मुड़े हुए होंठवाला आदमी (कहानी) : आर्थर कॉनन डॉयल

The Man with the Twisted Lip (English Story in Hindi) : Arthur Conan Doyle

सेंट जॉर्ज के थियोलॉजिकल कॉलेज के प्रिंसिपल स्व. इलियास व्हिटनी, डी.डी. के भाई इजा व्हिटनी को अफीम की भारी लत थी। उसकी यह आदत, उसकी एक मूर्खतापूर्ण सनक, मैं समझता हूँ, जब वह कॉलेज में था, तब पैदा हुई थी; क्योंकि अपने सपनों और संवेदनाओं का डी क्विंसी का वर्णन पढ़ने के बाद उसने अफीम का प्रभाव पैदा करने के प्रयास में अपनी तंबाकू को लाँडनम (अफीम का टिंक्चर) से भिगो दिया था। बहुत से अन्य लोगों की तरह उसने पाया कि इस आदत को गले लगाना आसान था, मगर इससे छुटकारा पाना कठिन और कई वर्षों तक वह इस ड्रग का गुलाम तथा उसके दोस्तों और रिश्तेदारों की वितृष्णा और दया का पात्र बना रहा। मैं अब उसे देख सकता हूँ—गिरी हुई पलकों और निस्तेज आँखोंवाला पीला, कुम्हलाया हुआ चेहरा, एक कुरसी में धँसा वह बरबाद कुलीन पुरुष!

वह जून 1889 की एक रात थी—लगभग ऐसे समय पर जब एक आदमी अपनी पहली जम्हाई लेता है और दीवार पर लगी घड़ी की ओर नजर डालता है। मेरे दरवाजे की घंटी बजी। मैं कुरसी पर कुछ सँभलकर बैठ गया और मेरी पत्नी ने अपनी बुनाई का सामान गोद में रखा और कुछ निराशा के भाव से दरवाजे की ओर देखा।

‘कोई मरीज!’ उसने कहा, ‘तुम्हें बाहर जाना होगा।’

मेरे मुँह से एक आह निकली, क्योंकि दिनभर के काम से थका-माँदा मैं अभी-अभी घर आया था।

हमने दरवाजा खुलने, जल्दी में बोले गए कुछ शब्दों और फिर लिनोलियम के फर्श पर तेज कदमों की आवाजें सुनीं। हमारा अपना दरवाजा एक झटके से खुला और किसी गहरे रंग की पोशाक और काले बुरके में एक महिला ने कमरे में प्रवेश किया।

‘इस वक्त यहाँ आने के लिए आप मुझे माफ करेंगे,’ उसने कहना शुरू किया और फिर अचानक अपने पर काबू खोते हुए उसने दौड़कर मेरी पत्नी के गले में अपनी बाँहें डालकर, उसके कंधे पर मुँह रखकर सुबकने लगी, ‘ओह, मैं भारी मुसीबत में हूँ’, वह रोते-रोते बोली, ‘इसीलिए आपसे कुछ मदद चाहती हूँ।’

‘अरे,’ मेरी पत्नी उसका बुरका ऊपर उठाते हुए बोली, ‘यह तो केट व्हिटनी है। तुमने तो मुझे चौंका ही दिया! जब तुम कमरे में दाखिल हुई तो जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह तुम होगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, इसलिए मैं सीधे तुम्हारे पास चली आई।’ मेरी पत्नी के पास आनेवाले दुःखी लोगों का हमेशा यही तरीका होता था, जैसे पक्षी लाइट हाउस की ओर खिंचे चले आते हैं।

‘तुमने यहाँ आकर अच्छा किया। अब तुम्हें कुछ वाइन व पानी लेना होगा। आराम से बैठो और हमें पूरी बात बताओ। या तुम चाहोगी कि मैं जेम्स को सोने के लिए भेज दूँ?’

‘अरे नहीं, नहीं! मुझे डॉक्टर की सलाह व मदद की भी जरूरत है। यह मामला इजा के बारे में है। वह दो दिन से घर नहीं आया है। उसको लेकर मुझे बहुत डर लग रहा है।’

यह पहली बार नहीं था कि उसने पति को लेकर अपनी परेशानी के बारे में हमें बताया था—एक डॉक्टर के तौर पर मुझे और स्कूल के दिनों की सहेली के रूप में मेरी पत्नी को। उन शब्दों से हमने उसे शांत किया और दिलासा दी, जो उस वक्त हमें सूझे थे। क्या वह जानती थी कि उसका पति कहाँ था? क्या यह संभव था कि हम उसे उसके पास ले आते?

ऐसा लगता है कि वह संभव था। उसे इस बात की पक्की जानकारी थी कि हाल के दिनों में, जब इजा को तलब लगती थी तो वह शहर के पूर्व में स्थित अफीम के एक अड्डे का उपयोग करता था। अब तक उसकी अफीमखोरी हमेशा एक दिन तक सीमित रहती थी और वह शाम को बदन में ऐंठन के साथ, पूरी तरह से बदहाल घर वापस आ जाता था। मगर अब नशा उस पर अड़तालीस घंटे सवार रहता था और वह उस जहर को साँस के जरिए भीतर लेते हुए या उसके नशे में बंदरगाह की गोदी (डॉक्स) के कूड़ा-करकट में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी को पक्का विश्वास था कि वह अपर स्वेंडन लेन स्थित ‘बार ऑफ गोल्ड’ में ही मिलेगा। परंतु वह कर क्या सकती थी? कैसे एक युवा व डरपोक औरत उस तरह की जगह तक पहुँचती और आवारागर्द लोगों के बीच घेरे से अपने पति को निकाल पाती? तो मामला यह था और निश्चित रूप से उसका एक ही समाधान था। क्या मैं उसके साथ उस जगह नहीं जा सकता था? और फिर तुरंत ही दूसरा विचार आया कि केट को मेरे साथ जाने की जरूरत ही क्या है? मैं इजा व्हिटनी का मेडिकल एडवाइजर था और इस नाते उस पर मेरा कुछ प्रभाव था। यह काम मैं अकेले बेहतर तरीके से कर सकता था। मैंने उसे वचन दिया कि दो घंटे के भीतर मैं उसके पति को एक कैब में घर भेज दूँगा, अगर वह सचमुच उस पते पर मौजूद हुआ, जो उसने हमें दिया था और इस तरह दस मिनट में मैंने अपनी आरामकुरसी और खुशनुमा बैठक पीछे छोड़ दी थी और एक अजीब से काम, जैसा वह मुझे उस समय लगा था—यद्यपि केवल भविष्य ही बता सकता था कि वह कितना अजीब होने वाला था, पर मैं एक घोड़ागाड़ी में पूर्व दिशा में दौड़ा चला जा रहा था।

परंतु अपने साहसिक कारनामे के पहले चरण में कोई ज्यादा मुश्किल नहीं आई। अपर स्वेंडन लेन एक बदनाम गली है, जो लंदन ब्रिज के पूर्व में बह रही नदी के उत्तरी भाग में ऊँचे घाटों की कतार के पीछे एक सॉफ्ट-ड्रिंक और शराब की दुकान के बीच छिपी रहती है। जिन तक सीधे उतारवाली सीढि़याँ गुफा के मुख की तरह एक काले गड्ढे की ओर ले जाती थीं। मुझे नशाखोरी का वह अड्डा मिल गया, जिसकी तलाश में मैं गया था। अपने कोचवान को रुकने का आदेश देकर मैं सीढि़यों से नीचे उतरा, जिसका मध्य भाग नशेडि़यों के अनवरत आवागमन से टूट-फूट गया था; और दरवाजे के ऊपर लटके एक ऑयल लैंप की टिमटिमाती रोशनी में मैंने दरवाजे को धीरे से धकेला और ब्राउन ओपियम के धुएँ से भरे एक लंबे, निचले कमरे में प्रवेश किया, जिसमें दीवार के साथ एक के ऊपर एक लकड़ी की शायिकाएँ बनी हुई थीं, जैसे डॉक से बाहर निकलते जहाज के अग्रिम भाग में बनी होती हैं।

धुँधले प्रकाश में अजीब-अजीब मुद्रओं में लेटी मानव आकृतियों पर नजर पड़ जाती थी—झुके हुए कंधे, मुड़े हुए घुटने, सिर पीछे की ओर लटके हुए, ठुड्डियाँ छत की तरफ उठी हुईं; यहाँ-वहाँ कुछ निस्तेज आँखें निर्लिप्तता से किसी आगंतुक की ओर उठ जाती थीं। काली परछाइयों के बीच लाल रोशनी के घेरे चमक उठते थे, कभी तेज, कभी मंद; वहीं धातु की नलियों के कटोरों में जलता हुआ जहर चमकता, बुझता रहता था। अधिकांश लोग चुपचाप पड़े थे। मगर कुछ अपने आप से बुदबुदा रहे थे; कुछ अन्य एक विचित्र, धीमे, बेजान स्वर में आपस में बातें कर रहे थे। उनकी बातचीत कभी एक प्रवाह के रूप में आती और अचानक ही खामोशी में बदल जाती। उनमें से हर एक दूसरे की बात अनसुनी करके अपनी ही बात बुदबुदाता। दूर वाले छोर पर जलते हुए कोयलोंवाली एक छोटी अँगीठी थी, जिसके बाजू में एक तिपाई पर अपनी दोनों मुट्ठियों पर ठुड्डी टिकाए, जबकि उसकी कोहनियाँ उसके घुटनों पर थीं, एक लंबा, पतला सा बूढ़ा आदमी आग की ओर घूर रहा था।

जैसे ही मैंने प्रवेश किया, एक पीला मलेशियाई सेवक जल्दी से मेरे लिए ड्रग की एक खुराक व पाइप ले आया और उसने एक खाली बर्थ की ओर इशारा किया।

‘धन्यवाद! मैं यहाँ रुकने के लिए नहीं आया हूँ’, मैंने कहा, ‘मेरा एक दोस्त यहाँ है—मि. इजा व्हिटनी, और मैं उससे बात करना चाहता हूँ।’

मेरे दाहिनी ओर कुछ हलचल हुई और किसी के चिल्लाने की आवाज आई; धुँधलके में ताकने पर मुझे व्हिटनी दिखाई दिया—पीला, दुबला-पतला और अस्त-व्यस्त, जो मुझे घूर रहा था।

‘ओ माय गॉड! यह तो वाटसन है’, उसने कहा। वह बहुत दयनीय स्थिति में था। उसकी हर स्नायु फड़क रही थी। ‘वाटसन मैं पूछता हूँ, टाइम क्या हुआ होगा?’

‘ग्यारह बजने को हैं।’

‘और दिन?’

