कैंटरविले का भूत (अंग्रेज़ी कहानी) : ऑस्कर वाइल्ड

The Canterville Ghost (English Story in Hindi) : Oscar Wilde

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जब अमेरिकी राजदूत श्री हिरम बी. ओटिस ने कैंटरविले निवास खरीदा तो हर किसी ने कहा कि आपने यह बहुत ही नासमझी का काम किया है, क्योंकि इस स्थान के भुतहा होने में तनिक भी संदेह नहीं था । यहाँ तक कि पूरी निष्ठा के साथ औपचारिकता निभाने के लिए सम्मानित लॉर्ड कैंटरविले ने खुद भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जायदाद का सौदा होते समय इस बात का जिक्र श्री ओटिस से किया।

"हम खुद भी इस स्थान पर नहीं रहे", लॉर्ड कैंटरविले ने कहा, "जब से मेरी ददिया चाची बोल्टन की डचेज डर के मारे बेहोश हो गई थीं, जिससे कि वे फिर कभी उभरकर ठीक ही नहीं हुई । हुआ यह था कि जब वह डिनर के लिए तैयार हो रही थीं तो किसी कंकाल ने अपने दोनों हाथ उनके कंधे पर रख दिए थे। श्री ओटिस, यह बताना मेरा कर्तव्य है कि इस भूत को मेरे परिवार के अनेक जीवित लोगों ने और यजमानी के पुरोहित सम्माननीय अॅगस्टस डेंप्लर ने भी देखा है। डचेज की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के बाद से हमारे युवा सेवकों में से कोई भी हमारे साथ नहीं रहा। लेडी कैंटरविले बरामदे और लाइब्रेरी से रहस्यपूर्ण आवाजें आने के कारण रात को बहुत कम सो पाती थीं।"

"श्रीमान", राजदूत ने जवाब में कहा, "मैं सारे फर्नीचर और भूत के भी पैसे दूँगा। मैं एक आधुनिक देश से आया हूँ, जहाँ हमारे पास वे सारी चीजें हैं, जो धन से खरीदी जा सकती हैं। जब हमारी युवा पीढ़ी आपकी सबसे अच्छी गायिकाएँ और अभिनेत्रियाँ वहाँ ले गई हैं, तो मेरे खयाल से अगर यूरोप में भूत नाम की कोई चीज है तो उसे भी हम बहुत जल्दी अपने यहाँ ले जाकर किसी अजायबघर में रखेंगे या फिर उसका सार्वजनिक प्रदर्शन करेंगे।"

"मेरे विचार में भूत है", लॉर्ड कैंटरविले मुसकराए, “सन् 1584 से लेकर आज तक लगभग तीन सदियों से वह विद्यमान है और परिवार के किसी भी सदस्य के निधन पर प्रकट होता है ।"

"उस अवसर पर तो परिवार का डॉक्टर भी मौजूद रहता है, लॉर्ड कैंटरविले, लेकिन श्रीमान, भूत नाम की कोई चीज नहीं होती और अंग्रेज अभिजात वर्ग के लिए प्रकृति के नियम नहीं बदल सकते।"

"निश्चय ही आप अमेरिकी प्रकृति पर बहुत आस्था रखते हैं", लॉर्ड कैंटरविले ने श्री ओटिस की अंतिम बात को पूरी तरह न समझते हुए कहा, "अगर आपको इस घर में भूत के होने से कोई आपत्ति नहीं हो, ठीक है । पर यह न कहिएगा कि मैंने आपको चेताया नहीं था ।"

इसके कुछ सप्ताह बाद सौदा संपन्न हो गया। फिर मौसम के बदलने के समय राजदूत और उनका परिवार कैंटरविले निवास रहने के लिए रवाना हुआ।

श्रीमती ओटिस जब वेस्ट 23वीं स्ट्रीट की मिस लुक्रेशिया आर. तापन थीं, न्यूयॉर्क की एक प्रसिद्ध सुंदरी थीं। अब वे बहुत आकर्षक मझली उम्र की सुंदर आँखों और नाक-नक्शेवाली महिला थीं। बहुत सी अमेरिकन महिलाएँ स्वदेश छोड़ने के बाद चिरकालिक अस्वास्थ्यवाला हाल-चाल बना लेती हैं और इसे यूरोपियन परिष्कार समझती हैं, लेकिन श्रीमती ओटिस ने कभी यह गलती नहीं की । उनकी शरीर संरचना बहुत ही अच्छी थी और उनमें बेमिसाल जिंदादिली थी। कई मानी में वे बहुत अंग्रेज थीं । वे इस बात का उदाहरण थीं कि वास्तव में आधुनिक अमेरिकनों में और अंग्रेजों में भाषा के अतिरिक्त बहुत कुछ साझा है। उन्होंने देशभक्ति के किसी जोश में अपने बड़े बेटे का नाम वॉशिंगटन रख दिया था । वह कभी भी इससे खिन्न होने से नहीं चूका । वह हलके भूरे रंग के बालोंवाला आकर्षक सा युवा था । वह न्यूपोर्ट कसीनों में जर्मनों से आगे रहने की ख्याति हासिल कर चुका था और लंदन में भी एक शानदार नृत्य करनेवाले के रूप में मशहूर हो चुका था । उसकी दो ही कमजोरियाँ थीं, चमेली और अभिजात वर्ग ।

इसके अलावा तो वह बहुत ही समझदार था । मिस वर्जीनिया ई. ओटिस पंद्रह साल की बालिका थी । वह किसी हिरनी सी फुर्तीली और मनोरम थी । उसकी बड़ी-बड़ी नीली आँखों में स्वाभाविक उन्मुक्तता झलकती थी । वह बहु निर्भीक स्वभाव की थी । उसने एक बार दौड़ के मुकाबले में अपने खच्चर पर पार्क में चक्कर काटते हुए लॉर्ड बिल्टिन को आधे चक्कर से हरा दिया था। ड्यूक ऑफ चेशायर इससे इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसी समय उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। उसके माता-पिता ने उसी रात उसे अश्रुपूरित अवस्था में वापस ईटन भेज दिया था। उसके बाद उन जुड़वाँ का नंबर आता था, जो सबके चहेते होने के कारण पट्टी - सितारे कहलाते थे। वे बहुत हँसमुख लड़के थे और राजदूत महोदय के अतिरिक्त वे ही परिवार में सच्चे रिपब्लिकन थे।

कैंटरविले निवास सबसे पास के रेलवे स्टेशन एस्कॉर्ट से सात मील की दूरी पर था । श्री ओटिस ने फोन करके एक घोड़ागाड़ी मँगाई थी और सब लोग बड़े उत्साह से अपनी यात्रा पर चले। यह जुलाई मास की एक सुहानी शाम थी। हवा में देवदार की खुशबू थी। थोड़ी-थोड़ी देर में उनको कोई वन - कपोत अपनी गुटरगूँ में विचारमग्न सा दिख जाता। या फिर सरसराती झाडियों में कहीं पर किसी तीतर का चमकता सीना दिखाई दे जाता । नन्ही गिलहरियाँ सफेदे के पेड़ों से उनको जाते हुए देखतीं । खरगोश अपनी सफेद दुमें हवा में लहराते हुए झाड़ियों और कई से भ टीलों पर से फुदकते हुए भागते नजर आते। जब उन्होंने कैंटरविले निवास के रास्ते में प्रवेश किया तो अचानक आसमान में बादल छा गए और वातावरण में एक विचित्र प्रकार का सन्नाटा छा गया। कौओं का एक बड़ा झुंड उड़ता हुआ उनके सिरों पर से चुपचाप निकल गया। जब तक वे घर पहुँचे, बारिश की कुछ मोटी बूँदें गिर चुकी थीं।

उनका स्वागत करने के लिए सीढ़ियों पर एक वृद्ध खड़ी थी । वह रेशम की काली पोशाक, सफेद टोपी और एप्रन पहने हुए थी। यह घर की देखरेख करनेवाली श्रीमती ओमने थी, जिसे लेडी कैंटरविले के विशेष अनुरोध पर श्रीमती ओटिस इस पहलेवाले पद पर रहने देने के लिए राजी हो गई थीं । उनके उतरने पर उसने सबका थोड़ा झुककर परंपरागत ढंग से अभिवादन किया और बोली, "कैंटरविले निवास में आपका मैं स्वागत करती हूँ ।"

श्रीमती ओटिस के पीछे चलते हुए वे उत्कृष्ट ट्यूडर हॉल और फिर लाइब्रेरी में गए। यह एक लंबा, कम ऊँचाईवाला, ओक की लकड़ी के पैनलों से सजा कमरा था, जिसके अंतिम छोर पर एक बहुत बड़ी शीशोंवाली खिड़की थी। यहाँ उनके लिए चाय परोसी हुई रखी थी। अपने गुलूबंद, शाल वगैरह उतारने के बाद वे लोग बैठकर चारों तरफ देखने लगे। श्रीमती ओमने उनकी सेवा में खड़ी थी।

अचानक श्रीमती ओटिस ने फर्श पर एक फीका लाल धब्बा अँगीठी के पास देखा । यह आखिर क्या है, इससे अनभिज्ञ उन्होंने श्रीमती ओमने से कहा, "शायद यहाँ कुछ गिर गया है।"

"जी, श्रीमती", वृद्ध गृहप्रबंधक ने धीमी आवाज में जवाब दिया, "उस स्थान पर खून गिरा था ।"

"कैसी अरुचिकर बात है", श्रीमती ओटिस बोलीं, “मैं बैठक में खून के धब्बे बिलकुल पसंद नहीं करती। इन्हें तुरंत साफ कर दिया जाए।"

वृद्ध ने मुसकराकर उसी धीमी और रहस्यमय आवाज में जवाब दिया, “ये कैंटरविले की लेडी एलिएनोर के खून के धब्बे हैं। उनके पति सर साइमन द कैंटरविले ने इसी स्थान पर सन् 1575 में उनकी हत्या की थी। सर साइमन उसके बाद नौ साल तक जीवित रहे । फिर अचानक रहस्यमय परिस्थितियों में गायब गए। उनका मृत शरीर कभी नहीं मिला, लेकिन उनकी अपराधी आत्मा अभी भी इस स्थान में भटक रही है । इन खून के धब्बों को पर्यटक और अन्य लोग बार-बार देख चुके हैं, लेकिन ये मिटाए नहीं जा सकते ।"

“ये सब फिजूल की बातें हैं", वॉशिंगटन ओटिस बोला, “पिंकर्टन का चैंपियन धब्बे हटानेवाला और पैरागॉन का डिटर्जेंट इन्हें दो मिनटों में साफ कर देगा ।" इससे पहले कि भय से आतंकित गृहप्रबंधक वृद्ध हस्तक्षेप करती, वह घुटनों के बल बैठकर काले अंगराग की बटिया से दिखनेवाले किसी पदार्थ से फर्श को रगड़ रहा था । जरा देर में ही खून के धब्बे गायब हो गए।

"मुझे पता था कि पिंकर्टन से यह साफ हो जाएगा ।" वह अपने प्रशंसक परिवार की तरफ देखकर विजयी भाव से बोला, लेकिन अभी उसने अपनी बात पूरी ही की थी कि तभी वह कम रोशन कमरा बिजली की तेज चमक से भ उठा और उसकी भयानक कड़क के चलते परिवार के सभी लोग एकाएक उठ खड़े हुए। श्रीमती ओमने बेहोश हो गई।

"कैसा खराब मौसम है", अमेरिकी राजदूत एक चुरुट सुलगाते हुए शांति से बोले, “मुझे लगता है कि पुराना देहाती इलाका इतनी घनी आबादीवाला हो गया है कि अब उनके पास हर किसी को देने के लिए अच्छा सुहावना मौसम बचा ही नहीं। मेरी तो सदा यही राय रही है कि इंग्लैंड के लिए उत्प्रवास श्रेयस्कर है ।"

