उस मौत का रोजनामचा (स्पेनिश उपन्यास) : गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस (अनुवाद : सूरज प्रकाश)
Chronicle of a death foretold (Spanish Novel in Hindi) : Gabriel Garcia Marquez
उस मौत का रोजनामचा : 1
उस दिन बिशप वहां पधारने वाले थे। सैंतिएगो नासार तड़के साढ़े पाँच बजे ही उठ गया था ताकि वह भी बिशप को लाने वाली नाव का इंतज़ार कर सके। उस अभागे को क्या मालूम था कि वह उस दिन आखिरी बार उठ रहा है और वे दोनों उस दिन उसकी हत्या कर डालेंगे। उसने एक सपना देखा था कि वह इमारती लकड़ी वाले घने जंगलों में से गुज़र कर जा रहा है। वहां हलकी बूंदा बांदी हो रही है। वह एक पल के लिए तो अपने सपने में ही खुश हो लिया था, लेकिन जब उसकी आंख खुलीं तो उसे लगा, किसी परिंदे ने उसके पूरे बदन पर बीट कर दी है।
“उसे हमेशा दरख़्तों के सपने आते थे।” प्लेसिडा लिनेरो, उसकी मां ने मुझे सत्ताइस बरस बाद ये बताया था। वह उस अभागे सोमवार की घटनाएं याद कर रही थी। “उससे एक हफ़्ता पहले सैंतिएगो ने सपना देखा था कि वह टिन के पतरे वाले जहाज में अकेला, बादाम के दरख़्तों के बीच चमगादड़ की तरह किसी भी चीज़ से टकराये बगैर उड़ा जा रहा है,” प्लेसिडा लिनेरो ने मुझे बताया था। दूसरे लोगों के सपनों की व्याख्या करने में प्लेसिडा लिनेरो ने बहुत नाम कमा रखा था। शर्त बस, यही होती है कि ये सपने उसे, कुछ भी खाने से पहले बताये जायें, लेकिन अपने बेटे के इन दोनों सपनों में, या दरख्तों के दूसरे सपनों में, जो उसने अपनी मौत से पहले वाली सुबहों में मां को सुनाये थे, वह किसी भी अप्रिय घटना का आभास नहीं लगा पायी थी।
सैंतिएगो नासार भी इस अपशकुन को पहचान नहीं पाया था। उसे बहुत कम और उचटी-सी नींद आयी थी। उसने सोने से पहले कपड़े भी नहीं बदले थे। जब वह उठा था तो उसका सिर दर्द कर रहा था। मुंह का स्वाद तांबे की तरह कसैला लग रहा था। उसने इन चीज़ों की व्याख्या इस रूप में की थी कि ये सब बीती रात देर तक चलने वाली शादी की मौज मस्ती की खुमारी रही होगी। इसके अलावा, छ: बज कर पाँच मिनट पर अपने घर से निकलने पर यानी सिर्फ एक घंटे बाद चाकुओं से गोद दिये जाने से पहले वह राह चलते जितने भी लोगों से मिला था, सबने उसके बारे में याद करते हुए यही कहा था कि वह बेशक उनींदा था, लेकिन वह अच्छे मूड में था। बल्कि उसने हल्के फुल्के ढंग से यह भी कहा था कि कितना खूबसूरत दिन है। कोई भी पक्के तौर पर नहीं कह पाया था कि वह वाकई मौसम की बात कर रहा था। कई लोग उस दिन को याद करते हुए इस बात पर सहमत थे कि वह एक खिली-खिली सी सुबह थी। केले की बगीचियों से हो कर समंदर की ठंडी हवा आ रही थी। फरवरी के उन दिनों में ऐसे ही मौसम की उम्मीद की जाती थी। लेकिन अधिकतर लोग इस बात से सहमत थे कि कुल मिला कर मौसम मनहूस था। बादलों भरा आसमान जैसे धरती के और निकट आ गया था। समुद्री पानी की तीखी गंध हवा में पसरी हुई थी। अनिष्ट की उस कुघड़ी में वैसी ही हल्की बूंदा बांदी हो रही थी जैसी सैंतिएगो नासार ने अपने सपने में बगीची में होती देखी थी।
उस वक्त मैं शादी के हुड़दंग से मिली थकान को उतारने के लिए एलेक्जैन्द्रीना सर्वांतीस की नरम गुदगुदी गोद में सिर रखे लेटा हुआ था। मेरी नींद अलार्म की टनटनाहट से ही खुली थी। मैं यही सोचते हुए उठा था कि बिशप के सम्मान में उन लोगों ने ये घंटे बजाने शुरू कर दिये होंगे।
सैंतिएगो नासार ने सफेद सूती कमीज़ और पैंट पहनी। इन दोनों कपड़ों पर कलफ नहीं लगा था और ये कपड़े वैसे ही थे जैसे उसने एक दिन पहले शादी के लिए पहने थे। खास-खास मौकों के लिए उसकी यही पोशाक हुआ करती थी। अगर बिशप न आ रहे होते तो सैंतिएगो नासार अपनी खाकी डांगरी और घुड़सवारी वाले जूते ही पहना करता था। यह रैंच उसने अपने पिता से विरासत में पाया था। वह इस रैंच को बखूबी संभाल रहा था लेकिन इसमें उसकी किस्मत ज्यादा साथ नहीं दे रही थी। देहात में वह अपनी बैल्ट में मैग्नम .037 और उसकी गोलियां खोंसे रहता था। इसके बारे में उसका यही कहना था कि ये गोलियां घोड़े तक को बीचों-बीच में से चीर कर उसके दो फाड़ कर सकती हैं। तीतर बटेरों के मौसम में वह अपने साथ बाज पालने का साज़ो-सामान भी ले कर चलता था। उसने अपनी अलमारी में एक मैलिन्चर शोनाएर 30.06 राइफल, एक हॉलैंड मैग्नम 300 राइफल, जिसमें दोहरी ताकत वाली दूरबीन लगी थी, एक हॉर्नेट .22 और एक विनचेस्टर रिपीटर भी रखे हुए थे। वह हमेशा अपने पिता की तरह हथियार को तकिये के खोल के भीतर छुपा कर सोता था, लेकिन उस रोज़ घर से निकलने से पहले उसने गोलियां निकाल ली थीं।
“वह कभी भी भरा हुआ हथियार नहीं छोड़ता था।” उसकी मां ने मुझे बताया था। मुझे इस बात का पता था और मुझे इस बात की भी जानकारी थी कि वह अपनी बंदूकें एक जगह रखता था और गोलियां काफी दूर छुपा कर रखता था ताकि कोई भी उत्सुकतावश भी उन्हें बंदूकों में भरने की गलती न कर बैठे। यह एक बुद्धिमतापूर्ण परम्परा थी जो उसके पिता ने उस सुबह से शुरू की थी जब घर की नौकरानी ने तकिया निकालने के लिए उसका गिलाफ झाड़ा था और उसमें से पिस्तौल निकल कर ज़मीन से टकरा कर चल गयी थी। गोली कमरे में रखी अलमारी से टकरायी, ड्राइंग रूम की दीवार के पार गयी और युद्ध की गर्जना करते हुए पड़ोस के ड्राइंग रूम में जा पहुंची। वहां से गोली मैदान के परली तरफ के गिरजा घर की मुख्य वेदी पर रखी संत की आदमकद मूर्ति से जा टकरायी और मूर्ति बिखर कर धूल में बदल गयी थी। सैंतिएगो नासार उस वक्त छोटा बच्चा था। इस दुर्घटना के सबक को वह कभी भूल नहीं पाया।
उसकी आखिरी छवि जो उसकी मां के ज़ेहन में थी, वो थी बैडरूम की तरफ उसके लपकते हुए जाने की। सैंतिएगो नासार ने मां को उस वक्त जगाया था जब वह गुसलखाने में दवाई के बक्से में से एस्पिरिन खोजते हुए इधर-उधर डोल रहा था। मां ने बत्ती जलायी थी और अपने बेटे को दरवाजे में देखा था। सैंतिएगो नासार के हाथ में पानी का गिलास था। वह उसे हमेशा इसी रूप में याद रखेगी। सैंतिएगो नासार ने मां को अपने सपने के बारे में बताया था, लेकिन वह दरख्तों की तरफ कोई खास तवज्जो नहीं दे रही थी।
“परिंदों के बारे में किसी भी सपने का मतलब अच्छी सेहत होता है।” मां ने बताया था।
उसने अपने बेटे को उसी हिंडोले से, झूलेनुमा अपने बिस्तर से, और उसी हालत में देखा था जिसमें मैंने उस वक्त बुढ़ापे की आखिरी लौ में टिमटिमाते हुए देखा था। तब मैं तब इस भूले-बिसरे गांव में लौटा था। मैं तब स्मृतियों के टूटे हुए दर्पण को एक बार फिर से जोड़ कर अतीत की कड़ियों को फिर से देखने की कोशिश कर रहा था। सैंतिएगो नासार की मां तब पूरी रौशनी में मुश्किल से आकृतियों में फर्क कर पाती थी। उसने अपनी कनपटियों पर किसी जड़ी-बूटी की पुल्टिस रखी हुई थी ताकि वह ता-उम्र चलने वाले उस सिरदर्द से छुटकारा पा सके जो उसका बेटा आखिरी बार बेडरूम से गुज़रते हुए उसके लिए छोड़ कर गया था। वह करवट ले कर लेटी हुई थी और हिंडोले के सिरे की रस्सी थामे हुए उठने की कोशिश कर रही थी। उस धुंधलके में गिरजा घर की वैसी ही बू बसी हुई थी जिसने मुझे अपराध वाली सुबह भीतर तक हिला दिया था।
अभी मैं ड्योढ़ी तक पहुंचा ही था कि उस बेचारी ने मुझे भ्रम से सैंतिएगो नासार ही समझ लिया था।
“वह उधर था,” वह बताने लगी, “उसने सफेद सूती कपड़े पहने हुए थे। ये कपड़े सादे पानी में खंगाले गये थे। उसकी खाल इतनी नरम थी कि कलफ का कड़ापन भी सहन नहीं कर सकती थी।” वह लम्बे अरसे तक हिंडोले में बैठी रही। वह काली मिर्च के बीज चुभला रही थी। वह तब तक उसी हालत में बैठी रही जब तक उसका ये भ्रम टूट नहीं गया कि उसका बेटा लौट आया था। उसने तब उसांस भरी थी, “मेरी ज़िंदगी में वही मर्द था।”
मैं सैंतिएगो नासार के बारे में उसकी मां की ज़ुबानी ही जान पाया। वह जनवरी के आखिरी हफ्ते में इक्कीस बरस का हुआ था। छरहरे बदन और कांतिहीन चेहरे वाले नासार की भौंहें और घुंघराले बाल उसके अरबी पिता पर गये थे। अपने पिता के गंधर्व विवाह की वह इकलौती संतान था। ऐसा विवाह, जिसमें उसकी मां को खुशी का एक पल भी नसीब नहीं हुआ था। अलबत्ता, वह अपने पिता के साथ ज्यादा खुश रहता था। तभी अचानक, तीन बरस पहले उसके पिता अचानक गुज़र गये थे और वह सोमवार, अपनी मौत के दिन तक अपनी अकेली मां के साथ खुश बना रहा। सहज प्रवृत्ति का वरदान उसे अपनी मां से विरासत में मिला था। अपने पिता से उसने बहुत छुटपन में ही हथियार चलाने, घोड़ों के लिए प्यार और ऊंची उड़ान भरने वाले परिंदों के शिकार में महारथ हासिल कर ली थी। अपने पिता से ही उसने बहादुरी और विवेक के पाठ सीखे थे। वे आपस में अरबी भाषा में ही बात करते थे, लेकिन प्लेसिडा लिनेरो की उपस्थिति में नहीं, ताकि वह खुद को उपेक्षित महसूस न करे। वे कभी भी शहर में हथियारबंद नहीं देखे गये थे। वे सिर्फ एक ही बार अपने सिखाये परिंदे ले कर तब आये थे जब उन्हें चैरिटी बाज़ार में अपने परिंदों का प्रदर्शन करना था। अपने पिता की मृत्यु के बाद उसे अपनी पढ़ाई अधबीच में ही, सेकेंडरी स्कूल के बाद छोड़ देनी पड़ी थी ताकि वह अपने खानदानी तबेले का कामधंधा अपने हाथ में ले सके। सैंतिएगो नासार अपने खुद के गुणों के कारण खुशमिजाज, शांत और खुले दिल वाला इनसान था।
जिस दिन वे उसे कत्ल करने वाले थे, तो जब उसकी मां ने उसे सफेद कपड़ों में देखा तो वह समझी, उसका बेटा दिन का हिसाब लगाने में गड़बड़ा गया है।
“मैंने उसे याद दिलाया कि आज सोमवार है।” वह मुझे बता रही थी, लेकिन सैंतिएगो नासार ने मां को बतलाया कि वह पादरीनुमा स्टाइल में इसलिए तैयार हुआ है कि हो सकता है कि उसे पादरी की अंगूठी चूमने का मौका मिल जाये। मां ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी थी।
“देखना, वह अपनी नाव से नीचे भी नहीं उतरने वाला।” मां ने सैंतिएगो नासार को बताया था, “वह हमेशा की तरह ज़रूरत भर के आशीर्वाद देगा और वापिस अपनी राह लग लेगा। उसे इस शहर से नफ़रत है।”
सैंतिएगो नासार इस सच्चाई से वाकिफ़ था, लेकिन गिरजा घर के ठाठ बाठ उसे बेइन्तहां अपनी ओर खींचते थे। “एकदम सिनेमा की तरह,” एक बार उसने मुझे बताया था। दूसरी तरफ, बिशप के आगमन में उसकी मां की दिलचस्पी इतनी भर थी कि उसका बेटा बरसात में कहीं भीग न जाये। इसकी वजह यह भी थी कि उसने अपने बेटे को नींद में छींकते हुए सुना था। उसने बेटे को सलाह दी थी कि वह अपने साथ छाता लेता जाये, लेकिन सैंतिएगो नासार ने मां को अलविदा कहा और कमरे से बाहर निकल गया। मां ने आखिरी बार तभी अपने बेटे को देखा था।
रसोईदारिन विक्टोरिया गुज़मां को पक्का यकीन था कि उस दिन या फरवरी के पूरे महीने के दौरान बरसात तो नहीं ही हुई थी। जब मैं उससे मिलने गया था तो उसने मुझे बतलाया था, ”इसके विपरीत अगस्त की तुलना में सूरज चीज़ों को जल्दी तपा देता है।” यह गुज़मां के मरने से कुछ दिन पहले की बात थी। कुत्ते उसे घेरे हुए हाँफ रहे थे और वह नाश्ते के लिए तीन खरगोश काट छांट रही थी। तभी सैंतिएगो नासार रसोई में आया था।
“वह जब भी उठता था, उसके चेहरे पर हमेशा तकलीफदेह रात की छाया रहती थी।” विक्टोरिया गुज़मां निर्विकार भाव से याद कर रही थी। “उस रोज़ दिविना फ्लोर ने उसे पहाड़ी कॉफी पेश की थी। मेरी बिटिया फ्लोर तब उम्र के उठान पर थी। कॉफी में उसने चम्मच भर गन्ने की शराब डाल दी थी। वह हर सोमवार को ऐसा ही करती थी ताकि वह पिछली रात की थकान से पार पा सके। उस लम्बी चौड़ी रसोई में, आग की तड़तड़ाने की आवाज़ और भट्टी के ऊपर सोई हुई मुर्गियां, इन सबसे सांस रहस्यमय हो जाती थी।” सैंतिएगो नासार ने एस्पिरिन की एक और गोली निगली और छोटे छोटे घूँट भरते हुए कॉफी का मग ले कर बैठ गया। वह गहरी सोच में डूबा हुआ था। उसने एक पल के लिए भी इन दोनों औरतों की तरफ से निगाह नहीं हटायी थी। वे दोनों चूल्हे पर खरगोशों की अंतड़ियां निकाल रही थीं। उम्रदराज होने के बावजूद विक्टोरिया गुज़मां की देह सुगठित थी। उसकी छोकरी, जो अभी भी अल्हड़पना लिये हुए थी, अपने सीने के उभारों को देख कर फूली नहीं समाती थी। जब वह सैंतिएगो नासार से कॉफी का खाली मग लेने आयी थी तो सैंतिएगो नासार ने उसकी कलाई पकड़ ली और कहा था, “अब तुझे नकेल डालने का वक्त आ गया है।”
विक्टोरिया गुज़मां ने सैंतिएगो नासार को खून सना चाकू दिखलाया, ”ऐय, जाने दो उसे।” उसने गंभीर होते हुए सैंतिएगो नासार को सुना दिया था, “जब तक मैं जिंदा हूं, तुम इस कली का रसपान नहीं कर सकते।"
जब वह खुद अपने अल्हड़पन में पूरी तरह से खिली हुई कली की तरह अँगड़ाई ले रही थी तभी उसे इब्राहिम नासार ने कुचल-मसल डाला था। वह बरसों तक उससे रैंक के अस्तबलों में चोरी छुपे प्यार करती रही थी और जब प्यार का बुखार उतर गया था तो इब्राहिम नासार उसे घर की नौकरानी बना कर ले आया था। दिविना फ्लोर, जो तभी के किसी दूसरे साथी नौकर से पैदा हुई लड़की थी, इस बात को जानती थी कि उसका नसीब चोरी छुपे सैंतिएगो नासार के बिस्तर तक पहुंचना ही है और इस बात के ख्याल ने उसे वक्त से पहले ही चिंता में डाल दिया था। “उसकी तरह का दूसरा आदमी फिर पैदा ही नहीं हुआ।” उसने मुझे बताया था। तब तक वह मुटिया गयी थी और उसकी रंगत फीकी पड़ चुकी थी। वह तब अपने दूसरे प्रेमियों की औलादों से घिरी हुई थी।
“सैंतिएगो नासार ठीक अपने बाप पर गया था।” विक्टोरिया गुज़मां ने अपनी बेटी की बात के जवाब में कहा था, “हरामज़ादा,” लेकिन जैसे ही उसे सैंतिएगो नासार के आतंक की याद आयी थी, तो वह भय की सिहरन से खुद को बचा नहीं पायी थी। वह उस वक्त खरगोश की अंतड़ियां खींच कर बाहर निकाल रही थी। उसने भाप छोड़ती ये अंतड़ियां कुत्तों के आगे डाल दी थीं।
“जंगली मत बनो,” वह विक्टोरिया गुज़मां से कह रहा था, “सोचो, कभी यह भी जीता जागता हाड़ मांस का जीव था।”
विक्टोरिया गुज़मां को यह बात समझने में कमोबेश बीस बरस लग गये कि निरीह जानवरों को मारने का अभ्यस्त ये आदमी अचानक इस तरह से आतंकित करने वाली बात कह सकता है। “हे भगवान,” उसने चकित हो कर कहा था, “जो कुछ हुआ, एक तरह से ईश्वरीय ज्ञान था। ” इसके बावजूद अपराध की सुबह उसके पास सैंतिएगो नासार के प्रति पिछली इतनी सारी नाराज़गियां बाकी थीं कि सिर्फ़ उसके नाश्ते में कड़ुवाहट घोलने की नीयत से वह कुत्तों को दूसरे खरगोशों की अंतड़ियां खिलाये जा रही थी। उस वक्त वे यही कुछ कर रहे थे जब बिशप को लाने वाली स्टीम बोट की कानफाड़ू गड़गड़ाहट से पूरा नगर जाग गया था।
यह घर पहले एक गोदाम हुआ करता था। इसमें दो मंज़िलें थीं। दीवारें खुरदरे फट्टों से बनी हुई थीं और उन पर ढलुआं पतरे की छत थी, जहां बैठ कर बाज बंदरगाह के कचरे के ढेरों की तरफ ताका करते थे। इस घर को उन दिनों बनाया गया था जब नदी इतनी अधिक इस्तेमाल में लायी जाती थी कि समुद्र की तरफ जाने वाले कई बजरे और कुछेक बड़े जहाज भी इस डेल्टा से गुज़र कर जाया करते थे। जब गृह युद्धों के खत्म होने पर इब्राहिम नासार बचे खुचे अरबों के साथ यहां आया था तो नदी अपना रुख बदल चुकी थी और समुद्र की तरफ जाने वाले जहाजों ने इस तरफ से गुज़रना छोड़ दिया था। यह गोदाम तब इस्तेमाल में नहीं लाया जा रहा था। इब्राहिम नासार ने इसे सस्ते दामों पर इस लिहाज से खरीद लिया था कि इस जगह पर वह एक आयात घर बनायेगा। यह आयात घर उसने कभी नहीं बनवाया था। वह जब शादी करने लायक हुआ तो उसने इसे अपने रहने के लिए घर में तब्दील कर दिया था। तल मंज़िल पर एक पार्लर बनवा दिया गया जहां हर तरह के काम किये जा सकते थे। पिछवाड़े की तरफ उसने चार मवेशियों के लायक तबेला, नौकरों के लिए घर और बंदरगाह की तरफ खुलने वाली खिड़कियों वाली देसी किस्म की एक रसोई बनायी थी। इन खिड़कियों से चौबीसों घंटे रुके पानी की संड़ाध आती रहती। उसने पार्लर में एक चीज़ को जस का तस छोड़ दिया था। यह थी किसी टूटे हुए जहाज से निकाली गयी घुमावदार सीढ़ी। ऊपरी मंज़िल पर, जहां पर सीमा शुल्क के दफ्तर हुआ करते थे, उसने दो बड़े बड़े बेडरूम बनवाये और बच्चों के लिए ढेर सारी कोठरियां बनवायीं। वह ढेर सारे बच्चे पैदा करना चाहता था। उसने चौक की तरफ बादाम के दरख्तों की ओर खुलने वाली लकड़ी की एक बाल्कनी बनवायी। यहां प्लेसिडा लिनेरो मार्च की दोपहरियों के वक्त बैठा करती और अपने अकेलेपन पर आंसू बहाया करती। सामने की तरफ इब्राहिम नासार ने एक मुख्य दरवाजा बनवाया और पूरे आकार की दो खिड़कियां लगवायीं। इनमें लेथ की मशीन से तैयार की गयी छड़ें लगी हुई थीं। उसने पिछवाड़े की तरफ एक दरवाजा बनवाया। यह दरवाजा थोड़ा ऊँचा रखा गया ताकि इससे हो कर घोड़ा भीतर लाया जा सके। पुराने खम्बे के हिस्से को वह इस्तेमाल करता रहा। पिछवाड़े का यही दरवाजा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था। इसकी एक वजह तो यही थी कि यह दरवाजा सीधे नांद और रसोई की तरफ खुलता था। दूसरी वजह ये थी कि यह नये घाट की तरफ वाली गली में खुलता था और इसके लिए चौक तक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। तीज त्यौहारों वगैरह के मौकों पर सामने वाला दरवाजा अमूमन बंद ही रहता और उस पर सांकल लगी रहती। इसके बावजूद जो आदमी सैंतिएगो नासार का कत्ल करने वाले थे, वे पिछवाड़े वाले दरवाजे के बजाये इसी दरवाजे पर उसका इंतज़ार करते रहे थे, और इसके बावजूद कि घाट तक पहुंचने के लिए उसे पूरे घर का चक्कर लगाना पड़ेगा, बिशप की अगवानी के लिए सैंतिएगो नासार इसी दरवाजे से बाहर निकला था।
इस तरह के जानलेवा संयोगों को कोई भी समझ नहीं पाया था। जांच पड़ताल के लिए जो जज रिओहाचा से आया था, उसने ज़रूर ही इन बातों को महसूस किया होगा, भले ही वह इन बातों को मानने की हिम्मत न जुटा सका। इसकी वजह यह भी थी कि उसकी रिपोर्ट में इस बात की दिलचस्पी साफ़ साफ़ झलक रही थी कि वह इनकी तर्क संगत व्याख्या करना चाहता था। चौक की तरफ खुलने वाले दरवाजे का “सड़क छाप उपन्यास के शीर्षक” की तरह “जानलेवा दरवाजा” के रूप में ज़िक्र किया गया था। सच तो ये था कि इसकी सबसे अधिक वैध व्याख्या तो प्लेसिडा लिनेरो की ही मानी जा सकती थी जिसने मां की बुद्धिमत्ता से इस सवाल का जवाब दिया था, “मेरा बेटा तैयार होने के बाद कभी भी पिछवाड़े के दरवाजे से बाहर नहीं निकलता था।” यह इतना आसान सा सच प्रतीत हुआ कि जांच अधिकारी ने इसे हाशिये की टिप्पणी के रूप में नोट कर लिया, लेकिन उसने इसे रिपोर्ट में शामिल नहीं किया था।
जहां तक विक्टोरिया गुज़मां का सवाल है, उसने अपने जवाब में साफ़-साफ़ कहा कि न तो उसे और न ही उसकी छोकरी को ही पता था कि वे लोग सैंतिएगो नासार को मारने के लिए उसका इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन अपनी उम्र बीतने के साथ, बाद में उसने ये स्वीकार किया था कि जब वह अपनी कॉफी पीने के लिए रसोई में आया था, तो दोनों इस बात को जानती थीं। उन्हें यह बात एक औरत ने बतायी थी जो पाँच बजे के आसपास थोड़ा-सा दूध मांगने की गरज से वहां से गुज़री थी। इसके अलावा उस औरत ने हत्या करने की वजह बतायी थी और यह भी बताया था कि वे किस जगह उसका इंतज़ार कर रहे थे।
“मैंने उसे सावधान नहीं किया था क्योंकि मैंने सोचा कि ये शराबियों की लंतरानियां हैं।” विक्टोरिया गुज़मां ने मुझे ये बताया था। इसके बावजूद, बाद में एक भेंट के दौरान, जब उसकी मां मर चुकी थी, दिविना फ्लोर ने मेरे सामने स्वीकार किया था कि उसकी मां ने इस बाबत सैंतिएगो नासार से कुछ भी नहीं कहा था क्योंकि भीतर ही भीतर वह चाहती थी कि वे लोग उसे मार डालें। दूसरी तरफ, उसने खुद सैंतिएगो नासार को इसलिए नहीं चेताया था कि उस समय उसकी खुद की उम्र ही क्या थी। वह एक डरी हुई बच्ची ही तो थी जो अपने आप कोई फैसला नहीं कर सकती थी। वह इस बात को ले कर और भी डर गयी थी कि जब सैंतिएगो नासार ने उसकी कलाई को दबोचा था तो उसे सैंतिएगो नासार का हाथ एकदम बर्फीला और पथरीला लगा था। जैसे वह किसी मरे हुए आदमी का हाथ हो।
सैंतिएगो अंधियारे घर से लम्बे लम्बे डग भरता हुआ बिशप की नाव की तरफ को निकला था, मानो नाव से उठता हुआ शोर शराबा उसे अपनी तरफ खींच रहा हो। दिविना फ्लोर दरवाजा खोलने की नीयत से उसके आगे लपकी थी। उसकी कोशिश थी कि सैंतिएगो नासार ड्राइंग रूम में सोये हुए परिंदों, खपचियों के फर्नीचर और बैठक में लटक रहे फर्न के गमले के बीच से चलता हुआ उससे आगे न निकल जाये, लेकिन जब फ्लोर ने कुण्डी खोली तो वह खुद को दोबारा उस कसाई के लपकते हाथ से न बचा पायी, “उसने मेरा पूरा निम्तब ही दबोच लिया था,” दिविना फ्लोर ने मुझे बताया था, “वह घर के किसी भी कोने में मुझे जब भी अकेली देखता था तो हमेशा ऐसा ही करता था। लेकिन उस दिन मुझे हमेशा की तरह हैरानी महसूस नहीं हुई थी बल्कि चिल्लाने की डरावनी-सी इच्छा हुई थी।” वह एक तरफ हट गयी थी ताकि सैंतिएगो नासार बाहर जा सके। तब उसने अधखुले दरवाजे से चौक पर बादाम के पेड़ देखे थे जो प्रभात वेला में बर्फ की मानिंद लग रहे थे लेकिन वह कुछ और देखने की हिम्मत नहीं जुटा पायी थी।
“तभी भोंपू बजाते हुए नाव रुकी थी और मुर्गों ने बांग देना शुरू दिया था। इतना अधिक शोर शराबा हो गया था कि मैं यकीन ही नहीं कर पायी कि शहर में इतने सारे मुर्गे हैं। मैं तो यही समझी थी कि ये सारे मुर्गे बिशप की नाव पर आये हैं।”
उस शख्स के लिए, जो कभी भी उसका अपना नहीं था, वह सिर्फ़ इतना ही कर पायी थी कि प्लेसिडा लिनेरो के आदेशों के खिलाफ उसने दरवाजे की कुंडी नहीं चढ़ाई थी ताकि विपदा आने पर वह भीतर आ सके। कोई आदमी जिसे कभी पहचाना नहीं जा सका था, दरवाजे के नीचे एक लिफ़ाफ़ा सरका कर चला गया था। इसमें एक छोटी-सी पर्ची थी जिस पर सैंतिएगो नासार के लिए चेतावनी थी कि वे उसे मारने के लिए उसका इंतज़ार कर रहे हैं। इसके अलावा उस पर्ची में मारने की जगह, मारने की वजह और प्लॉट के बहुत बारीक ब्योरे भी दिये गये थे। सैंतिएगो नासार जब घर से चला तो वह संदेशा फर्श पर पड़ा हुआ था लेकिन इसे न तो सैंतिएगो नासार ने, न खुद दिविना फ्लोर ने और न ही किसी और ने ही देखा था। यह कागज़ अपराध किये जा चुकने के बाद ही देखा गया था।
घड़ियाल ने छ: घंटे बजाये थे और गली की बत्तियां अभी भी जल रही थीं। बादाम के दरख़्तों की शाखाओं पर और कुछेक छज्जों पर भी शादी की झालरें वगैरह अभी भी लटक रही थीं और कोई यह भी सोच सकता था कि इन्हें अभी ही बिशप के सम्मान में लगाया गया है, लेकिन चौक से ले कर गिरजा घर की निचली सीढ़ी तक, जहां बैण्ड स्टैण्ड था, और खड़ंजे बिछे हुए थे, सारी जगह कचरे का ढेर प्रतीत हो रही थी। वहां सार्वजनिक उत्सव की वजह से चारों तरफ खाली बोतलें और हर किस्म का कूड़ा कचरा बिखरा हुआ था।
जब सैंतिएगो नासार घर से बाहर निकला था तो कई लोग नाव के भोंपू की आवाज़ के साथ लपकते हुए घाट की तरफ भागे जा रहे थे। चौक पर, गिरजा घर के एक तरफ सिर्फ़ एक ही ठीया खुला था। ये दूध की दुकान थी जहां दो आदमी सैंतिएगो नासार का कत्ल करने के इरादे से उसका इंतज़ार कर रहे थे। उस दुकान की मालकिन क्लोतिल्दे आर्मेंता ने ही उसे सबसे पहले भोर के धुंधलके में देखा था और उसे लगा था कि सैंतिएगो नासार ने अल्यूमीनियम की पोशाक पहनी हुई है।
“वह पहले ही भूत की तरह लग रहा था,” वह मुझे बता रही थी, “जो आदमी सैंतिएगो नासार का कत्ल करने वाले थे, वे रात को बैंचों पर ही सोये थे और उन्होंने अख़बार में लिपटे चाकुओं को अपनी छाती के पास दबोच रखा था।” क्लोतिल्दे ने अपनी सांस रोक ली थी ताकि वे लोग कहीं जाग न जायें।
वे दोनों जुड़वा भाई थे। पैड्रो और पाब्लो विकारियो। उनकी उम्र चौबीस बरस की थी और उनकी शक्ल आपस में इतनी मिलती-जुलती थी कि उन्हें अलग से पहचान पाना मुश्किल था।
“वे देखने में कड़ियल लगते थे लेकिन दिल के अच्छे थे।” रिपोर्ट में बताया गया था। मैं, जो उन्हें लातिनी सिखाने वाले ग्रामर स्कूल के दिनों से जानता था, उनके बारे में यही लिखता। उस सुबह भी वे शादी वाले गहरे रंग के सूट ही पहने हुए थे। किसी कैरिबियन के लिए ये कपड़े बहुत भारी और औपचारिक लगते। कई कई घंटे तक अस्त व्यस्त रहने के कारण वे उजड़े-बिखरे लग रहे थे, फिर भी उन्होंने अपना काम पूरा किया था। उन्होंने शेव बनायी थी। हालांकि शादी की रात से ही वे लगातार पीते रहे थे, फिर भी तीन दिन गुज़र जाने के बाद भी वे नशे में नहीं थे। इसके बजाये वे नींद में चलने वाले अनिद्रा रोगियों की तरह लग रहे थे। क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर में तीनेक घंटे तक इंतज़ार करने के बाद भोर की हवा के पहले झोंके के साथ ही उन्हें नींद आ गयी थी। शुक्रवार के बाद से उनकी यह पहली नींद थी। नाव के पहले भोंपू के साथ ही उनकी नींद उचट गयी थी, लेकिन सैंतिएगो नासार ज्यों ही अपने घर से निकला था, वे अपने आप ही जग गये थे। उन्होंने लपक कर अपने लपेटे हुए अख़बार उठाये थे। तब पैड्रो विकारियो उठ कर बैठने लगा।
“ईश्वर के प्यार के लिए,” क्लोतिल्दे आर्मेंता बुड़बुड़ायी थी, “बिशप के प्रति आदर के नाम पर ही सही, उसे किसी और दिन के लिए बख्श दो।”
“यह पवित्र आत्मा की ही पुकार थी।” वह अक्सर दोहराया करती। सच में, ये एक दैविक घटना ही थी, लेकिन सिर्फ़ क्षणिक प्रभाव के लिए। जब विकारियो बंधुओं ने उसकी बात सुनी तो दोनों ठिठक गये। तब उनमें से वह भाई जो उठ खड़ा हुआ था, वापिस बैठ गया। दोनों भाई आंखों ही आंखों में सैंतिएगो नासार का पीछा करते रहे और उसे चौक के पार जाता देखते रहे।
“वे उसकी तरफ दया की निगाह से ही देख रहे थे।” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मुझे बताया था। उसी वक्त ननों के स्कूल की लड़कियों ने चौक पार किया। वे यतीमों वाली अपनी पोशाक में दुलकी चाल से लपकती-झपकतीं चली जा रही थीं।
प्लेसिडा लिनेरो का कहना सही था। बिशप अपनी नाव से नीचे उतरे ही नहीं। घाट पर सरकारी अमले और स्कूली बच्चों के अलावा ढेरों ढेर लोग थे। वहां चारों तरफ खिलाये-पिलाये मुर्गों से भरे टोकरे देखे जा सकते थे। इन्हें लोग बिशप के लिए विशेष भेंट के तौर पर पाल-पोस रहे थे। बिशप को मुर्गे की कलगी का सूप बहुत पसंद था। लदान वाले घाट पर ही जलावन की इतनी ज्यादा लकड़ी जमा हो गयी थी कि उसका लदान करने के लिए कम से कम दो घंटे लगते। लेकिन नाव रुकी ही नहीं। वह नदी के मोड़ पर नज़र आयी। वह ड्रैगन की माफिक फुफकार रही थी। तभी संगीतकारों के दल ने बिशप की प्रार्थना की धुन बजानी शुरू की दी। मुर्गों ने अपनी टोकरियों से ही बांग देनी शुरू की। इन मुर्गों की चिल्ल पों ने शहर भर भर के मुर्गों को जगा दिया। उन दिनों लकड़ी के ईंधन से चलने वाले वाली परम्परागत पहिये वाली नावें चलन से बाहर होने लगी थीं। इनमें से जो नावें यदा-कदा सवारियां ढो रही थीं, उनमें पियानो बजाने वाला यंत्र या नव विवाहितों के लिए अलग केबिन अब नहीं रह गये थे। ऐसी नावें धारा के विरुद्ध मुश्किल से चल पाती थीं। लेकिन ये वाली नाव नयी थी। इसमें धुआं निकालने के लिए दो चिमनियां थीं और उन पर बाजू पर बांधे जाने वाले फीतों की तरह ध्वज पुता हुआ था। नाव की दुम पर बने लकड़ी के बड़े पहिये में लकड़ी के ही फट्टों से बना पैडल उसे समुद्री जहाज की तरह आगे धकेलता था। कप्तान के केबिन के पास, ऊपरी डेक पर बिशप अपने सफेद चोगे में खड़ा था। साथ में उसके इस्पानी परिजन थे।
“मौसम बड़े दिन जैसा था।” मेरी बहन मार्गोट ने मुझे बताया था। उसके अनुसार हुआ ये था कि जैसे ही नाव घाटों के बीच से गुज़री, उसने दबी हुई भाप की फव्वारा जैसे छोड़ते हुए सीटी दी। जो भी लोग तट के किनारे खड़े थे, वे सब इस भाप में भीग गये। ये सब एक उड़ता हुआ एक भ्रम-सा था। बिशप ने घाट पर खड़े लोगों की विपरीत दिशा में हवा में ही क्रॉस बनाने का अभिनय किया। इसके बाद काफी देर तक वह हवा में मशीनी तरीके से क्रॉस बनाता रहा। उसके चेहरे पर न अफसोस के भाव थे न प्रेरणा के। हवा में क्रॉस बनाने का उसका सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक नाव दृष्टि से ओझल नहीं हो गयी। बाद में वहां पर सिर्फ मुर्गों की चिल्ल पों ही बची।
सैंतिएगो नासार के पास इस बात को महसूस करने के कारण थे कि वह छला गया है। उसने फादर कारमैन एमाडोर के लिए सार्वजनिक समारोह में ढेरों लकड़ियों का योगदान दिया था। इसके अलावा, उसने खुद सबसे अधिक स्वाद वाली कलगियों वाले मुर्गे चुने थे।
लेकिन ये उदासी श्मशान वैराग्य की तरह थी। थोड़ी ही देर की नाराज़गी। मेरी बहन मार्गोट ने, जो उस वक्त घाट पर उसके साथ ही थी, उसे उस वक्त अच्छे मूड में पाया था और उसका आग्रह था कि यह रंग उल्लास चलते रहने चाहिये। हालांकि उसे अब तक एस्पिरिन से कोई आराम नहीं मिला था, “वह ज़रा भी ताव में नहीं लग रहा था और इसी बात पर सोचता रहा था कि इस शादी में कुल कितना खर्च आया होगा।” वह मुझे बता रही थी। क्रिस्तो बेदोया ने, जो उस वक्त उनके साथ था, कुछ ऐसे आंकड़े गिनाये थे कि सैंतिएगो नासार की हैरानी बढ़ गयी। क्रिस्तो बेदोया रात चार बजे से कुछ पहले तक सैंतिएगो नासार और मेरे साथ गप्प गोष्ठी कर रहा था; वह सोने के लिए अपने माता-पिता के घर भी नहीं गया बल्कि अपने दादा-दादी के घर पर ही रह गया था। वहीं गप्प बाजी के दौरान उसे इन सब आंकड़ों का पुलिंदा मिला, जो उस शादी की पार्टी का हिसाब लगाने के लिए ज़रूरी थे।
क्रिस्तो बेदोया ने बताया था कि उन लोगों ने मेहमानों के लिए चालीस मुर्गाबियों और ग्यारह सूअरों की बलि दी थी। इसके अलावा, चार बछ़ेड़े थे जो दूल्हे के मेहमानों के लिए चौक पर भुनवाये गये थे। उसने यह याद करते हुए कहा था कि अवैध शराब के 205 पीपे गले से नीचे उतारे गये थे और गन्ने की शराब की कम से कम दो हज़ार बोतलें भीड़ के बीच बांटी गयी थीं। वहां अमीर-गरीब कोई ऐसा शख्स नहीं बचा था जिसने शहर की अब तक की सबसे हंगामाखेज पार्टी में किसी न किसी रूप में शिरकत न की हो। सैंतिएगो नासार को ये सब ख्याल आ रहे थे।
“मेरी भी शादी ठीक इसी तरह से होगी।” उसने कहा था, “मेरी शादी के किस्से सुनाने के लिए लोगों को अपनी उम्र छोटी लगेगी।”
मेरी बहन ने महसूस किया कि पास से ही देवदूत गुज़र कर गये हैं। उसने फ्लोरा मिगुएल की खुशकिस्मती के बारे में एक बार फिर सोचा। फ्लोरा को ज़िंदगी में बहुत कुछ मिला था। उसे सैंतिएगो नासार का साथ और मनाने के लिए उस बरस का क्रिसमस, दोनों ही मिलने वाले थे। वह मुझे बता रही थी,“मैंने अचानक सोचा कि सैंतिएगो नासार से बेहतर जीवन साथी और कोई नहीं हो सकता। ज़रा कल्पना करो, खूबसूरत, अपनी ज़बान का पक्का, और सिर्फ इक्कीस बरस की उम्र में अपने भाग्य का मालिक।”
मार्गोट, मेरी बहन सैंतिएगो नासार को नाश्ते के लिए घर पर आमंत्रित किया करती थी। जब भी कंद मूल के आटे के मालपूए होते और मेरी मां सुबह के वक्त कोई खास पकवान बना रही होती तो वह सैंतिएगो नासार को नाश्ते के लिए अकसर बुलवा भेजती। सैंतिएगो नासार खुशी-खुशी न्यौता स्वीकार कर लेता।
“मैं कपड़े बदलूंगा और बस, तुम्हारे पीछे-पीछे पहुंच जाऊंगा,” सैंतिएगो नासार ने कहा और उसे लगा कि वह अपनी घड़ी तो सिरहाने ही भूल आया है, “कितने बजे हैं?”
