छोटा पीपा (कहानी) : गाय दी मोपासां

The Little Cask (French Story) : Guy de Maupassant

एप्रेविल के बाशिंदे और सराय- मालिक जूल शीको ने मदर मैगलॉयर के फार्म हाउस के आगे अपनी छोटी दुपहिया घोड़ागाड़ी रोकी । वह लगभग चालीस बरस का एक लंबा- मोटा और लाल चेहरे वाला आदमी था । आम तौर पर उसे एक जानकार ग्राहक बताया जाता था ।

उसने अपने घोड़े को फाटक के लट्टे से बाँधा और अंदर चला गया । उस बुजुर्ग महिला की जमीन से सटी उसकी अपनी कुछ जमीन थी । वह काफी लंबे समय से उसकी जमीन पर ललचा रहा था । उसने बीसियों बार उसे खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन बुढिया ने हठ पकड़ते हुए हर बार उसे देने से मना कर दिया था । मैं यहाँ पैदा हुई हूँ और यहीं मरना भी चाहती हूँ । वह बस यही कहती थी ।

वह उसे फार्म हाउस के दरवाजे के बाहर आलू छीलती मिली । वह लगभग बहत्तर बरस की , बहुत दुबली- पतली, सिकुड़ी और झुरींदार , बल्कि कहा जाए तो सूखी चमड़ी वाली और बहुत झुकी देह वाली औरत थी ; लेकिन किसी लड़की जैसी फुरतीली और अथक थी । शीको ने बड़े दोस्ताना अंदाज में उसकी पीठ पर थपकी दी और फिर उसके पास रखे एक स्टूल पर बैठ गया ।

" मदर , तुम हमेशा बिलकुल दुरुस्त और भली - चंगी रहती हो , मुझे यह देखकर खुशी होती है । "

"मुझे किसी किस्म की शिकायत नहीं है, शुक्रिया । तुम कैसे हो, महाशय शीको? "

"बिलकुल ठीक हूँ , शुक्रिया । बस कभी- कभार गठिया का दर्द उखड़ आता है । नहीं तो मुझे कोई शिकायत नहीं ।

" बहुत अच्छा है! "

और इसके आगे उसने कुछ नहीं कहा , जबकि शीको उसे काम करते देखता रहा । उसकी टेढ़ी, गठीली और केकड़े के पंजों सी सख्त उँगलियाँ एक बालटी में पड़े आलुओं को चिमटी की तरह पकड़ती थीं और अपने दूसरे हाथ में पकड़े एक पुराने चाकू से उन्हें तेजी से छीलती जाती थी, उनके छिलकों को लंबा- लंबा उतारती जाती थी । उसके बाद उन आलुओं को पानी में फेंकती जाती थी । तीन गुस्ताख परिंदे एक के बाद एक उसकी गोद में कूदते, छिलके का एक टुकड़ा उठाते और फिर उसे अपनी चोंच में लेकर , तेजी से भाग जाते थे।

शीको उलझन में और चिंतित दिखाई दे रहा था । उसकी जबान पर कोई बात थी , जिसे वह कह नहीं पा रहा था ।

आखिर में उसने जल्दी से कह डाला - " मैं कहता हूँ , मदर मैगलॉयर ...। "

" हाँ , क्या बात है? "

" तुम्हें पक्का पता है कि तुम अपना फार्म बेचना नहीं चाहती ? "

"बिलकुल नहीं; तुम अपने मन से कुछ भी सोचो । मैंने जो कह दिया, वह कह दिया, इसलिए इस बारे में फिर बात न करना । "

" ठीक है; मैं तो बस यह कहना चाहता हूँ कि मैंने एक बंदोबस्त के बारे में सोचा है, जो शायद हम दोनों के ही लिए ठीक रहेगा । "

" वह क्या है ? "

