बूढ़ा आदमी और समुद्र (अमेरिकी उपन्यास) : अर्नेस्ट हेमिंग्वे

The Old Man And The Sea (American Novel) : Ernest Hemingway

अनुवादक की ओर से

(‘बूढ़ा आदमी और समुद्र’ उपन्यास एक बूढ़े गरीब मछुआरे के जीवन संघर्ष की कहानी है। मछली पकड़ने जाना, मछली पकड़ने की कोशिश, उस कोशिश में कामयाब होना, फिर इस सफलता को अंजाम तक लाने की जद्दोजहद का नाम है ‘ओल्ड मैन एंड द सी’। एक मछुआरे के जीवन संघर्ष की यह दास्तान काल, समय और सीमा के बंधन से परे है। यह मछुआरा दुनिया के हर कोने में मौजूद है—जूझता हुआ अपने परिवेश से बिना किसी आक्रोश के, बिना किसी तिरस्कार भाव के। शायद यह मछुआरा एक विकसित आत्मा भी है। उसके सारे मनोभाव तात्कालिक हैं। वह समुद्र से बातें करता है, चिड़ियों से बातें करता है और मछलियों से संवाद करता है। विषम परिस्थितियाँ उसे विचलित नहीं करतीं। उसकी जिजीविषा मरजीवड़े से कम नहीं।
प्रकृति और मनुष्य के अंत:संबंधों को बयान करता हुआ अर्नेस्ट हेमिंग्वे का यह उपन्यास निश्चित ही एक कालजयी रचना है तो फिर हम हिंदी के पाठक इससे क्यों वंचित रहते! अस्तु! —अजय चौधरी)

गल्फ स्ट्रीम में वह बूढ़ा आदमी अपनी नाव से अकेले मछलियाँ पकड़ता था। चौरासी दिन हो चुके थे और उसे एक भी मछली नहीं मिली। शुरू के चालीस दिनों में एक लड़का उसके साथ था, लेकिन चालीस दिनों तक जब लड़के को कोई मछली नहीं मिली तो उसके माँ-बाप ने कहा कि बूढ़ा निश्चित ही एकदम अभागा है, उसे छोड़ दो। माँ-बाप के आदेश पर लड़का दूसरी नाव पर चला गया, जहाँ पहले सप्ताह में उसने तीन अच्छी मछलियाँ पकड़ डालीं। लेकिन लड़के को यह देखकर दु:ख होता था कि बूढ़ा मछुआरा रोज खाली नाव लिये तट पर वापस लौटता था। वह हमेशा नीचे आकर उसकी मदद करता था, चाहे वह डोरियों के गट्ठर को ले जाना हो या बरछा और मत्स्य भाला या फिर नाव के मस्तूल पर लगा हुआ पाल हो। नाव के पाल में आटे की खाली बोरियों से पैवंद लगा दिया गया था। सिकुड़ा हुआ सा पाल ऐसा लगता था, जैसे कोई पराजय का स्थायी ध्वज हो!

बूढ़ा आदमी पतला और मरियल-सा था। उसकी गरदन के पिछले भाग पर झुर्रियाँ पड़ गई थीं। उष्ण कटिबंधीय समुद्र में सूरज के परावर्तन से त्वचा पर मामूली कैंसर से पड़नेवाले धब्बे उसके चेहरे पर दिखाई पड़ते थे। ये धब्बे उसके चेहरे से नीचे की ओर जाते दिखते थे। उसके हाथों पर भारी मछलियों को खींचते रहने से गहरी खरोंचों के निशान पड़ गए थे। लेकिन इनमें से कोई भी निशान ताजा नहीं था। ये निशान किसी बिना मछली के रेगिस्तान में होनेवाले क्षरण जितने पुराने थे।

उसकी आँखों के सिवा उसकी हर चीज पुरानी थी। उसकी आँखों का रंग समुद्र के रंग जैसा था। उसकी आँखों में प्रफुल्लता की चमक थी और पराजय का कोई भाव नहीं था।

जिस किनारे से नाव तैयार की जाती थी, उस पर चढ़ते हुए लड़के ने कहा, “सेंटियागो, अब मैं आपके साथ फिर से चल सकता हूँ। अब हमने कुछ पैसे कमा लिये हैं।”

बूढ़े आदमी ने इस लड़के को मछली पकड़ना सिखाया था और लड़का उससे बहुत प्यार करता था।

“नहीं, आजकल तुम भाग्यशाली नाव के साथ हो, इसलिए उन्हीं के साथ रहो।” बूढ़े ने कहा।

“लेकिन आपको याद है कि सत्तासी दिन तक हमें एक भी मछली नहीं मिली थी और फिर हम तीन हफ्ते तक लगातार हर दिन बड़ी-बड़ी मछलियाँ पकड़ते रहे थे?”

“मुझे याद है।” बूढ़े आदमी ने कहा। “मैं जानता हूँ कि तुम मुझे इसलिए छोड़कर नहीं गए हो कि तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है।”

“मुझे पापा की वजह से जाना पड़ा। मैं छोटा हूँ, इसलिए मुझे उनकी बात माननी चाहिए।”

“मुझे पता है,” बूढ़े ने कहा। “यह बड़ी आम-सी बात है।”

“उन्हें आप पर ज्यादा विश्वास नहीं है।”

“हाँ,” बूढ़े ने कहा। “लेकिन हमें तो पूरा विश्वास है। है कि नहीं?”