उस समय छ: पच्चीस हुए थे। सैंतिएगो नासार ने क्रिस्तो बेदोया की बांह थामी और उसे चौक की तरफ ले चला।
“मैं पंद्रह मिनट के भीतर ही तुम्हारे घर पहुंच जाऊंगा।” उसने मेरी बहन से कहा था।
मेरी बहन ने आग्रह किया कि वह उसके साथ ही चला चले क्योंकि नाश्ता पहले ही तैयार हो चुका है।
“यह एक अजीब-सा आग्रह था।” क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था, “इतना अजीब कि कई बार मुझे लगता है कि मार्गोट को पहले से ही पता था कि वे उसे मारने जा रहे हैं और वह उसे अपने घर में, तुम्हारे घर में छुपा लेना चाहती थी।”
सैंतिएगो नासार ने उसे समझा-बुझा कर अकेले ही आगे जाने के लिए मना लिया था क्योंकि उसे अभी घुड़सवारी के कपड़े पहनने थे और फिर डिवाइन फेस जल्दी पहुंच कर बछेड़ों को बधिया करना था। सैंतिएगो नासार ने हाथ हिला कर मार्गोट से वैसे ही विदा ली जैसे अपनी मां से ली थी और क्रिस्तो बेदोया की बांह थामे चौक की तरफ चला गया। मार्गोट ने तभी उसे आखिरी बार देखा था।
कई लोग, जो उस वक्त घाट पर मौजूद थे, इस बात को जानते थे कि वे दोनों सैंतिएगो नासार को मारने वाले हैं। डॉन लोजारो अपोंते, जो कि अकादमी से निकला हुआ कर्नल था और अपने शानदार रिटायरमेंट के दिनों में ऐश कर रहा था, पिछले ग्यारह बरस से शहर का मेयर था, उसने भी सैंतिएगो नासार की तरफ उंगलियों का इशारा करके उसके हाल चाल पूछे थे, “मेरे पास इस बात पर यकीन करने के लिए खुद के पुख्ता कारण थे कि उसकी जान को अब कोई खतरा नहीं है।” उसने मुझे बताया था। फादर कारमैन एमाडोर को भी उसकी चिंता नहीं थी, “जब मैंने उसे सुरक्षित और चुस्त-दुरुस्त देखा तो समझ गया, यह सब एक कोरी गप्प थी।” फादर ने मुझे बताया था। किसी को भी इस बात पर हैरानी नहीं हुई थी कि सैंतिएगो नासार को चेताया गया था या नहीं, क्योंकि यह हो ही नहीं सकता था कि उसे चेताया न गया हो।
दरअसल, मेरी बहन मार्गोट उन थोड़े से लोगों में से एक थी जिसे उस वक्त भी पता नहीं था कि वे लोग उसे मारने जा रहे हैं। “अगर मुझे पता होता तो उसे मैं अपने साथ घर लिवा ले जाती, भले ही मुझे उसे सूअर की तरह गले में रस्सी डाल कर घसीट कर लाना पड़ता।” उसने जांच अधिकारी को बताया था। ये हैरानी की बात थी कि उसे इस बात का पता नहीं था और उससे ज्यादा हैरानी की बात थी कि मेरी मां को भी इस बारे में कोई खबर नहीं थी। हैरानी की वजह यह थी कि भले ही वह बरसों से कभी बाहर गली तक भी नहीं निकली थी, यहां तक कि कभी प्रार्थना के लिए गिरजे घर तक भी नहीं गयी थी, फिर भी उसे घर में किसी से भी पहले सब कुछ पता चल जाता था। मुझे मां की इस खासियत का तब पता चला था जब मैं स्कूल जाने के लिए जल्दी उठा करता था। मैं उन दिनों उसे वैसी ही पीली और गुमसुम पाता था। वह घर की बनी झाड़ू से आँगन बुहार रही होती। प्रभात की गुलाबी रौशनी में मैं उसे इसी रूप में देखा करता। फिर कॉफी के घूँट भरते हुए वह मुझे बताती रहती कि जब हम सो रहे थे तो दुनिया भर में क्या-क्या हुआ। लगता था, शहर के लोगों के साथ उसके संचार के गुप्त सूत्र थे। खास कर उन लोगों के साथ, जो उसी की उम्र के थे। कई बार तो हमें वह ऐसी खबरें दे कर हैरान कर देती जो समय से आगे की होतीं। ये खबरें तो सिर्फ भविष्यवेता ही जान सकते थे। अलबत्ता, उस समय वह उस हादसे के स्पंदन को महसूस नहीं कर पायी थी, रात के तीन बजे से जिसकी खिचड़ी पक रही थी।
जब तक मेरी बहन मार्गोट बिशप की अगवानी के लिए घर से निकली, तब तक मां आँगन बुहार चुकी थी और उसने मां को मालपूए बनाने के लिए कंदमूल पीसते देखा। “उस वक्त मुर्गों की बांग सुनी जा सकती थी।” मेरी मां उस अभागे दिन को याद करते हुए अक्सर कहा करती। उसने दूर से आते शोर शराबे की आवाज़ को कभी भी बिशप के आगमन से नहीं जोड़ा। वह उसे शादी के बचे-खुचे शोर शराबे से ही जोड़ती रही।
हमारा घर मुख्य चौक से खासा दूर, नदी के किनारे अमराई में था। मेरी बहन नदी के किनारे-किनारे चल कर घाट तक गयी थी। दूसरे लोग बिशप के दौरे को ले कर इतने अधिक उत्साहित थे कि उन्हें किसी और खबर की चिंता ही नहीं थी। उन्होंने बीमार आदमियों को तोरण पर ला बिठाया था ताकि उन्हें ईश्वरीय निदान मिल सके। औरतें अपने-अपने आँगनों से मुर्गाबियां और दुधमुंहे सुअर और खाने की हर तरह की चीज़ें लिये भागती दौड़ती चली आ रही थीं। नदी के परले तट से फूलों से लदी डोंगियां चली आ रही थीं। लेकिन जब बिशप ज़मीन पर पाँव धरे बिना ही आगे निकल गये तो अब तक ढकी-छुपी खबर अफवाह का रौद्र रूप ले चुकी थी।
तभी मेरी बहन मार्गोट को इसके बारे में पूरी तरह से और वीभत्स तरीके से पता चला। एंजेला विकारियो नाम की एक खूबसूरत लड़की का एक दिन पहले ही विवाह हुआ था। उसे उसके मायके वापिस भेज दिया गया था क्योंकि उसके पति को पता चला था कि वह कुंवारी नहीं है। “मुझे महसूस हुआ कि वह मैं ही थी जो मरने जा रही थी।” मेरी बहन ने कहा था, “इस बात का कोई मतलब नहीं था कि उन लोगों ने इस किस्से को आगे-पीछे कितना उछाला, मुझे कोई भी यह बात नहीं समझा पाया कि बेचारा सैंतिएगो नासार इस सारे झमेले में कैसे जा फंसा।” लोगों को पक्के तौर पर एक ही बात का पता था कि एंजेला विकारियो के दोनों भाई सैंतिएगो नासार को मारने के लिए उसकी राह देख रहे हैं।
मेरी बहन मार्गोट किसी तरह से अपनी रुलाई को रोके हुए अपने-आप पर कुढ़ते हुए घर लौटी। मेरी मां उसे आँगन में ही मिल गयी। उसने यह सोच कर नीले फूलों वाली फ्राक पहनी हुई थी कि शायद बिशप उससे मिलने इस तरफ आ निकलें।
“ये कुर्सी सैंतिएगो नासार के लिए है,” मेरी मां ने उसे बताया था, “मुझे पता चला है कि तूने उसे नाश्ते पर बुलाया है।”
“इसे हटा लो।” मेरी बहन ने कहा था।
तब मार्गोट ने मां को पूरी बात बतायी थी, “लेकिन लगता यही था कि मां को सब कुछ पहले से मालूम था,” मार्गोट ने मुझे बताया था, “हमेशा ऐसा ही होता था: आप उसे कुछ बताना शुरू करो: आपने अभी किस्सा पूरा भी नहीं किया होगा कि वह पहले आपको बता देगी कि क्या, कैसे हुआ होगा।” यह दुखद समाचार मेरी मां के लिए एक गांठदार समस्या की तरह था। सैंतिएगो नासार उसके नाम पर कर दिया गया था और जब उसका बपतिस्मा हो रहा था तो मां को ही उसकी धर्म मां बनाया गया था। दूसरी तरफ, लौटायी गयी दुल्हन की मां, पुरा विकारियो से भी मां का खून का रिश्ता था।
इसके बावजूद जैसे ही उसे ये खबर मिली, उसने ऊंची एड़ी के जूते पहने और चर्च वाली शॉल कंधे पर डाली। ये सारी चीज़ें वह मातमपुरसी के लिए जाते समय ही पहना करती थी। मेरे पिता ने अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे ही यह सब सुन लिया था। वे पायजामा पहने हुए ही ड्राइंग रूम में आये और चौंक कर मां से पूछा कि वह कहां जा रही है।
“अपनी प्यारी सखी प्लेसिडा को सचेत करने,” मां ने जवाब दिया था, “यह ठीक बात नहीं है कि शहर भर को खबर हो कि वे उसके बेटे को मारने जा रहे हैं और वह बेचारी अकेली ही अंधेरे में रहे।”
“विकारियो खानदान से भी हम उस रिश्ते से बंधे हुए हैं जिस रिश्ते से प्लेसिडा से।” मेरे पिता ने कहा था।
“हमेशा मरने वाले का ही पक्ष लिया जाता है।” मां ने जवाब दिया था।
तब तक मेरे छोटे भाई दूसरे बेडरूम से बाहर आने लगे थे।
सबसे छोटा वाला इस हादसे की आशंका से भयभीत हो गया और रोने लगा। मेरी मां ने बच्चों की तरफ कोई तवज्जो नहीं दी। ऐसा ज़िंदगी में पहली बार हुआ कि उसने अपने पति की भी परवाह नहीं की।
“एक मिनट ठहरो, मैं भी तैयार हो लेता हूं।” पिता ने मां से कहा था।
वह पहले ही गली में उतर चुकी थी। मेरा छोटा भाई जाइमे, जो उस समय मुश्किल से सात बरस का रहा होगा, स्कूल के लिए तैयार हो पाया था।
“जाओ, तुम मां के साथ जाओ,” मेरे पिता ने उससे कहा था।
जाइमे मां के पीछे लपका। उसे कुछ भी पता नहीं था कि क्या हो रहा है और वे कहां जा रहे हैं। उसने मां का हाथ थामा, “वह खुद से ही बातें किये चली जा रही थी।” जाइमे ने मुझे बताया था।
“नीच, अधम लोग,” मां जैसे सांस रोके बुड़बुड़ा रही थी, “गू मूत से सने जिनावर, वे सिर्फ घटिया और गलीज काम ही कर सकते हैं। और कुछ नहीं।”
उसे इस बात का भी भान नहीं था कि उसने अपने छोटे बच्चे का हाथ थामा हुआ है।
“उन्होंने यही सोचा होगा कि मैं पगला गयी हूं,” मां ने मुझे बताया था, “मैं सिर्फ इतना ही याद कर सकती हूं कि दूर से ही ढेर सारे लोगों का शोर-शराबा सुनायी दे रहा था, मानो शादी का तामझाम फिर शुरू हो गया हो। हर आदमी चौक की तरफ लपका जा रहा था ।” उसने भी मजबूती से अपने कदम तेजी से बढ़ाये। जब भी ज़िंदगी दांव पर लगी होती, वह ऐसा कर सकने की कूवत रखती थी। तभी सामने की तरफ से दौड़ कर आते किसी भले आदमी ने उसके भोलेपन पर तरस खाया था, “खुद को हलकान मत करो लुइसा सेंतिआगा,” वह जाते-जाते चिल्लाता गया था, “वे लोग तो उसे पहले ही कत्ल कर चुके हैं।”
उस मौत का रोजनामचा : 2
बयार्दो सां रोमां, वह शख्स, जिसने अपनी दुल्हन को वापिस भेज दिया था, पिछले बरस अगस्त में पहली बार आया था: शादी से छ: महीने पहले। वह हफ्तावारी नाव से पहुंचा था और उसके पास चाँदी मढ़े कुछ झोले थे। चाँदी की यह सजावट उसकी बेल्ट के बकसूए और उसके जूतों से मेल खाती थी। वह तीसेक बरस का रहा होगा, लेकिन उसकी उम्र का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। इसी वजह यह थी कि उसकी छाती किसी नौसिखुए बुल फाइटर की तरह थी और आंखें सुनहरी थीं। उसकी चमड़ी शोरे पर जैसे धीमी आंच पर भूनी हुई लगती थी। जिस वक्त वह पहुंचा, उसने तंग जैकेट और उससे भी तंग पतलून पहन रखी थी। ये दोनों चीज़ें बछड़े के असली चमड़े से बनी हुई थीं और मेमने के खाल से बने उसके दस्ताने भी उसी रंग के थे। माग्दालेना ओलिवर भी उसके साथ उसी नाव पर आयी थी और पूरी यात्रा के दौरान एक पल के लिए भी उस पर से अपनी आंखें नहीं हटा पायी थी।
“वह परी लोक के वासी की तरह लगता था,” माग्दालेना ने मुझे बताया था, “और इसी बात का अफसोस था। काश, मैं उस पर मक्खन लगा कर उसे ज़िंदा खा पाती।”
ऐसा सोचने वाली सिर्फ वही अकेली लड़की नहीं थी और न ही यह महसूस करने वाली आखिरी कि बयार्दो सां रोमां उस किस्म का आदमी नहीं था, जिसे पहली ही नज़र में जाना जा सके।
मेरी मां ने अगस्त के आखिरी दिनों में मुझे स्कूल में एक खत लिखा था और उसमें एक चलताऊ सी टिप्पणी थी: “एक बहुत ही अजीब आदमी आया है।” अपने अगले खत में मां ने मुझे लिखा था, “हर कोई कहता है कि वह सजीला, बांका है, लेकिन मैंने उसे नहीं देखा है।”
कोई भी नहीं जानता था कि वह कहां से आया है। एक भला आदमी उससे पूछने का लोभ संवर नहीं पाया तो उसे, शादी से पहले यही जवाब मिला था, “मैं शादी के लिए तैयार लड़की की तलाश में शहर-दर-शहर भटक रहा हूं।” यह सच भी हो सकता था। वह इसी लहजे में कोई और भी जवाब दे सकता था, क्योंकि उसके पास बात करने का जो तरीका था, उससे बात खुलने, सामने आने के बजाये छुपती ज्यादा थी।
जिस रात वह पहुंचा था, उसी रात उसने सिनेमाघर में लोगों तक यह बात पहुंचा दी थी कि वह रेल इंजीनियर था। उसने कहा था कि भीतरी इलाकों में रेल मार्ग तत्काल बनाने की ज़रूरत है ताकि हम नदी के टेढ़े मेढ़े रास्तों से आगे बढ़ सकें। अगले ही दिन उसने एक तार भेजा था तो उसने खुद ही तार भेजने की मशीन चला ली थी। इसके अलावा, तार भेजने वाले क्लर्क को एक नुस्खा भी सिखा दिया जिसके जरिये वह पुरानी पड़ चुकी बैटरी को दोबारा इस्तेमाल कर सकता था।
इसी आत्म विश्वास के साथ उसने एक मिलीटरी डॉक्टर के साथ सीमावर्ती इलाकों की बीमारियों के बारे में बात की। डॉक्टर उन दिनों वहां जबरन सैनिक भर्ती की मुहिम पर आया हुआ था। बयार्दो सां रोमां को शोर शराबे वाले और देर तक चलने वाले उत्सव पसंद थे, लेकिन वह कुशल शराबखोर, लड़ाई झगड़ों का मध्यस्थ और पत्तेबाजों का दुश्मन था। इतवार के दिन, प्रार्थना के बाद, उसने सबसे अधिक कुशल तैराकों को, जो कि वहां कई एक थे, चुनौती दे डाली और नदी पार करके लौटने में सबको बीस हाथ पीछे छोड़ दिया।
मेरी मां ने ये सब कुछ मुझे एक खत में लिखा था। आखिर में उसने ये भी जोड़ दिया था, “यह लगता है कि वह स्वर्ण में तैर रहा था।” यह टिप्पणी मां ही कर सकती थी। यह बात उस समय पूर्व धारणा के उत्तर में थी कि बयार्दो सां रोमां न केवल कुछ भी करने में, बल्कि बेहतर तरीके से करने में सक्षम था, उसकी पहुंच भी अंतहीन स्रोतों तक थी।
अक्तूबर में मुझे लिखे अपने एक खत में मां ने उसे फाइनल आशीर्वाद दे डाला था, “लोग उसे बेहद पसंद करते हैं।” मां ने मुझे बताया था, “चूंकि वह ईमानदार है, और दिल का साफ़ है, इसलिए पिछले इतवार को उसने घुटनों पर झुक कर कम्यूनियन हासिल किया और लातिनी में प्रार्थना करने में मदद की।” लेकिन मेरी मां किसी भी मामले की तह तक जाना चाहती है तो इस तरह के आडम्बरपूर्ण ब्यौरे भी नोट करने की आदी हो जाती है। उस भली मानस को शायद पता ही नहीं था कि उन दिनों खड़े खड़े कम्यूनियन लेने की अनुमति नहीं थी और सारी चीज़ें लातिनी में ही होती थीं। इसके बावजूद, इस धार्मिक फतवे के बाद मां ने मुझे दो खत लिखे जिनमें उसने मुझे बयार्दो सां रोमां के बारे में कुछ भी नहीं लिखा। तब भी नहीं, जब सब लोगों को यह अच्छी तरह से पता चल गया कि वह एंजेलो विकारियो से शादी करना चाहता है। इस दुर्भाग्यपूर्ण शादी के बहुत अरसे के बाद उसने मेरे सामने ये बात स्वीकार की थी कि जब तक वह बयार्दो सां रोमां को जान पायी, इतनी देर हो चुकी थी कि वह अक्तूबर वाले अपने खत को सही कर पाती, और कि उसकी सुनहरी आंखों ने उसके भीतर डर की एक सिहरन सी भर दी थी।
“वह मुझे राक्षस की याद दिलाता था,” मां ने मुझे बताया था, “लेकिन तुमने खुद ही तो मुझसे कहा था कि इस तरह की बातें लिखनी नहीं चाहिये।”
मैं उससे मिला था। उससे मां की मुलाकात के कुछ ही अरसे बाद। तब मैं बड़े दिनों की छुट्टी पर घर आया हुआ था। मैंने उसे वैसा ही अजीब पाया जैसा लोगों ने बताया था। बेशक वह आकर्षक लगता था, लेकिन माग्दालेना ओलिवर ने जिस मुग्ध करने वाली नज़रों से उसे देखा था, उससे कोसों दूर।
वह मुझे उससे कहीं अधिक गम्भीर लगा जितनी उसकी अजीबो-गरीब हरकतें किसी को विश्वास दिलातीं। उसमें एक छुपा हुआ सा तनाव था जो उसके अच्छे आचरण में भी मुश्किल से ढका रह पाता था। इसके बावजूद, इन सब बातों के ऊपर, वह मुझे बेहद उदास आदमी लगा। उस वक्त तक वह एंजेलो विकारियो के आगे प्रणय निवेदन कर चुका था।
इस बात को कभी भी अच्छी तरह साबित नहीं किया जा सकता था कि आखिर दोनों की मुलाकात कैसे हुई होगी। जिस बोर्डिंग हाउस में बयार्दो सां रोमां रहता था, उसकी मालकिन ने बताया था कि किस तरह सितम्बर के आखिरी दिनों में बैठक में एक आराम कुर्सी पर बैठा वह झपकियां ले रहा था, तभी एंजेला विकारियो और उसकी मां दो टोकरियों में नकली फूल लिये चौक की तरफ गयीं। बयार्दो सां रोमां ने अधजगी हालत में उन दोनों औरतों को देखा जो भरी दोपहरी में दो बजे के करीब अकेले ही दो जीवित प्राणियों की तरह घने काले मातमी कपड़े पहने चली जा रही थीं। उसने जवान युवती का नाम पूछा था। मकान मालकिन ने उसे बताया था कि जवान वाली लड़की साथ चल रही औरत की सबसे छोटी बेटी है और उसका नाम एंजेला विकारियो है। बयार्दो सां रोमां ने चौक के दूसरे सिरे तक अपनी निगाहों से उन दोनों का पीछा किया। “उसका नाम बहुत अच्छा है।” उसने कहा। फिर उसने अपना सिर कुर्सी की टेक से लगा लिया और आंखें बंद कर लीं।
“जब मेरी नींद खुले,” उसने कहा था, “तो मुझे याद दिला देना कि मैं उससे शादी करने जा रहा हूं।”
एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था कि बोर्डिंग हाउस की मालकिन ने, इससे पहले कि बयार्दो सां रोमां उससे मिलना जुलना शुरू करता, उसे इस सारे किस्से के बारे में बता दिया था। “मैं एकदम चौंक गयी थी।” तीन आदमियों ने, जो उस वक्त बोर्डिंग हाउस में मौजूद थे, इस घटना की पुष्टि की, जबकि अन्य चार लोग ऐसे थे जो पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते थे।
दूसरी तरफ, इन दोनों की पहली मुलाकात को ले कर जितने भी किस्से थे, सारे के सारे इस बात से मेल खाते थे कि एंजेला विकारियो और बयार्दो सां रोमां ने पहली बार एक दूसरे को अक्तूबर में राष्ट्रीय छुट्टी के दिन एक चैरिटी बाज़ार के दौरान देखा था, जहां एंजेला विकारियो एक रैफल के नाम पुकारने की इन्चार्ज थी। बयार्दो सां रोमां बाजार में आया और सीधे उस रैफल वाले बूथ में गया। वह सिर से पैर तक मातमी बनी खड़ी थी। बयार्दो सां रोमां ने उससे सीपी जड़े म्यूजिक बॉक्स की कीमत पूछी। वह बॉक्स मेले का सबसे बड़ा आकर्षण रहा होगा। एंजेला विकारियो ने उसे बताया था कि यह बिक्री के लिए नहीं है बल्कि रैफल में दिया जाना है।
“ये तो और भी अच्छा है,” बयार्दो सां रोमां ने कहा था, “इस तरह से तो इसे लेना और भी आसान रहेगा और सस्ता भी।”
एंजेला विकारियो ने मेरे सामने यह बात स्वीकार की थी कि बयार्दो सां रोमां उस पर असर डालने में सफल तो हो गया था लेकिन इसके पीछे जो कारण थे, वे प्रेम के ठीक विपरीत थे, “मुझे दम्भी पुरुषों से घृणा होती है और मैंने कभी इतना चिपकू आदमी नहीं देखा था,” उस दिन को याद करते हुए वह बता रही थी, “इसके अलावा, मैं समझे बैठी थी कि वह पोलक है।” जब वह लॉटरी के नाम पुकार रही थी तो उसकी नाराज़गी बहुत बढ़ गयी थी। सब लोग इससे चिंता में पड़ गये थे। तय था, रैफल बयार्दो सां रोमां ने ही जीता था। वह इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि सिर्फ़ उसे प्रभावित करने के लिए बयार्दो सां रोमां ने रैफल के सारे के सारे टिकट खरीद लिये थे।
उस रात जब एंजेला विकारियो घर लौटी उसने गिफ्ट पैकिंग में म्यूजिक सिस्टम को वहीं मौजूद पाया। उपहार मखमली फीते से बंधा था।
“मैं कभी इस बात का पता नहीं लगा पायी कि उसे पता कैसे चला कि उस रोज़ मेरा जन्मदिन था।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था। उसके लिए अपने माता-पिता को विश्वास दिलाना मुश्किल हो गया था कि उसने बयार्दो सां रोमां से इस तरह की कोई बात नहीं की थी कि उसे ऐसा उपहार भेजा जाता और वो भी इतने खुले आम जो किसी की भी निगाहों से छुपा नहीं रह पाया था। इसलिए उसके दोनों भाइयों, पैड्रो और पाब्लो ने म्यूजिक सिस्टम उठाया और उसे उसके मालिक को वापिस करने के लिए होटल ले गये। वे दोनों इतनी हड़बड़ी में गये और आये कि न तो वहां उन्हें किसी ने न जाते देखा और न ही वापिस आते ही।
चूंकि एक ही बात ऐसी थी जिसका यह परिवार अंदाजा नहीं लगा पाया था, वो था बयार्दो सां रोमां का सम्मोहक आकर्षण, जिसकी वजह से दोनों जुड़वां भाई अगले दिन की सुबह तक वापिस ही नहीं लौटे। वे नशे में धुत्त थे। वे एक बार फिर अपने साथ म्यूजिक बॉक्स उठा लाये थे और इसके अलावा उनके साथ था बयार्दो सां रोमां, जो अब उनके घर आकर मौज मजा कर सकता था।
एंजेला विकारियो परिवार की सबसे छोटी लड़की थी। परिवार की आय के सीमित साधन थे। उनका पिता पोंसियो विकारियो गरीब लोगों का सुनार था। अपने परिवार का सम्मान बनाये रखने के लिए सोने का बारीक काम करते-करते उसकी आंखों की रोशनी जाती रही थी। पुरिसिमा देल कारमैन, उसकी मां, शादी से पहले तक स्कूल में पढ़ाती रही थी। उसकी विनम्र और कुछ कुछ विपदाग्रस्त नज़र उसके चरित्र की ताकत को बखूबी छुपा जाती थी।
“वह नन, मठवासिनी जैसी लगती थी।” मर्सीडीज ने याद करते हुए कहा था। उसने अपने पति की देखभाल में और बच्चों को बड़ा करने में त्याग की जिस भावना के साथ खुद को खपा डाला था, उससे कई बार याद ही नहीं रहता था कि वह जीती भी है या नहीं। एंजेला विकारियो की दोनों बड़ी बहनों की शादी बहुत देर से हुई थी। जुड़वां भाइयों के अलावा, उनकी, बीच की एक और बहन भी थी जो रात्रिक ज्वर से जाती रही थी। दो बरस बीत जाने के बाद भी वे अब तक उसका सोग मना रहे थे। घर के भीतर तो इस मातम में थोड़ी बहुत ढील दे भी दी जाती, लेकिन गली में इसका कड़ाई से पालन किया जाता। दोनों भाइयों को ढंग का आदमी बनाने के हिसाब से पाला पोसा जा रहा था और लड़कियों के शादी-ब्याह हो सकें, इसलिए उन्हें परदों की कशीदाकारी, सीना पिरोना, तरह-तरह की लेस बनाना, कपड़े धोना, इस्त्री करना, नकली फूल और कैंडी बनाना और सेहरे लिखना बखूबी सिखाया गया था। ये लड़कियां दूसरी लड़कियों की तरह नहीं थीं जो मृत्यु की उपासना की परवाह नहीं करती थीं। ये चारों बहनें मरीजों के सिरहाने बैठने, मरणासन्न लोगों को आराम दिलाने और मरों हुओं को कफन ओढ़ाने की पुरानी परम्परा की कुशल नायिकाएं थीं। उनके बारे में बस, एक ही बात मेरी मां को अखरती थी। वो थी रात को सोने के पहले कंघी करना।
“बच्चियो,” मेरी मां उनसे कहा करती, “रात को बाल मत बनाया करो, इससे समुद्र में नाव चला रहे नाविकों की गति धीमी होती है।” इसके अलावा मेरी मां का मानना था कि उनसे बेहतर पाली पोसी गयी लड़कियां और कोई नहीं थीं। “वे आदर्श लड़कियां हैं,” मेरी मां को अक्सर कहते सुना जा सकता था, “कोई भी आदमी उनके साथ सुखी रहेगा क्योंकि उन्हें तकलीफें झेलने के लिए ही पाला पोसा गया है।” इसके बावजूद उनके दोनों बहनोई उन्हें कभी भी फुसला बहला नहीं सके। इसकी वजह यह थी कि वे जहां भी जातीं, एक साथ ही जाती थीं और वे सिर्फ औरतों के डांस का इंतज़ाम करती थीं और वे पुरुषों की चालबाजियों में छुपी नीयत ताड़ने में हमेशा उद्यत रहती थीं।
एंजेला विकारियो चारों भाई बहनों में सबसे ज्यादा प्यारी थी। मेरी मां कहा करती थी कि वह महान ऐतिहासिक महारानियों की तरह अपनी गर्दन पर लिपटी नाभि नाल के साथ जन्मी थी। लेकिन एंजेला विकारियो में बेचारगी का-सा भाव था और उसकी आत्मा इतनी प्रदीप्त नहीं थी जिसकी वजह से उसके लिए भविष्य के अनिश्चित होने की आशंकाएं बढ़ गयी थीं। मैं उसे बड़े दिन की छुट्टियों में साल दर साल देखा करता और वह हर बार अपने घर की खिड़की में पहले से ज्यादा दीन हीन लगती। खिड़की में वह दोपहरियों में अपनी पड़ोसिनों के साथ बैठी कपड़े के फूल बनाती रहती और वाल्ट्ज के अकेले गाये जाने वाले गीत गाती रहती।
“रिश्ते की तुम्हारी बहन को,” सैंतिएगो नासार कहा करता, “कोई न कोई ज़रूर फांसेगा।” अचानक ही, उसकी बहन के सोग से पहले, मैं गली में उसकी बगल से गुज़रा। मैंने उसे पहली बार एक भरपूर औरत की तरह कपड़े पहने और बाल घुंघराले किये देखा। मैं मुश्किल से यकीन कर पाया था कि यह वही लड़की है। लेकिन यह एक क्षणिक दृश्य था: आत्मा की उसकी दरिद्रता बरस बीतने के साथ साथ बढ़ती गयी। यहां तक कि जब यह पता चला था कि बयार्दो सां रोमां उससे शादी करना चाहता है तो कई लोगों को लगा, यह एक बाहरी आदमी के साथ विश्वासघात है।
परिवार ने इसे न केवल गम्भीरता से लिया बल्कि अति उत्साह से स्वीकार भी किया। पुरा विकारियो के सिवाय, जिसने यह शर्त लगा दी थी कि बयार्दो सां रोमां खुद का ढंग से परिचय वगैरह दे। तब तक तो किसी को पता भी नहीं था कि वह है कौन। उसका अतीत उस दोपहर से पीछे नहीं गया था जब वह अभिनेता की-सी पोशाक में नाव से उतरा था। वह अपने मूल स्थान आदि के बारे में इतना घुन्ना था कि वह जितनी भी दूर की कौड़ी लाता, उसे सच मान लिया जाता। यह कहा जाने लगा था कि ट्रुप कमांडर के रूप में उसने कासानारे में गांव के गांव मटियामेट कर डाले थे और वहां आतंक बरपा दिया था, कि वह डेविल्स द्वीप से भागा हुआ था और कि उसे पेरनाम्बुको में प्रशिक्षित भालुओं के जोड़े के साथ रहने की कोशिश करते हुए देखा गया था और कि वह विंड वार्ड चैनल में डूब गये सोने से लदे एक इस्पानी जहाज का सारा साज़ो सामान बाहर निकाल कर लाया था। बयार्दो सां रोमां ने इन सारी अटकलों पर एक मामूली-सा काम करके पर्दा डाल दिया था। वह अपना पूरा परिवार ले आया था।
वे कुल मिला कर चार जने थे: पिता, मां और दो बहनें। वे एक मॉडल टी फोर्ड गाड़ी में पहुंचे। गाड़ी पर सरकारी प्लेटें लगी हुई थीं। दिन के ग्यारह बजे इस गाड़ी के बत्तख की आवाज़ जैसे हॅार्न ने पूरी गली को जगा दिया। उसकी मां अलबेर्ता सिमाण्ड्स कुराफेओ की रहने वाली हट्टी कट्टी संकर नीग्रो औरत थी। वह पापियामेंटों बोली का पुट लिये इस्पानी भाषा बोलती थी। जवानी के दिनों में उसे एंटीलेस नगर की दो सौ सबसे सुंदर औरतों में से सर्वाधिक सुंदर औरत का खिताब दिया गया था। दोनों बहनें, जो जवानी की दहलीज पर कदम रख ही रही थीं, बेचैन बछेड़ियों की तरह थीं। लेकिन सबसे बड़ा आकर्षण पिता थे: जनरल पेत्रोनियो सां रोमां। वे पिछली सदी के गृह युद्ध के हीरो थे। वे कंजर्वेटिव सत्ता के उन प्रमुख गौरवों में से एक थे जिन्होंने तुकुरिंका को मटियामेट कर दिया था और कर्नल ऑरलिएनो को लड़ाई के लिए ललकारा था। अकेली सिर्फ मेरी मां ही ऐसी थी जो यह पता चलने पर कि वह कौन था, उससे मिलने नहीं गयी थी।
“मुझे यह ठीक-ठाक लगता है कि उन दोनों का ब्याह हो जाये,” मेरी मां ने मुझे बताया था, “लेकिन यह एक बात है और यह बात बिलकुल जुदा है कि ऐसे शख्स से हाथ मिलाया जाये जिसने मेरीनेल्डो मार्खेज़ की पीठ पर गोली मारने के आदेश दिये थे।”
जैसे ही जनरल अपनी कार की खिड़की में सफेद हैट हिलाता नज़र आया, सबने उसे, उसकी तस्वीरों की प्रसिद्धि की वजह से पहचान लिया। उसने सफेद रंग का सूती सूट, ऊंचे तस्मों वाले कार्डोवा चमड़े के जूते और सुनहरी फ्रेम वाला चश्मा पहने हुए थे। उसका चश्मा उसकी नाक पर एक बकसूए के सहारे टिका हुआ था और इसी से एक चेन जुड़ी हुई थी जो उसकी वास्केट के बटन होल तक जाती थी। उसने अपनी छाती पर शौर्य के पदक लगा रखे थे और वह एक छड़ी लिये हुए था जिसकी मूठ पर राष्ट्रीय प्रतीक उकेरा हुआ था। गाड़ी में से सबसे पहले वही उतरा था। वह सिर से पाँव तक हमारी खस्ताहाल सड़कों की बदन जलाती धूल से लिथड़ा हुआ था। इसे सिर्फ इतना ही करना था कि चलती गाड़ी के पायदान पर खड़ा हो जाये ताकि हर कोई विश्वास कर ले कि बयार्दो सां रोमां ने जिस किसी को भी चुना है, उससे वह शादी करने जा रहा है।
सिर्फ़ एंजेला विकारियो ही ऐसी थी जो उससे शादी नहीं करना चाहती थी।
“वह मेरे लिए कुछ ज्यादा ही मर्दाना लगता है।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था। बयार्दो सां रोमां ने तो उससे प्रणय निवेदन तक की कोशिश नहीं की थी, लेकिन उसने उसके परिवार वालों को अपने आकर्षण के मोह पाश में बाँध रखा था। एंजेला विकारियो उस रात के आतंक को कभी भूल नहीं पायी जब उसके माता-पिता, उसकी दोनों बहनें और उनके पति बैठक में इकट्ठे हुए थे और उस पर यह फरमान जारी कर दिया गया कि वह एक ऐसे शख्स से शादी करे जिसे उसने ढंग से देखा भाला भी नहीं था। दोनों जुड़वां भाई इस मामले में अलग ही रहे।
“हमें यह लफड़ा औरतों वाली समस्याओं जैसा लगा।” पाब्लो विकारियो ने मुझे बताया था। माता-पिता का निर्णायक तर्क ये था कि गुज़र बसर कर सकने लायक इस इज्ज़तदार परिवार के पास किस्मत के इस पुरस्कार को ठुकरा देने का कोई हक नहीं था। एंजेला विकारियो किसी तरह साहस करके बयार्दो सां रोमां के प्रति प्यार के अभाव से होने वाली असुविधा की ओर संकेत कर पायी थी, लेकिन उसकी मां ने इस डर को एक ही वाक्य कह कर हवा में उड़ा दिया – प्यार सीखा भी तो जा सकता है।
उस समय की सगाइयों के विपरीत, जब सगाई और शादी के बीच वाला लम्बा अंतराल रहता था और जिन पर निगरानी रखी जाती थी, इन दोनों की सगाई और शादी के बीच का अरसा बयार्दो सां रोमां के आग्रह पर मात्र चार महीने का रहा। यह अरसा कम भी नहीं था, क्योंकि पुरा विकारियो की मांग थी कि वे पारिवारिक सोग पूरा होने तक इंतज़ार करें।
लेकिन यह वक्त भी बिना किसी चिंता के इस वजह से गुज़र गया कि बयार्दो सां रोमां ने सारी चीज़ों का इंतज़ाम सम्मोहक तरीके से कर लिया।
“एक बार उसने मुझसे पूछा कि मुझे कौन-सा घर अच्छा लगता है,” एंजेला ने मुझे बताया था, “और मैंने कारण पूछे बिना ही बता दिया था, “शहर में सबसे प्यारा घर तो विधुर जीयस का फार्म हाउस है।” मैं खुद भी उसी घर का नाम लेता। यह घर उस पहाड़ी पर था जहां खूब हवाएं चलती थीं। आप टैरेस पर बैठ कर बैंजनी पवन पुष्पों से ढके दलदल के अंतहीन स्वर्ग का नज़ारा देख सकते थे। साफ़ गर्म दिनों में, वहां से कैरिबिया का साफ़ स्वच्छ क्षितिज और कार्टालेना दे इंडियाज से आने वाले यात्री जहाज साफ़ साफ़ नज़र आते थे। उसी रात बयार्दो सां रोमां सोशल क्लब में गया और डोमिनो के खेल पर हाथ आजमाने के लिए विधुर जीयस की मेज़ पर जा बैठा।
“विधुर महाशय” उसने जीयस से कहा था, “मैं आपका मकान खरीदूंगा।”
“यह बिक्री के लिए नहीं है।” विधुर जीयस ने जवाब दिया।
“मैं इसे मय साज़ो सामान के खरीदूंगा।”
विधुर ने उसे पुराने दिनों की भलमनसाहत के साथ समझाया कि घर के भीतर रखी चीज़ें उसकी बीवी ने पूरी ज़िंदगी त्याग करके जुटायी थीं और वे उसके लिए अभी भी अपनी मरहूम बीवी का हिस्सा ही हैं।
“वह अपने दिल पर हाथ रख कर बात कर रहा था।” मुझे यह बात दियोनिसियो इगुआरां ने बतायी थी जो उस वक्त उनके साथ खेल रहा था, “मुझे यकीन था कि जिस घर में वह तीस बरस से भी ज्यादा से सुखपूर्वक रह रहा था, उसे बेचने के लिए हां करने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया होता।”
बयार्दो सां रोमां को भी उसकी वजहें समझ में आ गयी थीं।
“ठीक है तो फिर, मुझे खाली घर ही बेच दो।” बयार्दो सां रोमां ने कहा था।
लेकिन विधुर खेल के अंत तक अपना बचाव करता रहा था। तीन रातों के बाद एक बार फिर पूरी तरह से चाक चौबंद हो कर बयार्दो सां रोमां डोमिनो की मेज़ पर लौटा।
“विधुर महाशय,” उसने फिर कहना शुरू किया, “घर की कीमत क्या है?”
