Hazari Prasad Dwivedi हजारीप्रसाद द्विवेदी
आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907-19 मई 1979), हिन्दी निबन्धकार, आलोचक, उपन्यासकार, नाटककार और कवि थे। वे हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और बाङ्ला भाषाओं के विद्वान थे।
भक्तिकालीन साहित्य का उन्हें अच्छा ज्ञान था। सन १९५७ में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। आलोक पर्व निबन्ध संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
लखनऊ विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट्. की उपाधि देकर उनका विशेष सम्मान किया था। इनका जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर
प्रदेश के बलिया जिले के आरत दुबे का छपरा, ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार
ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
आलोचनात्मक : सूर साहित्य (1936), हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940), प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952), कबीर (1942), नाथ संप्रदाय (1950),
हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952), आधुनिक हिन्दी साहित्य पर विचार (1949), साहित्य का मर्म (1949), मेघदूत : एक पुरानी कहानी (1957), लालित्य तत्त्व (1962),
साहित्य सहचर (1965), कालिदास की लालित्य योजना (1965), मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970), हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास (1952),
मृत्युंजय रवीन्द्र (1970), सहज साधना (1963), हिंदी साहित्य, अशोक के फूल ।
निबन्ध संग्रह : अशोक के फूल (1950), कल्पलता (1951), मध्यकालीन धर्मसाधना (1952), विचार और वितर्क (1957), विचार-प्रवाह (1959), कुटज (1964), आलोक पर्व (1972)।
कहानी संग्रह : मंत्र-तंत्र ।
उपन्यास : बाणभट्ट की आत्मकथा (1946), चारु चंद्रलेख(1963), पुनर्नवा (1973), अनामदास का पोथा(1976)।
सम्पादन : संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो (1957), संदेश रासक (1960), सिक्ख गुरुओं का पुण्य स्मरण (1979), महापुरुषों का स्मरण (1977)।
अनूदित रचनाएं : प्राचीन भारत की कला-विलास, लाल कनेर, मेरा बचपन, विश्व-परिचय ।