युवक गुडमैन ब्राउन (कहानी) : नैथेनियल हॉथॉर्न

Young Goodman Brown (English Story in Hindi) : Nathaniel Hawthorne

सूर्यास्त के वक्त युवा गुडमैन ब्राउन सालेम गाँव की सड़क पर आया, पर आने से पहले सिर पीछे घुमाकर उसने अपनी छोटी उम्र वाली पत्नी से विदा लेते हुए उसका चुम्बन लिया। पत्नी फेथ का नाम बिल्कुल उपयुक्त था, उसने अपना सुन्दर सिर आगे करके पति को पुकारा, हवा उसकी टोपी के गुलाबी रिबनों से खेलती रही।

वह धीरे से अपने होंठ उसके कान के पास लाकर, उदासी से भरकर फुसफुसाई, "प्रियतम, मैं कहती हूँ भोर होने तक अपनी यात्रा रोक दो। आज रात अपने बिस्तर पर सोओ। कभी कभी एक अकेली औरत कुछ सपनों और विचारों से परेशान हो जाती है। मेरी विनती है कि साल की सब रातों में से सिर्फ आज की रात, मेरे पति, मेरी बात मान जाओ।"

"मेरे प्यार, मेरी फेथ," युवक गुडमैन ब्राउन ने जवाब दिया, “साल की सब रातों में से आज की रात ही मेरा तुमसे दूर जाना ज़रूरी है। मेरी यात्रा अभी से सुबह के बीच होनी ज़रूरी है। मुझे सिर्फ जाना और आना है। मेरी प्यारी सुन्दर पत्नी, अभी हमारी शादी को सिर्फ तीन महीने हुए हैं। क्या तुम अभी से मुझ पर शक कर रही हो?"

गुलाबी रिबन वाली फेथ ने कहा, "भगवान् तुम पर कृपा करें! तुम्हें लौटने पर सब अच्छा मिले।"

गुडमैन ब्राउन ज़ोर से बोला, “आमीन! प्रिय फेथ तुम प्रार्थना करना और दिन छिपते ही बिस्तर पर चली जाना, तुम्हारा कुछ बुरा नहीं होगा।"

इस तरह वे अलग हुए; युवक अपने रास्ते पर चलने लगा, नुक्कड़ वाले घर तक पहुँचने पर उसने मुड़कर देखा। गुलाबी रिबनों के बावजूद उदास फेथ अभी तक उसे देख रही थी।

उसका दिल दुखी होने लगा। वह सोच रहा था, बेचारी फेथ। मैं कितना बुरा हूँ जो ऐसे काम के लिए उसे छोड़कर जा रहा हूँ! वह सपने की बात कर रही थी। मेरे ख्याल से जब वह बोल रही थी तब उसके चेहरे पर उदासी थी, जैसे सपने ने उसे आज रात में होने वाले काम के बारे में चेतावनी दी हो पर नहीं! नहीं! उस बारे में जानकर तो वह मर ही जाएगी। वह धरती पर एक पवित्र देवदूत के समान है; आज रात के बाद मैं सिर्फ उसी से जुड़ा रहूँगा और उसके पीछे स्वर्ग तक जाऊँगा।"

भविष्य के बारे में यह अच्छा निश्चय करने के बाद गुडमैन आज के बुरे काम के लिए जल्दी जाने को ठीक समझने लगा। उसने सुनसान सड़क पकड़ी जो जंगल के घने पेड़ों के बीच होने के कारण अँधेरी सी थी। पेड़ों के बीच एक पतली सी पगडण्डी भर की जगह थी जो पीछे से बन्द लगती थी। वह जितनी सुनसान हो सकती थी उतनी थी, पर ऐसे अकेलेपन में भी एक विशेषता होती हैं, यात्री को पता भी नहीं होता कि उन असंख्य तनों और घनी डालों मे क्या छिपा है अकेले पैरों से वह एक अनदेखे समाज से गुजरेगा।

गुडमैन ब्राउन अपने आसपास डरा हुआ सा देखता हुआ मन में सोच रहा था, "हर पेड़ के पीछे कोई राक्षसी वृत्ति वाला व्यक्ति हो सकता है।" फिर उसे लगा, “क्या पता मेरी कोहनी के पास ही स्वयं कोई शैतान हो?"

