Veerta : Asghar Wajahat

वीरता : असग़र वजाहत

जैसा कि अक्सर होता है। यानि राजा जालिम था। वह जनता पर बड़ा अन्याय करता था और जनता अन्याय सहती थी, क्योंकि जनता को न्याय के बारे में कुछ नहीं मालूम था।

राजा को ऐसे ही सिपाही रखने का शौक था जो बेहद वफ़ादार हों। बेहद वफ़ादार सिपाही रखने का शौक उन्हीं को होता है जो बुनियादी तौर पर जालिम और कमीने होते हैं। राजा को हमेंशा ये डर लगा रहता था कि उसके सिपाही उसके वफ़ादार नहीं हैं और वह अपने सिपाहियों की वफ़ादारी का लगातार इम्तिहान लिया करता था। एक दिन उसने अपने एक सिपाही से कहा कि अपना एक हाथ काट डालो। सिपाही ने हाथ काट डाला। राजा बड़ा खुश हुआ और उसे वीरता का बहुत बड़ा इनाम दिया।

फिर एक दिन उसने एक दूसरे सिपाही से कहा कि अपनी टांग काट डालो। सिपाही ने ऐसा ही किया और वीरता दिखाने का इनाम पाया। इसी तरह राजा अपने सिपाहियों के अंग कटवा-कटवाकर उन्हें वीरता का इनाम देता रहा।

एक दिन राजा ने देश के सबसे वीर सैनिक से कहा कि तुम वास्तव में कोई ऐसा बहादुरी का काम करो जिसे और कोई न कर सकता हो। वीर सैनिक ने तलवार निकाली, आगे बढ़ा और राजा का सिर उड़ा दिया।

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