‘शुक्रवार, 19 जून।’

‘हे भगवान्! मैं तो समझ रहा था बुधवार है।’

‘यह बुधवार ही है। इस गरीब को डराना क्यों चाहते हो?’ उसने अपना चेहरा बाँहों में छिपा लिया और जोर-जोर से रोने लगा।

‘मैं कहता हूँ, यह शुक्रवार ही है, मेरे भाई! तुम्हारी वीबी पिछले दो दिनों से तुम्हारा इंतजार कर रही है। तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए।’

‘शर्मिंदा तो मैं हूँ। मगर आपसे कुछ गलती हुई है, वाटसन, क्योंकि यहाँ आए मुझे कुछ घंटे ही हुए हैं, तीन या चार पाइप हुए होंगे, ठीक से याद नहीं है। मगर मैं आपके साथ घर जाऊँगा। मैं केट, बेचारी केट को डराऊँगा नहीं। जरा अपना हाथ दीजिए। क्या आपके पास घोड़ा गाड़ी है?’

‘हाँ, मैं बाहर छोड़कर आया हूँ।’

‘तब तो मैं उसी में जाऊँगा। मगर मुझे एक बात जरूर कबूल करनी होगी। आप बताएँ वाटसन, वह क्या होगी? मैं बिल्कुल बेकार हो गया हूँ। मैं अपने लिए कुछ नहीं कर पाता।’

ड्रग के सिर चकरा देने वाले घिनौने धुएँ से बचने के लिए मैं अपनी साँस रोके उस सँकरे गलियारे से गुजर रहा था और मेरी आँखें मैनेजर को ढूँढ़ रही थीं। जैसे ही मैंने अँगीठी के पास बैठे लंबे आदमी को पीछे छोड़ा, मैंने महसूस किया, जैसे किसी ने अचानक मेरे ओवहरकोट का छोर खींचा हो और धीमी आवाज में कोई फुसफुसाया, ‘थोड़ा आगे बढ़ो और फिर पीछे मुड़कर मेरी ओर देखो।’ ये शब्द मुझे साफ-साफ सुनाई दिए। मैंने नीचे देखा। वे शब्द मेरे बाजू में बैठे बूढ़े आदमी से ही आ सकते थे; परंतु बहुत ही पतला, ज्यादा ही झुर्रियोंवाला, झुका सा वह बूढ़ा, अपनी ही दुनिया में लीन, वैसे ही बैठा हुआ था। उसके घुटनों के बीच अफीम का पाइप लटक रहा था, मानो थकावट के कारण उसकी उँगलियों की पकड़ से छूट गया हो। मैं दो कदम आगे बढ़ा और फिर मुड़कर पीछे देखा। अचरज की चीख निकलने से रोकने के लिए मुझे आत्मनियंत्रण की अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा। वह घूमकर ऐसे बैठ गया था कि उसे मेरे सिवाय कोई देख न सके। उसका बदन भर गया था, उसकी झुर्रियाँ गायब हो गई थीं, उसकी निस्तेज आँखों में चमक लौट आई थी तथा वहाँ अँगीठी के पास बैठा और मेरे आश्चर्य पर खीसें निपोरता वह कोई और नहीं, शर्लक होम्स था। उसने मुझे पास आने का हलका सा इशारा किया और अपने समूह में दोबारा शामिल होने के लिए उसने जैसे ही अपना चेहरा आधा घुमाया, वह एक बार फिर काँपता हुआ जर्जर बूढ़ा बन चुका था।

‘होम्स!’ मैं फुसफुसाया, ‘इस वाहियात अड्डे में तुम क्या कर रहे हो?’

‘तुम जितना धीमे बोल सकते हो, बोलो,’ उसने जवाब दिया, ‘मेरे कान बहुत तेज हैं। अगर तुम अपने स्कॉटिश मित्र से पीछा छुड़ाने की कृपा करो तो तुमसे कुछ बात करके मुझे बेहद खुशी होगी।’

‘मेरी घोड़ागाड़ी बाहर खड़ी है।’

‘तब तो उसी में उसे घर भेज दो। तुम उसकी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र रह सकते हो, क्योंकि वह इतना निढाल मालूम पड़ता है कि कोई शरारत नहीं कर पाएगा। मैं तो यह सिफारिश करूँगा कि तुम कोचवान के हाथों अपनी पत्नी को इस आशय का एक नोट भेज दो कि तुमने अब अपनी नियति मेरे हवाले कर दी है। अगर तुम बाहर मेरा इंतजार करो तो पाँच मिनट में मैं तुमसे मिलता हूँ।’

शर्लक होम्स की किसी भी गुजारिश को मानने से इनकार करना मुश्किल था, क्योंकि वे हमेशा अत्यधिक निश्चित होती थीं और बहुत ही आत्मविश्वास से की जाती थीं। परंतु मुझे लगा कि व्हिटनी को घोड़ागाड़ी में बिठाने के साथ ही उससे संबंधित मेरा मिशन व्यावहारिक रूप से पूरा हो जाता था; उसके बाद अपने मित्र (होम्स) के साहसिक अभियानों, जो उसके अस्तित्व की एक सामान्य शर्त थी, में से एक में उसके साथ जुड़ने से बढ़कर किसी चीज की इच्छा नहीं कर सकता था। कुछ ही मिनटों में मैं पत्नी के नाम एक नोट लिखकर, व्हिटनी का बिल चुकाकर उसे घोड़ागाड़ी में बिठाकर अँधेरे में गुम होते देख चुका था। बहुत ही कम समय में एक झुकी सी मानव-आकृति अफीम के उस अड्डे से बाहर निकली और मैं शर्लक होम्स के साथ गली में आगे बढ़ रहा था। दो गलियों तक वह कमर झुकाए लड़खड़ाते कदमों से चलता रहा, फिर तेजी से इधर-उधर देखते हुए उसने अपने आपको सीधा किया और ठहाके मारकर हँसने लगा।

‘मैं समझता हूँ, वाटसन,’ उसने कहा, ‘तुम सोच रहे होगे कि मैंने कोकीन के इंजेक्शन के साथ-साथ अफीम के कश लेना भी शुरू कर दिया है और साथ-ही-साथ उन व्यसनों को भी गले लगा लिया है, जिन पर तुमने मुझे अपनी डॉक्टरी राय से उपकृत किया है।’

‘निश्चित रूप से तुम्हें वहाँ पाकर मुझे ताज्जुब हुआ था।’

‘मगर उससे ज्यादा नहीं, जितना तुम्हें वहाँ देखकर मुझे हुआ था।’

‘मैं एक मित्र की तलाश में आया था।’

‘और मैं एक दुश्मन की।’

‘एक दुश्मन?’

‘हाँ, मेरा एक प्राकृतिक शत्रु या मेरा प्राकृतिक शिकार। संक्षेप में कहूँ वाटसन, तो मैं एक बड़े खास पड़ताल के मध्य में हूँ और मुझे उम्मीद है कि उन नशेडि़यों के व्थ प्रलाप में से कोई-न-कोई सुराग मिल जाएगा, जैसा कि मैं पहले भी कर चुका हूँ। अगर मैं उस अड्डे में पहचान लिया जाता तो मेरा जीवन कौडि़यों के दाम का भी न होता; क्योंकि अपने मकसदों के लिए मैं पहले भी उसका इस्तेमाल कर चुका हूँ और उस पाजी ईस्ट इंडियन नाविक, जो उसे चलाता है, ने कसम खाई है कि वह मुझसे बदला जरूर लेगा। उस बिल्डिंग के पीछे, पॉल्स व्हार्फ (नौका-घाट) के पास एक टै्रप-डोर है, जो इस बारे में कुछ अनोखी कहानियाँ बयाँ कर सकता है कि अँधेरी रातों के दौरान वहाँ से क्या-क्या गुजरता है।’

‘क्या? तुम्हारा अभिप्राय लाशें तो नहीं हो सकता?’

‘हाँ लाशें, वाटसन। अगर उन नामुराद शख्सों, जो उस अड्डे पर कत्ल कर दिए गए थे, में से प्रत्येक पर हमें 1000 पाउंड्स भी मिल जाता तो हम अमीर बन गए होते। पूरे नदी-तट पर वह सबसे भयानक मर्डर-टै्रप है और मुझे डर है कि नेविल एस. प्लेयर उसमें दाखिल हुआ और फिर कभी निकल न सका। मगर हमारा टै्रप अभी आता ही होगा।’ उसने अपनी दोनों तर्जनियाँ दाँतों के बीच रखीं और जोर से सीटी बजाई, यह एक सिग्नल था, जिसके जवाब में दूर से वैसी ही सीटी की आवाज आई और कुछ ही देर में घोड़ों की टाप के साथ पहियों के चरमराने की आवाज सुनाई दी।

‘अब, वाटसन,’ होम्स कह ही रहे थे कि अपने दोनों तरफ लटकी लालटेनों से पीला प्रकाश फैलाती दो लंबे कुत्तों द्वारा खींची जानेवाली गाड़ी अँधेरे में से तेजी से उभरी, ‘तुम मेरे साथ आओगे न?’

‘अगर मैं कुछ काम आ सकूँ।’

‘ओह, एक भरोसेमंद साथी हमेशा उपयोगी होता है और एक वृत्तांतकार तो और भी ज्यादा। ‘दि सेडर्स’ में मेरा डबल-बेडवाला कमरा है।’

‘दि सेडर्स?’

‘हाँ, वह एस. क्लेयर का घर है। जब तक मेरी जाँच जारी है, मैं वहीं ठहरा हूँ।

‘वह है कहाँ ?’

‘केंट में, ली के पास। हमें घोड़ागाड़ी से सात मील लंबा रास्ता तय करना है।’

‘मगर मैं तो केस के बारे में कुछ जानता ही नहीं।’

‘अभी सबकुछ जान जाओगे। उछलकर ऊपर आ जाओ। ठीक है, जॉन, हमें तुम्हारी जरूरत न होगी। यह लो आधे क्राउन (लगभग एक शिलिंग) का सिक्का। मुझसे कल करीब ग्यारह बजे मिला, तब तक के लिए, अलविदा!’