“हाँ।” लड़का बोला। “छज्जे पर आपके लिए बियर लेकर आता हूँ, फिर सामान लेकर घर चलेंगे।”

“क्यों नहीं,” बूढ़ा बोला। “दो मछुआरे पिएँगे।”

वे दोनों छज्जे पर बैठ गए। कई मछुआरों ने बूढ़े आदमी का मजाक उड़ाया, लेकिन उसे गुस्सा नहीं आया। कुछ दूसरे बूढ़े मछुआरों ने उसकी तरफ देखा और उन्हें दु:ख हुआ। लेकिन उन्होंने इसकी चर्चा नहीं की। वे समुद्री धाराओं की तीव्रता और जिन गहराइयों में वे भटक जाते थे, उसके बारे में चर्चा करते रहे। इसके अलावा वह लगातार अच्छे मौसम और जो कुछ उन्होंने हाल-फिलहाल देखा था, उसके बारे में गप मारते रहे। उस दिन सफल रहनेवाले मछुआरे अंदर आ चुके थे। उन्होंने अपनी बड़ी समुद्री मारलिन मछलियाँ दो तख्तों पर लंबी लिटा रखी थीं। दोनों तख्तों के किनारों को सँभालनेवाले लड़खड़ा रहे थे। मछलीघर में बर्फवाले ट्रकों का इंतजार हो रहा था। इन ट्रकों से मछलियाँ हवाना के बाजार में जानी थीं। जो लोग शार्क पकड़कर लाए थे, वे उन्हें छोटी खाड़ी के दूसरी तरफ शार्क फैक्टरी लेकर चले गए, जहाँ मछलियों को शिलाखंड और रस्सों पर लटका दिया गया था। उनका कलेजा निकाल लिया गया था, पंख काट डाले गए थे, खाल अलग कर दी गई थी और मांसल हिस्से को नमक लगाने के लिए धारियों में काट दिया गया था।

जब पुरवाई हवा चलती थी तो शार्क फैक्टरी से बंदरगाह को पार करती हुई बदबू निकलती थी। लेकिन आज उस गंध का मामूली सा अहसास ही था, क्योंकि आज हवा वापस उत्तर की ओर मुड़कर फिर बंद हो गई थी। मौसम खुशगवार था और छत पर धूप निकली हुई थी।

“सेंटियागो।” लड़के ने कहा।

“हाँ।” बूढ़े आदमी ने कहा। उसके हाथ में गिलास था और वह कई वर्ष पहले की किसी बात के बारे में सोच रहा था।

“मैं बाहर जाकर आपके लिए कल के लिए सार्डिन मछली ले आऊँ?”

“नहीं, तुम जाओ और बेसबॉल खेलो! मैं अभी भी नाव चला सकता हूँ और रोजेलियो जाल फेंक देगा।”

“मैं भी साथ चलूँगा। अगर मैं आपके साथ मछली नहीं पकड़ सकता तो मैं किसी और तरह से सेवा करूँगा।”

“तुम मेरे लिए बीयर की बोतल खरीदकर लाए हो। अब तो तुम भी जवान हो रहे हो।” बूढ़े ने कहा।

“जब आप मुझे पहली बार नाव पर बिठाकर ले गए थे, तब मैं कितना बड़ा था?”

“पाँच साल के थे तुम और मरने से बाल-बाल बचे थे। जब मैं उस दमदार मछली को नाव में लाया था और उसने नाव के लगभग टुकड़े कर डाले थे। कुछ याद है तुम्हें?”

“मुझे याद है, उसकी पूँछ की मार और आवाज, तख्ते का टूटना और डंडा मारने का शोर। मुझे याद है, आपने मुझे नाव के अगले हिस्से में फेंक दिया था, जहाँ भीगी हुई लच्छेदार रस्सियाँ थीं और नाव काँपती हुई महसूस हो रही थी। जिस तरह पेड़ काटने के लिए वार करते हैं, उसी तरह आप मछली पर प्रहार कर रहे थे और मेरे ऊपर मीठे रक्त की गंध फैल गई थी।”

“क्या तुम्हें वाकई यह सब याद है या मैंने यह बात तुम्हें बताई थी?”

“जब हम पहली बार साथ गए थे, तब से लेकर अभी तक मुझे सब याद है।”

बूढ़े आदमी ने सूरज की रोशनी में तप्त, विश्वास और स्नेह भरी नजरों से बच्चे की ओर देखा।

“अगर तुम मेरे बच्चे होते तो तुम्हें बाहर ले जाता और खेलता। लेकिन तुम तो अपने पिता और अपनी माता की संतान हो। फिर तुम भाग्यशाली नाव में भी हो।”

“सार्डिन मछली मिलेगी अब मुझे? मुझे पता है कि चार चुग्गे भी कहाँ मिलेंगे।”

“मेरी तो आज से छूट गई है। मैं उन्हें बॉक्स में नमक लगाकर रखता हूँ।”

“अब मुझे चार ताजा लाने दो।”

“एक बहुत है,” बूढ़े आदमी ने कहा। उसका आत्मविश्वास और आशा कभी खत्म नहीं हुए। जैसे-जैसे ठंडी लहर बढ़ती है, उसी तरह उनमें और नवीनता आ रही थी।

“दो।” लड़के ने कहा।

“चलो, दो ठीक हैं,” बूढ़ा आदमी मान गया। “तुमने चोरी तो नहीं की?”

