यौवन (कहानी) : जे. एम. कोएट्जी - अनुवाद : प्रभात रंजन
Youth (English Story in Hindi) : J. M. Coetzee
वह मॉव्रे रेलवे स्टेशन के पास एक कमरे के फ्लैट में रहता है, हर महीने जिसका वह ग्यारह गिन्नियाँ किराया देता है। हर महीने काम के आखिरी दिन वह शहर से लूप स्ट्रीट जाने के लिए ट्रेन पकड़ता, जहाँ ए एंड बी प्रॉपर्टी एजेंट्स का छोटा-सा दफ्तर है। वहाँ वह लेबी भाइयों में सबसे छोटे मि०बी० लेवी के हाथ में किराए का लिफाफा पकड़ा देता है। मिस्टर लेवी अपनी अस्त-व्यस्त मेज पर लिफाफे से झाड़कर पैसा गिराते और गिन लेते हैं। पसीने से तरबतर बुदबुदाते हुए वह पर्ची बनाता है। 'धन्यवाद, नौजवान !' कहते और हिलाते हुए वह पर्ची उसकी ओर बढ़ा देता है।
वह इसका खास ध्यान रखता कि किराया देने में देर न हो जाए, क्योंकि वह फ्लैट उसने झूठ बोलकर हासिल किया है। जब उसने अनुबंध पर दस्तखत किए और ए एंड बी लेवी को पैसे सौंपे, तो उसने पेशे में 'छात्र' की जगह 'पुस्तकालय सहायक' लिख दिया और विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का पता काम करने की जगह के रूप में दे दिया।
यह कोई झूठ नहीं है, बिलकुल नहीं। सोमवार से शुक्रवार तक उसका काम पुस्तकालय के रीडिंग रूम में बैठने का है। यह वैसे तो पुस्तकालय-विद्या के विशेषज्ञों के लिए नियमित नौकरी होती है, ज्यादातर औरतों के लिए, लेकिन वे इसे करना पसंद नहीं करतीं, क्योंकि ऊपर पहाड़ी पर बसा विश्वविद्यालय परिसर रात में अँधेरा और सुनसान हो जाता है। खुद उसकी हड्डियाँ तक ठिठुर जाती हैं जब रात को पिछला दरवाजा खोलकर घुप्प अँधेरे गलियारे से गुजरकर नीचे मेन स्विच तक जाता है। अगर कोई बदमाश चाहे तो यह बड़ा आसान होगा कि शाम को 5 बजे लाइब्रेरी में काम करने वालों के वापस जाते वक्त अलमारियों के पीछे छुप जाए, खाली दफ्तरों से मालमत्ता उड़ाए और रात के अँधेरे में वहाँ उस गलियारे में छुपे रात की पारी में काम करने वाले सहायक का, चाबी के लिए इंतजार करे।
कुछ छात्र शाम को पुस्तकालय खुलने का लाभ उठाते हैं; कुछ ही यह जानते भी हैं। उसके करने के लिए वहाँ कुछ खास होता भी नहीं है। बड़े आराम से हर शाम उसको दस शिलिंग मिल जाते हैं।
कभी-कभी वह कल्पना करता है कि एक खूबसूरत लड़की सफेद कपड़ों में रीडिंग रूम में इधर से उधर टहल रही है और पुस्तकालय बंद हो जाने के बाद घबराई हुई-सी ठहर गई है। कल्पना करता है कि वह स्टोर रूम के अंदर के रहस्यों को उसके साथ मिलकर खोल रहा है, फिर तारों भरी रात में वह उसके साथ बाहर निकल जाता है। वैसे यह कभी संभव नहीं हो पाया।