उसने चाबुक फटकारी और हम बेरौनक, सूनी सड़कों के एक सिलसिले को तेजी से पार करते हुए लोहे की रेलिंगवाले एक चौड़े पुल, जिसके नीचे एक बेजान नदी धीरे-धीरे बह रही थी, से गुजरे। कुछ दूर ईंटों और मॉर्टर से बने मकानोंवाली एक श्रीहीन बस्ती थी, जिसकी खामोशी केवल एक सिपाही की बूटों की नियमित ठक-ठक या देर रात पार्टी से लौट रहे मनमौजियों के गानों और चिल्लाहट से ही टूटती थी। आसमान में कोहरे की हलकी सी चादर छाई हुई थी और बादलों की दरारों के बीच इक्के-दुक्के तारे टिमटिमा जाते थे। होम्स अपना सिर सीने पर झुकाए गंभीर सोच की मुद्रा में खामोशी से बग्घी चला रहा था, जबकि मैं यह जानने के लिए उत्सुक था कि यह नई तहकीकात क्या हो सकती है, जो उसके सोचने की क्षमता पर इतना दबाव डाल रही थी। मगर उसके विचारों का सिलसिला तोड़ने से डर भी लग रहा था। हम कई मीलों का सफर तय कर चुके थे और उपनगरीय मकानों की एक पट्टी के किनारे पहुँचने ही वाले थे, जब उसने अपने बदन को झटककर कंधे उचकाए और उस व्यक्ति की भाँति पाइप सुलगाया, जिसने स्वयं को आश्वस्त कर लिया हो कि वह सही दिशा में जा रहा था।

‘तुम्हें चुप रहने का महान् वरदान मिला है, वाटसन,’ उसने कहा, ‘एक साथी के रूप में वह तुम्हें अनमोल बना देता है। मेरी बात ध्यान रखना, मेरे लिए यह बहुत महत्त्व रखता है कि कोई हो, जिससे मैं बात कर सकूँ, क्योंकि मेरे अपने विचार बहुत सुखद नहीं हैं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं आज रात इस प्रिय स्त्री से क्या कहूँगा, जब वह मेरे लिए दरवाजा खोलेगी!’

‘तुम भूल रहे हो कि मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता।’

‘‘ली’ पहुँचने से पहले केस के तथ्य बताने के लिए मेरे पास पर्याप्त समय होगा। यह केस ज्यादा ही आसान प्रतीत होता है, फिर भी मेरे हाथ ऐसा कुछ नहीं लग पा रहा, जिसके आधार पर मैं आगे बढ़ सकूँ। मेरे सामने धागों का तो ढेर लगा है, मगर उसका सिरा पकड़ में नहीं आ रहा। अब मैं तुम्हें केस के बारे में संक्षेप में, किंतु साफ-साफ बताऊँगा, वाटसन और संभव है कि जहाँ मुझे निपट अँधेरा दिखाई पड़ रहा है, वहाँ तुम्हें कोई चिनगारी दिख जाए।’

‘शुरू करो।’

‘कुछ वर्ष पहले—पक्के तौर पर कहूँ तो मई 1884 में, ‘ली’ में एक सज्जन आए जिनका नाम था—नेविल एस. क्लेयर, जो काफी संपन्न मालूम पड़ते थे। उन्होंने एक विशाल विला लिया, सुंदर बाग-बगीचे लगाए और आमतौर पर अच्छे स्टाइल में रहने लगे। उन्होंने अपने आस-पास कई मित्र बनाए और 1887 में उन्होंने एक स्थानीय शराब निर्माता की बेटी से विवाह कर लिया, जिससे अब उनके दो बच्चे हैं। उनका कोई काम-धंधा नहीं था, परंतु कई कंपनियों में उनके हित थे; वे नियमित रूप से सुबह शहर जाते और हर शाम केनन स्ट्रीट से 5.14 बजे वापस लौटते थे। मि. एस. क्लेयर इस समय सैंतीस वर्ष के हैं, उनकी आदतें संयमित हैं—एक अच्छे पति व बहुत स्नेही पिता और एक ऐसे शख्स, जो उनके सभी जानकारों के बीच लोकप्रिय हैं। मैं यह भी बता दूँ कि जहाँ तक हम पता लगा पाए हैं, इस समय उनकी कुल देनदारियाँ 88.10 पौंड की हैं, जबकि ‘कैपिटल एंड काउंटीज बैंक’ में उनके खाते में 220 पौंड जमा हैं। इसलिए यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि पैसों को लेकर उनके मन में कोई परेशानी थी।

‘पिछले सोमवार मि. नेविल एस. क्लेयर यह कहते हुए कि उन्हें कमीशन से जुड़े दो महत्त्वपूर्ण काम निपटाने हैं और यह कि वे लौटते समय अपने नन्हे बेटे के लिए कुछ खिलौने लेकर आएँगे। वे शहर के लिए कुछ जल्दी ही घर से निकल गए। अब संयोग ऐसा बना कि उसी सोमवार को मि. नेविल के रवाना होने के कुछ ही समय बाद उनकी पत्नी को इस आशय का एक टेलीग्राम मिला कि एक बहुत कीमती छोटा सा पार्सल, जिसकी वे अपेक्षा कर रही थीं, एबर्डीन शिपिंग कंपनी के दफ्तर में उनका इंतजार कर रहा था। अब अगर आप अपने लंदन को ठीक से जानते हैं तो आपको पता होगा कि इस कंपनी का ऑफिस फे्रज्नो स्ट्रीट में है, जो अपर स्वेंडम लेन से निकलती है, जहाँ आज रात तुमने मुझे देखा था। श्रीमती एस. क्लेयर ने लंच लिया, शहर के लिए रवाना हुईं, कुछ खरीदारी की, कंपनी के ऑफिस पहुँची, अपना पैकेट लिया और ठीक 4.35 बजे उन्होंने खुद को स्वेंडम लेन में पाया, जो स्टेशन के मार्ग में थी। क्या अब तक मैंने जो कुछ कहा है, उसे तुमने ठीक से समझ लिया है?’

‘वह बिल्कुल स्पष्ट है।’

‘अगर तुम्हें याद हो तो सोमवार एक बेहद गरम दिन था और श्रीमती क्लेयर कोई सार्वजनिक घोड़ागाड़ी मिलने की उम्मीद में इधर-उधर देखती, धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं, क्योंकि जिस बस्ती में उन्होंने स्वयं को पाया था, वह उन्हें पसंद नहीं आ रही थी। जब वे इस तरह स्वेंडम लेन से गुजर रही थीं, उन्होंने अचानक एक पुकार या चीख सुनी और वे अपने पति को देखकर जड़वत् रह गईं, जो नीचे उसी की ओर देख रहे थे, तब उन्हें ऐसा लगा, मानो वे उस बिल्डिंग की दूसरी मंजिल की एक खिड़की से उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हों। खिड़की खुली थी तथा उन्होंने अपने पति का चेहरा साफ-साफ देखा था और वे बताती हैं कि वे बुरी तरह से परेशान लग रहे थे। वे बड़े ही असहाय भाव से उसकी ओर हाथ हिला रहे थे और फिर अचानक खिड़की से इस तरह गायब हो गए कि उसे ऐसा लगा, मानो किसी अदम्य शक्ति द्वारा उन्हें पीछे खींच लिया गया हो। एक अकेला पॉइंट, जो उसकी नारी-सुलभ आँखों से छिपा न रह सका, यह था कि यद्यपि उसके पति ने वैसा ही गहरे रंग का कोट पहना हुआ था, जैसा घर से निकलते समय पहना था, लेकिन उनकी कॉलर और नेकटाई नदारद थी।

‘जब वह इस बात की कायल हो गई कि उसके पति के साथ कुछ गलत हुआ है, वह नीचे की ओर जा रही सीढि़यों पर दौड़ी, क्योंकि वह मकान कोई और नहीं, अफीमचियों का वही अड्डा था, जहाँ आज रात तुमने मुझे देखा था और आगे वाले कमरे को पार करते हुए उसने उन सीढि़यों पर चढ़ने की कोशिश की, जो पहली मंजिल पर ले जाती थीं। परंतु उसे वह पाजी ईस्ट इंडियन नाविक, जिसके बारे में मैं बता चुका हूँ, सीढि़यों के आधार पर ही मिल गया, जिसने एक डेन, जो उसके गुर्गे के तौर पर काम करता है, के साथ मिलकर श्रीमती क्लेयर को गली में धकेल दिया। विचलित कर देने वाली आशंकाओं और डर से भरी श्रीमती क्लेयर गली के छोर की तरफ भागी और खुशकिस्मती के विरले पल में फ्रेस्नो स्ट्रीट में कुछ कॉन्स्टेबलों के साथ बीट पर जा रहे एक इंस्पेक्टर से मिली। इंस्पेक्टर और दो सिपाही उसे साथ लेकर वापस अड्डे पर गए तथा अड्डे के संचालक के लगातार विरोध के बावजूद वे उस कमरे तक पहुँचने में सफल रहे, जिसमें मि. एस. क्लेयर आखिरी बार देखे गए थे। वहाँ उनका कोई निशान तक नहीं था। असल में उस पूरे फ्लोर पर ही कोई व्यक्ति नहीं था, सिवाय घिनौना सा दिखनेवाला एक अपंग भिखारी के, जिसने उसे ही अपना घर बना लिया प्रतीत होता था। उसने और इंडियन नाविक दोनों ने कसम खाकर कहा कि दोपहर में आगेवाले कमरे में कोई दूसरा आदमी नहीं आया था। किसी अन्य व्यक्ति के वहाँ होने से उनका इनकार इतना कारगर था कि इंस्पेक्टर भी उलझन में पड़ गया और उसे लगभग विश्वास हो गया कि श्रीमती क्लेयर को जरूर कोई भ्रम हुआ होगा।

‘फिर भी दोनों के बयानों में कुछ असंगति देखकर इंस्पेक्टर को लगा कि मामला गंभीर था। कमरों की सावधानी से जाँच की गई, जिसके नतीजे कुल मिलाकर किसी घृणित अपराध की ओर इशारा करते थे। आगेवाला कमरा एक बैठक के तौर पर सादगी से सजा हुआ था और एक छोटे से शयन-कक्ष की ओर ले जाता था, जहाँ से नदी के एक घाट का पिछला हिस्सा दिखाई देता था। घाट और बेडरूम की खिड़की के बीच एक सँकरी पट्टी थी, जो भाटा (लो टाइड) के समय सूखा रहता है, परंतु ज्वार के समय कम-से-कम साढ़े चार फीट पानी से ढकी रहती है। शयन-कक्ष की खिड़की चौड़ी थी और नीचे से खुलती थी। जाँच करने पर खिड़की की चौखट पर खून के निशान पाए गए और शयन-कक्ष के लकड़ी के फर्श पर भी खून की कई बूँदें दिखाई दे रही थीं। आगेवाले कमरे में परदे के पीछे कोट को छोड़कर श्री नेविल क्लेयर के सभी कपड़े ठूँसकर रखे हुए थे। उनके बूट्स, उनकी जुराबें, उनका हैट और उनकी घड़ी—सबकुछ वहीं थे। उन कपड़ों को देखकर हिंसा का कोई आभास नहीं होता था और श्री नेविल क्लेयर का दूसरा कोई निशान नहीं था। यह स्पष्ट था कि वे खिड़की के रास्ते ही बाहर गए होंगे, क्योंकि वहाँ कोई और निकास नहीं था तथा खिड़की की चौखट पर पाए गए खून के धब्बे इस संभावना को निरस्त करते थे कि वे तैरकर खुद को बचा सकते थे, क्योंकि उस त्रासदी के समय ज्वार अपने चरम पर था।

