टॉम सॉयर/सौयर के साहस भरे काम (उपन्यास) : मार्क ट्वेन

The Adventures of Tom Sawyer (English Novel in Hindi) : Mark Twain

बहादुर टॉम-1

‘‘टॉम !’’

कोई उत्तर नहीं।

‘‘ओ टॉम ! आखिर हो क्या गया है इस लड़के को ? ओ टॉम !’’

बूढ़ी पाली मौसी ने अपना चश्मा नाक पर नीचे गिराकर, उसके ऊपर से कमरे के चारों ओर नजर दौड़ाई। फिर उन्होंने चश्मे को माथे पर चढ़ाकर चारों ओर देखा। चश्मे के अन्दर से शायद ही कभी उन्होंने देखने की कोशिश की हो। और सच तो यह है कि वह चश्मा आंख की कमजोरी के कारण नहीं, फैशन के लिए लिया गया था। वे थोड़ी देर तक उलझन में पड़ी रहीं, फिर कर्कश स्वर में तो नहीं, किन्तु स्वर को इतना तेज बनाकर जरूर बोलीं कि कम से कम कमरे में रखे फर्नीचर उनकी बात सुन सकें, ‘‘आज अगर मैं तुझे पकड़ पाऊं तो मैं.....’’

किन्तु वे अपनी बात पूरी नहीं कर सकीं, क्योंकि उन्होंने झुककर बिस्तर के नीचे भाड़ू पीटना शुरू कर दिया था।

किन्तु झाड़ू पीटकर वे बिस्तर के नीचे से एक बिल्ली के अतिरिक्त और कुछ नहीं निकाल सकीं।

‘‘ओफ, ऐसा लड़का तो मैंने कहीं देखा ही नहीं !’’

दरवाजे पर जाकर उन्होंने बाग में फैले टमाटर के पौधों और ‘जिम्पसन’ के वृक्षों के बीच भी देखा, मगर कहीं भी टॉम का पता न था। सो अपने स्वर को काफी ऊंचा करके चिल्लाई, ‘‘ओ....टॉम !’’

तभी उनके पीछे हल्की-सी आवाज हुई और उन्होंने, तुरंत मुड़कर धर दबोचा भागते हुए टॉम को। टॉम भाग नहीं सका। ‘‘हूं ! मुझे इस अलमारी का तो खयाल ही नहीं आया था। इसमें घुसकर क्या कर रहा था तू ?’’

‘‘कुछ भी तो नहीं।’’

‘‘कुछ नहीं ! जरा अपने हाथों और मुंह को तो देख ! यह क्या चुपड़ रखा है हाथ-मुंह में ?’’

‘‘मुझे कुछ पता नहीं, मौसी !’’

‘‘मगर मुझे पता है ! यह है मुरब्बा, है न ? सैकड़ों बार कह चुकी हूं तुझसे कि मुरब्बा न छुआ कर, वरना तेरी चमड़ी उधेड़कर रख दूंगी मारते-मारते ! ला, वह कोड़ा मुझे दे !’’

और कोड़ा हवा में नाच उठा। टॉम के मुंह पर हवाइयां उड़ने लगीं।

‘‘अरे बाप रे ! जरा अपने पीछे तो देखो मौसी !’’

मौसी तेजी से घूम गई और खतरे से बचने के लिए अपने स्कर्ट को झाड़ने लगी। बस, टॉम तेजी से भाग खड़ा हुआ। पलक झपकते ही चारदीवारी को एक छलांग में पार कर, वह गायब हो गया। क्षण-भर पाली मौसी आश्चर्य में पड़ी खड़ी रह गई, फिर स्नेहसिक्त हंसी फूट पड़ी उनके मुख से।

‘‘भाड़ में जाए यह लड़का ! पता नहीं क्यों, मैं कभी कुछ समझ ही नहीं पाती। जाने कितनी बार इस तरह के चकमे दिए होंगे इस लड़के ने मुझे, मगर मैं हूं कि अभी तक उसकी चालाकियों को समझ नहीं पाई। अरे, बूढ़ा तोता कहीं राम-राम पढ़ता है ! लेकिन यह चकमा देने के तरीके भी तो बहुत-से जानता है। एक बार जो तरीका इस्तेमाल कर लेता है, उसे दूसरी बार इस्तेमाल नहीं करता। फिर कोई कैसे जाने कि कब कौन-सी चालाकी चलने जा रहा है यह !....मैं जानती हूं कि इस बच्चे के प्रति अपने कर्तव्य का पूरी तरह पालन नहीं कर पा रही हूं मैं। पुस्तकों में लिखा है कि डंडे को अलग रखना बच्चे को खराब करना है। मगर वह बेचारी मेरी स्वर्गीया बहन का बच्चा है, और मैं अपने हृदय को इतना कठोर नहीं बना पाती कि उसकी पिटाई करूं। जब मैं उसे मनमानी करने देती हूं तो मेरी अन्तरात्मा मुझे कोसती है, और कभी उसे पीट देती हूं तो मेरा बूढ़ा हृदय दुख से भर उठता है। ओह ! स्त्री का जीवन कितना कुंठामय होता है।....मैं जानती हूं, आज दोपहर-भर वह ‘हूकी’ खेलेगा, और मैं बच्चू को दंड देने के लिए कल दिन-भर काम में लगाकर समझ लूंगी मेरा फर्ज पूरा हो गया। शनिवार के दिन उससे काम लेना कठोरता हो सकती है, क्योंकि सभी बच्चे शनिवार को छुट्टी मनाते हैं। मगर क्या करूं, मुझे उसके प्रति अपना कर्तव्य कुछ-न-कुछ तो निभाना ही है। अगर मैं ऐसा नहीं करूंगी तो लड़का बर्बाद हो जाएगा।

और टॉम सचमुच उस दिन दोपहर-भर ‘हूकी’ खेलता रहा।

घर लौटने पर वह दोपहर का खाना खा रहा था और बीच-बीच में मौका पाने पर चीनी- चुरा-चुराकर फांकता जा रहा था, तभी पाली मौसी ने उससे बड़े टेढ़े-मेढ़े सवाल पूछने शुरू कर दिए। वे उसे कुछ ऐसा उलझा देना चाहती थी कि वह स्वयं ही अपनी दिन-भर की शैतानियां बयान कर डाले। अन्य सरल हृदय व्यक्तियों की तरह पाली मौसी भी समझती थीं कि उनके जैसा कूटनीतिज्ञ शायद ही कोई और होगा, और यही समझकर टॉम को अपने प्रश्नों के जाल में फंसाने की कोशिश भी करती थीं। मगर टॉम भी पूरा घाघ था। पाली मौसी की हर चाल का आभास जैसे पहले से ही पा लेता था वह, और बड़ी सफाई से उनके जाल से बच निकलता था।

आज भी मौसी के प्रश्नों का बहुत संभल-संभलकर उत्तर दिया उसने, और उनकी हर चाल से कतराने की कोशिश करता रहा।

अंत में मौसी ने अपनी समझ से सबसे टेढ़ा प्रश्न किया, ‘‘क्यों टॉम, खेल में तेरी कमीज का कालर भी नहीं फटा, जिसे मैंने कल ही सिया था ? जरा अपनी जैकट तो खोल !’’

मगर यह प्रश्न सुनकर टॉम के चेहरे पर रही-सही परेशानी भी गायब हो गई। उसने अपनी जैकेट का बटन खोल दिया। कालर ज्यों-का-त्यों सिला हुआ था।

मौसी हारकर बोली, ‘‘देख टॉम, मुझे अच्छी तरह पता है कि तू आज दिन-भर ‘हूकी’ खेला है और नदी में तैरा है। फिर भी आज मैं तुझे माफ किए देती हूं। लेकिन आगे के लिए याद रख, ऐसी हरकतें करेगा तो अच्छा नहीं होगा !’’

उन्हें इस बात का दुःख तो हो रहा था कि उनकी चाल नहीं चल सकी, किंतु इस बात की खुशी भी थी कि कम-से-कम टॉम का व्यवहार आज्ञाकारी लड़के की तरह तो था।

लेकिन तभी टॉम का छोटा भाई सिड बोल उठा, ‘‘मगर मौसी, तुमने तो इसका कालर सफेद डोरे से सिया था, पर इसका कालर इस समय काले डोरे से सिया देख रहा है।’’

‘‘हां, हां, मैंने तो सफेद डोरे से ही सिया था। क्यों रे टॉम ?’’

किंतु टॉम ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह कमरे के बाहर चला गया और जाते-जाते सिड को पिटाई करने की धमकी भी देता गया।

एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर उसने अपनी जैकेट में भीतर की तरफ खोंसी दो बड़ी सुइयों को ध्यान से देखा। एक सुई में सफेद डोरा पड़ा हुआ था और दूसरी में काला। अपने-आप ही जैसे उसके मुंह से निकल गया-‘‘सिड बीच में न टपक पड़ता तो मौसी कुछ भांप न पातीं। डोरे की तरफ उनका ध्यान ही कहां गया था ! ...मुश्किल तो यह है कि मौसी कभी मेरे कपड़े काले डोरे से सी देती हैं, कभी सफेद से। और मैं हूं कि इस तरफ ध्यान ही नहीं दे पाता। मगर सिड को तो मैं इसका मजा चखाए बिना मानूंगा नहीं।’’

किंतु दो मिनट में ही वह इस सारे झगड़े को भूल गया। इसलिए नहीं कि उसकी परेशानियां किसी अन्य व्यक्ति की परेशानियों से कम बोझिल थीं, बल्कि इसलिए कि एक नई चीज में ध्यान लग गया था उसका, जिसके आगे सब-कुछ भूल जाना स्वाभाविक ही था। अभी-अभी उसने एक तरीके से सीटी बजाना सीखा था और एकांत में वह अच्छी तरह उसका अभ्यास कर लेना चाहता था। सो टॉम सीटी बजाता हुआ घर से निकल पड़ा।

गर्मी की शामें जरा लंबी होती हैं, सो अभी अंधेरा नहीं हुआ था। टॉम ने एकाएक सीटी बजाना बन्द कर दिया। उसके सामने एक अपरिचित लड़का खड़ा था—उससे कुछ लंबा और बहुत बढ़िया कपड़े पहने हुए। दोनों एक-दूसरे से बोले तो नहीं, पर एक-दूसरे को बुरी तरह घूरते हुए, दोनों गोलाई में घूमते रहे और फिर उनमें तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई, जो बढ़कर पहले हाथा-पाई और फिर उठा-पटक में परिवर्तित हो गई।

उस दिन काफी रात बीते, वह घर लौटा। जब बड़ी सावधानी से वह खिड़की पर चढ़ा तो उसने मौसी को अपनी ही घात में बैठी पाया। मौसी ने जब लड़ाई-झगड़े के कारण बुरी तरह फटे हुए उसके कपड़ों को देखा, तो उसकी शनिवार की छुट्टी को अत्यधिक कार्य-व्यस्त बना देने का उनका इरादा दृढ़ निश्चय में परिवर्तित हो गया।

बहादुर टॉम-2

शनिवार की गर्म सुबह। हर तरफ जीवन मुस्करा रहा था, विहंस रहा था। हर व्यक्ति के हृदय में गीतों की धुनें गूंज रही थीं और नौजवान दिलों का संगीत तो उमड़-उमड़कर होंठों में छलक ही पड़ रहा था।

टॉम हाथ में सफेदी की बाल्टी और कूची लिए हुए घर से निकलकर चारदीवारी का निरीक्षण करने लगा। उसके चेहरे पर उदासी छा गई। चारदीवारी तीस गज लंबी और नौ फुट ऊंची थी। उसे ऐसा लगने लगा जैसे जीवन में कोई रस न हो, जैसे जीवन एक भार बन गया हो। एक आह भरकर उसने कूची को सफेदी में डुबोकर चारदीवारी के सबसे ऊपर वाले हिस्से में चलाया। कई बार चारदीवारी पर कूची चलाने के बाद टॉम निराश-सा एक वृक्ष की निचली डाल पर जा बैठा। तभी घर का नौकर जिम हाथ में बाल्टी लिए गुनगुनाता हुआ निकला। टाउन-पंप से पानी लाने में टॉम को हमेशा से घृणा थी, किंतु इस समय वह काम उसे घृणित नहीं लगा। कम-से-कम पंप पर कुछ लड़के-लड़कियों का साथ तो रहेगा, जो पानी पीने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए वहां हंसते-खेलते रहते हैं।

टॉम बोला, ‘‘सुन जिम, अगर मेरी जगह पुताई करने को तैयार हो, तो ला, मैं पानी ला दूं !’’

बड़े जोर से सिर हिलाकर जिम बोला, ‘‘नहीं मास्टर टॉम, नहीं ! मौसी ने मुझे हुक्म दिया है की सीधे पंप पर जाकर पानी ले आऊं। उन्होंने कहा है कि उन्हें शक है कि आप मुझसे पुताई करने को कहेंगे। इसलिए उन्होंने मुझे हुक्म दिया है मैं अपना काम करूं, बीच में कहीं रुकूं तक नहीं।’’

‘‘उन्होंने क्या कहा, क्या नहीं कहा, इसका खयाल न करो, जिम ! वे हमेशा ही इसी तरह की बातें बका करती हैं। लाओ, मुझे बाल्टी दो, मैं एक मिनट में पानी भर लाता हूं। वे कुछ जान भी न पाएँगी।’’

‘‘नहीं, मास्टर टॉम, मौसी मेरी बहुत बुरी तरह कुटम्मस करेंगी !’’

‘‘अरे, मौसी भला कभी किसी को मारती हैं, जो तुझे ही मारेंगी ? धमकियां वे जरूर बड़ी भयानक-भयानक देती हैं, मगर धमकियों से चोट तो लगती नहीं। सुन जिम, मैं तुझे कांच की गोलियां दूंगा। मान ले न मेरी बात !’’

