Masti Venkatesha Iyengar Srinivasa
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार 'श्रीनिवास'
मास्ती वेंकटेश अयंगार (६ जून १८९१ - ६ जून १९८६) कन्नड़ भाषा के एक जाने माने साहित्यकार हैं। वे 'चिक्कवीरा राजेंद्र' नामक कथा के
लिये भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं। यह सम्मान पाने वाले वे कर्नाटक के चौथे लेखक थे।
उनकी तुलना हिंदी के कथा सम्राट् प्रेमचंद से की जाती है। उन्होंने 'श्रीनिवास' उपनाम से कई सामाजिक और ऐतिहासिक कहानियाँ रची। वे सिर्फ
कथाकार ही नहीं, बल्कि उपन्यासकार, नाटककार, कवि सब कुछ थे। एक समय सरकार में आई.सी.एस. अधिकारी रह चुके मास्ति ने सरकारी सेवा
से इस्तीफा दिया और अपने जीवन काल में स्वतंत्र लेखन को अपनाया। पूरे कन्नड़ जगत् को अपना प्रेम बरसाया। मास्तीजी ने कुल मिलाकर
१३७ पुस्तकें लिखीं जिसमे से १२० कन्नड भाषा में थीं तथा शेष अंग्रेज़ी में। उनके ग्रन्थ सामाजिक, दार्शनिक, सौंदर्यात्मक विषयों पर
आधारित हैं। कन्नड भाषा के लोकप्रिय साहित्यिक संचलन, "नवोदया" में वे एक प्रमुख लेखक थे। वे अपनी क्षुद्र कहानियों के लिये बहुत
प्रसिद्ध थे। वे अपनी सारी रचनाओं को 'श्रीनिवास' उपनाम से लिखते थे। मास्तीजी को प्यार से मास्ती कन्नड़दा आस्ती कहा जाता है,
क्योंकि उनको कर्नाटक के अनमोल रत्न माना जाता है। मैसूर के माहाराजा नलवाडी कृष्णराजा वडियर ने उनको राजसेवासकता की
पदवी से सम्मानित किया था।