‘अब उन खलनायकों की बात करें, जो इस मामले से सीधे जुड़े हुए प्रतीत होते थे। ईस्ट इंडियन नाविक का काला इतिहास सभी की जानकारी में था, परंतु श्रीमती क्लेयर के बयान के अनुसार उनके पति के खिड़की पर दिखाई देने के कुछ सकेंड्स के बाद ही वह सीढि़यों के बेस पर पाया गया था, जिससे वह उस घिनौने अपराध में एक सहयोगी से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता था। अपने बचाव में उसने किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया और जोर देकर कहा कि वह उसके मकान में किराए पर रह रहे उस भिखारी, ह्यूज बून की गतिविधियों के बारे में अनजान था और न ही वह गुमशुदा सज्जन के कपड़ों की मौजूदगी की कोई सफाई दे सकता था।

‘यह तो हुई ईस्ट इंडियन मैनेजर की बात। अब उस अभागे अपंग भिखारी पर आएँ, जो अफीमचियों के अड्डे की दूसरी मंजिल पर रहता है, जो निश्चित रूप से वह आदमी था, जिसने सबसे बाद में नेविल एस. क्लेयर को देखा था। उसका नाम है ह्यूज बून और उसका डरावना चेहरा हर उस आदमी के लिए जाना-पहचाना है, जो इस शहर में अकसर आता है। वह एक पेशेवर भिखारी है, यद्यपि पुलिस विनियमों से बचने के लिए वह माचिस बेचने का नाटक करता है। आपने ध्यान दिया होगा, थ्रेड नीडल स्ट्रीट में कुछ दूरी पर बाईं ओर दीवार में एक एंगल लगा हुआ है। यही वह जगह है, जो इस प्राणी के रोज बैठने का ठिया है, जहाँ वह माचिस का छोटा सा स्टॉक गोद में लेकर बैठता है और चूँकि वह बहुत दयनीय नजर आता है, इसलिए फुटपाथ पर उसकी बगल में रखे चमड़े के तैलीय हैट में सिक्कों की छोटी-मोटी बारिश होती रहती है। उसके पेशे के बारे में जानने के लिए मैंने एक से ज्यादा बार इस बंदे पर नजर रखी है और इतने कम समय में उसने जो फसल काटी है, उसे देखकर मैं दंग रह गया, जैसा तुम देख रहे हो, उसका व्यक्तित्व इतना आसाधारण है कि उसकी ओर ध्यान दिए बिना कोई वहाँ से गुजर नहीं सकता। नारंगी रंग के उलझे बालों का गुच्छा, घाव का एक भंयकर निशान, जिससे उसके ऊपरी होंठ का किनारा ऊपर की ओर मुड़ गया था, से विद्रूप पीला चेहरा, बुलडॉग जैसी उसकी ठुड्डी और गहरी काली आँखें, जो उसके बालों के रंग से बिल्कुल बेमेल थीं; ये सब और साथ ही उसकी हाजिर-जवाबी, क्योंकि वह किसी भी राहगीर द्वारा उड़ाए गए मखौल या टिप्पणी का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहता था, जो उसे सामान्य भिखारियों से अलग बनाती थीं। यही वह आदमी है, जिसके बारे में हमें अब पता चला है कि वह अफीमचियों के अड्डे के ऊपर किराए के कमरे में रहता था और जिसने उन सज्जन को आखिरी बार देखा था, जिनकी हम तलाश में हैं।’

‘पर एक अपंग,’ मैंने कहा, ‘एक जवान आदमी से वह अकेले कैसे निपट सकता है?’

‘वह अपंग इस अर्थ में है कि वह लँगड़ाकर चलता है, परंतु अन्य मामलों में वह बहुत बलवान और खाया-पिया प्रतीत होता है। वाटसन निश्चित रूप से तुम्हारे मेडिकल अनुभव ने तुम्हें बताया होगा कि अकसर अंग में कमजोरी की क्षतिपूर्ति दूसरे अंगों में असाधारण शक्ति से हो जाती है।’

‘चलो, तुम अपना वृत्तांत जारी रखो।’

‘खिड़की पर खून देखकर श्रीमती एस. क्लेयर बेहोश हो गई थीं और पुलिस द्वारा उन्हें एक सार्वजनिक घोड़ागाड़ी में घर पहुँचा दिया गया था, क्योंकि उसकी मौजूदगी से पुलिस की तहकीकात में कोई मदद नहीं मिल सकती थी। इंस्पेक्टर बार्टन, जो इस केस का प्रभारी था, ने बड़ी सावधानी से कमरों की जाँच की, मगर उसे ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जो इस मामले पर प्रकाश डाल सके। बून को तत्काल गिरफ्तार न करके एक गलती तो हो ही गई थी, क्योंकि इससे उसको अपने ईस्ट इंडियन नाविक दोस्त से बात करने के लिए कुछ मिनट मिल गए थे, मगर वह गलती जल्द ही ठीक कर ली गई और उसे पकड़कर उसकी तलाशी ली गई, परंतु ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिससे अपराध में उसकी संलिप्तता जाहिर होती। यह सच है कि उसकी शर्ट की दाहिनी आस्तीन पर खून के कुछ धब्बे थे, परंतु उसने अपनी अनामिका की ओर इशारा किया, जो नाखून के पास कट गई थी और बताया कि यह खून उस उँगली से गिरा था तथा यह भी कि अपनी उँगली के साथ खिड़की के पास गए उसे ज्यादा समय नहीं हुआ था और खिड़की तथा फर्श पर पाए गए धब्बे उसी खून के थे। उसने जोर देकर कहा कि उसने श्री नेविल को जीवन में कभी नहीं देखा और उसके कमरे में उनके कपड़ों की मौजूदगी उसके लिए भी उतना ही बड़ा रहस्य है, जितना पुलिस के लिए है। श्रीमती क्लेयर के इस दावे की उसने सचमुच अपने पति को खिड़की के पास देखा था, के बारे में उसने घोषणा की कि वह लेडी या तो पागल है या वह सपना देख रही थी। उसके चीखने-चिल्लाने के बावजूद उसे पुलिस स्टेशन भेज दिया गया, जबकि इंस्पेक्टर इस आशा में थे कि भाटे के कारण घटता जल कोई सुराग उपलब्ध करा दे, उस भवन के परिसर में ही बना रहा।

‘सुराग मिला जरूर, हालाँकि कीचड़ से भरे नदी-तट पर उन्हें वह नहीं मिला, जिसका उन्हें डर था। वहाँ श्री नेविल एस. क्लेयर तो नहीं, उनका कोट जरूर पड़ा था और क्या तुम अनुमान लगा सकते हो कि उस कोट की जेबों में क्या मिला होगा?’

‘नहीं।’

‘मैं जानता था। कोट की हर जेब में एक और आधे पेनी के सिक्के भरे हुए थे—एक पेनी के 421 और आधे पेनी के 270 सिक्के। इसीलिए यह हैरानी की बात नहीं थी कि घटते जल के साथ वह कोट बह क्यों नहीं गया था। परंतु एक मानव शरीर एक अलग मामला था। घाट और उस मकान के बीच एक भयंकर भँवर। यह काफी हद तक संभव प्रतीत हुआ कि सिक्कों के वजन के कारण कोट वहीं बना रहा हो, जबकि नंगा बदन तेज बहाव में नदी में समा गया होगा।’

‘परंतु मैं समझता हूँ, श्री नेविल के अन्य सभी कपड़े कमरे में मिले थे तो क्या उन्होंने सिर्फ कोट ही पहना होगा?’

‘नहीं, मगर एक और रास्ते से भी तथ्यों तक पहुँचा जा सकता है। मान लो कि इस शख्स बून ने नेविल एस. क्लेयर को खिड़की से बाहर पानी में धकेल दिया हो तथा कोई अन्य व्यक्ति इस कृत्य को देख पाया हो। ऐसी स्थिति में वह क्या करेगा? निश्चित रूप से, उसके मन में तत्काल यह बात आएगी कि सबसे पहले तो उसे क्लेयर के कपड़ों से पीछा छुड़ाना चाहिए, जो उसे फँसा सकते हैं। वह कोट को हाथ में लेगा और उसे पानी में फेंकने के लिए उद्यत होगा, तभी उसे खयाल आएगा कि कोट डूबेगा नहीं, तैरेगा। उसके पास समय बहुत कम है, क्योंकि उसने नीचे का शोर-शराबा सुना है, जब श्रीमती क्लेयर ने जबरदस्ती ऊपर आने की कोशिश की थी और शायद उसने पहले ही अपने साथी ईस्ट इंडियन नाविक से सुन लिया था कि गली में पुलिस तेजी से इसी ओर आ रही है। उसके पास खोने के लिए एक पल भी नहीं था। वह दौड़कर अपने गुप्त खजाने की ओर जाता है, जहाँ उसने भीख में मिला धन जमाकर रखा है और उसके हाथ में जो भी, जितने भी सिक्के आए, उन सबको कोट की जेबों में भर दिया, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोट डूब जाए। उसने कोट फेंक दिया और अन्य कपड़ों के साथ भी वह यही करनेवाला था, अगर उसने कुछ लोगों के तेजी से सीढि़याँ चढ़ने की आवाज न सुनी होती। पुलिस के पहुँचने से पहले उसके पास बस इतना समय था कि वह खिड़की बंद कर सके।’

‘निश्चित रूप से यह संभव लगता है।’

