Jaswant Singh Virdi
जसवंत सिंह विरदी
जसवंत सिंह विरदी (7 मई 1934 - 2011) पंजाबी और हिंदी में समान रूप से पढ़े जाने वाले पंजाबी के चर्चित कथाकार हैं।
कहानियों के साथ साथ लेख, फीचर, नाटक, उपन्यास और बाल साहित्य में भी भरपूर लेखन।
पंजाबी में पहले ऐसा कथाकार जिसने पंजाबी में फैंटेंसी विधि से कहानियाँ लिखने का चलन चलाया।
इनकी कहानियों में गाँव, कस्बे और शहर के साधारण लेकिन परिश्रमी लोग तथा निम्न मध्यवर्गीय
लोग दृष्टिगोचर होते हैं जो रोज के हालात से लड़ते हैं, गिरते हैं पर हार नहीं मारते। पीड़ पराई(1960),
अपणी अपणी सीमा(1968), ग़म का साक(1971), पावर हाउस(1974), नुक्कर वाली गली(1075),ज़िन्दगी(1976),
नदी का पाणी(1977), सीस भेट(1977), सड़कां दा दर्द(1971), ख़ून के हस्ताक्षर(1982), बदतमीज लोक(1982),
खुल्ले आकाश विच(1986), मेरीयां प्रतिनिधि कहाणियाँ(1987), रब्ब दे पहिये(1988), अध्दी सदी दा फर्क(1990),
मेरीयां श्रेष्ठ कहाणियाँ(1990), हमवतनी(1995), तपदी मिट्टी(1995), पुल, तारे तोड़ना, सीस भेट आदि
उसकी शाहकार कहानियाँ हैं।
जसवंत सिंह विरदी हिन्दी कहानियाँ
Jaswant Singh Virdi Hindi Stories