उसने सिर घुमाया, सड़क पर एक मोड़ पार किया, सामने देखा तो अच्छे कपड़े पहने हुए एक आदमी पेड़ के नीचे बैठा था, गुडमैन के पहुंचने पर वह उठा, और उसके साथ-साथ चलने लगा।

वह बोला, "गुडमैन ब्राउन, तुम्हें देर हो गई है। जब मैं बॉस्टन से निकल रहा था तब बड़ा घण्टा बज रहा था। इस बात को पन्द्रह मिनिट हो गए।"

“फेथ ने मुझे कुछ देर रोक लिया था” युवक ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ में अचानक मिले व्यक्ति को देखने से थोड़ी कँपकँपाहट आ गई थी हालाँकि वह बिना जानकारी के वहाँ नहीं था।

अब जंगल में पूरी तरह अँधेरा छा गया था। जिस हिस्से में ये दोनों चल रहे थे, वहाँ सबसे ज्यादा अँधेरा था। जितना देखकर जाना जा सकता था, उस हिसाब से दूसरा यात्री लगभग पचास साल का था, गुडमैन ब्राउन के ही वर्ग का लग रहा था। देखने में नहीं पर भाव-भंगिमा में दोनों काफी मिलते-जुलते लगते थे। उन्हें पिता-पुत्र समझा जा सकता था। बड़ी उम्र वाला आदमी युवक की तरह साधारण कपड़ों में था, व्यवहार में भी वैसा ही साधारण था, पर उसमें एक अवर्णनीय भंगिमा जैसी दुनिया को जानने वालों में होती थी। अगर उसे अपने काम से जाना पड़ता तो न वह गवर्नर के साथ खाना खाने में शर्मिदा होता और न ही राजा विलियम के दरबार में झिझकता। उसके पास एक अद्भुत चीज़ वह उसका डण्डा थी, जो बड़े और काले साँप जैसा था। वह ऐसा बना हुआ था कि जीवित साँप की तरह मुड़ता, ऐंठता दिखाई देता था। पर वह निश्चित रूप से धुंधली रोशनी के कारण नज़र का धोखा रहा होगा।

साथी यात्री ने कहा, “चलो गुडमैन ब्राउन! सफर की शुरूआत के लिए यह बहुत धीमी चाल है। अगर तुम इतनी जल्दी थक गए हो तो मेरा डण्डा ले लो।"

ब्राउन ने धीमी चाल को रोकते हुए कहा, “दोस्त, तुमसे यहाँ मिलने का वायदा पूरा करने के बाद मैं जहाँ से आया हूँ मुझे वहाँ लौट जाना चाहिए। तुम्हारा काम छूने में मुझे झिझक हो रही है।"

साँप के बेंत वाला मुस्कारते हुए बोला, “तुम ऐसा कहते हो? फिर भी चलते चलो, चलते हुए मैं तुम्हें बताऊँगा। अगर तुम्हें सही न लगे तो लौट जाना। अभी हम जंगल में थोड़ी दूर ही आए हैं।"

"बहुत दूर, बहुत दूर!" गुड़मैन ने कहा, फिर अनजाने ही दुबारा चलने लगा। "मेरे पिता कभी ऐसे कामों के लिए जंगल नहीं जाते थे, न उनसे पहले उनके पिता गए थे। शहादत के दिनों में हम अच्छे ईसाई और ईमानदार इन्सानों की जाति के रहे हैं। क्या मैं पहला ब्राउन होऊँगा जिसने यह रास्ता अपनाया और-"

बड़ी उम्र के आदमी ने उसकी चुप्पी को शब्द देते हुए कहा, "ऐसा साथ पकड़ा, तुम यही कहना चाहते हो ना? गुडमैन ब्राउन! मैं भी तुम्हारे परिवार से बहुत अच्छी तरह परिचित रहा हूँ, वह परिवार निष्ठावान प्यूरिटनों (प्रोटेस्टेंट का सदस्य) में से एक था; और यह मामूली बात नहीं है। तुम्हारे बाबा जो कांस्टेबल थे, उन्होंने जब सालेम की गलियों में उस क्वेकर (सोसाइटी ऑफ फ्रेंड्स का सदस्य) औरत को चाबुक मारी थी तब मैंने उनकी सहायता की थी, और यह मैं ही था जिसने तुम्हारे पिता को देवदारू की फेंकनेवाली गाँठ लाकर दी जिसे मेरी ही अँगीठी में जलाया गया ताकि राजा फिलिप की लड़ाई के समय उससे हिन्दुस्तानी गाँव को जलाया जा सके। वे दोनों मेरे अच्छे दोस्त थे। हमने कई बार इस रास्ते पर बड़ी अच्छी सैर की और आधी रात के बाद खुशी-खुशी लौटे। मैं उनकी ख़ातिर तुमसे दोस्ती करूँगा।"