“मैं कर सकता हूँ,” लड़के ने कहा, “लेकिन यह मैंने खरीदी हैं।”

“थैंक यू,” बूढ़े आदमी ने कहा। वह इतना सच्चा इनसान था कि खुद उसे अपनी विनम्रता पर अचरज होता था।

लेकिन उसे पता था कि उसमें विनम्रता है और वह यह भी जानता था कि इसमें कोई बुराई नहीं है और विनम्र होने से स्वाभिमान कम नहीं हो जाता।

“आज धारा के प्रवाह को देखते हुए लगता है कि कल का दिन अच्छा रहनेवाला है।” बूढ़े आदमी ने कहा।

“आज किधर जाएँगे?” लड़के ने पूछा।

“बस उतनी दूर कि हवा का रुख पलटने के साथ ही वापसी संभव हो जाए। उजाला होने से पहले ही मैं निकल जाना चाहता हूँ।”

“मैं पिताजी को भी दूर तक निकालकर लाने की कोशिश करूँगा।” लड़के ने कहा। “और अगर आपने वास्तव में कोई बड़ी मछली पकड़ ली तो हम आपकी मदद कर देंगे।”

“तुम्हारा पिता ज्यादा दूर जाना पसंद नहीं करता।”

“नहीं।” लड़का बोला। “मुझे कोई-न-कोई ऐसी चीज दिखाई पड़ जाएगी, जो उन्हें नहीं दिखेगी, जैसे कोई चिड़िया काम पर लगी हुई हो या मैं उन्हें डॉल्फिन के बहाने ले आऊँगा।”

“क्या उसकी आँखों में रोशनी इतनी कम है?”

“वे लगभग अंधे ही हैं।”

“बड़े आश्चर्य की बात है। वह तो कभी समुद्री कछुए नहीं पकड़ता। उससे आँखें खराब हो जाती हैं।”

“लेकिन आप तो मॉस्क्विटो कोस्ट पर कई साल तक समुद्री कछुए पकड़ते रहे हैं और आपकी आँखें ठीक बनी हुई हैं?”

“मैं तो कुछ अजीब सा बूढ़ा आदमी हूँ।”

“लेकिन क्या आपमें वास्तव में किसी बड़ी मछली को पकड़ने की ताकत अभी भी है?”

“हाँ, मुझे तो यही लगता है। और फिर बहुत सी तरकीबें भी होती हैं।”

“हमें यह सामान घर ले जाना चाहिए।” लड़के ने कहा। “जिससे मुझे कार्टनेट मिल जाएगा और मैं सार्डिन मछलियाँ पकड़ने जा सकता हूँ।”

उन्होंने नाव से सामान उठा लिया। बूढ़े आदमी ने मस्तूल अपने कंधे पर रख लिया और लड़के ने लकड़ी का बॉक्स उठा लिया, जिसमें लच्छेदार मजबूत डोरियाँ, काँटेदार बरछी और दस्ता लगा हुआ मत्स्य भाला था। चुग्गेवाला बॉक्स नाव के पिछले हिस्से के नीचे था और वहीं गदा भी थी, जो बड़ी मछली फँस जाने पर उसे शांत करने के लिए प्रयोग की जाती थी। यह मछलियों को नाव के साथ चलाने के लिए भी प्रयोग होती थी। बूढ़े आदमी की नाव से भला कोई चोरी करनेवाला नहीं था, फिर भी बेहतर यही था कि पाल और भारी रस्सियों को घर ले जाया जाए, क्योंकि ओस उनके लिए हानिकारक थी। उसे पूरा विश्वास था कि कोई स्थानीय आदमी उसकी नाव से कुछ नहीं चुराएगा, लेकिन काँटे और मत्स्य भाले को नाव में छोड़ने का मतलब था कि बिना वजह लोगों के मन के लालच को बढ़ावा दिया जाए!

वे दोनों सड़क के साथ-साथ ऊपर की ओर बूढ़े आदमी की झोंपड़ी तक गए और खुले हुए दरवाजे से अंदर घुस गए। बूढ़े आदमी ने मस्तूल लिपटी हुई पाल को दीवार के सहारे टिका दिया और लड़के ने बॉक्स तथा दूसरा सामान उसके साथ रख दिया। मस्तूल घर के एक कमरे जितना बड़ा था। झोंपड़ी ताड़ के पत्तों से बनी हुई थी, जिन्हें ‘गआनो’ कहते हैं। इसके अंदर एक चारपाई, एक मेज, एक कुरसी और कोने में जमीन पर छोटा सा चौका था, जिसमें चारकोल से खाना बनता था। बादामी दीवारों पर मजबूत रेशेवाली एक के ऊपर एक लगी पत्तियों पर ‘सेक्रेड हार्ट ऑफ जीसस’ तथा ‘वर्जिन ऑफ कोब्रे’ की तसवीरें लगी हुई थीं। ये उसकी पत्नी की निशानियाँ थीं। कभी वहाँ उस दीवार पर उसकी पत्नी का रंगीन फोटो होता था, जिसे उसने अब उतारकर रख दिया था, क्योंकि उसकी याद उसे अकेलेपन का अहसास कराती थी। अब वह तसवीर कोने में एक टाँड पर टँगी उसकी साफ कमीज के नीचे थी।

“खाने के लिए आपके पास क्या है?” लड़के ने पूछा।

“मछली के साथ पीले चावल। तुम थोड़ा सा लोगे?”

“नहीं, मैं घर जाकर ही खाऊँगा। आप कहें तो मैं आग जला दूँ?”

“नहीं, मैं बाद में जला लूँगा। हो सकता है कि मैं ठंडे चावल ही खा लूँ।”

“मैं मछलियों का जाल ले जाऊँ?”

“बेशक।”

मछलियों का कोई जाल वहाँ नहीं था। लड़के को याद था कि कब उन्होंने उसे बेचा था। लेकिन यह कहानी वहाँ रोज होती थी। न वहाँ कोई पीले चावलों का बरतन था और न कोई मछली थी। लड़का यह बात भी अच्छी तरह जानता था।

“पिचासी एक भाग्यशाली संख्या है।” बूढ़े आदमी ने कहा, “अगर मैं एक हजार पाउंड दामवाली एक मछली सजाकर लेकर आऊँ तो तुम्हें कैसा लगेगा?”

“मैं मछली का जाल ले लूँगा और सार्डिन मछलियाँ पकड़ूँगा। आप क्या दरवाजे पर बैठकर धूप सेंकेंगे?”

“हाँ, मेरे पास कल का अखबार पड़ा है। मैं बेसबॉल की खबरें पढ़ूँगा।”

लड़के को यह अनुमान नहीं था कि कल का अखबार भी कोई कपोल-कल्पना थी, लेकिन बूढ़े आदमी ने बिस्तर के नीचे से अखबार निकाल लिया।

“पैरिको ने कल मुझे बोडेगा में दिया था।” उसने सफाई दी।

“मुझे जब सार्डिन मछलियाँ मिल जाएँगी तो मैं वापस आ जाऊँगा। आपकी और अपनी दोनों मिलाकर मैं बर्फ में साथ-साथ रख दूँगा और हम लोग कल सुबह उन्हें खा सकते हैं। मैं जब लौटकर आऊँ तो आप मुझे बेसबॉल के बारे में बताना।”

“यांकीज नहीं हार सकते, बेटा!”

“लेकिन ‘इंडियंस ऑफ क्लीवलैंड’ का डर है। मेरे बच्चे ‘यांकीज’ पर भरोसा रखो। ग्रेट डीमैगियो के बारे में सोचो।”

“मैं समझता हूँ कि ‘टाइगर्स ऑफ डेट्रोयट’ और ‘इंडियंस ऑफ क्लीवलैंड’ दोनों ही खतरनाक हैं।"

"ऐसे तो तुम ‘रैड्स ऑफ सिनासिनाटी’ और ‘व्हाइट सॉक्स ऑफ शिकागो’ से भी डरने लगोगे।”

“आप पढ़ लीजिए सारा, फिर मुझे बताना।” लड़का बोला।

“तुम क्या सोचते हो, हम पिचासी नंबर का लॉटरी का एक पूरा बंडल खरीद लें? कल पिचासीवाँ दिन भी है।”

"हाँ, कर सकते हैं ऐसा,” लड़के ने कहा, “लेकिन आपके सत्तासी दिन के महान् रिकॉर्ड का क्या होगा?”

“ऐसा दो बार नहीं होता। तुम्हें लगता है कि तुम्हें पिचासी नंबर मिल जाएगा?”

“मैं ऑर्डर कर सकता हूँ।”

“एक शीट ढाई डॉलर की आती है। कोई है, जो हमें उधार दे सकता है?”

“वह तो आसान है। ढाई डॉलर तो मुझे आराम से उधार मिल जाएँगे।”

“मुझे लगता है कि मैं भी ले सकता हूँ। लेकिन मैं उधार लेना ठीक नहीं समझता। पहले उधार लो, फिर भीख माँगो।”

“खुद को ठंड से बचाइए,” लड़के ने कहा। “ध्यान रखिए, सितंबर आ गया है।”

“वो महीना, जिसमें महान् मछलियाँ आती हैं,” बूढ़े ने कहा। “मई में तो कोई भी मछुआरा बन सकता है।”

“मैं अब सार्डिन पकड़ने चलता हूँ।” लड़के ने कहा।

लड़का जब वापस आया तो सूरज ढल चुका था और बूढ़ा कुरसी पर ऊँघ रहा था। लड़के ने बिस्तर से फौजी कंबल उठाया और कुरसी के पिछले हिस्से की ओर से बूढ़े के कंधों पर फैला दिया। कंधे भी अजीब थे उसके, बूढ़े होते हुए भी उनमें अभी भी ताकत थी। गरदन भी अभी मजबूत थी और सोते समय बूढ़े की गरदन आगे की ओर झुकी होने पर भी अभी झुर्रियाँ नहीं दिखती थीं। उसकी कमीज पर कई बार पैवंद लगाए गए थे, जिससे वह पाल-नाव की तरह लगती थी। सूरज की चमक से पैवंद के रंग भी धुँधले पड़ गए थे। बूढ़े आदमी का सिर एकदम घुटा हुआ था और आँखें बंद कर लेने पर उसके चेहरे पर जिंदगी की कोई निशानी नहीं दिखती थी। अखबार उसके घुटनों पर पसरा हुआ था और हाथ के वजन के कारण वह शाम की हवा में नहीं उड़ रहा था। बूढ़ा नंगे पैर बैठा हुआ सो रहा था।

लड़का उसे वहीं छोड़कर चला गया और जब वापस लौटा तो देखा कि बूढ़ा मछुआरा अभी भी सो रहा था।

“जागो, बूढ़े मछुआरे,” लड़के ने कहा और बूढ़े आदमी के घुटने को टकटकाया।

बूढ़े आदमी ने आँखें खोलीं और एक क्षण के लिए लगा कि वह किसी सुदूर यात्रा से वापस आ रहा था। फिर वह मुसकरा पड़ा।

“क्या है तुम्हारे पास?” उसने पूछा।

“रात का खाना,” लड़के ने कहा। “चलो, खाना खा लेते हैं।’

“मुझे ज्यादा भूख नहीं लगी।”

“चलो, कुछ खा लो। यह नहीं हो सकता कि आप मछली भी न पकड़ें और खाना भी न खाएँ!”