पुस्तकालय में काम करना उसका एकमात्र रोजगार नहीं है। बुधवार को दोपहर वह गणित विभाग में प्रथम वर्ष की ट्यूटोरियल्स में सहायता किया करता है, बदले में उसे हफ्ते के तीन पौंड मिल जाते हैं। शुक्रवार को वह नाटक - डिप्लोमा पढ़ने वाले छात्रों को शेक्सपियर के चुने हुए नाटकों पर व्याख्यान देता है, जिसके दो पौंड मिल जाते हैं और देर दोपहर वह रॉदेबॉश के एक अभ्यास - विद्यालय में नौकरी करता है, जहाँ वह छात्रों को मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी करवाता है। बदले में उसे एक घंटे में तीन शिलिंग मिल जाया करते हैं। छुट्टियों में वह नगरपालिका के लिए आँकड़े इकट्ठे करने का काम करता है। आखिरकार, जब सारा पैसा इकट्ठा हो जाता है तो वह कुछ निश्चित हो जाता है- वह आराम से उस पैसे से विश्वविद्यालय की फीस दे देता है और अपने घर का किराया भी; और थोड़ा-बहुत बचा भी लेता है। वह केवल उन्नीस साल का है लेकिन अपने पैरों पर खड़ा है, किसी की बदौलत नहीं।
शरीर की आवश्यकताओं का इंतजाम वह सूझबूझ से करता है। हर इतवार को कई प्रकार के फलों, सब्जियों का डोंगे-भर सूप वह बना लेता है, इतना कि हफ्ता भर चलता रहे। शुक्रवार को वह सॉल्ट रिवर मार्केट जाता है, जहाँ से बक्सा भर सेब, अमरूद या कोई भी मौसमी फल ले आता है। हर सुबह दूधवाला दरवाजे पर दूध का थैला छोड़ जाता है। जब दूध ज्यादा जमा हो जाता है तो वह उसे सिंक पर नायलॉन की पुरानी जुराब में डालकर टाँग देता है, जो पनीर बन जाया करता है। एक ऐसा भोजन तैयार होता है, जिसे रूसो जरूर स्वीकृति देते या प्लेटो भी। कपड़ों के मामले में उसके पास क्लास लेने जाने के वक्त पहनने के लिए एक बढ़िया जैकेट और पैंट है। बाकी समय में वह पुराने कपड़ों से ही काम चलाता है।
वह कुछ सिद्ध करना चाहता है हर मनुष्य एक द्वीप होता है; जिसे अपने माता- पिता की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
कभी-कभी शाम को मेन रोड पर बरसाती डालकर, हाफपैंट और चप्पल डाले घूमते वक्त बारिश से भीगकर उसके बाल आड़े-तिरछे हो जाते, गुजरती गाड़ियों की रोशनी जब उस पर पड़ती तो उसे होश आता कि वह कितना बेढब दिख रहा है। पागल नहीं, बेढब ! वह खीज में अपने दाँत पीसता और तेज-तेज चलने लगता।
वह दुबला-पतला है और देखने में ढीला-ढाला भी। वह चाहता तो है खूबसूरत दिखना, पर जानता है कि है नहीं। कुछ कमी है उसमें, कुछ उसके चेहरे-मोहरे में कमी है। उसमें कुछ-कुछ बच्चा-सा अब भी झाँकता है। वह समय कब आएगा, जब वह बच्चा नहीं लगेगा ! ऐसी कौन सी चीज है आखिर, जो उसके उस 'बचपन' को दूर कर देगी !
