बोसकोंब वैली का रहस्य (कहानी) : आर्थर कॉनन डॉयल
The Boscombe Valley Mystery (English Story in Hindi) : Arthur Conan Doyle
एक सुबह मैं और मेरी पत्नी नाश्ते की टेबल पे बैठे थे जब नौकरानी एक तार लेके आइ। यह तार शेरलोक हॉम्ज़ की तरफ़ से था जिसमें संदेश कुछ ऐसा था:
“क्या आप कुछ खाली दिन निकाल पाओगे? मुझे अभी अभी पश्चिमी इंग्लंड से बोसकोंब वैली की दुर्घटना के सम्बंध में तार प्राप्त हुआ है। मुझे ख़ुशी होगी अगर आप मेरे साथ चले। मौसम और नज़ारे बेहद ख़ूबसूरत है। आप सुबह ११:१५ पेड़िंगटन से चलिए।”
“क्या कहते हो प्रिये?” मेरी पत्नी ने, मेरी और देखते हुए पूछा। “क्या तुम जाओगे?”
“मैं सच में नहीं जानता क्या कहूँ। मेरी अधूरे कार्यों की सूची अच्छी ख़ासी लम्बी है।”
“ओह, एंट्रस्थर आपके काम कर देगा। आप आजकल काफ़ी फीके लग रहे हो। मुझे लगता है थोड़ा बदलाव आपके लिए सही रहेगा, और वैसे भी आपको हमेशा से शेरलोक हॉम्ज़ के केस में दिलचस्पी रही है।”
“उनके एक केस से मैंने जो पाया है उसके बाद अगर मुझे उनके केस में दिलचस्पी ना हो तो मैं अकृतज्ञ माना जाऊँगा।” मैंने जवाब दिया। “पर अगर मैं जाने की सोचता हु तो मुझे तुरंत तैयारी करनी होगी क्यूँकि मेरे पास अब सिर्फ़ आधा घंटा है।”
अफ़घानिस्तान के मेरे सैन्य जीवन ने मुझे एक तत्पर-तैयार यात्री बनाया था। मेरी ज़रूरतें सीधी-सादी थी, इसलिए मैं बताए गए समय से कम में अपनी बैग के साथ टैक्सी में बैठ के पेड़िंगटन स्टेशन की तरफ़ चल पड़ा था। शेरलोक हॉम्ज़ प्लैट्फ़ॉर्म के एक सिरे से दूसरे सिरे तक चक्कर काट रहे थे, उनका लम्बा, दुबला-पतला शरीर लम्बे चौगे और कपड़े की चुस्त टोपी पहनने की वजह से और भी लम्बा और दुबला लग रहा था।।
“बहुत अच्छा किया जो तुम आए, वोटसन”, उन्होंने कहा। “जिस पर मैं पूरी तरह से निर्भर हो पाऊँ ऐसे किसी व्यक्ति के साथ होने से बहुत बड़ा फ़र्क़ पड़ता है। स्थानिक मदद करने वाला या तो बेकार होता है या पक्षपात से भरा। अगर तुम हमारे लिए कोने की दो सीटें बचा के रखते हो तो मैं टिकट लाता हु।”
पूरे डिब्बे में शेरलोक हॉम्ज़ के इधर उधर बिखरे हुए काग़ज़ात के अलावा सिर्फ़ हम ही थे। नोट लेने और चिंतन करने के अंतराल के बीच बीच में वे रीडिंग शहर के पीछे छूटने तक इन काग़ज़ों में कुछ ढूँढते और पढ़ते रहे। फिर अचानक उन्होंने इन काग़ज़ों का बड़ा सा गोला बनाया और सामान रखने के रैक के ऊपर उछाल फेंका।
“इस केस के बारे में तुमने कुछ सुना है?” उन्होंने पूछा।
“कुछ भी नहीं। पिछले कई दिनों से मैंने अख़बार नहीं देखा।”
“लंदन प्रेस के पास भी पूरा ब्योरा नहीं है। घटनाक्रम को अच्छे से समझने के लिए मैं आज-कल के सारे अख़बार पढ़ रहा था। जितना मुझे पता चला, उससे लगता है कि यह वैसा ही केस है जो दिखता सरल है पर होता है बहुत ही मुश्किल।”
“यह बात थोड़ी विरोधाभासी लग रही है।”
“पर यह पूर्णतया सच है। विलक्षणता निरपवाद रूप से एक सुराग़ होती है। गुनाह जितना ही साधारण और आम सा होता है उतना ही मुश्किल होता है उसे सुलझाना। हालाँकि, इस केस में जिसकी हत्या हुई है उसके बेटे के ख़िलाफ़ बहुत ही गम्भीर केस दर्ज हुआ है।”
“फिर यह हत्या का केस है?”
“फ़िलहाल ऐसा माना जा रहा है। मैं कुछ भी ऐसे ही मान लेना नहीं चाहता जब तक मेरे पास व्यक्तिगत रूप से इसकी छानबीन करने का मौक़ा ना हो। मैं तुम्हें, कम शब्दों में, जितने मेरी समझ में आये है, हालात समजाऊँगा।”
“बोसकोंब वैली हेयरफ़ोर्डशाइअर में रॉस के क़रीब का एक देहाती प्रांत है। मिस्टर जॉन टर्नर इस तरफ़ के सबसे बड़े ज़मींदार है, जिन्होंने ऑस्ट्रेल्या में ख़ूब पैसे बनाए और कुछ साल पहले अपने वतन लौट आए। उनकी जागीर का हेथरली वाला खेत उन्हो ने मिस्टर चार्ल्ज़ मेक्कार्थी को, जो ख़ुद भी एक भूतपूर्व ऑस्ट्रेलीयन थे, भाड़े पे दे रक्खा था। उपनिवेश में यह दोनो एक-दूसरे को जानते थे तो यह असहज नही था कि जब ये वतन लौटे तो इन्होंने जितना हो सके उतना आसपास ही बसना पसंद किया। प्रकट रूप से टर्नर ज़्यादा धनिक थे सो मेक्कार्थी उनके जोतदार बने मगर फिर भी, जैसा कि नज़र आ रहा है, दोनो समान ही रहे, इसलिए कि दोनो अक्सर साथ नज़र आते थे। मेक्कार्थी के एक बेटा था, अट्ठारह साल का लड़का, और टर्नर के उसी उम्र की इकलौती बेटी थी, मगर इन दोनो में से किसी की भी पत्नी जीवित नहीं थी। ऐसा लगता था जैसे वे पड़ोस के अंग्रेज़ परिवारों से विलग रहते थे और निवृत जीवन जी रहे थे, हालाँकि दोनो मेक्कार्थी खेल के शौक़ीन थे और पड़ोस की रेस मीटिंग में वे अक्सर देखे जाते थे। मेक्कार्थी ने दो नौकर रक्खे थे - एक आदमी और एक लड़की। टर्नर के यहां काफ़ी बड़ा कुनबा था, क़रीब आधा दर्जन कम से कम। यह उतनी जानकारी है जितनी मैं उन परिवारो के बारे में इकट्ठि कर पाया हु। अब कुछ तथ्य।”
“जून की तीन तारीख़ को, यानी पिछले सोमवार को, दोपहर तीन बजे के क़रीब मिस्टर मेक्कार्थी अपने हेथरली वाले घर से निकले और बोसकोंब पूल की तरफ़ चल दिए, जो कि बोसकोंब घाटी में बहते हुए झरने से बना एक छोटा तालाब है। सवेरे वो अपने नौकर के साथ रॉस में थे और तब उन्होंने उससे कहा था कि उसे जल्दी करनी चाहिए क्योंकि तीन बजे उनकी एक बहुत ही महत्वपूर्ण 'अपॉइंटमेंट' थी। उस 'अपॉइंटमेंट' से वे कभी ज़िंदा नहीं लौटे।”
“हेथरली फ़ार्म हाउस से बोसकोंब तालाब पौने मिल की दूरी पे है, वहाँ पहुँचने के लिए मैदान से जाते हुए उन्हें दो लोगों ने देखा था। एक बूढ़ी औरत थी जिसके नाम का ज़िक्र नहीं किया गया है और दूसरा था विल्यम क्राउडर, जो मिस्टर टर्नर के यहाँ शिकार की रक्षा का काम किया करता था। यह दोनो साक्षी बताते है कि मिस्टर मेक्कार्थी अकेले ही चल रहे थे। शिकार-रक्षक ने और भी बताया कि श्रीमान मेक्कार्थी के गुज़रने के कुछ ही मिनटों बाद उसने उनके बेटे मिस्टर जेम्स मेक्कार्थी को अपनी बग़ल में बंदूक़ दबाए उसी रास्ते जाते देखा था। जहाँ तक उसका मानना था, पिता उस वक़्त अब भी नज़र आ रहे थे और बेटा उनका पीछा कर रहा था। उसने इस बात पे ज़्यादा नहीं सोचा था जब तक कि उसने शाम को इस दुर्घटना के बारे में सुना।”