“मेरे पास है,” बूढ़े ने उठते हुए और अखबार उठाकर मोड़ते हुए कहा। फिर उसने कंबल लपेटना शुरू कर दिया।

“कंबल ओढ़े रहो,” लड़का बोला। “जब तक मैं हूँ, मैं आपको बिना खाना खाए मछली नहीं पकड़ने दूँगा।”

“मैं तुम्हारी दीर्घायु की कामना करता हूँ। तुम अपना खूब खयाल रखो।” बूढ़े ने पूछा, “वैसे हम खा क्या रहे हैं?”

“काली फलियाँ और चावल। तला हुआ केला और थोड़ी सी खिचड़ी।”

लड़का यह सब दो डिब्बे के एक टिफिन में छत से लेकर आया था। छुरी, काँटे और चम्मच के दो जोड़े उसकी जेब में थे, जो रूमाल में लिपटे हुए थे।

“किसने दिया ये तुम्हें?”

“मार्टिन ने। मालिक ने।”

“मुझे उसे थैंक्स बोलना चाहिए।”

“पहले ही बोल चुका हूँ मैं, आपको जरूरत नहीं है।” लड़के ने कहा।

“मैं उसे बड़ी मछली के पेट का गोश्त दूँगा।” बूढ़े ने कहा। “क्या उसने यह सब हमारे लिए एक से ज्यादा बार किया है?”

“लगता तो यही है मुझे।”

“फिर मुझे उसे पेट के गोश्त के बजाय कुछ और भी देना चाहिए। बहुत खयाल रखता है वह हमारा।”

“उसने दो बियर की बोतलें भी भेजी हैं।”

“मुझे कैनवाली बियर बहुत पसंद है। जानता हूँ मैं। लेकिन यह तो बोतल वाली है, हैटुई बियर। मैं दोनों बोतल वापस ले जाऊँगा।”

“यह बहुत अच्छा करोगे तुम, अब हम खाएँ?” बूढ़े ने कहा।

“मैं तो बहुत देर से आपसे यही कह रहा हूँ। आप तैयार नहीं थे, इसीलिए मैंने टिफिन नहीं खोला।”

“मैं तैयार हूँ अब। मुझे तो बस हाथ धोने का वक्त चाहिए था।”

'कहाँ हाथ धो लिये आपने!’ लड़का सोचने लगा। गाँव के पानी की सप्लाई लाइन यहाँ सड़क से दो गली नीचे थी। “मुझे यहाँ पानी, साबुन और तौलिया ले आना चाहिए था। यह बात मेरे दिमाग में कैसे नहीं आई? मुझे इनके लिए दूसरी शर्ट, जाड़ों के लिए एक जैकेट, जूते और एक कंबल जरूर लाना चाहिए।”

“तुम्हारी खिचड़ी बहुत बढ़िया है।” बूढ़े आदमी ने कहा।

“मुझे बेसबॉल के बारे में बताइए।” लड़के ने उससे कहा।

“अमेरिकन लीग में मेरे हिसाब से जलवा यांकीज का ही है।” बूढ़े आदमी ने खुशी से कहा।

“वे तो आज हार गए।” लड़के ने उसे बताया।

“कोई फर्क नहीं पड़ता। महान् डीमैगियो तो है अभी भी।”

“टीम में और खिलाड़ी भी हैं।”

“होंगे ही। लेकिन उसकी बात ही अलग है। दूसरी लीग में ब्रुकलीन और फिलाडेल्फिया हैं, लेकिन मैं तो ब्रुकलीन की तरफ हूँ। फिर डिक सिस्लर के बारे में सोचता हूँ। पुराने पार्क में क्या गजब का खेल होता था।”

“डीमैगियो के जैसा तो कोई और था ही नहीं। अब तक मैंने जितना भी खेल देखा है, वह सबसे लंबी हिट लगाता है।”

“तुम्हें याद है, जब वह टैरेस पर आता था? मैं उसे मछली पकड़ने के लिए ले जाना चाहता था, लेकिन मुझे पूछने में बड़ी झिझक थी। मैंने तुमसे भी उससे पूछने को कहा था, पर तुम भी शरमा गए।”

“मैं मानता हूँ कि यह एक बड़ी गलती थी।”

“हो सकता था कि वह हमारे साथ चलता। यह बात हमेशा के लिए हमें याद रह जाती।”

“मैं डीमैगियो को एक बार मछली पकड़ने के लिए साथ ले जाना चाहूँगा,” बूढ़े आदमी ने कहा।

“बताते हैं कि उसका बाप भी एक मछुआरा था। हो सकता है, वह भी हमारी ही तरह गरीब था और वह यह बात समझ सकेगा।”

“महान् सिस्लर का पिता कतई गरीब नहीं था और मेरी उम्र में बड़ी लीग में खेला करता था।”

“जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो एक चौकोर रस्सियों से व्यवस्थित जहाज के मस्तूल पर था और वह जहाज अफ्रीका पहुँच गया। शाम को समुद्र तट पर शेर घूमते देखे थे मैंने।”

“पता है मुझे, आपने बताया था।”

“अब अफ्रीका की चर्चा करें या बेसबॉल की?”