गुडमैन ने जवाब दिया, "अगर तुम जो कह रहे हो, वैसा है, तो मुझे ताज्जुब है कि उन्होंने कभी इस बारे में बात नहीं की। ओह, मैं नहीं सोचूँगा, क्योंकि इस तरह की हल्की सी अफवाह भी फैलती तो उन्हें न्यू इंग्लैण्ड से निकाल दिया गया होता। हम प्रार्थना करने वाले लोग हैं और पूरी तरह अच्छे काम करते हैं, कोई धूर्तता नहीं करते।"

"धूर्तता या नहीं," यात्री अपना डण्डा घुमाते हुए बोला, "मैं न्यू इंग्लैण्ड में मामूली पहचान रखता हूँ। कई चर्चों के डीकनों (पुराने गिरजा घरों मे विशप और प्रास्ट के बाद तीसरे दर्जे का अधिकारी) ने मेरे साथ मदिरा पी है; शहर के चुने हुए लोग मुझे अपना अध्यक्ष चुन चुके हैं; ऊँची और सामान्य कचहरी मेरे काम की समर्थक है। गवर्नर और मैं-पर ये स्टेट की गुप्त बाते हैं।"

अपने शान्त साथी को ताज्जुब से घूरते हुए गुड़मैन बोला, “क्या सचमुच ऐसा हुआ है? जो भी हो, मुझे उनसे क्या लेना देना; वे अपने ढंग से चलते हैं, मेरे जैसे सीधे-सादे पति के लिए उनके कोई नियम नहीं हैं। पर अगर मैं आपके साथ जाता हूँ तो सालेम गाँव के अपने अच्छे पादरी से कैसे आँख मिलाऊँगा? ओह! विश्राम का दिन (सैबथ डे) हो या भाषण का दिन, उनकी आवाज़ से मैं काँप उठूँगा।"

अब तक वह प्रौढ़ यात्री गम्भीरता से सुन रहा था, पर अब वह अपनी हँसी नहीं रोक पाया। उसे हँसी का दौरा-सा पड़ा। वह ऐसे हँस रहा था कि शरीर हिल रहा था और मानो सहानुभूति में उसका साँपवाला डण्डा साथ-साथ हिल रहा था।

वह बार-बार चिल्ला रहा था, “हाँ! हाँ! हाँ!" फिर अपने पर काबू करके बोला "हाँ, गुडमैन ब्राउन, बोलते रहो, बोलते रहो, पर मुझे हँसाकर जान से मत मार देना।"

गुडमैन खिसियाकर बोला, "तब मामला फौरन ख़त्म करने की बात कहता हूँ, वहाँ मेरी पत्नी फेथ है। उसका दिल टूट जाएगा। मैं इससे बेहतर अपने दिल का टूटना समझूँगा।"

"नहीं, अगर ऐसा ही है तो गुडमैन, तुम अपने रास्ते जाओ।" दूसरे ने जवाब दिया। "हमारे सामने जो बीस बूढ़ी औरतें लड़खड़ा रही हैं, उनके लिए भी मैं फेथ को कोई तकलीफ नहीं देना चाहूँगा।"

उसने बोलते-बोलते अपने डण्डे से रास्ते की एक औरत की तरफ इशारा किया, गुडमैन ने देखा, वह औरत पवित्रता का उदाहरण थी, उसी ने उसे जवानी में ईसाइयों की प्रश्नोत्तरी सिखाई थी और अब भी पादरी और उससे नीचे पद वाले की नैतिक और आध्यात्मिक सलाहकार थी।

वह बोला, “सच में, यह एक अजीब बात है कि रात को इस वीराने में गाँव से इतनी दूर गुडी क्लोयस मौजूद है! पर दोस्त, जब वह ईसाई औरत पीछे छूट जाएगी तब मैं तुमसे विदा लूँगा। तुम्हारे लिए अजनबी होने के कारण वह पूछ सकती है कि मैं किसके साथ हूँ और कहाँ जा रहा हूँ।"