“इसकी कीमत नहीं लगायी गयी है।”
“आप जो भी कीमत चाहें, बोल कर देखें।”
“मुझे खेद है बयार्दो सां रोमां,” विधुर ने कहा था,“लेकिन तुम जवान लोग दिल की प्रेरणाओं को नहीं समझते हो।”
बयार्दो सां रोमां सोचने तक के लिए नहीं रुका।
“चलो, पाँच हज़ार पीसो ठीक रहेंगे।” उसने कहा।
“तुम इधर उधर की तो हांको नहीं।” जवाब देते समय विधुर का आत्म सम्मान जाग उठा था,“मकान की इतनी कीमत तो कत्तई नहीं है।”
“दस हज़ार” बयार्दो सां रोमां ने कहा,“अभी और इसी वक्त और सारे नोट एक दूसरे के ऊपर रखे हुए।”
विधुर ने उसकी तरफ देखा। उसकी आंखें आंसुओं से भर आयी थीं।
“वह गुस्से के कारण रो रहा था।” यह बात मुझे डॉक्टर दियोनिसियो इगुआरां ने बतायी थी जो फिजिशियन होने के अलावा किस्सागोई भी कर लेता था।
“ज़रा कल्पना करो, दौलत आपके सामने पड़ी हो, और आपको सिर्फ अपनी आत्मा की कमज़ोरी की वजह से ना कहनी पड़े।”
विधुर जीयस की आवाज़ ही नहीं निकली। उसने बिना हिचकिचाहट के सिर्फ सिर हिला कर ना कह दी।
“तब आप मुझ पर एक आखिरी अहसान कीजिये,” बयार्दो सां रोमां ने कहा था, “मेरे लिए यहीं पर पाँच मिनट के लिए इंतज़ार कीजिये।”
सचमुच वह पाँच मिनट के भीतर सोशल क्लब में लौट आया। उसके पास चाँदी मढ़े काठी पर टांगने वाले बैग थे। उसने दस हज़ार पीसो के नोटों के दस बंडल मेज़ पर रख दिये। उन पर अभी भी स्टेट बैंक का छपा हुआ फीता लगा हुआ था। विधुर जीयस दो महीने बाद चल बसा।
“वह इसी वजह से मरा।” डॉक्टर दियोनिसियो इगुआरां ने बताया था, “वह हम सबमें तगड़ा था, लेकिन जब आप उसकी छाती पर स्टैथस्कोप लगा कर उसके दिल की धड़कन सुनते तो आप उसके भीतर आंसुओं को फूटता सुन सकते थे।”
लेकिन उसने न केवल घर के भीतर के सारे सामान के साथ घर को बेच डाला था, उसने बयार्दो सां रोमां से यह भी कहा था कि वह उसे थोड़ी थोड़ी करके रकम देता रहे क्योंकि उसके पास एक खाली बक्सा तक नहीं बचा था जिसमें वह इस सौदे से मिली रकम रख पाता।
कोई यह बात सोच भी नहीं सकता था और न ही किसी ने कहा ही था कि एंजेला विकारियो कुंवारी नहीं थी। उसके किसी पिछले प्रेमी के बारे में कोई नहीं जानता था और वह लोहे की तरह सख्त अपनी मां के कड़े पहरे में अपनी बहनों के साथ बड़ी हुई थी। यहां तक कि जब उसके ब्याह को दो महीने से कम का वक्त बाकी रह गया तो पुरा विकारियो ने उसे बयार्दो सां रोमां के साथ अकेले वह घर देखने भी नहीं जाने दिया था जिसमें वे जा कर रहने वाले थे। उसका अंधा बाप उसके सम्मान की पहरेदारी करने के लिए उसके साथ साथ गया था।
“ईश्वर से मैंने एक ही चीज़ के लिए प्रार्थना की कि वो मुझे इतनी शक्ति दे कि मैं खुद को मार सकूं।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था, “लेकिन ईश्वर ने मुझे यह शक्ति नहीं दी थी।”
वह इतनी अधिक विचलित थी कि उसने तय कर लिया था कि अपने आपको इस शहादत से बचाने के लिए मां को सब कुछ बता देगी। उसकी दो खास सहेलियों ने, जो कपड़े के फूल बनाने में उसकी मदद करती थीं, उसे इस नेकनीयती से रोका।
“मैं आँख मूंद कर उनकी बात मानती रही।” उसने मुझे बताया था,“क्योंकि इन सखियों ने मुझे यकीन दिला दिया था कि वे पुरुषों को झूठा विश्वास दिलाने में माहिर हैं।” उन्होंने उसे यकीन दिला दिया कि अमूमन सभी औरतों का कौमार्य बचपन में ही दुर्घटनाओं की वजह से भंग हो सकता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अड़ियल से अड़ियल पति भी इसके आगे हार मान लेते हैं जब तक किसी को इसके बारे में पता न चले।
आखिरकार,उन्होंने एंजेला विकारियो के दिमाग में यह बात भर दी कि शादी की रात तो अधिकतर मर्द इतने डरे-डरे आते हैं कि औरत के सहयोग के बिना कुछ कर ही नहीं सकते और जब सच्चाई के पल आते हैं तो वे अपनी खुद की कारस्तानियों के बारे में ही जवाब नहीं दे पाते।
“वे सिर्फ एक ही चीज़ पर भरोसा करते हैं। वे चादर देखते हैं।” उन सहेलियों ने उससे कहा था। और उन्होंने उसे बूढ़ी और खूसट बीवियों वाली तरकीब बतायी जिससे वह अपनी खोयी हुई आबरू का स्वांग भर सके ताकि नई नवेली दुल्हन की तरह अपनी शादी की पहली सुबह वह अपने घर के आँगन में खड़े हो कर धूप में अपने कौमार्य भंग होने के दागों वाली सूती चादर दिखला सके।
इसी भ्रम को पाले हुए उसने शादी कर ली। जहां तक बयार्दो सां रोमां का सवाल था, उसने तो अपनी ताकत और किस्मत के भारी भरकम तामझाम के साथ इस गरूर में शादी की होगी कि वह इनसे खुशियां खरीद सकेगा।
जैसे-जैसे उत्सव का माहौल बनता गया, इसे और बड़े पैमाने पर मनाने के उन्मादी ख्याल उसके दिमाग में कुलबुलाने लगे। जब यह बताया गया कि बिशप पधार रहे हैं तो बयार्दो सां रोमां ने अपनी शादी एक दिन पीछे खिसकाने की कोशिश की, ताकि उसकी शादी बिशप के हाथों सम्पन्न हो सके लेकिन एंजेला विकारियो ही इस प्रस्ताव के खिलाफ थी।
“दरअसल,” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था, “बात ये थी कि मैं एक ऐसे आदमी के हाथों अपनी शादी नहीं होने देना चाहती थी जो मुर्गे की सिर्फ कलगी का सूप बनवाने के लिए उन्हें कटवा देता था और बाकी पूरे मुर्गे को कचरे में फेंक देता था।”
इसके बावजूद, बिशप से आशीर्वाद के बिना भी समारोह ने ऐसा रंग जमा लिया था कि उस पर काबू पाना मुश्किल हो गया। सब कुछ बयार्दो सां रोमां के हाथों से छूटता चला गया। इसकी समाप्ति सार्वजनिक उत्सव के रूप में हुई।
जनरल पेत्रोनियो सां रोमां और उनका परिवार, उस वक्त राष्ट्रीय कांग्रेस की उत्सवों वाली नाव में आया था। उनकी यह नाव समारोहों के अंत तक घाट के किनारे लगी रही। उनके साथ कई सम्मानित लोग आये थे जो, नये चेहरों की भगदड़ में खास होने के बावजूद आम भीड़ का हिस्सा बन कर रह गये थे। इतने सारे उपहार लाये गये थे कि बिजली के पुराने पावर प्लांट की भूली बिसरी जगह को फिर से आबाद करना ज़रूरी हो गया ताकि सबसे खूबसूरत उपहारों को प्रदर्शित किया जा सके।
बाकी सारे उपहार तत्काल ही जीयस के पुराने घर में ले जाये गये थे। इस घर को नव दम्पत्ति की अगवानी के लिए पहले ही सजा लिया गया था। दूल्हे को एक ऐसी कार मिली थी जिसे मनचाहे ढंग से खुली या छत वाली बनाया जा सकता था। इस कार पर कंपनी की सील के अलावा गॉथिक लिपि में दूल्हे का नाम लिखा था। दुल्हन को एक अलमारी मिली थी जिसमें चौबीस मेहमानों के लायक शुद्ध सोने का खाने की मेज़ का साज़ो सामान था। वे लोग अपने साथ एक बैले कंपनी और दो वाल्ट्ज ऑरक्रेस्टा लाये थे। उन्होंने स्थानीय बैंड बाजों और ब्रास तथा एर्काडियन बजाने वालों के साथ उत्सवी शोर शराबे के बीच धुनें बजायीं।
विकारियो परिवार ईंट की दीवारों और ताड़पत्री की छत वाले मामूली घर में रहता था। इस पर दो दुछत्त्तियां थीं जहां अबाबीलों ने जनवरी में अंडे दिये थे। घर के सामने की तरफ एक टैरेस था, जो लगभग पूरी तरह से फूलों के गमलों से भरा हुआ था। एक बड़ा सा दालान था जिसमें मुर्गियां खुली घूमती रहती थीं और वहां फलों के दरख्त थे। दालान के पीछे की तरफ जुड़वां भाइयों का सूअर बाड़ा था। एक बड़ा सा पत्थर था जिस पर सूअर काटे जाते थे और एक मेज़ थी जिस पर सूअरों की अंतड़ियां निकाली जाती थीं। जब से पोंसियो विकारियो की आंखों की रौशनी जाती रही थी, यही काम उनकी घरेलू आमदनी का ठीक ठाक ज़रिया था। पेड्रो विकारियो ने कारोबार शुरू किया था लेकिन जब से वह मिलिटरी सेवा में गया, तो दोनों जुड़वां भाइयों ने कसाई का धंधा भी सीख लिया।
घर के भीतर, ढंग से रहने भर के लिए भी सुभीते की जगह नहीं थी। इसलिए बड़ी बहनों ने जब समारोह के आकार का अंदाज़ा लगाया तो उन्होंने एक मकान उधार लेने की कोशिश की।
“जरा कल्पना करो,” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था, “उन्होंने प्लेसिडा लिनेरो के घर के बारे में सोचा था लेकिन खुशकिस्मती से मेरे माता पिता अपने पुराने राग पर ही अड़ गये कि हमारी लड़कियों की शादी तो हमारे सूअर बाड़े में ही होगी या फिर होगी ही नहीं।”
इसलिए उन्होंने घर को उसके पुराने पीले रंग में ही रंगा, दरवाजे ठीक करवाये, फर्श की मरम्मत करवायी और उसे धूमधाम वाली शादी के लायक, जैसा भी बनाया जा सकता था, बनाया। जुड़वां भाई सूअरों को कहीं और लिवा ले गये और सूअर बाड़े को चूने से लीप पोत कर साफ़ कर दिया।
लेकिन इसके बावजूद, यह बात साफ़ थी कि जगह की कमी थी। आखिरकार, बयार्दो सां रोमां की कोशिशों के फलस्वरूप, उन्होंने दालान की फेंस गिरा दी। नाच वगैरह के लिए पड़ोसियों का घर मांगा और इमली के पेड़ों तले खाना खाने और बैठने के लिए बढ़ई वाली मेजें ठुकवा दीं।
सिर्फ एक ही अनहोनी अजीब बात दूल्हे की तरफ से हो गयी थी कि वह एंजेला विकारियो से शादी की सुबह दो घंटे की देरी से पहुंचा था और एंजेला विकारियो ने तब तक दुल्हन के कपड़े पहनने से ही इनकार कर दिया था जब तक वह उसे खुद अपने घर के भीतर न देख ले।
“ज़रा कल्पना करो,” एंजेला विकारियो ने मुझसे कहा था, “अगर वह न भी आता, तो भी मैं खुश रहती, लेकिन तब तो कत्तई नहीं जब वह मुझे दुल्हन के जोड़े में छोड़ कर चला जाता।” एंजेला विकारियो की चिंता वाजिब थी क्योंकि किसी औरत के लिए उसे दुल्हन के जोड़े में छोड़े दिये जाने की ज़लालत से अधिक सरेआम दुर्भाग्य और कुछ नहीं था। दूसरी तरफ, एंजेला विकारियो ने कुंवारी न होने के बावजूद घूँघट निकाला, और गुलाबी कलियां डालीं, इस बात को बाद में पतिव्रता के प्रतीकों को अपवित्र करने के रूप में माना जाता। मेरी मां ही सिर्फ अकेली औरत थी जिसने उस तथ्य की बहादुरी के कारनामे के रूप में तारीफ की कि आखिर उसने आखिरी बाजी लगने तक अपने निशान वाले पत्ते खेले।
“उन दिनों,” मां ने मुझे समझाया था, “भगवान ऐसी चीज़ों को समझता था।” दूसरी तरफ, कोई भी इस बात को नहीं जानता था कि बयार्दो सां रोमां कौन सी चालबाजी कर रहा था। फ्राक कोट और ऊंचे हैट में अंततः प्रकट होने से ले कर जीवन को तूफान से भर देने वाली औरत के साथ नृत्य करने तक वह प्रसन्न चित्त दूल्हे का आदर्श प्रतिरूप नज़र आ रहा था। न ही कोई इस बात को समझ पाया था कि सैंतिएगो नासार कौन से पत्ते खेल रहा था। मैं लगातार उसके साथ बना रहा था। गिरजा घर में, उत्सव में, हमारे साथ क्रिस्तो बेदोया और मेरा भाई लुई एनरिक थे। हम में से किसी को भी उसके तौर तरीकों में बदलाव की रत्ती भर भी झलक नहीं मिली थी। मुझे इस बात को कई बार दोहराना पड़ा था क्योंकि हम चारों स्कूल में एक साथ बड़े हुए थे और बाद में छुट्टियों में हम चारों की ही चांडाल चौकड़ी एक साथ रहती। और कोई इस बात पर विश्वास ही नहीं कर सकता था कि हमारे बीच कोई ऐसा राज़ हो सकता है जो आपस में बांटा न गया हो। वह भी इतना बड़ा राज़!
सैंतिएगो नासार महफिलें सजाता रहता था और अपनी मौत से पहले वाली शाम वह शादी के खर्च का हिसाब लगाते हुए बहुत अच्छा टाइम पास कर रहा था। उसने अनुमान लगाया था कि गिरजा घर में उन्होंने फूलों की जितनी ज्यादा सजावट की थी, उसकी लागत चौदह बेहतरीन अंत्येष्टियों के बराबर थी। हिसाब में इतनी बारीकी मुझे बरसों बाद सालती रहेगी क्योंकि सैंतिएगो नासार अक्सर मुझसे कहा करता था कि नजदीक से फूलों की गंध से उसके लिए मृत्यु से नजदीकी रिश्ता है और उस दिन जब हम गिरजा घर जा रहे थे तो उसने यही बात दोहरायी थी।
“मैं अपने अंतिम संस्कार में कोई फूल नहीं चाहता।” उसने मुझसे कहा था। तब उसने सोचा भी नहीं होगा कि अगले ही रोज़ मैं सचमुच इस बात का ख्याल रखूंगा कि उसके अंतिम संस्कार में कोई फूल न हो। गिरजा घर से विकारियो परिवार के घर की तरफ जाते समय उसने गली की सजावट के लिए लगाये गये बंदनवारों का हिसाब लगाया था। संगीत और आतिशबाजी की कीमत गिनी थी और यहां तक कि जो चावल छितरा कर पार्टी में हमारी अगवानी की गयी थी, उसकी कीमत का भी उसने हिसाब लगाया था।
उनींदी दोपहरी में नव दम्पत्ति ने चौबारे में कुछ चक्कर लगाये थे। बयार्दो सां रोमां हमारा बहुत अच्छा दोस्त बन गया था। कुछ पैगों वाला हमप्याला, जैसाकि उन दिनों कहा जाता था और वह हमारी मेज़ पर बिल्कुल बेतकल्लुफ, सहज लग रहा था। एंजेला विकारियो ने अपना घूँघट और दुल्हन वाला बुके हटा रखा था। पसीने के दागों से भरी साटन की पोशाक में वह अचानक ही शादीशुदा औरत में तब्दील हो गयी थी। सैंतिएगो नासार ने तब हिसाब लगाया था और बयार्दो सां रोमां को बताया था कि अब तक उसकी शादी में कोई नौ हज़ार पीसो खर्च हो चुके हैं। साफ़ साफ़ लग रहा था कि एंजेला विकारियो ने इस बात को बेमौके की बात के रूप में लिया था।
“मेरी मां ने मुझे सिखाया था कि कभी भी दूसरों के सामने रुपये पैसों की बात मत करो।” उसने मुझसे कहा था। दूसरी तरफ, बयार्दो सां रोमां ने इस बात को शिष्टता और कुछ हद तक गर्व से स्वीकार कर लिया था।
“हां, कमोबेश इतना ही,” बयार्दो सां रोमां ने कहा था,“लेकिन अभी तो शुरुआत है। जब सब निपट जायेगा तो यह खर्च दुगुने के आसपास पहुंचेगा।”
सैंतिएगो नासार ने एक प्रस्ताव रखा था कि वह आखिरी दमड़ी तक का हिसाब लगा कर इसे सिद्ध करके दिखायेगा। उसकी ज़िंदगी सचमुच शादी का हिसाब लगाने लायक ही बाकी रही। दरअसल, जब अगले दिन घाट पर सैंतिएगो नासार की मौत से पैंतालीस मिनट पहले क्रिस्तो बेदोया ने उसे शादी के खर्च के सारे ब्योरे दिये थे तो सैंतिएगो नासार ने सिद्ध कर दिया था कि बयार्दो सां रोमां का पूर्वानुमान राई रत्ती सही था।
जब मैंने इस बात का फैसला किया कि मैं दूसरों की याददाश्त के सहारे इस घटनाक्रम को टुकड़ा टुकड़ा जोड़ कर सामने लाऊंगा तो उससे पहले मेरे पास समारोह की बहुत गड्डमड्ड स्मृतियां ही थीं। बरसों तक मेरे घर में लोग इस तथ्य के बारे में बात करते रहे कि मेरे पिता नव दम्पत्ति के सम्मान में अपने लड़कपन के दिनों का वायलिन बजाने गये थे, कि मेरी बहन, जो कि नन थी, ने द्वारपालों का मेरिंग नृत्य किया और कि डॉक्टर दिओनिसियो इगुआरां, जो रिश्ते में मेरी मां का भाई लगता था, ने नव दम्पत्ति के साथ यह व्यवस्था थी कि वे उसे अपने साथ सरकारी नाव में लिये चलेंगे ताकि अगले दिन जब बिशप वहां आये तो वह वहां पर न हो। इस घटनाक्रम की जांच पड़ताल के दौरान मेरे हाथ बीसियों कम महत्व के अनुभव भी लगे। इनमें से मुझे बयार्दो सां रोमां की बहनों की धुंधली सी याद आयी जिन्होंने रेशम की पोशाकें पहन रखी थीं और पीठ पर सुनहरे ब्रोशर की मदद से तितलियों जैसे बड़े बड़े पंख खोंसे हुए थे। वे अपने पिता से भी अधिक आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थीं। उनके पिता ने तुर्रे वाला हैट और बीसियों युद्ध पदक लगा रखे थे। कई लोगों को पता था कि संकोच के भ्रम में मैंने मर्सीडीज बारचा के सामने, उसके प्राइमरी स्कूल से बाहर आते ही, शादी का प्रस्ताव रख दिया था। यह बात उसने खुद ही 14 बरस बाद उस वक्त बतायी थी जब हमने शादी कर ली थी।
सचमुच, मुझे उस अभागे रविवार के जिस दृश्य की याद हमेशा सबसे ज्यादा कोंचती रही है, वह है, दालान के बीचों बीच स्टूल पर पोंसियो विकारियो के अकेले बैठे होने की। उन लोगों ने शायद यह सोच कर उसे वहां बिठा दिया था कि यही सबसे अधिक सम्मानजनक जगह थी। मेहमान थे कि उसके ऊपर ठोकरें खा रहे थे, गलतफहमी में उसे कोई और समझ रहे थे,उसे इधर से उधर खिसका रहे थे ताकि वह बीच रास्ते में न आये। वह अपने बर्फ जैसे बालों वाला सिर चारों दिशाओं में, अभी अभी अंधे हुए आदमी की तरह, अस्थिर चित्त के हाव भावों के साथ हिला रहा था। वह ऐसे सवालों के जवाब दे रहा था जो उससे पूछे नहीं गये थे और उन लोगों की तरफ हाथ हिला रहा था, दुआ सलाम के जवाब दे रहा था जो उससे की ही नहीं गयी थी। वह अपने गाफिलपने के घेरे में खुश था। उसकी कमीज कलफ लगी होने के कारण गत्ते जैसी खड़ी हो रही थी और वह अपने हाथ में हीरकंदारू की लकड़ी की छड़ी थामे हुआ था जो उसके लिए पार्टी के मौके पर लायी गयी थी।
औपचारिक समारोह शाम छ: बजे उस वक्त खत्म हुए जब खास मेहमान, गेस्ट ऑफ आनर चले गये। नाव जब चली तो उसकी सारी बत्तियां जल रही थीं और नाव की पियानो बजाने वाली मशीन वाल्ट्ज की धुनें बजा रही थी। तब एक पल के लिए हम अनिश्चितता के गर्त में डूब गये थे। तभी हमने फिर से एक दूसरे को पहचाना और मेंग्रोव में जा कूदे। नव दम्पत्ति थोड़ी देर के बाद एक खुली कार में आये और बड़ी मुश्किल से भीड़ भाड़ में रास्ता बना सके। बयार्दो सां रोमां ने पटाखे छुड़ाये, भीड़ में से जिसने भी उसकी तरफ बोतलें बढ़ायीं, उनमें से उसने गन्ने की शराब पी। उसने कुम्बियाम्ना नृत्य के घेरे में हिस्सा लेने के लिए एंजेला विकारियो को कार से नीचे उतारा। आखिरकार, उसने हम सब को हिदायत दी कि उसके खर्च पर तब तक नाचते गाते रहें जब तक हमारा जी चाहे और वह अपनी भयातुर बीवी को ले कर अपनी उस ख्वाबगाह में चला गया जहां विधुर जीयस कभी सुखपूर्वक रहा करता था।
भीड़ आधी रात के आसपास तितर बितर हो कर जिस वक्त बिखरी, तब चौराहे पर एक ओर सिर्फ क्लोतिल्दे आर्मेंता की दुकान ही खुली थी। सैंतिएगो नासार, मैं, मेरा छोटा भाई लुई एनरिक और क्रिस्तो बेदोया मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के घर की ओर बढ़ चले। उसका घर “दयालुताओं का घर” कहलाता था। और भी कई लोगों की तरह विकारियो बंधु वहीं जमे हुए थे और हमारे साथ दारू पी रहे थे। वे सैंतिएगो नासार को कत्ल करने से पाँच घंटे पहले तक उसके साथ और हमारे साथ गाते रहे थे।
मूल पार्टी में से कुछ बिखरे अंगारे अभी भी रह गये होंगे क्योंकि बिशप की नाव के पहुंचने से कुछ अरसा पहले तक चारों तरफ से संगीत की लहरियों और दूर कहीं लड़ने झगड़ने की आवाज़ें, उदास, और उदास करने वाली आवाज़ें हम तक पहुंचती रही थीं।
पुरा विकारियो ने मेरी मां को बताया था कि वह शादी के बाद फैले पड़े घर को अपनी बड़ी लड़कियों की मदद से कुछ हद तक सहेजने समेटने के बाद ग्यारह बजे सोने गयी थी। तकरीबन, दस बजे जब चौक पर कुछ पियक्कड़ अभी भी नाच गा रहे थे, एंजेला विकारियो ने अपने बेडरूम की दराज में रखा निजी सामान वाला छोटा सूटकेस मंगवा भेजा था। उसने रोज़ाना पहने जाने वाले कपड़ों का सूटकेस भी मंगवाया था लेकिन संदेसा लाने वाली औरत हड़बड़ी में थी। जब दरवाजा खटखटाने की आवाज़ हुई तो वह गहरी नींद में सो चुकी थी।
“तीन बार धीमे धीमे दरवाजा खटकाया गया था।” उसने मेरी मां को बतलाया था। “लेकिन दरवाजा खटखटाने के अंदाज से ही लग रहा था उसके साथ कोई बुरी खबर जुड़ी हुई है।” उसने मेरी मां को बतलाया था कि उसने बिना बत्ती जलाये दरवाजा खोला था ताकि कोई जाग न जाये। उसने गली की बत्ती की रौशनी में बयार्दो सां रोमां को खड़े देखा था। उसकी रेशमी कमीज़ के बटन खुले हुए थे और शानदार पैंट की इलास्टिक की गैलिस उतरी हुई थी।
“उस वक्त उसकी रंगत सपनों जैसी हरी हो रही थी।” पुरा विकारियो ने मेरी मां को बतलाया था। एंजेला विकारियो अंधेरे में खड़ी थी। वह एंजेला विकारियो को तभी देख पायी थी जब बयार्दो सां रोमां ने उसे बाजू से थाम कर सामने रौशनी में कर दिया था। एंजेला विकारियो की साटन की पोशाक तार तार हो रही थी और उसने खुद को छाती तक तौलिये से ढक रखा था। पुरा विकारियो ने सोचा कि कहीं उनकी कार सड़क से उतर गयी होगी और वे घाटी की तलहटी में अधमरे पड़े रहे होंगे।
“ओ मां,” पुरा विकारियो ने भयातुर हो कर ईश्वर को याद किया था, “मुझे बताओ, तुम दोनों जिंदा तो हो? तुम ठीक से तो हो?”
बयार्दो सां रोमां घर के भीतर नहीं आया था। उसने हौले से सिर्फ अपनी पत्नी को घर के भीतर धकेल दिया था। बिना एक भी शब्द बोले। तब उसने पुरा विकारियो का गाल चूमा और बहुत ही गहरी, उदास आवाज़ में कहा था, “मां, सारी चीज़ों के लिए आभार।” उसने आगे कहा था, “आप संत सरीखी हैं।”
केवल पुरा विकारियो ही जानती थी कि उसने अगले दो घंटों के दौरान क्या किया था। वह इस रहस्य को सीने में ही छुपाये दफन हो गयी।
“मैं सिर्फ एक ही बात याद कर सकती हूं कि उसने एक हाथ से मेरे बाल पकड़े हुए थे और दूसरे हाथ से वह मुझे इतने गुस्से में पीट रही थी कि मुझे लगा, वह मुझे मार ही डालेगी।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था। इसके बावजूद, उसने ये सब इतने गुपचुप तरीके से किया था कि बगल के कमरों में सो रही उसकी बड़ी बेटियों को और पति को सुबह होने तक इस घटना की हवा भी नहीं लगने पायी थी। और उस वक्त तक तो हंगामा हो चुका था।
जुड़वां भाई रात तीन बजे से कुछ ही पहले घर लौटे थे। उन्हें मां ने तुरंत बुलवा भेजा था। उन्होंने देखा कि एंजेला विकारियो ड्राइंग रूम में दीवान के पास सिर नीचे किये बैठी है। उसका चेहरा चोटों के निशानों से भरा हुआ था। लेकिन उसने कराहना बंद कर दिया था।
“अब मुझे कत्तई डर नहीं लग रहा था।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था, “इसके विपरीत मुझे महसूस हुआ कि आखिर मौत का उनींदापन मेरे ऊपर से हटा लिया गया हो। मैं उस वक्त एक ही चीज़ के लिए दुआ कर रही थी कि सब कुछ जल्दी से निपट जाये और मैं धड़ाम से बिस्तर पर गिर कर गहरी नींद ले सकूं।
पैड्रो विकारियो, जो कि दोनों भाइयों में ज्यादा तगड़ा था, ने बहन को कमर से पकड़ कर ऊपर हवा में उठाया और फिर डाइनिंग टेबल पर बिठा दिया।
“ठीक है छोकरी,” गुस्से से कांपते हुए उसने अपनी बहन से पूछा था, “बता हमें वो कौन था?”
एंजेला विकारियो ने सिर्फ इतना ही समय लिया जितना एक नाम पुकारने भर के लिए चाहिये था। नाम के लिए उसने परछाइयों में देखा और उस दुनिया से और दूसरी दुनिया से ढेरों नामों में आसानी से गड्डमड्ड हो वाली भीड़ में जो नाम सबसे पहले सूझा, उस नाम को दीवार पर अपनी अचूक निशानेबाजी से बिना वसीयत वाली किसी तितली की मानिंद, जिसकी सज़ा पहले ही लिखी जा चुकी हो, जड़ दिया,“सैंतिएगो नासार” उसने बताया था।
उस मौत का रोजनामचा : 3
वकील सम्मान की विधिसम्मत रक्षा में की गयी मानव हत्या की धारणा पर डटा रहा था। उसने अदालत में भी इसी धारणा का समर्थन किया था। जुड़वां भाइयों ने ट्रायल के आखिर में यह घोषणा की थी उन्होंने इसी वजह के लिए हज़ार बार भी यही किया होता। अपराध कर लेने के कुछ ही मिनटों के भीतर गिरजा घर में आत्म समर्पण करते ही उन्होंने बचाव की दिशा की तरफ इशारा कर दिया था। वे हांफते हुए चर्च के पैरिश में आ धमके थे और उनके पीछे उत्तेजित अरब लोगों का हुजूम था। दोनों ने फादर एमाडोर की मेज़ पर साफ़ सुथरे फल वाले अपने चाकू रखे। हत्या के जघन्य काम से वे बुरी तरह थक गये थे। उनके कपड़े और उनके बाजू रक्त से सने हुए थे। चेहरे पसीने से और ताजे खून से तर ब तर थे। लेकिन पादरी ने उनके आत्म समर्पण के कार्य को चरम गौरव के रूप में याद किया था।
“हमने सरे आम उसका कत्ल किया।” पैड्रो ने कहा था, “लेकिन हम निर्दोष हैं।”
“शायद ईश्वर के सामने,” फादर एमाडोर ने कहा था।
“ईश्वर के सामने और व्यक्तियों के सामने,” पाब्लो ने जवाब दिया था, “सवाल इज्ज़त का था।”
इसके अलावा, तथ्यों को फिर से जोड़ने में उन्होंने, जो कुछ सच में हुआ था, उसकी तुलना में भयंकर खून खराबे का इस हद तक स्वांग भरा कि प्लेसिडा लिनेरो के घर के सदर दरवाजे पर चाकू के गोदने के इतने निशान बन गये थे कि उसकी मरम्मत करने के लिए सार्वजनिक निधियों के इस्तेमाल की ज़रूरत पड़ गयी थी।
ज़मानत देने की हैसियत न होने की वजह से मुकदमे के इंतज़ार में उन्होंने रिओहाचा के गोल कैदखाने में तीन बरस गुज़ारे थे। पुराने कैदी उन्हें उनके अच्छे चरित्र और मेलजोल के लिए याद करते थे लेकिन उन कैदियों ने इन दोनों में कभी भी पश्चाताप के चिह्न नहीं देखे थे। इसके बावजूद, सच्चाई यही थी कि विकारियो बंधुओं ने बिना कोई अभियोग चलाये और सफाई का मौका दिये बिना ही सैंतिएगो नासार को मार कर कुछ ठीक नहीं किया था, लेकिन उन्होंने जो कुछ भी किया, उसका किसी को अंदाज ही नहीं हो पाया था कि वे उन्हें हत्या करने से रोकते, और अगर रोकते भी तो क्या वे दोनों मानने वाले थे!
जो कुछ उन्होंने मुझे बरसों बाद बतलाया था, उसके अनुसार, उन्होंने शुरुआत सैंतिएगो नासार को मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के डेरे पर ढूंढने से की थी, जहां वे दो बजे तक तो उसके साथ ही रहे थे। इस तथ्य को, अन्य कई बातों की तरह, रिकार्ड में दर्ज नहीं किया गया था। दरअसल, उस वक्त जब विकारियो बंधु उसे खोजते हुए वहां गये, जैसा कि उन्होंने बताया, सैंतिएगो नासार वहां था ही नहीं, क्योंकि हम लोग प्रेम गीतों का एक और दौर पूरा करने की नीयत से वहां से जा चुके थे। लेकिन जो भी हो, यह तय नहीं था कि वे वहां ही थे।
“वे यहां से गये ही नहीं होते,” मारिया एलेक्जेंद्रीना सर्वांतीस ने मुझे बताया था। उसे बहुत अच्छी तरह से जानने की वजह से मैंने कभी उस पर शक नहीं किया। दूसरी तरफ, वे सैंतिएगो नासार का इंतज़ार करने के लिए क्लोतिल्दे आर्मेंता के डेरे पर गये, जहां के बारे में उन्हें पता था कि वहां सैंतिएगो नासार के अलावा हर कोई रुकता था।
“सिर्फ वही जगह खुली हुई थी।” उन्होंने जांचकर्ता के सामने कबूल किया था। “देर सबेर उसे बाहर आना ही था।” निरपराधी ठहराये जाने के बाद उन्होंने मुझे बताया था। इसके बावजूद, सब जानते थे प्लेसिडा लिनेरो के घर के सदर दरवाजे पर भीतर की तरफ हमेशा, यहां तक कि दिन के वक्त भी कुंडी चढ़ी रहती थी, और कि सैंतिएगो नासार अपने पास हमेशा पिछले दरवाजे की चाबियां रखता था। यहीं से वह, घर पहुंचने पर, भीतर गया था। दरअसल विकारियो बंधु परली तरफ, घंटे भर से उसकी राह देख रहे थे, और अगर वह बाद में बिशप की अगवानी करने के लिए चौक की तरफ वाले दरवाजे से निकला तो इस अनहोनी का कारण वह जांचकर्ता अधिकारी भी नहीं लगा पाया था जिसने इस मामले का सार तैयार किया था।
आज तक यहां कोई भी ऐसी मौत नहीं हुई थी, जिसके बारे में पहले से इतना कुछ बता दिया गया हो। जब विकारियो बंधुओं की बहन उन्हें “उसका” नाम बता चुकी तो वे दोनों अपने सूअर बाड़े की संदूकची के पास गये जिसमें काटने पीटने के औजार वगैरह रखते थे। उन्होंने दो सबसे उम्दा चाकू चुने। एक चाकू दस इंच लम्बे और ढाई इंच चौड़े फल वाला - उसे चार टुकड़ों में चीरने के लिए, उसकी बोटियां काटने के लिए। दूसरा चाकू था सात इंच लम्बे और डेढ़ इंच चौड़े फल वाला। उन्होंने ये दोनों चाकू एक पुराने कपड़े में लपेटे और उन पर धार लगवाने के लिए मीट बाज़ार की तरफ चल दिये। वहां अभी कुछेक खोखे ही खुलने शुरू हुए थे। इतनी सुबह वहां बहुत अधिक ग्राहक नहीं थे, लेकिन बाइस आदमियों ने हलफिया बयान दिया था कि उन्होंने उस वक्त कहा गया एक एक शब्द सुना था। उन सबका एक ही ख्याल था कि ये बातें सबको सुनाने के लिए कही गयी थीं। फॉस्तिनो सांतोस, उनके एक कसाई दोस्त ने उन्हें सुबह तीन बीस पर आते हुए देखा था। उस वक्त उसने अपना ठीया लगाया ही था। वह समझ नहीं पाया कि वे सोमवार के दिन अल सुबह, इतनी जल्दी शादी में पहने गहरे रंग के सूटों में ही चले आ रहे थे। वह उन्हें शुक्रवारों के दिन, लेकिन थोड़ा और दिन निकल आने के वक्त देखने का आदी था। तब वे कसाईगिरी वाले अपने चमड़े के लबादे पहने हुए होते थे, “मुझे लगा कि वे इतना ज्यादा पिये हुए थे” फॉस्तिनो सांतोस ने मुझे बताया था,“कि वे न केवल यह भूले हुए थे कि उस समय वक्त क्या हुआ था बल्कि वे दिन भी भूले हुए थे।” फॉस्तिनो सांतोस ने उन्हें याद दिलाया था कि यह सोमवार है।
“सबको पता है बे गंजेड़ी,” पाब्लो विकारियो ने चुहलबाजी करते हुए उसे जवाब दिया था, “हम तो अपने चाकुओं पर धार लगाने आये हैं।”
उन्होंने हमेशा की तरह सान पर अपने चाकुओं पर धार लगायी, पैड्रो ने चाकू थामे हुए थे और उन्हें सान पर आगे पीछे कर रहा था। पाब्लो सान का चक्का चला रहा था। साथ ही साथ वे दूसरे कसाइयों को शादी की शानो शौकत के किस्से सुना रहे थे। कुछेक कसाइयों ने शिकवा भी किया कि उन्हें विकारियो बंधुओं का काम काजी संगी साथी होने के बावजूद केक में से हिस्सा नहीं मिला है। विकारियो बंधुओं ने वादा किया कि उनके लिए वे केक भिजवा देंगे। आखिरकार, उन्होंने अपने चाकू एकदम धारदार बना लिये। पाब्लो ने अपना चाकू लैम्प की बगल में रख लिया। चाकू का स्टील जगमग कर रहा था।
“हम सैंतिएगो नासार को मारने जा रहे हैं।” पाब्लो ने कहा।
अच्छे आदमियों के रूप में उनकी शोहरत इतनी गहरी और अच्छी थी कि किसी ने भी उनकी तरफ तवज्जो नहीं दी।
“हम यही सोचते रहे कि यह शराबियों की बकवास है।” कई कसाइयों ने यह बात कही थी। यही बात विक्टोरिया गुज़मां ने और बाद में उन दोनों को देखने वाले कई लोगों ने कही थी। कुछ अरसे बाद मैं कसाइयों से ये बात पूछने वाला था कि क्या जानवरों को हलाल करते कसाई लोग इतने पत्थर दिल नहीं हो जाते हैं कि इन्सान को मारते समय उनके हाथ तक नहीं कांपें।
उन्होंने इनकार किया: जब आप बछड़े या जवान बैल को मारते हैं तो उसकी आंखों में देखने की आपकी हिम्मत नहीं होती है। उनमें से एक आदमी ने मुझे बताया था कि जिस जानवर को उसने काटा था, वह उसका मांस तक नहीं खा पाया था। एक अन्य आदमी ने मुझे बताया था कि जिस गाय को आपने पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे ही मारने में आपकी आत्मा तड़प उठती है, फिर जिस गाय का आपने दूध पीया हो, उसकी तरफ तो इस नीयत से आँख ही नहीं उठती। मैंने उन्हें याद दिलाया था कि विकारियो बंधु उन्हीं खस्सी सुअरों को काटते थे जिन्हें वे खुद पालते पोसते थे बल्कि वे उनसे इतने अधिक वाकिफ होते थे कि उन्हें नामों से पुकारते थे।
“यह सच है,” उनमें से एक ने कहा था,“लेकिन याद रहे कि उन्होंने सूअरों को फूलों के नाम दे रखे थे न कि आदमियों के।”
फॉस्तिनो सांतोस ही उनमें से ऐसा अकेला आदमी था जिसे पाब्लो की धमकी में सच की झलक नज़र आयी थी और उसने पाब्लो से चुहलबाजी में ही पूछ लिया था कि वे सैंतिएगो नासार को ही क्यों मारना चाहते हैं जबकि वहां कई ऐसे अमीर आदमियों की भरमार है जिन्हें पहले मरना चाहिये था।
“सैंतिएगो नासार जानता है कि उसे क्यों मार रहे हैं।” पाब्लो ने जवाब दिया था।
फॉस्तिनो सांतोस ने मुझे बताया था कि उसे अभी भी शुब्हा हो रहा था और उसने इस लफड़े के बारे में उस पुलिस वाले को बताया था जो थोड़ी ही देर बाद मेयर के नाश्ते के लिए पाव भर कलेजी लेने आया था। मुकदमे के सार संक्षेप में उस पुलिस वाले का नाम लिएंडरो पोर्नोय बताया गया था और वह अगले ही बरस राष्ट्रीय छुट्टियों में एक दुर्घटना में चल बसा था। एक सांड ने उसके गले की नली में सींग घुसेड़ दिया था। इस वजह से मैं कभी उससे बात नहीं कर पाया था लेकिन क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मेरे लिए इस बात की पुष्टि की थी कि उस वक्त जब स्टोर में विकारियो बंधु पहले से बैठे हुए थे और इंतज़ार कर रहे थे, वहां आने वाला पहला शख्स वही पुलिस वाला था।
क्लोतिल्दे आर्मेंता उसी वक्त काउंटर के पीछे अपने पति की जगह बैठने आयी थी। यह उनका रोज़ का नियम था। दुकान में अल सुबह दूध बेचा जाता था। दिन के वक्त वह सौदा सुलुफ की दुकान हो जाती और शाम छ: बजे के बाद वही दुकान बार में तब्दील हो जाती। क्लोतिल्दे आर्मेंता सुबह साढे़ तीन बजे दुकान खोलती। उसका पति, भला आदमी, डॉन रोगेलियो दे ला फ्लोर बार संभालता और बंद होने तक वहीं जमा रहता। लेकिन उस रात, शादी की वजह से कई भूले भटके ग्राहक वहां चले आये थे और इस कारण वह रात तीन बजे दुकान बंद किये बगैर ही सोने चला गया था। क्लोतिल्दे आर्मेंता भी वक्त से पहले तैयार हो कर आ पहुंची थी। वह बिशप के आने से पहले सब कुछ निपटा देना चाहती थी।
विकारियो बंधु चार बज कर दस मिनट पर आये थे। उस वक्त तक खाने की सारी चीज़ें बिक चुकी थीं। फिर भी, क्लोतिल्दे आर्मेंता ने उन्हें गन्ने की शराब बेची। सिर्फ इसलिए नहीं कि वह उनकी बहुत ज्यादा इज्ज़त करती थी बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने मेहरबानी करके उसके लिए शादी के केक में से एक हिस्सा उसके लिए भिजवाया था और इस बात के लिए वह उनकी शुक्रगुज़ार थी। उन्होंने दो लम्बे घूँट में ही पूरी बोतल हलक से नीचे उतार ली थी। इसके बावजूद, वे भाव शून्य बने रहे। “वे हक्के बक्के लग रहे थे।” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मुझे बताया था। उनका रक्तचाप लैम्प जलाने के तेल से भी ऊपर नहीं उठाया जा सकता था। तब उन्होंने कपड़े की अपनी जैकेटें उतारीं और उन्हें सहेज कर कुर्सी की टेक पर लटका दिया। उन्होंने फिर क्लोतिल्दे आर्मेंता से एक बोतल और लाने के लिए कहा। सूख गये पसीने से उनकी कमीज़ें गंदी नज़र आ रही थीं। एक दिन की बढ़ी हुई दाढ़ी से उनके चेहरे जंगलीपन का अहसास करा रहे थे। उन्होंने दूसरी बोतल धीरे-धीरे खत्म की और बीच बीच में वे गली के पार प्लेसिडा लिनेरो के घर की तरफ देख लेते। वहां खिड़कियों में अभी भी अँधेरा था। बाल्कनी में सबसे बड़ी खिड़की सैंतिएगो नासार के कमरे की थी। पैड्रो विकारियो ने क्लोतिल्दे आर्मेंता से पूछा था कि क्या उसने खिड़की में कोई रौशनी देखी थी। क्लोतिल्दे आर्मेंता ने इनकार में सिर हिला दिया था। लेकिन यह उसे अजीब तरह की दिलचस्पी लेने जैसा लगा था।
“क्या उसे कुछ हो हवा गया है?” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने पूछा था।
“नहीं,” पैड्रो विकारियो ने जवाब दिया था, “हम तो सिर्फ उसे मारने के लिए उसकी तलाश कर रहे हैं।”
यह जवाब इतनी सहजता से दिया गया था कि क्लोतिल्दे आर्मेंता यकीन ही नहीं कर पायी कि उसने ठीक ठाक सुना है। लेकिन क्लोतिल्दे आर्मेंता ने देखा कि विकारियो बंधुओं के पास कसाइयों वाले दो चाकू थे जिन्हें उन लोगों ने रसोई के चीथड़ों में लपेट रखा था।
“और क्या कोई शख्स जान सकता है कि आप लोग इतनी अल सुबह उसे क्यों मारना चाहते हैं?” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने पूछा था।
“वही इस बात को जानता है कि हम उसे क्यों मार रहे है।” पैड्रो विकारियो ने जवाब दिया था।
क्लोतिल्दे आर्मेंता ने गंभीर हो कर उन पर अपनी आंखें गड़ायीं, वह उन्हें इतनी अच्छी तरह से जानती थी कि वह उन्हें अलग-अलग पहचान सकती थी। खास कर पैड्रो विकारियो के आर्मी से लौट आने के बाद से।
“वे छोटे बच्चों की तरह लगते थे।” उसने मुझे बताया था, और इस ख्याल ने ही उसे सिहरा दिया था क्योंकि वह हमेशा यही महसूस करती थी कि केवल बच्चे ही सब कुछ करने में समर्थ होते हैं। इसलिए उसने दूध का जग तैयार करने का काम निपटाया और अपने पति को यह बताने के लिए जगाने भीतर गयी कि दुकान में क्या कुछ हो रहा है। डॉन रोगेलियो दे ला फ्लोर ने अधजगे में अपनी बीवी की बात सुनी।
“मूर्खा मत बनो,” पति ने उससे कहा, “ये दोनों किसी को मारने वारने वाले नहीं हैं। किसी अमीर आदमी को तो बिल्कुल नहीं।”
जब क्लोतिल्दे आर्मेंता वापिस लौटी तो जुड़वां भाई ऑफिसर लिएंडरो पोर्नोय से गप्पें लड़ा रहे थे। लिएंडरो पोर्नोय मेयर के लिए दूध लेने आया था। क्लोतिल्दे आर्मेंता सुन नहीं पायी कि वे आपस में क्या बात कर रहे थे। फिर भी, जिस तरीके से वह जाते-जाते चाकुओं की तरफ देख रहा था, उससे क्लोतिल्दे आर्मेंता को लगा, वे दोनों उसे अपनी योजना के बारे में बता रहे होंगे।
कर्नल लाजारो अपोंते, उसी वक्त, चार बजने से कुछ ही पहले जागा था। जब ऑफिसर लिएंडरो पोर्नोय ने उसे विकारियो बंधुओं की मंशा के बारे में बताया तो उसने उसी वक्त अपनी दाढ़ी बनायी थी। उसने एक ही रात पहले दोस्तों के बीच कई झगड़े टंटे निपटाये थे इसलिए वह फिलहाल एक और झगड़ा निपटाने के लिए किसी हड़बड़ी में नहीं था। उसने आराम से कपड़े पहने, कई बार टाई बांधता खोलता रहा, जब तक वह बिल्कुल ठीक नहीं बंध गयी। फिर उसने बिशप की अगवानी के लिए गले में धार्मिक रीति वाला मफलर डाल लिया। जब वह लच्छेदार प्याज का छौंक लगा कर बनायी गयी फ्राइड कलेजी का नाश्ता कर रहा था तो उसकी बीवी ने बहुत उत्तेजना के साथ उसे बताया कि बयार्दो सां रोमां ने एंजेला विकारियो को वापिस उसके घर पहुंचा दिया है। उसने इस खबर को भी ड्रामाई ढंग से ही लिया।
“हे भगवान,” उसने मज़ाक उड़ाया,“बिशप भी क्या सोचेगा।”
जो भी हो, नाश्ता खत्म करते न करते उसे अभी अभी कही गयी अरदली की बात याद आयी। उसने दोनों खबरों को एक साथ जोड़ कर देखा। वह तत्काल इस नतीजे पर पहुंचा कि दोनों खबरें एक दूसरे में पूरी तरह फिट बैठती हैं। तब वह नये घाट की तरफ जाने वाली गली में से होता हुआ चौक पर जा पहुंचा। बिशप की अगवानी के लिए घरों में लोग जागने लगे थे।
“मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि उस वक्त लगभग पाँच बज चुके थे और बरसात शुरू होने को थी।”। कर्नल लाजारो अपोंते ने मुझे बताया था। रास्ते में उसे तीन लोगों ने गुपचुप तरीके से बताया कि विकारियो बंधु सैंतिएगो नासार को मारने के लिए उसकी बाट जोह रहे हैं। लेकिन उनमें से एक ही आदमी उसे वह जगह बता पाया था जहां वे इंतज़ार कर रहे थे।
वे उसे क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर में मिल गये।
“जब मैंने उन्हें देखा तो वे मुझे सिर्फ दो शातिर गप्पी लगे।” कर्नल लाजारो अपोंते ने मुझे निजी तर्क से बताया था।
“वजह यह थी कि मुझे जितनी उम्मीद थी, वे उतनी ही पिये हुए थे।” उसने उन दोनों की मंशा के बारे में पूछताछ तक नहीं की। उसने सिर्फ उनके चाकू ले लिये और उन्हें सोने के लिए घर भेज दिया। ऐसा करते समय उसने उतने ही धैर्य से काम लिया जितने धैर्य से उसने अपनी बीवी की चेतावनी की तरफ ध्यान दिया था।
“ज़रा सोचो तो,” कर्नल ने उन्हें बताया था, “बिशप तुम लोगों को इस हाल में देखेगा तो क्या सोचेगा?”
वे चले गये थे। क्लोतिल्दे आर्मेंता को मेयर के चलताऊ अंदाज से एक और झटका लगा। वह यही मान कर चल रही थी कि जब तक सच्चाई सामने नहीं आ जाती, कर्नल अपोंते को चाहिये था कि दोनों को गिरफ्तार कर लेता। कर्नल अपोंते ने क्लोतिल्दे आर्मेंता को आखिरी तर्क के रूप में चाकू दिखलाये।
“अब उनके पास कुछ नहीं है जिससे किसी का कत्ल कर सकें।” कर्नल अपोंते ने कहा था।
“यह बात नहीं है,” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने कहा था, “होना ये चाहिये था कि उन बेचारे छोकरों को एक खतरनाक जिम्मेवारी से बचाया जाता जो उन पर आन पड़ी थी।”
वजह यह थी कि उसे आभास हो चला था। उसे पक्का यकीन था कि विकारियो बंधु उस सज़ा को पूरा करने, फर्ज निभाने के लिए इतने बेचैन नहीं थे जितने किसी भी ऐसे शख्स की तलाश में बेचैन थे कि कोई आये, और उन्हें इससे रोक कर उन पर अहसान करे। लेकिन कर्नल अपोंते अपनी तरफ से पूरी तरह से निश्चिंत था।
“किसी को सिर्फ शुबहा के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता,” कर्नल अपोंते ने कहा था,“अब बात सिर्फ सैंतिएगो नासार को सावधान करने की है।”
क्लोतिल्दे आर्मेंता को हमेशा याद रहता कि कर्नल अपोंते की थुलथुल आकृति हमेशा उसके मन में दया माया की भावना भरती थी, लेकिन दूसरी तरफ मैंने उसे हमेशा एक खुशमिजाज आदमी के रूप में पाया था। हां, वह थोड़ा बहुत सनकी लगता था। इसकी वजह डाक के जरिये सीखा गया उसका नि:संग रहस्यवाद था।
उस सोमवार उसका व्यवहार उसके मूरखपने का आखिरी सबूत था। सच तो यह था कि उसने उस वक्त तक दोबारा सैंतिएगो नासार के बारे में सोचा तक नहीं था जब तक वह सैंतिएगो नासार से घाट पर नहीं मिला। वहां उसने सही फैसला करने के लिए उसे बधाई तक दे डाली थी।
विकारियो बंधुओं ने दूध लेने के लिए गये बीसियों लोगों को अपनी योजना के बारे में बता दिया था और छ: बजते न बजते यह बात सब लोगों ने चारों तरफ फैला दी थी।
क्लोतिल्दे आर्मेंता को यह बात नामुमकिन सी लग रही थी कि सड़क पार घर में ही इस बात की खबर नहीं थी। उसे नहीं लगता था कि सैंतिएगो नासार वहां पर मौजूद था क्योंकि उसने बेडरूम की बत्ती जलते हुए नहीं देखी थी। वह जिस किसी से भी कह सकती थी, उसने कहा ही था कि अगर वे कहीं सैंतिएगो नासार को देखें तो उसे आगाह कर दें। यहां तक कि उसने ड्यूटी पर आये उस छोकरे के ज़रिये भी फादर एमाडोर के पास संदेशा भिजवाया था जो ननों के लिए दूध खरीदने के लिए आया था। चार बजने के बाद जब उसने प्लेसिडा लिनेरो के घर की रसोई की बत्ती जलती देखी तो उसने भिखारिन के ज़रिये विक्टोरिया गुज़मां के पास आखिरी और ज़रूरी संदेश भिजवाया था। यह भिखारिन बुढ़िया रोज़ सुबह ईश्वर के नाम पर हमेशा पाव भर दूध मांगने आ धमकती थी। जिस समय बिशप की नाव घाट पर लगी, कमोबेश सभी उसकी अगवानी करने के लिए वहां पर मौजूद थे। उनमें से शायद ही कोई ऐसा बंदा रहा होगा जिसे यह न पता हो कि विकारियो बंधु सैंतिएगो नासार का कत्ल करने के इरादे से उसकी राह देख रहे हैं। बात सिर्फ इतनी ही नहीं थी। हर आदमी को कत्ल किये जाने की वजह की बारीक से बारीक बातें भी मालूम थीं।
क्लोतिल्दे आर्मेंता ने अभी तक दूध बेचने का धंधा समेटा ही नहीं था कि विकारियो बंधु अखबारों में लिपटे दो चाकू ले कर फिर आ धमके थे। इनमें से एक चाकू बारह इंच लम्बे और तीन इंच चौड़े जंग लगे फल वाला था जो चीरने के काम आता। इसे पैड्रो विकारियो ने मीनाकारी वाली आरी की धातु से तब जोड़ तोड़ कर बनाया था जब युद्ध की वजह से जर्मन चाकू मिलने बंद हो गये थे। दूसरा चाकू छोटा,लेकिन चौड़े फल वाला था और आगे की तरफ से मुड़ा हुआ था। जांचकर्ता ने इन दोनों चाकुओं के रेखाचित्र शायद यह सोच कर बनवाये थे कि वह उनका हुलिया बयान करने में मुश्किल महसूस कर रहा था। वह इतना ही बता पाया था कि एक चाकू नन्ही, टेढ़े पाल वाली तलवार की तरह लगता था। इन्हीं चाकुओं की मदद से अपराध किया गया था। दोनों ही चाकू रद्दी और जंग खाये हुए थे। इन्हें बहुत ज्यादा इस्तेमाल में लाया जा चुका था।
फॉस्तिनो सांतोस इस बात को समझ नहीं पाया था कि आखिर हुआ क्या था कि “वे दूसरी बार अपने चाकुओं पर धार लगवाने आये थे।” उसने मुझे बताया था,“और एक बार फिर उन्होंने चिल्ला चिल्ला कर सबको सुनाते हुए कहा था कि वे सैंतिएगो नासार की अंतड़ियां बाहर निकालने जा रहे हैं। इसलिए मैं यही समझा कि वे यूं ही लोगों को बुद्धू बना रहे हैं। खासकर इसलिए भी कि मैंने उनके चाकुओं पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी कि मैं उन्हें वही पुराने चाकू मान कर चल रहा था।”
अलबत्ता, इस बार जब क्लोतिल्दे आर्मेंता ने उन्हें दोबारा आते देखा तो उसे महसूस हुआ, इस बार उनमें पहले जैसा पक्का इरादा नज़र नहीं आ रहा था।
दरअसल, उनमें आपस में पहली बार असहमति हो गयी थी। यह तो था ही कि बाहर से उन दोनों में जितना फर्क नज़र आता था, भीतर से वह फर्क कहीं ज्यादा था। एक बात और भी थी कि मुश्किल मौकों पर उनका चरित्र एक दूसरे के विपरीत हो जाता था। हम जो कि उनके यार दोस्त थे, ग्रामर स्कूल के दिनों से यही देखते आ रहे थे। पाब्लो विकारिेयो अपने भाई से छ: मिनट बड़ा था, वह किशोरावस्था के आने तक भाई की तुलना में अधिक कल्पनाशील और निश्चयी रहा। पैड्रो मुझे हमेशा संवेदनशील लगता रहा और इसी नज़रिये से अधिक रौबदाब वाला भी। दोनों ही बीस बरस की उम्र में मिलीटरी सेवा के लिए हाजिर हुए थे। पाब्लो को इस आधार पर क्षमादान मिल गया था कि वह घर पर रह कर परिवार की देखभाल करे। पैड्रो ग्यारह महीने तक पुलिस पैट्रोल में रहा। आर्मी की दिनचर्या ने जो कि मौत के डर से और अधिक कठोर हो गयी थी, उसे कमांड देने और अपने भाई के लिए फैसले करने की आदत को पुख्ता ही किया था। वह अपने साथ सार्जेंट का सुजाक रोग भी लाया था जो डॉक्टर दिओनिसियो इगुआरां के संखिया भरे इंजेक्शनों और लाल दवाई की पुल्टिसों जैसी सैन्य दवाइयों के जानलेवा प्रयोगों से भी दूर नहीं हुआ था। केवल जेल में ही उसका इलाज हो सका।
हम सब, जो भी उसके यार दोस्त थे, यह बात मानते थे कि अचानक ही पाब्लो विकारियो अपने भाई के लौटने के बाद उसी पर निर्भर रहने लगा था। और उसका भाई बैरक रूम की कठोर आत्मा को ले कर लौटा था। जिस किसी पर उसे रौब डालना होता था, उसके सामने अपनी कमीज उठा कर अपनी बायीं कांख पर गोली से हुए घाव का निशान दिखा देता था। अब वह बड़े बड़े लोगों के सुजाक रोग के पक्ष में बोलने लगा था। इस रोग को उसका भाई शौर्य पदक की तरह दिखलाता फिरता था।
पैड्रो विकारियो ने जो घोषणा की थी, उसके अनुसार उसी ने सैंतिएगो नासार को मारने का फैसला किया था और पहले पहल तो उसका भाई वैसा ही करता रहा जैसा उसने कहा। लेकिन जब मेयर ने उनसे उनके चाकू ले लिये तब भी वही यह सोचने के लिए आगे रहा कि ड्यूटी तो पूरी करनी ही है, इसके बाद से पाब्लो ने कमान संभाल ली थी। दोनों में से किसी ने भी दोनों के बीच की आपसी असहमति के बारे में जांचकर्ता को अलग अलग दिये गये बयानों में नहीं बतलाया। लेकिन पाब्लो विकारियो ने कई बार मेरे सामने इस बात की पुष्टि की थी कि पैड्रो को इस संकल्प को पूरा करने के लिए मनाना कोई आसान काम नहीं था। बेशक मामले की तह में कुछ भी न हो, सिर्फ आतंक की तरंग मात्र हो, लेकिन सच्चाई यह थी कि पाब्लो विकारियो दूसरी बार चाकू लेने सूअर बाड़े में अकेला ही गया था और उसका भाई भारी यंत्रणा में था। वह इमली के दरख़्तों के तले खड़ा देर तक पेशाब करने में लगा रहा।
