Raghuveer Chaudhari
रघुवीर चौधरी

रघुवीर चौधरी (पटेल) गुजराती के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि एवं आलोचक हैं। वे अनेक समाचारपत्रों में स्तम्भलेखक भी रहे हैं। उन्होने गुजरात विश्वविद्यालय में अध्यापन किया और वहाँ से १९९८ में सेवानिवृत्त हुए। गुजराती के अलावा उन्होने हिन्दी में भी लेखन कार्य किया है। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास उपरवास कथात्रयी के लिये उन्हें सन् १९७७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। इन्हें २०१५ के लिये ५१वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।इनकी अब तक 80 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
इनकी प्रमुख कृतियाँ : काव्य : तमसा, वहेता वृक्ष पवनमां; उपन्यास : गोकुल मथुरा द्वारिका, पूर्वराग, अमृता, आवरण, वेणु वत्सला, उपरवास कथा-त्रयी, लागणी, सोमतीर्थ; कहानी-संग्रह : आकस्मिक स्पर्श, गेरसमज; नाटक : अशोकवन, झूलता किनारा, सिकन्दर सानी; एकांकी : डिम लाइट; रेखाचित्र : सहरानी भव्यता; समीक्षा : गुजराती नवलकथा, अद्यतन कविता, वार्ता-विशेष, दर्शकना देशमां;
पुरस्कार सम्मान : गुजरात शासन द्वारा 'कुमार चन्द्र', 'रणजीतराम सुवर्णचन्द्र' तथा 'उपरवास कथा-त्रयी' के लिए साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित।