Parshuram (Rajshekhar Basu)
परशुराम (राजशेखर बसु)
समर्थ साहित्यकार श्री राजशेखर बसु 16 मार्च 1880 – 27 अप्रैल 1960 साहित्य-संसार में 'परशुराम' के नाम से विख्यात हैं। हिन्दी के पाठक भी प्रायः उन्हें इसी नाम से जानते हैं। आपका जन्म 1881 ई. में हुआ। परशुराम की कहानियाँ बहुत ही लोकप्रिय हैं। लघु हास्य-रसात्मक रचनाओं में तो आप बंगला साहित्य में बेजोड़ हैं। इसके अलावा ज्ञान-गर्भ पांडित्यपूर्ण रचनाओं में भी आपने सुनाम पाया है। बंगला शब्दकोष-चलतिका का संपादन आपके पांडित्य का ही परिचय है। साहित्य और भाषा संस्कार में आपने दो महत्त्वपूर्ण काम किए हैं। बंगला में लाइनो टाइप का प्रवर्तन तथा बंगला-उच्चारण की समस्या के समाधान- ये आपकी देन हैं।
इनकी लिखी हुई रचनाओं में गहुलिका, कज्जली, हनुमानेर स्वप्न, लघु गुरु, भारतेर खनिज, मेघदूत, हितोपदेशेर गल्प, गल्पकल्प प्रभृति उल्लेखनीय हैं। गहुलिका की सभी कहानियाँ हिन्दी में अनूदित होकर 'भेड़िया धसान' नाम से पुस्तकाकार में प्रकाशित हो चुकी हैं। तमिल, तेलुगु, कन्नड़, हिन्दी आदि कई भाषाओं में भी परशुराम की रचनाएँ अनूदित हो चुकी हैं। सन् 1955 में आपको रवीन्द्र पुरस्कार प्राप्त हुआ।
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