जिम का मन डोलने लगा। और जब टॉम ने अपने अंगूठे का घाव दिखाने का लालच दिया, तो जिम इस लोभ का संवरण नहीं कर सका। बाल्टी जमीन पर रखकर उसने कूची ले ली। किंतु दूसरे ही क्षण जिम हाथ में बाल्टी लेकर तेजी से भागा। टॉम घबराकर कूची लेकर पुताई में लग गया और पाली मौसी विजयोल्लास से भरी हुई हाथ में स्लीपर लिए हुए, मैदान से घर की ओर चल दीं।

बड़े उदास-भाव से टॉम पुताई में लगा रहा। तभी बेन रोगर्स सेब खाता, स्टीमर चलाने की नकल करता, उछलता-कूदता आता दिखाई दिया। टॉम के निकट आकर उसने स्टीमर के कप्तान की हैसियत से स्टीमर रोकने का आदेश दिया और फिर स्टीमर रुकने की-सी आवाज मुंह से निकालता हुआ रुक गया।

टॉम पुताई में लगा रहा। उसने बेन की तरफ ध्यान भी नहीं दिया।

बेन क्षण-भर उसे देखता रहा, फिर बोला, ‘‘ओहो, तो जनाब, आप काम में लगे हैं !’’

टॉम ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने एक कलाकार की नजर से अभी-अभी पुते स्थल को देखा। फिर कूची को मजा लेते हुए चारदीवारी पर हल्के-से चलाया और फिर उस पुताई का निरीक्षण करने लगा पहले ही की तरह। बेन टॉम की बगल में खड़ा हुआ। सेब देखकर टॉम के मुंह में पानी भर आया, किंतु फिर भी वह अपने काम में ध्यान लगाए रहा।

बेन बोला, ‘‘कहो दोस्त, आज भी काम करना पड़ रहा है तुम्हें ?’’

‘‘अरे बेन ! मेरा तो ध्यान ही तुम्हारी तरफ नहीं गया।’’

‘‘मैं तो आज तैरने जा रहा हूं, टॉम ! तुम्हारी भी तो इच्छा हो रही होगी चलने की ! मगर तुम्हें काम करना है, है न ?’’

जरा देर टॉम विचारों में खोया खड़ा रहा, फिर बोला, ‘‘तुम इसे काम कहते हो ?’’

‘‘हां, काम नहीं तो और क्या है यह ?’’

टॉम ने फिर पुताई शुरू कर दी और लापरवाही से कहने लगा, ‘‘हो सकता है यह काम ही हो, हो सकता है यह काम न भी हो। मगर मैं तो केवल इतना जानता हूं कि टॉम सायर को इसमें मजा आ रहा है।’’

‘‘तो तुम्हारा मतलब यह है कि यह काम तुम्हें पसन्द है ?’’

‘‘पसंद है ? भई, न पसंद होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता। किसी लड़के को रोज-रोज चारदीवारी की पुताई करने का मौका भला मिलता है कहीं ?’’ और वह उसी तरह कूची चलाता रहा।

अब तो सारा नक्शा ही बदल गया। बेन ने अपने सेब को कुतरना बन्द कर दिया। टॉम ने कूची इधर-उधर चलाई, फिर पीछे हटकर उसका निरीक्षण किया, फिर आगे बढ़कर एक-दो जगह कूची चलाई, फिर पीछे हटकर निरीक्षण करने लगा। बेन सब-कुछ देखता रहा। टॉम के काम में उसकी दिलचस्पी निरंतर बढ़ती जा रही थी।

अंत में बोला, ‘‘यार टॉम, जरा मुझे भी पुताई करने दे न भैया !’’

टॉम ने जरा सोचा। फिर बेन की बात मानने को हुआ, किंतु एकाएक उसने अपना निश्चय बदल दिया ! बोला, ‘‘नहीं, नहीं, बेन, तुमसे यह करते नहीं बनेगा। मौसी का कहना है कि इस चारदीवारी की पुताई बहुत अच्छी होनी चाहिए। घर के सामने सड़क की तरफ वाली चारदीवारी है न यह, यही मुश्किल है। अगर पीछे वाली चारदीवारी होती तो मैं तुझे जरूर पुताई कर लेने देता और मौसी भी ध्यान न देतीं, अगर कुछ गड़बड़ी भी हो जाती। मैं जानता हूं, बेन, हजार-दो-हजार लड़कों में शायद ही कोई ऐसा होता है जो ठीक से पुताई कर सके !’’

‘‘अच्छा, ऐसी बात है ! सुनो टॉम, जरा-सी पुताई कर लेने दो न ! मैं तुम्हारी जगह होता तो तुम्हारी बात जरूर मान लेता।’’

‘‘मैं भी तुम्हारी बात मानना चाहता हूं, बेन, मगर पाली मौसी....! देखो न जिम भी पुताई करना चाहता था, मगर मौसी ने उसे साफ मना कर दिया। सिड भी करना चाहता था, लेकिन उसे भी उन्होंने इजाजत नहीं दी। अब तुम्हीं सोचो, मैं कैसी उलझन में फंसा हूं। अगर मैं तुम्हें पुताई करने दूं और कुछ गड़बड़ी हो जाए...।’’

‘‘मैं बहुत सावधानी से पुताई करूंगा, टॉम ! थोड़ी-सी कर लेने दो यार ! अच्छा सुनो, टॉम, मैं अपने सेब में से थोड़ा-सा तुम्हें भी दे दूंगा।’’

‘‘नहीं बेन, नहीं, मुझे डर लगता है...।’’

‘‘मैं तुम्हें पूरा सेब दे दूंगा, टॉम !’’

बड़े अनमने भाव से टॉम ने कूची छोड़ दी, किंतु उसका मन अत्यधिक प्रसन्नता और उत्साह से भर उठा था। क्षण-भर बाद ही वह अवकाश प्राप्त कलाकर टॉम छांह में एक पीपे पर जा बैठा और सेब खाता हुआ मन-ही-मन अन्य भोले-भाले लड़कों को मूंडने की योजना तैयार करने लगा। लड़के आते गए और टॉम के जाल में फंसते गए। वे आते टॉम को चिढ़ाने की गरज से, किंतु फंस जाते पुताई में। बेन को जब तक थकान महसूस होने लगी, तब तक टॉम ने बिली फिशर को पतंग के बदले में पुताई करने की इजाजत दे दी थी। और उसके थकने के बाद जानी मिलर को एक मरा हुआ चूहा देने के बदले में पुताई करने का मौका मिल गया। उस मरे हुए चूहे की पूंछ में एक डोरी बंधी हुई थी, ताकि उसे नचाया जा सके। घंटे-पर-घंटे बीतते गए और टॉम के पास भेंटों का अंबार लगता गया। सुबह का अकिंचन टॉम इस समय तक खासा मालदार बन चुका था। चाक के टुकड़े, कांच की गोलियां, पटाखे, कुत्ते का पट्टा, चाकू का हैंडिल, नीली टूटी हुई शीशी का टुकड़ा आदि अनेक बहुमूल्य वस्तुओं का ढेर लग गया था उसके चारों ओर। टॉम सारे लड़कों के साथ हंसता-बोलता मौज से बैठा रहा और चारदीवारी पर पुताई की तीन कोटिंग भी हो गयी। इस समय तक सफेदी खत्म न हो गयी होती, तो वह शायद गाँव के हर लड़के को दिवालिया बना देता।

टॉम मन-ही-मन सोचने लगा कि संसार वास्तव में उतना निस्सार नहीं है, जितना वह समझ रहा था। अनजाने ही उसने मानव-मन की एक बहुत बड़ी कमजोरी का पता लगा लिया था कि वह काम वही है जिसे मनुष्य को बिना रुचि के जबर्दस्ती करना पड़े।

टॉम पाली मौसी के पास विजय-गर्व से झूमता हुआ गया। बोला, ‘‘अब तो मैं खेलने जाऊं न, मौसी ?’’

‘‘अरे, अभी से ! कितनी पुताई कर डाली तूने, पहले यह तो बता ?’’

‘‘पूरी चारदीवारी पुत गई, मौसी।’’

‘‘क्यों झूठ बोलता है रे टॉम...यह तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।’’

‘‘झूठ नहीं बोल रहा हूं, मौसी, चारदीवारी सचमुच पुत गई है।’’

इस तरह की बातों में मौसी ने विश्वास करना नहीं सीखा था। वे स्वयं अपनी आंखों से देखने गयीं। उन्होंने पूरी-की-पूरी चारदीवारी पुती हुई देखी, तो आश्चर्य से आंखें फाड़े देखती ही रह गयीं। विह्वल स्वर में बोलीं, मैंने तो कल्पना भी नहीं की थी कि तू इतनी जल्दी इतनी अच्छी पुताई कर सकेगा।...तो इसका मतलब है कि अगर तू चाहे तो काम भी कर सकता है, टॉम !’’ मगर तुरंत ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया, ‘‘लेकिन काम करने का मन तो तेरा बहुत मुश्किल से ही कभी होता है।...अच्छा जा, खेल-कूद आ ! मगर देख समय से नहीं लौटेगा तो मैं तेरी कुटम्मस करूंगी।’’

टॉम से इतनी खुश हो गई थीं मौसी कि उसे अलमारी के पास ले जाकर एक बढ़िया-सा सेब छांटकर दिया।

टॉम दांतों से सेब कुतरता घर से निकल पड़ा।

जेफ थैकर के मकान के पास से गुजरते-गुजरते एकाएक टॉम रुक गया। बाग में एक नई लड़की खड़ी थी—अत्यधिक सुंदर, अत्यधिक सुकोमल ! उसकी नीली आंखों, सुनहरे बालों की लंबी-लंबी चोटियां, सफेद फ्राक और बड़े सुंदर डिजाइनों से कढ़े हुए घाघरे ने मिल-जुलकर जैसे विमोहित कर दिया उसे। क्षण-भर में ही एमी लारेंस उसकी हृदय की परतों में से निकलकर विस्मृति के कुहासे में खो गई। कभी वह सोचा करता था कि वह एमी को प्यार करता है।। महीनों उसका मन जीतने के लिए उसने यत्न किए थे। अभी हफ्ते-भर पूर्व ही उसने स्वीकार किया था कि वह भी टॉम को प्यार करती है, और तब उसने समझा था कि वह दुनिया में सबसे ज्यादा खुशनसीब लड़का है। किंतु अभी क्षण-भर में एमी ऐसे निकल गई उसके हृदय से, जैसे कोई अपरिचित हो वह।

वह इस नई लड़की को सराहना-भरी नजरों से देर तक एकटक देखता रहा, जब तक कि उसने टॉम को देख नहीं लिया। उसकी नजर पड़ते ही टॉम ऐसा करने की कोशिश करने लगा जैसे उसकी उपस्थिति की उसे कोई जानकारी ही न हो। उसकी प्रशंसा का पात्र बनने के प्रयत्न में वह तरह-तरह की बेवकूफी भरी हरकतें करने लगा। तभी उसने कनखियों से देखा, वह लड़की धीरे-धीरे घर की ओर बढ़ रही है। टॉम चारदीवारी के पास जाकर, टेक लगाकर खड़ा हो गया और उदास नजरों से धीरे-धीरे उसके घर की ओर बढ़ते हुए कदमों को देखता रहा। वह उम्मीद कर रहा था कि वह लड़की कुछ देर और रुक जाएगी किंतु वह बढ़ती गई, बढ़ती ही गई। क्षण-भर के लिए वह सीढ़ियों पर रुकी और दरवाजे की ओर बढ़ने लगी। उसके ड्योढ़ी पर पांव रखते ही टॉम के मुंह से एक लंबी सांस निकल गई। लेकिन तभी एकाएक सिर घुमाकर उसने टॉम को एक नजर देखा, और टॉम के चेहरे पर उल्लास की रेखाएं उभर आयीं।

खाने के समय टॉम इतना खुश नजर आ रहा था कि मौसी भी सोचने लगीं कि आज इस लड़के को आखिर हो क्या गया है। सिड को मुंह चिढ़ाने के लिए उसे डांट भी पड़ी, किंतु उस पर कोई असर नहीं हुआ। मौसी की आंखों में धूल झोंककर चीनी चुराने की कोशिश में उंगलियों पर मार भी खानी पड़ी, किंतु फिर भी उल्लास में कोई कमी न हुई।

रात में साढ़े नौ-दस बजे के करीब टॉम फिर उस पार्क का चक्कर काटने लगा जहां वह अपरिचित सुंदरी रहती थी। वह फिर से खिड़की के नीचे जा लेटा। कल्पना करने लगा कि वह इसी तरह लेटा-लेटा मृत्यु की गहरी नींद सो जाएगा और सुबह उठकर वह उसे इस तरह पड़ा देखेगी। किंतु क्या उसके निर्जीव शरीर पर उसकी आंखों से एक बूंद आंसू भी ढुलक सकेगा ? क्या उसे इस तरह मृत देखकर उसके मन में आहों का एक भी उफान आ सकेगा ?

किंतु तभी खिड़की खुली और एक नौकरानी ने ढेर-सा पानी एक झोंके से बाहर फेंक दिया। शहीद बेचारे का सारा शरीर तर-ब-तर हो गया। वह एक झटके से उठ खड़ा हुआ और अंधकार में गायब हो गया।

बहादुर टॉम-3

टॉम, उसकी बहन मेरी और सिड 'संडे स्कूल' की तरफ चले, तो टॉम के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी । 'संडे स्कूल' से उसे बड़ी घृणा थी, किंतु हर रविवार को उसे वहां जाने के लिए मजबूर किया जाता था। हां, सिड और मेरी को जरूर 'संडे - स्कूल' जाने में बड़ी खुशी होती थी ।

स्कूल पहुंचकर टॉम दरवाजे पर ही रुक गया । मेरी सिड को साथ लिए हुए अंदर चली गई। टॉम ने बढ़िया-बढ़िया कपड़े पहूने अपने एक साथी से पूछा, “कहो बिल, तुम्हारे पास पीला टिकट है क्या ?"

“हां, है तो ।”

“क्या लोगे उसके लिए ?”

"यह बताओ कि तुम दोगे क्या ?”

“मुलेठी का एक टुकड़ा और मछली फंसाने का एक कांटा । "

“पहले दिखाओ, तो बताऊं !”