" यह देखो तुम इसे मुझे बेचोगी और फिर भी वह तुम्हारे पास ही रहेगा । नहीं समझीं ? ठीक है, तो अब जो मैं कहने जा रहा हूँ, उसे बस सुनती जाओ। "

बूढ़ी औरत ने आलू छीलने छोड़ दिए । वह अपनी घनी भौंहों के नीचे से सराय मालिक को ध्यान से देखने लगी और वह बोलता गया - "मैं अपनी बात साफ कर दूँ - हर महीने मैं तुम्हें डेढ़ सौ फ्रैंक दूंगा । मेरी बात समझ रही हो न ? हर महीने मैं तुम्हारे लिए तीस क्राउन ( यानी डेढ़ सौ फ्रैंक) लेकर आऊँगा इससे तुम्हारी जिंदगी में थोड़ा सा भी फर्क नहीं पड़ेगा , थोड़ा सा भी नहीं । तुम्हारे पास तुम्हारा अपना घर होगा, ठीक जैसे इस समय है; तुम्हें मेरे बारे में परेशान नहीं होना होगा और तुम्हारे ऊपर मेरा कोई कर्ज भी नहीं होगा; तुम्हें तो बस मेरा पैसा लेना होगा । क्या यह बंदोबस्त तुम्हारे लिए ठीक रहेगा? "

उसने बूढ़ी औरत को खुशमिजाजी से, बल्कि शायद दयालुता के भाव से देखा । बूढ़ी औरत ने जवाब में उसे अविश्वास के भाव से देखा कि इसमें कहीं उसे फँसाने की कोई चाल तो नहीं । वह बोली, " जहाँ तक मेरा सवाल है, तो यह बिलकुल ठीक लग रहा है, लेकिन इससे तुम्हें फॉर्म नहीं मिलेगा। "

" उसकी चिंता मत करो । " वह बोला — " तुम यहाँ तब तक बनी रहोगी, जब तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम्हें जिंदा रखेंगे । तुम्हें बस वकील के सामने एक करार पर दस्तखत करने होंगे कि तुम्हारे मरने के बाद यह मेरा होगा । तुम्हारे पास कोई बच्चा नहीं है, बस भतीजे - भतीजियाँ हैं , जिनकी तुम कोई परवाह नहीं करती हो । क्या तुम्हारे लिए यह ठीक रहेगा? तुम्हारे जीते जी सबकुछ तुम्हारे पास रहेगा और मैं तुम्हें हर महीने तीस क्राउन देता रहूँगा । जहाँ तक तुम्हारा सवाल है, तो इसमें बस फायदा- ही - फायदा है । "

बूढ़ी औरत चकित रह गई, बल्कि उसे थोड़ी बेचैनी भी हुई, लेकिन फिर भी उसे सहमत होने का प्रलोभन हुआ और उसने जवाब दिया - " मैं यह नहीं कहूँगी कि मैं इस पर राजी नहीं हूँ, लेकिन मैं इस बारे में सोचना जरूर चाहूँगी । तुम एक हफ्ते में आना और तब हम इस पर फिर से बात करेंगे । उसके बाद ही मैं तुम्हें अपना पक्का जवाब दूंगी । "

और शीको चला गया । वह उस राजा की तरह खुश था , जिसने एक साम्राज्य जीत लिया था । मदर मैगलॉयर सोच में पड़ गई और उस रात वह बिलकुल नहीं सोई । सच पूछा जाए तो चार दिन तक वह हिचकिचाहट के बुखार में रही । कहने को , उसे ऐसा अंदेशा हो रहा था कि इस पेशकश के पीछे ऐसा कुछ था , जिसमें उसका फायदा नहीं था , लेकिन फिर इस खयाल ने उसमें लालच भर दिया कि हर महीने उसे तीस क्राउन मिलेंगे, वे सारे सिक्के उसके एप्रन में खनकेंगे मानो उसके कुछ किए बिना वे आसमान से उसके लिए गिरेंगे ।