“शिकार-रक्षक विल्यम क्राउडर की नज़रों से ओझल होने के बाद भी यह दो मेक्कार्थी देखे गए थे। बोसकोंब तालाब घने पेड़ो से घीरा हुआ वृत है, जिसके किनारों पे घास और बेंत की झालर नज़र आती है। एक चौदह साल की लड़की, पेशंस मोरन, जो कि बोसकोंब वैली के जागीर लौज के रखवाले की बेटी थी, एक जंगल में फूल चुन रही थी। वह बताती है कि जब वो वहाँ थी उस दौरान उसने, जंगल की सीमा और तालाब के क़रीब, मिस्टर मेक्कार्थी और उनके बेटे को देखा, और ऐसा लग रहा था मानो उनके बीच उग्र झगड़ा चल रहा हो। उसने वरिष्ठ मेक्कार्थी को अपने बेटे के साथ तेज़ ज़बान का प्रयोग करते सुना, और उसने देखा कि इस बात पर अगले ने हाथ उठाया था मानो अपने पिता को मारना चाहता हो। उनकी हिंसा से डर के वो भाग खड़ी हुई और अपनी माँ को जाकर बताया कि उसने बोसकोंब तालाब के पास दोनो मेक्कार्थी को झगड़ते देखा था और उसे डर था कि वे लड़ने वाले थे। उसने मुश्किल से इतना बताया ही होगा कि युवा मेक्कार्थी यह बताने के लिए और लौज के रखवाले की मदद माँगने के लिए लौज तक दौड़ता आया कि उसने अपने पिता को जंगल में मरा हुआ पाया था। वह काफ़ी उत्तेजित था, उसकी बंदूक़ और हैट नदारद थी, और उसका दायाँ हाथ और आस्तीन ताज़े ख़ून से सने हुए थे। उसके पीछे पीछे जाकर उन्होंने मृतक का शरीर तालाब के पास पड़ा हुआ पाया। उसके सर पे किसी भारी और कुंठ हथियार से बार-बार वार किया गया था। ज़ख़्म कुछ ऐसे थे मानो उनके बेटे की बंदूक़ के कुंदे से वार किया गया हो जो कि लाश से कुछ ही क़दम दूर पड़ी पाई गई थी। ऐसे हालात में इस युवक को तुरंत गिरफ़्तार कर लिया गया और तहक़ीक़ात के बाद मंगलवार को इसे ‘सोची समझी हत्या’ का फ़ैसला सुना दिया गया, उसे बुधवार को रॉस में न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसने इस केस को अगले न्यायालय के सुपुर्द किया। यह इस केस के मुख्य तथ्य है जो मृत्यु समीक्षक और पुलिस-कोर्ट के सामने प्रकट हुए है।
“मैं मुश्किल से इस से ज़्यादा अभिशप्त केस की कल्पना कर पाउँगा,” मैंने कहा। “अगर कभी पारिस्थितिक सबूत गुनहगार की और इंगित करते हो ऐसा कोई केस हो सकता है तो यह वो केस है।”
“पारिस्थितिक सबूत छलावा है।” बड़े ही विचारमग्न तरीक़े से हॉम्ज़ ने जवाब दिया। “ऐसा लग सकता है कि यह सीधा किसी एक बात की तरफ़ इंगित कर रहा है, परंतु अगर तुम अपने नज़रिए को ज़रा सा बदलोगे तो पाओगे कि यह उतने ही अटल रूप से किसी दूसरी बात की तरफ़ इंगित करता है। यह मानना ही पड़ेगा, यद्यपि, कि केस इस युवक के ख़िलाफ़ निहायत ही गम्भीर होता जा रहा है, और यह काफ़ी हद तक सम्भव है कि वोहि दोषी हो। हालाँकि इलाक़े में कुछ लोग है जो उसके निर्दोष होने में यक़ीन रखते है, जिसमें से एक है ज़मींदार की बेटी मिस टर्नर, और लेस्ट्राड को, जो तुम्हे शायद स्कार्लेट की जाँच वाले केस के सिलसिले में याद होगा, इस केस पे उसके पक्ष में रोक रखा है। लेस्ट्राड, जो कि ख़ुद उलझा हुआ है, उसने केस मुझे सोंपा है, और यहीं वजह है की दो अधेड़ उम्र के लोग शांतिपूर्वक अपने घर में नाश्ता पचाने के बजाय पचास मिल प्रति घंटा की रफ़्तार से पश्चिम की तरफ़ जा रहे है।”
“मेरी आशंका है,” मैंने कहा, “तथ्य इतने स्पष्ट है कि आपको इस केस को सुलझाने का बहुत कम श्रेय मिलेगा।”
“ज़ाहिर तथ्यों से ज़्यादा भ्रांतिकर कुछ नहीं होता,” उन्होंने हँसते हुए जवाब दिया। “इसके अलावा हमें कुछ और ज़ाहिर तथ्य भी हाथ लग सकते है जो किसी भी तरह से लेस्ट्राड के लिए ज़ाहिर नहीं थे। तुम मुझे इतनी अच्छे से तो जानते हो कि यह सोच के चलो कि मैं घमंड कर रहा हु जब मैं कह रहा हु कि मैं ऐसे जरियों से या तो लेस्ट्राड के अनुमान की पुष्टि करूँगा या तो पूरी तरह से धज्जियाँ उड़ा दूँगा, जिन जरियों को इस्तेमाल करने के लिए वो बिलकुल असमर्थ है। पहली ही मिसाल के लिए मैं अच्छे से बुझ सकता हु कि तुम्हारे शयनखंड में खिड़की दाहिनी और है और तब भी मैं यह सवाल उठाता हु कि क्या मिस्टर लेस्ट्राड ने इतनी साफ़ बात को ध्यान में लिया भी होगा।”
“आप यह कैसे—”
“मेरे प्यारे साथी, मैं तुम्हें भलीभाँति जानता हु। मैं जानता हु सैनिक जीवन का वह सुथरापन जो तुम्हें चरितार्थ करता है। तुम हर सुबह दाढ़ी बनाते हो और इस मौसम में तुम सूर्य प्रकाश के सहारे दाढ़ी बनते हो; पर क्यूँकि जैसे जैसे बायीं तरफ़ और आगे बढ़ते है वैसे वैसे तुम्हारी दाढ़ी कम से कमतर पूरी लगती है, और यह सचमुच लापरवाह ढंग से की हुई नज़र आती है जैसे ही हम जबड़े के कोण तक आते है, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि उस तरफ़ का हिस्सा दूसरे हिस्से से कम प्रकाशित है। मैं यह नहीं सोच सकता कि तुम्हारी आदतों वाला आदमी सामान प्रकाश में ख़ुद को देखे और ऐसे परिणाम से संतुष्ट हो जाए। मैं यह बात निरीक्षण और निष्कर्ष के क्षुल्लक उदाहरण के रूप में बता रहा हु। इसीमे है मेरी व्यावसायिक विशेषता और यह सम्भव है कि हमारे सामने के इस केस की जाँच पड़ताल में यह हमारे काम आए। एक या दो मुद्दे है जो तहक़ीक़ात के दौरान उभर के आए, और जो ग़ौर करने लायक है।”
“वो क्या है?”
“ऐसा दिखता है कि उसकी गिरफ़्तारी तुरंत नहीं हुई थी बल्कि हेथेरली फ़ार्म लौटने के बाद हुई थी। रक्षीदल के अफ़सर ने जब बताया कि वो अब क़ैदी है तो उसने कहा था कि यह सुन कर उसे आश्चर्य नहीं हो रहा, और यह कि यह बात जिसके वो लायक है उससे ज़्यादा नहीं है। उसके यह निरीक्षण की सीधी असर यह थी कि इसने मृत्यु समीक्षम के फ़ैसले पर की थोड़ी बहुत आशंका को भी हटा दिया।”
“यह तो अपराध का स्वीकार है,” मैं बोल पड़ा।
“नहीं, क्यूँकि इसके पीछे पीछे आयी थी निर्दोषता की आपत्ति।”
“घटनाओं की ऐसी अभिशप्त शृंखला के बाद यह कम से कम एक संदेहजनक टिप्पणी तो है ही।”
“उसके विपरीत,” हॉम्ज़ ने कहा, “यह बादलो में एक चमकीली दरार है जो मुझे इस वक़्त दिख रही है। वह चाहे जितना भी निर्दोष हो, वह उतना मंदबुद्धि भी नहीं है जो इतना भी ना समझे की उसके ख़िलाफ़ हालात काफ़ी धुँधले है। अगर उसने अपनी गिरफ़्तारी पर आश्चर्य जताया होता या अपमानित होने का दिखावा किया होता तो यह मुझे बहुत ही ज़्यादा संदेहजनक लगता, क्यूँकि ऐसे हालात में आश्चर्य या ग़ुस्सा सहज नहीं होता, और फिर भी षड्यंत्रकारी आदमी को यह सबसे सही तरीक़ा नज़र आता है। उसका परिस्थिति का निष्कपट स्वीकार उसे या तो निर्दोष बताता है या वह एक अच्छा ख़ासे निग्रह और दृढ़ता वाला व्यक्ति है। रही बात उसके इसी के लायक होने की, वो भी असहज नहीं है अगर तुम इस बात ग़ौर करो कि वो अपने पिता की लाश के बग़ल में खड़ा था, और इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं कि उस दिन वो अपना संतानोचित फ़र्ज़ निभाना चूक गया था, यहाँ तक कि उस छोटी लड़की के मुताबिक़, जिसकी गवाही काफ़ी महत्वपूर्ण है, उसने उन पर हाथ भी उठाया था जैसे कि वो उन्हें मारना चाहता हो। उसकी बातों में नज़र आता खेद और पश्चाताप मेरे लिए सूचक है कि वह एक दूरस्त दिमाग़ है नहीं कि एक दोषी चित्त।”
मैंने अपना सर धुनाया। “बहुत से लोग इससे भी हल्के सबूतों के बिनाह पर फाँसी चढ़ा दिए गए है,” मैंने कहा।
“ज़रूर चढ़ा दिए गए है। और बहुत सो लोगों को अन्यायपूर्वक फाँसी दी गई है।”
“इस मामले में उस युवक की अपनी क्या कहानी है?”