टॉम ने अपना माल दिखा दिया। दोनों ही चीजें संतोषजनक थीं, इसलिए माल की अदला-बदली हो गई । इसके बाद उसने सफेद पत्थरों के बदले तीन लाल टिकट खरीदे और कुछ अन्य छोटी चीजों के बदले नीले टिकट लिए। पंद्रह मिनट तक वह टिकटें खरीदता वहीं खड़ा रहा। फिर वह चर्च के भीतर घुसा। अपनी सीट पर पहुंचकर जो पहला लड़का नजर आया उससे झगड़ा शुरू कर दिया उसने । तुरंत ही एक प्रौढ़, गंभीर अध्यापक ने बीच-बचाव करके झगड़ा शांत कराया। वे मुड़े ही थे कि अगली बेंच पर बैठे एक लड़के के बाल खींच लिए टॉम ने। वह लड़का तेजी से मुड़ा, किंतु उस समय तक टॉम अपनी नजरें पुस्तक पन्नों पर गड़ा चुका था । उसके मुंह फेरते ही उसने एक अन्य लड़के के पिन चुभो दी और वह 'उफ् ' करके रह गया, जिसके लिए उसे अध्यापक की डांट भी खानी पड़ी ।

टॉम की पूरी क्लास अजीब गड़बड़झाला थी । बाइबिल के पद सुनाने के लिए बच्चे बुलाए जाते, मगर किसी को एक पद भी याद न होता । अन्य लड़के फुसफुसाकर पद की पंक्तियां बताते जाते और इस तरह लड़के पद पूरा सुना देते और इनाम में एक नीला टिकट प्राप्त कर लेते। दस नीले टिकट के बराबर एक लाल टिकट माना जाता था और दस लाल टिकट एक पीले टिकट के बराबर । दस पीले टिकटों के बदले में सुपरिंटेंडेंट एक सजिल्द बाइबिल पुरस्कारस्वरूप देते थे, जिसका मूल्य उस समय भी चालीस सेंट होता था । मेरी अब तक दो बाइबिल पुरस्कार में प्राप्त कर चुकी थी । और एक जर्मन बालक तो चार-पांच बार यह पुरस्कार पा चुका था ।

बाइबिल के पदों के पाठ के बाद मिस्टर वाल्टर्स का प्रवचन आरम्भ हुआ। उसके प्रवचन के बीच बराबर फुसफुसाहट होती रही और उस समय तो फुसफुसाहट अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई जब जेफ थैकर के साथ एक अधेड़ व्यक्ति ने चर्च में प्रवेश किया। उस व्यक्ति के साथ उसकी पत्नी और लड़की भी थी, जिसे देखकर टॉम के मन में गुदगुदी होने लगी । उत्फुल्लता भर उठी उसके मन-मस्तिष्क में और वह उस लड़की का ध्यान आकृष्ट करने के लिए तरह-तरह की विचित्र हरकतें करने लगा ।

मिस्टर वाल्टर्स ने अपना भाषण समाप्त करने के बाद, उन नवागंतुकों का परिचय दिया । वे थे न्यायाधीश थैकर, जो मिस्टर जेक थैकर के ही भाई थे । वे बारह मील दूर । कांस्टेंटिनोपल से आए थे । यह सुनकर लोगों पर बड़ा प्रभाव सज्जन तो दुनिया घूमे हैं, बहुत कुछ देख-सुन चुके हैं।

मिस्टर वाल्टर्स बहुत प्रसन्न थे । कमी केवल यही रह गई थी कि बाइबिल का पुरस्कार प्रदान करने का अवसर हाथ लगता नहीं दीख रहा था । वे अपने सबसे अच्छे शिष्यों के घूम-घूमकर पूछ रहे थे । कुछ के पास दो पीले टिकट थे, किसी के पास चार । पूरे दस टिकट किसी के पास न थे ।

मिस्टर वाल्टर्स की सारी आशा जाती रही, किंतु तभी टॉम सायर उठ खड़ा हुआ । उसने नौ पीले टिकट नौ लाल टिकट और दस नीले टिकट निकालकर सामने रख दिए और बाइबिल का पुरस्कार मांगा। जैसे वज्र गिरा मिस्टर वाल्टर्स पर। पिछले दस वर्षों से उन्होंने कभी भी ऐसी आशा नहीं की थी टॉम से। किंतु अब तो कोई रास्ता नहीं था। टॉम को मंच पर ले जाया गया, जहां न्यायाधीश थैकर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति बैठे थे। मंच पर से इस महान समाचार की घोषणा की गई। सारे स्कूल के लड़के ईर्ष्यापूर्ण दृष्टि से देख रहे थे, टॉम को । और उन लोगों के मन में तो और कांटे चुभ रहे थे, जिन्होंने टॉम को उन वस्तुओं के बदले में अपने टिकट दिए थे, जिन्हें उसने पुताई करने के बदले गांव के लड़कों से वसूला था। अपने को कोसकर रह गए वे सब ।

टॉम को पूरी शान से पुरस्कार प्रदान किया गया। फिर न्यायाधीश महोदय से उसका परिचय कराया गया। किंतु टॉम की जबान जैसे तालू में चिपक गई थी, उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था— एक तो इसलिए भी कि वह एक महान व्यक्ति के सामने खड़ा था, दूसरे इसलिए भी कि वे उसी अपरिचित लड़की के पिता थे । न्यायाधीश महोदय ने उसके सिर पर हाथ फेरकर उसकी प्रशंसा में कुछ शब्द कहे और फिर उसका नाम पूछा। किंतु टॉम की जबान लड़खड़ा गई। किसी तरह बोला वह, “टॉम !”

“नहीं, नहीं, तुम्हारा नाम है टॉमस ।"

"टॉमस ।"

“हां, ठीक कहा । मगर इसके आगे भी तो कुछ होगा अपना पूरा नाम बताओ, बेटे !”

“ अपना पूरा नाम बताओ, टॉमस !” मिस्टर वाल्टर्स ने कहा, "और श्रीमान कहकर बात करो ।”

" टॉम सायर, श्रीमान !”

“ठीक, बिल्कुल ठीक । बड़े अच्छे बच्चे हो तुम !”

न्यायाधीश महोदय ने फिर टॉम की तारीफ में बहुत-कुछ कहा और एक-दो प्रश्न पूछे, मगर टॉम किसी का भी संतोषजनक उत्तर न दे सका ।

उधर मिस्टर वाल्टर्स का दिल अलग-अलग धुक धुक कर रहा था क्योंकि वे जानते थे कि टॉम के लिए सरल-से-सरल प्रश्न का भी उत्तर देना कठिन है। साथ ही वे खीझ भी रहे थे कि न्यायाधीश महोदय क्यों बार-बार टॉम से ही प्रश्न कर रहे हैं।

बहादुर टॉम-4

सोमवार की सुबह टॉम को हमेशा बड़ी संकटमय प्रतीत होती थी, क्योंकि उस दिन से फिर स्कूल आने-जाने का झंझट लग जाता था । उस दिन भी सुबह वैसी ही संकटमय लगी। टॉम ने बीमारी का बहाना बनाकर स्कूल जाने से जान छुड़ाने की कोशिश की। इस प्रयत्न में सफलता नहीं मिली, तो उसने दांत के दर्द का बहाना किया। फलस्वरूप मौसी ने उसका एक दांत ही उखाड़ दिया। उसने बहुत मना किया, बार-बार कहा कि उसके दांत में दर्द - वर्द नहीं है, वह बहाना बना रहा था, लेकिन मौसी थीं कि उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी।

दांत की उस पूंजी को लेकर वह गांव के बच्चों को उसे दिखाता हुआ स्कूल की ओर चल पड़ा। ऊपर की दंत-पंक्ति में इस तरह बन गए रिक्त स्थान के कारण वह जैसे नुमाइश की चीज बन गया। सभी बच्चे बड़ी दिलचस्पी से उसके खोड़हे दांतों को देखते और ईर्ष्या से जल उठते ।

घूमते-घूमते टॉम हलिबरी फिन के पास जा पहुंचा, जो एक भयानक शराबी का बेटा और गांव की हर मां की घृणा का पात्र था। किंतु गांव के सारे बच्चों के लिए उसका जीवन, उसका रहन-सहन एक आदर्श था। हर समय मुक्त भाव से पूर्ण स्वतंत्रता-पूर्वक उसके घूमने-फिरने तथा अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर सकने के कारण बच्चों को उससे ईर्ष्या भी होती थी। टॉम को सख्त हिदायत थी कि वह हकिलबरी से दूर रहा करे। इसलिए मौका पाने पर वह हकिलबरी के साथ जरूर खेलता था । उससे टॉम की गहरी दोस्ती थी ।

देर तक एक मरी हुई बिल्ली को लेकर बातचीत करने के बाद दोनों ने रात के समय एक-दूसरे से मिलने का वादा किया और टॉम स्कूल की ओर चल पड़ा ।

स्कूल के अहाते में पहुंचकर टॉम तेजी से चलने लगा, ताकि यह न मालूम हो कि वह बीच-बीच में रुकता हुआ मस्ती से स्कूल आया है। क्लास लग चुकी थी, इसलिए क्लास में घुसकर अपना हैट एक खूंटी पर टांगकर वह अपनी सीट पर चुपचाप जा बैठा। मास्टर साहब अपने ऊंचे आसन पर ऊंघ रहे थे। और बच्चे अपनी पुस्तकें पढ़ रहे थे। टॉम के क्लास में घुसते ही मास्टर साहब जाग पड़े। बोले, “टॉम सायर !”

टॉम जानता था कि उसके पूरे नाम की पुकार संकट की पूर्वसूचना थी ।

“जी मास्टर साहब !"

"यहां आओ ! हां, अब बताओ, हमेशा की तरह तुम आज फिर देर से क्यों आए ?”

टॉम झूठ का सहारा लेने की सोच ही रहा था कि उसकी नजर सुनहरे बालों की लहराती चोटियों पर पड़ गई, जिन्हें उसकी नजरों ने बिजली की-सी तेजी से पहचान लिया। लड़कियों की तरफ उसी की बगल में एक सीट खाली बची थी। सब कुछ देखा टॉम ने और जैसे उसके मुंह से अपने-आप ही निकल गया, “मैं हकिलबरी फिन से बातें करने के लिए रुक गया था, मास्टर साहब !”

मास्टर साहब ने पूछा, “क्या करने गए थे तुम ?”

“हकिलबरी फिन से बातें करने के लिए रुक गया था।” फिर अपनी बात दुहरा दी टॉम ने ।

मास्टर साहब टॉम की जैकट उतरवाकर तब तक बेंतें लगाते रहे जब तक कि थक नहीं गए, फिर उन्होंने आदेश दिया, “जाओ, लड़कियों के बीच बैठो ! तुम्हें अब आगे के लिए सावधान हो जाना चाहिए।"

टॉम उसी लड़की की बगल में जा बैठा। वह लड़की अपना सिर झटककर जरा-सी खिसक गई ।

थोड़ी देर में सारी क्लास पढ़ाई में लग गई और टॉम की तरफ किसी का ध्यान भी नहीं रह गया था। टॉम अब कनखियों से रह-रहकर उस लड़की को देखने लगा । लड़की ने यह देखा तो मुंह चिढ़ाकर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया। इस बार उसने सिर घुमाया तो उसके सामने एक आडू रखा हुआ था । उसने उसे टॉम की तरफ खिसका दिया। टॉम ने तुरंत ही उसे फिर उसकी तरफ कर दिया। लड़की ने इस बार भी आडू खिसका दिया, किंतु इस बार उसकी हरकत में उतनी कठोरता नहीं थी। टॉम ने तुरंत फिर उसे उसके सामने डाल दिया । इस बार उसने उसे वहीं का वहीं पड़ा रहने दिया। टॉम ने अपनी स्लेट पर लिख दिया, "इसे ले लो न, मेरे पास और हैं । " लड़की ने उसके लिखे शब्दों को पढ़ तो लिया, किंतु जरा भी हिली - डुली तक नहीं । अब टॉम बाएं हाथ से अपनी स्लेट छिपाकर उस पर कुछ बनाने लगा। क्षण-भर तो उस लड़की ने उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया, किंतु फिर उसकी उत्सुकता जाग उठी और वह टॉम की स्लेट देखने की कोशिश करने लगी। टॉम बिना ध्यान दिए अपने काम में लगा रहा। अंत में लड़की को हार माननी ही पड़ी। संकोच- पूर्ण स्वर में उसने फुसफुसाकर कहा, “मुझे भी देखने दो न !”

टॉम ने अपने हाथ हटाकर एक मकान की तस्वीर दिखा दी। लड़की की दिलचस्पी उस तस्वीर में धीरे-धीरे बढ़ने लगी और वह सब कुछ भूल गई । क्षण-भर उसे देखकर बोली, "बहुत अच्छी बनी है यह तो — एक आदमी भी बना डालो न !”

कलाकार ने मकान के सामने एक आदमी को भी खड़ा कर दिया, जो दानव - जैसा लगता था। किंतु उस लड़की को इतने से ही संतोष हो गया। बोली, “कैसा सुंदर मनुष्य बना है। अब मुझे आती हुई बनाओ ।"

टॉम ने जैसे-तैसे एक नारी आकृति भी बना डाली और उसकी फैली हुई उंगलियों में एक पंखा भी पकड़ा दिया ।

लड़की बोली, “वाह, कितनी अच्छी तस्वीर बनाई है। तुम ! काश मैं भी ऐसी तस्वीरें बना सकती !”

"यह तो बहुत आसान है ।" टॉम फुसफुसाया, “मैं तुम्हें सिखा दूंगा।"

" सच, सिखा दोगे ? कब ?”

"दोपहर में। तुम खाना खाने घर जाती हो ?"

"अगर तुम रुको तो मैं भी रुकी रहूंगी।"

“ बहुत अच्छा, यही ठीक रहा। सुनो, तुम्हारा नाम क्या है ?'

“बेकी थैकर, और तुम्हारा ? – अरे, तुम्हारा नाम तो मैं जानती हूं। टॉम सायर है तुम्हारा नाम !”

“इस नाम से तो मुझे तब पुकारा जाता है जब मार पड़नी होती है। जब मैं भले लड़कों की तरह काम करता हूं तो मुझे टॉम कहा जाता है। तुम भी मुझे टॉम ही कहा करो, कहोगी न ?”

“हां !”

अब टॉम अपनी स्लेट पर फिर कुछ लिखने लगा। इन शब्दों को वह उस लड़की से छिपाए हुए था। लेकिन इस बार तो उसके पीछे रहने का कोई सवाल ही नहीं था । वह स्लेट पर लिखे शब्दों को दिखाने के लिए टॉम की खुशामद करने लगी और टॉम 'नहीं-नहीं' करने लगा ।

टॉम ने कहा, “तुम किसी से कहोगी तो नहीं ? बोलो, जब तक जिंदा रहोगी, किसी से नहीं कहोगी !”

