Yoddha : Asghar Wajahat

योद्धा : असग़र वजाहत

किसी देश में एक बहुत वीर योद्धा रहता था। वह कभी किसी से न हारा था। उसे घमंड हो गया था। वह किसी को कुछ न समझता था। एक दिन उसे एक दरवेश मिला। दरवेश ने उससे पूछा-- "तू इतना घमंड क्यों करता है?"

योद्धा ने कहा-- "संसार में मुझ जैसा वीर कोई नहीं है।"

दरवेश ने कहा-- "ऐसा तो नहीं है।"

योद्धा को क्रोध आ गया-- "तो बताओ, पूरे संसार में ऐसा कौन है, जिसे मैं हरा न सकता हूँ।"

दरवेश ने कहा-- "चींटी है।"


यह सुनकर योद्धा क्रोध से पागल हो गया। वह चींटी की तलाश में निकलने ही वाला था कि उसे घोड़ी की गर्दन पर चींटी दिखाई दी। योद्धा ने चींटी पर तलवार का वार किया। घोड़े की गर्दन उड़ गई। चींटी को कुछ न हुआ। योद्धा को और क्रोध आया। उसने चींटी को ज़मीन पर चलते देखा। योद्धा ने चींटी पर फिर तलवार का वार किया। खूब धूल उड़ी। चींटी योद्धा के बाएँ हाथ पर आ गई। योद्धा ने अपने बाएँ हाथ पर तलवार का वार किया, उसका बायाँ हाथ उड़ गया। अब चींटी उसे सीने पर रेंगती दिखाई दी। वह वार करने ही वाला था कि अचानक दरवेश वहाँ आ गया। उसने योद्धा का हाथ पकड़ लिया।


योद्धा ने हाँफते हुए कहा-- "अब मैं मान गया। बड़े से, छोटा ज़्यादा बड़ा होता है।"