Ramvriksh Benipuri रामवृक्ष बेनीपुरी
रामवृक्ष बेनीपुरी (२३ दिसंबर, १८९९ - ७ सितंबर, १९६८) भारत के एक महान विचारक, चिन्तक, मनन करने वाले क्रान्तिकारी साहित्यकार, पत्रकार, संपादक थे।
वे हिन्दी साहित्य के शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। आपने गद्य-लेखक, शैलीकार, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, समाज-सेवी और हिंदी प्रेमी के रूप में अपनी प्रतिभा
की अमिट छाप छोड़ी है। राष्ट्र-निर्माण, समाज-संगठन और मानवता के जयगान को लक्ष्य मानकर बेनीपुरी जी ने ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, नाटक, उपन्यास,
कहानी, बाल साहित्य आदि विविध गद्य-विधाओं में जो महान रचनाएँ प्रस्तुत की हैं, वे आज की युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं।
रचनाएँ : कहानी संग्रह- 'चिता के फूल', 'शब्द-चित्र-संग्रह', 'लाल तारा', 'माटी की मूरतें', 'गेहूँ और गुलाब' इत्यादि ।
उपन्यास-'पतितों के देश में', 'कैदी की पत्नी', 'दीदी और सात दिन'।
यात्रा-वृत्त - ' पैरों में पंख बाँधकर', 'उड़ते चलें'।
नाटक-'अम्बपाली', 'सीता की माँ', 'संघमित्रा', 'सिंहलविजय', 'रामराज्य', 'गाँव के देवता', 'नया समाज' तथा 'नेत्रदान'। इनमें 'सीता की माँ' एकपात्रीय नाटक अर्थात् 'भाण' है।
संस्मरण-रेखाचित्र - 'जंजीरें और दीवारें', 'मील के पत्थर', 'मंगर'।
निबन्ध-'वन्दे वाणी विनायकौ' और 'सतरंगा' (ललित निबन्ध)।
जीवनियाँ 'कार्ल मार्क्स', 'जयप्रकाश नारायण' और 'राणा प्रताप' |
सम्पादन- 'विद्यापति पदावली'।
टीका-'बिहारी सतसई' की सुबोध टीका।