“मुझे आशंका है कि उसकी कहानी उसकी तरफ़दारी करने वालों के लिए ज़्यादा उम्मीद दिलाने वाली नहीं है, हालाँकि एकाध-दो मुद्दे है उसमें जो सूचक हो। तुम्हें वो यहाँ मिलेंगे, और तुम चाहो तो ख़ुद ही पढ़ सकते हो।”
उन्होंने अपने पुलिंदे से हीयरफ़ोर्डशाइअर के स्थानिक अख़बार की नक़ल निकाली, और उसे मोड़ते हुए एक पैराग्राफ़ की और इंगित किया जिसमें उस अभागे युवक ने जो कुछ भी हुआ था उसका अपना विवरण दिया था। मैंने डिब्बे के एक कोने में ख़ुद को बिठाया और बड़े ही ध्यान से पढ़ने लगा। विवरण कुछ ऐसा था:
“मिस्टर जेम्ज़ मेक्कार्थी, मृतक के इकलौते पुत्र, बाद में बुलाए गए और उन्होंने निम्नानुसार सबूत पेश किए। ‘मैं तीन दिन घर से दूर ब्रिस्टल में था, और सोमवार, ३ तारीख़ की सुबह ही लौटा था। मेरे आने के समय मेरे पिताजी घर पर मौजूद नहीं थे, और मुझे नौकरानी द्वारा बताया गया कि वे गाड़ी चला के दूल्हे जॉन कॉब के साथ रॉस गए हुए थे। मेरे लौटने के कुछ ही देर में मैंने आँगन में उनकी ट्रैप के पहियों की आवाज़ सुनी, और खिड़की से बाहर झाँकने पर मैंने देखा कि वो आँगन से बाहर की तरफ़ चल दिए थे, हालाँकि मैं नहीं जानता था वो किस और जा रहे थे। फिर मैंने अपनी बंदूक़ उठाई और बोसकोंब तालाब की तरफ़ टहलने निकल गया, मेरा इरादा ख़रगोश की बाड़ की मुलाक़ात लेने का था जो कि दूसरी तरफ़ थी। जाते हुए रास्ते में मैंने विल्यम क्राउडर, शिकार रक्षक, को देखा, जैसा कि उसने अपने बयान में कहा है, मगर उसकी यह समझने में भूल है कि मैं अपने पिताजी का पीछा कर रहा था। मुझे बिलकुल नहीं पता था कि वो मेरे आगे चल रहे है। तालाब से सो गज की दूरी पर जब मैंने “कूँऊउ!” की पुकार सुनी, जो मेरे और पिताजी के बीच का सामान्य संकेत था। तब फिर मैं आगे की तरफ़ भागा और उनको तालाब के पास खड़ा पाया। वह मुझे वहाँ देख कर काफ़ी अचंबित दिख रहे थे और मुझे बड़े रूखे तरीक़े से पूछा की मैं वहाँ क्या कर रहा था। परिणामस्वरूप हमारी बातें हुई जो बहस में बदली और बाद में लगभग मारामारी तक पहुँची, क्यूँकि मेरे पिता काफ़ी उग्र स्वभाव के इंसान थे। यह देख के कि उनकी गर्मजोशी क़ाबू से बाहर हो रही थी, मैं उन्हें वहीं छोड़ कर हेथेरली फ़ार्म की तरफ़ लौट आया। मैं १५० गज भी दूर नहीं गया होऊँगा कि मैंने अपने पीछे ख़ौफ़नाक चीख़ सुनी, जिसने मुझे वापिस वही दौड़ जाने के लिए मजबूर किया। मैंने अपने पिता को, बुरी तरह से ज़ख़्मी सर के साथ, ज़मीन पर मरते हुए पाया। मैंने अपनी बंदूक़ गिरा दी और उन्हें बाहों में थाम लिया पर वो लगभग तुरंत ही मर गए। मैं कुछ देर उनके पास घुटनो के बल बैठा रहा, और फिर मिस्टर टर्नर के लॉज-रखवाले के वहाँ, चूँकि उसका घर सबसे नज़दीक था, मदद माँगने गया। जब मैं लौट के आया तो मैं अपने पिता के पास किसिको नहीं पाया, और मुझे कोई इल्म नहीं उन्हें यह चोट कैसे लगी। उनके रूक्ष और डरावने तरीक़ों को लेकर वो लोकप्रिय इंसान नहीं थे, पर उनका, जहाँ तक मुझे पता है, कोई सक्रिय दुश्मन नहीं था। मुझे इस विषय में इससे ज़्यादा कुछ नहीं मालूम।’
“मृत्यु समीक्षक: क्या तुम्हारे पिता ने मरने के पहले कोई बयान दिया?”
“साक्षी: वो कुछ शब्द बुदबुदाए मगर मैं उसमें इतना ही समझ पाया कि उनका इशारा किसी रैट की तरफ़ था।”
“मृत्यु समीक्षक: तुम उससे क्या समझे?”
“साक्षी: उनकी बातों से में कोई अर्थ नहीं निकाल पाया। मुझे लगा कि वो भ्रांतचित्त थे।”
“मृत्यु समीक्षक: तुम्हारे और तुम्हारे पिता के बीच में वो आख़री झगड़ा किस बात को लेकर हुआ था?“
“साक्षी: मैं इसका जवाब नहीं देना पसंद करूँगा।”
“मृत्यु समीक्षक: मुझे डर है कि मुझे इस बात पर ज़ोर देना होगा।”
“साक्षी: मेरे लिए आपको कुछ बताना सच में बहुत मुश्किल है। मैं आपको इतना आश्वस्त कर सकता हु कि उस के पीछे पीछे जो दुर्घटना हुई उसका इस बात से कोई सम्बन्ध नहीं है।”
“मृत्यु समीक्षक: वो तो न्यायालय तय करेगा। मुझे यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि तुम्हारा जवाब देने से इंकार तुम्हारे केस को भविष्य में होने वाली किसी भी कार्यवाही को काफ़ी हद तक तुम्हारे ख़िलाफ़ प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।”
“साक्षी: मुझे फिर भी इंकार करना होगा।”
“मृत्यु समीक्षक: मैं समझता हु कि ‘कूँऊऊ!’ की पुकार तुम्हारे और तुम्हारे पिता के बीच सामान्य संकेत था?”
“साक्षी: जी था।”
“मृत्यु समीक्षक: फिर यह कैसे हो सकता है कि उन्होंने यह संकेत दिया जबकि उन्हें पता भी नहीं था कि तुम ब्रिस्टल से लौट चुके हो।”
“साक्षी: (अच्छी खासी व्याकुलता के साथ ) मैं नहीं जानता।”
“जुरी में से एक: चीख़ सुनकर जब तुम लौटे और अपने पिता को घायल पाया तब तुमने कुछ ऐसा देखा जो शक पैदा करें?”
“साक्षी: निश्चित कुछ नहीं ”
“मृत्यु समीक्षक: तुम कहना क्या चाहते हो?”
“साक्षी: जैसे मैं खुले में दौड़ के गया मैं विक्षुब्ध और उत्तेजित था और अपने पिता के अलावा कुछ और नहीं सोच पाया। फिर भी मुझे एक धुँधली सी याद है कि जैसे ही मैं आगे की तरफ़ दौड़ा, मैदान पर मेरी बायीं और कुछ पड़ा था। मुझे वो भूरे रंग का लगा, किसी तरह का कोट या तो चारखानेदार कपड़ा। जब मैं अपने पिता के पास से उठा तब वो ग़ायब हो चुका था।”
“तुम यह कहना चाहते हो कि वो तुम्हारे मदद माँगने के लिए जाने से पहले ग़ायब हो गया?”
“हाँ, वो ग़ायब हो गया था।”
“और तुम यह नहीं बता सकते कि वो क्या था?”
“नहीं, मुझे ऐसा अंदेशा था कि वहाँ कुछ था।”
“लाश से कितनी दूर?”
“कोई एक दर्जन गज की दूरी पर।”
“और जंगल के किनारे से कितनी दूर”
“लगभग उतना ही”
“सो अगर वो हटाया गया तो तो तभी जब तुम उससे दर्जन गज की दूरी पर थे?”
“हाँ, मगर उसकी तरफ़ मेरी पीठ थी।”
“साक्षी की जाँच-पड़ताल यहाँ ख़त्म होती है।”
“मैं देख रहा हु,” मैंने कॉलम पे नज़र करते हुए कहा, “कि मृत्यु समीक्षक अपने निष्कर्ष में युवा मेक्कार्थी के प्रति काफ़ी सख़्त था। वो ध्यान आकर्षित करता है, और उसकी वजह है, उस विसंगती की तरफ़ कि उसके पिता ने उसे संकेत दिया उसको देखने से पहले ही, इसी तरह अपने पिता के साथ हुए संवाद के बारे में बताने से इनकार, और अपने पिता के आख़री शब्दों के बारे में उसका अनूठा बयान। यह सब, जैसा कि वो बताता है, बेटे के बहुत ही ख़िलाफ़ है।”
“हॉम्ज़ धीरे से हंस दिए और उन्होंने अपने आप को गद्देदार सीट पर कुछ और पसारा। “मृत्यु समीक्षक और तुम दोनो ही ने काफ़ी कष्ट उठाके,” उसने कहा, “उस युवक के पक्ष में कुछ मज़बूत मुद्दे अलग किए है। क्या तुम ये नहीं देख पा रहे कि तुमने उसे बारी बारी से बहुत ज़्यादा कल्पनाशील होने का, और कल्पना विहीन होने का श्रेय दिया है? कल्पना विहीन, अगर वो लड़ाई का कारण गढ़ नहीं पाया जिससे कि उसे जुरी की सहानुभूति मील सकती थी, अति कल्पनाशील अगर उसने अपनी आंतरिक समझ से, मृतक के अंतिम संदर्भ के रूप में रैट का ज़िक्र करने जैसा एक अजीब सा तुक्का गढ़ा। नहीं, साहब, मैं इस केस पर इस नज़रिए से आगे बढ़ूँगा कि यह युवक जो बोल रहा है वो सच है, और हमें देखना है कि यह अनुमान हमें कहाँ ले जाता है। और यह है मेरी पेट्रार्क की कापी, अब मैं इस केस के बारे में एक शब्द भी नहीं बोलूँगा जब तक कि हम घटनास्थल पर पहुँच नहीं जाते। दोपहर का भोजन हम स्विनडॉन में लेंगे और क़रीब बीस मिनट में हम वहाँ पहुँच जाएँगे।”
शाम के चार बजने को थे जब हमने आख़िरकार, सुंदर स्ट्राउड घाटी से गुज़रते हुए, और चौड़े, चमकते सेवर्न से होते हुए, अपने आप को रॉस के सुंदर देहाती गाँव में पाया। एक पतला सा, गंध-बिलाऊ जैसा, रहस्यमय और शातिर दिखने वाला आदमी प्लैट्फ़ॉर्म पर हमारा इंतज़ार कर रहा था। बावजूद अपने हलके बादामी रंग के ओवरकोट और चमड़े की चुस्त पैंट, जो कि उसने अपने आसपास के देहाती माहौल के चलते पहना था, मुझे स्कॉटलेंड के लेस्ट्राड को पहचानने में कोई मुश्किल नहीं हुई। उसके साथ हम मोटरगाड़ी में हीयरफ़ोर्ड आर्म्ज़ चले जहाँ हमारे लिए पहले से ही एक कमरा आरक्षित था।
“मैंने एक बग्घी का प्रबंध किया है,” जैसे ही हम चाय पीने बैठे लेस्ट्राड ने कहा। “मैं आपके उत्साही स्वभाव को जानता हु और यह भी पता है कि जब तक आप घटनास्थल पर नहीं पहुँचोगे आप को चैन नहीं मिलेगा।”
“यह आपकी बहुत अच्छी और हमारे प्रति सम्मानसूचक बात है,” हॉम्ज़ ने जवाब दिया। “यह पूर्णतया बेरोमेट्रिक दबाव का सवाल है।”
लेस्ट्राड चौंका हुआ लगा। “मैं समझा नहीं,” उसने कहा।
“पारा क्या बता रहा है?” उंतिस। ना तो हवा चल रही है ना ही आसमान में बादल है। मेरे पास सिगरेट से भरा हुआ एक बक्सा है जिसे पिया जाना चाहिए, और सोफ़ा काफ़ी श्रेष्ठ है सामान्य देहाती होटेल से। मुझे नहीं लगता मुझे आज रात बग्घी इस्तेमाल करनी चाहिए।
लेस्ट्राड खुल के हंस पड़ा। “आपने, बेशक, अखबारो से ही अपने निष्कर्ष निकाल लिए है,” उसने कहा। केस है भी छड़ी जितना सीधा, और जितना ही कोई इसकी गहराई में जाता है उतना ही यह और सीधा होते जाता है। फिर भी, निसंदेह, आप एक महिला को इनकार नहीं कर सकते, जो ख़ास करके इतनी आशावादी भी हो। उसने आपके बारे में सुना है, और वो आपका अभिप्राय लेना चाहेगी, हालाँकि मैंने उसे बार-बार यह कहा है कि आप ऐसा कुछ नहीं कर सकते जो मैंने ना किया हो। अरे, मेरा भला हो, यह आ पहुँची बग्घी हमारे दरवाज़े पर।”
उसने मुश्किल से कुछ बोला होगा कि एक बेहद प्यारी औरत, मैंने ज़िन्दगी में देखी हुई औरतों में सबसे प्यारी, बेहद तेज़ी से कमरे में आ गई। उसकी बैंगनी आँखे चमक रही थी, होंठ अधखुले थे, गालों पर गुलाबी लाली थी, उसकी सहज लज्जा उसके अत्यधिक तीव्र उत्साह और चिंता में खो गई थी।
“ओह मिस्टर शेरलोक हॉम्ज़,” वह चिल्ला उठी, उसकी नज़र हम दोनो को बारी बारी देखते हुए, और आख़िरकार औरत के अंतरज्ञान से, मेरे साथी पर जा टिकी, “मैंने बेहद ख़ुश हु कि आप आए। मैं यहाँ तक आपको यही बताने के लिए आइ हु। मैं जानती हु कि जेम्स ने यह नहीं किया है। मैं जानती हु, और चाहती हु की आप भी अपनी तहक़ीक़ात यहीं जानते हुए करे। ऐसा कभी मत होने देना कि आपको इस बात में शक हो। हम एक दूसरे को बचपन से जानते है, और उसकी कमियाँ मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता, पर वो इतने नाज़ुक दिल का इंसान है कि वो किसी मक्खि तक को चोट नहीं पहुँचा सकता। उसे जानने वाले किसी को भी उसपे लगाया गया यह इल्ज़ाम बेतुका लगेगा।”
“मैं उम्मीद करता हु मिस टर्नर कि हम उसे बरी करा पाए,” शेरलोक हॉम्ज़ ने कहा। “आप भरोसा कर सकती है कि मुझसे बन पड़ेगा वो सब मैं करूँगा।”
“पर आपने सारे सबूत पढ़े है। आपने कुछ निष्कर्ष भी निकाले होंगे।क्या आपको कोई छेद, कोई कमज़ोरी नज़र नहीं आती? क्या आप ख़ुद नहीं सोचते कि वो बेक़सूर है?”