‘खैर, एक बेहतर अनुमान की अनुपस्थिति में हम इसे एक कामचलाऊ अनुमान के तौर पर लेंगे। जैसा मैंने तुम्हें पहले बताया है कि बून को गिरफ्तार करके पुलिस स्टेशन ले जाया गया था, मगर यह दरशाया नहीं जा सका कि उसके खिलाफ कभी भी कोई मामला बना था। वर्षों से वह एक पेशेवर भिखारी के तौर पर जाना जाता था, परंतु उसका जीवन एकदम शांत और मासूम जान पड़ता था। इस समय यह केस इस मुकाम पर है कि इन सवालों का जवाब खोजा जाना बेहद जरूरी है कि अफीमचियों के इस अड्डे में नेविल एस. क्लेयर क्या कर रहे थे? वहाँ पहुँचने के बाद उनके साथ क्या हुआ? अब वे कहाँ हैं और उनके गायब होने से ह्यूज बून का क्या लेना-देना है? परंतु अब भी समाधान से दूर हैं। मैं स्वीकार करता हूँ कि मेरे अनुभव में मुझे ऐसा कोई केस याद नहीं आता, जो पहली नजर में इतना आसान लगा हो, मगर जिसने ऐसी मुश्किलें पैदा की हों।’

जब शर्लक होम्स इन सिलसिलेवार घटनाओं को विस्तार से बता रहे थे, हम हवा की रफ्तार से इस विशाल शहर के बाहरी इलाकों से चले जा रहे थे, जब तक कि तेजी से पीछे छूटते आखिरी मकान भी हमारी नजरों से ओझल न हो गया और दोनों ओर रेलिंग से युक्त सड़क पर हमारी घोड़ागाड़ी सरपट दौड़ती रही। जब होम्स ने अपना वृत्तांत खत्म किया, हम छितरे हुए दो गाँवों से गुजर रहे थे, जहाँ खिड़कियों से अब भी कुछ रोशनियाँ टिमटिमा रही थीं।

‘हम ‘ली’ के बाहरी इलाके में हैं,’ मेरे साथी ने कहा, ‘हमने अपने छोटे से सफर में तीन इंग्लिश काउंटीज को टच किया है—मिडिलसेक्स से शुरू करते हुए, एक कोण से सरे को छूते हुए, केंट में हमारा सफर खत्म हुआ है। पेड़ों के बीच से वह रोशनी देख रहे हो, यही ‘दि सेडर्स’ है और उस लैंप के पास जो महिला बैठी है, उसके सजग कानों ने घोड़े की टाप सुन ली है, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है।’

‘पर तुम इस केस पर बेकर्स स्ट्रीट से काररवाई क्यों नहीं कर रहे हो?’ ‘क्योंकि कई सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब यहीं मिल सकते हैं। श्रीमती क्लेयर ने उपयोग के लिए कृपापूर्वक दो कमरे मुझे दे दिए हैं और तुम इस बात के लिए आश्वस्त रहो कि वे मेरे मित्र और सहकर्मी का स्वागत ही करेंगी। वाटसन, जब मेरे पास उसके पति के बारे में कोई समाचार नहीं होता तो मैं उससे मिलना बिल्कुल पसंद नहीं करता। लो, हम पहुँच ही गए।’

होम्स ने एक विशाल देहाती बँगले, जो अपनी ही जमीन के बीचोबीच खड़ा था, के सामने बग्घी रोक दी। अस्तबल से एक लड़का दौड़कर आया और उसने घोड़े को सिर से थाम लिया और बग्घी से कूदकर उतरते हुए मैं बजरीवाली घुमावदार सड़क, जो घर तक ले जाती थी, पर होम्स के पीछे चला। जैसे ही हम घर तक पहुँचे, तपाक से दरवाजा खुला और मैंने देखा कि फ्रांसीसी मलमल की एक डे्रस, जिसके गले और आस्तीनों पर फूला हुआ सा गुलाबी शिफॉन उभरा था, को पहने भूरे बालोंवाली छोटे कद की एक महिला खड़ी थी। तेज रोशनी की पृष्ठभूमि में उसकी रूपरेखा नजर आ रही थी—एक हाथ दरवाजे पर टिकाए, उतावलेपन में दूसरा हाथ आधा उठाए, शरीर कुछ झुका सा, उसका सिर और चेहरा आगे निकला हुआ, उत्सुक आँखों व खुले होंठो में मूर्तिमान प्रश्न बनी वह खड़ी थी।

‘कुछ पता चला?’ कातर स्वर में उसने पूछा और फिर यह देखकर कि हम दो थे, उसके मुँह से उम्मीद की एक किलकारी सी निकली, जो एक लंबे विश्वास में बदल गई, जब उसने मेरे साथी को नकारने की मुद्रा में सिर हिलाते और कंधे उचकाते देखा।

‘कोई अच्छी खबर नहीं है?’

‘कोई नहीं।’

‘बुरी भी नहीं?’

‘नहीं।’

‘उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद। मगर आप भीतर आइए, दिनभर की दौड़-धूप के बाद आप थक गए होंगे।’

‘ये मेरे मित्र हैं—डॉ. वाटसन। मेरे कई केसेज में ये अत्यधिक उपयोगी रहे हैं और एक उत्तम संयोग से इन्हें यहाँ लाना और इस तहकीकात से जोड़ना संभव हो पाया है।’

‘आपको देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई’, आत्मीयता से मेरा हाथ दबाते हुए वह बोली, ‘मुझे विश्वास है कि अगर हमारी व्यवस्थाओं में कुछ कमी रह गई हो तो आप माफ कर देंगे, यह ध्यान में रखते हुए कि हम पर अचानक विपदा टूट पड़ी है।’

‘मेरी प्रिय मैडम,’ मैंने कहा, ‘मैं एक पुराना जाँचकर्ता हूँ और अगर नहीं भी होता तो भी मैं साफ देख सकता हूँ कि क्षमायाचना की कोई जरूरत नहीं हैं। अगर मैं आपके या मेरे इस मित्र के कुछ भी काम आ सका तो मुझे सचमुच खुशी होगी।’

‘अब, मि. शर्लक होम्स,’ जब हम रोशनी से जगमगाते डाइनिंग-रूम, जिसकी टेबल पर रात्रि का ठंडा भोजन सजाकर रखा हुआ था, में दाखिल हो रहे थे, उसने कहा, ‘मैं आपसे एक या दो सवाल साफ-साफ पूछना चाहूँगी और मेरी याचना है कि आप भी उनका जवाब उतनी ही साफगोई से दें।’

‘निश्चित रूप से, मैडम।’

‘आप मेरी भावनाओं की चिंता न करें। मैं उन्मादी नहीं हूँ और न आसानी से बेहोश होती हूँ। मैं बस आपकी बेबाक राय सुनना चाहती हूँ।’

‘किस पॉइंट पर?’

‘क्या आप अपने दिल की गहराइयों से समझते हैं कि नेविल जीवित हैं?’

ऐसा लगा, जैसे शर्लक होम्स इस सवाल से उलझन में पड़ गए हों। ‘साफ-साफ कहिएगा!’ एक बास्केट चेयर में पीछे की ओर झुके होम्स की आँखों में देखते हुए कालीन पर खड़ी महिला ने दोहराया।

‘फिर मैं साफ-साफ ही कहूँगा, मैडम, मैं ऐसा नहीं समझता।’

‘आप समझते हैं कि वे जीवित नहीं हैं?’

‘हाँ, मैडम।’

‘उनकी हत्या हुई है?’

‘यह तो मैं नहीं कहता, शायद।’

‘और किस दिन उनकी मौत हुई?’

‘सोमवार को।’

‘फिर मि. होम्स, क्या आप इस पर रोशनी डाल सकते हैं कि ऐसा कैसे हुआ कि उनका एक पत्र मुझे आज ही मिला है?’

शर्लक होम्स अपनी कुरसी से उछाल पड़े।

‘क्या?’ वे चिल्लाए।

‘हाँ, आज ही।’ कागज की एक छोटी सी परची हवा में लहराते हुए, वह मुसकरा रही थी।

‘क्या मैं उसे देख सकता हूँ ?’

‘निश्चित रूप से।’

उतावलेपन में होम्स ने वह कागज उससे छीन लिया और उसे खोलते हुए टेबल पर बिछा दिया, फिर लैंप को आगे खींचकर गौर से उसकी जाँच की। मैं भी अपनी कुरसी छोड़कर होम्स के कंधों की ओर से उस पत्र को देख रहा था। लिफाफा बहुत ही रफ कागज का था और उस पर ग्रेट्स एंड पोस्ट ऑफिस की मुहर और उसी दिन, बल्कि पिछले दिन (क्योंकि आधी रात के बाद काफी समय बीत चुका था।) की तारीख डली हुई थी।

‘अनगढ़ लिखाई है,’ होम्स बुदबदाए, ‘निश्चित रूप से यह आपके पति की लिखावट नहीं है, मैडम।’

‘नहीं, पर उसके साथ जो कुछ है, वह उन्हीं की है।’

‘मैं यह भी देख रहा हूँ कि जिस किसी ने लिफाफे पर पता लिखा है, उसे किसी के पास जाकर पता पूछना पड़ा है।’

‘आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?’

‘आप देख सकती हैं कि पानेवाले का नाम पूरी तरह काली स्याही से लिखा गया है, जो अपने आप सूख गई है। पता स्लेटी रंग की स्याही से लिखा गया है, जो यह दरशाता है कि ब्लॉटिंग पेपर का उपयोग किया गया था। अगर नाम व पता एक साथ लिखा गया होता और फिर ब्लॉटिंग पेपर का उपयोग किया जाता तो कोई भी हिस्सा इतना गहरा काला न होता। इस आदमी ने पहले नाम लिखा और फिर कुछ देर बाद पता लिखा है, जिसका अर्थ यही हो सकता है कि उसे पते की जानकारी नहीं थी। निश्चित रूप से यह एक तुच्छ सी बात है, मगर ऐसी ही तुच्छ बातों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कुछ नहीं होता। अब हम पत्र को देखें। हाँ, यहाँ तो साथ में कोई चीज भी है।’

‘हाँ, एक अँगूठी है, उनकी सिग्नेट रिंग।’

‘और आपको पूरा भरोसा है कि यह आपके पति की लिखावट है?’

‘उनके एक हाथ की है।’

‘एक हाथ की?’

‘जब वे बहुत तेजी से लिखते हैं तो वह उनकी सामान्य लिखावट से बहुत अलग होती है, फिर भी मैं उसे अच्छी तरह से जानती हूँ।’

‘प्रियतम, डरना नहीं। सबकुछ ठीक हो जाएगा। कहीं बहुत बड़ी गलती हुई है, जिसे ठीक करने में कुछ समय लग सकता है। धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करो। नेविल।’

‘पुस्तक के आकार के एक पन्ने, जिस पर कोई वाटर-मार्क नहीं था, पर पेंसिल से लिखा गया था। अच्छा! एक आदमी, जिसका अँगूठा गंदा था, द्वारा उसे आज ही ग्रेव्स एंड में पोस्ट किया गया था। हाँ, और अगर मैं बहुत गलत नहीं हूँ तो लिफाफा एक ऐसे व्यक्ति द्वारा चिपकाया गया है, जो तंबाकू खाता रहा है और आपको कोई संदेह नहीं है, मैडम कि यह आपके पति की लिखावट है?’

‘बेशक, नेविल ने ही ये शब्द लिखे हैं?’

‘और उन्हें आज ही ग्रेव्स एंड में पोस्ट किया गया था। ठीक है श्रीमती क्लेयर, कुछ बादल तो छँटे हैं, फिर भी मैं यह नहीं कहूँगा कि खतरा टल गया है।’

‘परंतु वे जरूर जीवित होंगे, मि. होम्स।’

‘हाँ, जब तक कि हमारी जाँच को भटकाने के लिए किसी ने मि. नेविल की लिखाई की जालसाजी की हो। जो भी हो, अँगूठी कुछ साबित नहीं करती। यह उनसे ले ली गई हो, ऐसा भी हो सकता है।’

‘नहीं-नहीं, यह लिखावट बिल्कुल उन्हीं की है।’

‘चलो, मान लेते हैं। मगर यह तो हो सकता है कि यह संदेश सोमवार को लिखा गया हो और पोस्ट आज किया गया हो।’

‘हाँ, यह संभव है।’

‘अगर यह सही है तो उस दौरान बहुत कुछ हुआ, यह हो सकता है।’

‘ओह, मि. होम्स, आप मुझे हतोत्साहित न करें। मैं जानती हूँ कि वे पूरी तरह से ठीक हैं। हम दोनों के बीच इतनी सहानुभूति है कि अगर उनके साथ कुछ भी बुरा हुआ होता तो मुझे पता चल जाता। जिस दिन वे यहाँ से निकले थे, उन्होंने शयन-कक्ष में अपनी उँगली काट ली थी और फिर भी मैं, जो डाइनिंग रूम में थी, उसी समय ऊपर की ओर भागी, निश्चित रूप से यह जानते हुए कि उनके साथ जरूर कुछ बुरा हुआ है। क्या आप समझते हैं कि जब मुझे उनके बारे में इतनी सी बात पता चल जाती है तो मैं उनकी मृत्यु के बारे में अनजान रहूँगी?’

‘मैंने बहुत दुनिया देखी है और जानता हूँ कि एक स्त्री की सहज भावना एक विश्लेषणात्मक तार्किक निष्कर्ष से ज्यादा कीमती हो सकती है और इस पत्र में आपकी सोच की पुष्टि के लिए आपके पास यकीनन एक बड़ा ही पुख्ता सबूत है। परंतु अगर आपके पति जीवित हैं और पत्र लिखने की स्थिति में हैं तो वे आपसे दूर क्यों हैं?’

‘मेरा तो दिमाग ही काम नहीं करता।’

‘और सोमवार को घर से निकलते हुए उन्होंने कोई टिप्पणी भी नहीं की थी?’

‘नहीं।’

‘और स्वेंडम लेन में उन्हें देखकर आपको आश्चर्य हुआ था?’

‘बहुत ज्यादा।’

‘क्या खिड़की खुली थी?’

‘हाँ।’

‘तब तो उन्होंने आपको पुकारा होगा?’

‘शायद।’

‘जहाँ तक मैं समझता हूँ, उनके मुँह से सिर्फ एक अस्पष्ट सी चीख निकली थी?’

‘हाँ।’

‘मदद के लिए एक पुकार, जैसा आपने समझा?’

‘हाँ, उन्होंने हाथ हिलाए थे।’

‘पर वह चीख आश्चर्य की भी हो सकती थी। हो सकता है, अनपेक्षित रूप से आपको वहाँ देखकर उन्होंने अपने हाथ हवा में उठा दिए हों?’

‘यह संभव है।’

‘और आपको लगा कि उन्हें पीछे खींच लिया गया था।’

‘वे अचानक वहाँ से गायब हो गए थे।’

‘हो सकता है, वे पीछे की ओर उछले हों! आपने वहाँ किसी और को तो देखा नहीं था?’

‘नहीं, मगर उस भयंकर आदमी ने कुबूल किया है कि वह वहाँ था और वह ईस्ट इंडियन नाविक सीढि़यों के बेस पर था।’

‘यह बिल्कुल सच है। जहाँ तक आप उन्हें देख पाईं, आपके पति अपनी सामान्य पोशाक में थे?’

‘हाँ, पर उनकी कॉलर और टाई नदारद थी। मैंने साफ-साफ उनका खुला गला देखा था।’

‘क्या उन्होंने कभी भी आपसे स्वेंडम लेन का जिक्र किया था?’

‘कभी नहीं।’

‘क्या आपने उनमें कभी भी ऐसे लक्षण देखे थे, मानो उन्होंने अफीम का सेवन किया हो?’

‘कभी नहीं।’

‘धन्यवाद, श्रीमती क्लेयर। ये ही मुख्य बिंदु थे, जिनके बारे में मैं कोई संदेह नहीं रखना चाहता था। अब हम थोड़ा सा भोजन करेंगे और फिर सो जाएँगे, क्योंकि हमारा कल का दिन बहुत व्यस्त रह सकता है।’

डबल बेड से युक्त एक बड़ा सा आरामदायक कमरा हमारे हवाले कर दिया गया था और मैं जल्द ही चादरों के बीच था, क्योंकि साहसिक कारनामों की अपनी रात के बाद मैं बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था, परंतु शर्लक होम्स एक ऐसा आदमी था, जो जब कोई अनसुलझी समस्या उनके मन में घूम रही हो तो उसके पीछे की घटनाओं की कडि़यों को मिलाते हुए, तथ्यों को अलग-अलग स्थितियों में रखकर, उन्हें हर नजरिए से देखते हुए, बिना विश्राम किए कई दिनों, यहाँ तक कि पूरे हफ्ते उसमें लगे रह सकता था, जब तक कि मामला पूरी तरह उसकी समझ में न आ जाए या वह यह तय कर ले कि उसके ज्ञात तथ्य पर्याप्त नहीं हैं। मेरे सामने जल्द ही यह स्पष्ट हो गया था कि वह सारी रात इस केस पर काम करेगा। उसने अपना कोट और बास्कट उतारा और एक बड़ा सा नीला डे्रसिंग-गाउन पहन लिया, फिर कमरे में घूम-घूम कर अपने पलंग से तकिए, सोफे एवं आरामकुरसी से कुशन इकट्ठे करने लगा। इनसे उसने एक तरह का पूर्वी दीवान लिया और सामने टेबल पर थोड़ी सी कटी तंबाकू और एक माचिस रखकर जुगाड़ से बनाए दीवान पर पालथी मारकर बैठ गया। लैंप के मद्धिम प्रकाश में मैंने उसे बैठे देखा—एक पुराना ब्रायर पाइप उसके होंठो के बीच फँसा, छत के कोने को एकटक निहारती उसकी भावशून्य आँखें, पाइप से निकला बलखाता नीला धुआँ उठता हुआ, उसका गरुड़-समान चेहरा, जिस पर रोशनी पड़ रही थी, खामोश और निश्चल। जब मेरी आँख लगी तो वह उसी मुद्रा में बैठा था और जब यकायक मेरी आँख खुली तो मैंने पाया कि गरमियों के सूरज की किरणें घर में फैल चुकी थीं, तब भी होम्स उसी मुद्रा में बैठा था। पाइप अब भी उसके होंठों के बीच दबा हुआ था, बलखाता हुआ धुआँ अब भी ऊपर उठ रहा था और जले हुए तंबाकू की गंध कमरे में फैल गई थी तथा कटी हुई तंबाकू का वह ढेर, जो मैंने पिछली रात को टेबल पर देखा था, अब वहाँ नहीं था।

‘जाग रहे हो, वाटसन?’ उसने पूछा।

‘हाँ।’

‘मॉर्निंग, ड्राइव पर चलना पसंद करोगे?’

‘निश्चित रूप से!’

‘फिर तैयार हो जाओ। यहाँ अब तक कोई हलचल नहीं है, पर मैं जानता हूँ कि अस्तबल का लड़का कहाँ सोता है! जल्द ही केस के रहस्य पर से परदा उठ जाएगा।’ जब वह यह बोल रहा था, उसके चेहरे पर एक दबी हुई सी हँसी थी, उसकी आँखे चमक रही थीं और वह पिछली रात के गंभीर चिंतक से बिल्कुल भिन्न आदमी नजर आ रहा था। कपड़े पहनते हुए मैंने अपनी कलाई-घड़ी पर नजर डाली। कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि सब सोए पड़े थे। चार बजकर पच्चीस मिनट हुए थे। मैं कपड़े पहनकर तैयार हुआ ही था कि होम्स यह खबर लेकर वापस आया कि लड़का घोड़े को बग्घी में जोत रहा था।

‘मैं अपनी एक छोटी सी थ्योरी का परीक्षण करना चाहता हूँ,’ पैरों में जूते चढ़ाते हुए उसने कहा, ‘मैं समझता हूँ, वाटसन कि इस समय तुम यूरोप के सबसे ज्यादा अहमक आदमी के सामने खड़े हो। मैं इसी लायक हूँ कि मुझे एक जोरदार लात मारकर चेरिंग क्रॉस तक पहुँचा दिया जाए। मगर मैं समझता हूँ कि अब इस केस की कुंजी मेरे हाथ लग गई है।’

‘और वह है कहाँ?’ मुसकराते हुए मैंने पूछा।

‘बाथरूम में,’ उसने जवाब दिया, ‘हाँ, मैं मजाक नहीं कर रहा,’ मेरे चेहरे पर अविश्वास का भाव देखकर उसने कहना जारी रखा, ‘मैं अभी-अभी बाथरूम गया था, वहाँ से उसे निकाला और अब वह मेरे इस ग्लेडस्टोन बैग में पड़ी है। मेरे साथ आओ बच्चे और हम देखेंगे कि वह ताले में फिट बैठती है या नहीं।’

हम जितना मुमकिन था, उतनी खामोशी से नीचे उतरे और सुबह की उजली किरणों ने हमारा स्वागत किया। सड़क पर घोड़ागाड़ी खड़ी थी और अस्तबल का अधनंगा लड़का घोड़े के पास खड़ा था। हम दोनों उछलकर उस पर चढ़े और लंदन रोड पर गाड़ी दौड़ पड़ी। महानगर तक सब्जियाँ पहुँचानेवाली कुछ ग्रामीण बैलगाडि़याँ रेंग रही थीं, परंतु सड़क के दोनों ओर बने मकान वैसे ही खामोश और बेजान थे, मानो सपने में दिखा कोई शहर हो।

