Anton Chekhov
आंतोन चेखव
अन्तोन पाव्लाविच चेख़व (29 जनवरी,1860 - 15 जुलाई,1904) रूसी कथाकार, उपन्यासकार और नाटककार थे।
उनकी कहानियाँ विश्व के समीक्षकों और आलोचकों में बहुत सम्मान के साथ सराही जाती हैं। चेखव अपने साहित्यिक
जीवन के दिनों में ज़्यादातर चिकित्सक के व्यवसाय में लगे रहे।
उनका जन्म दक्षिण रूस के तगानरोग में एक दूकानदार के परिवार में हुआ। 1868 से 1879 तक चेखव ने हाई स्कूल की शिक्षा ली।
1879 से 1884 तक चेखव ने मास्को के मेडिकल कालेज में शिक्षा पूरी की और डाक्टरी करने लगे। 1880 में चेखव ने अपनी पहली
कहानी प्रकाशित की और 1884 में इनका प्रथम कहानीसंग्रह निकला। 1886 में 'रंगबिरंगी कहानियाँ' नामक संग्रह प्रकाशित हुआ और
1887 में पहला नाटक 'इवानव'। 1890 में चेखव ने सखालिन द्वीप की यात्रा की जहाँ इन्होंने देशनिर्वासित लोगों की कष्टमय जीवनी
का अध्ययन किया। इस यात्रा के फलस्वरूप 'सखालिन द्वीप' नामक पुस्तक लिखी। 1892 से 1899 तक चेखव मास्को के निकटवर्ती
ग्राम 'मेलिखोवो' में रहे थे। इन वर्षों में अकाल के समय चेख़व ने किसानों की सहायता का आयोजन किया और हैजे के प्रकोप के समय
सक्रिय रूप से डाक्टरी करते रहे। 1899 में चेख़व बीमार पड़े जिससे वे क्रिम (क्राइमिया) के यालता नगर में बस गए। वहाँ चेखव का
गोर्की से परिचय हुआ।
अन्तोन चेख़व की कहानियों में सामाजिक कुरीतियों का व्यांगात्मक चित्रण किया गया है। अपने लघु उपन्यासों 'सुख' (१८८७), 'बाँसुरी' (१८८७)
और 'स्टेप' (१८८८) में मातृभूमि और जनता के लिए सुख के विषय मुख्य हैं। 'तीन बहनें' (१९००) नाटक में सामाजिक परिवर्तनों की आवश्यकता की
झलक मिलती है। 'किसान' (१८९७) लघु उपन्यास में जार कालीन रूस के गाँवों की दु:खप्रद कहानी प्रस्तुत की गई थी। अपने सभी नाटकों में चेखव
ने साधारण लोगों की मामूली जिंदगी का सजीव वर्णन किया है। चेखव का प्रभाव अनेक रूसी लेखकों, बुनिन, कुप्रिन, गोर्की आदि पर पड़ा। यूरोप,
एशिया और अमेरीका के लेखक भी चेखव से प्रभावित हुए। प्रेमचंद के मत से 'चेखव संसार के सर्वश्रेठ कहानी लेखक' हैं।
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