“मैं मानता हु कि यह काफ़ी हद तक सम्भव है।”
“ये बात!” अपना सर झटक के लेस्ट्राड की और उद्धत भाव से देखते हुए वह चिल्लाई। “आप सुन रहे हो! ये मुझे उम्मीद बँधा रहे है।”
लेस्ट्राड ने अपने कंधे उचकाये। “मुझे डर है मेरे साथी निष्कर्ष तक पहुँचने में थोड़ी जल्दबाज़ी कर रहे है,” उसने कहा।
“पर वे सही है। ओह! मैं जानती हु कि वे सही है। जेम्स ने कभी यह क़त्ल नहीं किया। रही बात उसकी अपने पिता साथ लड़ाई की तो मुझे पक्का यक़ीन है कि मृत्यु समीक्षक से इस बारे में बात ना करने की वजह यह थी कि उससे मैं सम्बंधित थी।”
“वो कैसे?” हॉम्ज़ ने पूछा।
“यह कुछ भी छुपाने का वक़्त नहीं है। जेम्स और उसके पिता के बीच मुझे लेकर कई मतभेद थे। मिस्टर मेक्कार्थी काफ़ी उत्सुक थे कि हमारा ब्याह हो। जेम्स ने और मैंने हमेशा एक दूसरे को भाई-बहन की तरह चाहा है, पर निसंदेह वह अभी छोटा है और उसने अभी ज़िंदगी बहोत कम देख रखी है, और—और—स्वाभाविक रूप से अभी ऐसा कुछ नहीं चाहता था। सो हमेशा झगड़े होते रहते थे और मुझे पक्का यक़ीन है कि यह भी उन्ही झगड़ो में से एक था।”
“और तुम्हारे पिता?” हॉम्ज़ ने पूछा। “क्या वो ऐसे किसी गठबंधन के पक्ष में थे?”
“नहीं, वो भी इसके ख़िलाफ़ थे। मिस्टर मेक्कार्थी के अलावा कोई भी नहीं था जो इसके पक्ष में हो।” जैसे ही हॉम्ज़ ने अपनी पैनी सवालिया निगाह डाली एक तेज़ लाली उसके ताज़े जवान चेहरे पे छा गई।
“जानकारी के लिए शुक्रिया,” उन्होंने कहा। “क्या हम तुम्हारे पिताजी से मिल सकते है अगर हम कल आए?”
“मुझे डर है डॉक्टर इस बात की अनुमति नहीं देंगे।”
“डॉक्टर?”
“हाँ, क्या आपने नहीं सुना? बेचारे पिताजी कभी भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं थे पर इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया है। उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया है, और डॉक्टर विलोज़ कहते है कि वो अब अत्यंत कमज़ोर है और उनका तंत्रिका तंत्र ध्वस्त है। मिस्टर मेक्कार्थी एक मात्र व्यक्ति थे जो उनको विक्टोरिया के दिनों से जानते थे।”
“हाँ! विक्टोरिया में। यह महत्वपूर्ण है।”
“हाँ, खदान पे।”
“निसंदेह, सोने की खदान पे, जहाँ, जितना मैं समजता हु, मिस्टर टर्नर ने पैसे बनाए।”
“हाँ, यक़ीनन।”
“धन्यवाद, मिस टर्नर। तुम मेरे लिए तात्विक सहायक रही हो।”
“आप मुझे बताओगे अगर आप के पास कल कोई समाचार हुए। निसंदेह आप कल जेम्स से मिलने जेल में जाओगे। ओह, अगर आप जाते हो, मिस्टर हॉम्ज़, तो उसे ज़रूर बताना कि मैं उसे निर्दोष मानती हु।”
“मैं बताऊँगा मिस टर्नर।”
“मुझे अब घर जाना चाहिए, क्यूँकि पिताजी बहुत बीमार है, और वो तुरंत मेरी कमी महसूस करते है अगर मैं उनको छोड़ के कहीं जाती हु। अलविदा, और प्रभु आपके कार्य में आपको मदद करे।” वो कमरे से उसी तेज़ी से चली गई जितने आवेग से उसने प्रवेश किया था, और हमने गली में जाते हुए बग्घी के पहियों की आवाज़ सुनी।
“मैं तुमसे शर्मिंदा हु, हॉम्ज़,” कुछ पल के सन्नाटे के बाद बड़प्पन से लेस्ट्राड बोले। “तुम्हें ऐसी उम्मीदें क्यूँ जगानी चाहिए जिस पे तुम पानी फेरने वाले हो? मैं नाज़ुक दिल वाला नहीं हु फिर भी मैं इसे क्रूरता कहता हु।”
“मुझे लगता है मेरे पास जेम्स मेक्कार्थी को बरी कराने के मेरे अपने रास्ते दिख रहे है,” हॉम्ज़ ने कहा। “क्या तुम्हारे पास उसे जेल में मिलने का आदेश है?”
“हाँ, मगर सिर्फ़ मेरे और तुम्हारे लिए।”
“फिर मुझे बाहर जाने को लेकर किए गए संकल्प पे पुनर्विचार करना पड़ेगा। क्या हमारे पास अब भी समय है कि हम हीयरफ़ोर्ड के लिए ट्रेन ले और आज रात तक उसे मिल पाए?”
“बहुत समय है।”
“फिर चलो ऐसा करते है। वॉटसन तुम्हें यह काफ़ी धीमा लगे, परंतु मैं बस कुछ ही घंटो की दूरी पे रहूँगा।”
मैं उनके साथ स्टेशन चल पड़ा, और फिर उस छोटे क़सबे की गलियों में भटका, आख़िरकार होटेल आ के सोफ़ा पे लेटा और पिले जिल्द वाली नवलकथा में रुचि लेने की कोशिश करने लगा। कमज़ोर सा कथावस्तु काफ़ी छितरा हुआ था, जब उसकी तुलना की जाए इस गहरे रहस्य से जिससे हम जुज़ रहे थे, और मैंने अपना ध्यान घटना से तथ्य की तरफ़ सतत इस क़दर भटकता हुआ पाया, कि अंत में मैंने नवलकथा कमरे के दूसरे छोर की तरफ़ उछाल फेंकी, अपने आप को आज दिन भर की हुई घटना के चिंतन में झोंक दिया। मान लेते है कि इस दुखी युवान की कहानी बिलकुल सच है, तो उसके अपने पिता से अलग होने, और वो पल जब वो उनकी चीख़ से खिंच के दरख़्तों के बीच की उस खाली जगह में वापिस आया, इस बीच क्या नारकिय बात, क्या बिलकुल अप्रत्याशित और असाधारण आफ़त घटित हुई होगी? यह कुछ दिल दहलाने वाला और प्राणघाती था। क्या हो सकता है यह? घाव का लक्षण को मेरी चिकित्सा सम्बंधी सूझ बुझ को कुछ प्रकट नहीं करना चाहिए? मैंने घंटी बजा के प्रांत का साप्ताहिक अख़बार मँगवाया जिसमें तहक़ीक़ात की शब्दश: जानकारी थी। सर्जन के बयान में यह बात निर्दिष्ट थी कि बायीं पारश्विक हड्डी का पिछला हिस्सा, और अनुकपाल हड्डी का आधा बायाँ हिस्सा किसी भोथर हथियार के वार से चकनाचूर हो गया था। मैंने अपने सर पे उस हिस्से को चिन्हित किया। स्पष्ट रूप से ऐसा वार पीछे से ही किया गया होगा। यह बात कुछ हद तक अभियुक्त के पक्ष में थी क्यूँकि झगड़े के समय वो अपने पिता से आमने सामने था। फिर भी इसका कुछ ज़्यादा मूल्य नहीं था, क्यूँकि हो सकता था कि वार होने से पहले उस बूढ़े आदमी ने जाने के लिए अपनी पीठ फेरी हो। फिर भी यह उचित होगा कि यह बात हॉम्ज़ के ध्यान में लाई जाय। फिर मरते समय रैट का विचित्र ज़िक्र था। उसका क्या अर्थ हो सकता है? यह चित्तभ्रम नहीं हो सकता। एक अचानक किए हुए वार से मरता हुआ आदमी सामन्यतया भ्रांतचित्त नहीं हो जाता। नहीं, ज़्यादा सम्भव तो यह था कि वो अपने इस दुर्भाग्य को समजाने की कोशिश कर हो। पर यह क्या सूचित करता है? सम्भावित समाधान के लिए मैंने अपने दिमाग़ को थोड़ा और ठोका पिटा। और फिर युवा मेक्कार्थी के द्वारा भूरे कपड़े के देखे जाने का प्रसंग। अगर यह सच था तो हत्यारे ने भागते हुए ज़रूर अपने कपड़े का कोई हिस्सा गिरा दिया होगा, संभवत: उसका ओवरकोट, और वापिस आके उसे ले जाने में पूरी मुश्किल उठाई होगी जब बेटा दर्जन क़दम से भी कम दूरी पे घटनो के बल बैठा हुआ था। रहस्य और असंभवता का कैसा अजीब टुकड़ा था यह पूरा प्रसंग। मुझे लेस्ट्राड के मत से आश्चर्य नहीं हुआ था, और फिर भी मुझे शेरलोक हॉम्ज़ की परख पर इतना भरोसा था कि मैं उम्मीद खो नहीं सकता था जब तक कि हर नया तथ्य युवा मेक्कार्थी के निर्दोष होने के उसके दृढ़ विश्वास को मज़बूत बनाता दिख रहा हो।
शेरलोक हॉम्ज़ के आते काफ़ी देर हो गई थी। वो अकेले ही लौटे थे, क्यूँकि लेस्ट्राड क़सबे की किसी लोज में रह रहे थे।
“पारा अब भी काफ़ी ऊँचा है,” उन्होंने बैठते हुए कहा। “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जब तक हम उस मैदान में जा नहीं पाते बारिश ना हो। दूसरी तरफ़ हमें इतने अच्छे काम के लिए बेहतर से बेहतरीन और पैने से पैना होना चाहिए, और मैं नहीं चाहता था कि हम इसे तब करे जब हम इतनी लम्बी यात्रा से थके हुए हो। मैं युवा मेक्कार्थी को मिला।”
“और उससे आपको क्या जानकारी मिली?”
