Jaishankar Prasad जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद (३० जनवरी १८८९ - १४ जनवरी १९३७) कवि, नाटकार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे।
वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं । उन्होंने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके
द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई।
उन्होंने कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचना की।
उनकी रचनाएँ हैं; काव्य: झरना, आँसू, लहर, कामायनी, प्रेम पथिक; नाटक: स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी,
जन्मेजय का नाग यज्ञ, राज्यश्री, अजातशत्रु, विशाख, एक घूँट, कामना, करुणालय, कल्याणी परिणय, अग्निमित्र,
प्रायश्चित, सज्जन; कहानी संग्रह: छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी, इंद्रजाल; उपन्यास : कंकाल, तितली और इरावती ।