वह इस बचपन से कब उबर पाएगा, कौन उबारेगा उसे ? क्या प्यार ? वह शायद ईश्वर में तो विश्वास नहीं करता है, पर प्यार और प्यार की शक्ति में करता है। प्रेमिका, जो भी उसके भाग्य में बदी होगी, अगर उसे एक बार देखेगी तो उसके लुंजपुंजपने के बावजूद उसके अंदर की आग को पहचान लेगी। वैसे यह लुंजपुंजपना जीवन-संग्राम का ही हिस्सा होता है, जिससे उसको भी गुजरना ही था, एक दिन प्रकाश में आने के लिए; प्रेम के प्रकाश में, कला के प्रकाश में। वह एक दिन कलाकार बनेगा, यह बहुत पहले ही तय हो चुका है। अभी अगर वह दीन-हीन दिखता है, विद्रूप का पात्र बनता है तो केवल इसलिए कि बहुत सारे कलाकारों को तब तक ऐसे ही दौर से गुजरना पड़ता है, जब तक उनकी सच्ची ताकत का पता संसार को नहीं चल जाता है, तब ताना मारने वाले, खिल्ली उड़ाने वाले खामोश पड़ जाते हैं।
उसके चप्पल का जोड़ा दो पौंड सोलह पेंस का आता है। वह रबर का है और कहीं अफ्रीका का बना है, शायद न्यासालैंड का। जब वे गीला हो जाता है तो पाँवों से फिसलने लगता है। केप में बारिश हफ्तों तक होती रहती है। मेन रोड पर उसे बारिश में चलते हुए अकसर रुक जाना पड़ता है, अपने पाँव से छिटकी चप्पल वापस लाने के लिए। ऐसे मौकों पर वह देखता है कि केपटाउन के मुटल्ले निवासी आराम से अपनी कार में बगल से हँसते, खिलखिलाते गुजर जाते हैं। वह सोचता कि जल्दी ही यहाँ से चला जाएगा।
उसका सबसे अच्छा दोस्त है पॉल। वह भी उसी की तरह गणित पढ़ता है। पॉल लंबा और साँवला है और इन दिनों अपने से बड़ी उम्र की एक औरत के प्यार में डूबा हुआ है, उस औरत का नाम है— एलिना लॉरिमे ! वह कद की छोटी है और एक झलक में ही देखने पर आकर्षित करती है। पॉल अकसर एलिना के औचक मिजाज की चर्चा करता है, उसकी माँगों के बारे में बताता है, जो वह उससे करती रहती है। बहरहाल, उसे पॉल से ईर्ष्या होती है। अगर उसके पास एक खूबसूरत, व्यावहारिक प्रेमिका हो, जो सिगरेट होल्डर में सिगरेट लगाकर पीती हो और फ्रेंच बोलती हो तो उसका भी कायापलट हो जाए, इस मामले में उसे शुबहा नहीं है।
एलिना और उसकी जुड़वाँ बहन इंग्लैंड में पैदा हुई थीं। पंद्रह साल की उम्र में उन्हें दक्षिण अफ्रीका लाया गया, युद्ध के ठीक बाद उसकी माँ, पॉल के अनुसार, अपनी दोनों लड़कियों से पहचानने न पहचानने का ऐसा खेल खेलतीं, पहले एक को प्यार करतीं, फिर दूसरी को। दोनों का भ्रम बनाए रखतीं और अपने पर निर्भर भी बनाए रखतीं। एलिना, जो दोनों बहनों में ज्यादा ताकतवर है, के होश तो सही सलामत रहे, हालाँकि वह अभी भी नींद में चिल्लाती है और अपनी दराज में खिलौना भालू रखती है। उसकी बहन हालाँकि, इस कदर होश खो चुकी है कि उसे बंद करके रखना पड़ता है। उसका इलाज चल रहा है, वह अपनी मृत बूढ़ी माँ की आत्मा से लड़ती रहती है।
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इशारों-इशारों में बताया भी था, जब उसने उसे चेताते हुए कहा था कि सावधान रहना उसका 'इलाज चल रहा है ?
सेक्स के मामले में उसे पूरी तरह अनुभवहीन भी नहीं कहा जा सकता। अगर पुरुष को काम सुख न मिला हो, तो स्त्री को भी वह नहीं मिल पाता — इतना वह जानता है कि यह सेक्स के नियमों में एक है। लेकिन उसके बाद क्या होता है उस स्त्री-पुरुष के बीच, जो इस खेल में सफल नहीं हो पाते ? क्या उन्हें मिलने पर बार-बार अपनी असफलता याद आती है या शर्म आती है ?
