सुखांत (रूसी कहानी) : आंतोन चेखव

Sukhant (Russian Story) : Anton Chekhov

बतौर हेड कंडक्टर काम करने वाले निकोलाई निकोलाएविच स्टिचकिन ने छुट्टी के एक दिन लुबोव ग्रिगोर्येव्ना नाम की खास महिला को एक जरूरी बात के लिए अपने घर बुलाया। लुबोव ग्रिगोर्येव्ना चालीस के आसपास की उम्र वाली प्रभावशाली और दिलेर औरत थी, जो लोगों की शादियाँ जोड़ने के सिवाय ऐसे सारे जरूरी बंदोबस्त कराती थी, जिनकी कि चर्चा सभ्य समाज में महज फुसफुसाहटों में होती है। हमेशा विचारों में खोया हुआ, गंभीर तथा हास परिहास से कोसों दूर रहने वाला स्टिचकिन, कुछ कुछ शर्माया हुआ सा, अपनी सिगार जलाते हुए कहने लगा,

'आपसे मिलकर मुझे खुशी हुई। सिमोन इवानोविच ने मुझे बताया कि आप कुछ ऐसे विशेष और अहम मसलों पर मेरी मदद कर सकती हैं, जिनका सीधा वास्ता मेरी जिंदगी की निजी सुख सुविधाओं से है। लुबोव ग्रिगोर्येव्ना, जैसा कि आप देख सकती हैं कि मैं पहले ही से बावन की उम्र पार कर चुका हूँ, एक ऐसी उम्र जिसमें बहुतों की औलादें भी वयस्क हो चुकी होंगी। मैं एक अच्छे ओहदे पर काम करता हूँ। हालाँकि मेरे पार बहुत ज्यादा संपत्ति नहीं है, लेकिन फिर भी मैं एक प्रेमिका, पत्नी या बच्चों की परवरिश कर सकता हूँ। मैं जरूरी तौर पर यह बताना चाहूँगा कि तनख्वाह के अतिरिक्त मेरे कुछ पैसे बैंक के पास भी हैं, जिन्हें कि मैंने अपनी सीधी सादी और ईमादार जिंदगी जीते हुए बचा रखा था। मैं एक गंभीर और संयमी इनसान हूँ, तथा एक सम्मानजनक और कायदे कानून वाली जिंदगी जीता हूँ, जो कि औरों के लिए एक मिसाल भी हो सकती है। आज जो चीज मेरे पास नहीं है, वो है एक परिवार का अपनापा और अपनी बीवी। मेरी हालत दर दर घूमकर लोगों के असबाब पहुँचा रहे एक फेरी वाले, या फिर ऐसे ही किसी और इनसान की है जो बिना किसी सुख के जीवन काटता हुआ, किसी भी ऐसे शख्स से दूर रहता है जिससे कि वह अपना दुख बाँट सके, बीमार होने पर एक गिलास पानी माँग सके। और, लुबोव ग्रिगोर्येव्ना, मेरी इस तरह की अर्जी की एक और वजह यह है कि शादीशुदा इनसान एक गैर शादीशुदा के मुकाबले समाज में ज्यादा कद्र का हकदार होता है। मैं पढ़े लिखे तबके से बावस्ता हूँ, मेरे पास पैसे हैं, लेकिन अगर आप एक दूसरे नजरिए से देखें, तो इन सब के बावजूद, मैं हूँ क्या? एक ब्रह्मचारी, जिसने कोई कसम वसम ले रखी हो। यूँ, इन सभी को नजर में रखते हुए, मैं किसी योग्य महिला के साथ विवाह बंधन में बॅंधने की अपनी दिली ख्वाहिश जाहिर कर देना चाहूँगा।'

