Anatole France
अनातोले फ्रांस
अनातोल फ्रांस (16 अप्रैल 1844 – 12 अक्टूबर 1924) फ्रांसीसी कवि, पत्रकार तथा उपन्यासकार थे। वे अकादमी फ्रंसेज
(Académie française) के सदस्य तथा १९२१ के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता थे। इनका असली नाम 'फ्रांसुआ अनातोल थीबो' था।
अनातोल फ्रांस नाम उन्होंने अपनी साहित्यिक कृतियों के लिए रखा था। उनके पिता पुस्तकविक्रेता थे। अनातोल फ्रांस उपन्यासकार और कथाकार
थे। डॉ॰ जॉनसन के समान वे व्यंग्यपूर्ण प्रहार करने में प्रवीण थे। पैरिस में उनके घर पर भीड़ लगी रहती थी, विशेष रूप से निर्वासित विदेशी
आतंकवादियों के लिए उनका घर एक तीर्थ था। अनातोल फ्रांस उदार और प्रगतिशील चिंतक थे। फ्रांसीसी और विदेशी राजनीतिक हलचलों से
उनका गहरा संपर्क रहता था। तत्कालीन फ्रांसीसी राजनीति में द्रेफ़ू के मामले में गहरा संकट उत्पन्न हो गया था। फ्रांस के सभी श्रेष्ठ विचारक
और कलाकार द्रेफ़ू के बचाव के लिए उठ खड़े हुए थे। इनमें ज़ोला और अनातोल फ्रांस ने बहुत दिलचस्पी ली थी।
अनातोल फ्रांस की प्रतिभा विशेष रूप से व्यंग्योन्मुख थी। व्यंग्य के तीव्र प्रहारों से वह पाठक को सभी विषयों पर स्वयं सोचने के लिए
बाध्य करते थे। उनकी पहली पुस्तक, 'जोकास्ता एत ला चैंट मेअर' १८७९ में प्रकाशित हुई। १८८१ में उनकी पुस्तक, 'ला क्राइम डी सिलवेस्तर
बोनाई' निकाली। इस पुस्तक से उपन्यासकार के रूप में अनातोल फ्रांस को बहुत ख्याति मिली। अनातोल, वृद्ध और कोमल, उदारप्राण पात्रों के
अंकन में विशेष सिद्धहस्त थे। इसके बाद उनकी अनेक व्यंग्य प्रधान कथाएँ प्रकाशित हुईं, जिनमें 'ताई', 'दि पेंग्विन आइलैंड्स', 'दि रिवोल्ट ऑव
दि एंजेल्स' आदि बहुत प्रसिद्ध हैं। १९२१ ई. में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
अनातोल फ्रांस की गद्य शैली बड़ी आकर्षक थी। उनके गद्य का प्रवाह सहज और तरल था। उनका व्यंग्य पिछड़े विचारों पर आघात
करता था। वे राज्य, धर्म, युद्ध आदि के संबध में बहुत अग्रगामी विचार रखते थे। राज्यों और धर्म के इतिहास में उनकी बहुत विनाशकारी भूमिका
रही है। अपनी व्यंग्यप्रधान कथा, 'दि पेंग्विन आइलैंड्स' में फ्रांस की यही मुख्य स्थापना है। पेंग्विन नाम के जीव ने सभ्यता और संस्कृति का
अद्भुत् विकास किया, किंतु अपनी विध्वंसकारी शक्ति से अंत में इस सभ्यता को ही नष्ट कर दिया। मानव इतिहास पर फ्रांस इस कथा में एक
विहंगम दृष्टि डालते हैं और आज की परिस्थितियों में उनकी दृष्टि पारदर्शी प्रतीत होती है। 'दि रिवेल्ट ऑव दि एंजेल्स' में फ्रांस लिखते हैं कि
संपूर्ण प्रभुता प्राप्त करके कोई भी शक्ति निरंकुश बन जाती है, दैवी शक्ति भी। 'ताई' एलेक्जैन्ड्रिया के जीवन से संबधित ऐतिहासिक उपन्यास है।
अनातोल फ्रांस की कला की विशेषता अंधविश्वासों, अविवेक और प्रतिगामी विचारधाराओं पर व्यंग्य की कठोर मार है, किंतु जीवन के अनेक
कोमल, सुकुमार, बालसुलभ, उदार प्राण क्षण भी हमें निरंतर ऐसे पात्र अपनी कथाओं में अंकित करते हैं, जिनसे मानव स्वभाव और जीवन में
मनुष्य की अवस्था दृढ़ होती है। उनके उपन्यास थायस (Thais) का अनुवाद उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने अहंकार नाम से किया है।
अनातोले फ्रांस की कहानियाँ, उपन्यास हिन्दी में
French Stories/Novels in Hindi: Anatole France