दाढ़ी के बाल से मुक्ति का मार्ग (कहानी) : गोनू झा

Dadhi Ke Baal Se Mukti Ka Marg (Maithili Story in Hindi) : Gonu Jha

मिथिला नरेश के दरबार में एक तहसलीदार नया-नया बहाल हुआ था । लोगों से जबरन मालगुजारी वसूलकर वह महाराज की नजरों में अपना महत्त्व बढ़ाना चाहता था । लोग उसके रवैये से दुःखी थे।

तहसलीदार गोनू झा के गाँव में पहुँचा और वहाँ भी अपने रुतबे के रोब में लोगों से अत्याचार पूर्वक मालगुजारी की वसूली करने लगा । दबाव बनाने के लिए उसने कई बकायेदारों के फसल कटवा लिए।

बात गोनू झा तक पहुँची। गोनू झा कुछ गाँव वालों के साथ वहाँ पहुँचे जहाँ तहसीलदार ठहरा हुआ था ।

गोनू झा और उनके साथ आए ग्रामीणों ने तहसीलदार को नमस्कार किया । उस समय तहसीलदार तहमद लपेटे कुर्सी पर बैठा, धूप सेंक रहा था । उसने गाँव वालों को आया देख अपनी दाढ़ी सहलाते हुए कहा-“इस समय आप लोग यहाँ क्यों आए हैं ?"

गोनू झा ने बात की कमान संभाली और कहा-“कल दरबार में महाराज आपकी प्रशंसा कर रहे थे कि आप जब से आए हैं-राजकोष में तेजी से वृद्धि हुई है इसलिए मैं आपसे मिलने चला आया हूँ। ये गाँव वाले भी आपके दर्शन के लिए उपस्थित हुए हैं ।” गोनू झा की बातें सुनकर तहसीलदार की अकड़ बढ़ गई। तभी गोनू झा को कुर्सी के पास एक बाल दिख गया । उन्होंने उस बाल को चुटकी से पकड़कर उठा लिया । उसे माथे से लगाया । फिर उस बाल को चूमा और अपनी दोनों आँखों से सटाया फिर धोती के खूँटे में बाँध लिया । गाँव वाले अचरज में डूब गए कि पंडित जी को यह क्या सूझी कि इस जानवर से बदतर आदमी के बाल को इतना सम्मान दर्शाते हुए सहेज रहे हैं ?

गाँव वालों ने पूछा “पंडित जी ! बाल आप क्यों सहेज रहे हैं ?"

गोनू झा ने कहा-“मेरे तो भाग्य ही जग गए। मैंने सुबह-सुबह सपना देखा कि मुझे भविष्यवाणी हुई है कि जाओ। तहसीलदार साहब के दरबार में वहाँ से उनकी दाढ़ी का एक बाल किसी तरह प्राप्त करो। यदि तुम ऐसा करने में सफल रहे तो तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं रहेगी । तहसीलदार का बाल जिस किसी के भी पास होगा उसके भाग्य चमक उठेंगे और दीन -दशा से मुक्ति का मार्ग मिल जाएगा ।"

तहसीलदार यह सब सुनकर फूले नहीं समाया। कुछ ग्रामीण बढ़े और तहसीलदार के पाँव छू लिए। बहुत श्रद्धा और विनय के साथ उससे एक दाढ़ी का बाल माँगा। तहसीलदार ने अपनी दाढ़ी से एक बाल नोंचकर उन्हें थमा दिया ।

गोनू झा ग्रामीणों के साथ वापस आकर अपने रोजमर्रे के काम में लग गए। उनके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान उभर आईं थी ।

थोड़ी ही देर में पूरे गाँव में तहसीलदार की चमत्कारी दाढ़ी की चर्चा होने लगी। पूरा गाँव तहसीलदार के आवास पर उमड़ पड़ा । पहले तो तहसीलदार ने कुछ लोगों को अपनी दाढ़ी से बाल खींच खींचकर दिया मगर माँगने वालों का सैलाब उमड़ता ही जा रहा था ।

गोनू झा ने तहसीलदार को सबक सिखाने का बिना कुछ कहे जो नुस्खा आजमाया उसका अन्तिम नजारा यह था कि तहसीलदार भागा जा रहा था और उसकी मुक्तिदायिनी दाढ़ी का एक बाल पाने के लिए ग्रामीण उसके पीछे दौड़ रहे थे। तहसीलदार के पास जो भी पहुँचता, उसकी दाढ़ी नोंच लेता ...। किसी तरह तहसीलदार गाँव से बाहर निकल गया । उसने अपने सामान चपरासियों को भेजकर मँगा लिए और फिर कभी गोनू झा के गाँव में मालगुजारी वसूल करने जाने की उसे हिम्मत नहीं हुई ।

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