"प्रिय हिरम", श्रीमती ओटिस बोलीं, “उस औरत का क्या किया जाए, जो बेहोश हो जाती है ? "

"उसपर छोटी टूट-फूट का जुर्माना करो", राजदूत ने जवाब दिया, " फिर वह कभी बेहोश नहीं होगी ।" थोड़ी देर बाद श्रीमती ओमने सचमुच होश में आ गई। इसमें कोई संदेह न था कि वह काफी परेशान थी । उसने श्री ओटिस को बड़ी कड़ी चेतावनी दी कि घर पर कोई बड़ी विपत्ति आने के प्रति सावधान रहें ।

"श्रीमान, मैंने अपनी आँखों से ऐसी चीजें देखी हैं", वह बोली, “जो किसी भी आस्थावान ईसाई के रोंगटे खड़े कर सकती हैं। न जाने कितनी रातें मैंने उन भयानक घटनाओं की वजह से जागकर काटी हैं, जो यहाँ हुआ करती हैं।” श्री ओटिस और उनकी पत्नी ने बड़े प्रेम से उस वफादार महिला को समझाया कि उन्हें भूतों से डर नहीं लगता। अपने नए मालिकों के लिए ईश्वर की कृपा की प्रार्थना करने और अपने वेतन में वृद्धि का आश्वासन मिलने के बाद वह वृद्ध गृहप्रबंधक अपने कमरे में चली गई ।

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उस रात कमरा बड़ी कर्कषता से कँपकँपाया, लेकिन कोई अनहोनी घटना नहीं घटी, लेकिन जब वे अगली सुबह नाश्ते के लिए नीचे आए तो उन्होंने फर्श पर फिर वही खून के धब्बे देखे ।" मेरे खयाल में यह पैरागॉन डिटर्जेंट का दोष नहीं हो सकता", वॉशिंगटन बोला, "इसे मैंने कई चीजों पर पहले भी आजमाया है । यह जरूर भूत की करतूत है।" उसने फिर एक बार धब्बे रगड़कर मिटा दिए, लेकिन अगली सुबह फिर वे धब्बे प्रकट हो गए । तीसरी सुबह भी ऐसा ही हुआ। हालाँकि श्री ओटिस खुद लाइब्रेरी को ताला लगाकर चाबी अपने पास ऊपर ले गए थे। अब तो सारे परिवार को इस मामले में दिलचस्पी हो गई। श्री ओटिस को अब शक होने लगा कि वह भूतों के न होने के बारे में कुछ ज्यादा ही हठधर्मी हो गए थे। श्रीमती ओटिस अतिभौतिक संस्था की सदस्यता लेने की इच्छुक हो गईं और वॉशिंगटन ने अपराध से संबंधित धब्बों के स्थायित्व के बारे में सर्वश्री मायर्स और पोंडमोर को एक लंबा पत्र लिख डाला। उसी रात मायावी अस्तित्व के होने या न होने के बारे में सभी संदेह सदा के लिए दूर हो गए।

वह एक गरम और धूप से भरा दिन था। शाम की ठंडक में सारा परिवार घोड़ागाड़ी में बाहर घूमने गया। वे रात नौ बजे तक नहीं लौट पाए थे। फिर उन्होंने रात को हलका भोजन किया। उस रात भूतों के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी, जो कि बाद में इस तरह के मायावी भ्रम का कारण बन जाया करती है । जैसाकि मैंने श्री ओटिस से सुना, उस रात आम सुसंस्कृत अमेरिकन परिवारों में होनेवाली चर्चाओं जैसी ही बातचीत हुई थी। जैसे कि मिस फैनी डेवनपोर्ट का एक अभिनेत्री के तौर पर सराह बर्नहाट से बहुत बेहतर होना । अच्छे अंग्रेज घरों में भी हरी मक्की, गेहूँ के केक और दलिया मुश्किल ही मिलना । सामाजिक व्यक्तित्व के विकास में बोस्टन का महत्त्व, रेलयात्रा में माल असबाब के परीक्षण का महत्त्व, लंदन के अटक - अटककर बोलने के मुकाबले न्यूयॉर्क के उच्चारण की मधुरता आदि । उस बातचीत में अतिप्राकृतिक की कोई चर्चा नहीं हुई थी । न ही सर साइमन द कैंटरविले के बारे में किसी तरह की कोई बात की गई थी। ग्यारह बजे परिवार के सभी सदस्य सोने चले गए थे और उसके आधे घंटे बाद बत्तियाँ बुझा दी गई थीं। कुछ देर बाद उनके कमरे के बाहरवाले बरामदे से आनेवाली विचित्र प्रकार की आवाज से श्री ओटिस की नींद खुल गई। यह किसी धातु के खनकने जैसी आवाज थी, जो लगातार पास आती लग रही थीं। वह तुरंत उठ खड़े हुए। उन्होंने एक दियासलाई जलाकर समय देखा। रात का ठीक एक बजा था । वह एकदम शांतिचित्त थे। उन्होंने अपनी नब्ज भी देखी, जो बिलकुल ठीक चल रही थी । विचित्र आवाज अभी भी आ रही थी। इसके साथ ही उन्होंने किसी के कदमों की आवाज भी स्पष्ट रूप से सुनी। उन्होंने अपने स्लीपर पहने, दराज से एक छोटी चौकोर शीशी निकाली और दरवाजा खोला। उन्होंने धुँधली चाँदनी में अपने ठीक सामने भयानक शक्ल के एक बूढ़े आदमी को देखा। उसकी आँखें दहकते अंगारे जैसी लाल थीं। उसके लंबे सफेद बालों के कुंडल उसके कंधे तक गिर रहे थे। उसके बहुत बीते जमाने के कपड़े फटे पुराने थे। उसकी कलाइयों और टखनों में भारी हथकड़ी और बेडियाँ पड़ी हुई थीं।

"श्रीमान", श्री ओटिस बोले, “मुझे आपसे अवश्य ही आग्रह करना चाहिए कि इन जंजीरों को कुछ तेल दे लें। आपके इस उपयोग के लिए मैं टेमेनी राइजिंग सन लुब्रीकेटर की एक छोटी शीशी ले आया हूँ ।" कहा जाता है कि यह एक बार के प्रयोग में ही काफी असर दिखाता है । हमारे यहाँ के कई संभ्रांत लोगों के इस आशय के कुछ प्रमाणपत्र भी इसके आवरण पर हैं। मैं यह शयनकक्ष की मोमबत्तियों के पास आपके लिए रख देता हूँ। अगर आपको जरूरत पड़े तो और देने में मुझे खुशी होगी।" इतना कहने के बाद अमेरिकी राजदूत ने वह शीशी संगमरमर की मेज पर रख दी और दरवाजा बंद करके सोने चले गए।

कुछ देर तक तो कैंटरविले का भूत अपने स्वाभाविक क्रोध में चुपचाप खड़ा रहा। उसके बाद शीशी को जोर से फर्श पर पटकने के बाद वह बरामदे में भागता चला गया । वह अजीब तरह से कराह रहा था और उसके शरीर से हरी रोशनी निकल रही थी । जिस समय वह बड़ी ओक की सीढियों तक पहुँचा, एक दरवाजा अचानक खुला । उसमें से सफेद कपड़े पहने दो छोटी आकृतियाँ प्रकट हुई। फिर एक बड़ा तकिया भूत के सिर पर से होता हुआ गुजरा। अब समय नष्ट करने की गुंजाइश नहीं थी । इसलिए वह बच निकलने के लिए चौथे आयाम का प्रयोग करते हुए लकड़ी की तख्तबंदी में से गायब हो गया ।

बाएँ पार्श्व के एक गुप्त कमरे में पहुँचने के बाद वह चंद्रमा की एक किरण के सहारे साँस लेने के लिए रुका । उसने अपनी स्थिति को समझने का प्रयास किया। अपने तीन सौ साल के शानदार और लगातार कॅरियर में कभी भी उसका इतना अपमान नहीं हुआ था । उसने उस डचेज के बारे में सोचा, जो अपने हीरों और लैस के साथ आईने के सामने खड़ी हुई थी कि उसने उसे डराकर बेहोश कर दिया था । उसने उन चार नौकरानियों के बारे में सोचा, जिनको उसने केवल परदे की आड़ में से अपने दाँत दिखाए थे । उस पादरी के बारे में सोचा, जो देर रात लाइब्रेरी से आ रहा था तो उसने उसकी मोमबत्ती बुझा दी थी। उसके बाद से वह सदा के लिए स्नायविक विकार से पीड़ित होकर सर विलियम गल की देखरेख में रहे थे। और वह वृद्ध मैडम ट्रैमोविलॉक जिनकी एक दिन बहुत सुबह आँख खुलने पर उन्होंने एक कंकाल को आरामकुरसी पर बैठे देखा था तो एक हफ्ते तक दिमागी बुखार की चपेट में रहीं। उससे छुटकारा पाने पर वे गिरजाघर की शरण में गई और कुख्यात संशयवादी मसियर द वाल्टायर से सदा के लिए नाता तोड़ लिया। उसे वह भयानक रात याद आई, जब दुष्ट लॉर्ड कैंटरविले को अपनी बैठक में गले में घुटन से छटपटाते हुए पाया गया था । उनके गले के आधे रास्ते में धोखे से हथियाए हीरे मिले थे। मरते समय उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने चार्ल्स जेम्स फॅक्स को इस तरकीब से क्राकफील्ड के हीरों के विनिमस में 50,000 पाउंड का धोखा दिया था, लेकिन भूत ने उनको ये हीरे निगलने के लिए विवश किया।

अपने सारे महान् कारनामे उसे इस तरह याद आए। वह खानसामा भी याद आया, जिसने खिड़की के शीशे पर एक हरे हाथ को दस्तक देते देखकर खुद को गोली मार ली थी । सुंदरी लेडी स्टटफील्ड को अपने गले में पाँच उँगलियों के जलाने के निशान छिपाने के लिए गले में एक काला मखमल का बैंड पहनना पड़ता था । अंततः उसने राजा के विहारस्थल के अंतिम छोरवाले ताल में डूबकर जान दे दी थी। किसी सच्चे कलाकार के उत्साह के साथ उसने अपने सारे कारनामों को याद किया। फिर उसके होंठों पर अपनी आखिरी करतूत को याद करके एक कड़वी मुसकान तैर गई, जब वह लाल रुबैन या गलघोंटू बेब के नाम से जाना गया था या जब खून पीनेवाला बक्सले हब्शी माना गया था। उसने ऐसे-ऐसे कारनामे अंजाम दिए थे और अब ये आधुनिक अमेरिकन न जाने कहाँ से आ गए थे, जो उसे राइजिंग सन लुब्रिकेंट दे रहे थे और उसके सिर पर तकिए फेंक रहे थे । यह असहनीय था । आज तक किसी भूत के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया गया । इसलिए उसने बदला लेने का इरादा किया। वह सुबह होने तक इसकी योजना बनाते हुए गहरी सोच में डूबा रहा।

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अगली सुबह जब ओटिस परिवार नाश्ते की मेज पर मिला तो उन्होंने भूत के बारे में विस्तार से चर्चा की । अमेरिकी राजदूत इस बात से कुछ नाराज थे कि उनकी भेंट को स्वीकार नहीं किया गया ।" मेरा भूत को किसी तरह का व्यक्तिगत आघात पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन इस बात पर गौर करते हुए कि वह कितने लंबे समय से इस घर में रह रहा है, उसपर तकिए फेंकना बहुत अच्छी बात नहीं थी ।" इस बात को सुनते ही दोनों जुड़वाँ जोर से हँस पड़े ।" इसके अलावा ", उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "अगर वह राइजिंग सन लुब्रिकेंट नहीं लेना चाहता तो हमें उससे उसकी जंजीरें ले लेनी चाहिए। शयनकक्ष के बाहर इस तरह का शोर होने पर आराम से सोना असंभव है।"

