Indira Raisom Goswami
इंदिरा रायसम गोस्वामी
इंदिरा गोस्वामी (१४ नवम्बर १९४२ - नवम्बर, २०११) असमिया साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर थीं। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित
श्रीमती गोस्वामी असम की चरमपंथी संगठन उल्फा यानि युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम और भारत सरकार के बीच मध्यस्थ की
भूमिका निभाने की राजनैतिक पहल करने में अहम भूमिका निभाई। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास मामरे धरा तरोवाल अरु दुखन
उपन्यास के लिये उन्हें सन् १९८२ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया।
प्रमुख रचनाएँ : 'चेनाबार सोत', 'नीलकण्ठी ब्रज', 'अहिरन',
'मामरे धारा तरोवाल', धूसरित पृष्ठ', 'ब्लड-स्टेण्ड पेज़िज', (उपन्यास); 'प्रिय गल्पो', (कहानी-संग्रह); 'रामायण फ्रॉम गंगा टू ब्रह्मपुत्र' (विवेचना); ' आधा लेखा दस्तावेज'(आत्मकथा)।
अनेक रचनाएँ हिन्दी, अँग्रेजी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनूदित।
पुरस्कार : 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार'(1983), 'असम साहित्य सभा पुरस्कार '(1988), 'भारत निर्माण पुरस्कार'(1989), 'कथा पुरस्कार'(1993), ‘अन्तर्राष्ट्रीय ज्यूरी अवॉर्ड'(1997),
‘अन्तर्राष्ट्रीय तुलसी अवॉर्ड'(1999), 'ज्ञानपीठ पुरस्कार', (2000), आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।
Indira Goswami Stories in Hindi
इंदिरा गोस्वामी की कहानियाँ हिन्दी में