Rashid Jahan
रशीद जहाँ
रशीद जहाँ (5 अगस्त 1905 – 29 जुलाई 1952), भारत से उर्दू की प्रगतिशील लेखिका, कथाकार और उपन्यासकार थीं, जिन्होंने महिलाओं द्वारा लिखित उर्दू साहित्य के एक नए युग की शुरुआत की। वे पेशे से एक चिकित्सक थीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ। उनकी माँ का नाम वहीद शाहजहां बेगम और पिता का नाम शेख अबदुल्लाह था। उनके पिता अलीगढ़ के मशहूर शिक्षाविद और लेखक तथा अलीगढ़ महिला कॉलेज के संस्थापकों में से एक थे, जिन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६४ में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। राशिद की प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ में हुई। तत्पश्चात वे लखनऊ के ईज़ा बेला थोबरोन कॉलेज से इंटर करने के बाद दिल्ली के लॉर्ड हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से वर्ष 1934 में डॉक्टर बनकर निकलीं। वर्ष 1934 में उनकी शादी महमूद अलजाफरा के साथ हुई जो उर्दू के लेखक होने के साथ अमृतसर के इस्लामिया कॉलेज में प्रिंसिपल थे। वहीं डॉ॰ रशीद जहां की मुलाकात फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ से हुई और वे सक्रिय रूप से प्रगतिशील आंदोलन से जुड़ गईं।
रशीद पहली बार चर्चा में तब आई जब उनकी कहानियों और नाटकों का संग्रह ‘अंगारे’ 1932 में प्रकाशित हुआ, क्योंकि उनकी कहानियों और नाटकों में तत्कालीन समाज में प्रचलित मुस्लिम कट्टरपंथ तथा यौन नैतिकता को गहरी चुनौती दी गई थी। जल्द ही यह ब्रिटिश शासन द्वारा प्रतिबंधित भी हो गई। रशीद जहाँ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और प्रगतिशील लेखक संघ की सक्रिय कार्यकर्ता थीं।
रशीद का निधन मॉस्को, रूस में हुआ।
उनकी प्रमुख कृतियाँ : अंगारे, औरत और दूसरे अफसाने व ड्रामे, शोअला-ए-जव्वाला, वो और दूसरे अफसाने व ड्रामे ।
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