मंत्र-तंत्र (कहानी) : हजारीप्रसाद द्विवेदी

Mantra-Tantra (Hindi Story) : Hazari Prasad Dwivedi

बहुत दिनों की बात है । एक राजा के राज्य में एक गृहस्थ को एक लड़का हुआ। मां-बाप ने उसका नाम 'कुमार' रखा। कुमार के बड़े होने पर उसके माता-पिता ने उसका विवाह एक गृहस्थ की लड़की से कर दिया। कुछ दिन बाद उसे लड़के-लड़कियां भी हुईं। फिर उनमें से प्रत्येक एक-एक गृहस्थ हो गये ।

कुमार बड़ा अच्छा आदमी था । कभी जीवहत्या नहीं करता, दूसरे की चीज न लेता, झूठ नहीं बोलता, कोई नशा न खाता, और दूसरों की स्त्री को मां के समान समझता ।

कुमार जिस गांव में रहता था, वह एक बहुत छोटा गांव था। उसमें केवल तीस गृहस्थों के घर थे । एक दिन तीसों घर के गृहस्थों को एक काम से एक जगह मिलना था। पर गांव में ऐसी जगह न थी जहां सभी एकत्र हो सकें । कुमार उन तीसों में से एक था। सबके साथ एक जगह पहुंचकर उसने एक स्थान को धूल-मिट्टी हटाकर साफ कर दिया। उस स्थान के साफ होते ही एक आदमी वहां आकर खड़ा हो गया। कुमार उससे कुछ न कहकर दूसरी जगह साफ करने लगा। इसके साफ होने पर एक और आदमी आ धमका। इस तरह एक-एक जगह साफ करते-करते वह एक-एक आदमी के लिए जगह करता गया और अंत में सबके लिए जगह कर दी ।

बाद में जिसका जो काम था, कर-कराके उन्होंने वहां एक चबूतरा तैयार किया। वहां वे यथासमय आने, बैठने-उठने तथा नाना भांति के बातचीत, आमोद-प्रमोद करने लगे । गांव में कोई नया आदमी आता तो वह भी वहीं जाता था । इस तरह उनके दिन कटने लगे।

कुछ दिन बाद वहीं पर उन्होंने एक छोटा-सा घर बना लिया और उसमें बैठने के लिए चटाई आदि जरूरी चीजों का संग्रह भी धीरे-धीरे कर लिया। इस तरह वे वहां समयानुसार आते, बातचीत और आमोद-प्रमोद करते । देखते-देखते वे सभी उसके अनुगत हो गये ।

खूब तड़के उठकर वे अपने-अपने घर के काम-काज कर लेते। फिर अपना खुरपा, हंसुआ, कुदाल लेकर घर से बाहर होते और चौरस्ता या और कहीं अगर काठ-पत्थर रहता तो हटा देते। गाड़ी या आदमी के जाने में यदि किसी ठेक-ठाक की संभावना होती तो उसे काटकर फेंक देते या हटा देते। ऊंची-नीची जगहों को समान कर देते । जरूरत होने पर पुल बांध देते, तालाब खोद लेते और जिससे जो हो सकता था, दान करते थे । कुमार के गुण से इस गांव के सभी लोग सब बातों में खूब अच्छे हो गये ।

दिन बीतने लगे। इधर गांव के मुखिया ने सोचा कि 'बात क्या है ! आगे तो गांववाले बदमाशी करते थे, शराब पीते थे और शराब के कारण कुछ आमदनी भी हो जाती थी । शराब पीकर वे अंट-शंट काम करते थे और उसके लिए जुरमाना करने से भी कुछ आमदनी हो जाती थी। पर इस कुमार ने गांव को ऐसा बनाया कि ये न शराब पीते हैं, न जीवहिंसा ही करते हैं। सभी भलेमानस हो गये ! अच्छा ठहरो ! राजा के पास नालिश करके दिखा देता हूं कि ये कैसे भलेमानस हैं।'

मुखिया राजा के पास जाकर बोला, “महाराज, गांव के सभी आदमी चोर हो गये हैं, इनका उपद्रव बहुत बढ़ गया है। कुछ उपाय न करने से बचना मुश्किल है।” राजा ने हुक्म दिया, “जाओ, चोरों को हाजिर करो ।” मुखिया ने सबको बांधकर हाजिर किया और राजा से कहा, "महाराज, हुजूर के हुक्म के मुताबिक आसामी हाजिर हैं।” राजा ने उनमें से किसी से न तो कुछ पूछा और न कहा। एकाएक हुक्म ही सुना दिया, “जाओ, हाथी के पैर से कुचलकर इन्हें मार डालो ।”

राजमहल के लंबे-चौड़े आंगन में उन्हें बांधकर सुला दिया गया। एक बड़ा हाथी मंगवाया गया । इन आदमियों में एक कुमार भी था। उसने सबको पुकारकर कहा, “देखो भाई, यह ठीक है कि राजा अन्याय कर रहे हैं, और यह भी सच है कि हाथी हम लोगों को अभी मार डालेगा। पर, तुम लोग राजा पर क्रोध न करना । जैसे अपना शरीर अपने को अच्छा मालूम होता है और उस पर अपना जैसा प्रेम है, राजा के शरीर के ऊपर भी हम लोगों का वैसा ही प्रेम हो ।” उन्होंने ठीक वैसा ही किया ।

हाथी जिससे उन्हें कुचल दे, इसी तरह राजा के आदमियों ने उसे चलाया, पर वह किसी तरह आगे न जा सका । चिल्लाकर पीछे लौट आया। भाग चला। दूसरा हाथी मंगाया गया। वह भी आगे न बढ़ सका। फिर तीसरा, चौथा । इस तरह कर-करके बहुत हाथी बुलाए गए पर एक भी आगे नहीं बढ़ा। सभी पीछे लौटकर भाग चले ।

राजा ने कहा, "जान पड़ता है, इनके हाथ में कोई दवा है। अच्छा, इनके हाथ खोजकर देखो तो ।” राजा के आदमियों ने खूब खोजा मगर कुछ भी नहीं मिला। उन्होंने कहा, “महाराज, इनके हाथ में कुछ नहीं है ।"

राजा ने कहा, “जान पड़ता है, ये कुछ मंत्र-तंत्र जानते हैं।” उन्होंने खुद ही पूछा, "क्यों जी, तुम लोग क्या मंत्र-तंत्र जानते हो ?” उन्होंने कहा, “महाराज, हम लोग कोई दूसरा मंत्र नहीं जानते। हम ये तीस आदमी जीवहिंसा नहीं करते, दूसरे की चीज नहीं लेते, झूठ नहीं बोलते, और शराब भी नहीं पीते । सबको मित्र समझते हैं। हो सकता है सो दान करते हैं । ऊंची-नीची जमीन को समान कर देते हैं। सर्वसाधारण के लिए तालाब खोद देते और घर बना देते हैं। महाराज अगर हम लोग कोई मंत्र जानते हैं तो यही । और कुछ मंत्र नहीं जानते ।”

राजा इनकी बात सुनकर बड़े खुश हुए। उस दुष्ट मुखिया की जमीन जायदाद भी निकाल ली, और उन लोगों को उनका गांव और बड़ा हाथी दे दिया ।

  • मुख्य पृष्ठ : हजारीप्रसाद द्विवेदी की कहानियाँ, निबंध, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां