जब एक चूहा वजीर बना : मिस्र की लोक-कथा

The Mouse as a Vizier : Egyptian Folk Tale

जब चूहा वजीर बना – यह कहानी एक बहुत ही सुन्दर जानवरों की कहानी है जिसे पुराने मिस्र के लोग बहुत पसन्द करते थे। जानवर मिस्र के लोगों की ज़िन्दगियों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा थे।

यहाँ तक कि देवी देवता भी जानरों का रूप रख लिया करते थे। वे उन जानवरों की पूजा भी करते थे जिनमें वहाँ की जनता को किसी देवी देवता के गुण दिखायी पड़ जाते थे – जैसे साँपों को भगाना या फिर उनके बच्चों की रक्षा करना।

पर वे पुराने मिस्र के लोगों के लिये एक मनोरंजन का साधन भी थे। इनमें सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और मजेदार कहानी है “शेर और बकरे का शतरंज खेलना”।

पर अभी हम आपको एक चूहे की कहानी सुनाते हैं जिसको किस तरीके से मशहूर होने की बजाय शर्म उठानी पड़ी।

एक बार जानवरों के राज्य में फैरो का एक वजीर था जो बहुत ही अक्लमन्द न्याय करने वाला और दयालु था। उसकी सलाह की बहुत कद्र की जाती थी और वह सारे राज्य के कामों की बड़ी अच्छी तरह से देखभाल करता था।

पर वह 110 साल का था। एक दिन वह लेटा और मर गया।

अब राजा को दूसरा वजीर चाहिये था। उसने दूसरे वजीर की खोज शुरू की पर उसके दरबार में उतना अक्लमन्द कोई भी नहीं था जो शेर को अपने वजीर की जगह जँच सके। तो उसने सोचा कि वह एक पहेली रखेगा और जो कोई भी उसे हल कर देगा वह उसको अपना वजीर बना लेगा।

उसने पूछा — “शहद से मीठा क्या है और पित्त से कड़वा क्या है?”

पहेली का यह सन्देश चारों तरफ फैला दिया गया कि जो कोई इस पहेली का जवाब देगा उसको राजा शेर अपना वजीर बनायेंगे। सब जानवर इस बारे में विचार करने लगे कि ऐसा क्या हो सकता है जो शहद से मीठा हो और पित्त से कड़वा हो।

पर यह सवाल तो बहुत मुश्किल था। करीब करीब चाँद का एक महीना गुजर गया और कोई इसका जवाब ले कर राजा के पास नहीं पहुँचा। राजा अब नाउम्मीद हो चुका था। उसको लग रहा था कि अब उसके राज्य में कोई इतना अक्लमन्द जानवर ही नहीं है जिसे वह अपना वजीर बना ले।

कि एक दिन एक छोटा चूहा राजा के पास दौड़ा आया और चिल्ला कर बोला — “वजीर का दफ्तर।”

जवाब तो ठीक था सो चूहे को जानवरों के राज्य का नया वजीर बना दिया गया। राजा ने उसको बहुत सारा सोना दिया और उसको बताया कि एक वजीर के क्या क्या काम होते हैं।

इस तरह से चूहा जानवरों के राज्य का वजीर बन गया।

अब यह तो बड़ी खुशी की बात थी सो सब जगह चूहे के वजीर बनने के उत्सव मनाये जाने लगे। चूहे के पैर धोये गये। उसके गले में एक बो बाँधी गयी।

एक बिल्ले ने उसको वाइन पीने के लिये दी। एक दूसरे नौकर ने उसके ऊपर पंखा झला। इस रस्म को देखने के लिये उसका परिवार एक गाड़ी में बैठ कर आया। साथ में उसके रिश्तेदार और दोस्त भी आये।

चूहा आ कर एक छोटे से मंच पर बैठ गया। उसने बहुत बढ़िया कपड़े पहने हुए थे। उसके सिर पर एक कमल का फूल लगा हुआ था। एक जानवर उसके पीछे खड़ा था। सारी जगह फूलों की मालाऐं ही मालाऐं लगी हुई थीं।

