Bhairav Prasad Gupta भैरव प्रसाद गुप्त
भैरव प्रसाद गुप्त (1918-7 अप्रैल 1995) हिन्दी साहित्य के, प्रगतिशील विचारधारा के, कहानीकार एवं उपन्यासकार तथा प्रख्यात सम्पादक थे।
विशेषत: 'कहानी' एवं 'नयी कहानियाँ' पत्रिकाओं के संपादन द्वारा उन्होंने हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास में एक मानदंड भी कायम किया तथा
लंबे समय तक नयी कहानी आन्दोलन के संचालन में प्रशंसनीय योगदान भी दिया।
भैरव प्रसाद गुप्त का जन्म 7 जुलाई 1918 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिवानकलाँ नामक गाँव में हुआ था। प्राथमिक विद्यालय में
जाने से पूर्व उन्हें महाजनी की शिक्षा दी गयी। उस दौर में इस प्रकार के महाजनी स्कूल गाँवों में चलते थे जिनमें बनियों-महाजनों के बच्चों को ऐसी
शिक्षा दी जाती थी जो उन्हें दुकानदारी के हिसाब किताब में मदद पहुँचा सके। उच्च शिक्षा के लिए वे इर्विन कॉलेज इलाहाबाद गये। वहाँ वे
शिवदान सिंह चौहान, जगदीश चन्द्र माथुर, गंगा प्रसाद पांडे, राजबल्लभ ओझा आदि साहित्यकारों के संपर्क में आये। ये लोग हिंदी साहित्य परिषद
के सक्रिय कार्यकर्ता थे। इलाहाबाद और उन साथियों के बीच भैरव प्रसाद गुप्त की साहित्यिक और राजनीतिक अभिरुचियों का विकास हुआ।
स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा अर्जित करने वाले भैरव प्रसाद गुप्त ने अपना कैरियर दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचारक के रूप में आरम्भ किया। सन्
1938 से सन् 1940 तक वे मद्रास स्थित 'हिन्दी प्रचारक महाविद्यालय' में कार्यरत रहने के बाद 1942 तक त्रिचिरापल्ली में अध्यापन किया और वहीं
आकाशवाणी में भी सेवाएँ दीं। ‘भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौर में उन्हें सेंट्रल आर्डनेंस डिपो, कानपुर में काम करना पड़ा। आगे चलकर सन् 1944-1954
की अवधि में उन्होंने माया और मनोहर कहानियाँ जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके बाद वे पूरी तरह से साहित्यिक पत्रिका ’कहानी' (1954-1960)
और ‘नयी कहानियाँ'(1960-1963) के संपादन में दत्तचित्त रहे। बाद में वे स्वतंत्र लेखन के अतिरिक्त 1974 से 1980 तक मित्र प्रकाशन, इलाहाबाद के
परामर्शदाता रहे।
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : उपन्यास-शोले, मशाल, गंगा मैया, जंजीरें और नया आदमी, सत्ती मैया का चौरा, धरती, आशा, कालिन्दी, रम्भा, अंतिम अध्याय,
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और एकांकी-कसौटी, चंदबरदाई, राजा का बाण। सम्पादित पत्रिकाएँ-माया, मनोहर कहानियाँ, कहानी, उपन्यास, नई कहानियाँ, समारंभ-1, प्रारंभ।