साथी बोला, “वैसा ही करो, तुम जंगल में जाओ, मैं सड़क पर ही रहूँगा।"

उसके कहे के अनुसार युवक एक तरफ हो गया, पर अपने साथी पर नज़र रखे रहा, जो धीरे धीरे सड़क पर बढ़ रहा था, फिर वह बूढ़ी औरत से एक डण्डे के फासले पर था। वह औरत उम्र के देखते काफी तेज़ी से चल रही थी और साथ ही कुछ अस्पष्ट शब्द बड़बड़ा रही थी जो शायद प्रार्थना के हों। यात्री ने अपना
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किनारे गड्ढे में एक पेड़ के ठूँठ पर बैठ गया और आगे बढ़ने से बिल्कुल मना कर दिया।

वह ज़िद्दी ढंग से बोला, “दोस्त, मैंने सोच लिया है, अब इस काम के लिए मैं एक कदम भी आगे नहीं बढुंगा। अगर एक ख़राब बुढ़िया शैतान के पास जाना तय करती है जबकि मैं सोच रहा था कि वह स्वर्ग जाएगी, तो इससे क्या! क्या यह भी कोई कारण है कि मैं अपनी प्रिय फेथ को छोड़कर उसके पीछे जाऊँ?"

उसके साथी ने शान्ति से कहा, “तुम इस बारे में धीरे-धीरे ज्यादा अच्छी तरह सोच सकोगे। यहाँ बैठकर थोड़ा आराम करो। जब तुम फिर चलना चाहोगे तो मेरा डण्डा तुम्हारी मदद करेगा।"

कुछ कहे बिना उसने अपनी छड़ी दोस्त की तरफ फेंक दी और इतनी तेज़ी से नज़र से ओझल हो गया जैसे गहराते अँधेरे में गायब हो गया हो। युवक कुछ देर सड़क के किनारे बैठा रहा फिर मन ही मन अपनी तारीफ करने लगा और सोचने लगा कि कल सुबह की सैर के वक्त वह साफ मन से अपने पादरी से मिल सकेगा और भले आदमी गुकिन से आँखें मिलाने में भी झिझकेगा नहीं। उसकी रात की नींद कितनी शान्त होगी जबकि दुष्टतापूर्ण होने वाली थी। अब वह पवित्र और मीठी तथा फेथ की बाँहों में कटेगी! वह इस अच्छे सोच में डूबा ही था कि उसे घोड़े की टापों की आवाज़ सुनाई दी। उसने सड़क से उतरकर जंगल के किनारे में अपने को छिपाना बेहतर समझा, क्योंकि जंगल में आने के कारण से वह शर्मिन्दा था, चाहे अब उसने खुशी-खुशी उधर से ध्यान हटा लिया था।

घोड़ों की टापों और सवारों की आवाज़ आ रही थी, आवाजें दो बड़े लोगों की थी। जैसे-जैसे पास आ रहे थे, आवाज़ साफ होती जा रही थी। ये आवाजें सड़क से आ रही थीं और युवक के छिपने की जगह से कुछ ही गज़ की दूरी पर थीं। उस जगह ख़ास अँधेरा होने की वजह ले यात्री या घोड़े दिखाई नहीं दे रहे थे। ऐसा लग रहा था कि वे किनारे की झाड़ियों तक को छू रहे थे पर वे जहाँ से जा रहे थे वहाँ पर झुरमुट से झाँकते चमकीले आसमान की हल्की सी चमक को भी वे ढक नहीं रहे थे। गुडमैन ब्राउन कभी नीचे होकर बैठता, कभी पंजों पर खड़ा होता, डालियों को एक तरफ करके जितना सिर आगे ले जा सकता था ले जाता, पर कुछ भी देख नहीं पा रहा था। उसे बहुत खीझ हो रही थी। क्योंकि वह कसम खा सकता था कि उसे पादरी और डीकन गुकिन की आवाजें सुनाई दे रही थीं, जो अब ऐसे चुपचाप जा रहे थे जैसे किसी दीक्षा या धार्मिक सभा के लिए जा रहे हों। अभी उनकी आवाज़ सुनाई दे रही थी कि एक घुड़सवार ने रुककर पेड़ की एक टहनी तोड़ी।

