जादूगर उबानेर और उसका मोम का मगर : मिस्र की लोक-कथा
The Magician Ubaaner and His Wax Crocodile : Egyptian Folk Tale
वैस्टकार पैपीरस में लिखी हुई जादूगर उबानेर और उसके मोम के मगर की कहानी राजकुमार खफ्रा अपने पिता राजा खूफ़ू को सुनाते हैं। यह कहानी इस तरह है —
“तीसरे राजवंश के एक राजा नैबका के राज में एक बहुत ही बढ़िया जादूगर रहता था जिसका नाम था उबानेर। वह मैमफिस के पीटा मन्दिर के खैर–हैब का सरदार था। वह बहुत ही पढ़ा लिखा और एक लायक आदमी था।
उसकी शादी तो हो गयी थी पर उसकी पत्नी एक नौजवान किसान को चाहती थी जो खेतों में काम करता था। एक बार उसने उसको बढ़िया कपड़ों की भेंट भेजी।
इस भेंट के मिलते ही उसने जादूगर की पत्नी से शादी करने की इच्छा प्रगट की। उसने कहा कि वह इस बारे में जादूगर की पत्नी के साथ उसके बागीचे वाले घर में बात करेगा।
वह उसके घर गया। दोनों बैठ कर बातें करने लगे। दोनों ने शाम तक खूब बीयर पी। फिर किसान अपने घर चला गया।
घर के नौकर को पता चल गया कि क्या हुआ था। उसने सोचा कि वह इस बात की खबर अपने मालिक को जरूर देगा। जैसे ही सुबह हुई वह उबानेर के पास गया और उसे बताया कि उसकी पत्नी ने क्या किया था।
उबानेर ने अपने नौकर से अपना ऐबोनी लकड़ी का बक्सा जिस पर सोने चाँदी का काम किया गया था लाने के लिये कहा। इस बक्से में उसके जादूगरी का सामान और औजार रखे हुए थे।
उसमें से उसने थोड़ा सा मोम निकाला और उसकी एक मगर की शक्ल बनायी। इसके बाद उसने उसके ऊपर कुछ जादू के शब्द पढ़े और उससे कहा जब वह नौजवान किसान मेरी झील में नहाने आये तो तू उसके पैर पकड़ लेना।
यह कहने के बाद उसने वह मगर अपने नौकर को दे दिया और उससे कहा कि जब वह नौजवान किसान मेरी झील में नहाने के लिये आये जैसे कि वह रोज आता है तो तुम इस मगर को उसके पीछे छोड़ देना।
कुछ समय बाद एक दिन और किसान और उसकी पत्नी ने अपने बागीचे वाले घर में साथ साथ गुजारा।
घर से जाने के बाद वह झील में नहाने के लिये घुसा। नौकर ने मालिक के कहे अनुसार उसका पीछा किया और वह मोम का मगर उसके पीछे झील में फेंक दिया। मगर पानी में गिरते ही सात क्यूबिट लम्बा एक मगर बन गया और उस नौजवान को खा गया।
जब यह सब हो रहा था तो उबानेर राजा के पास बैठा हुआ था। वह वहाँ सात दिन तक रहा। उस समय नौजवान झील में था और उसको साँस लेने के लिये हवा भी नहीं मिल पा रही थी। सात दिन के बाद राजा ने उबानेर से कहा कि “चलो ज़रा सैर कर के आते हैं।”
जब वे लोग सैर कर रहे थे तो उबानेर ने राजा से पूछा कि क्या वह कोई आश्चर्यजनक चीज़ देखना चाहता था जो एक नौजवान किसान के साथ हुई थी। राजा राजी हो गया।
उबानेर राजा को झील के किनारे ले गया। वहाँ पहुँच कर उबानेर ने मगर पर एक जादू फेंका और उसको नौजवान किसान के साथ झील में से बाहर आने के लिये कहा।
जब राजा ने उसे देखा तो राजा डर गया पर जादूगर ने निडर हो कर उसको अपने हाथ में उठा लिया। लो वह बड़ा मगर तो वहाँ से गायब हो गया और उसकी हथेली पर बस एक मोम का मगर का पुतला रखा रह गया।
उसके बाद उबानेर ने राजा को उस मोम के मगर की कहानी सुनायी कि यह सब क्या हुआ था।
हिज़ मैजेस्टी ने मोम के मगर से कहा — “तुम तुरन्त जाओ और तुम्हारा जो कुछ भी हो उसे भी अपने साथ ले जाओ।”
आश्चर्य। वह मोम का पुतला उस नौजवान को ले कर झील में चला गया और एक बार फिर से ज़िन्दा मगर बन गया। वह नौजवान को ले कर वहाँ से चला गया और फिर किसी को नहीं मालूम कि उसका क्या हुआ।
तब राजा ने उबानेर की पत्नी को पकड़वा मँगवाया। उसके नौकर उसकी पत्नी को पकड़ कर महल के उत्तर की तरफ ले आये। वहाँ ला कर उसको जला दिया गया। उसकी राख नदी में बहा दी गयी।”
जब खूफू ने यह कहानी सुन ली तो उसने अपने पुरखे नैबका की कब्र पर बहुत सारी भेंटें चढ़ायीं। और उबानेर को भी बहुत सारी भेंटें दीं।
इस तरह किसान और उस जादूगर की पत्नी का यह अन्त हुआ।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)