गोनूक खेती-बाड़ी (मैथिली कहानी मैथिली में) : गोनू झा

Gonuk Kheti-Baadi (Maithili Story in Maithili) : Gonu Jha

गोनू रहथि पंडित लोक । खेती-बाड़ी सँ कम्मे मतलब राखथि । तथापि जे किछु खेत-पथार रहनि ले कोहुना के करथि । हुनक जमीनक एकटा पैघ भाग घरे लग रहनि जाहि मे साग-सब्जीक अलावा आरो बहुत किछु उपजाबथि । लेकिन एहि बेर एहेन संजोग भेल जे हुनका गाम मे जोन नहि भेटलनि । लाख खुरछारी कटलनि एको गोटे हुनका खेत मे काज करब नहि गछलकनि । ओ पत्नी सँ पुछलखिन जे कदाचित ककरो पछिला सालक बोनि तँ नहि बाँकी रहि गेलैक । परन्तु पत्नी नहि मे उत्तर देलथिन । आब गोनू पड़लाह बेस फेर मे । तथापि ओ अपन युक्ति लगौलनि । गाम मे घोषणा कऽ देलनि जे एहि बेर ओ आन गाम सँ जोन अनताह । हुनक ई घोषणा शीघ्रे पूरा गाम मे पसरि गेल । लोक कनफुसकी करय लागल जे एतनी जमीनक लेल गोनू आन गाम सँ जोन अनताह । तथापि गोनू गाम मे रहथि वा आन गाम मे गौंआक लेल ओ हरदम कौतुहलक वस्तु छलाह ।

वस्तुत: गोनू आन गाम चलि गेलाह आ घुमलाह ८-१० दिनक बाद । परन्तु हुनका संगे मे कोनो जोन नहि रहनि । ओ भोरे-भोर गाम पहुँचलाह । हुनक गाम पहुँचतहि पूरा गाम शोर भऽ गेल । कोनहुना ओ गौंआ सभ कें बुझा देलनि जे ओ एकठाम पंडिताई मे गेल छलाह आ बहुत रास दान-दक्षिणा लऽ कऽ घुमलाह अछि । दिन भरि एहि सभ मे बीति गेल । भेंट केनहार अबैत रहल आ ओ व्यस्त रहलाह । जहन संध्याक भोजनक बाद गोनू विश्रामक लेल अयलाह तँ पत्नी जिज्ञासा केलथिन जे जाहि धन दऽ अहाँ गौंआ के कहलियौ से कतय अछि ले हमहूँ तँ बुझियै ।

एहि बीच गामक किछु चोर ओही दिन हुनका घर मे चोरि करबाक योजना बनेलक आ सांझे हुनका घरक लग पास मे नुका रहल, ताकि मौका लगितहि हुनक सभटा धन पार कयल जाय । गोनू रहथि सतर्क लोक । ओ परिस्थिति के भांपि लेलनि । तें ओ पत्नी सँ कहलथिन जे हम धन बाड़ी मे गारि देने छियैक, कारण चोरबा सभक कोन ठेकान । पत्नी आग्रह केलखिन जे धन बाड़ी मे कतय अछि से हमरा कहू, परन्तु ओ कहलथिन जे यदि अहाँ के कहि देब तँ अहाँ काल्हिये सँ निकालि-निकालि के खर्च करय लागब । पत्नीक लाख यत्नक बादो गोनू बाड़ीक ओ स्थान नहि बजलाह जाहिठाम धन गाड़ल छल । अंत मे पत्नी तमसा कें सूति रहलीह आ ओहो करोट बदलि सुतबाक उपक्रम करय लगलाह ।

चोर सभ सभटा सुनिते रहय । ओ सभ आनन-फानन मे कोदारि अनलक आ धनक लोभ मे लागल बाड़ी तामय । जहन बाड़ी तमनाय लगिचा गेल तँ गोनू बहरेलाह आ आवाज लगेलाह – तों सभ पनपिआई कय कें जयबह आ कि ओहिना । ई सूनि चोरबा सभ लंक लऽ कऽ पड़ा गेल । भिनसरे पत्नी कें जगबैत गोनू कहलथिन – बीयाक जोगार अछि की नहि? पत्नी अचंभित होईत पुछलखिन जे खेत तँ तैयारे नहि अछि तँ बीयाक की करब? गोनू कहलनि जे उठू आ देखू जे बाड़ी कतेक नीक जेंका तैयार अछि । पत्नी उठलीह तँ देखैत छथि जे सत्ते बाड़ी तँ तैयार अछि । ओ गोनू कें कहलनि जे अहाँ मंगनी मे चोरबा सभ सँ पूरा बाड़ी तमबा लेलियैक । गोनू हंसैत बजलाह – जाने पहचान वला लोक सभ छल । उपजा भेलाक बाद साग-सब्जी पठा देबैक ।

  • मुख्य पृष्ठ : गोनू झा की मैथिली कहानियां हिंदी में
  • मुख्य पृष्ठ : गोनू झा की मैथिली कहानियाँ मैथिली में
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां