गोपाल भाँड़ की कहानियाँ : (बांग्ला कहानी)
Gopal Bhand Ki Kahaniyan (Bengali Stories in Hindi)
प्राचीन काल में बंगाल में एक राज्य था-कृष्णनगर। इस राज्य
के लोग शान्ति-प्रिय थे। कला-संस्कृति के प्रति इस राज्य के
लोगों का गहरा लगाव था। कृष्णनगर पर ऐसे तो अनेक
शासकों ने राज्य किया किन्तु जो प्रसिद्धि राजा कृष्णचन्द्र राय
ने पाई, उसकी अन्य किसी से तुलना नहीं की जा सकती।
राजा कृष्णचन्द्र राय सहृदय प्रजापालक, हास-परिहास में
रुचि लेनेवाले न्यायप्रिय शासक थे। उनके शासनकाल में
कृष्णनगर की प्रजा हर तरह से सुखी थी क्योंकि राजा कृष्णचन्द्र
राय प्रजा के दुख से दुखी, प्रजा के सुख से सुखी होते थे। इस
संग्रह की कहानी ‘गोपाल ने दी महाराज को सीख’ इस
किंवदन्ती की पुष्टि करती है।
आमोदप्रिय होने के कारण महाराज कृष्णचन्द्र राय के
दरबार में विभिन्न कलाओं के विद्वानों को सम्मानजनक स्थान
प्राप्त था, उनके दरबार में गोपाल नाम का एक युवक ‘विदूषक’
के रूप में शामिल किया गया। गोपाल की तीव्र मेधाशक्ति,
वाक्पटुता और परिस्थितिजन्य विवेक से कार्य करने की
विशिष्ट क्षमता ने जल्दी ही उसे राजा कृष्णचन्द्र राय के दरबार
का खास अंग बना दिया।
जिन दिनों कृष्णनगर पर राजा कृष्णचन्द्र राय का शासन
था, उन दिनों मुर्शिदाबाद का निजाम एक सनकी नवाब के
हाथों में था। कृष्णनगर के राजा के पास वह तरह-तरह के
विचित्रातापूर्ण पैगाम भेजता रहता था। एक बार उसने राजा
कृष्णचन्द्र राय से आसमान के तारों की संख्या पूछी तो दूसरी
बार पृथ्वी की लम्बाई-चैड़ाई का गणित जानना चाहा। इस
तरह के विचित्रातापूर्ण सवालों को हल करने में गोपाल की
चतुराई काम आती थी। इस कारण अपने जीवनकाल में ही
गोपाल किंवदन्ती बन गया था। आज भी बंगाल के गाँवों में
लोगों को गोपाल भाँड़ की चुटीली कहानियाँ कहते-सुनते देखा
जा सकता है।
इन कहानियों में व्यंग्य है, हास्य है, रोचकता है, चतुराई है,
न्याय है और है सबको गुदगुदा देनेवाली शक्ति। ठीक वैसी
जैसी अकबर-बीरबल की कहानियों में है। मुल्ला नसीरुद्दीन
या शेखचिल्ली की कहानियों में है। इन कहानियों से सूझ भी
मिलती है और आत्मा का संगीत भी।-अशोक महेश्वरी
गोपाल भांड की कहानियाँ हिंदी में