“कुछ नहीं”
“वो कोई रोशनी नहीं डाल पाया?”
“ज़रा भी नहीं। एक बार के लिए मैं यह मानने को तैयार था कि उसे पता है यह काम किसने किया है और वो उसे बचा रहा है, पर अब मुझे यक़ीन है कि वो भी उतना ही उलझा हुआ है जितने बाक़ी सब। वो उतना चालक युवक नहीं है, हालाँकि देखने में सुहावना है और, मैं मानता हु की दिल का भी अच्छा है।”
“मैं उसकी पसंद की सराहना नहीं कर सकता,” मैंने कहा, “अगर यह वास्तव में सच है कि वो मिस टर्नर जैसी आकर्षक स्त्री के साथ शादी करने के ख़िलाफ़ था”
“आह, उसमें एक और दर्द भरी कहानी छुपी हुई है। यह बंदा बहुत ज़्यादा, पागलपन की हद तक उससे प्यार करता है, पर कुछ दो साल पहले, जब वो सिर्फ़ एक लड़का था, और उसके मिस टर्नर को अच्छे से जानने के पहले, क्यूँकि वो पाँच साल तक बोर्डिंग स्कूल में थी, इस मूर्ख ने क्या किया, ब्रिस्टल में एक बार में काम करने वाली लड़की के चक्कर में जा फँसा और उससे रजिस्ट्री में जाके शादी कर ली? इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता, पर तुम कल्पना कर सकते हो कि जो करने के लिए वो कुछ भी कर सकता है वो ना करने के लिए डाँट खाना और यह जानना की अब वो बिलकुल असम्भव है यह उसके लिए कितना अफ़सोसजनक रहा होगा। इस तरह का निपट बावलापन ही था जो वो हवा में हाथ उठा उठा कर अपने पिता से बात कर रहा था जब वो उनकी आख़री मुलाक़ात के वक़्त उसे मिस टर्नर को विवाह का प्रस्ताव रखने के लिए उकसा रहे थे। दूसरी तरफ़ उसके पास जीवनयापन का कोई ज़रिया नहीं था, और उसके पिता ने, जोकि हर तरह से काफ़ी सख़्त इंसान थे, उसे बुरी तरह से निकल बाहर किया होता अगर वो सच्चाई जान जाते। उसकी इसी बार में काम करने वाली पत्नी के साथ उसने ब्रिस्टल में पिछले तीन दिन गुज़ारे थे, और इस के बारे में उसके पिता कुछ भी नहीं जानते थे कि वो कहाँ था। मगर इस बात पे ध्यान दो। यह महत्वपूर्ण है। हालाँकि इस हादसे से कुछ अच्छा भी हुआ है, क्यूँकि बार में काम करने वाली उस औरत ने, जब अखबारो से पता लगाया कि वह बड़ी मुसीबत में है और संभवत: फाँसी भी चढ़ सकता है तो उसने रिश्ता ख़त्म कर दिया और लिख भेजा कि बर्म्यूडा बंदरगाह में पहले से ही उसका एक पति है, सो उनके बीच में अब कुछ नहीं है। मुझे लगता है कि इस समाचार ने युवा मेक्कार्थी को काफ़ी आश्वस्त किया है।
“किंतु वह बेगुनाह है, यह सब किसने किया होगा?”
“आह! कौन? मैं आपका ध्यान, दो मुख्य बातों की ओर ले जाना चाहता हुँ। पहली ये कि जिसका खुन हुआ है, उसका तालाब के किनारे किसी से मुलाकात का समय तय था और वह शख्स उसका बेटा नहीं हो सकता, क्यों कि वह कहीं बाहर गया हुआ था। दुसरी बात ये कि जिस आदमी का खुन हुआ था, वह ये जान पाता कि उसका बेटा लौट आया है, उसके मुँह से चीख निकली थी ‘कूईईई!” यही वे महत्वपुर्ण बातें है जिस पर यह केस निर्भर करता है। और अब, यदी आप चाहे, तो हम जॉर्ज मॅरेडिथ के बारे में बात करें, और बाकी की सभी छोटी छोटी बातों को कल के लिये छोड दें.”
होम्स की भविष्यवाणी के अनुसार, दुसरे दिन कोई बारिश नही थी और आकाश चमकिला और स्वच्छ दिखाई दे रहा था। नौ बजे लेस्ट्रॅड ने हमें लेने के लिय गाडी भेजी थी, और हम हादर्ले फाँर्म तथा बॉस्कॉम्बे तालाब की ओर रवाना हो चले।
“आज सुबह एक गंभीर बात सुनने को मिली,” लेस्ट्रॅड देखते हुये बोला। “ऐसा कहा जा रहा है कि हॉल के मि. टर्नर, इतने बिमार है कि उनकी जिंदगी पर आन पडी है।”
“मैं समझता हुँ, वे एक बुढे आदमी है?” होम्स ने कहा।
“करीब साठ बरस के होंगे; किंतु उनकी जिंदगी, अक्सर बाहर रहने की वजह से अब बदहाल हो चुकी है, और उनकी तबियत कुछ समय से खराब भी चल रही है। उनके व्यापार ने ही उनकी तबियत पर बुरा असर डाला है। वे मॅकार्थी के पुराने मित्र थे, और, यहाँ मैं ये भी बता दुँ कि वे उनके लिये एक महान दानदाता भी थे, जिन्होने उन्हे हादर्ले फाँर्म को बिना किसी किराये के दे रखा था।”
“वाकई, काफी दिलचस्प बात है,” होम्स ने कहा।
“जी, हाँ! उन्होने ऐसे सैंकडो बार उनकी मदद की थी। यहाँ सभी उनकी दयालुता की चर्चा करते है।”
“सचमुच! क्या आपको जरा भी नही लगता कि ये मॅकार्थी, जो ऐसे दिखाता है कि उसके पास कुछ भी नहीं है, और जो हमेशा टर्नर की दया पर पल रहा है, और फिर भी अपने बेटे का विवाह टर्नर की बेटी से करवाने की बात कर रहा है, जो कि, संभवतः इस सारी जायदाद की वारीस है, और वह भी इतने खुदगर्जी से ये बात कर रहे है कि यह तो सिर्फ एक शादी का प्रस्ताव है और सब इसे मान लेंगे? ये और ज्यादा विचित्र है, क्यों की हमे मालुम है टर्नर खुद इस रिश्ते के खिलाफ थे। उनकी बेटी ने हमें ये सब बताया है। क्या तुम अब भी कोई परिणाम निकालने की स्थिती में नहीं हो?”