“मेरा भाई कभी नहीं जान पाया, सब कुछ से गुज़रना कैसा था,” पैड्रो ने मुझे इकलौते इंटरव्यू में बताया था,“यह तो कुल्हड़ में मूतने जैसा था।” पाब्लो विकारियो जब चाकू ले कर लौटा तो उसने देखा – पैड्रो पेड़ से लिपटा खड़ा था। “तकलीफ की वजह से उसे ठंडा पसीना छूटने लगा था।” पाब्लो ने बताया था,“और उसने मुझसे कहा था कि जाओ, तुम अकेले ही सब कुछ निपटा कर आओ। मैं किसी को मारने वारने की हालत में नहीं हूं। वह शादी की दावत के लिए पेड़ों के नीचे बनायी गयी एक बेंच पर जा बैठा। यहां तक कि उसने अपना शिश्न पैंट के अंदर करने में आधा घंटा लगा दिया था।” पाब्लो विकारियो ने मुझे बताया था। दरअसल, इसमें पैड्रो विकारियो को दस मिनट भी नहीं लगे थे, लेकिन पाब्लो विकारियो के लिए यह सब कुछ इतना मुश्किल और इतना चक्कर में डाल देने वाला था कि उसे लगा, पैड्रो विकारियो किसी तरह समय बरबाद करने की नयी नयी जुगतें भिड़ा रहा है ताकि सुबह हो जाये। इसलिए उसने चाकू अपने हाथ में रखा और एक तरह से अपने भाई को घसीटता हुआ ले चला – अपनी बहन की अस्मत लूटने वाले की तलाश में।
“इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है।” पाब्लो ने पैड्रो को बताया था,“समझो सब कुछ निपट चुका है।”
वे सूअर बाड़े के गेट से बाहर निकले। हाथों में नंगे चाकू। पीछे, आँगन में कुत्तों के भौंकने की आवाजें। भोर होनी शुरू हो गयी थी। “बरसात नहीं हो रही थी,” पाब्लो ने याद करते हुए कहा था,“इसके विपरीत समुद्री हवा चल रही थी और आकाश में अभी भी उंगलियों पर गिने जा सकने वाले तारे थे।” उन्होंने खबर इतनी अच्छी तरह से चारों तरफ फैला दी थी कि जब वे होर्तेन्सिया बाउते के घर के आगे गुजरे तो उसने हौले से अपना दरवाजा खोला। सैंतिएगो नासार के लिए रोने वाली वह पहली महिला थी, “मुझे लगा, वे पहले ही उसका काम तमाम कर चुके हैं।” होर्तेन्सिया बाउते ने मुझे बताया था,“क्योंकि मैंने गली में रौशनी में उनके हाथों में चाकू देखे और मुझे ऐसा लगा, मानो उनमें से लहू टपक रहा हो।” उस भूली भटकी गली में थोड़े से घरों में से एक और घर खुला था। यह घर था पाब्लो विकारियो की मंगेतर – प्रूडेंसिया कोटेस का। वे जब भी उस वक्त वहां से गुज़रते थे, खास कर बाज़ार जाने के दिन - शुक्रवार को, तो वे कॉफी का पहला प्याला वहीं पीते थे। उन्होंने दालान की तरफ खुलने वाले दरवाजे को धकेल कर खोला। वहां ढेर सारे कुत्ते थे। कुत्तों ने उन्हें भोर के धुंधलके में पहचान लिया। वे दोनों रसोई में पहुंचे और प्रूडेंसिया कोटेस की मां से दुआ सलाम की। कॉफी अभी तैयार नहीं हुई थी।
“इस समय हम ज़रा जल्दी में हैं,” पाब्लो विकारियो ने कहा था,“बाद में पी लेंगे कॉफी।”
“मैं महसूस कर सकती हूं मेरे बच्चो,” मां ने कहा था,“सम्मान इंतज़ार नहीं करता।”
इसके बावजूद वे इंतज़ार करते रहे। तब पैड्रो विकारियो का लगा, उसका भाई यहां जानबूझ कर वक्त बर्बाद कर रहा है। जिस वक्त वे कॉफी पी रहे थे, प्रूडेंसिया कोटेस अपनी भरपूर जवानी की झलक दिखलाती रसोई में आयी। उसके हाथ में कुछ पुराने अखबारों की रद्दी थी जिनसे उसने अँगीठी की आग तेज की।
“मुझे पता था, वे क्या करने जा रहे थे,” उसने मुझे बताया था,“और मैं केवल उनसे सहमत थी, बल्कि मैं तो ऐसे शख्स से शादी ही न करती जो आदमी के करने लायक काम न करता।” रसोई से निकलने से पहले पाब्लो विकारियो ने प्रूडेंसिया कोटेस से कागज की कतरनें लीं और उनमें से एक पैड्रो विकारियो को चाकू लपेटने के लिए दे दी। प्रूडेंसिया कोटेस उन्हें आँगन के दरवाजे तक जाता देखती रही। बिना एक पल के लिए भी हतोत्साहित हुए अगले तीन बरस तक पाब्लो विकारियो की राह देखती रही। तब तक, जब वह जेल से बाहर आया और हमेशा हमेशा के लिए उसका पति बना।
“तुम दोनों अपना अच्छी तरह से ख्याल रखना” उसने दोनों से कहा था।
इसीलिए क्लोतिल्दे आर्मेंता के पास यह मानने के बेहतर कारण थे जब उसे लगा कि विकारियो बंधुओं का संकल्प पहले की तुलना में डगमगाया हुआ था। उसने उन दोनों को रॉटगट रम की बोतल यह सोच की दी कि वे इसे पीकर बुरी तरह नशे में धुत्त हो जायेंगे।
“उस रोज़” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मुझे बताया था,“मुझे लगा, इस दुनिया में हम औरतें कितनी अकेली हैं।” पैड्रो विकारियो ने क्लोतिल्दे आर्मेंता से उसके पति का शेविंग किट उधार मांगा। वह उसके लिए ब्रश, साबुन, लटकाने वाला शीशा और नया ब्लेड डाल कर सेफ्टी रेज़र ले आयी, लेकिन उसने अपने कसाइयों वाले चाकू से ही दाढ़ी बनायी। क्लोतिल्दे आर्मेंता को लगा, यह तो बेवजह मर्दानगी की हद थी। “वह फिल्मों के कातिल की तरह लग रहा था।” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मुझे बताया था। लेकिन जैसा कि पैड्रो विकारियो ने मुझे बाद में बताया था और जो सच भी था कि सेना में उसने उस्तरे से शेव करना सीखा था और तब से वह किसी और सेफ्टी रेज़र से शेव कर ही नहीं सकता था। जहां तक उसके भाई का सवाल था, उसने डॉन रोगेलियो दे ला फ्लोर के मांगे हुए सेफ्टी रेज़र से ढंग से दाढ़ी बनायी।
आखिरकार, उन्होंने चुपचाप, बहुत धीमे धीमे पूरी बोतल खत्म की। इस बीच वे सड़क पार के घर की अंधेरी खिड़कियों की तरफ गावदियों वाली निगाह से देखते रहे और दूध की खरीद करने आये नकली ग्राहक ऐसी चीज़ों के बारे में पूछने के लिए अंदर बाहर होते रहे जो दुकान में मौजूद नहीं थीं। वे तो सिर्फ यही देखना चाहते थे कि क्या सचमुच विकारियो बंधु सैंतिएगो नासार को मारने की नीयत से उसका इंतज़ार कर रहे थे।
विकारियो बंधु खिड़की में बत्ती का जलना नहीं देख पाये। सैंतिएगो नासार चार बज कर बीस मिनट पर घर के भीतर घुसा लेकिन उसे अपने कमरे तक पहुंचने के लिए बत्ती जलाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी थी। सीढ़ियों पर लगा बल्ब रात भर जलता रहता था और उसकी रौशनी बेडरूम तक आती थी। सैंतिएगो नासार कपड़े पहने हुए ही अंधेरे में ही बिस्तर पर पसर गया। उसके पास नींद लेने के लिए सिर्फ एक ही घंटा था। जब विक्टोरिया गुज़मां उसे जगाने के लिए आयी ताकि वह बिशप की अगवानी के लिए जा सके तो उसने सैंतिएगो नासार को इसी हालत में सोये हुए देखा था।
हम मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के यहां तीन बजे के बाद तक तो एक साथ ही थे। मारिया ने खुद ही संगीतकारों को रवाना कर दिया था और नाच घर की बत्तियां बुझा दी थीं ताकि आनंददायिनी मुलैट्टो लड़कियां बिस्तरों पर जा कर घड़ी भर आराम कर सकें। वे बिना रुके पिछले तीन दिन से काम कर रही थीं। पहले गुप्त रूप से, खास मेहमानों के लिए आनंद के पल जुटा रही थीं, फिर अपने दरवाजे हम जैसे लंडूरों के लिए भी खोल दिये। हमारी तसल्ली शादी की धूमधाम से नहीं हो पायी थी। मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस जिसके बारे में हम कहा करते थे कि वह एक ही बार तभी सोने जायेगी जब मरेगी, बेहद सुरुचि सम्पन्न महिला थी। मैंने आज तक उससे अधिक कोमलांगी और काम कला में माहिर दूसरी औरत नहीं देखी थी। लेकिन वह बहुत कठोर भी थी। वह यहीं जनमी और पली बढ़ी हुई थी। वह यहां एक ऐसे घर में रहती थी जिसमें किराये के लिए कई कमरों के दरवाजे खुले रहते थे। नाच घर के लम्बे चौड़े आँगन में परमारिबो कस्बे से लायी गयी चीनी बाजार की तुंबी वाली लालटैनों की रौशनी में लोग नाचते थे। यह वही औरत थी जिसे मेरे सारे हमजोलियों के कौमार्य भंग का श्रेय जाता है। उसने हमें इतना कुछ सिखाया था जो हम कभी न सीख पाते। लेकिन इन सबसे बढ़ कर उसने हमें एक बात सिखायी थी कि ज़िंदगी में खाली बिस्तर से ज्यादा उदास कर देने वाली और कोई जगह नहीं होती।
सैंतिएगो नासार ने जब उसे पहली बार देखा था तो अपने होश खो बैठा था। मैंने तब उसे चेताया था,“कहीं लेने के देने न पड़ जायें।”
लेकिन उसने मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस की मादक अदाओं की चकाचौंध में आकर मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दिया था। वह उसे पागलपन की हद तक प्यार करने लगा था। पन्द्रह बरस की उम्र में ही वह मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के लिए आंसू बहाने लगा था। तभी इब्राहिम नासार ने उसे मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के बिस्तर से कोड़े मार कर बाहर निकाला और उसे एक बरस से भी ज्यादा के लिए रैंच पर बंद करके रखा था। तब से दोनों में गम्भीर अनुराग का रिश्ता चला आ रहा था। इसमें प्रेम की कोई विकृति नहीं थी। मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के मन में सैंतिएगो नासार के प्रति इतना आदर था कि वह सैंतिएगो नासार के मौजूद रहने पर कभी और किसी के साथ हमबिस्तर नहीं हुई। उन पिछली छुट्टियों में हमें वह यह कह कर जल्दी रवाना कर देती थी कि वह थकी हुई है लेकिन वह दरवाजा कड़ी लगाये बिना खुला छोड़ देती थी और हॉल की बत्ती जलती रहने देती थी ताकि में मैं चुपके से उसके पास आ सकूं।
सैंतिएगो भेस बदलने की जादुई कला में महारत रखता था। यह उसका सबसे प्रिय खेल था - मुलैट्टो लड़कियों की पहचान गड्डमड्ड कर देना। वह कुछ लड़कियों की कपड़ों की अलमारी में रखे सारे कपड़ों की लॉटरी जैसी निकालता। नतीजा यह होता कि वे खुद को अपने से अलग महसूस करतीं। वे दूसरी लड़कियों के कपड़े पहन कर दूसरी ही लड़कियां बन जातीं। एक खास मौके पर एक लड़की ने खुद को हू ब हू दूसरी लड़की के भेस में पाया। दोनों में इतनी अधिक समानता थी कि वह आश्चर्य से चीखने लगी थी,“मुझे लगा, मैं शीशे से बाहर आ गयी हूं।” वह बोली थी। लेकिन उस रात मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस ने आखिरी बार सैंतिएगो नासार को भेस बदलने वाली चालबाजियों में शरीक नहीं होने दिया था। मारिया ने ये सब इतने हलके बहाने से किया था कि उसकी याद के कसैलेपन ने सैंतिएगो नासार की ज़िंदगी ही बदल डाली।
इसलिए हम संगीतकारों को प्रेम गीतों के एक और दौर के लिए अपने साथ लिवा ले गये। हम अपनी पार्टी को खुद ही जारी रखे हुए थे और उसी वक्त विकारियो बंधु सैंतिएगो नासार का कत्ल करने के लिए उसकी राह देख रहे थे। यह सैंतिएगो नासार का ही आइडिया था कि उस वक्त, चार बजे के आसपास, विधुर जीयस की पहाड़ी पर चला जाये और नव दम्पत्ति के सम्मान में गीत गाये जायें।
हम न केवल खिड़कियों के तले गीत गाते रहे, बल्कि हमने बगीचे में रॉकेट भी छोड़े, और आतिशबाजी भी की। इसके बावजूद, हम फार्म हाउस के भीतर जीवन के किसी भी लक्षण का अंदाजा नहीं लगा पाये। हमें यह लगा ही नहीं, कि भीतर कोई नहीं है, खासकर, इसलिए भी कि नयी कार अभी भी दरवाजे पर खड़ी थी। उसकी छत अभी भी खुली हुई थी। उस पर साटन के रिबन और मोम का सारा सजावटी सामान ज्यों का त्यों लगा हुआ था। मेरे छोटे भाई लुई एनरिक जो उस समय प्रोफेशनल की तरह से गिटार बजाता था, ने नव दम्पत्ति के सम्मान में एक द्विअर्थी वैवाहिक गीत बना डाला था। उस वक्त तक बरसात भी नहीं हुई थी। इसके विपरीत, ऊपर आसमान में चाँद चमक रहा था, हवा बिल्कुल साफ़ थी और प्रपात की तली में आप कब्रिस्तान से सेंट एल्मो की ज्योत की रौशनी की झिलमिल देख सकते थे। दूसरी तरफ, चाँदनी रात में केले के दरख़्तों के झुंड देखे जा सकते थे। नीचे दलदल नज़र आ रहा था और क्षितिज में कैरिबियाई इलाके की चमकीली लकीर नज़र आती थी। सैंतिएगो नासार ने समुद्र में जलती बुझती रौशनी की तरफ इशारा करके बताया था कि यह एक गुलाम जहाज की यातना पा रही आत्मा थी। यह जहाज कार्टाजेना डे इंडियाज पर मुख्य बंदरगाह पर सेनेगल के गुलामों को ले कर जा रहा था। यह सोचना असंभव नहीं था कि उसकी आत्मा उसे सता रही थी। हालांकि उस वक्त तक वह नहीं जानता था कि एंजेला विकारियो का वैवाहिक जीवन दो घंटे पहले ही समाप्त हो चुका था। बयार्दो सां रोमां उसे उसके मां बाप के घर तक पैदल चला कर ले गया था ताकि मोटर का शोरगुल उसकी बदकिस्मती का ढोल पहले ही न पीट दे। वह वहां से अकेला लौटा था। उसने विधुर जीयस के शानदार फार्म हाउस की बत्तियां भी नहीं जलायी थीं।
जब हम पहाड़ी से नीचे उतरे तो मेरे भाई ने बाजार में एक ढाबे पर तली हुई मछली खाने का न्यौता दिया लेकिन सैंतिएगो नासार इसके लिए राज़ी नहीं हुआ। दरअसल वह बिशप के आने से पहले घंटे भर की नींद लेना चाहता था। वह नदी के किनारे किनारे क्रिस्तो बेदोया के साथ चला गया। रास्ते में सड़क के किनारे किनारे गरीब गुरबों वाले ढाबे खुलने शुरू हो गये थे। मोड़ पर मुड़ने से पहले उसने हमसे अलविदा कहते हुए हाथ हिलाया। यह आखिरी बार था जब हमने उसे देखा था।
क्रिस्तो बेदोया ने सैंतिएगो नासार से उसके घर के पिछवाड़े की तरफ विदाई ली। दोनों ने तय किया था कि वे बाद में घाट पर मिलेंगे। कुत्तों ने जब सैंतिएगो नासार को आते देखा तो वे हमेशा की तरह उस पर भौंके। लेकिन उसने उन्हें धुंधलके में चाबियों का छल्ला बजाने की आवाज़ से शांत कर दिया। जब वह रसोई में से अपने कमरे की तरफ गया तो उस वक्त विक्टोरिया गुज़मां चूल्हे पर रखे कॉफी के बर्तन पर निगाह रखे हुए थी।
“साब जी,” विक्टोरिया गुज़मां ने उसे पुकारा था,“कॉफी थोड़ी देर में तैयार हो जायेगी।”
सैंतिएगो नासार ने उसे बताया था कि वह कॉफी बाद में लेगा। उसने यह भी कहा कि वह साढ़े पाँच बजे से उसे जगाने के लिए दिविना फ्लोर को भेज दे। उसके हाथ वह वैसे ही कपड़े भेजे जैसे उसने उस वक्त पहने रखे थे। सैंतिएगो नासार के बिस्तर पर जाने के पल भर के भीतर ही विक्टोरिया गुज़मां को दूध मांगने वाली भिखारिन के जरिये क्लोतिल्दे आर्मेंता का भेजा संदेश मिला। साढ़े पाँच बजे सैंतिएगो नासार को जगाने की हिदायत का उसने पालन किया लेकिन उसने दिविना फ्लोर को न भेज कर खुद ही साफ़ कपड़ों का जोड़ा लिया और सैंतिएगो नासार को जगाने लगी। वह इस विलासी के पंजों से अपनी छोकरी को बचाये रखने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देती थी।
मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस ने अपने घर के दरवाजे की कुंडी नहीं लगायी थी। मैं अपने भाई से अलग हुआ और वरांडे को पार करके भीतर आ गया। वहां ट्युलिप के फूलों के बीच उन मुलैट्टो लड़कियों की बिल्लियां मुड़ी तुड़ी होकर सो रही थीं। मैं दरवाजा खटखटाये बिना ही बेडरूम के भीतर चला आया। बत्तियां बुझी हुई थीं लेकिन मैं जैसे ही भीतर पहुंचा मेरे नथुनों में एक गर्म औरत के शरीर की गंध भर गयी। मैंने उस अंधेरे में अनिद्रा रोग की मारी मादा तेंदुए की चमकती हुई आंखें देखीं। उसके बाद मुझे अपने तन बदन का होश नहीं रहा। सुबह जब घंटियां बजनी शुरू हुईं तो मैं होश में आया था।
अपने घर की तरफ जाते समय मेरा भाई सिगरेटें खरीदने के इरादे से क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर में गया। वह उस समय इतना पीये हुए था कि उस मुठभेड़ की स्मृतियां उसके लिए हमेशा गड्डमड्ड रहीं, लेकिन वह पैड्रो विकारियो द्वारा ऑफर किये गये घातक ड्रिंक को कभी भूल नहीं पाया,“वह तरल आग की तरह था।” भाई ने मुझे बताया था। पाब्लो विकारियो, जो सो चुका था, मेरे भाई के आने की आहट से जाग गया था। पैड्रो विकारियो ने मेरे भाई को चाकू दिखाया,“हम सैंतिएगो नासार को मारने जा रहे हैं।” उसने मेरे भाई को बताया था।
मेरे भाई को याद नहीं रहा,“लेकिन अगर मुझे याद भी रहता तो मुझे उस पर यकीन नहीं आता।” उसने मुझे कई बार बताया था, “कोई चूतिया ही होगा जो कभी यह सोचे कि वे किसी को मारेंगे, वो भी सूअर काटने वाले चाकू से।” उन्होंने मेरे भाई से सैंतिएगो नासार का अता पता पूछा था क्योंकि उन दोनों ने इन दोनों को एक साथ देखा था। मेरे भाई को याद ही नहीं आ रहा था कि उसने क्या जवाब दिया था। लेकिन जब क्लोतिल्दे आर्मेंता और विकारियो बंधुओं ने उसका जवाब सुना तो वे भौंचके रह गये थे।
उनके अनुसार मेरे भाई ने कहा था, “सैंतिएगो नासार मर चुका है।” इसके बाद उसने धार्मिक रीति से दुआएं दीं, चौखट पर लड़खड़ाया और ठोकरें खाता बाहर निकल गया। चौक के बीचों बीच उसका सामना फादर एमाडोर से हुआ। वह पूजा के परिधान पहने हुए घाट की तरफ जा रहे थे। उनके पीछे पीछे घंटी टुनटुनाता हुआ वेदी सेवक और बिशप की सार्वजनिक प्रार्थना के लिए यज्ञ वेदी उठाये कई सेवक चले जा रहे थे। जब विकारियो बंधुओं ने उन सबको जाते देखा तो वे उनसे आगे निकल गये।
क्लोतिल्दे आर्मेंता ने जब पादरी को अपनी दुकान के आगे से गुज़र कर जाते देखा तो वह आखिरी उम्मीदें भी छोड़ चुकी थी। उसने मुझे बताया था, “मुझे लगा उन्हें मेरा संदेश मिला ही नहीं, इसके बावजूद बरसों बाद फादर एमाडोर ने मेरे सामने स्वीकार किया था कि जिस वक्त वे घाट पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे तो उस वक्त उन्हें क्लोतिल्दे आर्मेंता का और दूसरे जरूरी संदेश मिल गये थे।”
तब फादर उदास, अंधेरे कैलेफॉल रेस्ट होम में दुनिया के तामझाम से दूर, विश्राम कर रहे थे,“सच तो यह है कि मुझे समझ में ही नहीं आया कि मैं क्या करूं।” फादर ने मुझे बताया था,“मेरा पहला विचार तो यही था कि इस सबसे मेरा कोई लेना देना नहीं है। यह तो सिविल अधिकारियों का झमेला है, लेकिन फिर मैंने तय किया कि मैं सरसरी तौर पर प्लेसिडा लिनेरो से कुछ कहूं।” लेकिन इसके बावजूद जब वे चौक से गुज़रे तो इस बाबत पूरी तरह से भूल चुके थे, “तुम्हें इस बात को समझना चाहिये,” उन्होंने मुझसे कहा था,“कि उसी अभागे दिन बिशप का आगमन हो रहा था।” अपराध के वक्त वे इतने हताश हो गये थे और उन्हें खुद पर से इतनी विरक्ति हो गयी थी कि उन्हें कुछ और सूझा ही नहीं तो उन्होंने आग लगने के संकेत का अलार्म बजा दिया।
मेरा भाई लुई एनरिक रसोई के दरवाजे से घर के अंदर गया था। मेरी मां ने वह दरवाजा इसलिए बिन ताला लगाये छोड़ रखा था ताकि हमारे पिता को हमारे आने की आहट न लगे। बिस्तर पर जाने से पहले वह गुसलखाने में गया, लेकिन टायलेट सीट पर बैठे बैठे ही उसे नींद आ गयी। जब मेरा भाई जाइमे स्कूल जाने के लिए उठा तो उसने एनरिक को फर्श पर ही औंधे मुंह लेटा पाया। वह नींद में ही गुनगुना रहा था। मेरी नन बहन, जो बिशप की अगवानी करने के लिए नहीं जा रही थी क्योंकि उसमें अभी भी रात की खुमारी बाकी थी, एनरिक को उठा नहीं पायी थी, “जब मैं गुसलखाने में गयी तो उस वक्त ठीक पाँच बजे थे।” उसने मुझे बताया था। बाद में मेरी दूसरी बहन मार्गोट घाट पर जाने से पहले नहाने के लिए गुसलखाने में गयी तो वह बड़ी मुश्किल से एनरिक को घसीट कर उसके बेडरूम तक ले जा पायी थी। नींद ही नींद में एनरिक ने बिशप की नाव के भोंपू की आवाज़ सुनी थी। वह उठा तक नहीं था। वह पीने पिलाने से बुरी तरह से थका हुआ फिर से गहरी नींद में सो गया था। तभी मेरी नन बहन लपकती हुई, जैसी कि उसकी आदत थी, उसके बेडरूम तक गयी थी और पागलों की तरह रोते चिल्लाते हुए उसे जगाने लगी थी - उन्होंने सैंतिएगो नासार को मार डाला है।
उस मौत का रोजनामचा : 4
डॉक्टर दिओनिसिओ इगुआरां की अनुपस्थिति में फादर कारमैन एमाडोर को जिस कठिन शव परीक्षा के लिए खुद को प्रस्तुत कर देना पड़ा था, उसमें चाकुओं के गोदने से हुए जख्म तो शुरुआत भर थे,“यह ठीक वैसा ही था जैसे उसके मरने के बाद हमने फिर से उसकी हत्या कर दी हो।” बुजुर्ग पादरी ने कैलेफॉल में अपने रिटायरमेंट के दौरान मुझे बताया था,“लेकिन ये मेयर का आदेश था और उस जंगली के आदेश चाहे कितने भी ऊट पटांग हों, मानने ही थे।” यह बात पूरी तरह सच भी नहीं थी। उस मनहूस सोमवार की अफरा तफरी में कर्नल अपोंते ने प्रदेश के गवर्नर के साथ तार संदेश के जरिये तुरंत बात की थी और गवर्नर ने उसे शुरुआती कदम उठाने के लिए अधिकार दे दिये थे। इस बीच वह एक जांचकर्ता मजिस्ट्रेट को रवाना कर रहा था। मेयर एक भूतपूर्व ट्रुप कमांडर था और उसे कानूनी मसलों का जरा भी अनुभव नहीं था। इसके अलावा, वह इतना घमंडी था कि किसी से जा कर यह पूछने का सवाल ही नहीं था कि उसे कहां से शुरुआत करनी चाहिये।
सबसे पहले उसे शव परीक्षा की चिंता लगी। हालांकि क्रिस्तो बेदोया चिकित्सा विज्ञान का विद्यार्थी था, लेकिन उसने सैंतिएगो नासार के साथ अपनी अंतरंग दोस्ती का वास्ता दे कर अपना पल्ला छुड़वा लिया था। मेयर को लगा कि डॉक्टर दिओनिसिओ इगुआरां के वापिस लौटने तक शव को रेफ्रिजेरेटर में रखा जा सकता है लेकिन उसे मानव के आकार का कोई फ्रीजर ही नहीं मिला। जिस फ्रीजर से काम चल सकता था, वह खराब पड़ा था। शव कमरे के बीचों बीच आम जनता के दर्शनों के लिए लोहे की तंग सी खटिया पर रखा हुआ था और लोग बाग उसके लिए अमीरों जैसा ताबूत तैयार करने में जुटे हुए थे। सोने के कमरों में से और पड़ोसियों के घरों से पंखे ले आये गये थे लेकिन शव को देखने के लिए इतने ज्यादा लोग लालायित थे कि फर्नीचर को पीछे धकेलना पड़ा था और परिंदों के पिंजरे और पौधों के गमले उतार कर हटा देने पड़े थे। इसके बावजूद गरमी नाकाबिले बरदाश्त थी। इतना ही नहीं, मौत की गंध से कुत्ते बेचैन हो गये थे।
जब मैं वहां पहुंचा था और सैंतिएगो नासार रसोई घर में पड़ा तड़प रहा था, तब से कुत्ते लगातार किकिया रहे थे। मैंने देखा था कि दिविना फ्लोर खुद जोर जोर की हिचकियां लेते हुए रो रही थी और एक छड़ी की मदद से कुत्तों को परे धकेल रही थी।
“जरा मेरी मदद कीजिये,” वह मुझे देख कर चिल्लायी थी, “ये कुत्ते उसकी अंतड़ियां ही चबा डालना चाहते हैं।”
हमने कुत्तों को अस्तबल में ले जा कर बंद कर दिया था। लिनेरो प्लेसिडा ने बाद में हुक्म दिया था कि अंतिम संस्कार होने तक कुत्तों को कहीं दूर ले जाया जाये। लेकिन दोपहर होने तक पता नहीं कुत्ते उस जगह से छूट कर पागलों की तरह घर में घुस आये थे। उन्हें देखते ही लिनेरो प्लेसिडा अपना आपा खो बैठी थी, “ये जंगली खजैले कुत्ते,” वह चिल्लायी थी,“मार डालो इन्हें।”
तुरंत ही हुक्म की तामील की गयी थी और घर एक बार फिर शांत हो गया था। तब तक शव की हालत को ले कर किसी को चिंता नहीं थी। चेहरा ठीक ठाक बचा रह गया था। चेहरे पर वैसे ही भाव थे जैसे गाते समय होते थे। क्रिस्तो बेदोया ने अंतड़ियां समेटी थीं और उन्हें उनके ठिकाने पर रख दिया था। उसने शव को एक कपड़े में लपेट दिया था। फिर भी दोपहर के आसपास घावों से सिरप के से रंग का एक द्रव बहने लगा था, जिससे मक्खियां भिनभिनाने लगी थीं। उसके ऊपरी होंठ पर एक गुलाबी सा धब्बा उभरा और हौले हौले पानी पर बादल की परछाईं की मानिंद उसके बालों तक फैलता चला गया। उसका चेहरा जो हमेशा खिला खिला और सहज रहा करता था, जैसे बैर भाव से भर गया था। उसकी मां ने उसका चेहरा ढक दिया। कर्नल अपोंते को अब यह बात समझ में आ गयी कि अब वे और अधिक इंतजार नहीं कर सकते। उन्होंने फादर एमाडोर को शव परीक्षा करने का आदेश दिया,“उसे एक हफ्ते बाद कब्र से खोदने से हालत और खराब हो जायेगी।” उन्होंने कहा था। पादरी ने चिकित्सा का अध्ययन सालामांका में किया था लेकिन स्नातक होने से पहले ही अपने गुरुकुल में प्रवेश ले लिया था। मेयर इस बात को जानते थे कि फादर द्वारा की गयी शव परीक्षा की कोई कानूनी हैसियत नहीं होगी। इसके बावजूद मेयर ने पादरी को शव परीक्षा करने के लिए कहा था।
यह शव परीक्षा एक कत्ल था जो पब्लिक में किया गया था। इसमें एक ड्रगिस्ट और फर्स्ट ईयर के एक मेडिकल छात्र की मदद ली गयी थी। छात्र छुट्टियों पर घर आया हुआ था। ड्रगिस्ट ने नोट्स लिये थे। उनके पास छोटी मोटी सर्जरी के काम आने वाले कुछेक उपकरण उपलब्ध थे। बाकी सामान कारीगरों के औजार वगैरह थे। फिर भी उन्होंने शव के साथ जो कुछ बरबादी की, उस सबके बावजूद फादर एमाडोर की रिपोर्ट ठीक ठाक थी और जांचकर्ता अधिकारी ने इसे एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में अपनी टिप्पणी में शामिल किया था।
किये गये कई घावों में से सात घाव घातक पाये गये थे। आगे की तरफ से जो गहरे घाव किये गये थे, उनसे जिगर लगभग दो टुकड़ों में कट गया था। उसके पेट में वार किये गये थे जिसमें से एक घाव इतना गहरा था कि बिल्कुल आर पार चला गया था और उससे अग्नाशय पूरी तरह कट फट गया था। उसकी बड़ी आंत में भी छ: घाव पाये गये थे और छोटी आंत में चाकुओं के वारों की कोई गिनती ही नहीं थी। उसकी पीठ की तरफ से सिर्फ एक ही बार चाकू घुसेड़ा गया था, तीसरी पसली के आसपास जिससे दाहिना गुर्दा छलनी हो गया था। उसके गुदा द्वार में खून के थक्के जमे हुए थे। उसके आमाशय के बीचों बीच वर्जिन ऑफ कारमेल का एक मैडल मिला था। इसे सैंतिएगो नासार ने चार बरस की उम्र में निगल लिया था। सीने की तरफ घावों के दो निशान नज़र आये थे। इनमें से एक घाव दायीं तरफ की दूसरी पसली में था और इससे फेफड़ा चिर गया था। दूसरा घाव बायीं कांख के बिलकुल पास था। उसके हाथों और बाजुओं पर भी घावों के निशान पाये गये थे। दो जख्म आड़े थे। एक जांघ पर और दूसरा उदर की मांसपेशियों पर। दायें हाथ में चाकू काफी गहराई तक घोंपा गया था। रिपोर्ट में बताया गया था: सब कुछ सूली पर चढ़ाये गये यीशु मसीह के क्षत विक्षत शव की तरह लग रहा था। उसका मस्तिष्क किसी सामान्य अंग्रेज की तुलना में साठ ग्राम अधिक पाया गया था और फादर एमाडोर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि उसका जिगर बहुत बढ़ा हुआ था। इसकी वजह उसने यकृत शोथ का नीम हकीमी इलाज बतायी थी, “कहने का मतलब यह है,” उसने मुझे बताया था,“वैसे भी उसकी ज़िंदगी के गिने चुने दिन ही बचे थे।”
डॉक्टर दिओनिसियो इगुआरां, जिसने दरअसल, सैंतिएगो नासार का बारह बरस की उम्र में यकृत शोथ का इलाज किया था, शव परीक्षा को ले कर खासी नाक भौं सिकोड़ रहा था,“कोई पादरी ही इतना जड़ बुद्धि हो सकता है,” उसने मुझे बताया था,“यह बात उसके भेजे में बिठाने का कोई ज़रिया नहीं है कि नौसिखुए इस्पानियों की तुलना में हम उष्ण कटिबंध लोगों का जिगर बड़ा होता है।” रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि मृत्यु सात भीषण घावों में से किसी एक घाव में से अत्यधिक खून बह जाने के कारण हुई है।
उन्होंने हमें एक बिल्कुल दूसरा ही शरीर वापिस किया था। आधा कपाल तो चीरफाड़ से ही बरबाद कर दिया गया था और उसका वह मनमोहक चेहरा जो मौत के बाद भी बचा रह गया था, अब अपनी पहचान खो चुका था। इतना ही नहीं, पादरी ने कटी फटी अंतड़ियों को जड़ से ही खींच कर बाहर निकाल दिया था और आखिर में उसे समझ नहीं आया था कि उनका क्या करे। कुछ भी नहीं सूझा तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए उसने उन्हें कूड़े के ढेर के हवाले कर दिया था। स्कूल की इमारत की खिड़कियों से जो बचे खुचे तमाशबीन ताका झांकी कर रहे थे, उनकी दिलचस्पी बिल्कुल खत्म हो गयी। पादरी का हैल्पर बेहोश हो गया और कर्नल लाजारो अपोंते, जिसने इससे कहीं अधिक वीभत्स कत्लेआम देखे और किये भी थे, हमेशा हमेशा के लिए शाकाहारी बन गया। उसका रुझान आध्यात्मवाद की ओर हो गया।
शरीर का खाली खाली ढांचा जिसमें कटे फटे अंग और चूना ठूंस दिये गये थे, और जिसे बड़ी बेदर्दी से मोटी सुतली और बोरे बंद करने वाली मोटी सुई से किसी तरह से सी दिया गया था, इतनी खस्ता हालत में जा पहुंचा था कि जब हम उसे रेशमी झालरों वाले नये ताबूत में रख रहे थे तो वह शव गिरा पड़ा जा रहा था,“मुझे लगा, इस तरह से इसे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।” फादर एमाडोर ने मुझे बताया था।
जो कुछ हुआ था, इसके ठीक विपरीत था। उसे हमें जल्दबाजी में सांझ ढले दफनाना पड़ा था। वह बेहद खराब हालत में था और उसे घर में रख पाना संभव नहीं रहा था।
बादलों भरा दिन शुरू हो चुका था। यह मंगलवार था। उस भीषण वक्त के बाद मैं सो पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मैं सीधे ही मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस के घर के दरवाजे पर जा पहुंचा था। शायद उसने अब तक बार बंद न किया हो। पेड़ों से लटकते कद्दू के आकार के लैम्प अभी भी जल रहे थे और नाचने गाने वाले आंगन में कई जगह आग जल रही थी। उन पर बड़े बड़े भगौनों में पानी खौल रहा था। मुलैट्टो लड़कियां अपनी पार्टी वाली पोशाकों को मातमी रंग में रंगने का तामझाम करने में लगी हुई थीं। उस प्रभात वेला में मैंने मारिया एलेक्जंद्रीना सर्वांतीस को हमेशा की तरह जगा हुआ पाया। वह हमेशा की तरह बिल्कुल नंगी थी। जब कोई बाहरी आदमी नहीं होता था तो वह ऐसे ही रहा करती थी। वह अपने राजसी पलंग पर किसी तुर्की परी की मानिंद चौकड़ी भरे बैठी थी। चारों ओर खाने पीने की पचासों चीजें बिखरी हुई थीं। गोमांस के कटलेट्स, उबला हुआ चिकन, सूअर के पेट के हिस्से का मांस। इनके अलावा केलों और सब्जियों का इतना बड़ा ढेर कि पाँच आदमी आराम से पेट भर सकते थे। मातम से उबरने का उसके पास एक ही तरीका होता कि भूख से ज्यादा खाओ। लेकिन इस तरह सोग मनाते मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था। मैं कपड़े उतारे बगैर उसकी बगल में जा कर लेट गया। एक भी शब्द बोले बिना। अपने तरीके से सोग मनाते हुए। मैं सैंतिएगो नासार की किस्मत की भीषणता के बारे में सोच रहा था, जिसने न केवल उसकी मौत से बल्कि उसके शरीर के क्षत विक्षत किये जाने से और काट पीट कर बिलकुल ही खत्म कर दिये जाने से उसके जीवन के बीस बरस की खुशियों को समेट लिया था।
मैंने एक ख्वाब देखा कि एक औरत अपनी बाहों में एक नन्ही सी बच्ची को लिये चली जा रही है और बच्ची सांस लेने के लिए रुके बिना चबर चबर चबाये जा रही है। और भुट्टे के अधखाये दाने औरत की ब्रेजरी में गिरे जा रहे हैं। उस औरत ने मुझसे कहा,“ ये लिजलिजे कठफोड़वे की तरह चबाती चुभलाती है।” अचानक मैंने महसूस किया कि बेचैन उंगलियां मेरी कमीज के बटन से खेल रही थी। मैंने प्रेम की उस हिंसक पुजारिन की खतरनाक गंध को महसूस किया। वह मेरी बगल में लेटी हुई थी। मैंने खुद को कोमलता के रेतीले सागर में धंसते महसूस किया। अचानक ही उसके हाथ थम गये। वह छिटक कर मुझसे दूर हो गयी और मेरे जीवन से बाहर हो गयी,“नहीं, मैं नहीं कर सकती,” उसने कहा था, तुममें उसकी गंध आ रही है।”
सिर्फ मैं ही नहीं था जिससे सैंतिएगो नासार की गंध आती थी। उस रोज़ हर आदमी से सैंतिएगो नासार की गंध आती रही थी। विकारियो बंधु उस जेल में उसकी गंध महसूस करते रहे, जहां मेयर ने उन्हें तब तक के लिए सलाखों के पीछे बंद कर रखा था, जब तक वह उनके बारे में कोई फैसला लेने के बारे में सोच सके। “मैंने खुद को साबुन और पुराने कपड़े से रगड़ रगड़ कर धोया, पोंछा, लेकिन मैं उस गंध से मुक्त नहीं हो पाया था।” पैड्रो विकारियो ने मुझे बताया था।
उन्होंने तीन रातें बिना नींद के गुज़ारी थीं लेकिन उन्हें ज़रा सा भी आराम नहीं मिला था। इसका कारण यह था कि जैसे ही वे नींद में जाने को होते, उन्हें लगता, वे बार बार उसी अपराध को दोहरा रहे हैं।
अब, पाब्लो विकारियो, जो कमोबेश बूढ़ा हो चला था, बिना प्रयास के उस अंतहीन दिन के बारे में बताने की कोशिश कर रहा था,“यह सब कुछ दोबारा फिर से जागने की तरह था।” इस वाक्यांश ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जेल में उनके लिए सबसे असहनीय बात उनकी शांति, सहजता रही होगी।
जेल का कमरा दस फुट लम्बा और दस फुट चौड़ा था। उसकी छत ऊंची थी जिसमें से ऊपर की रौशनी आती थी। छत में लोहे की कड़ियां लगी हुई थीं। कमरे में एक पोर्टेबल पाखाना था और हाथ धोने के लिए एक वाशबेसिन था। साथ ही, सुराही, भूसे की चटाई वाले दो कामचलाऊ बिस्तर उसमें लगे थे। कर्नल अपोंते, जिसके आदेश पर यह कमरा बनाया गया था, ने बताया था कि उस इलाके में इससे बेहतर कोई होटल नहीं था जिसमें इन सब मानवीय सुविधाओं का ख्याल रखा गया हो। मेरा भाई लुई एनरिक इससे सहमत था क्योंकि एक रात संगीतकारों के बीच झगड़ा फसाद करने के चक्कर में उन्होंने उसे एक रात के लिए अंदर कर दिया था। मेयर ने उस पर इतनी मेहरबानी ज़रूर की थी कि उसे एक मुलैट्टो लड़की अपने साथ रखने की अनुमति दे दी थी।
शायद सवेरे आठ बजे विकारियो बंधुओं ने भी इसी तरह की बात के बारे में सोचा होगा। उस वक्त वे खुद को अरब लोगों से सुरक्षित महसूस कर रहे थे। तब उन्हें यह अहसास सुकून दे रहा था कि उन्होंने अपनी ड्यूटी पूरी कर ली है। उन्हें सिर्फ एक ही चीज़ लगातार परेशान कर रही थी। वह थी गंध की मौजूदगी। उन्होंने ढेर सारा लॉंड्री वाला साबुन, पुराने चीथड़े वगैरह मंगवाये। उन्होंने अपनी बाहों और चेहरे से रगड़ रगड़ कर खून के दाग़ पोंछे। उन्होंने मल मल कर अपनी रक्त सनी कमीजें धोयीं, लेकिन उन्हें चैन नहीं आया। पैड्रो विकारियो ने पेशाब लाने वाली अपनी दवाइयां और जीवाणुरहित पट्टियां भी मंगवायीं ताकि वह अपनी पट्टियां बदल सके। वह सवेरे के वक्त दो बार ढेर सारा पेशाब करने में सफल रहा। इसके बावजूद, उसके लिए ज़िंदगी इतनी बदतर होती चली जा रही थी कि जैसे जैसे दिन ढलता गया, बदबू दूसरे स्थान पर आ गयी। दोपहर दो बजे के करीब, जब गरमी इतनी अधिक थी कि उन्हें पिघला डालती, पैड्रो विकारियो के लिए बिस्तर पर लेटे रहना दूभर हो गया और यही बेचैनी उसे खड़ा भी नहीं रहने दे रही थी। दर्द उसके पेढू़ से चढ़ते चढ़ते गले तक आ पहुंचा था। उसका पेशाब रुक गया था और इसे इस भय ने, इतनी मजबूती से, पक्के तौर पर जकड़ लिया था कि वह दोबारा पूरी ज़िंदगी कभी सो नहीं पायेगा। “मैं ग्यारह महीने तक जागता रहा था,” उसने मुझे बताया था। मैं उसे इतनी अच्छी तरह से तो जानता था कि मान सकूं – वह झूठ नहीं बोल रहा था। वह कुछ भी खा नहीं सका था। दूसरी ओर, पाब्लो विकारियो ने, जो कुछ भी उसके सामने लाया गया, उसमें से थोड़ा बहुत चख भर लिया। उसे खाना खाये पन्द्रह मिनट भी नहीं बीते थे कि वह घातक हैजे का शिकार हो गया। शाम को छ: बजे, जब वे लोग सैंतिएगो नासार के शव की चीरा फाड़ी में लगे हुए थे, मेयर को बुलावा भेजा गया। पैड्रो विकारियो को पक्का यकीन हो चला था कि उसके भाई को ज़हर दिया गया है। “वह मेरी नज़रों के सामने जैसे पानी में बदलता चला जा रहा था।” पैड्रो विकारियो ने मुझे बताया था। “और हम इस ख्याल से मुक्त ही नहीं हो पा रहे थे कि इसके पीछे तुर्कों की कोई चाल हो सकती है।” उस समय तक वह दो बार पोर्टेबल लैट्रिन को पूरी तरह भर चुका था। इतना ही नहीं, जो गार्ड उनकी निगरानी कर रहा था, छः बार उसे टाउन हाल के पाखाने तक ले कर गया था। वहां उसे कर्नल अपोंते ने देखा था। बिना दरवाजे के पाखाने में बैठे हुए उस पाखाने के बाहर गार्ड पहरा दे रहा था। पाब्लो विकारियो के दस्त इतने पतले और पानीदार थे कि उनके लिए भी ज़हर दिये जाने के बारे में सोचना बहुत गलत नहीं लगा था। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि पाब्लो ने सिर्फ पानी पीया था और पुरा विकारियो द्वारा भिजवाया गया खाना ही खाया था तो उन्होंने ज़हर दिये जाने की बात मन से निकाल दी थी। इसके बावजूद, मेयर इतना अधिक प्रभावित हो गया था कि उन्हें एक विशेष गार्ड की निगरानी में अपने घर लिवा ले गया था और जब जांचकर्ता जज आया तभी उन्हें रियोहाचा की गोलाकार जेल में भिजवाया गया था।
जुड़वा भाइयों का डर गली मुहल्लों के मूड की प्रतिक्रिया की वजह से था। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता था कि अरब बदला लेंगे, लेकिन ज़हर दिये जाने की बात विकारियो बंधुओं के अलावा और किसी के भी दिमाग में नहीं आयी थी। इसके बजाये, यह माना जा रहा था कि वे शायद रात होने का इंतज़ार करें और पैट्रोल छिड़क कर कैदियों को जेल के भीतर ही जला कर मार डालने की तरकीब भिड़ायें। अरब लोगों का समुदाय शांतिप्रिय आप्रवासियों का समुदाय माना जाता था। वे लोग शताब्दी के शुरू शुरू में कैरिबियाई शहरों में, गरीब और दूर दराज के इलाकों में आ कर बस गये थे। वे हमेशा रंगीन कपड़ा और बाजारू खिलौने, गहने वगैरह बेचने के धंधे से ही जुड़े रहे थे। वे फिरका परस्त, मेहनतकश और धर्म भीरु कैथोलिक लोग थे। वे आपस में ही शादी-ब्याह रचा लेते थे, अपनी गेहूँ का निर्यात करते थे, अपने दालानों में भेड़ बकरियां पालते थे और ओर्गेनो तथा बैंगन के पौधे उगाते थे। ताश की बाजियां लगाना ही उनका प्रिय शगल था। बूढ़े बुर्जुग अरब अपने वतन से साथ लायी गवारूं अरबी भाषा ही बोलते आये थे और अपनी भाषा को उन्होंने अपने घर-परिवारों में दूसरी पीढ़ी तक ज्यों का त्यों बचाये रखा था। लेकिन तीसरी पीढ़ी के अरब, सैंतिएगो नासार के अपवाद के साथ, अपने माता-पिता से अरबी भाषा सुनते थे और उन्हें इस्पानी भाषा में जवाब देते थे। इसलिए इस बात को मानने का कोई आधार नहीं था कि वे अचानक ही अपनी देहाती भावनाएं बदल देंगे और एक ऐसी मौत का बदला लेंगे, जिसके लिए हम सबको दोषी ठहराया जा सकता था।
दूसरी तरफ, किसी को भी प्लेसिडा लिनेरो के परिवार की तरफ से बदला लिए जाने का ख्याल नहीं आया था। उनके परिवार में किस्मत के दगा दे जाने से पहले दो पेशेवर कातिल हुए थे, जिन पर परिवार की प्रसिद्धि के कारण कभी किसी ने उंगली नहीं उठायी थी।
अफवाहों की वजह से चिंतातुर हो आये कर्नल अपोंते ने अरबों के एक-एक घर जाकर हाजिरी बजायी और कम से कम, उस वक्त सही निष्कर्ष निकाला। कर्नल ने उन्हें हैरान-परेशान और उदास पाया। उनकी बलि वेदी पर मातम के चिह्न थे। उनमें से कुछेक जमीन पर बैठे स्यापा कर रहे थे। किसी के भी मन में बदले जैसी भावना नहीं थी। उस सुबह अपराध की गरमी से जो प्रतिक्रिया उपजी थी, उसके बारे में लीडरों का मानना था कि किसी भी हालत में यह मार-पीट से आगे नहीं जा सकती थी। इसके अलावा सौ बरस की वृद्धा मुखिया सुसान अब्दाला ने कृष्ण कमल और चिरायते का आसव पिला कर पैब्लो विकारियो का मामूली हैजा और उसके भाई का मूत्र रोग ठीक कर दिया था।
इसके बाद, पैड्रो विकारियो अनिद्रा रोगी वाली ऊँघ में उतरता चला गया था और उसका भाई, चंगा हो कर बिना किसी संताप के अपनी पहली नींद ले सका था। मंगलवार की सुबह जब मेयर पुरीसीमा विकारियो को उनके पास अलविदा कहने के लिए लेकर आया था तो उसने उन्हें इसी हालत में देखा था।
उस मौत का रोजनामचा : 5
कर्नल अपोंते के आग्रह पर पूरा परिवार, यहां तक कि उसकी बड़ी बहनें और उनके पति भी चले गये थे। वे जब गये तो किसी को कानों कान खबर नहीं हुई। यह एक तरह से सार्वजनिक निष्कासन था। जबकि उस अभागे दिन के बाकी बच रहे हम लोग सैंतिएगो नासार को दफनाने के लिए जगे हुए थे। मेयर के फैसले के अनुसार वे लोगों के शांत होने तक के लिए गये थे लेकिन वे फिर कभी वापिस लौट कर नहीं आये। पुरा विकारियो ने अपनी ठुकरायी हुई छोकरी का चेहरा एक दुपट्टे से लपेट कर ढक दिया था ताकि कोई भी उसकी खरोंचों, चोटों के निशानों को न देख सके। पुरा विकारियो ने अपनी लड़की को सुर्ख लाल जोड़ा पहना दिया था ताकि किसी को यह गुमान तक न हो सके कि वह अपने गुप्त प्रेमी का सोग मना रही है। जेल से जाने से पहले पुरा विकारियो ने फादर एमाडोर से कहा था कि जेल में उसके बेटों से अपराध स्वीकार करवा लें लेकिन पैड्रो विकारियो ने इनकार कर दिया और अपने भाई को भी यकीन दिला दिया कि उन्होंने कुछ भी तो ऐसा नहीं किया जिसका पछतावा करें। वे अकेले ही रहे और जिस दिन उन्हें रियोहाचा ले जाया जाना था, वे इतना अधिक उबर चुके थे और उन्हें इतना अधिक यकीन हो चला था कि अपने परिवार की तरह अंधेरी रात में ले जाये जाने के लिए राजी ही नहीं हुए। वे दिन की रौशनी में और सबको अपना चेहरा दिखाते हुए ले जाया जाना चाहते थे। पोंसियो विकारियो, उनका पिता कुछ अरसे बाद गुजर गया था। “उसकी आत्मा का बोझ उसे लिवा ले गया।” एंजेला विकारियो ने मुझे बताया था।
जिस वक्त जुड़वां भाइयों को दोष मुक्त किया गया तो वे रियोहाचा में ही बने रहे। रियोहाचा मनाउरे से सिर्फ एक दिन की दूरी पर था। उनका परिवार उस वक्त वहीं रह रहा था। प्रूडेंसिया कोटेस पाब्लो विकारियो से विवाह करने के लिए वहां गयी थी। उसने वहां पाब्लो विकारियो के पिता की दुकान पर सोने-चांदी का काम सीख लिया था और बेहतरीन सुनार बन गयी थी। पैड्रो विकारियो जिसके हिस्से में न तो प्यार था और न ही काम धंधा, तीन बरस बाद फिर से फौज में जाकर भर्ती हो गया था। उसे वहां पहली बार सार्जेंट का खिताब मिला। एक सुहावनी सुबह उनकी टुकड़ी गुरिल्ला इलाकों में गाती बजाती गयी और फिर उसके बाद उसके बारे में कभी कुछ सुनायी नहीं दिया।
अधिकतर लोगों के लिए वहां केवल एक ही शिकार था। बयार्दो सां रोमां। सभी लोग यह मान कर चल रहे थे कि इस हादसे के दूसरे नायक मान सम्मान के साथ अपने हिस्से के सुख-दुख भोग रहे थे। यहां तक कि उनकी ज़िंदगी ने उन्हें जो किस्मत की रंगीनियां दी थीं, उन्हें वे खास शानो-शौकत के साथ जी रहे थे। सैंतिएगो नासार ने अपमान की कीमत चुका दी थी। विकारियो बंधु मर्द के रूप में अपनी हैसियत सिद्ध कर चुके थे और छोड़ी गयी बहन एक बार फिर से अपने सम्मान की मालकिन थी। एक बेचारा बयार्दो सां रोमां ही था जो अपना सब कुछ गंवा चुका था। उसे बरसों तक “बेचारा बयार्दो” के रूप में ही याद किया जाता रहा। इसके बावजूद अगले शनिवार, जब चन्द्र ग्रहण पड़ा, तब तक किसी को उसका ख्याल ही नहीं आया। उस दिन विधुर जीयस ने मेयर को बताया था कि उसने अपने पुराने घर के ऊपर एक सत रंगी चिड़िया को मंडराते देखा है। हो न हो, यह उसकी मरहूम बीवी की आत्मा रही होगी। वह अपना घर वापिस मांगने के लिए ही मंडरा रही होगी। मेयर ने अपनी भौं खुजलायी। इसका जीयस के देखे सपने से कुछ भी लेना देना नहीं था।
“छी:” वह चिल्लाया, “मैं तो उस गरीब बेचारी को भूल ही चुका था।”
वह अपनी टुकड़ी लेकर पहाड़ी पर गया। वहां फार्म हाउस के आगे कार अभी भी खड़ी हुई थी। उसकी छत हटायी हुई थी। उसने बेडरूम में एकमात्र बत्ती जलती देखी, लेकिन उसके दरवाजा खटखटाने का किसी ने भी जवाब नहीं दिया। मजबूरन, उन्होंने बगल की तरफ का दरवाजा तोड़ डाला और कमरों की तलाशी ली। कमरों में चन्द्र ग्रहण की गुलाबी रोशनी फैली हुई थी।
“ऐसा लग रहा था, सारी चीज़ें पानी के नीचे हैं।” मेयर ने मुझे बताया था। बयार्दो सां रोमां अपने बिस्तर पर बेहोश पड़ा था। वह वैसा ही पड़ा था, जैसा उसे मंगलवार की सुबह देखा था। पैंट और रेशमी कमीज में। सिर्फ उसके पैरो में जूते नहीं थे इस वक्त। फर्श पर चारों तरफ खाली बोतलें बिखरी पड़ी थीं। बिस्तर के पास कुछ बिना खुली बोतलें भी रखी थीं, लेकिन खाने का कहीं नामो-निशान नहीं था। “वह शराब के नशे की आखिरी पायदान पर था।” उसका तत्काल इलाज करने वाले डॉक्टर दिओनिसियो इगुआरां ने मुझे बताया था। लेकिन जैसे ही उसका दिमाग साफ़ हुआ, वह कुछ ही घंटों में एकदम भला चंगा हो गया। जैसे ही उसके दिमाग की धुंध छटी, उसने सबको हाथ जोड़ कर दरवाजे से बाहर कर दिया।
“मुझसे कोई भी पंगे नहीं लेता,” वह गुर्राया था,“यहाँ तक कि मेरा बाप भी, जो लड़ाई के आदिम ज़माने के तमगे लटकाये फिरता है।”
मेयर ने जनरल पेत्रोनियो सां रोमां को एक तार भेज कर पूरे मामले की बारीक से बारीक तफसील यहां तक कि उसका कहा गया आखिरी जुमला भी लिख भेजा था। यह तार चौंकाने वाला था। जनरल पेत्रोनियो सां रोमां ने ज़रूर ही अपने बेटे की इच्छाओं का शब्दशः मान रखा होगा, इसलिए वह अपने बेटे के लिये नहीं आया था। उसने अपनी लड़कियों और अधेड़ सी दिखती दो औरतों, जो निश्चय ही उसकी बहनें रही होंगी, के साथ अपनी बीवी को रवाना कर दिया था। वे सामान ढोने वाली एक किश्ती में आयी थीं। उन्होंने बयार्दो सां रोमां की बदकिस्मती का मातम मनाने के लिये गले गले तक मातमी कपड़े पहने हुए थे। दुख की वजह से उनके बाल अस्त-व्यस्त हुए जा रहे थे। ज़मीन पर पांव रखने से पहले उन्होंने अपने अपने जूते उतार दिये और दोपहर की तपती धूप में धूल-धक्कड़ से होती हुईं वे नंगे पैर गली से पहाड़ी की तलहटी तक अपने बाल नोचतीं, इतनी ज़ोर से छाती कूटते हुए, स्यापा करते हुए गयीं कि उनकी चीखें सुन कर पता नहीं लगाया जा सकता था कि ये गला फाड़ आवाज़ें कहीं खुशी की तो नहीं। मैं माग्दालेना ओलिवर की बाल्कनी में खड़ा उन्हें जाता देखता रहा।
मुझे याद है कि मैं यही सोच रहा था कि इस तरह की व्यथा दूसरी तरह की शर्मिन्दगियों को छिपाने के लिये ही प्रदर्शित की जा सकती है।
कर्नल अपोंते पहाड़ी पर बने घर तक उनके साथ साथ गये और तब डॉक्टर दिओनिसिओ इगुआरां मौके-बे-मौके के लिये रखे गये खच्चर पर सवार होकर वहां गये। तब सूरज डूबने को था। नगर परिषद के दो आदमी बयार्दो सां रोमां को एक हिंडोले की रस्सियों में बल्ली डालकर डोली सी बनाकर उसमें डाल कर ला रहे थे। उसने गले तक कंबल लपेटा हुआ था। स्यापा करती औरतों के हुजूम में उसे लाया गया था। माग्दालेना ओलिवर को लगा - वह मर चुका है।
“यह तो शोक का पहाड़ है।” वह चीख चिल्ला रही थी,“सब कुछ लुट गया। हम तबाह हो गये।”
वह फिर से शराब की वजह से पस्त था, लेकिन यह यकीन करना मुश्किल था कि वे एक ज़िंदा आदमी को लिये जा रहे हैं क्योंकि उसकी एक बांह नीचे घिसटती हुई चल रही थी। ज्योंही उसकी मां उसकी बांह को उठाकर हैमाक पर रखती, बांह फिर से नीचे झूल जाती। उसकी झूलती बांह से पहाड़ी लॉन के सिरे से नाव के डेक तक ज़मीन पर एक लकीर सी बनती चली गयी। सिर्फ़ उसकी यही लकीर हमारे लिये बची रह गई थी: एक अभागे भुक्तभोगी की याद।
वे फार्म हाउस को ज्यों का त्यों छोड़कर चले गये थे। जब भी मेरे भाई और मैं छुट्टियों पर होते तो हम रात के वक्त घर की तलाशी लिया करते। हर बार हमें उन छोड़ दिये गये कमरों में और कम कीमती चीज़ें नज़र आतीं। एक बार हमने वह छोटा बटुआ खोज निकाला था जिसे एंजेला विकारियो ने अपनी सुहागरात के लिये मां से मंगवा भेजा था, लेकिन हमने उसकी ओर ज्यादा तवज्जो नहीं दी। उस बटुए के अंदर सफाई और सौंदर्य के लिये आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जनाना चीज़ें ही मिली थीं, लेकिन उनका असली इस्तेमाल क्या था, यह यह मुझे एंजेला विकारियो ने कई साल बाद बताया था। उसने कहा था कि ये वो सारा बुढ़ियाओं वाला तामझाम था जो उसे अपने मरद को उल्लू बनाने के लिये इस्तेमाल करने की हिदायत के साथ दिया गया था। सिर्फ़ यही वह इकलौती चीज़ थी जो उसने अपने पांच घंटे के विवाहित जीवन वाले घर में अपने पीछे छोड़ी थी।
बरसों बाद जब मैं इस रोजनामचे के वास्ते सच जानने के लिये आख़िरी सूत्र तलाशने के लिये आया था तो योलान्डा जीयस की खुशी की आख़िरी चिंगारी भी बाकी नहीं रही थी। कर्नल लाजारो अपोंते की होशियार निगरानी के बावजूद चीज़ें धीरे-धीरे ग़ायब होती चली गयी थीं। यहां तक कि छ: शीशे जड़ी वह अलमारी भी गायब हो गयी थी जिसे मॉमपाक्स के बेहतरीन कारीगरों ने घर के भीतर ही इसलिये बनवाया था क्योंकि उसे दरवाज़े के रास्ते अंदर नहीं लाया जा सकता था। शुरू शुरू में विधुर जीयस बहुत खुश हुआ था कि ये सारी मृत्यु के बाद की चालें उसकी बीवी की थीं ताकि जो कुछ उसका था, वह उसे वापिस पा सके। कर्नल लाजारो अपोंते उसका मज़ाक उड़ाया करता। लेकिन एक रात उसे ऐसा लगा कि सारे रहस्य से पर्दा उठाने के लिये एक आध्यात्मिक अनुष्ठान किया जाये। योलांडा जीयस की आत्मा ने खुद अपनी लिखावट में इस बात की पुष्टि कर दी कि वह ही अपनी मौत वाले घर के लिये खुशियों के टीम टाम जुटा रही थी। मकान ढहना शुरू हो गया था। शादी की कार के अंजर-पंजर ढीले होने लगे थे। वक्त के साथ साथ मौसमों की मार खाये उसके टूटे-फूटे ढांचे के अलावा कुछ भी बाकी नहीं रहा। फिर कई बरस तक उसके मालिक के बारे में कुछ भी नहीं सुना गया।
उसने संक्षेप में एक घोषणा कर दी थी, लेकिन यह घोषणा इतनी छोटी और परंपरागत किस्म की थी कि लगता था जैसे आख़िरी वक्त खाना पूरी करने की नियत से दो लाइनें घसीट दी गयी हों। मैंने उससे तेईस बरस के बाद सिर्फ़ एक ही बार बात करने की कोशिश की थी लेकिन वह मुझसे ख़ासे आक्रामक ढंग से मिला था। उसने इस पूरे ड्रामे में अपनी हिस्सेदारी के बारे में रत्ती भर भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था। जो भी हो, हम उसके बारे में जितना जानते थे, उसका परिवार भी उससे ज्यादा कुछ नहीं जानता था। उन्हें भी रत्ती भर भी गुमान नहीं था कि वह आखिर इस शहर में करने ही क्या आया था, सिवाय इस अकेले मक़सद के कि एक ऐसी औरत से शादी कर सके, जिसे उसने कभी पहले देखा तक नहीं था।
दूसरी तरफ, मुझे एंजेला विकारियो की नियमित ख़बरें लगातार मिलती रहीं जिससे मैं एक आदर्श छवि की प्रेरणा पाता रहा। मेरी नन बहन पिछले कुछ अरसे से आखिरी मूर्तिपूजकों का धर्म परिवर्तन कराने की नियत से अपर गुआज़िरा जाया करती थी और वह अक्सर उसके गांव में गप्प बाजी करने के लिए रुक जाया करती। कैरिबियाई नमक से तपते इस गांव में उसकी मां ने उसे जिंदा दफ़न करने की कोशिश की थी। “तुम्हारी कजिन की तरफ से आदाब।” वह हमेशा मुझसे कहा करती। मेरी बहन मार्गोट, जो शुरू-शुरू के बरसों में उसके पास जाया करती थी, ने मुझे बताया था कि उसने एक बहुत बड़े आंगन वाला हवादार और मजबूत मकान खरीद लिया था। इस घर में सिर्फ एक ही दिक्कत थी कि ज्वार की रातों में गुसलखानों में पानी भर जाता और सवेरे सोने के कमरों में मछलियां छटपटाती नज़र आतीं। उस वक्त के दौरान उसे जिस किसी ने भी देखा था, इस बात से सहमत था कि उसने खुद को कशीदाकारी में व्यस्त कर लिया था और उसमें महारत हासिल कर ली थी। अपने इस काम धंधे में उसने सब कुछ भुला देने में सफलता पा ली थी।
काफी दिनों बाद, उस अनिश्चित दौर में जब मैं गुआज़िरा के शहरों में विश्व कोष और डॉक्टरी की किताबें बेच कर खुद को बेहतर तरीके से समझने की कोशिशों में लगा हुआ था, तो एक दिन अचानक यूं ही इंडियन डैथ नाम के गांव तक जा पहुंचा था। एक घर में, जिसकी खिड़की समुद्र की तरफ खुलती थी, दिन के सबसे गर्म समय में स्टील के फ्रेम वाले चश्मे वाली, पीलापन लिये सफेद बालों वाली एक औरत कशीदाकारी करने वाली मशीन पर झुकी हुई थी। उसके कपड़े बता रहे थे कि वह अभी भी आधे मातम में है। उसके सिर पर लटके पिंजरे में बंद कनारी चिड़िया लगातार चिल्लाये जा रही थी। जब मैंने उसे उस तरह खिड़की के खूबसूरत चौखटे में देखा तो मैं यह विश्वास ही नहीं कर सका कि यह वही औरत है, जिसके बारे में मैंने सोचा था। इसकी वजह यह थी कि मैं यह स्वीकार करने के लिए खुद को तैयार ही नहीं कर सका कि ज़िंदगी घटिया साहित्य से मेल खाते हुए इस तरह खत्म होगी। लेकिन यह वही थी: एंजेला विकारियो, उस नौटंकी के तेईस बरस बाद।
