Aleksandr I. Kuprin अलेक्सांद्र इवानोविच कुप्रिन

अलेक्सांद्र इवानोविच कुप्रिन (7 सितम्बर 1870 – 25 अगस्त 1938) प्रसिद्ध रूसी कहानी लेखक, विमान-चालक, अन्वेषक तथा साहसपूर्ण यात्री थे। इनका जन्म नरोव्चात नगर (पेंज़ा प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता साधारण कर्मचारी थे। पिता की मृत्यु के बाद वे मास्को में पहले अपनी माता के साथ और फिर गरीबी के कारण अनाथाश्रम में रहने लगे। उनकी शिक्षा सैनिक विद्यालय में हुई। शिक्षा के समय से ही वे कहानियाँ लिखने लगे थे। उनकी पहली कहानी अंतिम व पहली बार 1889 में प्रकाशित हुई जिसके लिए उन्हें कई दिन तक कारावास में रहना पड़ा। शिक्षा समाप्त करने के बाद वे सेना में अफसर बने किंतु चार वर्ष पश्चात् इस्तीफा कर वे पत्रकारिता करने लगे।
कुप्रिन को साधारण जनता और ज़ार की सेना का अच्छा परिचय प्राप्त था। अपनी अनेक कहानियाँ में उन्होंने सामान्य व्यक्तियों के जीवन और ज़ार-कालीन फौज के कठोर दंडोंवाले वातावरण का यथार्थवादी चित्रण किया हैं। 'मोलोख़' नामक उपन्यास (1896) में मजदूरों की जिंदगी और संघर्ष का वर्णन है। सन् 1905 की क्रांति के समय कुप्रिन अपनी सर्वोत्तम रचना लिखी जिनमें प्रमुख 'द्वंद्वयुद्ध' (Duel) नामक कृति है, जिसे कुप्रिन ने मैक्सिम गोर्की को समर्पित किया था। इस कृति में उन्होंने ज़ार-कालीन फौज के नियमों और रिवाजों की कड़ी आलोचना की है। उनकी प्रमुख रचनाएँ रक्तमणिवाला कंकन, काली बिजली और ‘पुण्य झूठ’ हैं। 'तरल सूर्य' में उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्यवाद का पर्दाफाश किया है। यामा नामक उपन्यास (1909-1915) में वेश्याओं के जीवन का सच्चा चित्रण है। अक्टूबर 1917 की समाजवादी क्रांति के समय वे रूस छोड़कर विदेश चले गए। वहाँ भी उन्होंने रूस संबंधी अनेक कहानियाँ लिखी। 1937 में स्वदेश लौटे और 1938 में रूस में उनका स्वर्गवास हुआ। शैली और भाषा की दृष्टि से कुप्रिन की रचनाएँ उच्च्कोटि की हैं। इनमें क्रांति से पूर्व के रूसी जनजीवन के अनेक पहलुओं का वास्तविक चित्रण है। कुप्रिन की समस्त रचनाओं का संग्रह रूस से छह खंड़ों में प्रकशित हुआ है।