“नहीं, मैं किसी से कभी न कहूंगी। अब तो दिखा दो ।"

“नहीं, तुम देखना पसंद नहीं करोगी ।”

अब तो बेकी ने स्लेट देखने के लिए टॉम से हाथापाई भी शुरू कर दी। टॉम धीरे-धीरे एक-एक शब्द से हाथ हटाता गया और बेकी की आंखों के सामने चमक उठा, “मैं तुम्हें प्यार करता हूं।"

“ बड़े शैतान हो तुम !” और उसने टॉम के हाथ पर हल्की-सी चपत लगा दी।

किंतु उसका चेहरा रक्ताभ हो उठा और उत्फुल्ल रेखाएं उभर आयीं उसके मुखमंडल पर । तभी टॉम को लगा, जैसे उसका कान पकड़कर उसे उठाया जा रहा है। मास्टर साहब ने उसे कान पकड़े हुए ही ले जाकर उसकी पहली वाली सीट पर बैठा दिया और फिर अपनी कुर्सी की तरफ चले गए ।

क्लास का शोर-गुल शांत होने पर टॉम ने पुस्तक में ध्यान लगाने की कोशिश की, किंतु व्यर्थ !

किसी तरह क्लास खत्म हुई तो टॉम ने अन्य लड़के-लड़कियों से पीछा छुड़ाया और बेकी के पास जा बैठा। टॉम जैसे हवा में उड़-सा रहा था । उसने पूछा, “तुम्हें चूहे पसंद है ?"

“नहीं, मुझे चूहों से घृणा है।”

“मुझे भी जीवित चूहों से। लेकिन मेरा मतलब मरे हुए चूहों को डोर से बांधकर नचाने में था । "

“नहीं, मुझे चूहे बिल्कुल पसंद नहीं। मुझे तो चुइंगम पसंद हैं ।'

“मुझे भी बहुत पसंद है। काश, इस समय मेरे पास होता !”

“मेरे पास है । मैं तुम्हें उसे चूसने दूंगी, मगर थोड़ी देर में मुझे वापस कर देना । "

बात तय हो गई और दोनों बारी-बारी से चुइंगम चूसते रहे ।

“ तुम कभी सरकस देखने गई हो, बेकी ?” टॉम ने पूछा ।

“हां, और मेरे पापा मुझे फिर ले जानेवाले हैं।”

“मैंने भी तीन-चार बार सरकस देखा हैं। मैं तो बड़ा होने पर सरकस का जोकर बनूंगा ।”

“सच, तब तो बड़ा मजा आएगा।"

“हां, बेकी ! और उन लोगों को पैसे भी खूब मिलते हैं — एक डालर प्रतिदिन । ...एक बात बताओ, बेकी, तुम्हारी कभी सगाई हुई है ?”

" यह क्या होता है ? "

“अरे, वही शादी के लिए सगाई !”

“नहीं, मेरी तो नहीं हुई ।”

" करोगी ?"

“मैं तो जानती नहीं सगाई कैसे होती है । "

"अरे, इसमें क्या रखा है। लड़की लड़के से कहती है कि वह उसके सिवा और किसी से कभी शादी नहीं करेगी ।"

“सभी ऐसा करते हैं !”

"हां, जो एक-दूसरे को प्यार करते हैं । तुम्हें याद है, बेकी, मैंने स्लेट पर क्या लिखा था ?”

“हां, हां !”

“बताओ, क्या लिखा था ?"

“मैं नहीं बताऊंगी।”

" तो मैं बताऊं ?”

“हां, हां, लेकिन आज नहीं, फिर कभी ।"

"नहीं, अभी । "

" अभी नहीं, कल ।”

" नहीं बेकी, नहीं ! मान भी जाओ न ! बस, मैं तुम्हारे कान में धीरे से कहूंगा ।”

बेकी चुपचाप सकुचाती बैठी रही। टॉम ने चुप्पी को स्वीकृति मानकर उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और उसके कान के बहुत निकट मुंह ले जाकर बोला, “मैं तुम्हें प्यार करता हूं, बेकी !” फिर उसने कहा, “अब तुम भी इसी तरह कहो, बेकी !”

पहले तो उसने इंकार किया, किंतु फिर बोली, "अच्छा, तुम अपना मुंह फेर लो, ताकि तुम मुझे देख न सको, तो मैं कहूंगी। लेकिन देखो, टॉम, किसी से कहना नहीं । नहीं कहोगे न ?”

“हां, हां, कभी नहीं कहूंगा, बेकी !”

और उसने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया। बेकी ने सांस रोककर किसी तरह कहा, “मैं ...तुम्हें ...प्यार ...करती ...हूं !” और फिर उछलकर भागने लगी। टॉम उसके पीछे-पीछे डेस्कों के चारों तरफ दौड़ता रहा ।

अंत में बेकी एक कोने में जा खड़ी हुई। उसने अपनी सफेद फ्राक उठाकर अपना मुंह छिपा लिया। टॉम ने उसके कंधों को पकड़कर कहा, "अब ठीक हुआ। बस, हो गया ! अब इसके बाद तुम मेरे सिवा और किसी को प्यार नहीं करोगी और न मेरे सिवा और किसी से शादी करोगी ।”

"नहीं टॉम, मैं तुम्हारे अलावा और किसी को कभी प्यार नहीं करूंगी, और तुम भी मुझे छोड़कर किसी और से विवाह न करना । "

“बिल्कुल ठीक, बिल्कुल ठीक । और हां, स्कूल जाते-आते समय अब तुम हमेशा मेरे साथ ही रहना बेकी !”

"यह तो बड़ा अच्छा काम है, टॉम ! मैंने तो ऐसी मजेदार चीज कभी सुनी ही न थी । "

“इसमें बड़ा मजा आता है बेकी ! देखो न, मैं और एमी लारेंस जब..."

किंतु दूसरे ही क्षण टॉम को अपनी भूल का आभास मिल गया । बड़ी उलझन में पड़ गया वह ।

बेकी रुआंसे स्वर में बोली, “तो टॉम, मैं पहली ही लड़की नहीं हूं जिससे तुमने सगाई की है ?"

और बेकी बुरी तरह रोने लगी। टॉम ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, बहुत कहा कि उसका एमी लारेंस से कोई संबंध नहीं है, वह बेकी के अलावा और किसी को नहीं चाहता किंतु बेकी पर कोई असर नहीं हुआ। हर क्षण उसकी सिसकियां बढ़ती ही जा रही थीं। टॉम ने उसे अपनी सबसे बहुमूल्य वस्तु पीतल का मुट्ठा भी देने की कोशिश की, किंतु बेकी ने हाथ मारकर उसे गिरा दिया।

टॉम चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया और पहाड़ियों की ओर चल पड़ा । अब बेकी के मन में शंका उत्पन्न होने लगी। वह दौड़कर दरवाजे पर गई। टॉम कहीं नजर नहीं आ रहा था। वह खेल के मैदान पर भी गई, किंतु टॉम वहां भी न था। हैरान-सी चीख उठी वह, “टॉम, लौट आओ, टॉम !” वह ध्यान से कान लगाकर सुनती रही, किंतु कोई उत्तर न मिला । बैठकर हाथों में मुंह छिपाकर जोर-जोर से रो पड़ी वह ।

बहादुर टॉम-5

दिन-भर टॉम हैरान-परेशान घूमता रहा, मगर उसे कहीं चैन नहीं मिला। रात में जब वह सिड के साथ हमेशा की तरह सोने के लिए बिस्तर पर गया, उस समय भी उसका मन विकल था ।

किंतु अपने वादे के अनुसार हकिलबरी अपनी मरी हुई-सी बिल्ली को लेकर आ पहुंचा और उसकी 'म्याऊं म्याऊं' सुनते ही टॉम चुपके-चुपके घर से भाग निकला।

थोड़ी ही देर में वे दोनों कब्रिस्तान जा पहुंचे। वे कब्रिस्तान में स्थान-स्थान पर घास-फूस के बीच चल रहे थे । वे दोनों बातें बिल्कुल नहीं कर रहे थे, और अगर बीच-बीच में वे बोलते भी थे तो फुसफुसाहट से भी हल्के स्वर में । अंधकार और सन्नाटे ने जैसे दबोच लिया था उनके मन-मस्तिष्क को और वे अंदर-ही-अंदर भय से कांप रहे थे ।

एक स्थान पर वे दोनों बैठ गए। मृत आत्माओं के आगमन का इंतजार करते-करते बैठे रहे वे थोड़ी देर । फ . टॉम ने ही बात का सिलसिला शुरू किया । मृत आत्माएं उनके मस्तिष्क पर इस तरह छाई हुई थीं कि बातें भी उन्हीं के संबंध में छिड़ीं ।

एकाएक टॉम ने हकिलबरी की बांह जोर से दबाकर कहा, "वह सुनो, सुन रहे हो न ?”

“यह कैसी आवाज है, टॉम !” और वे दोनों चिपट गए एक-दूसरे से, सांस खींचे हुए।

" वह देखो, फिर आवाज हुई ! सुना नहीं तुमने ? "

“मैंने..."

“सुनो, सुनो, फिर वही आवाज आ रही है !”

" हे ईश्वर ! ...टॉम, आवाजें तो इधर ही आ रही हैं अब हम लोग क्या करें ?"

“ डरो मत! हकिल, मेरे ख्याल से तो मृत आत्माएं हमारी ओर ध्यान भी नहीं देंगी। हम लोग उनका कोई नुकसान तो कर नहीं रहे हैं। अगर हम लोग बिल्कुल स्थिर पड़े रहें, तो वे हमारी तरफ जरा भी ध्यान नहीं देंगी !”

“मैं कोशिश करूंगा। मगर टॉम, मेरा तो सारा शरीर कांप रहा है।”

“सुनो, सुनो !”

और वे दोनों सांस रोककर सुनने लगे।

“वह देखो !” टॉम फुसफुसाया, “क्या है वह ?”

“भूतों द्वारा जलाई गई आग है। और टॉम, मुझे तो बहुत डर लग रहा है।"

कुछ अस्पष्ट-सी आकृतियां अंधकार का पर्दा चीरकर उनकी आंखों के सामने आ गयीं। उनमें से एक के हाथ में पुराने जमाने की-सी लालटेन थी, जिसे वह बुरी तरह से हिलाता हुआ चल रहा था। लालटेन पर पड़ रहे हर झटके के साथ छोटी-बड़ी लौ जैसी नाच-नाच जाती थी।

“निश्चित रूप से ये भूत हैं, टॉम ! और तीन-तीन भूत एक साथ ही आ गए हैं। अब तो हम लोग मारे गए। यार टॉम, तुम्हें ईश्वर की कोई प्रार्थना याद है ?”

"अच्छा, मैं प्रार्थना करने की कोशिश करता हूं, लेकिन तुम इस तरह डरो नहीं ! मृत आत्माएं हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगी।”

"अरे.... रे-रे !”

“क्या बात है, हकिल ?”

“ये तो भूत नहीं हैं, मनुष्य हैं, टॉम ! कम-से-कम इनमें से 'भूत' एक तो जरूर ही मनुष्य है। जानते हो, इनमें से एक आवाज अपने मफ पॉटर की है।"

"सच !"

“हां, हां, मैं दावे से कह सकता हूं। अब ज्यादा हिलो-डुलो नहीं । वह हम लोगों को देख नहीं पाएगा। हमेशा की तरह इस समय भी नशे में धुत है वह !”

“अच्छी बात है, मैं शांत पड़ा रहता हूं। अरे हकिल, मैं इनमें से एक और को पहचानता हूं। हां, हां, यह इंजुन जोय की ही तो आवाज है।”

“अच्छा, वह हत्यारा! मगर यहां किसलिए आए हैं ये लोग ?”

धीरे-धीरे फुसफुसाहट भी बंद हो गई, क्योंकि वे तीनों उस कब्र के निकट पहुंच गए थे, जहां टॉम और हकिलबरी छिपे हुए थे ।

“यह रही वह कब !” तीसरी आवाज ने कहा। और फिर बोलनेवाले ने लालटेन ऊपर उठा दी, जिसकी मद्धिम रोशनी में नौजवान डॉक्टर राबिन्सन का चेहरा चमक उठा ।

पॉटर और इंजुन जोय एक ठेला लिए हुए थे, जिस पर उन्होंने रस्सी और दो फावड़े रख छोड़े थे । सारा सामान जमीन पर पटककर उन दोनों ने कब्र को खोदना शुरू कर दिया। डॉक्टर ने कब्र के सिरहाने लालटेन रख दी और एक वृक्ष की टेक लगाकर बैठ गया । वह इतना निकट आ गया था उन लड़कों के कि वे उसे बड़ी आसानी से छू सकते थे ।

"फुर्ती से काम करो तुम लोग !” बहुत धीमे स्वर में कहा उसने, “चांद किसी भी क्षण निकल सकता है अब !”

गुर्रा पड़े वे दोनों, पर कब्र की खुदाई में जुटे रहे। फावड़ा चलने के सिवाय और किसी तरह की कोई आवाज नहीं हो रही थी उस समय। अंत में फावड़ा ताबूत से टकराया और दूसरे ही क्षण उन दोनों ने उसे निकालकर बाहर रख दिया । फावड़े से ही ताबूत का ढक्कन खोलकर उन दोनों ने लाश को बाहर निकाला और उसे जमीन पर पटक दिया । ठेला बिल्कुल तैयार था और उस पर लाश को रखकर उस पर कंबल डाल दिया । उन दोनों ने, और फिर लाश को अच्छी तरह रस्सी से ठेले से बांध दिया। पॉटर ने अपनी जेब से चाकू निकालकर ठेले से लटक रही रस्सी को काट दिया और फिर डॉक्टर की ओर मुड़कर बोला, “लो, यह जहन्नुमी चीज तैयार है। अब पांच डालर और निकालो, वरना इसे हम लोग यहीं छोड़कर चले !”

"यह ठीक कहा तुमने !” इंजुन जोय ने भी कहा ।

"यह क्या बात है ?" डॉक्टर ने गुस्से से कहा, “तुम लोगों ने तो अपनी मजदूरी पहले ही मांग ली थी और मैंने दे भी दी थी।"

“नहीं जी, तुमने तो इससे भी ज्यादा कुछ किया है मेरे साथ !” गुर्राकर बोला इंजुन जोय और थोड़ी दूर खड़े डॉक्टर की ओर बढ़ने लगा । वह कहता जा रहा था, "पांच साल पहले जब मैं कुछ खाने के लिए मांगने गया था, तो तुमने मुझे अपने बाप की रसोई में से धक्के देकर बाहर निकाल दिया था। और उस समय जब मैंने कसम खाई थी कि चाहे सौ बरस लग जाएं, मगर मैं तुमसे इस अपमान का बदला लेकर रहूंगा, तो तुम्हारे बाप ने मुझे आवारा बताकर जेल भिजवा दिया था। क्या तुम समझते हो, मैं वह सब भूल गया हूं ? क्या तुम समझते हो कि इंजुन की नसों में खून नहीं, पानी बह रहा है? आज बड़े मौके से मिले हो तुम ! तुमसे निपटारा करने का अच्छा मौका है मेरे लिए !”