“मैं सोचता हूँ, बेसबॉल की,” लड़के ने कहा।

“मुझे महान् जॉन जे. मेक्ग्रा के बारे में बताओ।” उसने जे के लिए जोटा कहा।

“पुराने दिनों में वह कभी-कभी टैरेस पर आता था। लेकिन वह बहुत उजड्ड था और कड़वा बोलता था। अगर वह दारू पी रहा होता था तो और भी दिक्कत हो जाती थी। उसके दिमाग पर घोड़े और बेसबॉल दोनों छाए रहते थे। उसकी जेब में उसके घोड़ों की लिस्ट हमेशा पड़ी रहती थी और वह टेलीफोन पर घोड़ों के नाम लेता रहता था।”

“वह एक महान् मैनेजर था।” लड़के ने कहा।

“मेरे पिताजी का मानना है कि वह महानतम मैनेजर था।”

“क्योंकि वह यहाँ अकसर आता था,” बूढ़े आदमी ने कहा। “अगर ड्यूटोशर हर साल यहाँ लगातार आता रहता तो तुम्हारे पिता को वही सबसे महान् मैनेजर लगता।”

“वैसे वास्तव में महानतम मैनेजर है कौन? ल्यूक या माइक गौंजालिज?”

“मैं मानता हूँ, दोनों बराबर हैं।”

“और आप सर्वश्रेष्ठ मछुआरे हैं।”

“नहीं, मुझसे बेहतर और भी हैं, जिन्हें मैं जानता हूँ।”

“सवाल ही नहीं,” लड़के ने कहा। “कुछ अच्छे मछुआरे हैं और कुछ महान् भी हैं। लेकिन आप जैसा कोई नहीं।”

“थैंक यू। तुम्हारी बातें मुझे खुश कर देती हैं। मुझे उम्मीद है कि कोई भी मछली इतनी आसानी से हमारे पास नहीं आ जाएगी कि हम गलत सिद्ध हो जाएँ।”

“ऐसी कोई मछली नहीं है, अगर आप मजबूत हैं तो और जैसा आप कहते भी हैं।”

“हो सकता है, मैं उतना तगड़ा नहीं हूँ, जितना कि मैं खुद को समझता हूँ,” बूढ़े आदमी ने कहा। “लेकिन मेरे पास तरकीबें बहुत हैं और मेरा हौसला मजबूत है।”

“अब आपको सो जाना चाहिए, जिससे आप सुबह तरोताजा रहेंगे। मैं यह सारा सामान वापस टैरेस पर ले जाता हूँ।”

“चलो, गुडनाइट। मैं सुबह तुम्हें जगा दूँगा।”

“आप तो मेरी अलार्म घड़ी हैं।” लड़के ने कहा।

“मेरी आयु मेरी अलार्म घड़ी है,” बूढ़ा आदमी बोला। “बूढ़े लोग इतनी जल्दी क्यों जाग जाते हैं? क्या इसलिए कि लंबा दिन मिल जाए?”

“मुझे नहीं पता,” लड़के ने कहा। “मैं जो जानता हूँ, उसके अनुसार नौजवान लड़के देर से सोते हैं और गहरी नींद में सोते हैं।”

“मुझे याद है,” बूढ़े आदमी ने कहा। “मैं तुम्हें समय पर जगा दूँगा।”

“किसी और के द्वारा जगाया जाना मुझे पसंद नहीं है। ऐसा लगता है, जैसे मैं बड़ा तुच्छ हूँ।”

“पता है मुझे।”

“ठीक से सोना ओल्ड मैन।”

लड़का बाहर चला गया। खाना खाते वक्त उनकी टेबल पर उजाला नहीं था। बूढ़े ने अपनी पैंट उतारी और अँधेरे में अपने बिस्तर पर चला गया। तकिया बनाने के लिए उसने पैंट को मोड़ लिया और उसके अंदर अखबार भर लिये। उसने स्वयं को कंबल में लपेट लिया और बिस्तर पर बिछे अखबार के ऊपर सो गया।

उसे जल्दी ही नींद आ गई और सपनों की दुनिया में वह अफ्रीका पहुँच गया। बच्चा है वह और लंबे, सुनहरी समुद्र तट, सफेद समुद्र तट, इतने सफेद कि आँखें चौंधिया जाएँ, ऊँची अंतरीप और ऊँचे-ऊँचे बादामी पहाड़। अब वह उसी समुद्र तट पर रोज रात को रुकता था और सपनों में उसे समुद्री लहरों की दहाड़ सुनाई पड़ती थी, उन्हीं लहरों पर देसी नावें आती दिखाई देती थीं। सोते हुए उसने डेक पर पड़े हुए तारकोल और पुराने सन की गंध महसूस की। उसे अफ्रीका की गंध भी आई, जो सुबह की हवा का झोंका लेकर आया था।

आमतौर पर जब उसे स्थल वायु की गंध आती थी तो वह जाग जाता था और कपड़े पहनकर लड़के को जगाने चला जाता था। लेकिन आज स्थल वायु कुछ काफी पहले आ गई थी और उसे सपने में भी पता था कि अभी बहुत जल्दी थी, इसलिए वह फिर स्वप्नलोक में विचरण करने लगा, जहाँ समुद्र से उठते हुए द्वीपों की सफेद चोटियाँ दिखती थीं। अलग-अलग बंदरगाहों और कैनरी द्वीप समूह के लंगर को वह स्वप्न में देखता रहा।

