Joginder Paul जोगिंदर पॉल
जोगिंदर पॉल (5 सितंबर 1925 - 23 अप्रैल 2016) उर्दू लेखक थे। उन्होंने कई लघु कथाएँ, उपन्यास लिखे।
उनकी पहली लघु कथा बलिदान से पहले थी। उनका का जन्म सियालकोट, पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था। भी
बाईस वर्ष के ही थे कि तकसीम ने उन्हें अपना वतन छोड़ने पर मजबूर कर दिया और वह सियालकोट से हिन्दुस्तान
आ गये और 1948 में शादी कर केन्या चले गये। जैसा कि वो अक्सर कहते थे 'चौदह साल के बनवास' के बाद केन्या
से वे हिन्दुस्तान लौट आये। इस ‘बनवास' के दौरान ही इनके दो कहानियों के मजमुए ('धरती का काल' और 'मैं क्यों सोचूँ)
और एक नॉवेल ('एक बूँद लहू की) छप गये थे। नौकरी की तलाश करते वे पहले हैदराबाद और फिर औरंगाबाद में जा बसे
जहाँ वे चौदह साल इंग्लिश के प्रोफ़ेसर और कॉलेज के प्रिंसिपल रहे। इसके बाद आख़िर तक उनका मुक़ाम दिल्ली रहा ।
उनके करियर की शुरुआत 'एक बूंद लहू की' से हुई जो अगस्त 1962 में कराची में प्रकाशित हुई।
जोगिंदर पॉल की सबसे पहली कहानी 'त्याग से पहले ' 1945 में 'साक़ी' (दिल्ली) में छपी। उनकी उर्दू में 22 किताबें
प्रकाशित हो चुकी हैं। बहुत से अफ़साने और नॉवेल के अनुवाद हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा कई दूसरी हिन्दुस्तानी और
ग़ैर-मुल्की ज़बानों में भी हो चुके हैं। उनके नॉवेल 'नादीद' का मॉस्को से रूसी ज़बान में तर्जुमा हुआ है।
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