घूंसा तानकर धमकियां दे रहा था वह डॉक्टर को । तभी डॉक्टर ने एकाएक उस पर हमला कर दिया और उस गुंडे को जमीन पर गिरा दिया। पॉटर हाथ से चाकू दिखाकर बोला, “मेरे साथी से मार-पीट न करो, हजरत, वरना..."

और दूसरे ही क्षण वह डॉक्टर से गुंथ गया । वे दोनों बुरी तरह लड़ रहे थे और घास-फूस पर लोट-पोट रहे थे वे । कभी डॉक्टर ऊपर हो जाता, कभी पॉटर। इंजुन जोय अब तक उठ खड़ा हुआ था। उसकी आंखों में खून उतर आया था। झुककर पॉटर का चाकू उठा लिया उसने और डॉक्टर की तरफ बहुत धीरे-धीरे दबे पांव बढ़ने लगा ।

एकाएक डॉक्टर ने अपने-आपको छुड़ा लिया ।

लपककर उसने विलियम की कब्र के हेडबोर्ड को उठा लिया और पॉटर के सिर पर दे मारा। पॉटर जमीन पर गिर पड़ा। तभी इंजुन जोय ने लपककर डॉक्टर पर हमला बोल दिया और चाकू डॉक्टर के सीने के पार हो गया। डॉक्टर पॉटर के ऊपर लुढ़क गया। पॉटर का शरीर खून से लथपथ हो गया । चांद ने अपनी आंखों पर बादलों का झीना आवरण डाल लिया और टॉम तथा हकिलबरी अन्धकार में ही जान बचाकर भाग खड़े हुए।

बादलों का आवरण जब चांद पर से हटा, उस समय इंजुन जोय विचारों में डूबा हुआ खड़ा था। डॉक्टर के शरीर में एक-दो बार हरकत हुई और फिर निर्जीव हो गया वह । इंजुन बड़बड़ाया "इससे तो हिसाब चुकता हो गया।”

उसने डॉक्टर की सारी जेबों की तलाशी ली और जो कुछ मिला, हथिया लिया । फिर चाकू डॉक्टर के सीने से निकालकर पॉटर के खुले हुए दाहिने हाथ में पकड़ा दिया ।

कई मिनट बीत गए इसी तरह। पॉटर के शरीर में हरकत होने लगी थी और अब वह कराहने लगा था । उसकी मुट्ठी कस गई थी चाकू पर। ऊपर उठकर उसने देखा और भय से कांपकर दूसरे ही क्षण छोड़ दिया चाकू को । तेजी से उठ बैठा वह और डॉक्टर की लाश को ढकेल दिया एक तरफ । भय और आश्चर्य से ताक रहा था वह डॉक्टर की लाश को । तभी उसकी नजरें इंजुन जोय की नजरों से मिलीं । “यह सब क्या है, जोय ?” पूछा उसने ।

“बहुत गंदी बात है यह पॉटर !” उसी तरह बैठे-बैठे कहा जोने, “आखिर तुमने ऐसा किया क्यों ? "

“मैंने ? नहीं, नहीं, मैंने तो कुछ भी नहीं किया ।"

“देखो पॉटर, इस तरह बातें बनाकर बच नहीं सकोगे तुम !”

पॉटर कांप उठा और उसका चेहरा सफेद पड़ गया । वह बोला, “मैंने समझा था कि शराब पीकर मेरी बुद्धि नष्ट नहीं होगी, मगर हुआ वही जो होना था। मैंने आज रात जाने क्यों शराब पी ली थी ! मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा । कुछ भी याद नहीं है मुझे। सचमुच बताओ, जोय, क्या यह भयानक काम मेरे ही हाथों हुआ है ? मगर मैं ऐसा करना नहीं चाहता था। बताओ न, जोय, ऐसा हो कैसे गया ? ओह ! कितनी कम उम्र थी अभी इसकी !”

“तुम दोनों एक-दूसरे से गुंथे हुए थे। एकाएक इसने यह हेडबोर्ड उठाकर तुम्हारे सिर पर दे मारा और तुम जमीन पर गिर पड़े। थोड़ी देर में तुम फिर उठ बैठे और फिर उससे गुंथ गए। एकाएक चाकू आ गया तुम्हारे हाथ में, और तुमने इसके सीने के पार कर दिया ।"

“ओह, मुझे होश ही नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूं ! अगर मुझसे यह गंदा काम हुआ है, तो इसी कारण मैं मर "जाऊं !” और वह अपने को कोसता रहा । उसे पूरी तरह विश्वास हो गया कि डॉक्टर की हत्या उसी के हाथों थी और वह इंजुन जो की मिन्नत- खुशामद करने लगा कि वह इस संबंध में किसी से कुछ न कहे। इंजुन ने कह भी दिया कि वह पॉटर को धोखा नहीं देगा। वह कभी किसी से कुछ नहीं कहेगा ।

टॉम और हकिलबरी भागते गए, भागते गए पूरी शक्ति से, जब तक गांव नहीं आ गया। फिर उन दोनों ने सोचा कि अगर डॉक्टर राबिन्सन की मृत्यु हो गई तो इंजुन को निश्चय ही फांसी हो जाएगी। किंतु समस्या यह थी कि रहस्य का भंडाफोड़ कौन करेगा........क्या वे ही दोनों ? लेकिन हकिल ने कहा कि अगर कुछ गड़बड़ी हो गई और इंजुन छूट गया तो वह उन दोनों को कभी जीवित नहीं छोड़ेगा । और यही डर टॉम को भी था । सो दोनों ने प्रतीज्ञा की : मौखिक ही नहीं, रक्तलिखित भी, कि वे कभी इस घटना के संबंध में किसी से एक शब्द भी नहीं कहेंगे ।

दूसरे दिन दोपहर होते-होते गांवभर में उस हत्या की खबर विद्युत की - सी तेजी से फैल गई। थोड़ी ही देर में घटनास्थल पर भीड़ लग गई। सभी डॉक्टर राबिन्सन की मृत्यु पर दुःख प्रकट कर रहे थे। टॉम और हकिलबरी भी वहां मौजूद थे। एकाएक उनकी दृष्टि इंजुन जोय पर पड़ी। सिर से पैर तक उनका शरीर कांप उठा ।

मामले की जांच करने के लिए शेरिफ आए हुए थे । एकाएक पॉटर आता दिखाई दिया और भीड़ चिल्ला उठी, “यही है, यही है !”

पॉटर ने उल्टे पांव भागने की कोशिश की, किंतु वह भाग नहीं सका । शेरिफ ने उसे पकड़ ही लिया। पॉटर फफक-फफककर रोने लगा । सिसकियों के बीच उसने कहा, “यह भयंकर काम मैंने नहीं किया, दोस्तो, मैंने नहीं किया ! मैं कसम खाकर कहता हूं, मैंने यह काम नहीं किया ।”

"मगर तुम पर दोष लगाया ही किसने है ?” एक व्यक्ति ने चिल्लाकर कहा ।

बड़ी दयनीय दृष्टि से नजरें उठाकर देखा पॉटर ने-यह बात इंजुन जोय ने कही थी। जैसे अपने आप ही निकल गया उसके मुँह से, "तुमने तो वादा किया था, जोय, कि तुम कभी किसी से..."

“क्या यह तुम्हारा ही चाकू है ? ” शेरिफ ने उससे पूछा ।

अगर उन लोगों ने उसे पकड़कर जमीन पर बिठा न दिया होता, तो शायद पॉटर गिर पड़ता । वह कहने लगा, “मेरे मन में जाने किसने कहा कि अगर मैं यहां आकर..." और वह कांप उठा, अपनी बात भी पूरी नहीं कर सका। अपने . अशक्त हाथ को अजीब ढंग से हिलाकर वह बोल उठा, " बता दो, जोय, बता दो इन लोगों को सब कुछ !... अब इन बातों से कोई फायदा नहीं !”

टॉम और हकिलबरी को तो जैसे काठ मार गया।

इंजुन ने अपने ढंग से रात की घटना को बयान कर दिया, जिसके अनुसार पॉटर ही डॉक्टर राबिन्सन की हत्या का दोषी था । इसके बाद शपथ दिलाकर उससे एक बार फिर बयान लिया गया ।

बहादुर टॉम-6

कब्रिस्तान की वह घटना टॉम के मस्तिष्क पर बुरी तरह छा गई और हत्या के अपराध में पॉटर के फंस जाने से तो वह और भी बौखला गया था। बार-बार इच्छा होती थी कि उस हत्या का भेद किसी से न कहने की प्रतिज्ञा को तोड़ दे, किंतु इंजुन जोय का भय उसे ऐसा करने से रोके हुए था ।

इन बातों से उसका मस्तिष्क इतना उत्तेजित हो उठा था कि रात में नींद भी नहीं आती थी उसे, और आती भी थी तो स्वप्न में वही घटना उसे दिखती थी और नींद में ही जाने क्या-क्या बड़बड़ाने लगता था वह ।

किंतु इधर कई दिनों से वह घटना उसके ध्यान में बिल्कुल उतर गई थी, क्योंकि एक दूसरी ही समस्या उठ खड़ी हुई थी उसके सामने । बेकी थैकर कई दिनों से स्कूल में नहीं आ रही थी। टॉम कई दिनों से अपने मन में जमे हुए गर्व से संघर्ष करता रहा । वह कोशिश करता रहा कि बेकी को अपने मस्तिष्क से पूरी तरह निकाल दे। किंतु ऐसा न हो सका । अनजाने ही वह वक्त-बेवक्त पहुंच जाता बेकी के घर की तरफ और उसी के आसपास चक्कर काटता रहता । वह बीमार थी। टॉम सोचता, कहीं वह मर गई तो क्या होगा ! और उसके मन में एक टीस उठने लगी। डकैती और युद्ध की बातों में भी उसकी रुचि अब जाती रही । उसके जीवन में अब जैसे कोई रस ही न रह गया था । उसने खेलना-कूदना भी बंद कर दिया।

टॉम की यह दशा देखकर पाली मौसी अत्यधिक चिंतित हो उठीं। वे उस पर तरह-तरह की दवाओं का प्रयोग करने लगीं, किंतु बेकार !

टॉम अधिकाधिक दुखी हो गया, निराशा उसे घेरती गई, घेरती ही गई। मौसी हैरान थीं। उन्हें किसी तरह इलाज का असर होता नहीं दिखता था ।

टॉम स्कूल लगने से बहुत पहले वहां पहुंच जाता और स्कूल के फाटक पर ही खड़ा शून्य दृष्टि से सड़क की ओर देखता रहता ।

और उस दिन इस तरह का इंतजार करते-करते एकाएक उसे बेकी दिखाई दी, तो वह खुशी से नाच उठा । बेकी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए वह तरह-तरह की हरकतें करता रहा, किंतु बेकी ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। टॉम उसके नजदीक पहुंच गया, तो एक लड़के का हैट छीनकर हवा में उछाल दिया उसने ! थोड़ी दूर पर गोल बनाकर बैठे कई लड़कों को इस तरह धक्का दिया उसने कि सब इधर-उधर जा गिरे, और खुद बेकी के एकदम पास आ गिरा । मगर बेकी ने अपनी गर्दन ऊपर उठाकर अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया, और टॉम ने सुना, वह कह रही थी, “हूं, कुछ लोग समझते हैं कि वे बड़े अक्लमंद हैं !"

गहरा धक्का लगा टॉम को। उसने मन-ही-मन अपने भविष्य के संबंध में निश्चय कर लिया। दुख और निराशा ने बुरी तरह घेर लिया उसे । लगने लगा, जैसे दुनिया में उसका कोई दोस्त न हो, जैसे किसी को उससे तनिक भी प्यार न हो, वह जैसे सबके लिए त्याज्य हो गया हो। उसने हमेशा उचित कार्य ही किए, किंतु दुनिया वाले उसे ऐसा करने देना नहीं चाहते थे । वे तो उससे छुटकारा चाहते हैं । तो ठीक है जैसा चाहते हैं वे, वैसा ही होगा, चाहे नतीजा कुछ भी हो । वह अब अपराधी बनेगा। हां, इसके सिवा अब और चारा ही क्या है ! तभी स्कूल का घंटा बजने लगा, जिसे सुनकर वह सिसक उठा। हां, घंटे के इस परिचित स्वर को कभी नहीं सुन सकेगा वह ।

उसी समय जोय हारपर भी वहां आ पहुंचा। आंखें पोंछता हुआ टॉम कहने लगा कि वह इस गांव के अमैत्रीपूर्ण वातावरण को छोड़कर जा रहा है। और अंत में उसने जोय से कहा कि अपने दोस्त को कभी-कभी जरूर याद कर लिया करना ।

किंतु क्षणभर में ही मालूम हुआ कि विदा ही लेने के लिए तो वह भी आया था टॉम के पास। उसे उसकी मां ने क्रीम पी जाने के अपराध में पीटा था, जब कि उसने क्रीम चखी तक न थी । सो उसने घर छोड़कर कहीं चले जाने का इरादा कर लिया था।

एक ही पथ के इन दो यात्रियों ने थोड़ी ही देर में यह समझौता कर लिया कि वे भाई-भाई की तरह रहेंगे, और आखिरी सांस तक एक-दूसरे का साथ देंगे। जोय ने कहीं कुटिया बनाकर जीवन बिता देने का इरादा कर रखा था। किंतु जब टॉम ने डाकू बनने की अपनी योजना बताई, तो उसकी आंखें चमक उठीं ।

अब उन लोगों ने हकिलबरी को तलाश करके उसके सामने अपनी योजना रखी और वह भी डाकू-दल में शामिल होने को तुरंत ही तैयार हो गया।

सेंट पीटर्सबर्ग से तीन मील दूर जहां पर मिसीसिपी नदी का पाट एक मील चौड़ा हो गया था, वह एक लंबा किंतु संकरा द्वीप था। वह द्वीप जंगलों से भरा हुआ था और इस पर अभी तक मानव जाति बस नहीं सकी थी। सो इन तीनों ने इस द्वीप को ही अपना अड्डा बनाने का निश्चय किया ।

ठीक आधी रात के समय टॉम निश्चित स्थान पर पहुंच गया। सांकेतिक स्वरों में तीनों ने विचारों का आदान-प्रदान किया और फिर एक ने पूछा, "कौन हो तुम?"