उसने नोटरी के पास जाकर उसे इस बारे में बताया । नोटरी ने उसे सलाह दी कि वह शीको का प्रस्ताव मान ले , लेकिन उससे यह भी कहा कि वह शीको से हर महीने तीस के बजाय पचास क्राउन की माँग करे, क्योंकि उसके फार्म की कीमत कम- से - कम भी साठ हजार फ्रैंक तो होगी ।

" अगर तुम पंद्रह साल और जीती हो , " नोटरी ने कहा, " तब भी वह इसके लिए तुम्हें केवल पैंतालीस हजार फ्रैंक ही देगा । "

बूढ़ी औरत हर महीने पचास फ्रैंक मिलने की इस संभावना पर खुशी से सिहर गई , लेकिन उसे अब भी शंका हो रही थी । उसे डर लग रहा था कि इसमें कहीं कोई चाल न हो , इसलिए वह वकील के पास काफी देर तक रही

और उससे सवाल पूछती रही। वह वहाँ से जाने का मन नहीं बना पा रही थी । आखिर उसने वकील से करार, तैयार करने को कह दिया और फिर घर लौट आई । उसका सिर ऐसे घूम रहा था जैसे उसने अभी- अभी चार जग सेब की नई शराब पी ली हो ।

जब शीको उसका जवाब लेने आया तो उसने बहुत मान- मनौव्वल करवाई और कह दिया कि वह उसकी पेशकश मानने का मन नहीं बना पाई है । हालाँकि वह सारा समय इसी ऊहापोह में रही थी कि कहीं वह पचास

क्राउन देने को राजी न हुआ तो ! आखिर में , जब वह बहुत जोर देने लगा तो उसने उसे बता दिया कि वह अपने फॉर्म के लिए कितने की उम्मीद कर रही है ।

वह जैसे चकित और निराश हो गया; फिर उसने इनकार कर दिया । फिर उसे समझाने के इरादे से वह अपनी संभावित जिंदगी के बारे में बात करने लगी ।

" यह पक्का है कि मैं अब पाँच या छह साल से ज्यादा नहीं जीने वाली । मैं तिहत्तर के आसपास तो हूँ ही और अपनी उम्र को देखते हुए इतनी मजबूत भी नहीं हूँ । अभी उस दिन शाम को ही मुझे लग रहा था कि मैं मरने वाली हूँ , तो मुश्किल से रेंग -रेंगकर अपने बिस्तर तक पहुँच पाई थी मैं । "

लेकिन शीको उसकी बातों में आनेवाला नहीं था ।

" रहने भी दो बूढ़ी अम्मा ! तुम तो चर्च की मीनार जैसी मजबूत हो ; कम - से - कम सौ साल की उम्र तक जिओगी । तुमसे पहले तो मैं ही कब्र में पहुँचूँगा तुम्हारी आँखों के सामने । " ।

पैसों के बारे में बातचीत करते पूरा दिन बीत गया और बुढिया क्योंकि झुकने को तैयार ही नहीं हो रही थी , इसलिए जमींदार पचास क्राउन देने को राजी हो गया । उसने जोर दिया कि वह इस सौदेबाजी के लिए उससे दस क्राउन अलग से लेगी ।

तीन साल बीत गए और बूढ़ी औरत जस- की - तस बनी रही, उसे देखकर लगता था कि उसकी उम्र एक दिन भी नहीं ढली थी । शीको निराश था । उसे लग रहा था जैसे वह पचास बरस से उसे सालाना रकम दे रहा है, जैसे वह उसकी बातों में आ गया था , उससे मात खा गया था और बरबाद हो गया था । समय- समय पर वह सालाना रकम पाने वाली बुढिया को उसी तरह देखने जाता था जैसे कोई जुलाई में यह देखने जाता है कि फसल कब शुरू हो सकती है । वह जब भी उससे मिलती, उसमें सयानेपन का भाव होता और उसे देखकर कोई यही सोचता कि वह अपने आपको उस चाल के लिए बधाई दे रही थी , जो उसने उस जमींदार के साथ चली थी । यह देखकर कि वह तो काफी दुरुस्त और भली- चंगी लग रही है, वह बहुत जल्दी अपनी छोटी दुपहिया घोड़ागाड़ी में यह बड़बड़ाता हुआ सवार हो जाता — तुम कभी मरोगी नहीं क्या , वहशी बुढिया ?

उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे । वह जब भी उसे देखता, उसका मन करता कि उसका गला घोंट दे। वह उसे बहुत नफरत से देखने लगा था । यह उस किसान की नफरत थी , जिसे लूट लिया गया हो । अब वह उससे छुटकारा पाने की तरकीब ढूँढ़ने लगा ।

एक दिन वह फिर उससे मिलने आया । वह उसी तरह अपने हाथ मल रहा था जैसे उस पहले दिन जब वह यह सौदा लेकर आया था । कुछ देर बतियाने के बाद वह बोला, " तुम जब एप्रेविल में होती हो तो कभी मेरे यहाँ आकर थोड़ा खाना- वाना क्यों नहीं खाती ? लोग इस बारे में बातें कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हममें खटपट हो गई है । इससे मुझे दुख होता है । तुम्हें पता है , अगर तुम आओगी तो तुम्हारी जेब से कुछ नहीं जाएगा, क्योंकि मैं खाने की कीमत नहीं देखता । जब तुम्हारा मन हो , आ जाना । तुमसे मिलकर मुझे बहुत खुशी होगी । "

बुजुर्ग मदर मैगलॉयर से दोबारा कहने की जरूरत नहीं पड़ी और एक दिन छोड़ अगले दिन ही जब वह बाजार का दिन होने के कारण , वैसे ही अपने कोचवान के साथ अपनी टमटम में जा रही थी उसने बिना किसी संकोच के शीको के अस्तबल में अपनी गाड़ी खड़ी की और वादे के मुताबिक खाने के लिए अंदर चली गई ।

सराय - मालिक उसे देखकर खुश हो गया । उसने उसके साथ किसी राजकुमारी जैसा व्यवहार किया । उसने खाने में उसे भुना चिकन , ब्लैक पुडिंग , बकरे की टाँग , बेकन और पत्तागोभी दी, लेकिन उसने न के बराबर ही खाया । वह हमेशा कम ही खाती थी और आम तौर पर थोड़े से सूप तथा डबल रोटी के सूखे टुकड़ों पर लगे मक्खन से गुजारा करती थी ।

शीको निराश हो गया । उसने उस पर जोर दिया कि वह और खाए, लेकिन उसने मना कर दिया । उसने पी भी न के बराबर ही और कॉफी के लिए भी मना कर दिया, तब शीको ने उससे पूछा , " लेकिन तुम थोड़ी सी ब्रांडी या दारू तो लोगी ही न? "

" देखो! जहाँ तक इसका सवाल है तो मैं नहीं सोचती कि मैं इसके लिए मना करूँगी । " और इस बात पर उसने आवाज दी -

" रोजाली, सबसे उम्दा ब्रांडी लाओ, खास वाली — तुम्हें पता है न ? "

नौकरानी कागजी अंगूर की पत्ती की सजावट वाली एक लंबी बोतल लेकर हाजिर हुई और शीको ने दो गिलास भर दिए ।

" बस, पीकर देखो, तुम्हें यह अव्वल दर्जे की लगेगी । "

भली औरत ने उसे धीरे - धीरे चुस्की ले- लेकर पिया, ताकि उसका मजा और भी देर तक बना रहे और जब उसने अपना गिलास खत्म किया, तो आखिरी बूंद तक निचोड़ ली , फिर उसने कहा - हाँ, बिलकुल अव्वल दर्जे की है ! "