‘कुछ बिंदुओं पर यह अपने ढंग का एक अलग ही केस रहा है,’ चाबुक मारकर घोड़े को और तेज दौड़ाते हुए होम्स ने कहा,’ मैं कबूल करता हूँ कि मैं छछूंदर की तरह अंधा रहा हूँ, फिर भी बुद्धिमानी देर से सीखना, न सीखने से बेहतर है।’

जब हम सरे की तरफ की सड़कों से गुजरे, सुबह जल्दी उठनेवाले लोग अपनी-अपनी खिड़कियों से उनींदी आँखों से बाहर की ओर देख रहे थे।

वाटरलू ब्रिज रोड से गुजरते हुए हमने नदी पार की और तेजी से वेलिंगटन पहुँचकर दाहिनी ओर मुड़े और हमने खुद को बो स्ट्रीट में पाया। पुलिस फोर्स के लिए शर्लक होम्स एक जाना-माना चेहरा था और दरवाजे पर खड़े दो सिपाहियों ने उसे सेल्यूट किया। उनमें से एक ने घोड़े को थामे रखा और दूसरा हमें अंदर ले गया।

‘ड्यूटी पर कौन है?’ होम्स ने पूछा।

‘इंस्पेक्टर ब्रॅडस्ट्रीट, सर।’

‘आह ब्रॅडस्ट्रीट, कैसे हो?’ पत्थर की दीवारोंवाले गलियारे से उठी हुई टोपी और फ्रोडड जैकेट पहने एक लंबा-तगड़ा ऑफिसर निकलकर आया था। ‘मैं तुमसे अकेले में कुछ बात करना चाहता हूँ, बॅ्रडस्ट्रीट।’

‘निश्चित रूप से, मि. होम्स। आप यहाँ मेरे कमरे मे आइए।’ वह एक छोटा सा ऑफिसनुमा कमरा था, जहाँ टेबल पर एक विशाल रजिस्टर पड़ा हुआ था और दीवार से लटका एक टेलीफोन था। इंस्पेक्टर अपनी सीट पर बैठ गया।

‘मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ, मि. होम्स?’

‘मैं उस भिखारी बून के संबंध में कुछ जानने आया हूँ, वही, जिस पर ‘ली’ के मि. नेविल एस. क्लेयर के गायब होने के मामले में संलिप्त होने का आरोप लगा है।’

‘हाँ, आगे की पूछताछ के लिए उसे यहाँ लाकर रिमांड पर लिया गया है।’

‘वह मैंने सुना है। क्या वह यहाँ है?’

‘कोठरी में है।’

‘क्या वह शांत रहता है?’

‘ओह, वह कोई परेशानी खड़ी नहीं करता। पर वह बहुत ही गंदा आदमी है।’

‘गंदा?’

‘हाँ, बहुत कोशिश करके हम केवल उसके हाथ धुलवा पाए हैं। उसका चेहरा तो इतना काला है, जैसे कोयला-खदान मजदूर हो। खैर, एक बार उसके बारे में कुछ तय होने के बाद उसे दूसरे कैदियों की तरह नियमित रूप से नहाना होगा। आप उसे देखेंगे तो मुझसे सहमत होंगे कि उसे नहाने की कितनी जरूरत है।’

‘मैं उसे देखना पसंद करूँगा।’

‘सचमुच?’ वह तो आसानी से हो जाएगा। इस रास्ते से आइए। अपना बैग यहीं छोड़ दीजिए।’

‘नहीं, मैं समझता हूँ, इसे साथ ले जाना ही ठीक होगा।’

‘बहुत अच्छा! कृपया इस तरफ आइए।’

वह हमें गलियारे के छोर तक ले गया। लोहे के जंगलेवाला एक दरवाजा खोला, फिर घुमावदार सीढि़यों से नीचे उतरकर एक गलियारे में ले आया, जहाँ अभी सफेदी की गई थी और जिनके दोनों ओर दरवाजे बने हुए थे।

‘दाएँ से तीसरा उसका है,’ इंस्पेक्टर ने कहा, ‘ये रहा।’ उसने दरवाजे के ऊपरी भाग में लगी कुंडी धीरे से खोली और भीतर झाँककर देखा, ‘वह सो रहा है,’ उसने कहा, ‘आप भी उसे देख सकते हैं।’

हम दोनों ने जाली पर अपनी आँखें लगाईं। कैदी बहुत गहरी नींद में हमारी ओर चेहरा किए सो रहा था और धीरे-धीरे भारी साँसें ले रहा था। वह मझोले कद का आदमी था और अपने पेशे के अनुसार मैले-कुचैले कपड़े पहने था, रंगीन शर्ट का एक हिस्सा उसके फटे कोट में से निकला हुआ था। जैसा इंस्पेक्टर ने कहा था, वह बहुत ही गंदा आदमी था। उसके चेहरे पर लगी कालिख उसकी घिनौनी कुरूपता को छिपा नहीं पा रही थी। एक पुराने घाव का गहरा निशान उसकी आँख से लेकर ठुड्डी तक बना हुआ था, जिसने उसके ऊपरी होंठ का एक हिस्सा उलट दिया था, जिससे उसके तीन दाँत हमेशा दिखाई देते थे, मानो वह लगातार गुर्रा रहा हो। उसकी आँखों और माथे पर चमकीले लाल बालों का गुच्छा उग आया था।

‘वह बहुत सुंदर है, है ना?’ इंस्पेक्टर ने कहा।

‘निश्चित रूप से उसे धुलाई की जरूरत है,’ होम्स ने टिप्पणी की, ‘मुझे कुछ-कुछ अंदाजा था कि उसे उसकी जरूरत होगी और इसीलिए मैंने उसकी धुलाई का सामान अपने साथ लाने की छूट ली।’ यह बोलते हुए उसने अपना ग्लेडस्टोन बैग खोला तो मेरे आश्चर्य की सीमा न रही, जब उसमें से उसने एक बहुत बड़े साइज का बाथ-स्पंज निकाला।

‘ही, ही, ही! आप बड़े मजाकिया हैं।’ इंस्पेक्टर ने हँसते हुए कहा।

‘अब, अगर आप धीरे से वह दरवाजा खोलने की कृपा करें तो हम जल्द ही उसका एक सम्मानजनक हुलिया बना पाएँगे।’

‘पता नहीं क्यों, मुझे लगता है कि बो स्ट्रीट में उसकी मौजूदगी थाने को कोई क्रेडिट नहीं दिलाती।’ इंस्पेक्टर ने कहा। उसने धीरे से चाबी ताले में डाली और हम तीनों ने कोठरी में प्रवेश किया। सो रहे आदमी ने आधी करवट ली और एक बार फिर गहरी नींद में चला गया। होम्स ने झुककर पानी का जग उठाया, स्पंज को गीला किया और फिर उससे कैदी के चेहरे को दो बार ऊपर से नीचे और दाएँ से बाएँ जोर से रगड़ा।

‘मुझे इनका परिचय कराने दें,’ उसने चिल्लाकर कहा, ‘यह है केंट काउंटी स्थित ‘ली’ के मि. नेविल एस. क्लेयर।’

मैंने अपने जीवन में ऐसा दृश्य नहीं देखा था। स्पंज के दबाव से उस आदमी का चेहरा उखड़ आया था, जैसे पेड़ की छाल उतरती है। उसका खुरदरा भूरा रंग गायब हो गया था। घाव का वह लंबा, भयानक निशान और मुड़ा हुआ होंठ, जो उसके चेहरे को एक घिनौना लुक देता था, वे भी गायब थे! स्पंज के झटके से उसके उलझे हुए लाल बाल भी हट गए थे और पत्थर के प्लेटफॉर्म पर बिछी दरी पर उदास पीले चेहरेवाला एक परिष्कृत आदमी, जिसके बाल काले और त्वचा स्निग्ध थी, आधी नींद में हक्का-बक्का होकर, अपनी आँखे मलते हुए चारों तरफ देखकर कुछ समझने की कोशिश कर रहा था। फिर यकायक उसे ध्यान आया कि उसका स्वाँग उजागर हो चुका है, तो उसके मुँह से चीख निकली और उसने दरी पर गिरकर तकिए में अपना मुँह छिपा लिया। ‘हे भगवान्!’ इंस्पेक्टर चिल्लाया, ‘ये तो वही गुमशुदा आदमी है। उसके फोटोग्राफ से मैं जानता हूँ।’

अब एक अलग अंदाज में कैदी उठा और उसने हमारा सामना किया, जैसे उसने सबकुछ किस्मत पर छोड़ दिया हो। ‘तो यही सही’, उसने कहा, ‘फिर मुझ पर आरोप क्या है?’

‘मि. नेविल एस. क्लेयर की हत्या...। अरे, तुम पर वह आरोप तो लगाया ही नहीं जा सकता, जब तक कि तुम पर खुदकुशी के प्रयास का मामला न बनाया जाए,’ इंस्पेक्टर ने खींसे निपोरते हुए कहा, ‘मैं 27 साल से इस नौकरी में हूँ, पर मैंने ऐसा केस कभी नहीं देखा।’

‘अगर मैं ही नेविल एस. क्लेयर हूँ तो यह स्पष्ट है कि कोई अपराध हुआ ही नहीं है और इसलिए मुझे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है।’

‘अपराध तो नहीं, पर एक भारी गलती जरूर हुई है,’ होम्स ने कहा, तुम अपनी पत्नी पर भरोसा करते तो बेहतर होता।’

‘बात पत्नी की नहीं, बच्चों की थी,’ कैदी ने एक आह भरकर कहा, ‘ईश्वर मेरी मदद करे, मैं अपने बच्चों को बाप पर शर्मिंदा होते हुए नहीं देख सकता था। हे भगवान्, सबकुछ उजागर हो गया! अब मैं क्या करूँ?’ शर्लक होम्स जाकर उसकी बगल में बैठ गया और सहानुभूति से उसका कंधा थपथपाया।

‘इस मामले की गुत्थियाँ सुलझाने का काम अगर तुम कोर्ट पर छोड़ दो,’ उसने कहा, ‘हाँ, इन सब बातों की पब्लिसिटी से बचना जरूर मुश्किल होगा। दूसरी ओर, अगर तुम पुलिस अधिकारियों को कायल कर सको कि तुम्हारे खिलाफ कोई केस बनता ही नहीं, तो मैं नहीं समझता कि इस मामले के ब्योरे अखबारों तक पहुँचाने का कोई कारण होगा। मुझे विश्वास है कि तुम इस मामले में जो कुछ कहना चाहो, इंस्पेक्टर ब्रैडस्ट्रीट उस पर नोट्स तैयार करेंगे और उन्हें सक्षम अधिकारियों के समक्ष रखेंगे। उस स्थिति में मामला कभी कोर्ट तक जाएगा ही नहीं।’