देर हो रही थी और रात ठंडी। उन्होंने चुपचाप कपड़े पहने और बँगले का रुख किया, जहाँ पार्टी बिखरने लगी थी। जैकलिन ने अपने जूते समेटे और थैला 'गुडनाइट' उसने अपने मेजबानों से कहा, उसके गाल पर हल्की-सी चपत दी।
"तुम जा रही हो ?" उसने कहा।
"हाँ, मैं जॉन को घर लेकर जा रही हूँ।" उसने उसकी ओर इशारा करके कहा। मेजबानों को समझ में नहीं आया कि क्या कहें। उसने दोनों से विदा लेने में ही भलाई समझी।
जैकलिन नर्स है । वह इससे पहले किसी नर्स से नहीं मिला था। लेकिन उसे जो जानकारी थी, वह यह थी कि बीमारों, मृतकों के बीच काम कर-करके उनकी नैतिकता मर जाती है। मेडिकल पढ़ने वाले लड़के रात की शिफ्ट के इंतजार में रहते। नर्से सेक्स की भूखी होती हैं, वे कहते ।
जैकलिन कोई मामूली नर्स नहीं है। वह गाईज नर्स है, वह तुरंत बताती कि उसने नर्सिंग की पढ़ाई लंदन के गाईज हॉस्पिटल से पूरी की है। अपने चोंगे के वक्षस्थल पर उस अस्पताल का प्रतीक चिह्न ऐसे लगाती, जैसे कोई तमगा हो। वह सार्वजनिक अस्पताल में काम नहीं करती है, प्राइवेट नर्सिंग होम में काम करती है, जहाँ पैसे अधिक मिलते हैं।
क्लिफ्टॉन तट की उस घटना के दो दिन बाद वह नर्सों के होस्टल गया। जैकलिन बाहर के हॉल में ही उसकी प्रतीक्षा कर रही थी, बनी-ठनी तैयार, दोनों सीधे चल पड़े। सीढ़ियों के ऊपर खिड़की से कई चेहरे नीचे ताक रहे थे, उसे इसका भान हुआ कि बाकी नर्सों उसे उत्सुकता से देख रही हैं। वह काफी छोटा है, काफी। तीस साल की एक औरत के लिए, सो भी तुड़े-मुड़े कपड़ों में, बिना कार, जोड़ी जम नहीं रही थी।
एक सप्ताह के अंदर जैकलिन ने नर्सों का होस्टल छोड़ दिया और उसके साथ उसके फ्लैट में रहने लगी। जब पीछे मुड़कर याद करता है तो उसे याद नहीं पड़ता कि उसने उसे बुलाया हो : बस, वह मना नहीं कर सका ।
वह उससे पहले किसी के साथ नहीं रहा है। कम से कम एक औरत के साथ तो नहीं ही, प्रेमिका के साथ। बचपन में भी उसका अपना कमरा था, जिसमें दरवाजा था और जो अकसर बंद रहा करता था। मॉब्रे के फ्लैट में एक बड़ा लंबा कमरा था, दरवाजा गलियारे में खुलता, जहाँ से एक रास्ता रसोई को जाता और एक गुसलखाने को। वह कैसे बच पाएगा ?
उसने अपनी नवागंतुक संगिनी के स्वागत का प्रयास किया, उसके लिए जगह बनाने का प्रयास पर कुछ ही दिनों में वह कुढ़ने लगा- ढेर सारे बक्सों का अंबार, चारों तरफ फैले कपड़े, अस्त-व्यस्त बाथरूम। वह उस मोटर स्कूटर की खड़खड़ाहट से बेहद घबराता, जो जैकलिन के दिन के शिफ्ट से वापस लौटने की सूचना होती। शारीरिक प्यार तो वह करते, पर उनके बीच मौन पसरता जा रहा था, वह अपने डेस्क पर बैठा किताब में डूबे होने का बहाना करता, वह घूमती रहती, खीजती रहती, बेखबर सिगरेट पर सिगरेट फूंकती जाती।
वह ठंडी आहें बेहद भरती। इसी तरह से उसका न्यूरोसिस फूटता। अगर वह हो तो, न्यूरोसिस : ठंडी आहें भरना और बेहद थकान महसूस करना और कभी बेआवाज रुलाई। पहले मिलन की हँसी-खुशी सब फीके पड़ते जा रहे थे। उस रात की खुशफहमियाँ महज गहरे काले बादलों के बीच अचानक एक कौंध-सी रही, ऐसा लगा, शायद शराब का नशा रहा हो या जैकलिन का ही कोई और रूप !
वे दोनों एक आदमी के सोने के बिस्तर पर सोते। बिस्तर में जैकलिन उन मर्दों के बारे में बातें करती चली जाती, जिन्होंने उसका इस्तेमाल किया। उन चिकित्सकों के बारे में, जो उसके दिमाग को अपने वश में करके उसे अपनी कठपुतली बनाना चाहते थे। क्या वह उन पुरुषों में है, वह सोचता ? क्या वह उसका इस्तेमाल कर रहा है ! क्या पता कोई और पुरुष भी हो, जिससे वह उसकी शिकायत करती हो ? वह बातें करती रहती, वह सो जाता, सुबह को थका-हारा उठता।
जैकलिन हर लिहाज से उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत महिला है। ज्यादा खूबसूरत, ज्यादा जहीन, ज्यादा दुनियादार, जिसके वह लायक है। सच्चाई यह है, अगर उन दोनों बहनों में होड़ नहीं होती, वह उसके हमबिस्तर न होती। वह उन दोनों के खेल का प्यादा भर है। एक ऐसा खेल, जो उसके आने के बहुत पहले से चल रहा है- इसमें उसे कोई शुबहा नहीं। बहरहाल, रहमत तो उस पर ही हुई। उसे अपनी किस्मत पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। यहाँ वह एक ऐसी औरत के साथ एक ही फ्लैट में रह रहा है, जो उससे दस साल बड़ी है, अनुभवी औरत, जब वह गाईज हॉस्पिटल में थी, ( वह बताती) अंग्रेज, फ्रेंच, इतालवी, यहाँ तक कि ईरानियों के साथ भी सो चुकी थी। वह यह दावा तो नहीं कर सकता कि उसे प्यार मिला, पर उसे प्यार के बारे में गहराई से समझने का मौका मिला।
उसको तब सूझा, जब वह घर से बाहर गया हुआ था, जैकलिन ने उसकी डायरी ढूँढ़ निकाली और उसमें पढ़ने लगी कि उसने उन दोनों के साथ-साथ जीवन के बारे में क्या लिख रखा है। लौटने पर उसने पाया कि वह अपना सामान बाँध रही है।
"क्या हो रहा है ?" उसने पूछा।
बिना कुछ बोले, उसने डायरी की ओर इशारा किया, जो टेबल पर खुली पड़ी थी।
वह बमक पड़ा, "तुम मुझे लिखने से नहीं रोक सकतीं।" उसने अपनी बात कह दी। लेकिन वह जानता था कि इसका कोई असर नहीं होता है।
गुस्से में तो वह भी थी, लेकिन थोड़े ठंडे, गहरे अर्थ में। " अगर जैसा तुम कहते हो, तुम मुझे एक ऐसा बोझ समझते हो, जिसे हटाया भी न जा सके, बताया भी न जा सके, " वह बोली, "अगर मैं तुम्हारी शांति, तुम्हारे एकांत और तुम्हारे लेखन को बर्बाद कर रही हूँ, तो जरा मेरी बात सुन लो कि मुझे भी तुम्हारे साथ रहना कभी अच्छा नहीं लगा, एक भी पल को नहीं। बस अब और नहीं रुक सकती मैं।"
उसे कहना चाहिए था कि दूसरों के निजी कागजात नहीं पढ़ने चाहिए। असल में, उसे अपनी डायरी छुपा कर रखनी चाहिए थी, ऐसी जगह जहाँ कोई ढूँढ़ न पाए। अब बहुत देर हो चुकी है, नुकसान हो चुका है।
वह देखता रहा और जैकलिन अपना सामान समेटती रही। स्कूटर के पीछे बैग लादने में उसने उसकी मदद की।" चाबी मैं अभी रखूँगी, अगर तुम्हारी इजाजत हो तो, जब तक अपना बाकी सामान मैं ले नहीं जाती।" उसने अपना हेलमेट लगा लिया। 'अच्छा बॉय, मैं सचमुच तुमसे बेहद दुखी हूँ, जॉन ! तुम बेहद चालाक होते तो मैं उस विषय में जान नहीं पाती, पर अभी तुम्हें काफी बड़ा होना है।" उसने किक मारी। इंजन चालू नहीं हुआ। वह बार-बार किक मारने लगी। हवा में पेट्रोल की गंध फैल रही थी। कार्बोरेटर भर गया था; कोई और उपाय नहीं था सिवाय इसके कि थोड़ा इंतजार किया “जाए। "अंदर आ जाओ," वह बोला। पत्थर के बुत-सा चेहरा बनाए, उसने मना कर दिया । "मुझे अफसोस है," वह बोला, "हर चीज के लिए।"
वह अंदर चला गया, बाहर उसे गली में छोड़कर। पाँच मिनट बाद इंजन स्टार्ट होने की आवाज आई और स्कूटर जाने की ।
क्या उसे सचमुच अफसोस हुआ ? उसे अफसोस तो जरूर हुआ, वैसे जैकलिन को जो समझना है समझे। असल सवाल है, जो उसने लिखा उसके पीछे उसका मकसद क्या था ? क्या उसने इसलिए लिखा कि वह पढ़ ले ? क्या अपने सच्चे खयाल इस तरह छोड़कर वह भी ऐसी जगह जहाँ उसे वह मिल ही जाते, उसने वह बात कह दी, जो वह डर के मारे उसके मुँह पर नहीं कह पा रहा था ? वैसे उसके सच्चे खयालात क्या हैं ? कभी-कभी उसे अच्छा लगता हैं, अपने पर थोड़ा फन भी होता है कि वह एक खूबसूरत औरत के साथ रहा या कम से कम अकेला नहीं था। क्या सच सुख होता है या दुःख या दोनों का सम ?
यह प्रश्न कि किस चीज को डायरी का हिस्सा बनाना चाहिए और किस बात पर हमेशा के लिए पर्दा डालकर उसे अपने समस्त लेखन की आत्मा बना लेना चाहिए ? उसके सामने होता । अगर उसे अपने को कुत्सित विचारों को अभिव्यक्त करने से रोकना पड़े - अपने फ्लैट में हुई घुसपैठ पर नाखुशी दिखानी पड़े या प्रेमी के रूप में अपनी असफलता की शर्म को किसी प्रकार भावनाओं को कविता में रूपांतरित करना पड़े तो ? और अगर कविता उसे नेकनामी न दिला पाए, तो फिर कविता की परवाह क्यों करे ? इसके अलावा, कौन कहता है कि जो भावनाएँ वह अपनी डायरी में दर्ज करता है, उसकी सच्ची भावनाएँ हैं ? कौन कहने वाला है कि वह जब भी कलम उठाता है सच ही लिखता है ? कभी-कभी सच भी होता है, पर दूसरे ही पल शायद उसमें कुछ बनावट होने लगती है। वह कैसे जान सकता है कि किस बात का कायल हुआ जाए ? वैसे वह निश्चित को जानना ही क्यों चाहता है ?
वस्तु शायद ही कभी वह होती है जो दिखती है उसे जैकलिन से कहना चाहिए। वैसे तो भी इसकी क्या संभावना बनती कि वह उसकी बात समझ लेती ? भला कैसे मान लेती कि उसने डायरी में जो भी पढ़ा, वह सच नहीं ! घटिया सच, जो उसके साथी के दिमाग में गहरी चुप्पियों की उन भारी शामों और ठंडी आहों के दरम्यान चल रहा था, उसके विपरीत एक कथा-कहानी, या कई संभावित कहानियों में कोई कहानी सत्य केवल इसी अर्थ में होती है कि हर कलाकृति सच होती है— अपने प्रति ईमानदार होती है और अपने अंतर्निहित लक्ष्यों के प्रति ईमानदार होती है— जब उस घटिया लेखन ने उसकी अपनी ही इस शंका को इतने करीब से सिद्ध किया कि उसका साथी उसे प्यार नहीं करता, यहाँ तक कि उसे पसंद भी नहीं करता ?