उसके यह कहने के ठीक पहले ही शीको उसका गिलास दोबारा भर चुका था । वह मना करना चाहती थी , लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी । उसने पहले गिलास की तरह इसे भी धीरे- धीरे पिया , फिर शीको ने उससे तीसरे गिलास के लिए कहा । उसने मना किया , लेकिन शीको जोर देने लगा ।

" बहुत हलकी है । दूध की तरह । मैं दस - बारह गिलास पी सकता हूँ और मुझे कुछ नहीं होगा । यह चीनी की तरह उतर जाती है और बाद में इससे सिरदर्द भी नहीं होता । लगता है कि जीभ पर ही भाप बनकर उड़ गई । इससे बढिया चीज तुम्हें पीने को नहीं मिल सकती । "

अंततः बुढिया ने उसे ले लिया, क्योंकि वह सचमुच और पीना चाहती थी, पर उसने आधा गिलास शराब छोड़ दी ।

फिर शीको ने बेहद उदारता दिखाते हुए कहा, “ देखो, तुम्हें इसका स्वाद इतना अच्छा लगा है तो मैं तुम्हें इसकी एक छोटी बोतल दूँगा , क्योंकि मैं यह दिखाना चाहता हूँ कि तुम और मैं अब भी अच्छे दोस्त हैं । " फिर बुजुर्ग औरत ने शीको से विदा ली । उसे शराब का हलका नशा हो चला था ।

अगले दिन सराय - मालिक बुजुर्ग औरत के आँगन में पहुँचा। उसने अपनी टमटम से लोहे के छल्ले वाला एक छोटा पीपा उतारा । उसने जोर दिया कि बूढ़ी औरत उसे चखकर देखे, ताकि उसे विश्वास हो जाए कि यह वही स्वादिष्ट शराब थी और जब उन दोनों ने तीन - तीन गिलास पी लिये तो जाते - जाते वह बोला — " देखो पता है , जब यह सारी खत्म हो जाए तो अभी और भी बची हुई है । संकोच मत करना, क्योंकि मैं बिलकुल भी बुरा नहीं मानूँगा । जितनी जल्दी यह खत्म होगी, उतनी ज्यादा खुशी मुझे होगी । "

चार दिन बाद वह फिर आया । बूढ़ी औरत अपने दरवाजे के बाहर बैठी अपने सूप के लिए डबल रोटी काट रही थी ।

वह उसके पास गया और अपना मुँह उसके मुँह के पास ले गया, ताकि उसकी साँस को सूंघ सके । जब उसे शराब की गंध आई तो वह बहुत खुश हुआ ।

"मैं समझता हूँ कि तुम मुझे उस खास चीज का एक गिलास तो दोगी ही न ? " उसने कहा और उन दोनों ने तीन- तीन गिलास शराब पी ।

लेकिन जल्दी ही बाहर यह कानाफूसी होने लगी कि मदर मैगलॉयर को अकेले ही पीने की आदत हो गई है । वह धुत हो जाती है । उसे उसकी रसोई में , फिर उसके आँगन में , फिर इलाके की सड़कों पर से उठाया गया और अकसर लट्टे की तरह उसके घर पहुँचाया गया ।

शीको अब उसके पास नहीं जाता था और जब लोग उससे उसके बारे में बात करते तो वह परेशान सा कहता था - " यह सचमुच अफसोस की बात है कि उसने इस उम्र में पीने की आदत पाली; लेकिन जब लोग बूढ़े हो जाते हैं तो उनका कोई इलाज नहीं हो सकता । यह शराब तो कुछ समय में उसकी मौत बन जाएगी। "

यह सचमुच उसकी मौत बन गई । अगली सर्दी में वह मर गई । क्रिसमस के आसपास वह बेहोश होकर बर्फ में गिर गई और अगली सुबह मृत पाई गई ।

जब शीको फॉर्म का कब्जा लेने आया तो उसने कहा, " बहुत बेवकूफी की उसने; अगर उसने पीना न शुरू किया होता तो अभी दस साल तो जरूर जीती । "