"टॉम सायर, स्पेनी समुद्र का काला डाकू ! तुम लोग भी अपने-अपने नाम बताओ ।"

" खूनी हाथों वाला हकिलबरी फिन ! सागर का आतंक जो हारपर !"

टॉम ने यह पदवियां अपने प्रिय साहित्य में से चुनी थीं । वे तीनों नदी में नाव का काम देनेवाला एक तख्ता खींच लाए, जिस पर आग भी जल रही थी । नाविक अपने नावनुमा तख्ते को छोड़कर अपने-अपने घरों को चले गए थे, सो तख्ता चुराने में कोई कठिनाई नहीं हुई । तख्ते को उन्होंने धार में छोड़ दिया और वह लहरों के सहारे चल पड़ा। रात दो बजे उनका वह नावमा तख्ता उनके निर्दिष्ट स्थान पर जा पहुंचा। जैक्सन द्वीप के रेतीले तट पर उसे लगाकर वे उतर पड़े। धीरे-धीरे सामान उतारा गया । तख्ते पर एक पुरानी बरसाती भी थी, जिसे उन लोगों ने झाड़ियों पर इस तरह डाल दिया कि एक खेमा - सा बन गया। उस खेमे में उन्होंने माल असबाब रख दिया। सोने का इरादा उन लोगों का खुले आसमान के नीचे ही था, क्योंकि डाकू ऐसा ही करते हैं, और वे डाकू बन चुके थे ।

जंगल में आग जलाकर उन लोगों ने मांस आदि भून- पकाकर खाया और फिर घास पर लेटकर गप-शप करने लगे ।

" गांव के और लड़के हमें यहां देखें तो क्या कहेंगे ?” हकिल आकाश की ओर शून्यदृष्टि से ताकता हुआ बोला । " वे यहां पहुंचने के लिए तरस उठें, हक़िल, तरस उठें ।”

" मेरा भी यही खयाल है !" हकिल बोला, “जो भी हो, मेरे लिए तो यही स्थान उपयुक्त है। इससे अधिक और कुछ नहीं चाहता मैं । "

“और यही जीवन मेरे लिए भी उपयुक्त है।" टॉम ने मुस्कराकर कहा, “यहां न सुबह तड़के - तड़के अपनी नींद खराब करने का झगड़ा है, न स्कूल जाने का झंझट और न नहाने धोने का बखेड़ा !”

हकिलबरी ने अपना पाइप तैयार करके उसमें तंबाकू भरी और उस पर एक चिंगारी रख दी । क्षण-भर बाद ही वह कश-पर-कश खींचने लगा और धुएं के छल्ले हवा में उमड़- उमड़कर उड़ने लगे । अन्य दोनों डाकू, हकिल का यह मजेदार काम देखकर ललचा उठे । मन-ही-मन निश्चय कर लिया उन दोनों ने कि वे भी हकिल से पाइप पीना सीख लेंगे ।

“डाकुओं को करना क्या होता है ?” हकिल ने एकाएक प्रश्न किया ।

“अरे, बस जहाज को लूटना, उनमें आग लगा देना और उनके यात्रियों का सारा धन लूटकर उसे ऐसे स्थान पर गाड़ देना, जहां भूत-प्रेत उसकी रखवाली करें। यही उनका काम है। यही नहीं, वे जहाज के एक-एक आदमी को मार डालते हैं ।”

" और औरतों को क्या वे टापू पर ले आते हैं ?” जोय हारपर ने पूछा ।

“हां, वे औरतों को नहीं मारते, क्योंकि वे बड़ी सीधी-सादी होती है और सुंदर भी तो होती हैं वे !”

“ और वे हीरे-जवाहरात टंके कपड़े भी तो पहनते होंगे !” उत्साह से बोला जोय ।

"कौन ?” हकिल ने प्रश्न किया।

“वही डाकू लोग !”

हकिल ने अपने फटे-पुराने कपड़ों को झटककर दुखपूर्ण स्वर में कहा, “मेरे कपड़े शायद डाकुओं जैसे नहीं हैं, लेकिन इनके अलावा मेरे पास और कपड़े हैं भी तो नहीं।"

अन्य दोनों डाकुओं ने उसे यह कहकर सांत्वना दी कि डकैती का काम शुरू होते ही बढ़िया-बढ़िया कपड़ों का ढेर लग जाएगा।

धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला टूटता गया और वे एक-एक करके सोते गए।

सुबह टॉम की नींद टूटी तो उसकी समझ में ही न आया कि वह है कहां। वह तेजी से उठ बैठा और बार-बार आंखें मलकर अपने चारों ओर देखने लगा। फिर धीरे-धीरे सब कुछ याद आने लगा उसे ।

उसके दोनों साथी भी उठ गए और वे तीनों नदी-तट की ओर गए। वहां उनका नावनुमा तख्ता नहीं दिखाई दिया। रात में नदी की लहरें शायद रेत तक आ गई थीं और उनके उस तख्ते को बहा ले गई थीं। किंतु इससे उनको जरा भी दुख नहीं हुआ, क्योंकि इस तरह उनके और सभ्य समाज के बीच रही-सही आखिरी कड़ी भी टूट गई थी। यही वे चाहते भी थे। गांव लौटने की कोई इच्छा नहीं थी उनकी।

वे तैरते रहे, मछली मारते रहे, तट की रेत पर लोटते-पोटते रहे और पूरे टापू का चक्कर लगाते रहे । सब-कुछ बहुत अच्छा लग रहा था उन्हें, बहुत ही अच्छा !

किंतु आज बातचीत में मन नहीं लग रहा था उनका, विचारों में खोए हुए थे वे तीनों । घर के धुंधले धुंधले से चित्र उभरकर आते थे उनकी आंखों के सामने। यहां तक कि हकिलबरी को भी अपने झोंपड़े की याद आ रही थी। किंतु वे तीनों अपनी कमजोरी पर स्वयं ही शर्मिंदा थे और इस संबंध में एक-दूसरे से कुछ कह नहीं रहे थे ।

एकाएक तरह-तरह की आवाजें आने लगीं और वे चौंककर नदी तट की ओर दौड़ चले। झाड़ियों को इधर-उधर हटा - हटाकर वे नदी की ओर देखने लगे। बहुत-सी नावों पर सवार ढेर-के-ढेर लोग दीख रहे थे। लग रहा था, जैसे वे किसी डूबे हुए व्यक्ति को खोजने की कोशिश कर रहे हों । इन तीनों की समझ में नहीं आ रहा था कि कौन डूब गया है।

सहसा टॉम के मस्तिष्क में एक नया विचार कौंध गया । प्रसन्न स्वर में वह बोला, “मैं समझ गया, किसे ढूंढ रहे हैं ये लोग ! हमें ही ढूंढा जा रहा है इस तरह । गांववाले समझ रहे हैं कि हम लोग डूब गए हैं। ”

इतना सुनते ही उन दोनों की भी आंखें चमक उठीं । गर्व से सिर ऊंचा हो गया उनका ।

शाम होते-होते नांवें गांव की ओर लौट गयीं और तीनों नन्हें डाकू अपने शिविर को लौट आए। वे बहुत खुश थे, बहुत खुश ! उन्हें लग रहा था, जैसे बहुत बड़ा मैदानी लिया हो उन लोगों ने; किंतु जैसे-जैसे रात का अंधकार गाढ़ा होता गया, उनका उत्साह, उनकी खुशी घटती गई। बातचीत बंद कर दी उन लोगों ने, और आग की लपटों पर नजर जमाए जाने किन विचारों में खोये-खोये से बैठे रहे, चुपचाप ! जोय ने सभ्य समाज में बैठने की कुछ बात चलाई तो टॉम उसकी कमजोरी का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। हकिलबरी भी टॉम की हां में हां मिलाने लगा ।

रात गाढ़ी होती गई, हकिल ऊंघने लगा और फिर लेटकर सो गया। उसके बाद जोय भी सो गया। टॉम विचारों में खोया हुआ कुहनी के बल लेटा हुआ था । एकाएक उठकर उसने दो अंजीर के पत्ते खोजे और उन पर एक कील से जाने क्या लिखा । एक पत्ते को उसने मोड़कर अपनी जैकेट की जेब में डाल लिया और एक जोय के हैट में रखकर हैट को जोय से थोड़ी दूर पर रख दिया । हैट में उसने अपना खजाना भी रख दिया, जिसमें चॉक, रबर की गेंद, मछली फंसाने का कांटा आदि अनेक बहुमूल्य वस्तुएं थीं ।

चंद मिनट बाद ही टॉम नदी में कूद पड़ा और तैरता हुआ गांव की ओर चल पड़ा । किनारे पहुंचकर वह घर की ओर चल पड़ा। वह घर पहुंचा तो बैठक के कमरे में रोशनी हो रही थी । उसने खिड़की से झांका – मौसी, सिड, मेरी और जो हारपर की मां बैठी बातचीत कर रही थीं ।

टॉम दरवाजे के पास गया और धीरे-धीरे उसे खोलने लगा। कई बार दरवाजे की चर्र मर्र आवाज हुई, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया । अंत में मौसी का ध्यान चला ही गया । वे बोली, “अरे, यह मोमबत्ती की लौ फड़फड़ा क्यों रही है ? और दरवाजा कैसे खुल गया ? जा सिड, दरवाजा बंद कर ले ।”

किंतु इस समय तक टॉम बिस्तर के नीचे जा छिपा था । सांस रोके पड़ा हुआ था वह वहां ।

"लेकिन वह ऐसा बुरा लड़का नहीं था ।” मौसी बोलीं,

“हां, थोड़ा शरारती जरूरत था। ऊपर से चिल्लाता जरूर था वह, मगर उसका हृदय बहुत पाक-साफ था । इतना भला लड़का मैंने कहीं नहीं देखा !” और वे रोने लगीं ।

" मेरा जोय भी ऐसा ही था। हर तरह की शरारतें करता था, मगर स्वार्थ या और कोई बुराई उसे छू तक नहीं गई थी । मैंने उसे क्रीम खाने के लिए पीटा और मुझे याद भी न आया कि मैंने खुद ही क्रीम खराब हो जाने के कारण फेंक दी थी। ओह, अब मैं उसे कभी न देख सकूंगी, कभी नहीं, कभी नहीं !” और श्रीमती हारपर बुरी तरह सिसकने लगीं ।

“मेरे खयाल से टॉम जहां भी होगा, मजे में होगा !” सिड बोला, "अगर ऐसा होता तो..."

“चुप रह, सिड !” मौसी ने क्रोधपूर्ण स्वर में कहा, “मेरे टॉम के खिलाफ कुछ भी कहेगा तो अच्छा न होगा। अब वह हमेशा के लिए जा चुका है। वह जहां भी रहेगा, ईश्वर उसकी रक्षा करेगा। मेरी समझ में नहीं आता, श्रीमती हारपर, कि मैं उसे कैसे भुलाऊं, कैसे भुलाऊं ! वह मेरे बूढ़े हृदय को बहुत सताता था, मगर कितना प्यार भी करता था वह मुझे !”

वे दोनों रोती रहीं, एक-दूसरे को सांत्वना देने की कोशिश करती रहीं। टॉम भी बिस्तर के नीचे पड़ा सिसकियां भरने लगा था । मेरी की सिसकियां साफ सुनाई पड़ रही थीं उसे । रह-रहकर इच्छा हो रही थी उसकी कि बिस्तर के नीचे से निकलकर मौसी से लिपट जाए, किंतु अपने को काबू में किए हुए था वह। टॉम पड़ा पड़ा सारी बातें सुनता रहा । उन बातों में उसे पता चल गया कि गांववालों ने समझ लिया है। कि वे तीनों डूब गए हैं। उनकी लाशें खोजने की बराबर कोशिश हो रही है। मगर रविवार तक लाशें नहीं मिलेंगी, तो सारी आशा छोड़ दी जाएगी और चर्च में उनके लिए मातम मनाया जाएगा, और उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

श्रीमती हारपर ने सिसकते हुए मौसी को नमस्कार किया और चली गई ।

सिड सिसकता हुआ अपने कमरे में चला गया । मेरी बुरी तरह रोती हुई कमरे से बाहर चली गई । मौसी घुटनों के बल बैठकर टॉम के लिए प्रार्थना करने लगी। इतनी वेदना, इतना गहरा दुख और टॉम के प्रति इतना अथाह प्यार छलक पड़ रहा था उनके स्वर में कि टॉम के लिए अपने को संभाल पाना कठिन हो रहा था ।

प्रार्थना के बाद वे बिस्तर पर लेट गईं और थोड़ी देर तक जाने क्या-क्या बड़बड़ाती रहीं। फिर बिल्कुल शांत हो गयीं । नींद से उनकी आंखें मुंद गई थीं ।

टॉम ने निकलकर पहले तो अंजीर के पत्ते को मोमबत्ती के निकट रख दिया। फिर उसे जाने क्या सूझा कि पत्ते को उठाकर उसने अपनी जेब में रख लिया, झुककर मौसी के मुरझाए हुए होंठों को चूम लिया और कमरे से बाहर हो गया । तट पर पहुंचकर वह एक नाव पर सवार हो गया, और अपने साथियों के पास चल पड़ा ।

जिस समय वह द्वीप पर पहुंचा, हकिल और जोय उसी के बारे में बातें कर रहे थे। जोय कह रहा था, "नहीं, नहीं, हकिल, टॉम ऐसा नहीं है । वह हमें छोड़कर कहीं नहीं जा सकता । "

और तभी टॉम ने बड़े नाटकीय ढंग से दस्यु शिविर में प्रवेश कर अपने साथियों को आश्चर्य में डाल दिया।

दिन-भर वे तीनों उछलते-कूदते रहे, किंतु धीरे-धीरे हर खेल से जी भर गया उनका और वे अपने-अपने विचारों में खो गए। अनजाने ही टॉम पैर के अंगूठे से बालू पर बैठा 'बेकी' लिखता रहा। जोय हारपर बैठा अपने घर के बारे में सोच रहा था। इतना द्रवित हो गया था वह कि आंसू उसकी आंखों की ड्योढ़ी पर आ टिके थे। हकिलबरी भी बहुत उदास दिख रहा था।

जोय बालू में एक सींक से छेद करता देर तक बैठा रहा और फिर अंत में बोल उठा, “मैं तो भैया, अब मर जाऊंगा। इस एकांत में मुझसे न रहा जाएगा।"

“धीरे-धीरे तुम्हें यहां अच्छा लगने लगेगा, जोय !" टॉम बोला, “सोचो, यहां मछली मारने में कितना मजा आता है।"

"गोली मारो मछली मारने को ! मैं तो मर जाऊंगा।”

“मगर जोय, तैराकी के लिए इससे बढ़कर कोई स्थान नहीं है।"

"मुझे नहीं करनी है तैराकी-वैराकी ! मैं तो बस मर जाना चाहता हूं।"

“तो बच्चूजी, अम्मा को देखना चाहते हैं?" व्यंग्य किया टॉम ने ।

"हां हां, मैं अपनी मां को देखना चाहता हूं। तुम्हारी मां होती तो तुम भी उसे देखने के लिए तरसते !" गुस्से से जोय ने कहा।

“ठीक है, इस रोने बच्चे को हम घर चला जाने देंगे, है न, हकिल ? हम लोग, भैया, यहीं रहेंगे !"