जैकलिन उसका यकीन नहीं करेगी, इसलिए कि वह अपने आप में यकीन नहीं करता। वह नहीं जानता कि किसमें यकीन करता है। कभी-कभी उसे महसूस होता है वह किसी भी चीज में यकीन नहीं करता। पर चाहे जो भी हो, इतना तो सच है ही कि उसका किसी स्त्री के साथ रहने का पहला अनुभव असफल रहा, अपयशकारी रहा। उसे फिर से अकेले रहने की आदत डाल लेनी चाहिए; लेकिन उसमें कौन-सी शांति है। फिर वह जीवन-भर अकेला तो नहीं रह सकता। प्रेमिकाएँ तो कलाकारों के जीवन का हिस्सा होती हैं अगर वह शादी के फंदे में पड़ने से बच जाता है, जो वह जरूर बच जाएगा, फिर भी उसे स्त्री के साथ रहना तो सीखना ही पड़ेगा। कला केवल एकांत या अकेलेपन के सहारे ही नहीं चल सकती। उसमें थोड़ी नजदीकी, थोड़ा प्यार भी होना चाहिए।
पिकासो जो एक महान् कलाकार था, शायद सबसे महान्, इसका उदाहरण है। पिकासो स्त्रियों के प्रेम में पड़ता रहा, एक के बाद एक एक के बाद एक वे उसके जीवन में आतीं, उसके साथ जीवन साझा करतीं, उसके चित्रों की मॉडल बनतीं। हर नई प्रेमिका के साथ उसका जोश फिर-फिर उबाल खाता, वे किस्मत से उसके दरवाजे पर आ जातीं और वह उन्हें अमर कलाकृति में बदल देता। उसका अपना ? क्या वह दावा कर सकता है कि उसके अपने जीवन में आई स्त्रियों, न केवल जैकलिन, बल्कि उन आने वाली स्त्रियों की, जिसकी उसने फिलहाल कल्पना भी न की हो, का भी वही भाग्य होगा ? वह ऐसा विश्वास करना चाहता है, पर उसे कुछ संदेह है। वह बड़ा कलाकार बनेगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना पक्का है कि वह पिकासो नहीं है। लेखक वैसे भी पेंटर नहीं होते : वे ज्यादा जिद्दी, ज्यादा बारीकबीन होते हैं।
क्या उन सभी स्त्रियों का भाग्य यही होता है जो कलाकारों से घुलती मिलती हैं : उसका बदतर या बेहतर निकालकर एक उपन्यास दे मारा ? वह 'वार एंड पीस' की हेलेन के बारे में सोचता। क्या हेलेन टॉलस्टॉय की प्रेमिका थी ? क्या वह कभी ऐसा सोच भी पाई, जाने के बरसों बाद कि वह पुरुष जो उसकी ओर आँखें उठाकर भी नहीं देखता था, उसके खुले - खुले कंधों का रसिया था !
क्या यह सब इतना क्रूर है ?
अवश्य कोई ऐसा ढंग होता होगा, जिसमें स्त्री-पुरुष साथ-साथ खाते, सोते रहते होंगे और अपने आपको अभिव्यक्त करने के रास्ते भी तलाश लेते होंगे। क्या इसीलिए जैकलिन के साथ उसके प्यार का यह अंत होना ही था, क्योंकि वह स्वयं कलाकार नहीं थी, वह एक कलाकार की अंतर्मुखता को समझ नहीं पाई ? उदाहरण के लिए अगर जैकलिन एक मूर्तिकार होती तो फ्लैट का एक हिस्सा उसके लिए होता, जहाँ वह संगमरमर के साथ लगी रहती, जबकि दूसरे कोने में वह शब्दों, छंदों के साथ गुत्थम- गुत्था रहता, तो क्या हमारा प्यार परवान चढ़ता ? क्या यही सार है उसकी और जैकलिन की कहानी का, कि कलाकारों के लिए बेहतर यही है कि वे कलाकारों से ही प्रेम करें।