‘ईश्वर आपका भला करे,’ भावुक होकर कैदी रोने लगा, ‘अपने परिवार पर कलंक की तरह मेरा यह शर्मनाक रहस्य मेरे बच्चों को पता चले, इसके बजाय तो मैं जेल जाना, बल्कि मौत की सजा भी सहन कर लेता।’

‘आप पहले व्यक्ति हैं, जो मेरी कहानी सुन रहे हैं। मेरे पिता चेस्टरफील्ड में एक स्कूल टीचर थे। वहाँ मैंने अच्छी शिक्षा पाई थी। अपनी जवानी में मैं खूब घूमा, स्टेज पर भी काम किया और अंततः लंदन के एक इवनिंग पेपर में रिपोर्टर बन गया। एक दिन मेरे एडिटर महानगर में भीख माँगने के चलन पर लेखों की एक शृंखला चाहते थे; मैंने उन्हें इच्छित लेख देने का वादा किया। यही वह बिंदु था, जहाँ से मेरे सभी साहसिक कारनामे शुरू हुए। मेरे मन में विचार आया कि अगर एक नौसिखिए की तरह मैं खुद भीख माँगू तो मुझे वे सारे तथ्य बेहतर तरीके से मालूम होंगे, जिन पर मैं अपने लेखों को आधारित करूँगा। निश्चय ही एक्टिंग के अपने दिनों में मैंने मेकअप के सारे गुर सीख लिये थे और अपने इस हुनर के लिए मैं ग्रीन-रूम में प्रसिद्ध हो गया था। वह हुनर अब मेरे काम आया। मैंने अपने चेहरे पर रंग पोता और जितना संभव हो, उतना दयनीय दिखने के लिए मैंने एक लंबे, गहरे घाव का निशान बनाया और त्वचा के रंग के थोड़े से प्लास्टर की मदद से अपने होंठ की एक साइड को बाहर की ओर मोड़कर उसे फिक्स कर दिया। फिर लाल रंग के बालोंवाले एक विग और उपयुक्त पोशाक के साथ शहर के व्यावसायिक इलाके में मैंने अपना ठिया बनाया—दिखने के लिए एक माचिस-विक्रेता और असल में एक भिखारी के तौर पर। सात घंटे तक अपना व्यापार चलाकर जब मैं घर लौटा तो यह जानकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि मैंने 26 शिलिंग, 4 पेंस कमाए थे।

‘मैंने अपने लेख लिखे और उस बारे में ज्यादा नहीं सोचा, जब तक कि मैं अपने एक दोस्त द्वारा लिये गए कर्ज का जमानतदार न बन गया। उस दोस्त ने अपना कर्ज नहीं चुकाया और 25 पौंड अदा करने के लिए मुझे एक कानूनी नोटिस थमा दिया गया। मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा था कि इतनी बड़ी रकम कहाँ से आएगी, तभी यकायक एक विचार मेरे मन में आया। मैंने लेनदार से पंद्रह दिनों की मोहलत माँगी, अपने नियोक्ताओं से छुट्टी ली और अपने छद्म वेश में शहर में भीख माँगने लगा। दस दिनों में मेरे पास जरूरी राशि थी और मैंने कर्ज चुका दिया।

'आप कल्पना कर सकते हैं कि मेरे लिए 2 पौंड प्रति सप्ताह के रिपोर्टर के कठिन जॉब पर सेटल हो जाना कितना मुश्किल था, जबकि मैं जानता था कि चेहरे पर जरा सा रंग पोतकर, अपनी टोपी जमीन पर रख चुपचाप बैठे-बैठे उतना तो मैं एक दिन में कमा सकता था। मेरे आत्म-सम्मान और धन के बीच वह एक लंबी लड़ाई थी, जिसमें आखिर में धन की जीत हुई। मैंने रिपोर्टर की नौकरी छोड़ दी और उसी कॉर्नर पर हर रोज बैठने लगा, जो मैंने सबसे पहले चुना था । मेरा विद्रूप चेहरा लोगों के मन में दया का भाव जगाता था और मेरी जेबें सिक्कों से भर जाती थीं। सिर्फ एक आदमी मेरा रहस्य जानता था। वह स्वेंडम लेन के उस बदनाम अड्डे का संचालक था, जहाँ से मैं हर सुबह एक गंदा, मैला - कुचैला भिखारी बनकर निकलता और शाम को एक संभ्रांत शहरी में रूपांतरित हो जाता था । इस ईस्ट इंडियन को मैं उसके कमरों के लिए एक अच्छी-खासी रकम देता था और इसीलिए मैं जानता था कि उसके हाथों में मेरा रहस्य सुरक्षित था ।

'जल्द ही मुझे पता चल गया कि मैं काफी धन बचा पा रहा था। मेरे कहने का अर्थ यह नहीं है कि लंदन की सड़कों पर कोई भी भिखारी हर साल 700 पौंड कमा सकता है, जो मेरी आमदनी से कम है, जिसका श्रेय मेकअप के मेरे हुनर और मेरी हाजिर जवाबी, जिसमें समय के साथ और सुधार होता गया, को जाता है और जिसने मुझे शहर में एक जानी-पहचानी हस्ती बना दिया था। पूरे दिन सिक्कों की एक धारा बहती रहती और वह एक बहुत बुरा दिन होता था, जब मैं 2 पौंड घर नहीं ले जा पाता था।

'जैसे-जैसे मेरे पास धन आया, मैं ज्यादा महत्त्वाकांक्षी होता चला गया। मैंने उपनगर में एक घर ले लिया और शादी भी कर ली, पर किसी को मेरे असली पेशे के बारे में संदेह नहीं था । मेरी प्रिय पत्नी जानती थी कि शहर में मेरा व्यवसाय है । पर उसे कोई अंदाजा नहीं था कि क्या व्यवसाय था ।

'पिछले सोमवार मैं दिन भर का काम पूरा कर चुका था और अफीम के उस अड्डे के ऊपर बने कमरे में कपड़े बदल रहा था कि मैंने खिड़की से बाहर की ओर झाँका तो मेरे आश्चर्य और भय का ठिकाना न रहा, जब मैंने गली में खड़ी अपनी पत्नी को मुझे एकटक निहारते देखा । मेरे मुँह से आश्चर्य की एक चीख निकली, जल्दी से अपना चेहरा ढकने के लिए अपने हाथ ऊपर किए और अपने ईस्ट इंडियन राजदार की ओर दौड़ा; उससे गुजारिश की कि कोई भी मुझसे मिलने ऊपर आना चाहे तो उसे रोके। मैंने नीचे से आ रही पत्नी की आवाज सुनी, पर मैं जानता था कि वह ऊपर नहीं आ सकेगी। मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, भिखारी के कपड़े पहने, मेकअप किया और विग पहना। उतने मुकम्मल छद्मवेश को एक पत्नी की आँखें भी नहीं भेद पाईं। परंतु तब मुझे ध्यान आया कि उस कमरे की तलाशी ली जा सकती है और मेरे कपड़े मेरा भेद खोल देंगे। खिड़की खोलने के लिए उसे जोर से धक्का दिया और ऐसा करते हुए मेरा वह घाव दोबारा खुल गया, जो उस दिन सुबह मुझे अपने बेडरूम में कटने से लगा था। फिर मैंने अपना कोट उठाया, जिसमें वो सिक्के भरे पड़े थे, जो मैंने अभी-अभी चमड़े के एक बैग से उसमें डाले थे। मैंने उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया और वह थेम्स के पानी में लुप्त हो गया। मैं दूसरे कपड़े भी फेंकता, पर उसी समय मैंने सीढ़ियों पर भारी बूटोंवाले आदमियों के चढ़ने की आवाज सुनी और कुछ ही मिनटों के बाद मैंने पाया कि – मैं स्वीकार करूँगा कि मुझे राहत पहुँचाते हुए मि. नेविल एस. क्लेयर के तौर पर पहचान लिये जाने के बजाय मुझे उसकी हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया।

‘मैं नहीं जानता कि मेरे पास बताने के लिए और क्या बचा है ! जितनी देर तक संभव हो, अपने स्वाँग को बनाए रखने का मेरा पक्का इरादा था और इसीलिए अपना चेहरा गंदा बनाए रखना मेरी प्राथमिकता थी। यह जानते हुए कि मेरी पत्नी बहुत ज्यादा परेशान होगी, मैंने जब मुझ पर किसी कांस्टेबल की नजर नहीं थी, ईस्ट इंडियन से अपनी अँगूठी और जल्दी में लिखा गया नोट पोस्ट करने के लिए कह दिया । '

'वह नोट तुम्हारी पत्नी तक कल ही पहुँचा है, 'होम्स ने कहा ।

'हे भगवान् ! उसने पूरा हफ्ता कैसे गुजारा होगा ?'

'उस ईस्ट इंडियन पर लगातार पुलिस की नजर थी, ' इंस्पेक्टर ब्रॉडस्ट्रीट ने कहा, 'और मैं समझ सकता हूँ कि उसके लिए पुलिस की नजर बचाकर वह लेटर पोस्ट करना कितना मुश्किल रहा होगा। संभवतः उसने वह पत्र अपने किसी नाविक ग्राहक को सौंप दिया होगा, जो कुछ दिनों तक उसे पोस्ट करना भूल गया होगा।'

'यही हुआ होगा, ' होम्स ने सहमत होते हुए कहा, 'मुझे उसमें कोई संदेह नहीं है। परंतु क्या तुम्हारे खिलाफ भीख माँगने के लिए कभी कानूनी काररवाई नहीं हुई?'

'कई बार हुई, पर मेरे लिए जुर्माना भरना कौन सी बड़ी बात थी । '

'पर यह कहानी यहीं समाप्त हो जानी चाहिए, 'ब्रॅडस्ट्रीट ने कहा, 'अगर पुलिस इस मामले को रफा- दफा करना चाहती है तो ह्यूज बून सीन से नदारद हो जाना चाहिए।'

'मैंने अपने सबसे प्रिय व्यक्ति की कसम खाई है कि मैं अब कभी भीख नहीं माँगूँगा ।'

‘पाँच तकियों पर बैठकर और एक ओंस तंबाकू को धुएँ में उड़ाकर मैं इस नतीजे पर पहुँचा, 'मेरे मित्र ने कहा, 'मैं समझता हूँ वाटसन कि अगर हम बेकर स्ट्रीट (होम्स का घर) की ओर बग्घी दौड़ाएँ तो नाश्ते के लिए सही समय पर पहुँच जाएँगे।'

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