'यह एक अच्छी बात भी होगी।' बिचौलिए का रूप लिए लुबोव ने उसाँस भरी।

'मैं अब सेवानिवृत्ति ले लेने वाला हूँ, और इस शहर में किसी से मेरी जान पहचान भी नहीं है। ऐसे में, हर किसी को समान रूप से अजनबी पाते हुए, मैं जा भी कहाँ सकता हूँ। और कुछ कह-पूछ भी किससे सकता हूँ? इसीलिए सिमोन इवानोविच ने मुझे किसी ऐसे के पास जाने की सलाह दी जो इस काम में माहिर हो तथा लोगों के जीवन में खुशियाँ भरना ही उसका पेशा हो। तो इस तरह से, मैं आपसे ये गुजारिश करता हूँ कि आप मेरे आने वाले कल को सॅंवारने में कृपया मेरी मदद करें। आपके पास शहर की सभी योग्य लड़कियों की तफसील है, और आप आसानी से मेरी बात बना सकती हैं...।'

'हाँ, ऐसा हो सकता है।'

'पानी पीजिए, कृपा करके, पानी...।'

अपनी सहज भंगिमा के साथ लुबोव ने गिलास को अपने होठों से सटाया और बिना पलक झपकाए उसे खाली कर दिया।

'जरूर हो सकता है।' उसने जवाब दिया, 'और दुल्हन के रूप में आप किस तरह की लड़की पसंद करेंगे, मि. निकोलाई निकोलाएविच?'

'मैं, जो भी मेरी किस्मत को मंजूर हो।'

'बिलकुल सही फरमाया, वाकई यह किस्मत का ही सौदा होता है, लेकिन फिर भी, हर आदमी के पास पसंद नापसंद की एक अपनी समझ होती है। किसी को काले बालों वाली औरत भाती है, तो किसी को भूरे...'

एक गहरी साँस लेते हुए स्टिचकिन ने कहा 'लुबोव ग्रिगोर्येव्ना, मैं एक गंभीर मिजाज वाला दृढ़ चरित्र आदमी हूँ। मेरे लिए खूबसूरती तथा रूप रंग जैसी बाह्य चीजें कभी भी प्राथमिकता नहीं रखतीं, क्योंकि, जैसा कि आपको पता भी है, कि चेहरा आखिरकार अदद चेहरा भर होता है, और एक खूबसूरत बीवी होने का मतलब साथ में बहुत सारी उलझनें और परेशानियाँ भी पाले रहना होता है। मेरे हिसाब से, एक औरत का सौंदर्य वो नहीं है जो हमें बाहर से दिखता है, बल्कि वो कहीं उसके अंदर छुपी चीज होता है। मेरा मतलब है कि उसे दिल का ठीक होना चाहिए तथा ऐसे ही कुछ और गुण होने चाहिए उसके पास। एक और गिलास लीजिए, प्लीज, एक और गिलास...। ठीक तो यह भी होगा अगर एक तंदुरुस्त पत्नी मिले, लेकिन आपसी सह-भाव के सामने यह भी कोई उतनी जरूरी चीज नहीं होगी : सबसे अहम है समझ। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, इसके भी कुछ खास मायने नहीं, क्योंकि अगर वो ज्यादा समझ वाली निकली तो दिमाग कुछ ज्यादा ही चलाएगी, अपने बारे में ही सोचती रहेगी और उसके जेहन में उलूल-जुलूल खयाल आते ही रहेंगे। यह कोई कहने की बात तो नहीं है, लेकिन आजकल के इस दौर में अच्छी शिक्षा के बिना भी बात नहीं बनेगी, लेकिन इस मामले में भी केवल 'पढ़ाई - पढ़ाई' जैसी बात का डर है। यह तो अति उत्तम होगा कि आपकी पत्नी एक साथ फ्रेंच, जर्मन तथा ऐसी और भी भाषाओं में बड़बड़ कर सकने वाली हो, लेकिन इन सब का क्या फायदा अगर उसे बटन टाँकने का शऊर न आए? मैं एक पढ़े लिखे तबके से बावस्ता हूँ, मैं कह सकता हूँ कि प्रिंस केनितलिन तक से मेरी वैसी ही बातचीत रही है, जैसी अभी आपसे है, लेकिन मैं अपने तरीके का साधारण इनसान हूँ। मुझे एक सीधी सादी लड़की चाहिए। जरूरी सिर्फ ये है कि वो मुझे एक तरजीह दे, और अपनी खुशियों के लिए मेरी कृतज्ञ हो।

'जाहिर सी बात है।'

