Khadija Mastoor ख़दीजा मस्तूर
ख़दीजा मस्तूर (11 दिसम्बर 1927-26 जुलाई 1982) को उत्तर प्रदेश के ज़िला बरेली में पैदा हुईं। घर
का माहौल अदबी था। माँ की देखा-देखी ख़दीजा मस्तूर और उनकी छोटी बहन हाजिरा मसरूर को
भी कम उम्र से ही कहानियाँ लिखने का शौक़ पैदा हुआ। उनकी कहानियाँ उस वक़्त की बच्चों की
पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं जिससे उनकी हौसला-अफ़ज़ाई हुई। फिर जब वह बड़ी हुईं और
उनकी कहानियाँ प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं 'साक़ी', 'अदबी दुनिया' और 'आलमगीर' में प्रकाशित
हुईं तो अदब में उनकी पहचान बन गयी । ख़दीजा मस्तूर के पिता का देहान्त उसी वक़्त हो गया था
जब दोनों बहनें कमसिन थीं, इसलिए घर में आर्थिक तंगी थी। वह कुछ समय के लिए बम्बई में रहीं
फिर जब पाकिस्तान बना तो वह अत्यधिक अव्यवस्था की स्थिति में पाकिस्तान चली गयीं, जहाँ मशहूर
अदीब व शायर अहमद नदीम क़ासमी ने उनकी मदद की। सन् 1950 में उन्होंने क़ासमी के भांजे, पेशे
से पत्रकार ज़हीर बाबर ऐवान से शादी कर ली। ख़दीजा सारी उम्र साहित्य सेवा करती रहीं। को लन्दन
में दिल का दौरा पड़ने से उनका इन्तिकाल हो गया और वह लाहौर में दफ़न की गयीं ।
ख़दीजा मस्तूर के अफ़सानों के पाँच संग्रह 'खेल', 'बौछार', 'चन्द रोज़ और', 'थके-हारे' और 'ठण्डा मीठा पानी'
प्रकाशित हुए लेकिन उनको विशेष प्रसिद्धि उनके उपन्यास ' आँगन' से मिली जिसकी गिनती उर्दू के सर्वश्रेष्ठ
उपन्यासों में की जाती है। 1962 में ख़दीजा मस्तूर को इस उपन्यास के लिए पाकिस्तान के प्रतिष्ठित 'आदम जी'
अवार्ड से नवाज़ा गया ।