Mahasweta Devi
महाश्वेता देवी
महाश्वेता देवी (14 जनवरी 1926 – 28 जुलाई 2016) सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका थीं। इनकी कई रचनाओं पर फ़िल्म भी
बनाई गई। इनके उपन्यास 'रुदाली ' पर कल्पना लाज़मी ने 'रुदाली' तथा 'हजार चौरासी की माँ' पर इसी नाम से 1998 में फिल्मकार
गोविन्द निहलानी ने फ़िल्म बनाई। इन्हें 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1986 में पद्मश्री ,1997 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित
किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार इन्हें नेल्सन मंडेला के हाथों प्रदान किया गया था। इस पुरस्कार में मिले 5 लाख रुपये इन्होंने बंगाल के पुरुलिया
आदिवासी समिति को दे दिया था। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत इनके उपन्यास 'अरण्येर अधिकार' आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की गाथा है।
उपन्यास 'अग्निगर्भ' में नक्सलबाड़ी आदिवासी विद्रोह की पृष्ठभूमि में लिखी गई चार लंबी कहानिया है।
इनकी जो रचनाएँ बंग्ला से हिन्दी में रुपांतरण की गई हैं, उनमें से कुछ के नाम हैं : अक्लांत कौरव, अग्निगर्भ, अमृत संचय, आदिवासी कथा,
ईंट के ऊपर ईंट, उन्तीसवीं धारा का आरोपी, उम्रकैद, कृष्ण द्वादशी, ग्राम बांग्ला, घहराती घटाएँ, चोट्टि मुंडा और उसका तीर, जंगल के दावेदार,
जकड़न, जली थी अग्निशिखा, झाँसी की रानी, टेरोडैक्टिल, दौलति, नटी, बनिया बहू, मर्डरर की माँ, मातृछवि, मास्टर साब, मीलू के लिए, रिपोर्टर,
रिपोर्टर, श्री श्री गणेश महिमा, स्त्री पर्व, स्वाहा और हीरो-एक ब्लू प्रिंट आदि।
महाश्वेता देवी की कहानियाँ हिन्दी में
Mahasweta Devi : Stories in Hindi
महाश्वेता देवी की जीवनी और उनके साहित्य पर आलेख
Articles on Mahasweta Devi's Works and her Biography