'ठीक है फिर, तो अब सबसे जरूरी मसले पर आते हैं... मुझे दुल्हन के रूप में कोई अमीर लड़की नहीं चाहिए। मैं ऐसी किसी भी चीज के सामने नहीं झुक सकूँगा जो मुझे अहसास करा दे कि मैं पैसे की वजह से शादी कर रहा हूँ। मैं अपनी बीवी की कमाई रोटी नहीं खाना चाहता, मैं चाहता हूँ कि वो मेरा जुटाया खाए, और इसे समझे भी। लेकिन हाँ, मुझे किसी गरीब लड़की से भी ऐतराज है। हालाँकि मैं एक उसूलों वाला आदमी हूँ, और मैं पैसे के लिए नहीं, बल्कि प्यार के लिए शादी करना चाहता हूँ, लेकिन इसके लिए एक गरीब लड़की भी नहीं चलेगी, क्योंकि, आपको तो पता ही है कि कीमतें किस तरह आसमान छूने लगी हैं, और फिर आगे बच्चे भी होंगे।'

'मैं दहेज वाली लड़की भी खोज सकती हूँ,' लुबोव ग्रिगोर्येव्ना ने कहा।

'प्लीज, थोड़ा और पानी लीजिए...।'

दोनों के बीच लगभग पाँच मिनट तक चुप्पी छाई रही। फिर बिचौलिए की भूमिका वाली लुबोव ने एक जम्हाई ली, और जनाब कंडक्टर पर तिरछी निगाह डालते हुए बोली, 'और गलती से... कुँवारियाँ कैसी रहेंगी? मेरे पास कुछ ऐसे सौदे भी हैं। एक फ्रेंच और दूसरी ग्रीक नस्ल की, दोनों ही ठीक ठाक।'

स्टिचकिन ने इस पर विचार किया, बोला :

'जी नहीं, शुक्रिया। अब, यह देखने के लिए कि एक असामी के साथ आपकी डील किस तरह से पूरी होती है, क्या मैं पूछ सकता हूँ : आप अपनी इस कृपा के लिए क्या लेंगी?'

'मैं ज्यादा की अपेक्षा नहीं करती। मुझे बस एक पच्चीस रूबल का नोट, और काम हो जाने पर एक ड्रेस दे दीजिएगा, मैं शुक्रगुजार होऊँगी आपकी... और अगर दहेज वाली बात हुई, तो मामला थोड़ा अलग होगा और आप मुझे अलग से कुछ देंगे।'

स्टिचकिन ने दोनों हाथ मोड़े, और उन्हें सीने से सटाते हुए शर्त पर गौर करने लगा। फिर एक साँस भरते हुए बोला :

'इतनी फीस तो बहुत ज्यादा होगी।'

अरे, यह किसी भी लिहाज से ज्यादा नहीं है। पहले के जमाने में, जब इस तरह से बहुत सारी शादियाँ होती थीं, तब हम कम रकम लेते थे। लेकिन अब का जैसा चलन है, उसमें हमें मेहनताने के नाम पर मिलता ही क्या है? अगर मुझे महीने भर में, बिना उधारी के वायदे के पच्चीस रूबल के दो नोट मिल जाएँ तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझूँगी। और आपको तो पता ही है। आम शादियों में तो हमें कुछ मिलता भी नहीं है।'

स्टिचकिन ने औरत की तरफ देखा और कंधे उचका दिया।

'आपका मतलब है कि एक महीने में पच्चीस रूबल की दो नोटें पा लेना छोटी कमाई है?'

'बहुत ही छोटी। पहले के जमाने में तो हम कभी कभार सौ रूबल से भी ऊपर बना लेते थे।'

'मुझे तो एहसास ही नहीं था कि आपके तरह के कारोबार में रहकर एक औरत इतना अच्छा कमा सकती है। पचास रूबल! हर किसी की कमाई इतनी नहीं होती। थोड़ा सा और पानी लीजिए, थोड़ा...'