एक बिल्ले ने चूहे को खाना ला कर दिया। उसके पीछे पीछे एक लोमड़ा आया जिसने चूहे का फूलों का गुलदस्ता दिया। लोमड़ा बहुत घबरा रहा था और वह कुछ हकलाता सा बोल रहा था।

एक लोमड़ा हार्प बजा रहा था और चूहे की प्रशंसा में उसे बिना रुके लगातार बजाये जा रहा था।

और दूसरे जानवर भी उसका सम्मान करने के लिये वहाँ आये। उन्होंने उसे भेंटें भी दीं। किसी ने उसे कपड़े दिये किसी ने गहने। किसी ने उसे हथियार दिये तो किसी ने वाइन। किसी ने उसे फूल दिये तो किसी ने कुछ और।

संगीत बराबर चलता रहा और सब कुछ शान्ति से निपट गया। पर इस हँसी खुशी के बीच कुछ परेशानियाँ उठ खड़ी हुईं। पहली तो यह कि जब मगर चूहे को अपनी शुभकामनाऐं देने आया तो वह अपने साथ एक छोटी सी मछली ले कर आया था जो उसे बहुत अच्छी लगती थी।

एक मादा हयीना ने जब उसे देखा तो वह उसको बहुत स्वादिष्ट लगी। उसको देख कर उसके मुँह में पानी आ गया। जब उसने उसे खाना चाहा तो मगर ने अपनी पूँछ फटकार कर उसको मादा हयीना से बचा लिया। अच्छा हुआ कि छोटी सी मछली को कोई नुकसान नहीं पहुँचा।

एक कुत्ते के बच्चे ने यह सब होते हुए देखा लिया तो उसने जा कर अपनी माँ से कहा। माँ इस घटना को वजीर को बताना चाहती थी पर जो मादा हयीना उस मछली को खाना चाहती थी उसके पति ने कुतिया से विनती की कि वह अभी जा कर उसे न बताये क्योंकि इससे शान्ति भंग होने का डर था।

कुतिया मान गयी और सारा दिन बिना किसी बड़ी घटना के निकल गया।

अब जब सब कुछ खत्म हो गया तो चूहे ने अपना दफ्तर सँभाला। अपना काम करना शुरू किया। जानवरों के लड़ाई के मुकदमे।

एक बार एक कुत्ते और एक बिल्ले को जो अपराधी थे उसने जेल भेज दिया। अब उसका गुस्सा होने वाला और झगड़ने वाला स्वभाव दिखायी दे रहा था।

वह बहुत जल्दी गुस्सा हो जाता और गुस्से में भर कर किसी को भी बहुत कड़ी सजा दे देता। यह खास करके तब ज़्यादा होता जब मुकदमा चोरी का होता।

एक बार नूबिया का एक बच्चा एक बिल्ले से पिट कर वहाँ आया। नूबिया के बच्चे ने केवल कुछ खजूर चुरा लिये थे इसी लिये उस बिल्ले ने उसे पीटा था। और बच्चा कितना भी चिल्लाया रोया चूहे ने उसको और ज़्यादा सजा के लिये कह दिया।

जब फैरो ने यह सुना तो उसने चूहे को बुलाया और उससे अपनी गलती सुधारने के लिये कहा।

अब चूहे ने क्या किया?

उसने नूबिया के बच्चे को पकड़ा और उससे बिल्ले को पीटने के लिये कहा। उसने कहा “बिल्ले ने तुझे पीटा तो अब तू बिल्ले को पीट।”

अब बिल्ले ने तो कुछ किया नहीं था। उधर नूबिया का बच्चा भी यह करने से हिचक रहा था पर चूहे ने उससे जबरदस्ती बिल्ले को इतना पिटवाया कि वह रोने लगा।

यह सुन कर फैरो फिर से बहुत गुस्सा हो गया। वह अपने राज्य में किसी तरह का गर्म दिमाग वाला जानवर नहीं रखना चाहता था। सो उसने चूहे से उसका वजीर का ओहदा छीन लिया और सब चूहों को जमीन के नीचे रहने का हुक्म दे दिया।

इसी लिये तब से सारे चूहे जमीन के अन्दर रहते हैं।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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