“हम परिस्थितीजन्य बातों में आकर सिर्फ अनुमान लगा रहे है,” लेस्ट्रॅड मुझे आँख मारते हुए बोला। “मैं केवल सिद्धांतो और कल्पनाओं के आधार पर इतनी जल्दी तथ्यों के सहारे हवा में नहीं उडता, होम्स।”
“तुम सही बोल रहे हो,” होम्स बडी विनम्रता से बोला; “क्या तुम तथ्यों तक पहुँचने में बडी कठिनाई महसुस कर रहे हो।”
“जो भी हो, मैंने एक तथ्य का पता लगा लिया है जो तुम्हे बडी मुश्किल से मिल पाता,” लेस्ट्रॅड जरा गर्मजोशी से बोला।
“और वह है ---”
“यही कि मॅकार्थी सीनियर का देहांत, मॅकार्थी जुनियर की वजह से ही हुआ था और इसके विपरित सारे सिद्धांत सिर्फ एक आभास है।”
“आभास, धुँधलाहट से ज्यादा चमकिली होती है,” होम्स ने हँसते हुए कहा। “किंतु यदी मैं गलत नहीं हुँ तो बायीं ओर ही हादर्ले फाँर्म है।”
“जी हाँ, यही है।” वह एक अच्छी खासी दिखने में आलिशान इमारत थी, दो-मंजीला, कवेलु से ढँकी छत, मटमैली दिवारों पर फफुँद के पिले दागों से भरी। खुली खिडकीयाँ और धुँआरहित चिमनीयाँ, होने पर भी, दिखने में काफी अच्छी लग रही थी, हालाँकी, उस पर डर का साया मँडरा रहा था। हमने दरवाजे पर आवाज दी, जब होम्स के कहने पर, महरी ने हमें उसके साहब के जुते दिखाये जो उन्होंने उनकी मौत के समय पहन रखे थे, और उनके बेटे के जुते भी दिखाये जो उसके पास थे। करिब सात आठ जगह पर बारिकी से देखने के बाद, होम्स की ईच्छानुसार हम बरामदे से होते हुए, बॉस्कॉम्बे तालाब की ओर जाने वाली पगडंडी के ओर आगे बढने लगे।
शरलॉक होम्स अब पुरी तरह अपने अवतार में आ चुके थे। आप उस आदमी को अब पहचान ही नही पाओगे जो बेकर स्ट्रीट पर शांत चित्त से सोचने वाला और तार्किक जान पडता था। उनका चेहरा कभी चमकता तो कभी गहराता। उनकी भँवे दो गहरी काली रेखाओं में बदल चुकी थी, जबकी उसके निचे से उनकी दोनों आँखे चमक रही थी। उनका चेहरा निचे को झुका था और कँधे मुडे हुए, उनके ओंठ दबे हुए, और उनके गले की नसे, उनकी लंबी मजबुत गरदन पर ऐसी तनी हुई थी मानो किसी चाबुक की चाप की हो। उनकी नाक किसी हवस से भरे जानवर की भाँती चौडी हो गयी थी, और उनका दिमाग इतना एकाग्रचित्त होकर अपने काम पर केंद्रित था कि कोई प्रश्न या टिप्पणी भी उन्हे सुनाई नही दे रही थी, या, ज्यादा से ज्यादा, वे उकसाने पर बेताबी से सिर्फ इशारा भर कर रहे थे। बडी चपलता व खामोशी से उन्होने अपने लिये झाडियों के बीच से रास्ता बनाया, जो जंगल से होता हुआ बॉस्कॉम्बे तालाब की ओर जा रहा था। वह एक गिला और दलदल से भरा मैदान था, जैसा सब जगह होता है, और उस पर तथा दोनो ओर उगी छोटी घास पर पैरों के कई निशान थे। होम्स कभी तेज गती से चलते तो कभी रूक जाते, उन्होने झाडियों में से एक चक्कर भी लगाया। लेस्ट्रॅड और मैं उस उदासिन और तिरस्कारी जासुस के पिछे पिछे चल रहे थे, मैं अपने दोस्त को बडी जिज्ञासा से देख रहा था, जो इतनी तेजी से दोषसिद्ध करते थे कि उनकी हर चाल एक निश्चित दिशा में आगे बढ रही थी।
बॉस्कॉम्बे तालाब, कुछ रेतीला और पथरीला सा जिसके पानी पर उँची घास उगी हुई थी, कुछ पचास गज दूर, हादर्ले फाँर्म और मि. टर्नर की निजी जमीन से सटा हुआ स्थित था। जंगल के उपरी भाग पर हम लाल रंग की शिखरमाला देख सकते थे जो किसी रईस जमींदार के रिहायशी इलाके को दर्शा रही थी। तालाब के हादर्ले की तरफ का जंगल थोडा घना था और वहाँ पेडों के और उँची घास के बीच करीब बीस कदम की दुरी पर घास की दबी-दबी सी संकरी पट्टी सी बनी हुई थी। लेस्ट्रॅड ने हमें वह सटीक जगह दिखायी जहाँ लाश मिली थी, और, वास्तव में, वह जगह इतनी गीली थी कि मैं बडे आसानी से उस आदमी के गिरने के निशान देख सकता था। होम्स, जिसका बेचैन चेहरा और झाँकती आँखे, मैं देख सकता था, जो रौंदी हुई घास पर बहुत सी अन्य वस्तुओं को भी देख रही थी। वे किसी कुत्ते की तरह दौड रहे थे, जिसे हवा से कुछ गंध मिल गई हो, और वे मेरे साथी की ओर मुड कर बोले।
“तुम तलाब में क्या करने गये थे?” उन्होने पुछा।
“मैं तलाब को खंगाल रहा था. मैंने सोचा वहाँ से कोई हथियार या ऐसी कोई और चीज मिले। लेकिन यहाँ जमीन पर क्या हाल है, कुछ मिला?”
“ओह, च..च..! मेरे पास बिल्कुल समय नहीं है। तुम्हारे बाँये पैर के निशान हर तरफ फैले हुए है जो की अंदर को थोडा मुडा हुआ है। कोई छछुँदर भी इन निशानों को ढुँढ सकता है, और वे निशान उन उँची घास के समीप जाकर समाप्त होते है। ओह, उनके आने और भैंस की तरह हर तरफ लोटने से पहले, यदी मैं आ गया होता तो ये सब ढुँढना कितना आसान होता। ये वह जगह है जहाँ चौकीदार और उनके आदमी आये होंगे और उन्होने लाश के चारो और छह-आठ फिट की दुरी तक निशानों को ढक दिया होगा। लेकीन यहाँ एक ही पैरों के तीन अलग अलग निशान बने हुए है।” उन्होने लेंस निकाला और खुद से, ना की हमसे, बातें करते हुए अपने पानीरोधक जॅकेट पर लेट कर ध्यानपुर्वक निरीक्षण करने लगे। “ये तो मॅकार्थी जुनियर के पैरों के निशान है। दो बार वे चल रहे थे और एक बार वे जल्दी जल्दी दौड रहे थे, इसलिये तलवों के निशान एडीयों से ज्यादा गहरे दिख रहे है। यही उनकी कहानी बयान कर रहे है। जब उन्होंने अपने पिता को जमीन पर देखा तो वे दौडे होंगे. फिर यहाँ उनके पिता के पाँव के निशान है, जो कि उपर निचे लग रहे है। फिर ये क्या है? यह तो बंदुक के पिछले भाग का हिस्सा लग रहा है, जब बेटा सुन रहा होगा। और यह? हा..,हा..! हमें यहाँ क्या मिला? जुतों के निशान! चौकोन, बडे अजीब जुते है! वे आ रहें है, वे जा रहें है, वे फिर आ रहे है- यकिनन उस लबादे के लिये। अब वे आये कहाँ से?” वे उपर और नीचे दौड रहे थे, कभी निशान छुट रहे थे तो कभी मिल रहे थे, जब तक कि हम सभी जंगल के किनारे, घने पेड की छाँव तले, जो की आसपास के पेडों में सबसे बडा था, आराम से पहुँच ना गये। होम्स अपना रास्ता दुसरी ओर ढुँढ रहे थे और वे एक बार फिर, अपने चेहरे पर एक सुख भरा आनंद लिये, लेट गये। वे लंबे समय तक पत्तों और सुखी लकडीयों को उलटाते पलटाते, उन्हें जमा करते वहाँ रहे। मेरे मुताबिक वे एक धूल से भरे लिफाफे की तरह लग रहे थे, और हाथ में एक लेंस लिये जमीन ही नही दरख्तों के आखरी छोर तक कुछ ढुँढते नजर आ रहे थे। दलदल के उपर एक नुकीला पत्थर पडा था। उसका भी उन्होंने सावधानीपुर्वक निरीक्षण किया था। फिर उन्होंने जंगल में से एक पगडंडी पकडी और चलते हुए एक महामार्ग पर पहुँच गये, जँहा सभी निशान समाप्त हो गये।
“यह एक मजेदार और महत्वपुर्ण केस है।” उन्होने नैसर्गिक भाव में वापस आते हुए अपनी टिप्पणी दी। “मैं समझता हुँ दाँयी ओर का यह जो मटमैला सा घर है, एक रैनबसेरा है। मैं सोचता हुँ कि मैं अंदर जाकत मोरान के साथ कुछ बातचित करूँ, और शायद एक छोटी सी टिप्पणी भी लिखुँ। इतना करके हम लोग दोपहर के खाने के लिये वापस चल सकते है। आप गाडी तक पैदल पहुँचें, जब तक मैं भी आता हुँ।”
करीब दस मिनट हुए होंगे हमें अपनी गाडी तक पहुँचे और फिर हम सब रॉस की तरफ वापस जाने लगे। होम्स के हाथों में अब भी जंगल से मिला वह नुकीला पत्थर था।
“लेस्ट्रॅड तुम्हें शायद इस पत्थर में दिलचस्पी हो,” उन्हें दिखाते हुए वे बोले, “यह खुन इसी पत्थर से हुआ था।”
“मैं तो इस पर कोई निशान नही देख रहा हुँ।”
“कोई निशान नहीं है।”
“फिर, तुम्हें कैसे पता चला?”
“इसके नीचे घास उगी हुई थी। यह अभी कुछ ही दिनों पहले वहाँ पडा हुआ था। इस पर और कोई निशान नहीं है, जिससे ये पता लगे कि ये कहाँ से उठाया गया है। इसका संबंध घावों से है। किसी और हथियार के कोई भी सुराग नहीं है।”
“और वह खुनी?”
“वह एक लँबा आदमी है, बाँए हाथ से काम करने वाला, दाँए पैर से लँगडाते हुए चलने वाला, जो बडी एडीयों वाले शिकारी जुते और मटमैले रंग का लबादा पहनता है, जो इंडियन सीगार पीता है, सीगार केस रखता है और अपने साथ छोटा कुंद चाकू भी रखता है। और भी कई संकेत मिले है, किंतु फिलहाल इतने हमारी खोज के लिए पर्याप्त है।”
लेस्ट्रॅड हँसा. “मुझे डर है कि मैं अब भी नास्तिक ही हुँ,” वह बोला। सभी सिद्धांत बिल्कुल सही है, किंतु हमें कठोर दिल वाले ब्रिटिश न्यायाधिशों से भी निपटना पडेगा।”
“सामान्य बात है..!” होम्स ने शांती से उत्तर दिया। “तुम अपने ढंग से काम करो और मैं अपने तरीके से। मैं शायद इस दोपहर तक मशरूफ रहुँगा, और शायद शाम की ट्रेन से आपस लंडन को रवाना हो जाऊँ।”
“और अपना केस अधुरा छोड दोगे?”
“नहीं, खत्म कर चुका।”
“किंतु वह रहस्य?”
“वह तो हल हो चुका है।”
“तो, खुनी कौन है?”
“वही, जिसका मैंने जिक्र किया।”
“लेकिन वह कौन है?”