उनके सप्ताह के बाकी दिन बिना किसी परेशानी के बीते । अगर कोई ध्यान आकर्षित करनेवाली बात थी तो यह कि लाइब्रेरी के फर्श से खून के धब्बे निरंतर साफ करने पड़ते थे । यह वाकई अजीब बात थी, क्योंकि दरवाजे पर श्री ओटिस हर रात ताला लगा देते थे और खिड़कियों को भी ठीक से बंद कर दिया जाता था । इन धब्बों का गिरगिट का सा बदलता रंग भी टिप्पणी का विषय रहा। किसी सुबह तो वह भारतीय लाल होता, फिर यह सिंदूरी हो जाता या उसके बाद चटक बैंगनी । एक सुबह जब वे अमेरिकी ईसाई मतानुसार पूजा करने के लिए आए तो उन्होंने देखा कि धब्बे का रंग पन्ने सा हरा है । इन बहुरूपदर्शी परिवर्तनों ने स्वभावतः सब का बहुत मनोरंजन किया। हर शाम इस मामले को लेकर शर्तें लगाई जाने लगीं। इस मजाक में नन्ही वर्जीनिया कभी शामिल नहीं हुई । वह खून के धब्बे देखकर परेशान सी हो जाती थी। जिस दिन उसने उनको हरा देखा, वह रोई भी ।

भूत का दूसरा दर्शन रविवार की रात को हुआ । उस रात जब वे सोने गए थे उसके थोड़ी देर बाद ही हॉल में अचानक कुछ गिरने की जोरदार आवाज हुई। वे भागे-भागे नीचे गए। उन्होंने देखा कि एक पुराने कवच का पहनावा अपने आधार से पत्थर के फर्श पर गिरा हुआ है। एक ऊँची पीठवाली कुरसी पर बैठा कैंटरविले का भूत चेहरे पर पीड़ा के निशान लिये अपना घुटना सहला रहा है। दोनों जुड़वाँ अपने साथ अपनी छर्रेवाली बंदूक लाए थे। उन्होंने तुरंत दो छर्रे उसकी तरफ दागे। उनका निशाना ऐसा अचूक था, जो निरंतर अभ्यास से ही हासिल किया जा सकता है। अमेरिकी राजदूत ने उसे अपनी पिस्तौल की मार में रखते हुए कैलीफोर्निया के शिष्टाचार के अनुरूप अपने हाथ ऊपर उठाने को कहा । भूत ने गुस्से की एक चीख मारी और तेजी से उसके सामने से होता हुआ गायब हो गया। उसके जाने से वॉशिंगटन ओटिस की मोमबत्ती बुझ गई। अब वे सब घुप्प अँधेरे में थे। सीढ़ियों के ऊपर पहुँचने के बाद वह कुछ सँभला और उसने अपना भयानक अट्टहास करने का फैसला किया। इसे उसने एक से अधिक बार बहुत उपयोगी पाया था। कहा जाता है कि इससे लॉर्ड रेकल के बाल एक ही रात में सफेद हो गए थे। इसने लेडी कैंटरविले की तीन फ्रांसीसी गृहशिक्षिकाओं को महीना पूरा होने से पहले ही काम छोड़ने की चेतावनी देने को बाध्य कर दिया था । इसलिए उसने अपना सबसे भयानक अट्टहास किया, जब तक कि पुराना महराबी छत बार-बार गूँजा नहीं, लेकिन यह भयानक प्रतिध्वनि अभी रुकी ही थी कि एक दरवाजा खुला और श्रीमती ओटिस एक आसमानी रंग के गाउन में बाहर निकलीं ।" मेरे विचार में तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं", वे बोलीं, “मैं तुम्हारे लिए डॉ. डोबेल के टिंचर की एक बोतल ले आई हूँ। अगर तुम्हें बदहजमी हो गई है तो उसके लिए यह दवा बहुत कारगर है।" भूत ने उनकी तरफ गुस्से से देखा और स्वयं को एक बड़े काले कुत्ते में परिवर्तित करने की तैयारी करने लगा। इस कारनामे के लिए वह बहुत मशहूर था और इसी के कारण परिवार के डॉक्टर ने लॉर्ड कैंटरविले के चाचा सम्माननीय थॉमस हॉर्टन को स्थायी मूर्खता का रोगी बताया था, लेकिन आती हुई पदचाप के कारण वह अपने इरादे को पूरा करने में थोड़ा हिचक गया । जुड़वाँ भाइयों को अपने पास आया देखकर उसने कब्रिस्तानवाली गहरी कराह भरी और खुद को थोड़ा टिमटिमाता बनाकर गायब हो गया।

अपने कमरे में पहुँचने के बाद वह पूरी तरह टूट गया । उसपर जबरदस्त घबराहट का दौरा पड़ा । जुड़वाँ भाइयों की बेहूदा हरकतें और श्रीमती ओटिस का भौतिकवाद उसके लिए असह्य था । उसे सबसे अधिक निराश इस बात ने किया था कि वह कवचवाला लिबास पहनने में असफल रहा था । उसका विचार था कि कवचधारी देखकर आधुनिकतम अमेरिकनों के भी रोंगटे खड़े हो जाएँगे । अपने राष्ट्रीय कवि लांगफैलो के प्रति उनके मन में कुछ सम्मान तो अवश्य होगा, जिसकी सुंदर कविताओं से वह स्वयं भी अभिभूत था और उस जमाने में घंटों उनमें लीन रहता था, जब कैंटरविले शहर में रहते थे। इसके अलावा यह उसका अपना कवच था । उसने इसे केनिलवर्थ प्रतियोगिता में पहना था और स्वयं महारानी तक ने इसकी प्रशंसा की थी, लेकिन जब उसने इसे पहना तो इसके भारी वक्षरक्षक के भार से वह इतना दब गया कि पत्थर के फर्श पर गिर पड़ा। इससे उसके घुटने पर बहुत चोट आई और दाहिने हाथ की उँगलियों की गाँठें भी छिल गई।

इसके बाद कुछ दिनों तक उसकी तबीयत बहुत खराब रही। वह अपने कमरे से बाहर भी बहुत कम निकला। सिर्फ उसे खून के धब्बे बनाए रखने के लिए निकलना पड़ता था, लेकिन अपना पूरा ध्यान रखने पर उसकी तबीयत ठीक हो गई। उसने फिर से अमेरिकी राजदूत और उसके परिवार को आतंकित करने का इरादा किया। उसने अपने प्रकट होने के लिए शुक्रवार 17 अगस्त का दिन तय किया। उसने सारा दिन अपनी कपड़ों की अलमारी को देखने में बिताया। अंत में उसने लाल परोंवाला एक लंबा भद्दा हैट और कलाइयों और गले में झालर लगा कफन पसंद किया। उसके साथ एक जंग लगा खंजर भी ले लिया। शाम के समय जबरदस्त तूफान के साथ जोर की बारिश हुई। हवा इतनी तेज थी कि उस पुराने घर के सभी खिड़की-दरवाजे बज रहे थे। यानी उस दिन ऐसा मौसम था, जो उसे बहुत पसंद था। उसकी योजना इस प्रकार थी - वह दबे पाँव वॉशिंगटन ओटिस के कमरे में जाकर पलंग के पैताने से उसपर गिलबिजाएगा। उसके बाद हलके संगीत के स्वरों के साथ अपनी गरदन में तीन बार खंजर भोंकेगा । वह वॉशिंगटन ओटिस से खासतौर पर नाराज था । उसे पता था कि वही पिंकस पैरागॉन डिटर्जेंट से प्रसिद्ध कैंटरविले खून के धब्बे मिटाता है। उस दुस्साहसी युवक को डराने के बाद वह अमेरिकन राजदूत और उनकी पत्नी के कमरे में जाएगा। वहाँ वह श्रीमती आर्टिस के माथे पर अपना चिपचिपा हाथ रखेगा और साथ ही उसके डर से काँपते पति के कान में मुरदाघर के भयावह रहस्य फुसफुसाएगा । नन्ही वर्जीनिया के बारे में उसने अभी कुछ सोचा न था। वह सुंदर और सौम्य थी। उसने कभी उसका अपमान भी नहीं किया था । अलमारी में से आती कुछ बनावटी कराहें शायद उसके लिए काफी होंगी। अगर इनसे भी उसकी नींद नहीं खुली तो वह उसके पलंगपोश को अपनी डरावनी उँगलियों से खींचना शुरू कर देगा। जहाँ तक जुड़वाँ भाइयों का सवाल था, उनको सबक सिखाने का तो उसने पक्का इरादा कर लिया था। सबसे पहला काम तो वह यह करेगा कि उनकी छाती पर चढ़ बैठेगा, ताकि वे किसी भयानक सपने से होनेवाली झुरझुरी से काँप जाएँ । चूँकि उनके पलंग बहुत पास-पास थे, इसलिए दूसरा काम यह होगा कि हरे मुरदे की शक्ल में उनके बीचोबीच खड़ा होकर उनको डर से हिलने-डुलने लायक भी न छोड़े। अंत में कफन उतारकर सफेद कंकाल के रूप में सारे कमरे में रेंगना शुरू कर देगा। आँखों को अपने मशहूर डंब डोनियलवाले किरदार में मटकाएगा, जिसका बहुत प्रभाव देख चुका है।

साढ़े दस बजे उसे परिवार के सोने जाने की आहट मिली। कुछ देर तक तो वह जुड़वाँ भाइयों की हँसने की तीखी आवाजों से परेशान सा रहा । दूसरे स्कूली बच्चों की तरह वे भी सोने से पहले अपना मन बहलाव कर रहे थे, लेकिन सवा ग्यारह बजे तक सबकुछ एकदम शांत हो गया । आधी रात को उसने धावा बोला। उल्लू खिड़कियों के शीशों से टकरा रहे थे। पुराने सदाबहार के पेड़ पर से कौआ काँव-काँव कर रहा था । हवा किसी भटकी आत्मा की तरह कराहती हुई सी घर के चारों तरफ से गुजर रही थी, लेकिन ओटिस परिवार आनेवाली विपदा से बेखबर सो रहा था। बारिश और तूफान की आवाजों के बावजूद वह अमेरिकी राजदूत के खर्राटे साफ सुन रहा था । वह दबे पाँव तख्तबंदी से बाहर निकला। उसके निर्मम दुष्ट चेहरे पर एक कुटिल मुसकराहट थी । जब वह बड़ी खिड़की के सामने से गुजर रहा था तो चंद्रमा ने बादल से अपना मुँह ढाँप लिया।

