Ali Imam Naqvi अली इमाम नक़वी
अली इमाम नक़वी (09 नवंबर 1945 - 10 मार्च 2014) उत्तर आधुनिक युग के एक अहम, संजीदा और महत्वपूर्ण कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं।
उनके वालिद अमीर हैदर ख़ुश-हाल और कारोबारी शख़्स थे। अली इमाम नक़वी भी मैट्रिक तक की शिक्षा के बाद पिता के कारोबार में शामिल हो गये।
लेकिन जल्द ही कारोबार से अलग हो कर ईरानी कौंसुलेट में बतौर क्लर्क स्थायी मुलाज़िम हो गये।
अली इमाम नक़वी ने 1970 के आस-पास लिखना शुरू किया। ‘खुलते हुए बल’ उनका वो पहला अफ़साना है जिसने उन्हें अदब की दुनिया में एक
अलग पहचान दी। पहला कहानी संग्रह ‘नये मकान की दीमक’ 1980 में प्रकाशित हुआ। इसके बाद क्रमवार चार अफ़सानवी मज्मुए ‘मुबाहला’
‘घटते बढ़ते साये’ ‘मौसम अज़ाबों का’ और ‘कही अन-कही’ प्रकाशित हुए।
अली इमाम ने अफ़्सानों के इलावा दो नॉवेल भी लिखे, जो ‘तीन बत्ती के राम’ और ‘बिसात’ के नाम से प्रकाशित हुए।
नक़वी का आख़िरी नॉवेल मुंबई की ज़िंदगी के स्याह व सफ़ेद मंत्रों का बेहतरीन चित्रण है।
को इंतिक़ाल हुआ।।