“उसे ढुँढना इतना भी कठीन नहीं है। यह कोई इतना भी मशहुर मोहल्ला नहीं।”
लेस्ट्रॅड ने अपने कँधे उचकाये। “मैं एक व्यावहारिक इंसान हुँ,” वह बोला, “और मुझमे पुरे देश में उस बाँये हाथ वाले लँगडाते आदमी को ढुँढने की हिम्म्त नहीं है। मैं पुरे स्कॉटलॅड में हँसी का पात्र बन जाउँगा।”
“ठिक है,” होम्स शांती से बोले। “मैंने तुम्हे एक मौका दिया है। यह रहा तुम्हारा सामान। खुदा हाफिज। मैं जाने के पहले तुमसे मिलता जाऊँगा।”
लेस्ट्रॅड को अपने कमरे में छोडते हुए, वे हमारे हॉटेल में आ पहुँचे, जहाँ उन्होने टेबल पर दोपहर के भोजन को सजा देखा। होम्स शांत थे और वे चेहरे पर शिकन लिये किन्ही ख्यालों में खोये थे, मानो किसी पहेली में उलझ गये हो।
“यहाँ देखो, वॉटसन,” वे बोले जब सब कुछ साफ हो गया, बस इस कुर्सी पर बैठ जाओ और मुझे तुमसे कुछ देर बात करने दो। मैं नही जानता कि मुझे ठिक ठिक क्या करना चाहिये, और मुझे तुम्हारी राय की आवश्यकता है। एक सीगार जलाओ और मुझे ठिक से व्याख्या करने दो।”
“प्रार्थना करो।”
“ठिक है, अब, इस केस की बात करें तो इसमें मॅकार्थी जुनियर की दो बाते हम दोनों को खटक रही है, हालाँकी मुझे उसकी बातों ने काफी प्रभावित किया, किंतु तुम उसके विरुद्ध थे। पहला तथ्य यह कि उसके कहे अनुसार, उसके पिता मरते वक्त उसे देखने से पहले, ‘कूईईई!’ ऐसे चिल्लाये थे। उसके द्वारा रखा गया दुसरा मुद्दा, एक मरते हुए चुहे की आवाज का था। वह कई तरह की आवाजो में बडबडा रहा था, तुम समझ रहे होंगे, किंतु वह क्या था जिसे उसके कानों ने सुना होगा। तो अब इन दो मुद्दों को लेकर हमें हमारी खोज को आगे बढना चाहिये, और हम इसे उस लडके की बात को सत्य मानते हुए आगे बढायेंगे।”
“फिर वह ‘कूईईई!’ क्या है?”
“जाहिर सी बात है, ये उस बच्चे के प्रति नही कही गई होगी। वह लडका, जहाँ तक उसे पता है, ब्रिस्टल में रहता है। ये महज इत्तेफाक है कि उसके कानों को आभास हुआ होगा। ‘कूईईई!’ यह एक संकेत मात्र होगा कि जिससे हमे मिलना हो उसे इस प्रकार आवाज दें। किंतु ‘कूईईई!’ यह यकिनन एक ऑस्ट्रेलियन आवाज है, और यह ऑस्ट्रेलियन्स के बीच बोली जाने वाली आवाज है। इस बात का पक्का यकिन है कि जिस व्यक्ति को मॅकार्थी बॉस्कॉम्बे तालाब के पास मिलना चाहता होगा वह ऑस्ट्रेलिया में रह चुका होगा।
“उस चुहे के बारे में क्या?”
शरलॉक होम्स ने एक लिपटा हुआ कागज अपनी जेब से बाहर निकाला और उसे टेबल पर खोल के सीधा किया। “ये विक्टोरिया कॉलोनी का एक नक्शा है,” वे बोले। “मैंने इसे कल रात ब्रिस्टल से मँगवाया था।” उन्होने अपना हाथ नक्शे के एक हिस्से पर रखा। “इसे पढो जरा?”
“अरॅट (ARAT) ” मैंने पढा।
“और अब?” उन्होंने हाथ हटाया।
“बालारॅट (BALAARAT)”
“बिल्कुल सही। यही वह शब्द है जो उस आदमी ने बडबडाये थे, और वह लडका आखरी के दो शब्द ही सुन पाया होगा। वह उस खुनी का नाम उच्चारने की कोशिश कर रहा था। वह नाम है, बालारॅट।”
“बहुत खूब!” मैं खुशी से चिल्लाया।
“यह स्वाभाविक है। और अब, तुम देखो, मैनें किस तरह इस गुत्थी को संकुचित कर दिया है। उस मटमैले लबादे का मिलना यह वह तीसरा मुद्दा है, जो उस लडके के बयान को सही ठहराती है, जो यकीन-ऐ-काबील भी है। अब हम बहुत सी अस्पष्ट बातों में से एक पक्की बात पर आ सकते है कि वह खुनी एक ऑस्ट्रेलियन है जो बालारॅट है और मटमैले रंग का लबादा ओढे रहता है।”
“बिल्कुल।”
“और वह जो उस समय घर पर ही था, क्यों की तालाब को जाने वाला रास्ता खेत से या फिर कोठी से होकर ही गुजरता है, जहाँ कोई नया आदमी आता जाता नही।”
“बिल्कुल सही।”
“अब हम आज की गतिविधीयों पर आ जाते है। जमीन के निरिक्षण से मुझे कुछ चौंकाने वाले तथ्य मिले है, जो मैंने उस मुर्ख लेस्ट्रॅड को दिये थे, जो किसी आरोपी से कम नही।”
“फिर तुम्हे वह मिले कैसे?”
“तुम्हे मेरे काम करने का तरीका पता है। यह पाया जाता है व्यर्थ के कुढे कचरे में से।”
“मैं उसके पाँव के निशान से उसकी उँचाई जान सकता हुँ। उसके जुते भी उन निशान के द्वारा यह बात बता सकते है।”
“हाँ, वे बडे विचित्र जुते थे।”
“लेकिन, उसका लँगडापन? ”
“उसके दाँये पाव का निशान हमेशा उसके बाँये पाँव से कम गहरा था। वह एक पाँव पर कम वजन डालता होगा, क्यों? क्यों की वह लँगडा था।”
“किंतु उसके बाएँ हाथ से काम करने वाली बात।”
“आपके घाव खुद आपके टकराने की बात सिद्ध करते है। वार अचानक पिछे से किया गया, और वह भी बाँयी तरफ। तो यह कैसे संभव है जब तक की वार करने वाला बाएँ हाथ से काम करने वाला ना हो? उसने वहाँ धुम्रपान भी किया। मुझे वहाँ सीगार की राख भी मिली, अपने अनुभव से मैं राख की गंध से ये कह सकता हुँ कि वह एक इंडियन सीगार थी। तुम जानते हो, मैंने 140 अलग अलग प्रकार के पाईप्स, सीगार और तंबाखु के बारे एक छोटा सा शोध-प्रबंध भी लिखा है। मुझे जब वह राख मिली, तब मैंने चारों ओर देखा और मुझे सीगार का बचा हुआ टुकडा दलदल के उपर दिखाई दिया। वह एक इंडियन सीगार थी, जो की रॉटरडॅम में बनायी जाती है।
“और वह सीगार होल्डर?”
“मैंने ये देखा कि सीगार का एक छोर मुँह से लगा नहीं था। इसलिये वह होल्डर का इस्तेमाल करता था। सीगार का दुसरा छोर कटा हुआ था ना की मुँह से कुतरा हुआ, लेकीन कटा हुआ छोर साफ नहीं था इसलिये मैंने कहा कि उसके पास एक छोटा कुंद चाकू होगा।”
“होम्स,” मैंने कहा, “तुमने अपराधी के चारों तरफ एक जाल बिछा रखा है, जिससे वह बच नहीं सकता, और तुमने एक निर्दोष जीव को बचाया है, सही मायने में तुमने उसके गले की उस रस्सी को काट डाला है जो उसको लटका रही थी। मैं उस दिशा में देख रहा हुँ जहाँ सभी सुईयाँ उस अपराधी को इंगित कर रही है। अपराधी है ---”
“मि, जॉन टर्नर,” चिल्लाते हुए होटल के वेटर ने एक मेहमान को हमारे बैठने के कमरे का दरवाजा खोलते हुए अंदर भेजा।
जो आदमी अंदर आया था वह एक अजीब सा और प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी था। उसकी धीमी चाल, लँगडाते कदम और झुके हुए कँधे उसका वर्णन खुद कर रहे थे, और उसके कठोर, गहरी रेखाएँ और चट्टान के समान विशेषताएँ तथा उसकी बडी बडी टाँगे ये दर्शाती थी कि वह अनोखी शक्ति व चरित्र का धनी था। उसकी उलझी दाढी, बिखरे बाल और बडी घनी भँवे ये सब उसके व्यक्तित्व को और ज्यादा गौरवांवित व ताकतवर बना रही थी, लेकिन उसका चेहरा राख की तरह सफेद था, जबकी ओंठ और नाक के कोने हल्के नीले रंग लिये थे। मेरे लिये ये जानना पर्याप्त था कि वह किसी असाध्य और संक्रामक रोग से ग्रसित है।
“दुआ करे और सोफे पर बैठ जाये,” होम्स ने शांती से कहा। “आपको मेरा संदेश मिला होगा?”