वह किसी दुष्ट छाया सा तैरता हुआ आगे बढ़ रहा था । ऐसा लगता था कि जब वह गुजर रहा था तो अँधेरे को भी उससे नफरत हो रही थी । एक बार उसे लगा कि कोई आवाज हुई है। वह रुक गया, लेकिन जरा देर में उसे पता चल गया कि यह लाला फार्म से कुत्ते के भौंकने की आवाज आई है। वह सोलहवीं शताब्दी की गालियाँ बकता हुआ आगे बढ़ता गया। वह आधी रात के माहौल में बार-बार अपना जंग लगा खंजर लहरा रहा था। आखिरकार वह उस बरामदे के छोर पर पहुँच गया जो अभागे वॉशिंगटन के कमरे को जाता था । वहाँ आकर वह जरा देर को रुका। हवा उसके लंबे सफेद बालों को उसके सिर पर लहरा रही थी और मुरदे के भयानक बेनाम कफन को अपने झकोरों से तोड़मरोड़ रही थी । घड़ी ने पंद्रह मिनट गुजरने की आवाज की तो उसने समझ लिया कि अब समय आ गया है। वह मन-ही-मन हँसकर कोने पर घूमा, लेकिन इसके साथ ही वह डर से बिलखते हुए पीछे हटा। उसने अपना पीला चेहरा अपने लंबे कंकाली हाथों से ढक लिया। उसकी आँखों के सामने एक भयानक आकृति थी। किसी तराशी मूर्ति की तरह स्थिर और किसी पागल आदमी के सपने की तरह डरावनी । उसका सिर गंजा और चमकदार था । उसका सफेद चेहरा गोल और मोटा था । ऐसा लगता था कि उसकी घिनौनी हँसी ने उसके चेहरे को विकृत करके स्थायी रूप से हँसती आकृति में बदल दिया था। उसकी आँखों से लाल रोशनी की किरणें निकल रही थीं। उसका मुँह आग का भयानक कुआँ था । उसका बर्फीला लिबास हूबहू उसके अपने लिबास जैसा ही था। उसके सीने पर विचित्र सी पुरानी लिखावट में एक तख्ती लगी हुई थी । उसपर शर्म जैसा शब्द था। साथ ही जघन्य पापों और अपराधों की सूची थी। उसके दाहिने हाथ में चमकते इस्पात का एक बाज था।

उसने खुद इससे पहले कोई भूत नहीं देखा था । अतः उसका बहुत अधिक डर जाना स्वाभाविक ही था। उस भयावह भूत पर एक और नजर डालने के बाद वह अपने कमरे की तरफ भागा। उसके पैर अपने लंबे कफन के परिधान में उलझ रहे थे। जाते-जाते उसने अपना खंजर राजदूत के घुटनों तक के लंबे जूतों में फेंक दिया, जहाँ वह सुबह खानसामा को मिला। अपने निजी कमरे में पहुँचकर वह अपने छोटे गुदड़ी के बिस्तर पर धड़ाम से जा गिरा । उसने कपड़ों में अपना सिर छिपा लिया। कुछ समय बाद उसके अंदर की कैंटरविले की साहसी आत्मा जागी और उसने सुबह होते ही दूसरे भूत से बात करने का इरादा किया । अतः पौ फटते ही जब रुपहली रोशनी ने अभी पहाड़ी के शिखर को छुआ ही था, वह उस स्थान पर लौटा, जहाँ उसने वह विकराल भूत देखा था । उसने सोचा कि एक भूत से दो भूत भले । वह अपने नए दोस्त की मदद से जुड़वाँ भाइयों से आसानी से निबट सकेगा, लेकिन वहाँ पहुँचने पर उसने जो दृश्य देखा, उससे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। भूत को कुछ हो गया था, क्योंकि सुबह की हलकी रोशनी में उसने देखा कि उसकी खोखली आँखों में रोशनी न थी । चमकदार बाज उसके हाथ से गिर पड़ा था। वह अजीब से तरीके से दीवार के सहारे खड़ा था । उसने दौड़कर उसे अपनी बाँहों में ले लिया। तभी उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उस भूत का सिर टूटकर फर्श पर गिर पड़ा। उसका धड़ लुढ़क सा गया। उसने देखा कि उसके हाथ में एक सफेद डोरिए का परदा है। इसके साथ ही एक सफाई करनेवाला ब्रश, एक रसोईघर का बड़ा चाकू और खोखला शलगम उसके पैरों पर गिर पड़ा। इस अचानक परिवर्तन को समझ पाने में असमर्थ उसने जल्दी से उस तख्ती को पकड़ा जिस पर कुछ लिखा था । उसने भयभीत आँखों से इन शब्दों को पढ़ा -

अरे, बूढ़े खूसट भूत!

तुम अकेले मौलिक प्रेत हो । अपनी नकल से सावधान! वे सब झूठे हैं।

अब उसे सारी बात समझ में आ गई। उसके साथ धोखा हुआ था, उसके प्रयासों को व्यर्थ किया गया था और उसे उल्लू बनाया गया था। उसकी आँखों के आगे पुराना कैंटरविले का हुलिया तैर गया। उसने अपने बिना दाँतों के मसूड़ों को पीसा। उसने अपने हाथों को पुराने अंदाज में सिर के ऊपर उठाते हुए उस समय को याद करते हुए शपथ ली, जब चैंटिक्लियर के दो बार दुंदुभी बजाने से खूनखराबा होता था और हत्याएँ दबे कदमों से चला करती थीं।

अभी उसने अपनी शपथ पूरी ही की थी कि दूर के किसी निवास की लाल टाइलोंवाली छत पर से कोई कौआ बोला। वह एक कड़वी लंबी हँसी हँसकर कुछ देर रुका। उसने घंटों तक इंतजार किया, लेकिन किसी कारण से कौआ फिर नहीं बोला। अंत में साढ़े सात बजे नौकरानियों के आ जाने से उसे अपना भयानक जागरण त्यागना पड़ा। वह अपनी व्यर्थ की आशा और उद्देश्य की असफलता के बारे में सोचता हुआ सुस्त कदमों से अपने कमरे में लौट आया। वहाँ आकर उसने पुरानी बहादुरी के कारनामोंवाली कई पुस्तकों को देखा, जिनका वह बहुत शौकीन था। उसने देखा कि जब भी इस तरह शपथ ली जाती थी, चैंटिक्लियर दोबारा प्रकट हो जाता था ।" उन घृणित शरारतियों का सत्यानाश हो", वह बड़बड़ाया, "मेरा वह भी वक्त था, जब अपने मजबूत भाले से ऐसों का गला छेद सकता था।” उसके बाद वह आराम से सोने के लिए एक सीसे के ताबूत में चला गया और शाम तक वहाँ सोता रहा।

: 4 :

अगले दिन भूत बहुत थका हुआ और कमजोर था । पिछले चार हफ्तों की तीव्र उत्तेजना का दुष्प्रभाव उसपर पड़ने लगा था। उसका स्नायुतंत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था और वह जरा सी आवाज पर ही चौंक उठता था। पाँच दिनों तक वह अपने कमरे में ही पड़ा रहा। अंत में उसने फैसला किया कि लाइब्रेरी के फर्श पर खून के धब्बे बनाना छोड़ देगा। अगर ओटिस परिवार इन्हें नहीं चाहता तो वह इनके योग्य भी नहीं । वे अपेक्षाकृत निम्न स्तर का जीवनयापन करनेवाले लोग थे, जो प्रतिभासित दृश्य प्रपंच के महत्त्व को समझने लायक न थे । भूतों के चमत्कारिक दर्शन और सूक्ष्म शरीर का विकास एक अलग ही मामला है, जो उसके नियंत्रण में नहीं । बरामदे में हफ्ते में एक बार प्रकट होना और हर महीने के पहले और तीसरे बुधवार को बड़ी खिड़की के सामने खड़े होकर गिलबिलाना उसका परम कर्तव्य था । उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी इस जिम्मेदारी से किस तरह सम्मानपूर्वक छुटकारा पा सकता है। यह सच है कि उसका जीवन बहुत बुरा रहा है । इसके साथ ही वह सभी अतिप्राकृतिक चीजों के प्रति अत्यंत निष्ठावान भी रहा है।

लिहाजा अगले तीन शनिवार उसने आधी रात से तीन बजे रात तक गलियारे के लगातार चक्कर लगाए। उसने हरसंभव सावधानी बरती कि न तो दिखाई दे, न उसकी आहट आए। उसने अपने जूते उतार दिए। पुराने दीमक खाए तख्तों पर यथासंभव दबे पाँव ही चला। उसने एक बड़ा काला मखमल का लबादा पहना । उसने यह भी ध्यान रखा कि अपनी जंजीरों पर राइजिंग सन जुब्रिकेंट का बराबर इस्तेमाल करे। हालाँकि यह अंतिम सावधानी बरतने में उसे काफी कठिनाई हुई। एक रात जब परिवार रात का भोजन कर रहा था, वह श्री ओटिस के शयनकक्ष में जाकर वहाँ से बोतल उठा लाया। पहले तो उसे थोड़ा अपमान सा महसूस हुआ, लेकिन बाद में उसने महसूस किया कि इस अन्वेषण के पक्ष में बहुत कुछ कहा जा सकता है । आखिर काफी हद तक यह उसके उद्देश्य की पूर्ति करता था । इस सब के बावजूद वह छेड़खानी से नहीं बच सका। गलियारे में हमेशा रस्सियाँ तान दी जाती थीं, जिनसे वह अँधेरे में टकरा जाता था। एक अवसर पर जब वह ब्लैक आइजक के वेश में था, वह जुड़वाँ भाइयों के परदेवाले कमरे के प्रवेश से लेकर ओक की लकड़ी की सीढ़ी के ऊपरी सिरे तक बनाई चिकनी फिसलन से फिसलकर बुरी तरह गिरा था। इस अंतिम अपमान से वह इतना गुस्सा गया कि उसने अपनी गरिमा और सामाजिक हैसियत दिखाने का एक अंतिम प्रयास करने का फैसला कर डाला । उसने अपने प्रख्यात दुस्साहसी रूपर्ट या बिना सिर के सामंत का किरदार बनाकर अगली रात को ही गुस्ताख जुड़वाँ लड़कों के पास जाने का इरादा किया।

वह अपने इस छद्मवेश में पिछले सत्तर साल से प्रकट नहीं हुआ था । तब उसने सुंदरी लेडी बारबरा मूडिश को ऐसा डराया था कि वह वर्तमान लॉर्ड कैंटरविले के दादा से अचानक सगाई तोड़कर खूबसूरत जैक कैस्टलेटन के साथ गेटनाग्रीन भाग गई थी। उसने एलान किया था कि दुनिया की कोई भी ताकत उसे ऐसे परिवार में शादी करने को राजी नहीं कर सकती, जो ऐसे भयानक भूत को अपनी छत पर झुटपुटे में टहलने की इजाजत देता हो । बेचारे जैक को बाद में एक द्वंद्व युद्ध में लॉर्ड कैंटरविले ने टनब्रिजवेल में मार डाला था । लेडी बारबारा इस सदमे से एक साल गुजरने से भी पहले ही टनब्रिजवेल में मर गई । यानी हर लिहाज से यह किरदार अत्यंत सफल रहा, लेकिन अतिप्राकृतिक के रहस्यों की दृष्टि से या वैज्ञानिक शब्दावली में यों कहें कि उच्च-प्राकृतिक संसार में इस तरह का रूप भरना बहुत मुश्किल काम था । भूत को इस तरह तैयार होने में पूरे तीन घंटे लग गए। जब वह तैयार हो गया तो अपने हुलिए से पूरी तरह संतुष्ट था।

इस वेश के मुताबिक उसने चमड़े के बड़े घुड़सवारीवाले जूते पहने थे। ये उसके नाप से कुछ बड़े थे। उसे दो पिस्तौलों में से एक ही मिली। पर कुल मिलाकर वह संतुष्ट था। रात के सवा एक बजे वह तख्तबंदी से बाहर निकलकर गलियारे की तरफ बढ़ने लगा । जुड़वाँ भाइयों के कमरे में पहुँचने पर, जिसे उसकी झालरों के रंग के कारण नीला शयनकक्ष कहा जाता था, उसने देखा कि दरवाजा अधखुला था । अपने प्रवेश को प्रभावशाली बनाने के लिए उसने एक ही झटके में दरवाजा पूरा खोल दिया। तभी पानी का एक भारी जग उसके ऊपर आ गिरा । वह पूरी तरह सराबोर हो गया। उसका बायाँ कंधा इसकी चोट से कुछ इंच ही बच गया था। इसके साथ ही उसे पलंग से दबी हँसी की आवाजें सुनाई दीं। उसके स्नायुतंत्र को ऐसा झटका लगा कि वह तुरंत जितनी तेजी हो सका अपने कक्ष की ओर भागा। अगले दिन वह सख्त सर्दी से पीड़ित होकर पड़ा रहा । उसे सिर्फ इस बात की तसल्ली थी कि अपना सिर अपने साथ नहीं ले गया था, वरना परिणाम अत्यंत गंभीर होते ।

