फेर छकायल चोर (मैथिली कहानी मैथिली में) : गोनू झा

Pher Chhakayal Chor (Maithili Story in Maithili) : Gonu Jha

गोनू रहथि सतर्क आ बुद्धिमान लोक । अपन बुद्धिमत्ता आ विद्वताक बल पर ओ सदैव मिथिलाक राजदरवार मे आदर पाबथि आ यदा-कदा इनाम सेहो । ताहि सँ सौसें ई हल्ला रहैक जे गोनू झा लग बहुत रास संपत्ति छैन आ तें इलाकाक नामी-गिरामी चोर सभ हुनका घर मे चोरि करबाक प्लान बनेलक । चोरि आ सेहो गोनूक घर मे, छल तँ मुश्किल काज, तथापि एकबेर पूरा भऽ गेने बहुत रास धन प्राप्तिक आशा रहैक आ तें चोर सभ एहि दिशा मे काज करब शुरू कयलक ।

सभ सँ पहिने तीन-चारि चोरक एकटा दल कें एकर काज सौंपल गेल आ प्लानक अनुसार ओ सभ साँझ पड़ितहि हुनका दलान पड़हक एकटा पैघ झुड़मुट मे नुका रहल आ राति हेबाक इंतजार करय लागल । परंतु सतर्क गोनू साँझ मे दलान पर अबितहि बूझि गेलाह जे दालि मे जरूर किछु कारी छैक । ओ स्थिरचित्त भऽ एहि समस्या पर विचार केलनि आ अपना पत्नी के दलान पर बजाय, झूठ-मूठ पतरा देखय लगलाह । ओहि दिनक ग्रह दशा पर विचार करैत ओ बजलाह – आजुक ग्रह अपन सभ पर बड़ खराब अछि । पत्नी सशंकित होइत ग्रहक निवारणक उपाय सभ पूछय लगलथिन्ह । ओ पुन: पोथी-पतरा उन्टेलाह आ थोड़ेक कालक उधेर-बुनक पश्चात ई निष्कर्ष निकाललाह जे आई जँ पश्चिम दिस (जेम्हर झुड़मुट मे चोर सभ नुकायल रहय) १०८ टा ढ़ेपा फेकल जाय, तँ ग्रह शान्त भऽ सकैत अछि । जँ ढ़ेपा नम्हर फेकल जाय तँ ग्रहक शान्ति आर तीव्रता सँ भऽ सकैत अछि । पत्नी गोनूक एहि ग्रह शांतिक उपाय सँ सहमति जतेलनि । पुन: गोनू बजलाह जे अहाँ ढ़ेपा आनू आ हम फेकैत छी । फेर की छल शुरू भऽ गेलाह दुनू प्राणी । पत्नी नम्हर-नम्हर ढ़ेपा आनय लगलीह आ गोनू ओकरा पश्चिम दिस फेकय लगलाह, जेम्हर चोर सभ झुरमुट मे नुकायल छल । ढ़ेपा कखनो चोरक नाक पर लगैक तँ कखनो ओकरा सभक कपार पर । गोट पचासेक ढ़ेपा गोनू फेकने हेताह की हुनक पत्नी हर्दा बाजि देलखिन जे आब हमरा बुते नहि होयत ढ़ेपा आनल । ताहि पर गोनू बजलाह जे अहाँ कें ढ़ेपा अननाइ पार नहि लगैत अछि आ ओहि झुरमुट मे नुकायल माहानुभाव सभ सभटा ढ़ेपाक मारि खेलाक बादो एको बेर सगबगेलाह अछि नहि । एत्ते सुनितहि चोर सभ बूझि गेल जे गोनू बाबू हमरा सभ कें देखि लेलनि । ओ सभ झुड़मुट सँ बाहर निकलैत गेल आ आत्मसमर्पण कऽ देलक । ओ सभ पर्याप्त मारि खा चुकल छल आ तें गोनू ओकरा सभ कें माफ कऽ देलनि ।

मारि खेलाक बाद कतेको मास धरि चोर सभ शांत रहल । तथापि एकबेर फेर गोनूक घर मे चोरि करबाक प्रोग्राम बनेलक । एहि बेर ओ सभ साँझे नहि जा कें राति मे जेबाक प्रोग्राम बनेलक । अनहरिया राति रहैक आ गोनू कें अपनी घरक बाहर किछु खड़बड़ सुनेलनि । ओ भाँपि गेलाह जे पुन: चोर सभ आबि गेल अछि । ओ पत्नी दिस तकलनि । परन्तु ओ तँ निश्चिंत भऽ फोंफ कटैत छलीह । गोनू हुनका जानि-बूझि के चुट्टी काटि लेलनि । ओ तमसाइत उठलीह आ लगलीह गोनू पर बाजय । चोर सभ साकांक्ष भऽ गेल आ दुबकि गेल । परन्तु गोनू तँ ओकरा सभ कें फेर छकेबाक जोगार सोचि रहल छलाह । पत्नी कें शांत करैत गोनू बजलाह जे एकटा जरूरी खबरि अहाँ कें नहि कहने रही तें उठबय पड़ल । पत्नी पुछलखिन जे एहन कोन जरूरी खबरि छैक जे ताहि लेल हमरा एत्ते जोर सँ चुट्टी काटि लेलहुँ । गोनू पत्नी कें हाथ सँ कम जोर सँ बजबाक इशारा केलनि आ पुछ्लनि जे बंगौर (बाँगक बीया) कतय अछि । पत्नी कहलखिन जे ओ तँ ओसारे पर अछि । गोनू बेस चिंतित्त भेलाह आ बजलाह जे बंगौरक दाम प्रति सेर पाँच टाका भऽ गेलैक अहाँ एहन चीज कें ओहिना ओसारा पर छोड़ि देलियैक । आब तँ चोर लैये लेत । काल्हिये तँ आठ अन्ने सेर छल आ आई पाँच टके सेर भऽ गेल । चोरो सभ सभटा सुनिते छल आ ओ सभ फटाफट अन्हारे मे जेना-तेना बंगौर तकलक आ तुरन्त निपत्ता भऽ गेल ।

गोनू कें ई अनुमान छलनि जे चोर सभ बंगौर के बेचक हेतु आई हाट पर जरुर आनत । आ तें ओ सबेरे सकाल हाट पर पहुँचि गेलाह । किछु अपरिचित चेहरा कें बंगौर बेचैत देखि ओकर भाव पुछलनि । ओ सभ पाँच टके सेर कहलक । गोनू बूझि गेलाह जे इएह महाशय सभ राति मे हमरा ओतय गेल छलाह । ओ प्रकट होइत बजलाह जे ई दाम तँ राति मे रहैक आ एखन तँ मात्र आठ अन्ने सेर अछि । ई सुनितहि चोर सभ कें सन्देह भेलैक जे कदाचित गोनू हमरा सभ कें चीन्हि गेलाह आ सभ बेरा-बेरी कें ओतय सँ घसकय लागल । एकबेर फेर चोर सभ कें छकेबा मे गोनू सफल भेलाह ।

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