Maulana Jalal-ud-Din-Rumi मौलाना जलालुद्दीन रूमी
मौलाना जलालुद्दीन रूमी (१२०७ -१७ दिसम्बर १२७३), को बहुत से लोग सिर्फ़ रूमी या मौलाना रूमी के नाम से ही जानते हैं।
वह तेरहवीं सदी के फ़ारसी भाषा के कवि, कानूनदान, इस्लामी विद्वान, धार्मिक गुरू और सूफ़ी रहस्यवादी थे।
उन की अधिकाँश रचना फ़ारसी भाषा में ही है, परन्तु कहीं कहीं वह तुर्की, अरबी और युनानी शब्दों का भी प्रयोग कर जाते हैं।
उन की काव्य रचनायें दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी या दीवान-ए-कबीर और मसनवी मानवी हैं। उन की गद्य रचनायों में फ़ीह मा
फ़ीह, मजालिस-ए-सबा और मकातिब शामिल हैं।