डीकन की-सी आवाज़ वाले ने कहा, “आदरणीय महोदय, अगर दो में से एक चुनना हो तो मैं दीक्षा वाले भोज को भले ही छोड़ दूँ, पर आज की बैठक नहीं छोड़ना चाहूँगा। वे लोग कह रहे थे कि हमारे सम्प्रदाय के कुछ लोग फॉलमाऊथ और उससे
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गीत की आवाज़ सुनाई थी। वह उस धुन को पहचानता था; यह वही धुन थी जो गाँव की भजन मंडली में गाई जाती थी। शब्द डूब गए, एक सामूहिक आवाज़ आ रही थी, इन्सानों की नहीं रात के सन्नाटे की, जो भद्दी समवेतता से गूंज रही थी। गुडमैन ब्राउन चिल्लाया और उसकी आवाज जंगल की आवाज़ के साथ मिलकर उसके कानों तक भी नहीं गई।

सन्नाटे के बीच वह आगे बढ़ा तभी तेज़ रोशनी उसकी आँखों पर पड़ी। खुली जगह के एक छोर पर जहाँ जंगल का विस्तार किनारे पर था, एक पहाड़ी थी जो पूजा की वेदी के आकार से मिलती जुलती लग रही थी। उसके चारों कोनों पर चीड़ के पेड़ थे जिनका ऊपरी हिस्सा जल रहा था पर डालें आग से अछूती थीं। देखकर लग रहा था जैसे शाम की धार्मिक सभा में मोमबत्तियाँ जल रही हों। पहाड़ की चोटी पर जो घास पात थी, वह सब जल रही थी। रात के अंधेरे में उसकी ऊँची उठती लपटें पूरे मैदान को अच्छी तरह रोशनी से भर रही थी। फिर एक एक डाल और पत्ती जलने लगी। लाल रोशनी कभी तेज़ होती कभी धीमी, उसके साथ बहुत-सी धार्मिक परिषदें चमकतीं फिर अँधेरे में डूब जातीं। जब वे अँधेरे से निकलती तो लगता था कि वीरान जंगल में धर्म सभा हो रही हो।

गुडमैन ब्राउन, “एक गहरे रहस्य में लिपटा जनसमूह है।"

सच में वे ऐसे ही थे। उनके बीच उदासी और खुशी के बीच आगे-पीछे काँपते चेहरे थे जो अगले दिन प्रदेश की परिषद् सभा में दिखने वाले थे, और वे थे जो एक रविवार से दूसरे तक पूरी भक्ति के साथ स्वर्ग की तरफ देखते रहते थे। वे धरती के पवित्रतम आसन गिरजाघर के भरे हुए घटहरों की ओर अच्छी नज़र से देखते थे। कुछ कह रहे थे कि वहाँ राज्यपाल की पत्नी थी। कम से कम उनकी परिचित उच्च वर्ग की औरतें तो थी ही और बड़ी संख्या में इज्जतदार आदमियों की औरतें, विधवाएँ, बूढ़ी औरतें और सुन्दर युवतियाँ थीं, जो इस डर से काँप रही थीं कि उनके घरवाले उन्हें देख न लें। या तो उस नामालूम सी खुली जगह पर सहसा चमकने वाली रोशनी ने गुडमैन ब्राउन की आँखों को चकाचौंध कर दिया या वह सालेम गाँव के चर्च के ऐसे बीसियों लोगों को पहचान पा रहा था जो अपनी विशेष पवित्रता के लिए प्रसिद्ध थे। डीकन गुकिन आ चुका था और ब्राउन के आदरणीय पादरी के पास खड़ा था। पर इन गम्भीर, इज्ज़तदार, धार्मिक लोगों और गिरजाघर के बुजुर्गों, धार्मिक स्त्रियों और कुमारियों के पास ही भ्रष्ट लोग, कलंकित औरतें, सब तरह के दोषों और नीचता से युक्त लोग, यहाँ तक कि ऐसे लोग भी मौजूद थे जिन पर भयानक कुकर्मों