मेरे प्रति उसका व्यवहार हमेशा की तरह था। दूर के मौसेरे-चचेरे भाई की तरह। उसने मेरे सवालों के जवाब बहुत ही शानदार सूझ बूझ के साथ और विनोद प्रियता के साथ दिये। वह इतनी मैच्योर और हाजिर जवाब थी कि यकीन करना मुश्किल था कि यह वही औरत है। जिस बात से मुझे सबसे ज्यादा हैरानी हुई थी, वह यह थी कि उसने जिस तरीके से अपनी खुद की ज़िंदगी को समझना छोड़ दिया था, वह चकित कर देने वाला था। कुछ ही पलों के बाद, वह पहली नज़र में उतनी उम्र की नहीं लगी, बल्कि उतनी ही जवान लगने लगी, जितनी मेरी स्मृतियों में अंकित थी और उसका उस व्यक्ति के साथ कुछ भी मेल नहीं खाता था, जो बीस बरस की उम्र में बिना प्यार-व्यार के शादी के लिए मंडप में बिठा दी गयी थी। उसकी मां ने उस बुड़बुड़ाते बुढ़ापे में भी किसी दुर्धर्ष भूत की तरह मेरी अगवानी की थी। उसने अतीत के बारे में बात करने से कत्तई इनकार कर दिया था और इस रोजनामचे के लिए मुझे उसमें और मेरी मां में हुई बातचीत के टूटे-बिखरे सूत्रों पर ही निर्भर रहना पड़ा था। कुछेक बातें मेरी याददाश्त में बनी रह गयी थीं, उन्हीं को खंगाला गया था। उसने तो एंजेला विकारियो को जीते जी मार डालने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, लेकिन उसकी छोकरी किसी और ही मिट्टी की बनी हुई थी। उसने अपनी बदकिस्मती को कभी भी रहस्यवाद का जामा नहीं पहनाया, इसलिए मां की योजनाएं धरी की धरी रह गयी थीं। इसके विपरीत, होता यह था कि जो भी उसकी बात सुनने में दिलचस्पी दिखाता, एंजेला विकारियो उसे छोटे से छोटे ब्यौरे के साथ पूरा किस्सा सुनाती, बस वह एक ही रहस्य से कभी भी परदा नहीं उठाती थी; उसकी ज़िंदगी तबाह करने वाला आखिर था कौन और क्यों था, क्योंकि सबको विश्वास था कि वह कम से कम सैंतिएगो नासार तो नहीं ही था। सैंतिएगो नासार इतना घमंडी था कि उसकी तरफ देखता तक नहीं था, वह तुम्हारी बोदी कजिन, वह जब भी एंजेला विकारियो का जिक्र करता, इसी रूप में करता। इसके अलावा, जैसा कि हम उस वक्त कहा करते थे, सैंतिएगो नासार पूरा, शकर खोर था। वह ठीक अपने पिता की तरह अकेला घूमता। उन जंगलों में जो भी कुंवारी कन्या इधर उधर मंडराती हुई उसकी निगाह में चढ़ जाती, उसको मसल डालता। लेकिन शहर में फ्लोरा मिगुएल के साथ परम्परागत संबंध और मारिया एलेक्जेंद्रीना सर्वांतीस के साथ के तूफानी रिश्ते के अलावा उसका और कोई मामला सुनने में नहीं आया था। मारिया एलेक्जेंद्रीना सर्वांतीस के साथ उसके मामले ने उसे चौदह महीने तक आशिक दीवाना बनाये रखा था। सबसे ताजा किस्सा, जो कि शायद सबसे अधिक साक्ष्य विरुद्ध भी था, शायद एंजेला विकारियो से जुड़ा था जो किसी ऐसे आदमी को बचा रही थी जो उसे सचमुच प्यार करता था और उसने सैंतिएगो नासार का नाम सिर्फ यह सोच कर चुन लिया था कि उसके भाई सैंतिएगो नासार के खिलाफ जाने का साहस तो नहीं ही जुटा पायेंगे। जब मैं उससे दूसरी बार मिलने गया था तो मैंने खुद उससे ही सच्चाई उगलवाने की कोशिश की थी। हालांकि मेरे सारे तर्क अपनी जगह पर सही थे, लेकिन उसने अपनी कशीदाकारी से आंखें उठा कर भी नहीं देखा।
“अब गड़े मुर्दे तो मत उखाड़ो, मेरे भाई” उसने मुझसे कहा था।
“यह वही था,” इसके अलावा उसने सब कुछ, राई रत्ती, यहां तक कि अपनी सुहागरात का हंगामा भी बिना किसी लाग लपेट के सुना दिया था। वह याद कर रही थी कि किस तरह उसकी सखियों ने उसे पाठ पढ़ाया था कि अपने मरद को बिस्तर पर इतनी ज्यादा पिलाओ कि उसका पेशाब निकल जाये, वह जितनी परेशानी और असुविधा महसूस कर रही हो, उससे ज्यादा का स्वांग करे ताकि वह, उसका मरद बत्तियां बुझा दे और उसे मौका मिल जाये कि वह खुद को, कुंवारी, अछूत कन्या सिद्ध करने के लिए फिटकारी वाले पानी का डूश ले सके, और चादर पर दाग लगा सके, ताकि अगली सुबह दुल्हन वाले आंगन में मरक्यूरोक्रोम के दागों वाली चादर दिखा कर अपने कौमार्य भंग होने का विश्वास दिला सके। उसकी भोली सखियों ने दो चीज़ों का ध्यान नहीं रखा था। बयार्दो सां रोमां की शराबी के रूप में गज़ब की खुद को रोक सकने की ताकत और एंजेला विकारियो की खुद की शुद्ध शालीनता जो उसकी मां ने उसके भीतर कूट-कूट कर भरी थी,“मुझसे जो कुछ भी कहा गया था, उसमें से मैंने कुछ भी नहीं किया।” उसने मुझे बताया था,“क्योंकि मैं जितना भी इसके बारे में सोचती थी, उतना ही महसूस करती थी कि ये सब गंदी चालें हैं और इन्हें किसी के साथ भी नहीं खेला जाना चाहिए, खासकर उस बेचारे के साथ तो बिल्कुल भी नहीं जो अभागा मुझसे शादी कर रहा है।” इसी वजह से उसने रौशनी भरे बैडरूम में खुद को नंगा हो जाने दिया था। वह अब उन सारे डरों से मुक्त हो गयी थी, जिनसे उसकी ज़िंदगी तबाह हो गयी थी,“यह सब कुछ एकदम, आसान था,” उसने मुझे बताया था,“क्योंकि मैं खुद को मरने के लिए तैयार कर चुकी थी।”
सच तो यह था कि उसने अपनी बदकिस्मती के बारे में बिना किसी शर्म-लिहाज के इसलिए बता दिया था ताकि अपनी दूसरी बदकिस्मती के बारे में, असली मुसीबत के बारे में सच्चाई छुपा सके। यही असलियत उसे भीतर से जलाये जा रही थी। जब तक उसने यह बात मुझे खुद ही बताने का फैसला नहीं कर लिया, किसी को शुबहा भी नहीं हो सकता था कि जिस पल से बयार्दो सां रोमां ने उसे उसके घर की चौखट पर ला छोड़ा था, वह हमेशा के लिए उसकी ज़िंदगी में रहा था। यह आखिरी चोट थी। “जब मेरी मां ने मुझे मारना शुरू किया, अचानक ही मैं उसे याद करने लगी।” उसने मुझे बताया था,“लातों-घूंसों से तकलीफ कम होने लगी थी क्योंकि मैं जानती थी, ये सब उसके लिए हैं।” वह खुद पर एक खास हैरानी के साथ लगातार उसी के बारे में सोचती रही थी। वह तख्तपोश पर बैठी सुबक रही थी,“मैं इसलिए नहीं चिल्ला रही थी कि मुझे लात-घूंसे पड़ रहे थे या इस किस्म की कोई चीज़ हो रही थी,” वह मुझे बता रही थी, “बल्कि मैं तो उसी के लिए रो रही थी।” वह तब भी उसी के बारे में सोच रही थी जब उसकी मां ने उसके चेहरे पर आर्निका का लेप लगाया था और उस समय तो उसकी याद और भी ज्यादा आयी थी जब उसने गली में शोर शराबा सुना था और घंटाघर से आग लगने पर बजाये जाने वाले घंटों की आवाजें सुनी थीं। वह आराम से सो सकती है। हादसा हो चुका है।
उस मौत का रोजनामचा : 6
वह लम्बे अरसे तक, बिना किसी मोह भ्रम के उसके बारे में सोचती रही थी। तब भी जब उसे अपनी आंखों की जांच कराने के लिए अपनी मां के साथ रिओहाचा के अस्पताल में जाना पड़ा था। रास्ते में वे होटल देल पुएरतों में रुकी थीं। वे होटल के मालिक को जानती थीं। पुरा विकारियो ने बार में एक गिलास पानी मांगा था। पुरा विकारियो अपनी लड़की की तरफ पीठ किये पानी पी रही थी, तभी एंजेला ने कमरे में चारों तरफ लगे दर्पणों में खुद के ख्यालों को प्रतिबिम्बित होते देखा था। एंजेला विकारियो ने एक ठण्डी सांस भरते हुए अपना सिर घुमाया था। वह उस वक्त वहां से गुज़र कर जा रहा था। बयार्दो सां रोमां की निगाह एंजेला पर नहीं पड़ी थी। तब एंजेला ने टूटे दिल से अपनी मां की तरफ देखा था। पुरा विकारियो पानी पी चुकी थी और अब आस्तीन से अपना मुंह पोंछ रही थी। पुरा विकारियो तब अपने नये चश्मे से एंजेला की तरफ देखते हुए बार से ही मुस्कुरायी थी, उस मुस्कुराहट में, एंजेला विकारियो को अपने जन्म से लेकर अब तक, पहली बार वह उसी रूप में दिखायी दी थी, जैसी वह थी। एक बेचारी औरत, जो अपनी पराजयों की आराधना में लीन थी।
“छी, वाहियात”। उसने खुद से कहा था। वह इतनी अशांत थी कि घर वापसी की पूरी यात्रा के दौरान वह ज़ोर-ज़ोर से गाती रही थी और बिस्तर पर गिर कर तीन दिन तक लगातार रोती रही थी।
यह उसका पुनर्जन्म था, “मैं दिलों-दिमाग से उसे लेकर पागल थी।” उसने मुझे बताया था। उसे देखने के लिए एंजेला को सिर्फ अपनी आंखें बंद करनी होती थीं। वह समुद्र में उसकी सांसों की आवाज सुन सकती थी। बिस्तर में आधी रात को बयार्दो सां रोमां के शरीर की दहक से एंजेला की नींद उचट जाती, हफ्ता खत्म होते न होते उसकी यह हालत हो गयी थी कि उसे एक पल के लिए भी चैन न मिलता। तब उसने बयार्दो सां रोमां को अपना पहला खत लिखा था। यह एक औपचारिक चिट्ठी थी जिसमें उसने बयार्दो सां रोमां को लिखा था कि उसने, एंजेला ने, उसे होटल से बाहर आते देखा था। उसे और भी अच्छा लगता अगर उस पर बयार्दो सां रोमां का निगाह पड़ी होती। वह फालतू में ही इस खत के जवाब का इंतज़ार करती रही थी। दो महीने तक इंतज़ार करते-करते थक जाने के बाद उसने पहले ही खत की तरह अस्पष्ट सी शैली में एक और खत लिखा था। इस खत का मकसद भी उसे पत्र का जवाब न देने की शिष्टता न दिखाने के लिए उलाहना देना थ। छः महीने बाद उसने छः खत और लिखे थे, जिनमें से किसी का भी जवाब नहीं आया था। जो भी हो, वह यही मान कर चल रही थी और उसके पास इसका सुबूत भी था कि ये खत उस तक पहुंच रहे थे।
पहली बार, अपनी किस्मत की देवी को यह पता चला था कि नफरत और प्यार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक-दूसरे के पूरक मनोभाव। वह जितने अधिक खत भेजती, उसके भीतर की ज्वाला उतनी अधिक धधकती, लेकिन साथ ही अपनी मां के प्रति विद्वेष भावना भी उतनी ही बढ़ती जाती। “उसे देखते ही जैसे मेरे पेट में शूल उठने लगते थे।” उसने मुझे बताया था,“लेकिन मां को देखते ही मुझे बयार्दो सां रोमां की याद हो आती थी।” छोड़ी हुई, परित्यक्त बीवी की तरह उसकी ज़िंदगी घिसटती रही थी। किसी बूढ़ी नौकरानी की ज़िंदगी की तरह वह अब भी अपनी सखियों के साथ बैठकर मशीन पर सीना-पिरोना करती। पहले की तरह कपड़े के फूल बनाती, कागजी चिड़िया बनाती और जब उसकी मां सोने के लिए अपने कमरे में चली जाती तो वह अपने कमरे में पौ फूटने तक जागती रहती और खत लिखती रहती। उसे पता था, इन खतों का कोई भविष्य नहीं है। वह, अपनी मर्जी की मालकिन बहुत कुछ सहन करने लगी थी, शांत चित्त की हो गयी थी और उसके लिए, एक बार फिर कुंवारी कन्या बन गयी थी। वह अपनी मन मर्जी के सिवाय किसी की भी अधीनता स्वीकार करने को तैयार नहीं थी और उसे अपनी धुन के अलावा किसी और की चाकरी मंजूर नहीं थी।
वह अपनी ज़िंदगी के आधे से भी अधिक समय तक उसे हर हफ्ते खत लिखती रही थी। कई बार मुझे समझता ही नहीं था कि क्या लिखूं। हंसते-हंसते लोट-पोट होते हुए उसने मुझे बताया था,“लेकिन मेरे लिए इतना जान लेना ही काफी होता था कि ये खत उसे मिल रहे थे। शुरू-शुरू में ये खत एक वाग्दत्ता के, सगाई हो चुकी लड़की के से अहसासों वाले सुकोमल खत होते। फिर ये खत गुप्त प्रेमिका की तरफ से छोटी-छोटी सूचनाओं के संदेशों के माध्यम बने, इनमें लुका छिपी खेल रही दिल की रानी की तरफ से खुशबूदार, इत्र सने कार्ड होते। ये खत कारोबारी पलों में भी बदले, प्रेम के दस्तावेज बने और एक ऐसा वक्त भी आया कि ये पत्र एक छोड़ी हुई, परित्यक्ता बीवी की तरफ से रोष पूर्ण उलाहने बन गये। एक ऐसी बीवी की तरफ से जिसने एक क्रूर बीमारी सी ईजाद कर ली थी कि जैसे भी हो, अपने मरद को वापिस आने पर मजबूर करना है। एक रात जब वह अच्छे मूड में थी तो उसने पूरे लिखे गये खत पर दवात से स्याही उडेल दी और नीचे एक पंक्ति जोड़ दी, “अपने प्रेम के सुबूत के रूप में मैं तुम्हें अपने आंसू भेज रही हूँ।” कई बार रोते रोते थक जाने के बाद वह खुद अपने पागलपन का मज़ाक उड़ाती। इस बीच छः बार डाकघर की इंचार्ज बदली थी और छ: बार उसे उसकी मदद मिली। बस, उसे एक ही बात कभी नहीं सूझी कि ये सब कुछ छोड़-छाड़ क्यों नहीं देती। इतना सब होते हुए भी वह उसके इस पागलपन के प्रति निष्ठुर बना रहा। यह सब किसी गैर मौजूद व्यक्ति को लिखने जैसा था।
दसवें बरस के दौरान एक सुबह, जब हवाएं चल रही थीं। वह अचानक उठ बैठी। उसे पक्का यकीन था कि बयार्दो सां रोमां उसके बिस्तर में नंगा लेटा था। तब एंजेला विकारियो ने उसे बीस पेज लम्बा उत्तेजनापूर्ण पत्र लिखा। इसमें उसने सारी शर्म हया छोड़ कर वे सारी कड़वी सच्चाइयां उंड़ेल कर रख दी थीं जो वह उस अशुभ रात से अपने सीने में यह दफन किये हुए थी। उसने उस खत में उन शाश्वत घावों की बात की थी जिसे उसने उस रात उसके शरीर पर लगाये थे। एंजेला विकारियो ने उसकी जीभ के नमकीन होने और उत्तेजक अफ्रीकी लिंग की खड़ी उठान का जिक्र किया था। शुक्रवार के दिन उसने यह खत डाक घर की इन्चार्ज को थमा दिया था। डाकघर की इन्चार्ज दोपहर के वक्त कशीदाकारी करने और चिट्ठियां इकट्ठे करने आती थीं। उसे पूरा यकीन था कि वह इस तरह खुद को हलका करने से ही वह अपनी तकलीफों का अंत कर सकेगी। लेकिन इसका भी कोई जवाब नहीं आया था। उस दिन से उसने इस बात की तरफ भी ध्यान देना छोड़ दिया था कि वह क्या लिख रही है यह लिख ही किसे रही है, लेकिन फिर भी वह बिना किसी रुकावट के सत्रह बरस तक लिखती रही थीं।
इसी बीच, अगस्त के एक दिन, जब वह अपनी सखियों के साथ बैठी कशीदाकारी कर रही थी तो उसे दरवाजे पर किसी के आने की आहट मिली। कौन आया है, यह देखने के लिए उसे सिर उठाने की ज़रूरत नहीं थी। “वह मोटा हो गया था, उसके सिर के बाल झड़ने लगे थे और नजदीक की चीज़ें देखने के लिए उसे चश्मे की ज़रूरत पड़ने लगी थी।” वह मुझे बता रही थी, “लेकिन, खुदा गारत करे, यह वही था।” वह डर गयी थी, क्योंकि वह जानती थी कि वह उसे उसी तरह खत्म हुआ देख रहा था, जिस तरह वह उसे देख रही थी, और वह यह नहीं सोचती थी कि वह उसे अब भी उतना ही प्यार करता होगा, जितना प्यार वह उसके लिए सहन कर पायेगी। उसकी कमीज़ अब भी पसीने से उतनी ही भीगी हुई थी जितनी उसने उसे पहली बार मेले में पहनी भीगी कमीज़ में देखा था। वह अभी भी वही बेल्ट लगाये हुए था। चांदी मढ़े उसके बिनसिये झोले भी वही थे।
बयार्दो सां रोमां ने एक कदम आगे बढ़ाया। उसने इस बात की परवाह नहीं की कि कशीदाकारी करने वाली लड़कियां हैरानी से उसे देख रही हैं। उसने अपने झोले सिलाई मशीन पर रख दिये।
“लो,” उसने कहा था, “आ गया हूँ मैं।” उसके पास कपड़ों से भरा हुआ एक सूटकेस था। वह रहने की नीयत से आया था। दूसरा सूटकेस यूं ही था। उसमें लगभग दो हजार चिट्ठियां थीं जो एंजेला विकारियो ने उसे लिखी थीं। उन्हें तारीख वार बंडलों में रंगीन रिबनों से बांध कर करीने से रखा गया था। इनमें से एक भी चिट्ठी खोली नहीं गयी थी।
बरसों तक हम किसी और चीज के बारे में बात ही नहीं कर सके। हमारी दिनचर्या, जिसमें आलतू-फालतू की आदतों का शुमार रहता था, अब सिर्फ इकलौती परेशानी के इर्द गिर्द घूमने लगी थी। सुबह मुर्गे की बांग होते ही हम सिर जोड़ कर बैठ जाते और किसी संयोग से घटी कई घटनाओं के सिरों को तरतीब देने की कोशिश करते। हम जानना चाहते कि आखिर ये बेतुका हादसा हुआ तो कैसे हुआ। यह तो तय था कि हम ये सब किन्हीं रहस्यों से पर्दा उठाने की नीयत से या इच्छा से तो नहीं ही कर रहे थे, लेकिन हमारी मंशा इतनी ही थी कि हमें किस्मत ने जो काम सौंपा था, उसे पूरा किये बगैर और स्थान की सही जानकारी के बगैर हम में से कोई भी यूं ही जीवन गुज़ारता नहीं रह सकता था।
कई लोग तो कभी भी ये चीज़ें जान ही नहीं पाये। क्रिस्तो बेदोया, जो आगे चल कर विख्यात सर्जन बना, खुद को कभी भी इस बात से आश्वस्त नहीं कर पाया कि वह अपने माता-पिता, जो सुबह से उसे चेताने के लिए उसका इंतज़ार कर रहे थे, के घर जाकर वहां आराम करने के बजाये दादा-दादी के घर जा कर दो घंटे गुज़ारने की अंतः प्रेरणा के आगे कैसे झुक गया। लेकिन, अधिकतर लोग, जो इस हादसे को रोकने के लिए कुछ कर सकते थे, और फिर भी कुछ नहीं किया था, वे खुद को यही सोच कर दिलासा देते रहे कि मान-सम्मान के मामले पवित्र एकाधिकारों के मामले होते हैं और उनमें सिर्फ उन्हीं लोगों की पहुंच होती है जो ड्रामे का हिस्सा होते हैं। “सम्मान ही प्यार है।” मैं अपनी मां को कहते सुनता, होर्तेन्सिया बाउते, जिसकी हिस्सेदारी इतनी भर थी कि उसने दो खून सने चाकू देख लिये थे, जिन पर उस वक्त तक खून लगा भी नहीं था, इतनी अधिक दृष्टि भ्रम में पड़ गयी थी कि वह प्रायश्चित के संकट में फंस गयी थी, और एक दिन, जब सब कुछ उसकी बरदाश्त से बाहर हो गया तो निपट नंगी गली में दौड़ गयी थी। सैंतिएगो नासार की मंगेतर फ्लोरा मिगुएल परेशानी की हालत में बार्डर सुरक्षा के एक लेफ्टिनेंट के साथ घर छोड़ कर भाग गयी थी और उस लेफ्टिनेंट ने विचाडा के रबड़ कामगारों के बीच उसे वेश्यावृत्ति में झोंक दिया था और विलेरॉस नाम की दाई, जिसके हाथों तीन-तीन पीढ़ियों की जचगियां हुई थीं, यह समाचार सुन कर मूत्राशय के सिकुड़ने का रोग लगा बैठी थी और अपनी मौत के दिन तक उसे पेशाब करने के लिए नली का सहारा लेना पड़ा था। क्लोतिल्दे आर्मेंता का पति, डॉन रोगेलियो दे ला फ्लोर, जो कि बहुत भला आदमी था, और छियासी बरस की उम्र में भी ऊर्जा से भरा हुआ था, आखिरी बार सिर्फ यह देखने के लिए उठा था कि उसके अपने घर के बंद दरवाजे के आगे किस तरह सैंतिएगो के टुकड़े-टुकड़े काट कर उसका कत्ल कर डाला गया था। वह भी इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर पाया था और चल बसा था। प्लेसिडा लिनेरो ने आखिरी क्षणों में उस दरवाजे पर ताला लगाया था, लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ उसने खुद को इस इल्जाम से मुक्त कर लिया था। “मैंने ताला इसलिए लगाया था, क्योंकि दिविना फ्लोर ने कसम खा कर बताया था कि उसने मेरे लड़के को भीतर आते देखा था,” उसने मुझे बताया था,“और यह बात सच नहीं थी।” दूसरी तरफ, वह इस बात के लिए खुद को कभी भी माफ़ नहीं कर सकी कि उसने पक्षियों वाले अभागे पेड़ और दूसरे पेड़ों की शानदार शकुन विद्या में घालमेल कर दिया था। नतीजा यह हुआ कि वह हर समय मिर्च के बीज चबाने की घातक लत लगा बैठी थी।
अपराध के बारह दिन के बाद जांचकर्ता मजिस्ट्रेट शहर में आया था। शहर उस वक्त भी एक खुले घाव की तरह था। टाउन हाल में लकड़ी के खस्ता हाल दफ्तर में, जब धूप मृग तृष्णा के खेल कर रही होती, गन्ने की शराब डाली पॉट कॉफी पीते हुए मजिस्ट्रेट को मज़बूरन भीड़ पर काबू पाने के लिए और फौजी दस्ता बुलवाना पड़ा था। हुजूम के हुजूम बिन बुलाये ही गवाही देने के लिए बढ़े चले आ रहे थे। हर आदमी खुद को ड्रामे में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताने के लिए जैसे मरा जा रहा था। मजिस्ट्रेट नया नया ग्रैजुएट था और वह अभी भी मामून के स्कूल का सूती काला सूट पहने हुए था। अपनी डिग्री की मुहर वाली सोने की अंगूठी उसने पहन रखी थी। उसके चेहरे पर नया नया पिता बनने का खुशगवार अहसास था। मैं कभी भी उसका नाम नहीं जान पाया था। उसके चरित्र के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं, वह हमें उस सारांश से मिला था, जिसे मैं बीस बरस बाद रिओहाचा के न्याय महल - पैलेस ऑफ जस्टिस में कई आदमियों की मदद से देख पाया था। वहां फाइलों का किसी भी तरह का वर्गीकरण नहीं था और उस जर्जर औपनिवेशिक इमारत के फर्श पर सैकड़ों मामलों की फाइलों के अम्बार लगे थे। यह इमारत ज्वार के वक्त तल मंजिल तक ऊंची लहरों की वजह से पानी से भर जाती और उस उजाड़ दफ्तर में फाइलों की खुली जिल्दें इधर उधर तैरती नजर आतीं। मैंने खुद कई बार खोये हुए कार्य कारण के उस टापू में से एड़ी एड़ी पानी में से फाइलों की तलाश की और पांच साल बाद तलाश का मुझे एक ही मौका हाथ लगा था और मैं उस सारांश के 322 पन्ने सुरक्षित निकाल पाया था। इसके पांच सौ पन्ने तो ज़रूर ही रहे होंगे।
किसी भी काग़ज़ पर जज का नाम नहीं आया था, लेकिन एक बात तो तय थी कि उसे साहित्य से गहरा लगाव रहा होगा। वह साहित्य की भूख रखने वाला प्रतीत होता था। उसने इस्पानी प्राचीन उच्च साहित्य और कुछेक लातिनी पुस्तकें तो ज़रूर ही पढ़ रखी होंगी। नित्शे का नाम बहुत परिचित रहा होगा। उस वक्त जजों में नित्शे को पढ़ने का बहुत चाव रहा था। हाशिये पर जो टिप्पणियां दर्ज की गयी थीं, सिर्फ स्याही के रंग की वजह से नहीं, बल्कि सचमुच खून से लिखी गयी लगती थीं। स्थितियों ने उसे जिस रहस्यमय पहेली में उलझा दिया था, उससे वह इतना हैरान-परेशान लगता था। यह उसके व्यवसाय की प्रकृति के बिल्कुल उलटा था।
उसे सबसे अधिक यही लगता था कि वास्तविक जीवन और नीति विरुद्ध साहित्य में बतायी जाने वाली घटनाओं में इतनी अधिक समानता नहीं होनी चाहिए कि इस तरह से ढिंढोरा पीट कर की गयी हत्या को भी कोई रोक नहीं पाया। इसके बावजूद, अपनी इतनी अधिक मेहनत के आखिर में जिस बात ने उसे सबसे अधिक सतर्क किया था, वो ये थी कि वह कोई अकेला संकेत, बेशक असम्भव सा ही क्यों नहीं हो, नहीं खोज पाया था जो बता सकता कि सैंतिएगो नासार गलती का शिकार हो गया था। एंजेला विकारियो की सखियां, जो रहस्य में, धोखेबाजी में उसकी भागीदार रही थीं, लम्बे अरसे तक यहीं कहती रहीं कि उसने राज़ में तो शरीक किया था, लेकिन उसने उन्हें किसी का नाम नहीं बताया था। कुल मिला कर उन्होंने यही बताया था, “उसने हमें चमत्कार के बारे में बताया था, लेकिन संत के बारे में नहीं।” जहां तक एंजेला विकारियो का सवाल था, वह टस से मस नहीं हुई थी।
जब जांचकर्ता अधिकारी ने उससे अपनी आड़ी तिरछी स्टाइल में पूछा था कि क्या वो जानती हैं कि सैंतिएगो नासार कौन था तो उसने भाव शून्य होकर जवाब दिया था।
“वह मेरा अपराधी था।”
और इस तरह से उसने खुलासे में यही हलफनामा दिया था। इसके अलावा न तो उसने यह ही बताया था कि कैसे और न ही कहां का ही संकेत दिया था। सिर्फ तीन दिन तक चले इस ट्रायल में जनता के प्रतिनिधि ने इस आरोप के कमज़ोर होने के पीछे अपनी सारी ताकत लगा दी थी। सैंतिएगो नासार के खिलाफ़ सुबूत की कमी की वजह से जांचकर्ता मजिस्ट्रेट की परेशानी का यह आलम था कि कई बार उसका अच्छा काम भी मोह भंग होने के कारण बरबाद हो गया लगता था। फोलियो संख्या 416 पर उसकी खुद की राइटिंग में और ड्रगिस्ट की लाल स्याही में, उसने एक हाशिये वाली टिप्पणी दर्ज की थी - मुझे एक पूर्वाग्रह दीजिए और मैं दुनिया को हिला दूंगा।
हतोत्साह की इस पाद टिप्पणी के नीचे उसी रक्तिम स्याही से एक मज़ाकिया स्कैच भी बना रखा था - दिल को चीरता हुआ एक तीर। उसके लिए और इसी तरह सैंतिएगो नासार के नज़दीकी दोस्तों के लिए भी हादसे के शिकार का अपनी ज़िंदगी के आखिरी घंटों के दौरान व्यवहार ही सबसे बड़ा सुबूत था कि वह निर्दोष था।
दरअसल, अपनी मौत की सुबह सैंतिएगो नासार को एक पल के लिए भी शक नहीं हुआ था, हालांकि वह इस बात को अच्छी तरह जानता था कि उस पर लगाये गये अपमान के आरोप की कीमत क्या थी, वह दुनिया की कुटिल व्यवस्था के बारे में अच्छी तरह से जानता था। उसे यह भी पता रहा होगा कि जुड़वां भाइयों का सादगी भरा व्यवहार अपमान झेल पाने की हिम्मत नहीं रखता होगा।
कोई भी बयार्दो सां रोमां को अच्छी तरह से नहीं जानता था, लेकिन सैंतिएगो नासार उसे इतनी अच्छी तरह से जानता था कि जान सके कि अपनी सांसारिक अकड़ फूं के नीचे वह भी अपने जन्मजात पूर्वाग्रहों के कारण वही प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा जो और कोई करता। इसीलिए चिंता को जानबूझ कर पास न फटकने देना ही आत्मघाती रहा होगा। इसके अलावा, जब उसे आखिरी पलों में यह पता चल ही गया कि विकारियो बंधु उसे मारने के लिए तलाशते फिर रहे हैं तो भी उसकी प्रतिक्रिया आतंकित होने वाली नहीं थी, जैसा कि अक्सर कहा जाता है, बल्कि निर्दोष होने की वजह से वह हक्का बक्का रह गया था।
मेरी व्यक्तिगत राय यह है कि वह अपनी मौत को समझे बगैर ही मर गया था। मेरी बहन मार्गोट से यह वादा करने के बाद कि वह वापिस आयेगा और हमारे घर नाश्ता करेगा, क्रिस्तो बेदोया उसे बांह से पकड़ कर घाट पर ले गया था। दोनों ही इतने निश्चिंत लग रहे थे कि इससे गलत भ्रम पैदा हो गये,“वे दोनों इतने सन्तुष्ट भाव से चले जा रहे थे, मेमे लोइजा ने मुझे बताया था,“कि मामले को रफा-दफा कर दिया गया है।” यह सच था कि हर कोई सैंतिएगो नासार को इतना प्यार नहीं करता था। पोलो कैटिल्लो, जो बिजली प्लांट का मालिक था, यह मानकर चल रहा था कि उसका शांत बने रहना, उसका निर्दोष होना नहीं, बल्कि नकचढ़ापन था,“वह सोचता था कि उसके रुपये पैसे ने उसे अछूत बना दिया है।” उसने मुझे बताया था। उसकी बीवी फॉउस्ता लोपेजे की राय थी,“दूसरे तुर्कों की तरह वह भी, वैसा ही था।” इंडालेसियो पार्डो तभी क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर के आगे से गुज़रा ही था और जुड़वां बंधुओं ने उसे बताया था कि ज्यों ही पादरी चला जायेगा, वे सैंतिएगो नासार को मार डालेंगे। दूसरे कई लोगों की तरह उसने भी यही सोचा था कि ये किस्सा जल्दी उठ जाने वालों का दिवा स्वप्न ही है, लेकिन क्लोतिल्दे आर्मेंता ने उसे विश्वास दिला दिया था कि यह सच है। आर्मेंता ने उससे कहा था कि वह सैंतिएगो नासार के पास जाये और उसे आगाह कर दे।
उस मौत का रोजनामचा : 7
“चिंता मत करो,” पैड्रो विकारियो ने उससे कहा था, “भले ही जो भी हो, तुम उसे अभी से मरा हुआ ही समझो।”
यह खुले आम चुनौती थी। जुड़वां बंधु जानते थे कि इंडालेसियो पार्डो और सैंतिएगो नासार के बीच दाँत काटी रोटी वाली दोस्ती है और उन्होंने यह भी सोचा होगा कि यह सही आदमी है जो उन्हें शर्म में डाले बगैर अपराध को होने से रोक सकता है। लेकिन इंडालेसियो ने सैंतिएगो नासार को क्रिस्तो बेदोया की बाहों में बाहें डाले घाट से निकलते देखा तो उसकी हिम्मत ही नहीं हुई कि उसे आगाह कर सके,“मैं हिम्मत हार बैठा था।” उसने मुझे बताया था। उसने उन दोनों की पीठ थपथपायी और उन्हें उनकी राह चले जाने दिया। उन्होंने इस पर रत्ती भर भी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वे अभी भी शादी के खर्चों का हिसाब लगाने में व्यस्त थे।
लोग तितर-बितर हो रहे थे और उन दोनों की तरह सब लोग चौराहे की तरफ बढ़े चले जा रहे थे। भीड़ काफी घनी थी, लेकिन एस्कोलॉस्टिका सिस्नेरोज को लगा, उसने दोनों दोस्तों को बिना किसी तकलीफ़ के चौराहे के बीच की तरफ जाते देखा था, क्योंकि लोग जानते थे कि सैंतिएगो नासार मरने वाला है और किसी भी आदमी की उसे छूने तक की हिम्मत नहीं हुई। क्रिस्तो बेदोया को भी लोगों के विचित्र व्यवहार की याद आयी थी, “लोग हमें यूं देख रहे थे, मानो हमने अपने चेहरे रंग रखे हों।” उसने मुझे बताया था। इसके अलावा, सारा नोरिएगा उस वक्त जूते की अपनी दुकान खोल रही थी जब वे दोनों वहां से गुज़रे। वह सैंतिएगो नासार का पीलापन देखकर डर गयी थी। लेकिन सैंतिएगो नासार ने ही उसे दिलासा दी थी।
“तुम कल्पना कर सकती हो, मिती सारा,” बिना रुके उसने कहा था,“ये सब क्या कोलाहल है?”