अनमने भाव से हकिल ने 'हां' कह दिया।

“इस जीवन में अब मैं तुमसे कभी बात न करूंगा।" और जोय उठकर अपने कपड़े पहनने लगा ।

“किसे परवाह है तेरी !”

इतने में हकिल भी बोल उठा, “मैं घर जाऊंगा, टॉम !” और वह भी अपने कपड़े उठाने लगा ।

टॉम अकड़ा बैठा रहा। किंतु वे दोनों काफी दूर निकल गए, तो उन्हें रोकना ही पड़ा। अब उसने अपने अंतिम अस्त्र के रूप में अपनी नई योजना बताई, जिसे सुनकर जोय और हकिल उसके साथ रुके रहने को तैयार हो गए।

इधर गांव में बड़ी उदासी छाई हुई थी। गांव के उन तीनों बच्चों का अभी तक कोई पता नहीं लग सका था, इसलिए मातम की तैयारियां शुरू हो गयीं। सारे गांव में असाधारण सन्नाटा छाया हुआ था ।

बेकी दोपहर तक उन स्थलों पर घूमती रही, जहां कभी उसने टॉम के साथ बातें की थीं, जहां उसके साथ वह खेली-कूदी थी। टॉम के साथ अपने व्यवहार पर अत्यधिक दुख हो रहा था उसे । वह टॉम को याद करके सिसक-सिसक पड़ती थी ।

रविवार को सुबह 'संडे - स्कूल' का समय समाप्त होने पर चर्च का घंटा असाधारण रूप से बजने लगा। गांव के लोग चर्च में इकट्ठे होने लगे। देखते-ही-देखते चर्च का हॉल ठसाठस भर गया। अन्त में पाली मौसी सिड और मेरी के साथ आयीं । हारपर का परिवार भी आ गया उनके पीछे-पीछे। दोनों परिवारों के लोग एकदम काले मातमी वस्त्र पहने हुए थे । वातावरण । वातावरण में गहरा सन्नाटा व्याप्त था, जिसमें बीच-बीच में सिसकियां गूंज जाती थीं ।

अंत में पादरी ने उठकर अपने दोनों हाथ फैलाकर तीनों मृत बच्चों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। फिर बाइबिल का अत्यधिक करुण पद गाया गया।

इसके बाद पादरी ने तीनों मृत बच्चों के प्रशंसापूर्ण चित्र खींचने शुरू किए। उन्होंने उनके जीवन की कुछ ऐसी करुण घटनाओं की भी चर्चा की, जिससे उन बच्चों के हृदय की विशालता का परिचय मिलता था। पादरी का भाषण निरंतर करुणा से भरता गया, और अंत में उपस्थित समुदाय सिसकियां भरने लगा। पादरी स्वयं भी सिसकने लगे थे ।

तभी बरामदे में आवाज होने लगी और फिर चर्च का दरवाजा धीरे-धीरे खुल गया। पादरी ने अपनी आंख पर से रूमाल हटाकर दरवाजे की ओर देखा । धीरे-धीरे हॉल में उपस्थित पूरे समुदाय की नजरें उधर घूम गयीं। तीनों मृत बच्चे उनके सामने उपस्थित थे; पहले टॉम ने, फिर जोय हारपर और फिर हकिलबरी ने हॉल में प्रवेश किया। पाली मौसी, मेरी और हारपर-परिवार ने लपककर टॉम और जोय को सीने से लगा लिया और उन पर चुंबनों की वर्षा करने लगे । हकिल उलझन में पड़ा खड़ा रहा। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे !

तभी टॉम बोला, "मौसी, यह तो ठीक नहीं। हकिल को देखकर भी तो खुश होना चाहिए किसी को !”

“हां-हां, टॉम, इसे देखकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है । बिन मां का बच्चा !”

किंतु पाली मौसी की ममता भरी दृष्टि ने हकिल को और अधिक बेचैन बना दिया। टॉम क्षण-भर में गांव-भर के बच्चों के लिए ईर्ष्या का पात्र बन गया था । और स्वयं टॉम का हृदय गर्व से भर उठा था ।

तो यह भी टॉम की योजना थी, जिसके बल पर उस दिन उसने अपने डाकू साथियों को टापू पर रोका था ।

बहादुर टॉम-7

बेकी भी बहुत खुश थी टॉम के वापस आ जाने से | उसने उससे समझौता कर लेने का निश्चय कर रखा था। मगर टॉम के मन में कुछ और ही था। उसने बेकी से दूर ही रहने की सोच रखी थी, इसलिए बेकी के लाख कोशिश करने पर भी उसने उसकी ओर ध्यान न दिया ।

फिर भी बेकी उसे अपनी ओर आकर्षित करने की लगातार कोशिश करती रही। किंतु जब टॉम ने एमी लारेंस के साथ घूमना शुरू किया तो बेकी के आत्मसम्मान को गहरा धक्का लगा। उसने भी एल्फ्रेड टेम्पेल को पकड़ा और टॉम को दिखा-दिखाकर उसके साथ तस्वीरों की एक पुस्तक देखने लगी ।

टॉम ईर्ष्या से जल उठा। एमी लारेंस का साथ जैसे बोझ बन गया उसके लिए। और वह उससे पीछा छुड़ाने की गरज से दोपहर में घर चला गया।

उसके जाते ही बेकी को एल्फ्रेड से चिढ़ होने लगी और अंत में तो वह चीख-सी पड़ी, “चले जाओ एल्फ्रेड, चले जाओ, मुझे अकेली ही रहने दो। मैं तुमसे घृणा करती हूं ।”

एल्फ्रेड चौंक-सा पड़ा। किंतु वह सारा मामला समझ चुका था। टॉम के प्रति गहरी घृणा भर गई थी उसके मन में और तभी उसे बदला लेने का मौका भी मिल गया। उसने तुरंत ही स्याही उंडेल दी उस पर। बेकी ने सब कुछ देखा । एक बार इच्छा हुई कि टॉम को बता दे; किंतु फिर रोक लिया उसने अपने-आपको। उसने सोचा, टॉम को मार पड़ेगी तो मजा आएगा, बच्चू बहुत अकड़ते हैं ।

बेचारी को क्या पता था कि वह स्वयं ही परेशानी में फंसने जा रही है ।

उन लोगों के मास्टर डाबिन्स क्लास के बीच जाने कौन-सी पुस्तक अपनी डेस्क से निकालकर रोज पढ़ा करते थे। किंतु आज तक किसी ने उस पुस्तक को देखा नहीं था । आज बेकी को मौका मिल गया। जल्दी से डेस्क खोलकर वह पुस्तक निकालकर उलटने - पुलटने लगी। उसकी नजरें पूर्णतया नग्न मानव शरीर की तस्वीर पर अटक गईं। टॉम झांककर तस्वीर को देखने लगा । बेकी ने झटके से पुस्तक बंद करने की कोशिश की, और तस्वीरवाला पेज बुरी तरह फट गया ! बेकी सुबक- सुबककर रोने लगी । वह जानती थी कि अब उसे निश्चित रूप से मार खानी पड़ेगी । खूब बुरा-भला भी कहा उसने टॉम को ।

क्लास लगी । जरा देर में ही टॉम की कॉपी पर स्याही गिरी देख ली मास्टर साहब ने और टॉम की खूब पिटाई हुई । की सोचने की कोशिश करती रही कि टॉम को मार पड़ने से खुशी हो रही है उसे, किंतु वास्तव में वह खुश हो नहीं सकी । मार खाकर टॉम चुपचाप अपनी सीट पर आ बैठा ।

एक घंटा तो खैरियत से बीत गया। किंतु अंत में मास्टर ने अपनी डेस्क में से पुस्तक निकाल ही ली। बेकी का चेहरा सफेद पड़ गया। टॉम बेकी की ओर गौर से देख रहा था । मास्टर पुस्तक उलटते रहे । एकाएक उनकी नजर फटी हुई तस्वीर पर पड़ी और उनका चेहरा क्रोध से तमतमा उठा । बोले, “किसने फाड़ी है यह किताब ?"

सन्नाटा छाया रहा क्लास में ।

उन्होंने प्रत्येक विद्यार्थी से प्रश्न करना शुरू किया ।

अंत में बेकी का नंबर आ ही गया। मास्टर साहब ने पूछा, "रेबेका थैकर, क्या तुमने फाड़ी है यह किताब ?”

टॉम ने उसकी ओर देखा, उसका चेहरा आतंक से विकृत हो उठा था । वह कुछ कहने को उठी । किंतु उसी क्षण टॉम उठकर चिल्ला उठा, “किताब मैंने फाड़ी थी ।"

हैरानी से तकने लगी सारी क्लास टॉम को ।

बुरी तरह पिटाई हुई टॉम की । किंतु वह खुश था।

टॉम उस दिन रात में बिस्तर पर लेटा तो उसका मन- मस्तिष्क एल्फ्रेड टेम्पल को मजा चखाने की योजना बना रहा था क्योंकि बेकी इतनी शर्मिंदा हुई थी और उसे अपने किए पर इतना पछतावा था कि उसने टॉम से सब-कुछ कह डाला था।

टॉम की आंखों में नींद थी और उसके कानों में बेकी के ये शब्द मिठास घोल रहे थे, “टॉम, तुम कितने अच्छे हो, कितने अच्छे !”

बहादुर टॉम-8

स्कूल में छुट्टियां हो जाने के कारण इधर गांव का जीवन घटना - रहित हो गया था। किंतु उस दिन पॉटर का मुकदमा आरम्भ हुआ तो वातावरण फिर उत्तेजित हो उठा। टॉम न हुए भी दोनों दिन अदालत का चक्कर काटता रहा और मुकदमे की कार्रवाई सुनने की कोशिश करता रहा । हकिलबरी की भी बिल्कुल यही दशा थी। किंतु वे दोनों एक-दूसरे से कतराते-से रहे ।

दूसरे दिन टॉम कान लगाकर मुकदमे की कार्रवाई सुनता रहा । अंत में लोग अदालत से निकले तो उनकी बातों टॉम को पता लग गया कि इंजुन जोय की गवाही बिल्कुल दृढ़ बनी हुई है। उसे अपने बयान से कोई विचलित नहीं कर सका। पॉटर का डॉक्टर राबिन्सन की हत्या का अपराध साबित हो चुका था और यह निश्चय था कि जूरी का फैसला क्या होगा ।

टॉम उस दिन रात में बहुत देर तक घूमता रहा। जब वह घर लौटा तो उसका मस्तिष्क अत्यधिक उत्तेजित था। घंटों नींद नहीं आई उसे ।

दूसरे दिन सुबह अदालत में बहुत भीड़ हुई । सारा गांव मुकदमे का फैसला सुनने के लिए उमड़ पड़ा। जूरी और जज के आ जाने पर शेरिफ ने मुकदमे की कार्रवाई आरम्भ की।

वकीलों में धीरे-धीरे बातचीत हुई, कागज उल्टे-पुल्टे गए और फिर एक गवाह को बुलाया गया। उसकी गवाही | पॉटर ने अपनी निस्तेज दृष्टि उठाकर देखा और नजरें झुका लीं। उसके वकील ने कहा, “मुझे कोई प्रश्न नहीं पूछना है ।"

दूसरा गवाह आया और उसने बयान दिया कि लाश के निकट ही चाकू पड़ा मिला था ।

“इनसे भी मुझे कोई प्रश्न नहीं पूछना है।” पॉटर के वकील ने कहा ।

तीसरे गवाह ने कहा कि उसने उस चाकू को अक्सर पॉटर के हाथ में देखा था, जिससे हत्या की गई थी ।

इस गवाह से भी पॉटर के वकील ने जिरह नहीं की । उपस्थित दर्शकों के चेहरे क्रोध से विकृत हो उठे । उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वकील अपने मुवक्किल की जान बचाने की कोई भी कोशिश क्यों नहीं करना चाहता !

गवाह आते गए और गवाही देते गए, किंतु पॉटर के वकील ने किसी से भी जिरह नहीं की । गहरा असंतोष छा गया दर्शकों में ।

सबूत पक्ष का वकील हत्या - संबंधी सारी परिस्थितियों को साबित करके अपने स्थान पर बैठ गया ।

पॉटर के मुंह से एक कराह निकल गई और उसने अपने हाथों में मुंह छिपा लिया ।

अब पॉटर के वकील ने कहा, "हुजूर, मुकदमे के आरम्भ में मैंने यह दलील दी थी कि हमारे मुवक्किल ने शराब के नशे में हत्या की थी और उस समय वह अपना होश- हवास में नहीं था। लेकिन अब हमने अपना इरादा बदल दिया है। बचाव के लिए अब हम यह दलील नहीं देंगें ।” फिर चपरासी की ओर मुड़कर उसने कहा, "टॉमस सायर को बुलाओ ।” दर्शक आश्चर्यचकित रह गए। पॉटर भी आश्चर्य से नजरें उठाकर देखने लगा ।

टॉम ने आकर गवाहों के कटघरे में अपना स्थान ग्रहण कर लिया। उसे शपथ दिलाई गई।

“टॉमस सायर, सत्रह जून को आधी रात के समय तुम कहां थे?"