अब तो उसने उन अशिष्ट अमेरिकनों को डराने का भी विचार त्याग दिया, लेकिन वह अपने नियमानुसार गलियारे में घूमता जरूर था। अपने पैरों में वह पतले स्लीपर पहनता और तेज हवा से बचने के लिए गले में मोटा लाल गुलूबंद लपेटे रहता । जुड़वाँ भाइयों के किसी संभावित हमले से अपनी रक्षा के लिए वह पुराने जमाने की एक छोटी पिस्तौल भी साथ रखता । 19 सितंबर को उसपर अंतिम हमला हुआ। वह उस दिन को पूरी तरह निरापद समझ सीढ़ियों से उतरकर बड़े हॉल की तरफ गया था । वह अब कैंटरविले परिवार के पारिवारिक चित्रों का स्थान पाए अमेरिकी राजदूत और उनकी पत्नी के बड़े फोटो पर व्यंग्य भरी टिप्पणी करके अपना दिल बहला रहा था। वह एक लंबा साफ-सुथरा कफन सलीके से पहने हुए था जिसपर कब्रिस्तान की मिट्टी के धब्बे थे। उसने पीले लिनन की पट्टी अपने जबड़े पर बाँधी हुई थी। वह एक लालटेन और कब्र खोदनेवाली कुदाल लिये था । असल में वह चार्टसे बखार के मुरदाखसोट के वेश में था । यह उसके बहुत उत्कृष्ट छद्मवेशों में से एक था जिसे कैंटरविले कभी भूले न होंगे। क्योंकि यह उनके पड़ोसी लॉर्ड रूफोर्ड से उनके झगड़े का असली कारण था। रात के सवा दो बजे थे। वह निश्चिंत था कि इस वक्त कोई हिल भी नहीं रहा होगा। यह देखने के लिए कि क्या खून के धब्बों के कुछ निशान बचे हैं, वह लाइब्रेरी की तरफ बढ़ रहा था। तभी एक अँधेरे कोने से अचानक दो काली आकृतियाँ उसपर झपट पड़ीं । वे अपनी बाँहें अपने सिरों के ऊपर लहरा रही थीं। वे उसके कानों में जोर से "बू हू" चिल्लाई। जैसा कि इन परिस्थितियों में नितांत स्वाभाविक था, बुरी तरह संत्रस्त होकर वह सीढ़ियों की तरफ भागा, लेकिन वहाँ वॉशिंगटन ओटिस एक बड़ा सिंचाईवाला फव्वारा लिये उसका इंतजार कर रहा था। अपने शत्रुओं से ऐसे चारों तरफ घिरे और इस तरह खदेड़े जाने पर वह लोहे की सलाखोंवाली बड़ी अँगीठी में गायब हो गया। उसकी किस्मत अच्छी थी कि अँगीठी तब जल नहीं रही थी । वह सलाखों के बीच से होकर चिमनी से होता हुआ धूल, हड़बड़ी और निराशा से भरा अपने कमरे तक पहुँच गया।

इस घटना के बाद वह फिर कभी रात्रि अभियान पर नहीं देखा गया। कई मौकों पर जुड़वाँ भाई उसके इंतजार में रहे। उन्होंने अपने माता-पिता और नौकरों को नाराज करते हुए रास्ते में काष्ठफलों के छिलके भी फैलाए, लेकिन यह सब व्यर्थ गया। जाहिर था कि उसकी भावनाओं को ऐसी ठेस लगी थी कि वह अब प्रकट नहीं हो रहा था । श्री ओटिस ने कई वर्षों से शुरू किया हुआ अपना रिपब्लिकन पार्टी का इतिहास लिखने का काम फिर से आरंभ कर दिया। श्रीमती ओटिस ने एक सामूहिक भोज का आयोजन किया, जिसका आनंद सबने लिया । लड़के अपने गेंद- बल्ले के खेल और ताश के इउक्रे और पोकर जैसे खेलों और दूसरे अमेरिकी राष्ट्रीय खेलों में मस्त हो गए । वर्जीनिया कैंटरविले में अपनी छुट्टियों का अंतिम सप्ताह बिताने आए युवा ड्यूक ऑफ चेशायर के साथ अपने खच्चर पर छोटी सड़कों पर घुड़सवारी करती रही। आम तौर पर यह मान लिया गया कि भूत चला गया है। असल में श्री ओटिस ने लॉर्ड कैंटरविले को इस आशय का एक पत्र भी लिख दिया था, जिसके उत्तर में उन्होंने इस समाचार पर अत्यंत प्रसन्नता प्रकट करते हुए राजदूत और उनकी योग्य पत्नी को बधाई भी दी।

लेकिन ओटिस परिवार धोखे में था, क्योंकि भूत अभी भी घर में था। पर अब वह लगभग अपाहिज सा हो गया था। उसने तय किया था कि अब मामले को जहाँ का तहाँ रहने देगा। तभी उसने सुना कि युवा ड्यूक ऑफ चेशायर उनके यहाँ मेहमान है। उसके दादा के भाई लॉर्ड फ्रांसिस स्टिलटन ने कर्नल कारबरी से एक बार सौ गिन्नियों की शर्त लगाई थी कि वह भूत के साथ पासे का खेल खेलेंगे। अगली सुबह उनको कार्डरूम के फर्श पर लकवे से पीड़ित असहाय अवस्था में पाया गया। वैसे तो वह उसके बाद लंबी उम्र तक जीवित रहे, लेकिन उनके मुँह से सिर्फ इतना ही निकलता था " दो छिक्के ।" यह कहानी उस समय भी सबको पता थी, लेकिन दोनों कुलीन परिवारों के सम्मान की खातिर इसका कभी जिक्र नहीं किया जाता था । इसका विस्तृत उल्लेख लॉर्ड टेले के संस्मरणों में था।

इसलिए भूत यह दिखाने के लिए बेताब था कि उसका स्टिलटन परिवार पर अब भी प्रभाव है । उसका खुद का भी उनसे दूर का रिश्ता था। उसकी अपनी रिश्ते की बहन का विवाह इस परिवार के ड्यूक से हुआ था, जिसका कि वंशज युवा ड्यूक ऑफ चेशायर था । अतः उसने वर्जीनिया के इस युवा प्रेमी के सामने भूत साधु के रूप में प्रकट होने की योजना बना डाली। इसका ऐसा जबरदस्त प्रभाव था कि 1764 में वृद्ध लेडी स्टारटप नए साल की पूर्व संध्या को उसे इस वेश में देखने के बाद बुरी तरह चीखी - चिल्लाई थी और उसे रक्ताघात का ऐसा दौरा पड़ा था कि तीन दिन के अंदर ही चल बसी । मरने से पहले उसने अपने निकटतम संबंधी कैंटरविले परिवार को बेदखल करते हुए अपनी सारी दौलत लंदन के अपने अत्तार के नाम कर दी, लेकिन आखिरी मौके पर जुड़वाँ भाइयों की दहशत ने उसे अपना कमरा छोड़ने से रोक दिया और छोटा ड्यूक राजसी शयनकक्ष में शानदार वितानेवाले पलंग पर वर्जीनिया के सपने देखते हुए चैन की नींद सोया ।

: 5 :

इसके कुछ ही दिन बाद वर्जीनिया और उसका घुँघराले बालोंवाला बाँका घुड़सवार ब्रोकले के मैदानों में घुड़सवारी करने निकले। वहाँ एक झाड़ी पार करते हुए वर्जीनिया का लिबास फट गया। घर लौटने पर कोई देख न ले, इस इरादे से वह पिछली सीढियों से ऊपर आई। जब वह दीवारदरीवाले कमरे के सामने से गुजरी तो उसने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है। उसे ऐसा लगा कि कोई अंदर है। उसने सोचा कि वह उसकी माँ की नौकरानी होगी, जो कभी-कभार कोई काम लेकर उधर आ जाया करती थी । उसने सोचा कि उसे बुलाकर अपने फटे लिबास की मरम्मत करने को कह दूँ । उसे यह देखकर घोर आश्चर्य हुआ कि वहाँ कैंटरविले का भूत था । वह खिड़की में बैठा पेड़ों के सुनहरेपन को हवा में उड़कर बिखरते देख रहा था। पत्तियाँ अपने उन्माद में नाचती हुई लंबे पथमार्ग पर झड़ रही थीं। उसका सिर उसकी हथेली पर टिका हुआ था । उसका सारा अस्तित्व निराशा में डूबा हुआ था। इतना एकाकी और जीर्णशीर्ण लग रहा था कि नन्ही वर्जीनिया, जिसका पहले भागकर अपने कमरे में जाने का इरादा था, सहानुभूति से भर उठी । उसने उसे सांत्वना देने का प्रयास करने का मन बना लिया । वह इतनी आहिस्ता से चली और उसकी उदासी इतनी गहरी थी कि जब तक वह उससे बोली नहीं, उसे लड़की के आने का पता ही न चला।

"मुझे आपके लिए बहुत खेद है", उसने कहा, "लेकिन मेरे भाई कल ईटन जा रहे हैं। अगर आप अच्छा व्यवहार करें तो कोई आपको तंग नहीं करेगा ।"

"मुझसे सद्व्यवहार की बात करना बेतुका है", भूत ने उस प्यारी सी नन्ही बालिका की तरफ देखते हुए कहा, जिसने उससे बात करने का साहस किया था ।" बिलकुल बेतुका है", वह आगे बोला, "मुझे अपनी जंजीरें खड़खड़ानी ही होंगी और चाबी के सुराखों से कराहना ही होगा। रात को टहलना ही होगा। अगर तुम्हारा मतलब इनसे है। मेरे बने रहने का यही एकमात्र कारण है।"

"यह अस्तित्व के लिए कोई कारण नहीं | आपको पता है कि आप बहुत बुरे हैं। श्रीमती ओमने ने हमें पहले दिन ही बताया था कि आपने अपनी पत्नी की हत्या की थी ।"

“हाँ, मैं यह स्वीकार करता हूँ", भूत चिड़चिड़ेपन से बोला, " पर यह तो हमारे परिवार का निजी मामला था, जिसका किसी से कोई वास्ता नहीं ।"

"किसी की भी हत्या करना बहुत गलत है।" नन्ही वर्जीनिया अपने किसी पूर्वज से विरासत में मिली मिठास के साथ बोली।

"मैं इस तरह की सस्ती नैतिकतावाली बातों से नफरत करता हूँ। मेरी पत्नी बहुत साधारण थी । मेरे कालरों को कभी ठीक से कलफ नहीं करवाती थी । उसे पाक कला का तनिक भी ज्ञान नहीं था । मैंने एक शानदार हिरन का शिकार किया था। तुम जानती हो उसने उसे किस हॉल में खाने की मेज पर भेजा ? खैर छोड़ो, अब इसका क्या महत्त्व है। अब तो सब खत्म हो चुका है, लेकिन मेरे खयाल में उसके भाइयों ने जिस तरह मुझे भूखा रखकर मारा, वह कोई अच्छी बात नहीं थी, हालाँकि मैंने उसकी हत्या की थी ।"

"आपको भूखों मारा? आह, मेरे भूत, मेरा मतलब है सर साइमन, क्या आप भूखे हैं? मेरे पास एक सैंडविच है। क्या आप खाना पसंद करेंगे? "

“नहीं, धन्यवाद! अब मैं कुछ नहीं खाता, लेकिन यह तुम्हारी बहुत कृपालुता है । और तुम अपने भयावह, अशिष्ट, असभ्य, बेइमान परिवार से बहुत भिन्न हो ।"

"बस करो", वर्जीनिया अपना पैर पटकते हुए बोली, "वह आप हैं जो अशिष्ट, भयावह और असभ्य हैं। जहाँ तक बेईमानी का सवाल है, आपने ही मेरे पेंटबॉक्स से लाइब्रेरी के फर्श पर वे खून के बेहूदा धब्बे बनाने के लिए पेंट चुराए थे। पहले आपने सिंदूरी समेत मेरे सभी लाल रंग ले लिये। मैं सूर्यास्त के चित्र भी नहीं बना पाई। उसके बाद आपने पन्ने जैसा हरा और बसंती पीला ले लिया । अंत में मेरे पास नीला और चीनी सफेद ही बचा रह गया। इनसे मैं सिर्फ चाँदनी के दृश्य ही बना सकी। ये तो देखने में हमेशा उदास करनेवाले और बनाने में कठिन होते हैं। मैंने कभी किसी को आपकी यह बात नहीं बताई, लेकिन यह सारी बात एकदम वाहियात थी। क्या किसी ने कभी हरे रंग का खून भी सुना है?"