अब उसे तूफानों, स्त्रियों, बड़ी घटनाओं, बड़ी मछलियों, संघर्षों, शक्ति-परीक्षण या अपनी पत्नी के स्वप्न नहीं आते थे। अब उसे सपनों में सिर्फ अलग-अलग स्थान और समुद्र तट पर शेर दिखाई देते थे। शाम के धुँधलके में शेर बड़ी-बड़ी बिल्लियों की तरह खेल रहे थे। जिस तरह वह लड़के से प्यार करता था, उसी तरह वह उन शेरों को भी पसंद करता था। लड़का उसे कभी सपने में नहीं दिखाई दिया। वह सहजता से जाग गया। खुले हुए दरवाजे से उसने बाहर देखा, पैंट की तह खोली और पहन ली। झोंपड़ी के बाहर उसने पेशाब किया और लड़के को उठाने के लिए सड़क के ऊपर की ओर चल दिया। सुबह की ठंड उसे कँपकँपा रही थी। उसे पता था कि अभी थोड़ी देर में उसे गरमी आ जाएगी और थोड़ी देर में वह नाव चला रहा होगा।

लड़का जिस घर में रहता था, उसमें ताला नहीं लगा था। वह नंगे पैर सावधानी से दरवाजा खोलकर घुस गया। लड़का पहले कमरे में ही चारपाई पर सोया था। डूबते हुए चाँद के मद्धम प्रकाश में वह उसे आसानी से देख सकता था। उसने लड़के को एक पैर पकड़कर धीरे से टकटकाया और तब तक हिलाता रहा, जब तक लड़का जाग न गया। लड़के ने अँगड़ाई ली और पलटकर देखा। बूढ़े आदमी ने सिर झुकाकर इशारा किया, लड़के ने कुरसी से अपनी पैंट खींच ली और बिस्तर पर बैठकर पैंट पहन ली।

बूढ़ा आदमी दरवाजे से बाहर निकल गया और लड़का उसके पीछे-पीछे आ गया। उसे नींद आ रही थी। बूढ़े आदमी ने उसके कंधे पर अपनी बाँह रखी और कहा, “आई एम सॉरी।”

“कोई बात नहीं,” लड़के ने कहा। “यह तो एक मर्द को करना ही चाहिए।”

दोनों सड़क से नीचे उतरकर बूढ़े आदमी की झोंपड़ी में आ गए। पूरी सड़क पर अँधेरे में लोग अपनी-अपनी नावों के मस्तूल उठाए हुए नंगे पैर चल रहे थे।

जब वे दोनों बूढ़े आदमी की झोंपड़ी तक पहुँचे तो लड़के ने तार के बंडल को टोकरी में भर लिया और मछली फँसाने की काँटेदार बरछी और मत्स्य भाला ले लिया। बूढ़े आदमी ने लिपटे हुए पाल के साथ मस्तूल को अपने कंधे पर रख लिया।

“कॉफी पिएँगे आप?” लड़के ने पूछा।

“पहले नाव में सामान रख देते हैं, फिर देखते हैं।”

“नींद कैसी आई आपको?” लड़के ने पूछा। वह अब जाग गया था, फिर भी नींद से निकलने में परेशानी हो रही थी।

“बहुत बढ़िया मैनोलिन,” बूढ़े ने कहा। “आज मुझे काफी आत्मविश्वास है।”

“मुझे भी है। अब मैं आपकी और अपनी सार्डिन मछलियाँ और ताजा चारे वाली मछलियाँ लेकर आता हूँ।” वह अपना सामान खुद लेकर आता है। उसे यह पसंद नहीं कि उसका सामान कोई और उठाए।

“हम थोड़े अलग हैं।” बूढ़े आदमी ने कहा।

“मैं तो तुम्हें उस वक्त भी सामान उठाने देता था, जब तुम केवल पाँच साल के थे।”

“जानता हूँ,” लड़के ने कहा। “मैं अभी वापस लौटा। आप तब तक एक कॉफी और पियो। यहाँ हमारा खाता चलता है।”

नंगे पैर पथरीली सड़क से होता हुआ वह उधर चला गया, जहाँ चुग्गेवाली मछलियाँ रखी जाती थीं।

बूढ़ा आदमी धीरे-धीरे कॉफी पीता रहा। आज अब इसके अलावा वह कुछ नहीं लेगा। उसे यह बात पता थी, इसीलिए वह पी रहा था। बहुत दिनों से उसे खाना खाने से बोरियत होने लगी थी और वह कभी लंच लेकर नहीं चलता था। नाव के अगले हिस्से में एक पानी की बोतल रखी थी। पूरे दिन के लिए उसे बस इसी की जरूरत थी।

लड़का सार्डिन लेकर वापस आ चुका था, दो चुग्गे अखबार में लिपटे हुए थे। बलुई मिट्टी में चिकने पत्थरों को पैरों के नीचे महसूस करते हुए वे दोनों नाव तक गए। उन्होंने नाव उठाई और उसे पानी में उतार दिया।

“गुड लक ओल्डमैन।”

“गुड लक,” बूढ़े आदमी ने कहा। उसने चप्पू की रस्सियों को टेक से बाँध दिया और पानी में पतवार की उछाल के विरुद्ध झुकते हुए अँधेरे में लंगर से निकालते हुए नाव चलाना शुरू कर दिया। दूसरे समुद्र तटों से अन्य नावें भी समुद्र में जा रही थीं। बूढ़े आदमी को उन नावों के चप्पुओं के समुद्र में चलने की आवाजें सुनाई पड़ रही थीं, हालाँकि वह उन्हें अभी देख नहीं पा रहा था, क्योंकि चाँद अब पहाड़ियों के नीचे चला गया था।

* * * * *

'ओल्ड मैन ऐंड द सी' का सारांश

अर्नेस्ट हेमिंग्वे का उपन्यास “ओल्ड मैन ऐंड द सी” (1952) साहित्य जगत की अमर कृति है। यह क्यूबा के एक वृद्ध मछुआरे सैंटियागो की कहानी है, जो अकेलेपन, विपरीत परिस्थितियों और प्रकृति की कठोरता से जूझते हुए मनुष्य की अदम्य जिजीविषा और आत्मबल का प्रतीक बन जाता है।

