरे बेटे की जान बचाकर मेरे पास ले आए हो, हम तुमसे बहुत खुश हैं। तुम पुरस्कार माँगो।"
रमई ने कहा, "यदि आप मुझसे खुश हैं, तो कृपया पुरस्कार में मुझे अपने हाथ वाली अँगूठी ही दे दीजिए।" सर्पराज ने उसे अँगूठी दे दी। अंगूठी पाकर रमई वहाँ से चल पड़ा।
रास्ते में उसने सोचा कि अँगूठी की परीक्षा लेनी चाहिए। पोखरे में स्नान करने के बाद रमई ने एक कपड़ा बिछाकर अंगूठी से प्रार्थना की। दोपहर के भोजन की व्यवस्था हो जाए, तो अच्छा हो, बड़ी भूख लगी है। फौरन उस कपड़े पर स्वादिष्ट भोजन आ गया। उसने भरपेट खाना खाया। कुछ देर आराम करने के बाद वह घर की ओर चल पड़ा।
घर पहुँचा तो उसे मालूम हुआ कि पिता ने कुत्ता और बिल्ली की हत्या कर दी है। रमई ने पिता से कहा, "आपको उन निरीह प्राणियों की हत्या नहीं करनी चाहिए थी।"
पिता ने कहा, "दोनों जानवर बेकार थे। मुफ्त में खाना खाते थे। वे मेरा सिर-दर्द बने हुए थे। इसलिए मैंने उन्हें मार डाला।"
रमई ने शांतिपूर्वक कहा, "वे जानवर बेकार के नहीं थे। बहुत उपयोगी तथा बेशकीमती थे। मेरे भाइयों ने जिन जानवरों को खरीदा है, उनसे लाख गुणा बेशकीमती जानवर थे। आप मेरे भाइयों से कहिए कि वे उनसे सोने का महल खड़ा करवा दें, मगर वे वैसा नहीं कर पाएँगे। और मैं क्षणभर में ऐसा कर सकता हूँ। मैं काले साँप का कृतज्ञ हूँ कि मैं जो चीज चाहूँगा, वह मुझे आसानी से प्राप्त हो जाएगी। आप देखिएगा, मैं किसी राजकुमारी से विवाह करूँगा।"
उसके पिता ने मन में सोचा, यह लड़का बेकार की बहकी-बहकी बातें कर रहा है। उसने रमई से कहा, "तुम जो कह रहे हो, उसे कर भी सकते हो?"
"हाँ, मैं प्रभावित करके दिखा रहा हूँ।" इतना कहकर उसने स्नान किया और अपनी जादुई अँगूठी से निवेदन किया कि वहाँ पर सोने का महल बनवा दो।" इतना कहना था कि उस बागीचे में सोने का महल खड़ा हो गया। यह देखकर उसका पिता आश्चर्यचकित रह गया। उसे अफसोस हुआ कि बेकार मैंने उसके द्वारा लाए गए जानवरों की हत्या कर दी।
इसके बाद रमई ने निश्चय किया कि अब वह राजकुमारी से ब्याह करेगा। रमई के धनी होने की बात जब राजा को मालूम हुई, तो खुश होकर उसने अपनी पुत्री की शादी उससे कर दी। बहुत सारे हाथी-घोड़े भी दिए, मगर उसने कहा कि मुझे इनकी जरूरत नहीं है। और राजा को उसने सब कुछ वापस कर दिया।
रमई उस जादुई अँगूठी की शक्ति की बदौलत अपनी पत्नी और परिवार के साथ आनंदपूर्वक रहने लगा।