Zahoor Bakhsh ज़हूर बख़्श

द्विवेदीकालीन प्रख्यात् साहित्यकार ज़हूर बख़्श ने अपनी कहानियों और लेखों से हिंदी साहित्य जगत् में सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया। उन्होंने 300 से अधिक बाल कहानियाँ, सौ से अधिक कहानियाँ, तीन-चार उपन्यास और एक हजार से अधिक आलेख का सृजन किया था। सामाजिक पुनर्जागरण पर आधारित उनके आलेख संदेशप्रद और प्रेरणादायक रहे हैं। 12 मई सन् 1897 को मध्य प्रदेश के सागर जिले में जन्मे ज़हूर बख़्श का नाम हिन्दी साहित्य जगत् में बड़े ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है । बाल साहित्य में भी वे एक जाना-पहचाना नाम रहे हैं। बच्चों को केन्द्रित करके उन्होंने अनेक कहानियाँ लिखीं । आजीवन वे अध्यापन कर्म से ही जुड़े रहे, इसीलिए उनके द्वारा लिखे गए बाल साहित्य में बाल मनोविज्ञान का पक्ष उल्लेखनीय है। पंडित कामताप्रसाद गुरु आपके अध्यापक रहे थे जिस कारण हिन्दी भाषा और व्याकरण के सन्दर्भ में आपकी रुचि स्वाभाविक ही थी । हिन्दी भाषा और लिपि की वैज्ञानिकता से संबंधित आपके कार्य को आज भी याद किया जाता है। तत्कालीन समय की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आप प्रकाशित होते रहे।
-वाङ्मय - (त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका) ।

Hindi Sansmaran : Zahoor Bakhsh

हिन्दी संस्मरण : ज़हूर बख़्श