R. Chudamani आर. चूड़ामणि
राघवन चूड़ामणि (10 जनवरी 1931 - 13 सितंबर 2010) भारतीय तमिल लेखिका है ।
उन्होंने चूड़ामणि राघवन के नाम से अंग्रेजी में लघु कहानियाँ भी लिखीं । उनका नाम चूड़ामणि भी है ।
उनका जन्म चेन्नई में हुआ था और वहीं पली-बढ़ीं। वे बचपन से ही शारीरिक रूप से दिव्यांग (विकलांग) थी.
परिवार में इनकी तीन बहने और एक भाई था. शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के कारण वे स्कूल नहीं जा पाती थी.
जिसके कारण इन्होंने घर पर ही अपनी बहन पद्मा द्वारा शिक्षा प्राप्त की और अपने नियमित प्रयासों से इन्होंने पेंटिंग
करना भी सीखा. राघवन चूड़ामणि का बचपन से ही झुकाव तमिल साहित्य और भाषा सीखने की ओर था. वे “कोनाष्टई”
पुस्तक से अधिक प्रभावित थी. इन्हें अपनी कलात्मक माँ कनकवल्ली द्वारा बहुत प्रोत्साहन मिला.
राघवन चूड़ामणि ने सिर्फ 20 वर्ष की उम्र में अपनी पहली लघु कथा कावेरी वर्ष 1957 में प्रकाशित की.
1960 में, उन्होंने अपना पहला उपन्यास मनाथुक्कू इनियावल (प्रिय महिला) प्रकाशित किया। उनका 1961 का नाटक
इरुवर कंदानार (दो व्यक्तियों ने देखा), जिसे कई बार प्रदर्शित किया गया है, को आनंद विकटन पुरस्कार मिला। उनकी
कहानियों का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं की कहानियों का तमिल में अनुवाद भी किया।
सम्मान : उन्हें 1966 में तमिलनाडु सरकार पुरस्कार, 1992 में लिली देवसिगामणि पुरस्कार और 2009 में चेन्नई पुस्तक मेले में कालागनर
मु करुणानिधि पुरस्कार मिला ।
रचनाएँ : पिंजू मुखम (कोमल चेहरा), उपन्यास (1959),
पुन्नगई पूनगोथु , उपन्यास (1965),
मैगलिन काइगल (द डॉटर्स हैंड्स), उपन्यास,
इरावुच्चुदर (रात की चिंगारी), उपन्यास (1974); अंग्रेजी में यामिनी के रूप में अनुवादित (1996)