सेलेस्ते डेन्गॉण्ड पाजामा पहने अपने घर के दरवाजे पर बैठा उन लोगों का मज़ाक उड़ा रहा था जो बिशप को दुआ-सलाम करने गये थे। उसने सैंतिएगो नासार को कॉफी पीने के लिए आमन्त्रित किया था। “दरअसल, मैं सोचने के लिए थोड़ा समय पाना चाहता था।” सेलेस्ते डेन्गॉण्ड ने मुझे बताया था। लेकिन सैंतिएगो नासार ने जवाब दिया था कि वह कुछ जल्दी में है। वह मेरी बहन के साथ नाश्ता करने से पहले कपड़े बदलने के लिए लपक कर जा रहा था।
“मैं सब कुछ गड़बड़ समझ बैठा।” उसने मुझे बताया था,“क्योंकि अचानक मुझे लगा कि जब सैंतिएगो नासार जो कुछ करने जा रहा है उसके बारे में वह इतना अधिक निश्चित है तो विकारियो बंधु उसे नहीं ही मार सके होंगे।”
सिर्फ यामिल शाइयुम ही ऐसा शख्स था जिसने वही किया जो वह करना चाहता था। जैसे ही उसने अफवाह के बारे में सुना, वह अपने सूखे मेवे की दुकान से बाहर निकला और सैंतिएगो नासार का इंतज़ार करने लगा ताकि उसे आगाह कर सके। वह उन आखिरी अरब लोगों में से था जो इब्राहिम नासार के साथ आये थे। वह इब्राहिम नासार की मृत्यु तक ताश के खेलों में उसका भागीदार रहा था और अभी भी परिवार का खानदानी सलाहकार था। सैंतिएगो नासार से बात करने का उस जैसा अधिकार किसी के पास भी नहीं था। इसके बावजूद उसने सोचा कि अगर अफवाह बेबुनियाद निकली तो वह उसे बेकार में ही सतर्क कर बैठेगा। इसलिए वह पहले क्रिस्तो बेदोया से सलाह मशविरा कर लेना चाहता था। शायद उसे ज्यादा पता हो। जैसे ही क्रिस्तो बेदोया वहां से गुजरा, उसने उसे रोका। क्रिस्तो बेदोया ने सैंतिएगो नासार की पीठ पर थपकी दी, वह पहले ही चौराहे के सिरे तक पहुंच चुका था, और उसने आवाज दी, “तो फिर शनिवार को मिलते है।“ क्रिस्तो बेदोया ने तब यामिल शाइयुम की पुकार का जवाब दिया।
सैंतिएगो नासार ने जवाब तो नहीं दिया लेकिन यामिल शाइयुम से अरबी भाषा में कुछ कहा। यामिल ने हंसी से दोहरे होते हुए उसे भी अरबी में ही जवाब दिया। “यह शब्दों का एक खेल था जिसमें हमें हमेशा आनन्द आता था।” यामिल शाइयुम ने मुझे बताया था। बिना रुके ही सैंतिएगो नासार दोनों की तरफ विदाई का हाथ हिलाते हुए चौराहे के कोने की तरफ चला गया था। दोनों ने तभी उसे आखिरी बार देखा था।
क्रिस्तो बेदोया ने यामिल शाइयुम की सूचना सुनने भर का वक्त लिया और फिर लपक कर दुकान से बाहर भागा था ताकि सैंतिएगो नासार तक पहुंच सके। उसने उसे मोड़ पर मुड़ते हुए देखा था, लेकिन वह अब उसे चौराहे पर बढ़ती आ रही भीड़ के बीच कहीं भी देख नहीं पाया। उसने कई लोगों से पूछा लेकिन सबने एक ही जवाब दिया।
“अभी-अभी तो उसे हमने तुम्हारे साथ ही देखा था।” यह असम्भव ही लग रहा था कि वह इतने कम समय में घर पहुंच गया होगा, लेकिन जो भी हो, उसने चूंकि सामने वाला दरवाजा खुला और सिर्फ भिड़ा हुआ देखा तो उसे पूछने की नीयत से वह भीतर चला गया। उसने भीतर जाते समय दरवाजे के पास फर्श पर पड़े कागज को नहीं देखा। वह अंधियारे ड्राइंग रूम से गुजरा। उसने कोशिश की कि कोई आवाज़ न हो। अभी इतना समय नहीं हुआ था कि मेहमानों की आवाजाही शुरू हो, लेकिन घर के पिछवाड़े की तरफ कुत्ते जग गये और उससे मिलने चले आये। उसने कुत्तों को अपनी चाबियों से शांत किया। यह ट्रिक उसने कुत्तों के मालिक सैंतिएगो नासार से सीखी थी। वह रसोई की तरफ बढ़ चला। कुत्ते उसके पीछे-पीछे चले आये। वरांडे में उसे दिविना फ्लोर मिली जो बाल्टी और पोचा लिये जा रही थी ताकि ड्राइंग रूम की सफाई कर सके। उसने क्रिस्तो बेदोया को आश्वस्त किया कि सैंतिएगो नासार अभी तक वापिस नहीं लौटा है। विक्टोरिया गुज़मां, ठीक उसी वक्त जब वह रसोईघर में घुसा था, भट्टी पर खरगोश का दमपुख्त (स्ट्यू) तैयार करने में लगी थी। वह तत्काल ही समझ गयी थी। “उसका कलेजा मुंह में आने को था।” विक्टोरिया गुज़मां ने मुझे बताया था। क्रिस्तो बेदोया ने उससे पूछा कि क्या सैंतिएगो नासार घर लौट आया है, इसके जवाब में उसने भयातुर अज्ञानता के साथ जवाब दिया था कि सैंतिएगो नासार अब तक सोने के लिए घर नहीं लौटा था।
“मामला गम्भीर है,” क्रिस्तो बेदोया ने उसे बताया था, “वे लोग उसे मारने के लिए तलाशते फिर रहे हैं।”
“वे शनिवार से लगातार पीये जा रहे हैं।” क्रिस्तो बेदोया ने कहा था।
“इसमें कोई खास बात नहीं है,” वह बोली थी,“दुनिया में कोई भी ऐसा शराबी नहीं है जो अपने दोस्त को ही खा जाये।”
क्रिस्तो बेदोया ड्राइंग रूम में लौटा। वहां दिविना फ्लोर ने उसी वक्त खिड़कियां खोली थीं। “यह सच है कि उस वक्त बरसात नहीं हो रही थी,” क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था, “अभी सात भी नहीं बजे थे और सूर्य की सुनहरी किरणें खिड़कियों से भीतर आने लगी थीं।” उसने दिविना फ्लोर से एक बार फिर पूछा था कि क्या सैंतिएगो नासार वाकई ड्राइंग रूम से गुज़र कर नहीं गया था। अब की बार वह इतने पक्के तौर पर नहीं कह पा रही थी जितने यकीन के साथ उसने पहली बार बताया था। तब उसने प्लेसिडा लिनेरो के बारे में पूछा था। इसके जवाब में दिविना फ्लोर ने बताया था कि पल भर पहले ही वह उनकी कॉफी तिपाई पर रख कर आयी है, लेकिन उसने उन्हें जगाया नहीं है। हमेशा ऐसा ही होता था।
वे सात बजे उठती थीं, कॉफी पीती थीं और नीचे आकर दोपहर के खाने के लिए हिदायतें देती थीं। क्रिस्तो बेदोया ने घड़ी देखी : अभी छः बजकर छप्पन मिनट हुए थे। तब वह दूसरी मंज़िल पर यह देखने के लिए गया कि क्या सैंतिएगो नासार सचमुच नहीं लौटा था।
बैडरूम अंदर की तरफ से बंद था, क्योंकि सैंतिएगो नासार अपनी मां के बेडरूम में से होकर चला गया था। क्रिस्तो बेदोया इस घर को अपने घर की तरह जानता था। इतना ही नहीं, वह यहां के परिवार के एक सदस्य की तरह था। उसने प्लेसिडा लिनेरो के बेडरूम का दरवाजा खोला और उसमें से होकर साथ वाले कमरे में चला गया। धुंधली रौशनी की एक लकीर आसमान से भीतर आ रही थी। वे खूबसूरत थीं, वे अपने हिण्डोले में करवट लेकर सोयी हुई थीं। दृश्य काल्पनिक लगता था। “सब कुछ दिव्य दर्शन की तरह लग रहा था।” क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था। उनके सौन्दर्य से अभिभूत होकर वह एक पल तक उनकी तरफ देखता रहा, फिर चुपचाप कमरे से गुज़रते हुए, वहां से बाथरूम और फिर वहां से सैंतिएगो नासार के बेडरूम में चला गया। बिस्तर अभी भी लगा हुआ था। कुर्सी पर, अच्छी तरह इस्त्री किये गये कपड़े, जो उसने घुड़सवारी के लिए पहनने थे, रखे थे। इन कपड़ों के ऊपर घुड़सवारी वाला हैट और फर्श पर जूते और मोजे रखे थे। पलंग के पास तिपाई पर रखी सैंतिएगो नासार की घड़ी छः बजकर अट्ठावन मिनट बता रही थी,“अचानक मुझे लगा, वह वापिस लौट कर आयेगा ताकि हथियार बंद होकर जा सकें।” क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था। लेकिन उसने पाया कि मेग्नम रिवाल्वर तिपाई की दराज में रखा हुआ है। “मैंने कभी पिस्तौल नहीं चलायी थी।” क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था,“लेकिन मैंने तय किया कि रिवाल्वर लेकर जाऊंगा और सैंतिएगो नासार को दे दूंगा। उसने रिवाल्वर को अपनी कमीज़ के नीचे बेल्ट में खोंस लिया। अपराध हो जाने के बाद ही उसे यह पता चला था कि उसमें कारतूस ही नहीं थे। जैसे ही वह दरवाजा बंद कर रहा था, तभी प्लेसिडा लिनेरो दरवाजे पर प्रकट हुईं। उनके हाथ में कॉफी का मग था।
“हे भगवान,” उन्होंने चकित होकर कहा,“तुमने तो मुझे चौंका ही दिया था।”
क्रिस्तो बेदोया भी चौंक गया था। उसने उन्हें पूरी रौशनी में देखा। वे ड्रैसिंग गाउन में थीं, जिस पर सुनहरी फूल बने हुए थे। उनके खुले बालों में सुबह वाला आकर्षण अब नज़र नहीं आ रहा था। थोड़ी बहुत हिचक के साथ उसने स्पष्ट किया कि वह सैंतिएगो नासार की तलाश में है।
“वह बिशप की अगवानी के लिए गया हुआ है।” प्लेसिडा लिनेरो ने बताया।
“वह यूं ही चला गया था।” उसने कहा।
“मेरा तो यही ख्याल है,” उन्होंने बताया था,“वह एक बहुत ही खराब किस्म की मां का बेटा है।”
वे बाहर नहीं गयीं, क्योंकि उस पल उन्हें लगा कि क्रिस्तो बेदोया को समझ में नहीं आ रहा कि अपनी इस काया के साथ क्या करें। “मुझे आशा है कि ईश्वर ने मुझे क्षमा कर दिया होगा।” प्लेसिडा लिनेरो ने मुझे बताया था,“लेकिन वह मुझे इतना भ्रमित लगा कि अचानक मुझे महसूस हुआ, जैसे वह डाका डालने आया हो।” उन्होंने उससे पूछा कि आखिर गड़बड़ क्या है। क्रिस्तो बेदोया को पता था कि वह संदेहास्पद स्थिति में फंस गया है, लेकिन उसमें इतना साहस नहीं था कि सच्चाई बयान कर सके।
“दरअसल बात सिर्फ इतनी सी है कि मैं एक मिनट के लिए भी सो नहीं सका हूँ।” बेदोया ने उन्हें बताया था।
वह और कुछ भी स्पष्टीकरण दिये बगैर चला आया था। “जहाँ तक मेरा सवाल था,” उसने मुझे बताया था, “वे हमेशा यही कल्पना करती रहीं कि उन पर डाका डाला जा रहा था।”
चौराहे पर वह भागता हुआ सीधे फादर एमाडोर के पास पहुंचा। वे कुंठित जन समुदाय के लिए, पूजा परिधान पहने गिरजा घर की तरफ वापिस जा रहे थे। लेकिन वे यह नहीं सोचते थे कि वे सैंतिएगो नासार की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना के अलावा कुछ और कर सकते थे। जब क्रिस्तो बेदोया ने उन्हें क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर से फिर से आवाज देते सुना तो वह दोबारा घाट की तरफ भागा। पैड्रो विकारियो दरवाजे में खड़ा था। पीला और निस्तेज। उसकी कमीज खुली हुई थी और उसने अपनी आस्तीन की बाहें ऊपर चढ़ा रखी थीं। नंगा चाकू उसके हाथ में था। जो व्यवहार वह कर रहा था, वह इतना अक्खड़पने का था कि उसे स्वाभाविक नहीं कहा जा सकता था लेकिन उसका यह सनक भरा व्यवहार काफी समय से चला आ रहा था, इसलिए किसी ने भी उसे गुनाह करने से रोकने की ज़रूरत नहीं समझी।
“क्रिस्तोबल,” वह चिल्लाया था, “सैंतिएगो नासार को जा कर बता दो कि हम उसका कत्ल करने के लिए उसकी राह देख रहे हैं।”
क्रिस्तोफर बेदोया उसे रोकने का महत्वपूर्ण काम कर सकता था,“काश, मुझे रिवाल्वर चलाना आता तो आज सैंतिएगो नासार जीवित होता।” उसने मुझसे कहा था। यह विचार भी उसे तब आया जब उसे गोली की विध्वंसक ताकत के बारे में बताया जा रहा था।
“मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ। वह मैग्नम रिवाल्वर से लैस है। उसकी गोली इंजिन के भी आर-पार जा सकती है।” वह चिल्लाया था।
पैड्रो विकारियो जानता था कि यह सच नहीं है, “वह घुड़सवारी के कपड़े पहने बिना कभी भी हथियार से लैस नहीं होता था।” पैड्रो विकारियो ने मुझे बताया था। खैर, कुछ भी हो, उसने इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया था कि हो सकता है, कि उसे अपनी बहन का सम्मान बचाने के लिए तत्पर देख कर सैंतिएगो नासार ने हथियार उठा ही लिया हो।
“मरे हुए आदमी गोली नहीं चला सकते।” वह चिल्लाया था।
तब पाब्लो विकारियो दरवाजे में प्रकट हुआ था। वह भी अपने भाई की तरह पीला पड़ा हुआ था। उसने शादी ब्याह में पहनी जैकेट पहन रखी थी और अपना चाकू उसने अखबार में लपेट रखा था। अगर उसके हाथ में चाकू न होता तो मैं पता भी नहीं लगा पाता कि कौन सा पैड्रो है और कौन सा पाब्लो। क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था। तभी क्लोतिल्दे आर्मेंता पाब्लो विकारियो के पीछे प्रकट हुई थी और वहीं से क्रिस्तो बेदोया के लिए चिल्लायी थी कि वह जल्दी करे, क्योंकि काठ के उल्लुओं के शहर में सिर्फ वही एक ऐसा आदमी था जो इस हादसे को रोक सकता था।
उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह जनता जनार्दन के स्मृति में है। जो लोग घाट से वापिस आ रहे थे, हल्ला गुल्ला सुनकर चौराहे पर इस तरह से पोजीशन लगाकर खड़े होने लगे ताकि हादसे को होता देख सकें। अपनी जान-पहचान से कई लोगों से क्रिस्तो बेदोया ने पूछा कि क्या उन्होंने सैंतिएगो नासार को देखा है, लेकिन उसे किसी ने भी नहीं देखा था। वह भाग कर सोशल क्लब के दरवाजे पर कर्नल लाजारो अपोंते के पास गया और उसे वह सारा किस्सा कह सुनाया जो अभी क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर के सामने हुआ था।
“ऐसा हो ही नहीं सकता,” कर्नल अपोंते ने कहा था, “क्योंकि मैंने उनसे कह दिया था कि घर जा कर सो जायें।”
“मैंने उन्हें अभी-अभी सूअर मारने वाले चाकुओं से लैस देखा है।” क्रिस्तो बेदोया ने कहा था।
“यह भी नहीं हो सकता, क्योंकि उन्हें घर जाकर सोने के लिए कहने से पहले मैंने उनसे चाकू ले लिए थे,” मेयर ने कहा था, “ज़रूर तुमने उन्हें उससे पहले देखा था।”
“मैंने उन्हें सिर्फ दो मिनट पहले ही देखा है और उनके हाथों में सूअर मारने वाले चाकू हैं।” क्रिस्तो बेदोया ने स्पष्ट किया था।
“धत तेरे की, तो इसका मतलब वे फिर से नये चाकू ले कर आ गये होंगे।” मेयर ने कहा था।
उसने वादा किया कि वह अभी उनकी खबर लेता है। लेकिन वह कुछ करने के बजाये सोशल क्लब के भीतर चला गया ताकि उस रात डोमिनो लॉटरी खुलने की तारीख जान सके और जब वह वापिस बाहर आया तब तक हादसा हो चुका था।
क्रिस्तो बेदोया ने तब अपनी इकलौती प्राण घातक गलती की थी। उसने सोचा कि शायद सैंतिएगो नासार ने बिना कपड़े बदले ही हमारे घर पर नाश्ता करने का फैसला कर लिया हो, इस चक्कर में वह उसे खोजने के लिए हमारे घर चला गया। वह नदी के किनारे-किनारे लपकता हुआ चला जा रहा था। रास्ते में वह हर किसी से पूछता जा रहा था कि कहीं किसी ने उसे आते-जाते तो नहीं देखा। लेकिन उसे किसी ने भी नहीं देखा था। वह भयभीत भी नहीं था क्योंकि हमारे घर तक पहुंचने के और भी रास्ते थे। प्रॉसपेरा अरांगो नाम की देहातिन ने उसके आगे हाथ-पैर जोड़े कि वह उसके बाप के लिए कुछ करे जो दरवाजे की ड्योढ़ी पर अपनी आखिरी सांसें गिनता हुआ पड़ा हुआ था। बिशप की चलताऊ आसीसों का उस पर कोई असर नहीं हुआ था। “जब मैं वहां से गुज़री थी तो मैंने उसे देखा था,” मेरी बहन मार्गोट ने बताया था,“उसका चेहरा तो पहले ही मरे हुए आदमी के चेहरे जैसा हो रहा था।” उस बुढ़ऊ मरीज की सेहत का अंदाज़ा लगाने के चक्कर में क्रिस्तो बेदोया के चार मिनट बरबाद हुए। उसने वादा किया कि वह जल्दी ही लौट कर उसके इलाज का बन्दोबस्त कर देगा। लेकिन उसके तीन मिनट और बरबाद हो गये जब उसे प्रॉसपेरा अरांगो के साथ मिल कर बुढ़ऊ को भीतर बेडरूम तक ले जाना पड़ा। जब वह दोबारा बाहर आया तो उसने चौराहे की तरफ रॉकेट दागे जाने का शोर-शराबा सुना। उसने भागने की कोशिश की लेकिन बेल्ट में खुंसा रिवाल्वर भागने में आड़े आ रहा था। जैसे ही वह आखिरी मोड़ पर मुड़ा, उसने पीछे से मेरी माँ को पहचाना, वह सचमुच अपने साथ अपने सबसे छोटे लड़के को घसीटते हुए लपकती चली जा रही थी।
“लुइजा सैंतिआगा,” वह उसे देखकर चिल्लाया था, “तुम्हारा दत्तक पुत्र सैंतिएगो नासार कहां है?”
मेरी मां ने पीछे मुड़कर देखा। उसका चेहरा आँसुओं से तरबतर था।
“ओह, मेरे बच्चे, मां ने जवाब दिया,“लोग कह रहे हैं, उसे मार डाला गया है।”
दरअसल हुआ कुछ इस तरह था, क्रिस्तो बेदोया जिस वक्त उसे तलाशता फिर रहा था, सैंतिएगो नासार अपनी मंगेतर फ्लोरा मिगुएल के घर चला गया था। उसका घर वहां से बिल्कुल पास ही था, जहां क्रिस्तो बेदोया ने आखिरी बार सैंतिएगो नासार को देखा था। “मुझे यह सूझा ही नहीं कि वह वहां भी हो सकता है,” उसने मुझे बताया था, “इसकी वजह यह थी कि वे कभी भी दोपहर से पहले जागते ही नहीं थे।” सब लोग यही समझते थे कि समुदाय के सयाने आदमी नाहिर मिगुएल के आदेशों को मानते हुए सारा परिवार बारह बजे तक सोता रहता था। “यही वजह थी कि फ्लोरा मिगुएल, जो अब उतनी किशोरी नहीं रही थी, गुलाब की तरह पाली पोसी जाती थी।” मर्सीडीज का यह कहना था। लेकिन सच तो यह था कि कई दूसरे लोगों की तरह वे भी अपने दरवाजे का ताला देर तक बंद करके रखते, हालांकि वे लोग जल्दी जागने वाले और मेहनत करने वाले लोग थे, सैंतिएगो नासार के और फ्लोरा मिगुएल के माता-पिता इस बात पर सहमत थे कि दोनों की शादी कर दी जाये। सैंतिएगो नासार ने अपनी किशोरावस्था के चरम समय में इस सगाई को स्वीकार कर लिया था और वह इसे पूरा भी करना चाहता था। इसकी वजह शायद यह रही थी कि वह भी अपने पिता की तरह विवाह का उपयोगिता वादी सिद्धांत लेकर चलता था। जहां तक फ्लोरा मिगुएल का सवाल था, वह कुछ खास हल्की फुल्की स्थितियों का आनन्द उठाती थी, लेकिन उसमें विनोद का और फैसले कर पाने की शक्ति का अभाव था। वह अपनी सभी सखियों के लिए दुल्हन की सखी बनती आयी थी। इसलिए उसके लिए उनकी सगाई बहुत आसान सी थी। उसमें न तो औपचारिक रूप से आना-जाना था और न ही बेचैन फड़कते दिल। शादी की रस्म कई बार टलते-टलते आखिर अगले क्रिसमस के दिन होनी तय हुई थी।
उस मौत का रोजनामचा : 8
उस सोमवार को फ्लोरा बिशप की नाव के पहले भोंपू की आवाज़ सुनते ही उठ गयी थी और उसके थोड़ी ही देर बाद उसे पता चला था कि विकारियो बंधु सैंतिएगो नासार का कत्ल करने के इरादे से उसका इंतज़ार कर रहे हैं। उसने यह बात मेरी नन बहन को बतायी थी। उस हादसे के बाद उसने सिर्फ मेरी ही बहन से बात की थी और उसे यह भी याद नहीं रहा था कि उसे यह बात बतायी ही किसने थी। “मुझे सिर्फ खबर मिल चुकी थी।” उसने मेरी बहन को बताया था। इतना होते हुए भी, यह बात उसके गले से नीचे नहीं उतर रही थी कि वे सैंतिएगो नासार को मारने जा रहे थे। उसे यह लग रहा था कि एंजेला विकारियो को उसका खोया सम्मान लौटाने के लिए वे सैंतिएगो नासार को एंजेला विकारियो से शादी करने के लिए मज़बूर करेंगे। वह अपमान के घोर संकट से गुज़र रही थी। उस वक्त, जब आधा शहर बिशप का इंतज़ार कर रहा था, वह अपने बेडरूम में गुस्से से रोये जा रही थी। वह रोते-रोते उन खतों को मंजूषा में तरतीब से लगा रही थी जो सैंतिएगो नासार ने उसे स्कूल से भेजे थे।
जब भी वह फ्लोरा मिगुएल के घर के आगे से गुज़रता, चाहे कोई भी घर पर न हो, वह खिड़की के शीशे पर अपनी चाबियों से खटखट करता। उस सोमवार वह खतों की मंजूषा गोद में रखे उसका इंतज़ार कर रही थी। सैंतिएगो नासार खिड़की के बाहर से उसे नहीं देख पाया, लेकिन उसने सैंतिएगो नासार को खिड़की तक पहुंच कर चाबी से खटखटाने से पहले ही आते हुए देख लिया था।
“भीतर आ जाओ।” वह बोली थी।
कभी भी कोई भी, यहां तक कि डॉक्टर भी उस घर में इतनी सुबह, छः बज कर पैंतालीस मिनट पर नहीं आया था। सैंतिएगो नासार अभी-अभी क्रिस्तो बेदोया को यामिल शाइयुम के स्टोर पर छोड़कर आया था और उस वक्त चौराहे पर कई कई लोग उसकी हर गतिविधि पर जैसे निगाह रखे हुए थे, यह मानने को यकीन नहीं करता था कि उसे किसी ने अपनी मंगेतर के घर के भीतर जाते हुए नहीं देखा होगा। जांचकर्ता मजिस्ट्रेट किसी एक ऐसे आदमी की तलाश में था जिसने उसे वहां जाते हुए देखा हो, और यह काम उसने इतनी मेहनत और दृढ़ता से किया था, लेकिन कोई भी ऐसा आदमी खोज पाना असम्भव था। सारांश के 382वें पन्ने पर उसने लाल स्याही से एक और उद्घोषणा हाशिये पर दर्ज की थी। मौत की छाया हमें अदृश्य कर देती है।
सच्चाई तो यह थी कि सैंतिएगो नासार, सबकी निगाहों के सामने से, मुख्य दरवाजे से भीतर गया था। उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया था कि वह दिखायी न देता। फ्लोरा मिगुएल पार्लर में उसका इंतज़ार कर रही थी। उस समय वह गुस्से से लाल-पीली हो रही थी। उसने उस वक्त उन अभागी सलवटों वाली पोशाक पहन रखी थी जो वह आमतौर पर अविस्मरणीय अवसरों पर पहन लिया करती थी, पत्रों की पेटी उसने सैंतिएगो नासार के हाथों में थमा दी।
“तो आप यहां है जनाब,” वह बोली थी, “हम तो समझ रहे थे, उन्होंने आपको मार डाला है।”
सैंतिएगो नासार इतना सकपकाया कि पेटी उसके हाथ से छूट गयी और सारे पत्र फर्श पर बिखर गये। इन पत्रों में कोई प्यार नहीं बचा था। उसने फ्लोरा मिगुएल को बैडरूम में पकड़ने की कोशिश की। लेकिन उसने दरवाजा बंद कर दिया और कुण्डी चढ़ा दी। उसने कई बार दरवाजा खटखटाया, दिन के वक्त का ख्याल रखते हुए दबी हुई जुबान में कई बार पुकारा, कि पूरा परिवार भीतर आ गया। सब चौकन्ने थे। अगर खून के और शादियों के रिश्तों से गिना जाये तो बड़े और बच्चे, कुल मिलाकर चौदह लोग थे। सबसे आखिर में पिता, नाहिर मिगुएल आये। उनकी लाल दाढ़ी थी और वे बद्दू कफ्तान पहने हुए थे। यह कफ्तान वे अपने मुल्क से लाये थे और घर पर हमेशा पहने रहते थे। मैंने उन्हें कई बार देखा था।
वे ऊंचे और दुबले थे, लेकिन जो बात उनमें मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती थी, वह थी, उनके चेहरे पर अधिकार की चमक।
“फ्लोरा,” उन्होंने अपनी भाषा में पुकारा था, “दरवाजा खोलो।”
वे अपनी बेटी के बेडरूम में चले गये जबकि बाकी परिवार सैंतिएगो नासार को घूरता रहा। वह पार्लर में घुटनों के बल झुका पत्र इकट्ठे करके पेटी में रखता जा रहा था। “लग रहा था जैसे वह प्रायश्चित कर रहा हो।” उन्होंने मुझे बताया था। कुछेक पलों बाद नाहिर मिगुएल बेडरूम से बाहर आये, अपने हाथ से एक इशारा किया और सारा परिवार वहां से चला गया।
वह सैंतिएगो नासार से अरबी भाषा में बात करते रहे। “पहले ही क्षण से मैं समझ गया था कि मैं जो कुछ भी कह रहा था। उसका सिर-पैर उसके पल्ले नहीं पड़ रहा था।” उन्होंने मुझे बताया था।
तब उन्होंने सीधे-सीधे ही उससे पूछ लिया कि क्या उसे पता है कि विकारियो बंधु उसे मार डालने के लिए ढूंढते फिर रहे हैं। “वह पीला पड़ गया था और उसने कुछ इस तरह से अपना आपा खो दिया था कि विश्वास करना मुश्किल था कि वो ढोंग कर रहा होगा।” वे मुझे बता रहे थे। उन्होंने माना कि उसके तौर तरीके में डर कम और भ्रम ज्यादा था।
“सिर्फ तुम ही बता सकते हो कि वे सही हैं या गलत,” उन्होंने उससे कहा था,“भले जो भी हो अब तुम्हारे सामने दो ही रास्ते बचते हैं। या तो तुम यहीं छुपे रहो, इस घर में जो कि तुम्हारा अपना ही है, या फिर तुम मेरी राइफल लेकर बाहर निकलो।”
“आप क्या कह रहे हैं, कुछ भी मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा है।” सैंतिएगो नासार ने कहा था।
वह सिर्फ इतना ही कह पाया था और यह बात उसने इस्पानी में कही थी। “उस वक्त वह नन्हे भीगे परिन्दे की मानिंद लग रहा था।” नाहिर मिगुएल ने मुझे बताया था। उन्हें पत्रों की पेटी उसके हाथ से ले लेनी पड़ी थी क्योंकि उसे समझ में नहीं आ रहा था, दरवाजा खोलने के लिए पेटी को कहां रखे।
“मुकाबला दो और एक के बीच होगा।” उन्होंने उसे बताया था।
सैंतिएगो नासार चला गया था। लोगों ने खुद को चौराहे पर कुछ इस तरह जमा लिया था, जिस तरह वे परेड के दिनों में किया करते थे। उन सबने उसे बाहर आते देखा था। वे सब समझ गये थे कि अब उसे पता चल चुका है कि वे उसे मारने जा रहे हैं और वह इतना ज्यादा चकराया हुआ था कि अपने घर का रास्ता भी नहीं खोज पाया। उनका कहना है कि कोई किसी छज्जे से चिल्लाया था, “उस रास्ते से नहीं, तुर्क : पुराने घाट के रास्ते से।” सैंतिएगो नासार ने आवाज पहचान ली थी। यामिल शाइयुम उसके लिए चिल्लाया था कि मेरे स्टोर में घुस जाओ। फिर वह अपनी शिकारी वाली बंदूक लाने के लिए लपका। दुर्भाग्य से वह याद ही नहीं कर पाया कि उसने कारतूस कहां रख छोड़े हैं। चारों तरफ से सैंतिएगो नासार के लिए आवाज़ें आने लगीं। वह कई बार आगे होता रहा, पीछे लौटता रहा और ?? एक ही समय में इतनी अधिक आवाजों से हैरान-परेशान होता रहा। तय था कि वह रसोई घर के रास्ते से अपने घर की तरफ जाना चाहता था, लेकिन अचानक ही उसे लगा होगा कि सामने की तरफ का दरवाजा खुला है।
“वो आ रहा है।” पैड्रो विकारियो बोला था। दोनों भाइयों ने उसे एक साथ देखा था। पाब्लो विकारियो ने अपनी जैकेट उतारी, उसे बैंच पर रखा और कागज में से चाकू निकाल कर उसे शमशीर की तरह थाम लिया। स्टोर से बाहर आने से पहले, बिना किसी सहमति के, दोनों एक दूसरे के आगे से गुज़रे। तब क्लोतिल्दे आर्मेंता नासार के लिए चिल्लायी कि वह भाग ले। ये दोनों उसे मारने के लिए पीछे पड़े हुए हैं। यह इतने ज़ोर से चिल्लायी थी कि बाकियों की शोर शराबे की आवाज उसकी चिल्लाहट में डूब गयी थी, “पहले तो वह सकपका गया था, “क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मुझे बताया था,“क्योंकि उसे पता ही नहीं था कि कौन उसके लिए चिल्ला रहा है और कहां से चिल्ला रहा है, “लेकिन जब उसने क्लोतिल्दे आर्मेंता को देख लिया तो उसे पैड्रो विकारियो भी नज़र आया। पैड्रो विकारियो ने क्लोतिल्दे आर्मेंता को जमीन पर पटक दिया था और अपने भाई के साथ आगे बढ़ आया था, उस वक्त सैंतिएगो नासार अपने घर से पचास गज से भी कम दूरी पर था। वह सीधे मुख्य द्वार की तरफ भागा।
रसोई घर में, पांच मिनट पहले विक्टोरिया गुज़मां ने प्लेसिडा लिनेरो को वह सब कुछ बताया जो सबको पहले से ही मालूम था। प्लेसिडा लिनेरो मज़बूत दिल वाली औरत थी, इसलिए उसने चेहरे पर हड़बड़ाहट की शिकन तक नहीं आने दी। उसने विक्टोरिया गुज़मां से पूछा कि क्या उसने इस बाबत उसके बेटे से कुछ कहा था, तो विक्टोरिया गुज़मां साफ़ मुकर गयी। उसने यही कहा कि जब सैंतिएगो नासार कॉफी पीने के लिये आया था तो उस वक्त खुद भी कुछ भी नहीं जानती थी। ड्राइंग रूम में, ठीक उसी वक्त, जब दिविना फ्लोर पोंछा लगा रही थी, चौराहे वाले दरवाजे की तरफ से सैंतिएगो नासार भीतर आया और सीढ़ियों से चढ़कर बेडरूम की तरफ निकल गया, “दृश्य बिल्कुल साफ़ था।” दिविना फ्लोर ने मुझे बताया था, “वह सफेद सूट पहने हुए था और हाथ में कुछ लिये हुए था। मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकती, लेकिन वह गुलाब के फूलों का गुलदस्ता लग रहा था।” इसलिए जब प्लेसिडा लिनेरो ने उससे अपने बेटे के बारे में पूछा तो दिविना फ्लोर ने उन्हें दिलासा दी, “वह एक मिनट पहले ही ऊपर अपने कमरे में गया है।”
तभी प्लेसिडा लिनेरो ने जमीन पर पड़ा काग़ज़ देखा था, लेकिन उन्होंने उसे उठाने के बारे में नहीं सोचा। यह तो वे तभी जान पायी थी कि उस पर क्या लिखा है, जब बाद में हादसे की गड़बड़ी में किसी ने उन्हें यह काग़ज़ लाकर दिखाया था। दरवाजे से उन्होंने देखा था कि विकारियो बंधु हाथों में नंगे चाकू लिये उनके घर की तरफ दौड़े चले आ रहे हैं। “जिस जगह पर वे खड़ी थीं, वहां से वे विकारियो बंधुओं को तो देख पायी लेकिन अपने बेटे को नहीं देख पायी जो एक दूसरे ही कोण से दरवाजे की तरफ दौड़ रहा था। “मुझे लगा, वे उसे घर के भीतर मारना चाहते हैं।” उन्होंने मुझे बताया था। तब वे दरवाजे की तरफ लपकीं और दरवाजा भड़ाक से बंद कर दिया। वे दरवाजे की कुण्डी चढ़ाने ही वाली थीं कि उन्होंने सैंतिएगो नासार की चीखें सुनीं। उन्हें यही लगा कि वह ऊपर कमरे में है और अपने कमरे की बाल्कनी से विकारियो बंधुओं को गालियां बक रहा है। वे मदद करने की नीयत से ऊपर गयीं।
दरवाजा बन्द होने से पहले घर में घुसने से सैंतिएगो नासार कुछ ही सेकेण्डों से चूक गया था। उसने मुट्ठियों, घूंसों से कई बार दरवाजा पीटा और फिर अचानक ही अपने दुश्मनों के आमने सामने हो गया। उसके हाथों में कुछ भी नहीं था। “उसे इस तरह आमने सामने देख कर मैं डर गया था, पाब्लो विकारियो ने मुझे बताया था, “क्योंकि वह जितना था, उससे दुगुना दिखायी देने लगा था।” सैंतिएगो नासार ने अपना हाथ उठाकर पैड्रो विकारियो का पहला वार रोकने की कोशिश की। उसने अपना चाकू सीधे ही सैंतिएगो नासार की दायीं बगल में घुसेड़ दिया था।
““कुतिया के पिल्लो”“ वह चीखा था। चाकू उसके दायें हाथ की हथेली को चीरता हुआ मूठ तक उसकी पसलियों में घुसता चला गया था। सभी ने उसे दर्द से चीखते, छटपटाते सुना था। “ओह, मेरी मां,” पैड्रो विकारियो ने अपना कसाईपना दिखाते हुए मज़बूत पकड़ के साथ चाकू वापिस खींचा था और लगभग उसी जगह पर दूसरा वार किया था। “हैरानी की बात तो यह थी कि चाकू बिल्कुल साफ़ ही बाहर निकल रहा था, पैड्रो विकारियो ने जांचकर्ता के सामने स्पष्ट किया था, “मैंने कम से कम तीन वार किये थे, लेकिन हर बार चाकू पर एक बूंद खून भी नहीं होता था।” तीसरे घाव के बाद सैंतिएगो नासार घूम गया था। उसके हाथ पेट पर दोहरे हो गये थे। उसके मुंह से बछड़े की सी कराह निकली थी और उसने उन दोनों की तरफ पीठ मोड़ने की कोशिश की थी। पाब्लो विकारियो, जो उसकी बायीं तरफ खड़ा था, ने उसकी पीठ में इकलौता वार किया। बड़ी तेजी से खून का फव्वारा छूटा था और उसकी कमीज खून से सन गयी थी। “खून से उस जैसी ही गंध आ रही थी।” उसने मुझे बताया था। तीन प्राण घातक घाव झेल लेने के बाद सैंतिएगो नासार फिर सामने की तरफ मुड़ा और अपनी मां के दरवाजे की टेक लगाकर खड़ा हो गया। उसने रत्ती भर भी विरोध नहीं किया, मानो उनकी मदद करना चाह रहा हो कि दोनों बराबर-बराबर वार करके उसे खत्म कर डालें। “वह दोबारा नहीं चिल्लाया था।” पैड्रो विकारियो ने जांचकर्ता को बताया था, “इसके विपरीत वह मेरी तरफ यूं देख रहा था, जैसे मुझ पर हंस रहा हो।” इसके बाद वे उसे बारी-बारी से और आसानी से चाकू घोंपते रहे और वह दरवाजे पर पीठ लगाये खड़ा रहा। उन्हें डर नहीं लग रहा था, जैसे वे ठहरे पानी को चप्पू से पीट रहे हों। उन्हें पूरे शहर की चीखें, चिल्लाहटें सुनायी नहीं दे रही थीं। शहर, जो अपने खुद के अपराध से डरा हुआ था। ““मैं ठीक वैसे ही महसूस कर रहा था, जैसे आप घोड़े की पीठ पर बैठे हिचकोले खाते हैं। पाब्लो विकारियो ने स्पष्ट किया था। अचानक ही उन्हें वास्तविकता का आभास हुआ था, क्योंकि वे बुरी तरह थक गये थे, फिर भी उन्हें लग रहा था कि सैंतिएगो नासार कभी भी नहीं गिरेगा। “थू है, मेरे भाई,” पाब्लो विकारियो ने मुझसे कहा था,“तुम कल्पना नहीं कर सकते, किसी आदमी को मारना कितना मुश्किल होता है।” उसे एक ही बार और हमेशा के लिए खत्म करने के इरादे से पैड्रो विकारियो ने सैंतिएगो नासार का दिल चीरने की कोशिश की, लेकिन वह उसका दिल बगल की तरफ तलाश रहा था, जहां सूअरों का दिल हुआ करता है। दरअसल, सैंतिएगो नासार इसलिए नहीं गिर रहा था क्योंकि उन्होंने खुद ही उसे दरवाजे की सहारे खड़ा करके पकड़ा हुआ था और लगातार चाकुओं से गोद रहे थे। थक हार कर, पाब्लो विकारियो ने उसके पेट में आड़ा चाकू घुसेड़ा। इससे उसकी सारी अंतड़ियां फट कर बाहर आ गयीं। पैड्रो विकारियो भी उसे आड़ा चाकू मारने ही वाला था कि डर के मारे उसका हाथ घूम गया और सैंतिएगो नासार की जांघ पर गहरा घाव कर गया। सैंतिएगो नासार, एक पल के लिए तो दरवाजे के सहारे सीधा खड़ा रहा, लेकिन जब उसने सूरज की रौशनी में अपनी खुद की अंतड़ियां देखीं - साफ़ और नीली-नीली, तो वह घुटनों के बल गिर पड़ा।
सैंतिएगो नासार के लिए बैडरूम में झांकने, खोजने और चीखने चिल्लाने के बाद जब प्लेसिडा लिनेरो ने दूसरों की चीखें सुनीं जो उनकी खुद की नहीं थी और उन्हें पता नहीं चल पा रहा था कि कहां से आ रही हैं तो वे चौराहे की तरफ वाली खिड़की पर आयीं। वहां से उन्होंने विकारियो बंधुओं को गिरजा घर की तरफ भागते देखा। उनके पीछे तेजी से यामिल शाइमुल अपनी जगुआर बंदूक लिये लपक रहा था। उनके पीछे निहत्थे अरब लोग भी भाग रहे थे। प्लेसिडा लिनेरो को लगा, खतरा टल गया है। तब वे बेडरूम की बाल्कनी में आयीं तो उन्होंने सैंतिएगो नासार को दरवाजे के सामने देखा। उसका चेहरा नीचे धूल में लिथड़ा पड़ा था और वह अपने खुद के खून में चहबच्चे में से उठने की कोशिश कर रहा था। वह खड़ा हुआ, एक तरफ झुका और दृष्टि भ्रम के आलम में चलने लगा। वह अपने हाथों में अपनी झूलती अंतड़ियां थामे हुए था।
उसने पूरे घर के चारों तरफ सौ गज से भी ज्यादा का चक्कर काटा और रसोई के दरवाजे से भीतर चला गया। अभी भी उसका दिमाग इतना काम कर रहा था कि वह गली की तरफ नहीं निकला, जो कि लम्बा रास्ता था। लेकिन वह साथ वाले घर के भीतर घुस गया। पोंचो लानाओ, उसकी बीवी और उनके पांच बच्चे सोच भी नहीं पाये थे कि उनके घर से सिर्फ बीस कदम दूर पल भर पहले क्या कुछ हो चुका है, “हमने चिल्लाने की आवाज़ें सुनीं,” बीवी ने मुझे बताया था, “लेकिन हमने यही समझा कि ये सब बिशप के आगमन का हंगामा है। वे उस वक्त नाश्ता करने के लिए बैठने ही वाले थे जब उन्होंने सैंतिएगो नासार को खून से लथपथ और अपने हाथों में खुद की अंतड़ियां लिये भीतर आते देखा। पोंचो लानाओ ने मुझे बताया था कि हम गू की बदबू कभी भी भूल नहीं पायेंगे। वह बर्दाश्त से परे थी। लेकिन अर्जेनिडा लानाओ, उनकी बड़ी लड़की ने मुझे बताया था कि सैंतिएगो नासार अपनी स्वाभाविक, सधी चाल से, नपे तुले कदमों के साथ जब उनके आगे से गुज़रा तो उस वक्त घुंघराले बालों वाला उसका चेहरा पहले की तुलना में ज्यादा खूबसूरत नज़र आ रहा था। मेज़ के पास से गुज़रते वक्त वह उनकी तरफ देख कर मुस्कुराया था और बेडरूम से होते हुए पिछवाड़े के दरवाजे की तरफ चला गया था। “हमें जैसे डर से लकवा मार गया था।” अर्जेन्टीना लानाओ ने मुझे बताया था। मेरी चाची वेनेफ्रिडा मार्खेज़ नदी के दूसरी तरफ अपने घर के वरांडे में एक बड़ी मछली साफ़ कर रही थी जब उसने नासार को पुराने बंदरगाह की सीढ़ियों से नीचे उतरते देखा था। वह मज़बूत कदमों से अपने घर की तलाश कर रहा था।
“सैंतिएगो, मेरे बच्चे,” वेने चिल्लायी थी, “तुम्हें क्या हो गया है मेरे बच्चे?”
“इन लोगों ने मुझे मार डाला है विन्नी चाची।” उसने कहा था।
वह आखिरी पायदान पर लड़खड़ाया था लेकिन तुरंत ही संभल कर खड़ा हो गया था।
“उस बेचारे को अभी भी इतना होश था कि उसने अपनी अंतडियों पर लगी हुई हुई धूल को भी साफ़ किया था।” मेरी चाची ने मुझे बताया था। इसके बाद वह अपने घर के पिछवाड़े से अपने घर के अंदर चला गया था।
ये दरवाजा सुबह छ: बजे से खुला हुआ था।
वह रसोई घर में औंधे मुंह जा गिरा था।