“हाँ, उस चौकिदार ने लाकर दिया था। आपने कहा था कि यदी आप विवाद मे फँसना नहीं चाहते हो आकर के मिले।”
“मैंने सोचा कि यदी मैं हॉल तक गया तो लोग बेवजह की बातें बनायेंगे।”
“और आप मुझसे मिलना क्यों चाहते है?” वह अधीर आँखों से मेरे साथीयों की तरफ देखता हुआ बोला, हालाँकी उसके प्रश्न का जवाब उसे पहले ही मिल चुका था।
“हाँ, होम्स ने कहा, वे उसके रूप को देखते हुए बोले ना की उसके प्रश्न को। “वह इसलिये कि मैं मॅकार्थी के बारे में सबकुछ जान चुका हुँ।”
उस बुढे आदमी ने अपना चेहरा अपने हाथों में छुपा लिया। “भगवान मुझे बचायें!” वह रो पडा। “किंतु मैं उस युवक को जरा भी तकलिफ देने की चेष्टा नहीं करुँगा। मैं वचन देता हुँ कि जो कुछ मैंने कहा वह न्यायालय में उसके खिलाफ नहीं जायेगा।”
“मुझे सुनकर खुशी हुई,” होम्स ने गंभीरता से कहा।
“मैं अब सबकुछ कह चुका और यह मेरी बेटी के हित में नहीं होगा। यह उसके दिल तोडने वाली बात होगी- उसका दिल टुट जायेगा जब उसे पता चलेगा कि मुझे गिरफ्तार किया गया है।”
“शायद ऐसा ना हो,” होम्स ने कहा।
“मैं आधिकारिक व्यक्ति नहीं हुँ। मैं समझता हुँ कि ये आपकी बेटी के चाहने कि वजह से हुआ है, और मैं उनकी ईच्छनुसार ही ये काम कर रहा हुँ। आखिरकार युवक मॅकार्थी को छुट जाने चाहिये।”
“मैं एक मरणासन्न व्यक्ति हुँ,” बुढे टर्नर ने कहा। “मुझे कई सालों से डायबिटीज है। मेरे डॉक्टर का कहना है कि मैं शायद एखाद माह ही जीवीत रह पाऊँगा। सो मैं कारागृह के बजाय अपने घर में ही मरना चाहुँगा।”
होम्स खडे हुए और टेबल के समीप अपने हाथों में पेन और पेपर का गट्ठा लेकर बैठ गये। “हमें सिर्फ सच बात बताओ,” वे बोले। “मैं उन बातों को लिख लेता हुँ। तुम उस पर अपने हस्ताक्षर कर देना। और वॉटसन गवाह बन जायेंगे। तभी मैं आपका इकरारनामा एक आखरी सिरे के तौर पर युवक मॅकार्थी को छुडाने हेतु इस्तेमाल कर सकुँगा। मैं आपको वचन देता हुँ कि मैं इसका इस्तेमाल बहुत जरूरत पडने पर ही करूँगा।”
“ठिक है,” उस बुढे आदमी नें कहा; “यहाँ सवाल ये है कि क्या मैं न्यायालय तक जाने के लिये बचा रहुँगा, अतः ये सब मेरे लिये कुछ खास मायने नहीं रखता, किंतु मैं अपनी बच्ची को कोई पिडा पहुँचाना नहीं चाहता। और अब मैं आपसे कुछ बाते साफ कर देना चाहता हुँ जिसे करने में काफी लँबा समय लग गया है किंतु बताने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
“आप इस मरे हुए मॅकार्थी को नहीं जानते। वह शैतान का अवतार था। मैं आपको बताता हुँ। भगवान आपको ऐसे आदमी के चुँगल से बचाये। उसने मुझे पिछले बीस सालों से जकड रखा था, और उसने मेरा जीना हराम कर दिया था। मैं आपको बताता हुँ कैसे मैं उसके आधिपत्य में आया।
“यह 1960 के शुरूआती दशक की बात थी। उस समय मैं एक नौजवान युवक था, गरम मिजाज और लापरवाह सा, कुछ भी करने को हमेशा तैयार; मेरी संगत बुरे लोगों में लग गयी, शराब पिना, बदकिस्मत, झाडियों में छुपकर बैठना और एक इशारे पर काम करना जिसे आप महामार्ग के लुटेरे कह सकते हो। हम छह लोग थे, और एक बेतरतीब जीवन बसर कर रहे थे, बेपरवाह, यहाँ से वहाँ, या फिर रास्तों के वाहनों को रोक कर उन्हें लुटना। मैं बालारॅट के काले चोर के नाम से विख्यात था, और आज भी हमारी टोली को लोग बालारॅट-गॅंग के नाम से याद करते है।
“एक दिन सोने से लदा एक काफिला बालारॅट से मेलबॉर्न की तरफ जा रहा था, और हम उसकी राह देखते हुए उस पर आक्रमन कर बैठे। उस पर छह जवान थे और हम भी छह थे, अतः वह एक आसान लडाई थी। चार को तो हमने पहले ही वार में लुडका दिया था। लूट का माल लेकर भागने से पहले, हमारे तीन आदमी मारे जा चुके थे। मैंने अपनी पिस्तौल वाहन चालक के कनपटी पर लगा दी, जो और कोई नही, बल्कि मॅकार्थी ही था। काश की मैंने उसी समय उसे मार दिया होता, लेकिन मैंने उसे छोड दिया, हालाँकी मैंने उसे अपनी बारिक कुत्सित आँखों को मेरे चेहरे पर गाडते हुए देखा था। वह सारा सोना अपने साथ ले गया, एक अमीर आदमी बनाया गया, और बिना किसी शक के इंगलॅड की ओर रवाना हो गये। फिर मैं अपने पुराने यारों से अलग हो गया और एक शांत और आदरणिय जीवन व्यापन करने की सोची। मैंने यह जायदाद खरीदी, जो संयोगवश बाजार के बीच में स्थित है, और इस प्रकार मैं कुछ धन कमाने में यशस्वी रहा।
मैंने शादी भी कर ली, और हालाँकी मेरी पत्नी युवावस्था में ही गुजर गई लेकिन मेरे वास्ते एक प्यारी सी बेटी एलिस को छोड गई। जब वह छोटी थी, तभी से उसका नन्हा हाथ मेरा उचित मार्गदर्शन किया करता था अन्यथा मैं कुछ ना कर पाता। एक शब्द में कहुँ तो मैं एक नये पत्ते की तरह खिल गया और अपने अतीत को सुधारने की कोशीश करने लगा। सबकुछ ठिक चल रहा था कि मॅकार्थी ने अपना शिकंजा मेरे उपर कसना शुरू कर दिया।
मैं कुछ निवेश के काम से शहर गया था, और मेरी मुलाकात उससे रिजंट स्ट्रीट पर हुई। तन पर बमुश्किल कोई कपडा और पैर में कोई जुता भी ना था।
“तो हम यहाँ मिल ही गये जॅक,” उसने मुझे कंधे से छुते हुए कहा; “हम तुम्हारे परिवार की तरह ही रहेंगे। हम सिर्फ दो लोग है, मैं और मेरा बेटा, और ऐवज में तुम हमारा सब कुछ रख सकते हो। यदी नहीं रखा तो इंगलॅड एक सुशासित देश है और यहाँ हर तरफ पुलिसवाले खडे होते है।”
“तो, इस प्रकार वे यहाँ पश्चिमी देश में आ पहुँचे, और अब उन्हें कोई हिला नहीं सकता था, और तब से वे मेरी सबसे बढिया जमीन पर बिना किसी किराये के रह रहें है। मेरे लिये कोई आराम नहीं था, कोई शांती नहीं, भुलक्कड सा हो गया था मैं; जहाँ भी देखता उसका शातीर और काँईयाँ चेहरा मेरे आसपास दिखाई देता। यह सब एलिस के बडे होते होते और भी ज्यादा भयावह होता गया, जब उसे यह पता चला कि मैं पुलिस से ज्यादा अपनी बेटी से अपने भुतकाल के पता होने के कारण भयभित था। उसे जो चाहिये होता वह ले लेता, और मैं बिना कुछ पुछे उसे अपनी जमीन, जायदाद देता गया। और अंत में उसने मेरी बेटी को भी मुझसे माँग लिया।”
“उसका बेटा, आपने देखा होगा, कितना बडा हो गया है, और मेरी बेटी भी, और उसे मेरी खराब होती तबीयत के बारे में भी पता था। उसे यह एक बढिया चाल लगी कि उसका बेटा अब पुरी जायदाद पर अपने कदम रखें। लेकिन मैं अपने फैसले पर अडिग था। मैं उसके पाप के धन को अपने में समाहित नहीं कर सकता था; ऐसा नहीं है कि मैं उसे नापसंद करता था, लेकिन उसमें भी तो उसके बाप का ही खुन दौड रहा था। मैं अडिग खडा था। मॅकार्थी ने मुझे धमकाया। मैनें उसका डट कर सामना किया। हमें अपने दो घरों के बीच पडने वाले तलाब के किनारे मिलना था।”
“जब मैं वहाँ पहुँचा तो मैने देखा वह अपने बेटे से कुछ बात कर रहा है, अतः उसके बेटे के चले जाने तक मैं एक पेड के पिछे छुप कर सीगार पीने लगा। लेकिन जब मैंने उसकी मेरे प्रति कडवी बाते सुनी तो मेरा खुन खौल उठा। वह अपने बेटे से मेरी बेटी के साथ विवाह की बात कुछ ऐसे कर रहा था जैसे वह कोई गली की फुहड लडकी हो। मैं यहाँ सोच कर पागल हुआ जा रहा था कि मेरी अमुल्य संपत्ती और जो कुछ मेरा प्रिय मेरे पास था वह सब इस आदमी के पास जाने वाला था। क्या मुझे यहाँ रिश्ता तोड नहीं देना चाहिये। मैं तो मरने के लिये बेकरार आदमी था। सो मैने यह सब साफ तरिके से सोच कर अपना भाग्य तय कर लिया था। लेकिन मेरी यादें और मेरी बेटी! दोनों बच सकते थे यदी मैं उसकी गंदी जुबान बंद कर दुँ। और मैंने किया भी, मि. होम्स। इसे मैं फिर करना चाहुँगा। मैं पाप से भरा हुआ हुँ, मैंने शहादत भरी जिंदगी जी है। किंतु मेरी बेटी भी उन्हीं काँटो भरी झाडियों में फँसे, जिसने मुझे फँसाया था, ये मैं कदापी नहीं चाहुँगा। मैंने बिना किसी मलाल के उस पर वार किया मानों वह कोई जहरिला जानवर हो। उसकी चिल्लाहट ने उसके बेटे को वापस आने पर मजबुर किया; लेकिन मैं घने पेडों के पिछे छुप गया, हालाँकी मुझे मेरा लबदा लाने के लिये फिर से वहाँ जाना पडा, जो मैने लडाई के दौरान गिरा दिया था। जो कुछ हुआ उसकी यही सच्ची कहानी है महोदय।”
“ठिक है, किंतु मैं तुम्हारा फैसला नहीं कर सकता,” होम्स ने कहा जबकी वह बुढा आदमी अपने बयान पर दस्तखत कर रहा था, जो लिखा गया था। “मैं दुआ करता हुँ कि हम ऐसे किसी लालच में ना फँसे।”
“नही श्रीमान, और आप क्या करना चाहते है?”
“तुम्हारी हालत को देखते हुए, कुछ नहीं करना चाहता। तुम खुद भी जानते हो कि जल्द ही तुम्हे न्यायपिठ के अलावा उच्च न्यायालय में भी जवाब देना होगा। मैं तुम्हारा बयान अपने पास रखता हुँ, और यदी मॅकार्थी को दोषी ठहराया गया तभी मैं इसे इस्तेमाल करुँगा। यदी नही, तो इस बात का पता किसी भी जीवीत व्यक्ति को नही होगा, तुम जीवीत रहो या ना रहो, ये हमारे पास सदा सुरक्षित रहेगा।”
“अलविदा,” उस बुढे आदमी ने सत्यनिष्ठा से कहा। “मेरी मृत्युशैय्या जब आयेगी तब मैं आपकी बातों को याद करते हुये आराम से मर सकुँगा।” वह अपनी उँची पुरी काया में डगमगाते व हिलते हुए कमरे से बाहर गिरते पडते चला गया।
“हे ईश्वर, रक्षा करों!” एक लँबी चुप्पी के बाद होम्स बोले। “क्यों नसीब इन गरिबों, बेसहारा लोगों के साथ ही ऐसे खेल खेलती है? मैंने इसके पहले कभी इस प्रकार के केस के बारे नहीं सुना होगा और बॅक्सटर के कहेनुसार, “वहाँ, किंतु भगवान के कृपा से, शरलॉक होम्स आगे बढता जाता है ।”
जेम्स मॅकार्थी को, होम्स के द्वारा उपस्थित कई आपत्तियों के मध्येनजर, जो प्रतिवादी वकिल को उन्होने दिये थे, न्यायविदों ने बाइज्ज्त रिहा कर दिया। बुढा टर्नर हमारी मुलाकात के बाद सात महिनों तक जिंदा रहा, अब वह मर चुका है; और इस बात की पुरी गुँजाईश है कि दोनो, बेटे और बेटी दोनों विवाह कर, बिना अपने काले भुतकाल के काले बादलों को जाने, सुख से जीवन बसर कर रहे होंगे।