Praful Singh "Bechain Kalam"
प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

प्रफुल्ल सिंह का उपनाम "बेचैन कलम" (25 मई 1992-) है । उनका जन्म माता सुषमा सिंह और पिता उग्रसेन सिंह के घर हुआ । वह विभूति खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं । उनकी शिक्षा - एम.ए हिंदी साहित्य (लखनऊ विश्वविद्यालय) से है । वह शोधार्थी/लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार हैं । उनकी रचनाएँ हैं : "बेचैन कलम" पुस्तक (काव्य संग्रह) और "बेचैन ख्यालात" (आलेख संग्रह) ।

Peedaon Ki Pratidhwaniyan (Novel) : Praful Singh "Bechain Kalam"

पीड़ाओं की प्रतिध्वनियाँ (उपन्यास) : प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

Hindi Articles : Praful Singh "Bechain Kalam"

हिंदी आलेख : प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

Hindi Articles : Praful Singh "Bechain Kalam"

हिंदी आलेख : प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

  • प्रफुल्ल के अनिश्चितता (संवेदनशीलता) के सिद्धांत
  • हम सब इस पृथ्वी के ऋणी हैं
  • सात्विक प्रेम
  • मातृभाषा एवं देवभाषा को पहले हमें सम्मान देना होगा
  • मातापिता
  • परिणय सूत्र
  • रिश्तों के चार पायदान
  • पहचानें अपनी सीमा
  • मेरी कुछ बातें शायद अभी भी क़ैद में हैं
  • अर्थ से अनर्थ तक
  • सच की मानवीयता
  • प्रेम आत्मा की सच्ची अभिव्यक्ति
  • स्त्री-अस्मिता का साहित्य
  • समाज सार्थक संचार से दूर भौतिकता की गोद में
  • सकारात्मक या नकारात्मक नजरिया
  • भारतीय संस्कृति
  • युवा अर्थात वायु
  • माँ शब्द में निहित संपूर्ण सृष्टि
  • ज़िन्दगी धूप छाँव सी
  • भक्ति का पहला मार्ग सादगी
  • गरीबी शिक्षा में बाधक नहीं है
  • "मैं" स्वाभिमान या अभिमान
  • पिंजरा
  • रोने की कोशिश
  • संस्कृति समाज की जननी
  • आपका बुरा वक़्त
  • एक भावनात्मक रिश्ता : सूखा पेड़ और मैं
  • निद्रा से स्वप्न तक की यात्रा
  • बादलों को भी धरती का आसरा है
  • सभी भाषाओं की जननी है देवभाषा संस्कृत
  • अध्यात्म मंजिल नहीं बल्कि यात्रा है
  • अतीत और भविष्य के बीच वर्तमान का उपहार
  • वर्तमान साहित्य में राष्ट्रीय सृजन
  • लेखन मात्र कमाई का जरिया नहीं
  • सत्कर्म का आचरण
  • कल्पनाएँ ही दुःख का कारण
  • अंतर्मन चेतना को पहचानें
  • मेरा दोहरा व्यक्तित्व
  • परिवार का पतन होने से बचाएं
  • अत्यधिक कल्पनाओं से स्वयं को वंचित रखें
  • जीवन में हमारी अभिलाषा
  • बुजुर्गों के जीवन में प्रकाश का द्वीप जलाएं
  • प्रेम अपरिभाषित है
  • प्रकृति स्वभाव
  • हम पर्यावरण का ख्याल रखें, पर्यावरण हमारा ख्याल रखेगा
  • लिखने की ललक
  • वृद्धि और विकास की प्रमाणिकता
  • सकारात्मक दृष्टिकोण अंधेरे में भी प्रकाश पाते हैं
  • जीवन परिधि
  • संकल्प
  • कर्म अपने कर्ता को पहचान लेता है
  • चापलूसी का बदलता स्वरूप
  • प्यार और स्नेह
  • मानवता
  • विवाद विनाश को आमंत्रित करता है
  • सृष्टिकर्ता तो एक ही है
  • सुख की प्रतीक्षा
  • आकर्षण की शक्ति एवं क्षमता
  • झूठ चलने के साथ दौड़ता भी है
  • क्रोध मानव जीवन की मजबूरी और समस्या दोनों
  • ईश्वर एक विश्वास
  • पुरुष समन्दर तो स्त्री समर्पण
  • परम सुख
  • सच की मानवीयता
  • सम्पूर्ण कौन है
  • दूसरे के भले से खुद का भला
  • हम सबसे ही है इतिहास
  • संस्कृत हमारी संस्कृति
  • अपनी ही तलाश में
  • सपनो की क़द्र करने वाला
  • कहानियों का महत्व एवं उपयोगिता
  • लेखन बाजारीकरण नहीं
  • समय की महत्ता
  • युवा वर्ग साहित्य से मीलों दूर
  • मेरी प्रार्थनाओं का स्पर्श तुम्हें सदा सुरक्षित रखेगा
  • गुरुकुल शिक्षा ही हमारी पहचान
  • व्यक्तित्व
  • उम्मीद पर सब कायम
  • विश्वास
  • जिंदगी धूप छाँव सी
  • सार्थक मृत्यु
  • किस्मत की सौदेबाजी
  • कैद में पड़ी बातें
  • बारिश की पहली बूंद
  • ज्ञान की बेड़ियां
  • प्रेम प्रकृति का अमूल्य उपहार
  • रिश्तों में उलझन या कशमकश
  • अंजान शख़्स
  • भौतिक प्रेम और अध्यात्मिक प्रेम
  • मोबाइल, मैसेज और डिप्रेशन की शिकार युवापीढ़ी
  • खुशियों को गले लगाएँ
  • अवसर को पहचानें और इतिहास रचें
  • मानवीय संवेदनाओं का मापदंड
  • मानव जीवन में अध्यात्म का गूढ़ रहस्य
  • अध्ययन से अध्यात्म तक की यात्रा
  • जीवन अपना है
  • महिला सशक्तिकरण
  • विफलता से ही सफलता की राह
  • भारतीय संस्कृति की मान्यताएं एवं नैतिक मूल्य
  • उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है
  • आलस्य एक अभिशाप
  • अपेक्षा से उत्पन्न होता है दुःख
  • आत्मा का अस्तित्व एवं रहस्य
  • एक अकेले में भी है दम
  • पतंग से सीखें अनुशासन
  • सकारात्मक या नकारात्मक
  • इंसान की वैल्यू
  • मन को समझो तो जाने
  • झूठ सिर्फ झूठ हो सकता है
  • प्रवचन से व्यक्तित्व का विकास
  • खुशी और सफलता
  • भावनात्मक संवेदनाओं की अभिव्यक्ति
  • निंदा व आलोचना में मतभेद
  • स्वाभिमान एवं आत्मसम्मान
  • प्लास्टिक अपने कफन में दफन करके ही दम लेगा
  • खुशी की उम्र चार दिन
  • रूखा सूखा आषाढ़
  • गुरु बनने से शिष्य बनना अधिक महत्वपूर्ण
  • मन न पाए ठहराव