गोनू झा एकटा राजाक दरबारी रहथि । ओ बहुत चतुर छलथि आओर राजाक राज-काज मे मदद करैत छलथि आओर हुनकर खूब मनोरंजन करैत छलथि । गोनू झा के जन्म दरभंगा जिलाक अन्तर्गत 'भरवाड़ा' गाम मे आय सं लगभग आठ सौ वर्ष पूर्व (13 वीं शताब्दी) एकटा गरीब किसान परिवार मे एहन समय भेल छलनी जहन धर्मांधता आ रूढ़िवादिता के बोलबाला छल। बड़का जमींदार राजा कहाबैत छल। दरबारि के हाथ मे शासन सं प्रजा त्रस्त छल। चापलूस दरबारिक चंगुल सं प्रजा के बचेबा मे जतय गोनू झा के महत्त्वपूर्ण योगदान छलनी, ओतय ओ साधुक भेश मे ढोंगि सं सेहो लोहा लेलैथ। मिथिलांचल मे गोनू झा के रोचक कथा जन- जन के जीह पर ओहि प्रकार विद्यमान अछि, जाहि प्रकार कवि कोकिल विद्यापति जी के सुमधुर गीत सभक कंठहार बनल अछि। गोनू झा के किस्सा लोग मे एहन रची-बसी गेल अछि जे फकरा के रूप धारण क चुकल अछि।