Bibhutibhushan Mukhopadhyay
विभूतिभूषण मुखोपाध्याय

विभूतिभूषण मुखोपाध्याय (24 अक्टूबर 1894 - 30 जुलाई 1987) का बंगला साहित्य के क्षेत्र में आविर्भाव 1915-16 में हुआ। आपका जन्म मिथिला के पाडूल नामक स्थान में हुआ। दरभंगा राज स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास कर कुछ दिन कलकत्ता में रिपन कालेज में पढ़े और तत्पश्चात् पटना से बी.ए. पास किया। आपने दरभंगा राज्य के विभिन्न विभागों में काम किया। विद्यालय के प्रधान शिक्षक, महाराजा के प्राइवेट सेक्रेटरी, प्रेस सुपरिटडेन्ट एवं पटना से प्रकाशित दैनिक 'इंडियन नेशन' पत्रिका के परिचालक भी रहे। उनके काव्य-ग्रन्थों में वरयात्री, वसंते, वर्षाभ, शारदीया, नीलांगुरीय, स्वर्गादपिगरीयसी, गणशार विषे के नाम लिये जा सकते हैं। विभूति बाबू की प्राथमिक प्रतिष्ठा मुख्यतः हास्य-रसात्मक कहानियों के सृजन में ही है। हास्यरस के हिसाब से उनकी रचनाओं में संयम, सौंदर्य और निर्मलता प्रशंसनीय है। जीवन-शिल्पी विभूतिभूषण की संयम सुन्दर, दार्शनिक दृष्टिभंगी जीवन की अश्रुसिक्त वेदना को भी रसग्राही कर देती है। 'सर्टिफिकेट' कहानी में लेखक की सृजनशक्ति और रस परिपाक् का तरीका अद्भुत रूप से प्रकट हुआ है।