"असल में", भूत जरा दबी जबान से बोला, "मैं करता भी क्या ? आज के जमाने में असली खून पाना बहुत मुश्किल हो गया है । तिस पर तुम्हारे भाई ने पैरागॉन डिटर्जेंट इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। फिर मुझे लगा कि तुम्हारे रंग क्यों न लूँ? जहाँ तक रंग का सवाल है, यह तो हमेशा पसंद का मामला होता है। मसलन कैंटरविले परिवार की रगों में तो हमेशा से नीला (सामंती के लिए अंग्रेजी मुहावरा) खून ही दौड़ता रहा है । इंग्लैंड भर में सबसे ज्यादा नीला । पर मैं जानता हूँ कि तुम अमेरिकन इन बातों की परवा नहीं करते ।"

"इस बारे में आप कुछ नहीं जानते । आपके लिए सबसे अच्छा होगा कि उत्प्रवास करें और अपने मस्तिष्क का परिष्कार करें। मेरे पिता आपको खुशी से यात्रा का खर्च दे देंगे। हालाँकि हर तरह की स्पिरिट पर बहुत ज्यादा सीमा शुल्क लगता है, लेकिन सीमा शुल्क विभाग में भी कोई कठिनाई नहीं होगी, क्योंकि वहाँ के सभी अधिकारी डेमोक्रैट हैं। एक बार आप न्यूयॉर्क पहुँच जाएँ तो मुझे पक्का यकीन है कि आप वहाँ बहुत सफल रहेंगे। मैं बहुत से लोगों को जानती हूँ, जो एक दादा के लिए एक लाख डॉलर तक दे देंगे । और पारिवारिक भूत के लिए तो उससे भी कहीं ज्यादा देने को तैयार हो जाएँगे ।"

"मेरे खयाल में मैं अमेरिका पसंद नहीं करूँगा ।"

"शायद इसलिए कि हमारे यहाँ खंडहर और विचित्र चीजें नहीं हैं।" वर्जीनिया ने व्यंग्य किया।

" खंडहर और विचित्रता न सही, तुम्हारी नौसेना और आचरण तो है ।"

"शुभ संध्या, मैं पापा से कहूँगी कि जुड़वाँ भाइयों को एक हफ्ते की और छुट्टी दे दें।”

“मिस वर्जीनिया, मत जाओ", वह बोला, "मैं बहुत अकेला और उदास हूँ। मेरी समझ में नहीं आता कि क्या करूँ? मैं सोना चाहता हूँ, लेकिन नींद नहीं आती।"

"कैसी बेतुकी बात है! इसके लिए तो आपको सिर्फ बिस्तर पर लेटकर मोमबत्ती बुझानी होती है। अलबत्ता कई बार जागते रहना बहुत मुश्किल हो जाता है। खास तौर पर गिरजाघर में, लेकिन सोने में तो कोई कठिनाई नहीं होती । यहाँ तक कि शिशु भी जानते हैं कि कैसे सोया जाता है, जबकि वे बहुत चतुर नहीं होते ।"

"मैं पिछले तीन सौ साल से नहीं सोया हूँ", उसने उदासी से कहा तो वर्जीनिया की सुंदर नीली आँखें हैरानी से फैल गई, "तीन सौ सालों से मैं सोया नहीं, और मैं कितना थक गया हूँ ।"

वर्जीनिया बहुत गंभीर हो गई। उसके नन्हे होंठ गुलाब की पत्ती की तरह काँप उठे। वह उसके पास सरक आई और उसके सामने थोड़ा झुककर उसके मुरझाए चेहरे को गौर से देखा ।

"बेचारे, बेचारे भूत", वह बुदबुदाई, "क्या आपके पास सोने के लिए कोई जगह नहीं ?"

"दूर, देवदार के जंगल से परे", वह धीमी सपनीली आवाज में बोला, “एक छोटा सा बगीचा है। वहाँ लंबी घनी घास उगती है। वहाँ सितारों जैसे सफेद फूल खिलते हैं। वहाँ बुलबुल रात भर गाती है और ठंडा बिल्लौरी चाँद नीचे देखता है। वहाँ सदाबहार पेड़ सोनेवालों पर अपनी लंबी बाँहें फैला देते हैं।"

वर्जीनिया की आँखें आँसुओं से धुँधली हो गई । अपना चेहरा हाथों में छिपाकर फुसफुसाई, “अपका मतलब मौत के बगीचे से है?"

“हाँ, मौत। मौत कितनी सुंदर होती है। नरम भूरी मिट्टी में सो जाना। घास सिर पर अपनी बुनती बुनते रहते हैं और आप शांति को सुनते हैं । वहाँ कोई बीता हुआ कल है, न आनेवाला कल । वहाँ आप समय को भूल जाते हैं । जीवन को भूल जाते हैं। वहाँ शांत हो जाते हैं । तुम मेरी मदद कर सकती हो। तुम मेरे लिए मृत्यु के घर के द्वार खोल सकती हो। क्योंकि तुम्हारे निकट सदा प्यार रहता है। और प्यार मृत्यु से अधिक शक्तिशाली होता है।”

वर्जीनिया काँप उठी। एक ठंडी झुरझुरी उसके सारे शरीर में दौड़ गई। कुछ देर तक चुप्पी छाई रही। उसे लगा जैसे कोई डरावना सपना देख रही है।

उसके बाद फिर भूत बोला। उसकी आवाज हवा की सरसराहट की सी थी।

"क्या तुमने कभी लाइब्रेरी की खिड़की पर लिखी पुरानी भविष्यवाणी पढ़ी है?"

“हाँ, अकसर", नन्ही बालिका सिर उठाकर उसकी तरफ देखते हुए बोली, “मैं उसे अच्छी तरह जानती हूँ। वह अजीब से मोटे अक्षरों में लिखी है, जिनको पढ़ना मुश्किल है। उसमें केवल छह लाइनें हैं।"

जब एक सुनहरी बालिका पाप के होंठों को प्रार्थना के लिए राजी कर ले। जब ठूंठ बादाम फल उठे और छोटी बच्ची आँसू ढारे। जब सारा घर निस्तब्ध हो । तब कैंटरविले में शांति स्थापित होगी।

"लेकिन इनका अर्थ मेरी समझ में नहीं आता ।"

"इनका अर्थ है", वह उदासी से बोला, “ कि तुम मेरे पापों के लिए आँसू बहाओ । क्योंकि मेरे पास आँसू नहीं हैं। मेरे साथ मेरी आत्मा के लिए प्रार्थना करो, क्योंकि मुझमें आस्था नहीं। उसके बाद अगर तुम हमेशा बहुत अच्छी, भली और सौम्य रही हो तो मृत्यु का फरिश्ता मुझ पर दया करेगा। तुम्हें अँधेरे में डरावनी आकृतियाँ दिखाई देंगी। दुष्ट आवाजें तुम्हारे कानों में फुसफुसाएँगी, लेकिन वे तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचाएँगी। क्योंकि एक नन्ही बच्ची की पवित्रता से नरक की ताकतें जीत नहीं सकतीं।"

वर्जीनिया ने कोई जवाब नहीं दिया । भूत ने उसके झुके हुए सुनहरे सिर की तरफ हताश भावना से देखकर अपने पंजे हिलाए। अचानक वह तनकर खड़ी हो गई । उसका चेहरा बहुत पीला पड़ गया था, लेकिन उसकी आँखों में अजीब तरह की चमक थी ।"मैं नहीं डरती ", वह दृढ़ता से बोली, "मैं फरिश्ते से आप पर दया करने की प्रार्थना करूँगी।"

वह अपनी जगह से उठा । उसके मुँह से खुशी की एक हलकी चीख निकल गई। उसने झुककर उसका हाथ पकड़ा और पुराने परंपरागत अंदाज में उसे चूम लिया । उसकी उँगलियाँ बर्फ जैसी ठंडी थीं। उसके होंठ अंगारों की तरह दहक रहे थे, लेकिन वर्जीनिया तनिक भी विचलित नहीं हुई, जब वह उसे धूल भरे कमरे की तरफ ले चला। फीकी पड़ चुकी दीवारदरी पर शिकारियों के चित्र कढ़े हुए थे। उन्होंने अपनी तुरही बजाकर अपने हाथों के इशारे से उसे चले जाने को कहा। “नन्ही वर्जीनिया, लौट जाओ", वह चीखे, "लौट जाओ ।" लेकिन भूत ने उसका हाथ और भी कसकर पकड़ लिया। उसने उनकी तरफ से अपनी आँखें मूँद लीं। गिरगिट जैसी पूँछों और बड़ी गोल आँखोंवाले भयानक जंतु नक्काशीदार चिमनी से उसकी तरफ आँखें मटका रहे थे। वह बुदबुदाए, “वर्जीनिया, सावधान! हम शायद ही तुम्हें फिर कभी देख पाएँ ।" भूत और भी तेजी से आगे बढ़ता गया और वर्जीनिया ने भी उनकी एक न सुनी। कमरे के अंत में आकर वह रुक गया । वह कुछ शब्द बुदबुदाया, जिनको वह समझी नहीं । उसने आँखें खोलीं तो देखा कि दीवार आहिस्ता से कोहरे की तरह गायब हो रही थी । उसके सामने एक बड़ी काली गुफा थी। उन दोनों को ठंडी हवा के झोंके लग रहे थे। किसी ने उसकी पोशाक को जैसे खींचा। “जल्दी करो", भूत बोला, "नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।" जरा देर में उनके पीछे तख्तबंदी बंद हो गई और कमरा खाली था।

: 6 :

उसके कोई दस मिनट बाद चाय की घंटी बजी। जब वर्जीनिया नीचे नहीं आई तो श्रीमती ओटिस ने एक नौकर को उसे बुलाने के लिए भेजा। थोड़ी देर बाद उसने आकर बताया कि उसे मिस वर्जीनिया कहीं नहीं मिली। उसे शाम को रात्रिभोज की मेज के फूलों के लिए बाग में जाने की आदत थी । इसलिए पहले तो श्रीमती ओटिस ने कोई चिंता नहीं की, लेकिन जब छह बज गए और वर्जीनिया तब भी नहीं आई तो वह परेशान हो उठीं। उन्होंने लड़कों को बाहर जाकर उसे खोजने को कहा । इस बीच उन्होंने और श्री ओटिस ने घर का हर कमरा छान मारा । साढ़े छह बजे लौटकर लड़कों ने खबर दी कि उनको उनकी बहन कहीं नहीं मिली । वे सब अब बहुत परेशान थे और समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। तभी अचानक श्री ओटिस को याद आया कि कुछ दिन पहले उन्होंने जिप्सियों के एक दल को बगीचे में ठहरने की अनुमति दी थी। वह तुरंत अपने सबसे बड़े बेटे और दो सेवकों के साथ बैकफल हैलो के लिए रवाना हो गए, जहाँ वे तंबू गाड़े हुए थे। छोटे ड्यूक ऑफ चेशायर ने, जो बहुत उत्तेजित था, साथ चलने का आग्रह किया, लेकिन श्री ओटिस ने अनुमति नहीं दी, क्योंकि उनको वहाँ झगड़ा होने का अंदेशा था।

वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि जिप्सी तो जा चुके हैं। यह साफ जाहिर था कि वे अचानक ही रवाना हुए थे, क्योंकि अभी भी वहाँ आग सुलग रही थी । घास पर कुछ प्लेटें भी पड़ी थीं। वॉशिंगटन और अपने दोनों आदमियों को पूरा इलाका छान मारने का आदेश देकर वह घर की तरफ भागे। वहाँ आकर उन्होंने जिले के सभी पुलिस इंसपेक्टरों को तार भेजे कि वे बंजारों या जिप्सियों द्वारा अपहरण की गई एक छोटी बालिका की तलाश करें। इसके बाद उन्होंने अपना घोड़ा लाने का आदेश दिया और अपनी पत्नी व दोनों बच्चों से रात का भोजन करने का आग्रह करने के बाद एक साईस के साथ एस्कॉर्ट रोड की तरफ चल पड़े। वह अभी कुछ मील ही गए थे कि उन्होंने किसी को अपने पीछे घोड़े पर सरपट आते देखा । मुड़कर देखा तो छोटा ड्यूक अपने खच्चर पर सवार चला आ रहा था। उसका चेहरा तमतमाया हुआ था और उसके सिर पर हैट नहीं था ।" मुझे खेद है श्री ओटिस", वह बोला, “लेकिन जब तक वर्जीनिया गुम है, मैं भोजन नहीं कर सकता । कृपया मुझसे नाराज न हों। अगर आप पिछले साल हमारी सगाई कर देते तो आज यह आफत न आती । आप मुझे वापस नहीं भेजेंगे? क्यों भेजेंगे? मैं वापस नहीं जाऊँगा।”

राजदूत उस खूबसूरत किशोर की करतूत पर मुसकराए बिना न रह सके। वर्जीनिया के प्रति उसके लगाव से वे प्रभावित भी हुए। अतः अपने घोड़े से थोड़ा झुककर उन्होंने प्यार से उसका कंधा थपथपाया और बोले, “ठीक है, सिसिल, जब तुम वापस नहीं जाना चाहते तो फिर मेरे साथ आ सकते हो, लेकिन एस्कार्ट पहुँचने पर मैं तुम्हें एक हैट जरूर लेकर दूँगा।"

"आप हैट की चिंता न करें। मुझे वर्जीनिया चाहिए ।" छोटे ड्यूक ने कहा और वे रेलवे स्टेशन की तरफ तेज चाल से चल पड़े। वहाँ श्री ओटिस ने स्टेशन मास्टर से पूछा कि क्या किसी ने वर्जीनिया जैसी दिखनेवाली लड़की को प्लेटफॉर्म पर देखा है ? लेकिन उसकी कोई खबर नहीं मिली । स्टेशन मास्टर ने आगे और पीछे के स्टेशनों पर तार दे दिए और राजदूत को आश्वासन दिया कि लड़की की तलाश के लिए पूरी सावधानी बरती जाएगी। फिर उन्होंने अपनी दुकान बंद करते हुए एक बजाज से छोटे ड्यूक के लिए एक हैट खरीदा और उसके बाद बक्सले की तरफ घोड़ा दौड़ाया। बक्सले वहाँ से चार मील दूर एक गाँव था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वहाँ जिप्सी अकसर डेरा डालते हैं, क्योंकि वहाँ पास में ही एक बड़ा सार्वजनिक मैदान था । वहाँ उन्होंने गाँव के सिपाही से भी पूछताछ की, लेकिन कोई सूचना नहीं मिली। उन्होंने सारे मैदान का भी चक्कर लगाया, लेकिन निराश रहे । फिर उन्होंने घर की तरफ अपने घोड़े मोड़ लिये । वे ग्यारह बजे के करीब थके-हारे और हताश से घर पहुँचे।

वॉशिंगटन और दोनों जुड़वाँ भाई गेट पर ही लालटेनें लेकर उनका इंतजार कर रहे थे, क्योंकि रास्ता बहुत अँधेरा था। वर्जीनिया का जरा भी सुराग नहीं मिला था। जिप्सी उनको बक्सले के मैदान में मिल गए थे, लेकिन वर्जीनिया उनके साथ नहीं थी। जल्दबाजी में वहाँ से निकलने का कारण उन्होंने बताया कि वे चार्टन मेले की तारीख में गलती कर गए थे। जब उनको भूल का पता चला तो एकदम भागे, ताकि देर न हो जाए। वे भी वर्जीनिया के गायब होने की बात सुनकर बहुत परेशान हो गए, क्योंकि वे श्री ओटिस के, अपने बाग में उनको टिकने की अनुमति देने के कारण, बहुत कृतज्ञ थे। इसलिए उनमें से चार बालिका को खोजने में मदद के लिए पीछे रुक गए। बालिका की खोज में सारा इलाका और घर का कोना-कोना छान मारा गया था। अब स्पष्ट हो गया था कि उन्होंने उसे खो दिया है। घोर निराशा की स्थिति में श्री ओटिस और लड़के घर की तरफ चले । पीछ-पीछे साईस घोड़ा और खच्चर लेकर चल रहा था। हॉल व कमरे में उन्होंने परेशान हाल में नौकरों का जमघट देखा । लाइब्रेरी में श्रीमती ओटिस एक सोफे पर औंधी पड़ी थीं । आतंक और चिंता के मारे उनके होशहवास गुम थे । वृद्ध गृहप्रबंधक ने उनका सिर यूडिकलोन से धो दिया था। श्री ओटिस ने सबसे कुछ खाने का आग्रह किया और सबके लिए भोजन का प्रबंध करने का आदेश दिया। यह बहुत उदासी भरा भोज था । हर कोई गुमसुम था । दोनों जुड़वाँ भाई भी एकदम चुप थे, क्योंकि वे अपनी बहन को बहुत चाहते थे । श्री ओटिस ने छोटे ड्यूक की मिन्नतों के बावजूद आदेश दिया कि स लोग सोने जाएँ, क्योंकि आज रात और कुछ नहीं किया जा सकता । वह कल सुबह ही लंदन के पुलिस मुख्यालय को तार देकर कुछ जासूसों को फौरन भेजने का अनुरोध करेंगे। जब वे भोजनकक्ष से निकल रहे थे, तभी घड़ी ने आधी रात का घंटा बजाया । जब घड़ी का आखिरी घंटा बजा तभी उन्होंने एक धमाके की आवाज और उसके साथ ही एक तीखी चीख सुनी। घर के ऊपर भयानक बिजली कड़की । फिजा में एक अलौकिक संगीत बजने लगा । सीढ़ियों के ऊपरी हिस्से से एक लकड़ी का तख्ता तेज आवाज के साथ पीछे हटा । बहुत पीली और सफेद पड़ चुकी वर्जीनिया अपने हाथ में एक संदूकची लिये वहाँ खड़ी थी। सबके सब तुरंत उसकी तरफ दौड़े। श्रीमती ओटिस ने भाव-विह्वल होकर उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। ड्यूक ने पागलों की तरह उसपर चुंबनों की बौछार कर दी। जुड़वाँ भाई उन सबके चारों तरफ उन्मत्तों की तरह नाचने लगे।

"आह मेरी बच्ची ", श्री ओटिस जरा गुस्से में बोले, "तू कहाँ थी?" उन्होंने सोचा कि शायद वह उनके साथ कोई मूर्खतापूर्ण शरारत कर रही थी ।"सिसिल और मैं घोड़ों पर तुम्हें सारे देहात में खोजते फिर रहे थे । तुम्हारी माँ तो दहशत के मारे मर ही गई थी। तुम फिर कभी इस तरह का मजाक न करना।"

"सिवाय उस भूत के साथ मजाक करने के।" कहते हुए दोनों जुड़वाँ भाई कुलाँचें भरते हुए नजदीक आ गए।

"मेरी प्यारी बच्ची, शुक्र है तू मिल गई। अब कभी मेरी आँखों से ओझल न होना ।" श्रीमती ओटिस बोलीं। उन्होंने काँपती हुई बच्ची को चूमा और उसके सुनहरे बाल सहलाए।

"पापा, मैं भूत के साथ थी", वर्जीनिया आहिस्ता से बोली, "वह मर गया है। आप आकर उसे देखें । वह बहुत दुष्ट था, लेकिन उसने जो कुछ किया उसके लिए उसे अब अफसोस था। मरने से पहले उसने मुझे सुंदर जवाहरातों की यह संदूकची दी।

सारा परिवार खामोश हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था, लेकिन वह पूरी तरह गंभीर थी । वह मुड़ी और सबको तख्तबंदी के उस खुले रास्ते से एक तंग गलियारे में ले गई। उसके साथ वॉशिंगटन एक जलती मोमबत्ती लेकर चल रहा था, जो उसने टेबल से उठा ली थी। अंत में वे ओक की लकड़ी के एक बड़े दरवाजे पर पहुँचे, जिसपर पुरानी जंग खाई कीलें मढ़ी हुई थीं ।

वर्जीनिया के उसे छूते ही दरवाजा अपने भारी कब्जों पर खुल गया । अब वे एक छोटे नीची छतवाले कमरे में थे। उसकी छत मेहराबी थी और उसमें एक छोटी जालीदार खिड़की थी। दीवार में एक बहुत बड़ा लोहे का छल्ला जड़ा हुआ था। उसके साथ जंजीर से एक डरावना कंकाल बँधा था । वह कंकाल पत्थर के फर्श पर अपनी पूरी लंबाई में पसरा हुआ था । ऐसा लगता था कि वह अपनी लंबी कंकाली उँगलियों से एक पुरानी कुदाल और जग को पकड़ने की कोशिश में हो, जो उसकी पहुँच से दूर पड़े थे। जग पानी से भरा था और उसके अंदर हरी काई जमी हुई थी।

कुदाल पर धूल जमी थी । वर्जीनिया उस कंकाल के पास झुक गई और अपने नन्हे हाथ जोड़कर चुपचाप प्रार्थना करने लगी। सब लोग हैरानी से उस भयानक कांड को देख रहे थे, जिसका राज अब उनपर खुल चुका था ।

"वह देखो", जुड़वाँ भाइयों में से एक, जो यह जानने की कोशिश कर रहा था कि वे घर के किस हिस्से में हैं, अचानक बोला, “वह देखो, पुराना ठूंठ बादाम का पेड़ फूल उठा है। मुझे चाँदनी में उसके फूल साफ नजर आ रहे हैं ।"

"प्रभु ने उसे क्षमा कर दिया है।" वर्जीनिया गंभीरता से बोली । वह उठ खड़ी हुई। अब उसके चेहरे पर एक रोशनी की चमक थी।

"आह, तुम तो फरिश्ता हो ।" छोटा ड्यूक बोला और उसके गले में बाँहें डालकर उसे चूम लिया।

: 7 :

