Usha Kiran Khan उषा किरण खान

उषा किरण खान (२४ अक्टूबर १९४५ – ११ फरवरी २०२४) हिंदी और मैथिली भाषाओं की साहित्यकार हैं । वे एक सेवानिवृत्त अकादमिक इतिहासकार भी हैं । पटना कॉलेज में प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विज्ञान की आप विभागाध्यक्ष रह चुकी थीं। डॉ उषा किरण खान मूल रूप से दरभंगा के लहेरियासराय की रहने वाली थीं। उषा किरण खान का विवाह राम चंद्र खान से हुआ, जिन्होंने 1968 से 2003 तक भारतीय पुलिस सेवा में सेवा की । उनके चार बच्चे हैं।
कृतियाँ : डॉ उषा किरण खान ने हिंदी के साथ-साथ मैथिली में भी दर्जनों उपन्यास व कहानियां लिखी हैं। इसके अलावा वह बाल साहित्य और नाटक लेखन के लिए भी जानी जाती थीं। आपकी अब तक पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें उपन्यास, कहानी, नाटक और बाल-साहित्य जैसी विविध विधाएँ सम्मिलित हैं। भामती, सृजनहार, हसीना मंज़िल, घर से घर तक उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
उपन्यास : पानी पर लकीर, फागुन के बाद, सीमांत कथा, रतनारे नयन (हिंदी), अनुत्तरित प्रश्न, हसीना मंजिल, भामती, सिरजनहार (मैथिली)।
कहानी संग्रह : गीली पॉक, कासवन, दूबजान, विवश विक्रमादित्य, जन्म अवधि, घर से घर तक (हिंदी), कॉचहि बॉस (मैथिली)
नाटक : कहाँ गए मेरे उगना, हीरा डोम (हिंदी), फागुन, एकसरि ठाढ़, मुसकौल बला (मैथिली)
बाल नाटक : डैडी बदल गए हैं, नानी की कहानी, सात भाई और चंपा, चिड़िया चुग गई खेत (हिंदी), घंटी से बान्हल राजू, बिरड़ो आबिगेल (मैथिली)
बाल उपन्यास : लड़ाकू जनमेजय
पुरस्कार और सम्मान : हिंदी सेवी सम्मान (राजभाषा विभाग, बिहार सरकार), महादेवी वर्मा सम्मान (बिहार राजभाषा विभाग), दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, कुसुमांजलि पुरस्कार, विद्या निवास मिश्र पुरस्कार आदि.
2011 में उषा को मैथिली उपन्यास भामती: एक अविस्मारनिया प्रेमकथा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2012 में, उन्हें उनके उपन्यास सिरजंहार के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा कुसुमांजलि साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया था। यह पहला वर्ष था जब पुरस्कार दिए गए थे और उनमें 2,50,000 रुपये का पुरस्कार शामिल था।
उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सेवा के लिए 2015 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

Hindi Novels : Usha Kiran Khan

हिन्दी उपन्यास : उषा किरण खान