का सन्देह था, अजीब बात यह थी कि अच्छे लोग बुरों से घबरा नहीं रहे थे और बुरे लोग धार्मिकों के आगे शर्मिन्दा नहीं थे। भारतीय साधु या जादूगर गोरी चमड़ी वाले अपने दुश्मनों के बीच फैले हुए थे, उन्होंने बहुत बार अंग्रेज़ी जादू-टोने से ज्यादा भयानक जादू से औरों को डराया था।
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रहे, हमेशा उनके धार्मिक कृत्यों से अपनी तुलना करते रहे जो उन्होंने स्वर्ग जाने की इच्छा से किए थे। पर देखो, वे सब यहाँ मेरी पूजा के सम्मेलन में इकट्ठा हैं। आज की रात तुम्हें उनके रहस्यमय कारनामों का पता चलेगा; कैसे सफेद दाढ़ी वाले चर्च के बुजुर्गों ने अपने घर में काम करने वाली जवान लड़कियों के कानों में अश्लील बातें कहीं; कितनी औरतों ने विधवा की घासपतवार पाने की आतुरता में पति को बिस्तर में ऐसा पेय पिलाया कि वह उसकी छाती के पास हमेशा के लिए सो गया; कैसे जवानों ने पिता की दौलत पाने की जल्दी की; कैसे सुन्दर युवतियों ने शरमाओ नहीं; प्यारो!-बगीचे में छोटी कळ खोदकर बच्चों को दफनाने के लिए सिर्फ मुझे बुलवाया। इन्सान के दिल में पाप के लिए जो हमदर्दी है उससे तुम सब जगह जहाँ अपराध किया गया होगा-वह चर्च हो या शयन कक्ष, गली, खेत, या जंगल हो-सूंघ लोगे, और तब देखोगे कि पूरी धरती एक कलंक का धब्बा है, एक बड़ा सा खून का धब्बा है, उससे भी बहुत ज्यादा है! तुम हर छाती में झाँक सकोगे, और पाप के रहस्य को, सारे बुरे कामों के फव्वारे को, जो बिना थके इन्सानों में बुराई भरता है, उन्हें बुरे कामों में बदलता है, जान लोगे। और अब मेरे बच्चो, तुम एक दूसरे का देखो।

उन्होंने देखा ; नरक की धधकती रोशनी में वह बुरा आदमी उसकी फेथ को पकड़े था, पत्नी ने पति को देखा, वह पाप की वेदी के सामने काँप रही थी।

"ये तुम खड़े हो मेरे बच्चो,” उस आकार ने गम्भीर और उदास आवाज़ में कहा, उसकी आवाज़ में ऐसी निराश भयानकता थी जैसे वह अपनी पहले की दैवी वृत्ति के कारण हमारी पापी जाति के लिए दुखी हो रहा हो। “एक-दूसरे के दिल पर निर्भर करने के कारण तुम सोचते रहे कि सद्गुण सपना नहीं है, क्या अब भी तुम बिना धोखा खाए हुए हो? मानवता का स्वभाव ही दुष्टतापूर्ण है। उसी बुराई में तुम्हारी खुशी है, मेरे बच्चो, फिर से तुम्हारा तुम्हारी अपनी जाति की परिषद् में स्वागत है।"

“स्वागत", दुष्ट भक्तों ने दुहराया, उनकी आवाज़ में निराशा और जीत दोनों थीं।

वे दोनों वहाँ खड़े थे, ऐसा लग रहा था कि इस अन्धकारपूर्ण दुनिया में वही एक जोड़ा था जो अब भी शैतानियत की कगार पर झिझक रहा था। पहाड़ी में एक प्राकृतिक गड्डा था। क्या उसमें पानी था जो उस भयानक रोशनी से लाल था? या वह खून था? या पिघली हुई लपट थी? शैतान के आकार ने उसमें हाथ डुबोया और उनके माथे पर ईसाई धर्म में दीक्षा का निशान बनाने को तैयार हुआ ताकि वे पाप के रहस्य में भाग ले सकें। विचार और कर्म से अपने से ज्यादा औरों के दोषों को जान सकें। पति ने एक नज़र अपनी पीली पड़ी हुई पत्नी पर डाली और पत्नी ने उस पर। दूसरी नज़र में वे एक दूसरे के बारे में न जाने क्या भ्रष्ट बुराइयाँ देखेंगे जिसे देखकर और जानकर वे काँप उठेंगे?

