Ivan Turgenev
इवान तुर्गनेव
इवान तुर्गेनेव (9 नवंबर 1818- 3 सितंबर1883) को रूसी साम्राज्य के ओरेल शहर में हुआ था।
इनका पूरा नाम इवान सेरगेविच तुर्गेनेव था। ये फेमस रशियन उपन्यासकार, लघु कथा लेखक,
कवि, नाटककार और ट्रांसलेटर भी थे। इनका पश्चिम में इन्हीं की वजह से रशियन साहित्य
मशहूर हुआ था। इनका निधन फ्रांस में हुआ।
रूस के कुछ ऐसे सपूत भी हैं जिनकी स्मृति जन-मानस में अमर
होकर रह गयी है। भावी पीढ़ियों का प्यार और आदर-सम्मान पाने वाले
ऐसे सौभाग्यशालियों में लेखक इवान तुर्गेनेव भी हैं। अपनी मातृभूमि और
उसकी सीमाओं से बहुत दूर तक उन्होंने गद्य में सूक्ष्म गीतिका,
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के श्रेष्ठ कलाकार, बढ़िया शैलीकार और शब्दों
के सच्चे जादूगर की ख्याति प्राप्त कर ली है। तुर्गेनेव बहुत बड़ी
साहित्यिक थाती छोड़ गये हैं - छह उपन्यास - ‘रूदिन’, ‘कुलीन
घराना’, ‘पिता और पुत्र’ ‘पूर्ववेला में’, ‘अंकुर’, ‘धुआँ’, अनेक
लघु-उपन्यास और कहानियाँ, नाटक और गद्य-कविताएँ।
‘शिकारी की कहानियाँ’ (1847-1852) नाम से प्रकाशित
प्रारम्भिक कहानियों और शब्दचित्रों में तुर्गेनेव ने रूसी किसान के उच्च
मानसिक लक्षणों और गुणों को दिखाया है।
‘मूमू’ कहानी (1852) अपने जनवादी उत्साह की दृष्टि से
‘शिकारी की कहानियाँ’ के निकट है।