इन विचित्र घटनाओं के चार दिन बाद कैंटरविले निवास से रात लगभग ग्यारह बजे एक शवयात्रा निकली। मुरदागाड़ी को चार काले घोड़े खींच रहे थे । सीसे का ताबूत बढ़िया बैंगनी रंग के कपड़े से ढका हुआ था, जिसके ऊपर सुनहरी कढ़ाई में कैंटरविले का पारिवारिक चिह्न बना था । मुरदागाड़ी और घोड़ागाड़ियों के साथ-साथ सेवक मशालें लिये चल रहे थे । सारी शवयात्रा बहुत प्रभावशाली थी। लॉर्ड कैंटरविले मुख्य मातमी थे । वह वेल्स से अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए विशेष रूप से पधारे थे और नन्ही वर्जीनिया के साथ पहली घोड़ागाड़ी में बैठे थे। उनके बाद अमेरिकी राजदूत और उनकी पत्नी थीं। उनके बाद वॉशिंगटन और तीनों लड़के थे। आखिरी गाड़ी में श्रीमती ओमने थीं। यह माना गया कि चूँकि भूत ने उनको पचास साल से अधिक समय तक आतंकित किया था, उनको उसका अंतिम संस्कार देखने का अधिकार था । कब्रिस्तान के कोने में पुराने सदाबहार के नीचे एक गहरी कब्र खोदी गई थी। आदरणीय आगस्टस डैंप्लर ने प्रार्थना पढ़ी। प्रार्थना संपन्न हो जाने के बाद सेवकों ने कैंटरविले परिवार के पुराने रिवाज के मुताबिक मशालें बुझा दीं। फिर जब ताबूत कब्र में उतारा जा रहा था, वर्जीनिया ने आगे आकर ताबूत पर सफेद और गुलाबी रंग के बादाम के फूलों का बना एक क्रॉस रख दिया। जैसे ही उसने ऐसा किया चंद्रमा बादलों की ओट से निकल आया और सारा कब्रिस्तान उसकी रुपहली चाँदनी से भर गया । दूर से एक बुलबुल के गाने की आवाज आने लगी। वह भूत के मृत्यु के बाग के वर्णन के बारे में सोचने लगी और उसकी आँखें आँसुओं से नम हो गई । घर वापस लौटते समय उसके मुँह से मुश्किल से ही कोई शब्द निकला।

अगली सुबह लॉर्ड कैंटरविले के शहर वापस जाने से पहले श्री ओटिस की उनसे उन जवाहरात के बारे में बातचीत हुई, जो भूत ने वर्जीनिया को दिए थे । वे बहुत ही मूल्यवान् थे। खास तौर पर एक माणिक का हार जो वेनिस की परंपरागत जड़ाई में बनाया गया था । वह सोलहवीं शताब्दी की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना था। वे इतने अधिक मूल्यवान् थे कि श्री ओटिस ने यह उचित नहीं समझा कि उनकी बेटी को उन्हें स्वीकार करने की अनुमति दें।

“आदरणीय लॉर्ड”, वे बोले, "मैं जानता हूँ कि अक्राम्यता इस देश में एक मामूली छल्ले से लेकर जमीन- जायदाद तक लागू होती है । यह बात भी मुझे नितांत स्पष्ट है कि ये जवाहरात आपके परिवार की विरासत हैं। इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप इन्हें अपने साथ लंदन ले जाएँ। विचित्र परिस्थितियों में आपको प्राप्त हुई समझकर आप इस दौलत को अपनी बाकी संपत्ति का हिस्सा बना लें। जहाँ तक मेरी बेटी का सवाल है, वह तो एक बच्ची ही है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि उसकी दिलचस्पी इस प्रकार की विलासिता की वस्तुओं के प्रति नगण्य ही है। मुझे श्रीमती ओटिस ने यह भी बताया है कि अगर इन जवाहरातों को बेचा जाए तो इनकी बहुत अधिक कीमत मिल सकती है। छोटी उम्र में उन्होंने बोस्टन में अनेक वर्ष गुजारे थे और उन्हें कलात्मक वस्तुओं का अच्छा ज्ञान है । इन परिस्थितियों में, लॉर्ड कैंटरविले, आप मानेंगे कि मेरे लिए अपने परिवार के किसी भी सदस्य को इनको रखने की अनुमति देना कितना असंभव है । इस तरह के भड़कीले खिलौने ब्रिटिश सामंती परिवारों के लिए कितनी ही शोभा की वस्तु क्यों न हों, रिपब्लिकन सादगी में पले-बढ़े किसी भी व्यक्ति के लिए वे अनुपयुक्त ही होंगे।

"मुझे संभवतः इस बात का जिक्र भी करना चाहिए कि वर्जीनिया चाहती है कि आप उसे उस संदूकची को आपके अभागे और भटके हुए पूर्वज की एक यादगार के रूप में रखने की अनुमति दें। चूँकि वह बहुत पुरानी और मरम्मत के काबिल भी नहीं है, मेरे खयाल में आप उसके अनुरोध को स्वीकार करने के बारे में विचार करेंगे। जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं इस बात से हैरान हूँ कि मेरी बेटी मध्यकालीनता के किसी भी रूप में इतनी दिलचस्पी दिखा रही है। शायद इसकी वजह यह है कि वर्जीनिया का जन्म श्रीमती ओटिस के एथेंस से लौटने के कुछ ही समय बाद आपके लंदन के एक उपनगर में हुआ था ।"

लॉर्ड कैंटरविले माननीय राजदूत के इस भाषण को पूरी गंभीरता से सुन रहे थे । अपनी मुसकान को छिपाने के लिए वे बीच-बीच में अपनी सफेद मूँछों पर हाथ फेर रहे थे। जब श्री ओटिस अपनी बात खत्म कर चुके तो उन्होंने उनका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, " श्रीमान, आपकी प्यारी नन्ही बेटी ने मेरे अभागे पूर्वज सर साइमन को अमूल्य सेवा प्रदान की है। उसके विलक्षण साहस और हौसले के लिए मैं और मेरा परिवार उसके अत्यंत कृतज्ञ हैं । ये जवाहरात उसके हैं। मान लो मैं उनको स्वीकार कर लेता हूँ । तब तो वह पुराना दुष्ट अपनी कब्र से दो सप्ताह से भी कम समय में निकल आएगा और मेरी जिंदगी जहन्नुम बना देगा। जहाँ तक विरासत का सवाल है, जिस चीज का जिक्र किसी वसीयत या दस्तावेज में न हो, वह विरासत का हिस्सा नहीं होती । इन जवाहरातों के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी । मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरा इनपर आपके खानसामा से ज्यादा अधिकार नहीं है। जब वर्जीनिया बड़ी होगी तो मुझे पूरा विश्वास है कि वह ऐसी सुंदर चीजें पहनकर खुश होगी। श्री ओटिस, आप यह भी भूल रहे हैं कि आपने फर्नीचर के साथ भूत को भी मोल खरीदा था । इसलिए भूत का जो कुछ था, वह उसी समय आपकी संपत्ति हो गया था । उस गलियारे में सर साइमन ने कुछ भी किया हो, कानून की नजरों में वे मर चुके थे और आपने उनकी जायदाद खरीदी थी ।"

श्री ओटिस लॉर्ड कैंटरविले के इस तरह इनकार करने से बहुत निराश हुए। उन्होंने उनसे विनती की कि अपने फैसले पर फिर से गौर करें, लेकिन अच्छे स्वभाव के सामंत अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने राजदूत से कहा कि वे अपनी बेटी को भूत द्वारा दी गई भेंट रखने की अनुमति दें। सन् 1890 के वसंत में जब चेशायर की किशोरी डचेज को उसके विवाह के अवसर पर महारानी के सम्मुख पेश किया गया तो सबने उसके आभूषणों की बहुत प्रशंसा कीं। वर्जीनिया को अच्छी अमेरिकन लड़कियों को अलंकृत किया जानेवाला मुकुट मिला था और जैसे ही वह बड़ा हुआ वर्जीनिया का विवाह अपने बालक प्रेमी के साथ कर दिया गया था। वे दोनों ही इतने प्यारे थे, और एक-दूसरे से इतना अधिक प्रेम करते थे कि हर कोई इस जोड़ी को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ था । अगर कोई खुश नहीं हुआ तो वह थी डंब्लेटन के मारक्विस की विधवा । वजह यह थी कि उसने अपनी सात कुँआरी बेटियों में से एक के लिए ड्यूक को पटाने की कोशिश की थी। इस उद्देश्य के लिए उसने तीन बहुत महँगे रात्रिभोज भी आयोजित किए थे। एक जरा अजीब बात यह भी हुई कि नाखुश होनेवालों में श्री ओटिस भी थे। वे खुद ड्यूक को बहुत पसंद करते थे, लेकिन वे किसी किस्म की उपाधि के खिलाफ थे। इसके अलवा उनको आशंका थी कि सामंती विलासिता और चमक-दमक में उनकी बेटी रिपब्लिकन सादगी को भुला न बैठे। उनकी आपत्ति को अस्वीकार किया गया और जब वह बेटी को अपनी बाँह का सहारा देकर सेंट जार्ज के हनोवर स्क्वायर की वेदी की तरफ ले जा रहे थे तो शायद अपने आप को इंग्लैंड का सबसे गर्वीला पिता मान रहे थे।

ड्यूक और डचेज अपने हनीमून के बाद कैंटरविले निवास आए। आने के अगले दिन वे दोपहर बाद देवदार के पेड़ोंवाले कब्रिस्तान तक टहलते हुए गए। पहले तो उनको सर साइमन की कब्र के पत्थर पर कुछ लिखवाने के बारे में बहुत सोचना पड़ा । फिर यह तय पाया गया कि किसी अन्य उल्लेख के बिना उनका नाम खुदवाया जाए। इसके साथ ही लाइब्रेरी की खिड़की पर कविता की जो पंक्तियाँ लिखी हुई थीं, वे भी खुदवाई जाएँ । डचेज अपने साथ कुछ सुंदर गुलाब के फूल लाई थी । उसने वे कब्र पर रखे। कुछ देर वहाँ रुकने के बाद वे गिरजाघर के खंडहर हो चुके पूर्वी भाग की ओर गए । वहाँ डचेज एक गिरे हुए खंभे पर बैठ गई । उसका पति उसके पैरों के पास लेट गया और उसने एक सिगरेट सुलगा ली। वह अपनी पत्नी की सुंदर आँखों में देख रहा था। अचानक उसने सिगरेट फेंक दी और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बोला, "वर्जीनिया, एक पत्नी को अपने पति से कुछ भी राज नहीं रखना चाहिए।"

"प्यारे सिसिल, मेरे पास तुमसे छिपाया कोई राज नहीं है।"

"हाँ, है", वह मुसकराकर बोला, "तुमने कभी नहीं बताया कि जब तुम उस भूत के साथ बंद थी तो तुम पर क्या गुजरी थी।"

“सिसिल, यह मैंने कभी किसी को नहीं बताया ।" वह गंभीरता से बोली।

"यह मैं जानता हूँ, लेकिन तुम मुझे बता सकती हो।"

"सिसिल, कृपया यह न पूछो। मैं तुम्हें नहीं बता सकती । बेचारा सर साइमन ! मैं उनकी बहुत कृतज्ञ हूँ । हाँ सिसिल, हँसो मत। सच में मैं कृतज्ञ हूँ। उन्होंने मुझे समझाया कि जीवन क्या है, मृत्यु का महत्त्व क्या है । और प्रेम इन दोनों से अधिक शक्तिशाली क्यों है ।"

ड्यूक ने उठकर प्रेम से अपनी पत्नी का चुंबन लिया।

"जब तक तुम्हारा दिल मेरे पास है, तुम अपना राज अपने पास रख सकती हो।" वह बोला ।

"वह तो सदा तुम्हारे पास ही था, सिसिल ।"

"पर तुम किसी दिन अपने बच्चों को तो बताओगी, है कि नहीं ? "

वर्जीनिया लजा गई।

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