लुबोव ने गिलास को पलक झपकने से पहले खाली कर दिया। स्टिचकिन ने उसे सिर से पाँव तक देखता रहा। फिर बोला :

'पचास रूबल... एक साल के मतलब छह सौ रूबल... गिलास भर लीजिए... क्यों, आपकी तरह की आय से तो... लुबोव ग्रिगोर्येव्ना, आप तो आसानी से अपने लिए किसी को चुन सकती थीं।'

'मेरे लिए?', लुबोव ग्रिगोर्येव्ना हँसने लगी, 'मैं तो बूढ़ी हो चुकी हूँ।'

'बिलकुल नहीं,... आप अभी भी काफी खूबसूरत हैं, चेहरा भी भरा पूरा है, और दूसरी सारी खूबियाँ भी हैं आपमें...?'

लुबोव आत्मगौरव से फूलती हुई शर्माने लगी। स्टिचकिन भी शर्म सा महसूस करते हुए उसकी बगल में बैठ गया।

'सच में, मैं बताऊँ, तुम बहुत ही आकर्षक हो। अगर तुम किसी ऐसे शख्स से शादी रचाओ, जो धीर-गंभीर होने के साथ सोच समझकर खर्च करने वाला हो, तो उसकी तनख्वाह और तुम्हारी आय के मिले जुले सहयोग से तुम एक बहुत ही सुखी जिंदगी जी सकोगी...।'

'ओह निकोलाई निकोलाएविच, तुम कैसे तो बहे जा रहे हो...'

'क्यों, मैं तो बस कह ही रहा था...'

एक खामोशी पसर गई, स्टिचकिन ने तेज आवाज के साथ अपनी नाक साफ की, और लुबोव अपने लाल होते चेहरे के साथ उसे नखरीले तरह से देखने लगी। उसने पूछा :

'महीने का तुम्हें कितना मिलता है, निकोलाई निकोलाएविच?'

'किसे, मुझे? पचहत्तर रूबल, बोनस को न जोड़ूँ तो... इतने से इतर, थोड़ा बहुत हम चर्बी की मोमबत्ती और 'खरगोशों' के जरिए भी कमा लेते हैं।'

'तुम्हारा मतलब, शिकार करके?'

'अरे नहीं, 'खरगोश...' हम बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्रियों को कहते हैं।

एक और वक्फा खामोशी के साथ बीत गया। स्टिचकिन ने अपना पैर ऊपर उठा लिया और, जैसा कि जाहिर था, घबड़ाहट में फर्श पर चलाने लगा।

'मैं पत्नी के रूप में कोई नौजवान लड़की नहीं चाहता,' उसने कहा, 'मैं अधेड़ उम्र का आदमी हूँ, और मुझे किसी ऐसे की तलाश है, जो काफी हद तक... तुम्हारी तरह की हो... गंभीर और आत्मसम्मान वाली... और शरीर से भरी पूरी, तुम्हारे जैसी...'

'रहम करो, तुम कैसे बोले जा रहे हो,' लुबोव ग्रिगोर्येव्ना खिलखिलाने लगी, अपने बैंजनी हो आए चेहरे को रूमाल से ढँकती हुई।

'इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके, तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों। मैं एक ईमानदार और संयमी आदमी हूँ, और यदि तुम्हें भी पसंद हूँ, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है? मुझे तुम्हें अपना हाथ सौंपने की अनुमति दो!'

लुबोव ग्रिगोर्येव्ना ने खुशी का एक आँसू ढुलकाया, हल्के से हँसी, और प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हुए स्टिचकिन के साथ चश्मे के काँच को छू लिया।

'तो अब,' होने वाले, प्रसन्न, पति ने कहा, 'मुझे बताने दो कि मैं तुम्हारे साथ किस तरह के जीवन की अपेक्षा करता हूँ, ...मैं एक दृढ़ इनसान हूँ, संयमी और ईमानदार। मेरे पास चीजों की एक परिपक्व समझ है, मैं अपनी होने वाली पत्नी से भी वैसी ही दृढ़ता की उम्मीद करता हूँ, और इसकी भी, कि वो समझे कि मैं उसे संरक्षण प्रदान करने वाला तथा उसके लिए दुनिया का पहला शख्स हूँ।'

स्टिचकिन एक गहरी साँस लेते हुए बैठ गया, और अपनी शादीशुदा जिंदगी तथा एक पत्नी के दायित्वों के बारे में बोलता गया।

(अनुवाद : श्रीकांत दुबे)