पति चिल्लाया, “फेथ! फेथ! स्वर्ग की तरफ देखो, शैतान से बचो।"

उसे नहीं पता कि फेथ ने कहना माना या नहीं। इतना कहते ही उसने अपने को अकेला और शान्त रात में हवा की आवाज़ सुनते पाया जो धीरे धीरे जंगल में मर रही थी। वह पहाड़ी के सहारे लड़खड़ाया और देखा कि वह ठंडी और नीली थी। एक लटकती डाल जो पहले जल रही थी, उसने उसके गाल पर ठंडी ओस छिड़क दी।

अगली सुबह गुडमैन ब्राउन धीरे धीरे सालेम गाँव की गली में आया। वह भौंचक्का-सा इधर-उधर घूर रहा था। प्रौढ़ भला आदमी पादरी कब्रिस्तान में सैर कर रहा था, ताकि नाश्ते के लिए भूख लगे और वह उपेदश देने के लिए साधना कर सके। जैसे ही वह उनके पास से गुजरा, उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया। वह उस सन्त से बचना चाह रहा था जैसे वह अभिशाप हो। डीकन गुकिन अपने घर में पूजा कर रहा था। खुली खिड़की से उसकी प्रार्थना के पवित्र शब्द बाहर तक सुनाई दे रहे थे। “यह जादूगर किस भगवान् की पूजा कर रहा है?" गुडमैन बोला।

गुडी क्लोयस, वह अच्छी ईसाई स्त्री सुबह की धूप में खड़ी दूध लाने वाली छोटी लड़की को धार्मिक प्रश्नोत्तरी सिखा रही थी, गुडमैन ने उस लड़की को ऐसे खींचा जैसे शैतान के हाथों से छुड़ा रहा हो। उस धार्मिक प्रार्थनास्थल से मुड़ते ही उसे फेथ का सिर दिखाई दिया, उसने गुलाबी रिबन बाँधा हुआ था। वह चिन्ताकुल हो उसकी राह देख रही थी, उसे देखते ही खुशी से दौड़ती हुई गली मे आई और पूरे गाँव के सामने ही पति का चुम्बन लेने को बढ़ी ही थी कि गुडमैन ने उसकी तरफ बड़ी सख्ती और उदासी से देखा और बिना कुछ बोले बढ़ गया।

क्या वह जंगल में सो गया था और उसने भूत-प्रेतों की सभा का सिर्फ सपना भर देखा था ?

चाहे वही रहा हो। पर हाय! युवक गुडमैन के लिए वह सपना एक बुरा शकुन बन गया। उस डरावने सपने के बाद से वह एक रूखा, उदास, गहरे क्षोभ में डूबा हुआ, निराश न भी हो तो अविश्वासी व्यक्ति बन गया। रविवार को जब सब धार्मिक भजन गा रहे थे, वह सुन भी नहीं पा रहा था क्योंकि उसके कानों में पाप के गीत की आवाज़ इतनी तेज़ी से गूंज रही थी कि अच्छी आवाज़ डूबती जा रही थी। जब पादरी वेदी से हाथों में खुली बाइबल लिये धर्म के पवित्र सत्य बता रहे थे और अच्छे भाषण द्वारा सन्तों के जीवन और मौत को जीतने वालों के बारे में बता रहे थे, भविष्य की अनकही खुशी या दुःख की बात बता रहे थे, तब गुडमैन पीला पड़ गया। उसे यह डर लगा कि उस धर्मभ्रष्ट वक्ता और सुनने वालों पर छत गिर पड़ेगी। बहुत बार वह आधीरात को जाग जाता था, फेथ से परे हट जाता था। सुबह या शाम जब परिवार प्रार्थना के लिए घुटने टेकता था तो वह मुँह बनाकर अपने आप से बड़बड़ाता रहता था। फिर वह पत्नी की तरफ घूरकर देखता और मुड़ जाता। उसके बहुत साल जी लेने के बाद उसकी बूढ़ी लाश को कब्र तक ले जाया गया। शव के पीछे पीछे फेथ चल रही थी। अब वह एक बूढ़ी औरत थी, बच्चे, बच्चों के बच्चे, पड़ोसी-एक अच्छा जुलूस था-उन्होंने उसकी कब्र के पत्थर पर कोई आशापूर्ण कविता नहीं लिखी; क्योंकि उसका आखिरी वक्त उदासी भरा था।

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