आरंभ – बूढ़ा और उसका अकेलापन : कहानी की शुरुआत क्यूबा के एक छोटे से मछुआरे गाँव से होती है। मुख्य पात्र सैंटियागो एक बूढ़ा, गरीब और अनुभवी मछुआरा है। वह लम्बे समय से समुद्र में मछलियाँ पकड़कर जीविका चलाता है। परंतु पिछले 84 दिनों से उसे एक भी मछली नहीं मिली है। इस लगातार असफलता के कारण गाँववाले उसे अशुभ या बदकिस्मत मानने लगते हैं।

सैंटियागो का एक शिष्य और साथी है – मैनोलिन। वह एक किशोर लड़का है, जो बूढ़े से गहरा लगाव रखता है। पहले वह उसके साथ समुद्र में जाता था, परंतु इतने दिनों की असफलता के बाद उसके माता-पिता ने उसे दूसरे नाविकों के साथ भेज दिया। इसके बावजूद मैनोलिन रोज़ सैंटियागो से मिलने आता है, उसके लिए खाना-पानी लाता है, नाव और उपकरण दुरुस्त करता है तथा उससे मछली पकड़ने की कला सीखता है। यह रिश्ता दादा-पोते जैसा भावनात्मक बंधन है।

85वें दिन का निर्णय : 84 दिनों की विफलता के बाद भी सैंटियागो हार नहीं मानता। वह 85वें दिन अकेले ही समुद्र की गहराई में निकलने का निर्णय लेता है। उसे पूरा विश्वास है कि आज उसकी मेहनत रंग लाएगी। उसकी नाव छोटी है, साधन साधारण हैं, परंतु उसका आत्मबल दृढ़ है। वह प्रातःकाल निकल पड़ता है और धीरे-धीरे दूर तक चला जाता है, जहाँ साधारण मछुआरे जाने से डरते हैं।

विशाल मार्लिन का शिकार : दिनभर की प्रतीक्षा के बाद उसके कांटे में एक असाधारण मार्लिन मछली फँसती है। यह मछली बहुत विशालकाय और शक्तिशाली होती है, इतनी बड़ी कि पहले किसी ने ऐसी मछली नहीं देखी। सैंटियागो जानता है कि यह मछली उसकी बदकिस्मती को तोड़ेगी, परंतु उसे पकड़ना आसान नहीं होगा। मार्लिन मछली कांटे में फँसकर भागने की कोशिश करती है और नाव को खींचते हुए समुद्र की गहराइयों में ले जाती है। सैंटियागो मजबूती से रस्सी थामे रहता है। उसके हाथों में घाव हो जाते हैं, हथेलियाँ कट जाती हैं और पीठ थकान से झुक जाती है। फिर भी वह हार नहीं मानता।

संघर्ष – बूढ़ा और मछली : यह संघर्ष पूरे तीन दिनों और तीन रातों तक चलता है। सैंटियागो अकेलेपन में मछली से बातें करता है। वह उससे कहता है कि तुम मेरे “भाई” जैसी हो। एक ओर वह मछली की ताकत और सुंदरता का सम्मान करता है, दूसरी ओर जानता है कि जीवनयापन के लिए उसे इसे मारना ही होगा।
भूख-प्यास और थकान के बीच बूढ़ा कभी डॉल्फिन पकड़कर खा लेता है, कभी समुद्र का पानी पीकर खुद को जिंदा रखता है। वह बार-बार खुद को याद दिलाता है – “मनुष्य हारने के लिए नहीं बना। उसे नष्ट किया जा सकता है, लेकिन हराया नहीं जा सकता।”
अंततः तीसरे दिन वह अपनी पूरी ताकत लगाकर भाले से मार्लिन को मार देता है। मछली इतनी विशाल होती है कि नाव में समा नहीं पाती। सैंटियागो उसे नाव से बाँधकर किनारे की ओर चल देता है।

शार्कों का हमला : लेकिन असली परीक्षा अब शुरू होती है। मार्लिन का खून समुद्र में फैल जाता है और शार्कें उस पर टूट पड़ती हैं। सैंटियागो पूरी शक्ति से उनका सामना करता है। पहले वह भाले से शार्कों को मारता है, फिर जब भाला टूट जाता है तो डंडा, चाकू और यहाँ तक कि पतवार तक से लड़ता है।

उसका शरीर थककर चूर हो जाता है, फिर भी वह हार नहीं मानता। हर बार शार्कें मछली का कुछ हिस्सा नोच ले जाती हैं। वह निराश होते हुए भी संघर्ष करता रहता है। अंततः जब वह किनारे पहुँचता है, तब तक मार्लिन का केवल विशाल कंकाल ही शेष बचा होता है।

रात के अंधेरे में थका-माँदा बूढ़ा गाँव लौटता है। वह नाव में पड़ी मछली के कंकाल को देखकर दुखी तो होता है, पर उसे यह भी पता है कि उसने अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी है।

गाँववाले अगली सुबह जब नाव के पास आते हैं तो उस मछली का ढाँचा देखकर हैरान रह जाते हैं। सब मानते हैं कि बूढ़े ने असंभव कार्य किया है। मैनोलिन अपने गुरु को देखकर भावुक हो जाता है और निश्चय करता है कि अब वह हमेशा उसके साथ ही मछली पकड़ने जाएगा।

(अनुवाद - अजय चौधरी)

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