टॉम ने इंजुन जोय के कठोर चेहरे की ओर देखा । उसकी जबान कुछ भी कहने से इंकार करने लगी। दर्शक सांस रोके सुन रहे थे। थोड़ी देर तक टॉम कुछ कह नहीं सका। फिर धीरे-धीरे साहस बटोरकर उसने कहा, "कब्रिस्तान में !”

“जरा जोर से कहो ! डरो नहीं । कहां थे तुम ?”

“ कब्रिस्तान में ।”

इंजुन जोय के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कराहट फैल गई।

“क्या तुम हार्स विलियम की कब्र के निकट ही कहीं थे ?”

"जी हां !"

“जरा जोर से बोलो ! कितनी दूर थे तुम विलियम की कब्र से ?"

“जितनी दूर इस समय मैं आपसे हूँ।”

“तुम छिपे हुए थे या नहीं ?”

“हां, मैं छिपा हुआ था ।”

“एक पेड़ के पीछे ।”

इंजुन शून्य में ताक रहा था।

“कोई तुम्हारे साथ था ?”

“हां, मैं वहां...।”

"रुको, रुको, तुम्हें अपने साथी का नाम बताने की कोई जरूरत नहीं है। हम उसे उचित समय पर पेश करेंगे। तो तुम लोग अपने साथ कोई चीज भी ले गए थे ?" टॉम चक्कर में पड़ा खड़ा रहा ।

"बोलो मेरे बच्चे ! डरो नहीं, सत्य की हमेशा कद्र होती है । क्या ले गए थे तुम अपने साथ ?”

"केवल एक मरी हुई बिल्ली ।"

धीरे से हंस पड़े सब लोग ।

"हम लोग उस बिल्ली की ठठरी अदालत में पेश करेंगे । ....अच्छा बेटे, अब बताओ, वहां तुमने क्या देखा ? कोई बात छिपाना नहीं !"

टॉम ने हिचकते - हिचकते कहना शुरू किया । धीरे-धीरे उसके स्वर में तेजी आती गई और फिर पूरे जोश से सारी घटना सुनाने लगा। हर व्यक्ति मुंह बाए सुन रहा था उसका बयान। सबके चेहरे पर आश्चर्य था । उस समय दर्शकों की उत्तेजना अपनी चरमसीमा पर पहुंच गई, जब टॉम ने अपने बयान के अन्त में कहा, "और डॉक्टर ने कब्र का हेडबोर्ड उठाकर मफ पॉटर के सिर पर दे मारा। वह जमीन पर गिर पड़ा। इंजुन जोय ने उसी समय चाकू उठा लिया और..."

तभी एक जोर की आवाज हुई। इंजुन जोय बिजली की-सी तेजी से उठा और लोगों को इधर-उधर धकेलता हुआ खिड़की फांदकर गायब हो गया ।

टॉम इस घटना के बाद गांव-भर का हीरो बन गया— बड़े-बूढ़ों का दुलारा, बच्चों के लिए ईर्ष्या का पात्र !

किंतु टॉम के मन में इंजुन जोय का भय इस कदर समा गया था कि उसे ठीक से नींद तक न आती थी ।

इंजुन जोय को पकड़ने की बड़ी कोशिशें की जा रही थीं, किंतु वह ऐसा गायब हो गया था कि लगता था जैसे गांव में हो ही नहीं ।

बहादुर टॉम-9

हर बालक के जीवन में एक ऐसा समय आता है । जब वह चाहता है कि कहीं गड़ा हुआ खजाना खोद निकाले । टॉम के मन में एक दिन यह इच्छा उत्पन्न हो गई। उसने किसी साथी की खोज करनी शुरू की, किंतु कोई मिला ही नहीं । कोई कहीं गया था, कोई कहीं। अंत में टॉम हकिलबरी के पास गया। उसे एकांत में ले जाकर उसने अपनी योजना बताई ! हकिलबरी भला इस प्रकार के काम में कब पीछे रहने वाला था ! वह टॉम का साथ देने को तुरंत तैयार हो गया।

टॉम का खयाल था, खजाना या तो सूखे हुए वृक्षों के आस-पास गड़ा है या भुतहे स्थानों पर । इसलिए ऐसे ही स्थानों पर खजाने की खोज शुरू हुई। रोज आधी रात गए वे फावड़ा और कुदाल लेकर एक न एक ऐसे स्थान पर खुदाई करते, किंतु निराशा के सिवा कुछ हाथ न लगता ।

अंत में उन दोनों ने कार्डिफ पहाड़ी पर बने भुतहे मकान में खजाने की तलाश करने का निश्चय किया। जब वे वहां पहुंचे, तो वहां उनकी इंजुन जोय से मुठभेड़ हो गई। किसी तरह उसकी नजरों से बचकर वे उसे देखते रहे। इंजुन जोय के साथ उसका एक साथी भी था । वे दोनों भविष्य की योजनाओं पर बातचीत करते रहे ।

अंत में उन दोनों ने वह खजाना खोज निकाला जिसकी तलाश में टॉम हकिलबरी के साथ वहां गया था। बड़ा धक्का लगा उन दोनों को ।

किंतु जब उस दिन इंजुन जोय दिख गया, तो दोनों उसके पीछे लग गए। उसका खजाना तो उन्हें हथियाना ही था किसी तरह ।

शुक्रवार के दिन सुबह ही टॉम को पता चला कि न्यायाधीश थैकर का परिवार वापस आ गया है। इतना सुनते ही वह इंजुन जोय और खजाने को भूल गया । वह तुरंत ही की के पास गया। दोनों खेलते रहे देर तक साथ-साथ । शाम को बेकी ने अपनी मां से जिद करना शुरू किया कि अगले दिन पिकनिक पर जाने का इंतजाम कर दे। उसकी मां मान गई और तुरंत ही पिकनिक की तैयारी हो गई ।

चलते समय टॉम ने बेकी से कहा, “रात भर हम लोग जोय हारपर के यहां रहने के बजाय पहाड़ी की चोटी पर श्रीमती डगलस के मकान में रहेंगे, बेकी! वे हमें आइसक्रीम खिलाएंगी । बहुत बढ़िया आइसक्रीम बनाती हैं वे । और हमें देखकर इतनी खुश होंगी, इतनी खुश होंगी कि ..."

"मगर मां क्या कहेंगी, टॉम !"

"मां को कभी मालूम ही नहीं हो सकेगा, बेकी !”

“ठीक है, मगर यह अच्छी बात नहीं ।"

"अरे, गोली मारो | अगर-मगर को ! तुम्हारी मां तो बस इतना चाहती हैं कि तुम सुरक्षित रहो। और अगर तुम कहतीं तो वे निश्चित रूप से तुम्हें श्रीमती डगलस के यहां रहने की इजाजत दे देतीं ।"

इसलिए बेकी को टॉम की बात माननी पड़ी ।

कस्बे से तीन मील दूर एक जंगली स्थान पर नावें जा लगीं। पार्टी उतर पड़ी। तट पर तरह-तरह के खेल-कूद शुरू हो गए। जंगल और पहाड़ियां गूंज उठीं बच्चों की खिलखिलाहट से, शोर-गुल से । थक जाने पर सबने कैंप में लौटकर भोजन किया। भोजन समाप्त होते-होते किसी ने कहा, “गुफा में कौन चलेगा ?”

भला इंकार किसको हो सकता था ! इसलिए ढेर की ढेर मोमबत्तियां लेकर वे चल पड़े पहाड़ी के ऊपर बनी मैक्डागल गुफा की तरफ । खोह के फाटक पर पहुंचकर मोमबत्तियां जलाई गयीं। और दो-दो, चार-चार की टोली में चल पड़ी सारी पार्टी खोह के अंदर । थोड़ी दूर पर ही गुफा अनेक शाखाओं में बंट गई थी। लोग कहते थे कि यह खोह ऐसी थी कि इसमें रात-दिन आदमी घूमता ही रह जाए और खोह का कहीं अंत न मिले। गुफा में थोड़ी दूर तक का ही रास्ता मालूम था लोगों को, सो वह पार्टी थोड़ी दूर तक ही घूमती रही गुफा के अंदर ।

काफी देर बाद जब वे गुफा के अंदर से निकले तो रात हो चली थी । इसलिए सब-के-सब तेजी से नावों की तरफ चल पड़े ।

हकिलबरी उस दिन टॉम से भेंट न होने पर भी इंजुन जोय के पीछे लगा रहा। उसका पीछा करते-करते वह पर्वत पर पहुंच गया। घोर जंगली स्थान था वह ।

वहां पहुंचकर उसे इंजुन और उसके साथी की बातों से पता चला कि वे श्रीमती डगलस की हत्या करने के विचार से वहां गए थे, जो एक सीधी-सादी विधवा थीं। घबराकर हकिल निकट ही बूढ़े दादा वेल्शमैन के यहां दौड़ा गया। उनसे सब कुछ कह डाला उसने । वेल्शमैन अपने दो नौजवान लड़कों के साथ बंदूक लेकर चल पड़े। इंजुन और उसके साथी को उन्होंने मार गिराने की कोशिश की; किंतु निशाना चूक गया और वह भाग निकला।

इस घटना से इतना मानसिक आघात लगा हकिलबरी को कि वह बुरी तरह बीमार पड़ गया। श्रीमती डगलस पूर्ण मनोयोग से उसकी सेवा-सुश्रुषा करती रहीं ।

बहादुर टॉम-10

रविवार को थैकर-परिवार और पाली मौसी को पता चला कि बेकी और टॉम का कहीं पता नहीं है, तो उनके मन में तरह-तरह की चिंताएं होने लगीं। तुरंत उन लोगों ने अनुमान लगा लिया कि शायद टॉम और बेकी उस रहस्यपूर्ण गुफा में ही खो गए और पिकनिक पार्टी के साथ वापस नहीं लौटे श्रीमती थैकर जोर से फफक पड़ीं। पाली मौसी भी हाथों में मुंह छिपाकर बुरी तरह रोने लगीं ।

तुरंत ही मशालों के साथ एक दल खोज करने के लिए भेजा गया । न्यायाधीश थैकर स्वयं गुफाओं में अपनी बेटी और टॉम को खोजने गए।

गुफा में एक स्थान पर मोमबत्ती के धुएं से बेकी और टॉम लिखा मिला। बेकी के बालों का फीता भी मिला उन लोगों को एक जगह ।

श्रीमती थैकर ने वह फीता देखा तो वे और भी बुरी तरह रोने लगीं। उन्होंने निश्चित समझ लिया कि उनकी बेटी हमेशा के लिए उनसे छिन गई।

किंतु न्यायाधीश थैकर बराबर गुफाओं में उन दोनों की खोज करने में लगे रहे।

उस दिन जब टॉम और बेकी गुफा में घुसे थे, तो बातें करते हुए वे अनजाने ही एक तरफ बढ़ गए थे। चलते-चलते एक ऐसे स्थान पर पहुंच गए, जहां एक झरना बह रहा था । पास ही दो दीवारों के बीच एक सीढ़ी-सी बनी थी । उसे देखते ही टॉम के अन्दर नई-नई खोज करने की उसकी प्रवृत्ति जाग उठी । की भी उसका साथ देने को तैयार हो गई । इसलिए वहीं मोमबत्ती के धुएं से निशान बनाकर दोनों हाथों में हाथ दिए नई-नई चीजों की खोज करने के लिए आगे बढ़ने लगे ।

एक के बाद दूसरा रास्ता खुलता गया उनके सामने । गुफाओं का अंत ही नहीं था जैसे। अब घबराहट होने लगी उन दोनों को। बेकी ने कहा, "बहुत देर से अपने साथियों की आवाज नहीं सुनाई दी हमें, टॉम ! चलो, वापस चलें। रास्ता तो पा जाओगे न, तुम ?'

“हां, पा जाऊंगा ! मगर इस तरफ तो चमगादड़ हैं । कहीं दोनों मोमबत्तियां बुझा दीं इन चमगादड़ों ने तो फिर रास्ता नहीं मिलेगा अन्धेरे में । चलो, दूसरी तरफ से वापस चलने की कोशिश करें ।”

“हम खो तो नहीं जाएंगे टॉम ?”

“नहीं बेकी, नहीं !”

और वे एक गलियारे जैसी गुफा में चलने लगे। बड़ी देर तक वे चलते रहे इधर-उधर, पर रास्ता न मिला। अंत में की ने कहा, “चमगादड़ों का खयाल न करो, टॉम ! चलो, उसी रास्ते पर लौटे चलें !”

टॉम वहीं खड़ा हो गया, फिर जोर से चिल्लाया । गुफाओं में भयानक शोर करती हुई गूंज गई उसकी आवाज । की बोली, “अब फिर न चिल्लाना, फिर-न चिल्लाना, मुझे डर लगता है।"

टॉम ने फिर रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश की, मगर बेकार ।

बेकी घबराकर रुआंसे स्वर में बोली, “ओह टॉम, हम खो गए, हम खो गए ! अब हम इस भयानक स्थान से कभी नहीं निकल पाएंगे !”

और वह वहीं जमीन पर बैठकर फफक-फफककर रोने लगी। टॉम घबरा उठा। वह सोचने लगा कि कहीं बेकी रो-रोकर मर न जाए। उसने बैठकर बेकी को अपनी बांहों में भर लिया। बेकी उसके सीने में मुंह छिपाकर सिसकने लगी । टॉम अपने को कोसने लगा कि वह उसे वहां से क्यों ले आया । मगर बेकी ने अपनी नन्हीं-नन्हीं उंगलियां टॉम के होंठों पर रखकर चुप करा दिया उसे ।

फिर वे दोनों एक-दूसरे को पकड़े हुए चलने लगे। टॉम नेकी की मोमबत्ती लेकर बुझा दी और केवल एक जलती हुई मोमबत्ती लेकर चलने लगा ।

अन्त में बेकी थककर एक जगह बैठ गई। टॉम से वह घर के बारे में, मित्रों के बारे में और गांव के बारे में बातें करती रही। बेकी रोती रही और टॉम वहां से निकलने की कोई तरकीब सोचने की कोशिश करता रहा ।

एकाएक बेकी ने कहा, “मुझे बड़ी भूख लगी है, टॉम !”

“देखो, क्या है यह?”

बेकी के मुरझाए होंठों पर मुस्कराहट फैल गई। वह बोली, “हमारे विवाह का केक है यह, है न टॉम ?” दोनों विचारों में खोये हुए खाते रहे धीरे-धीरे । की बोली, “जब वे हमें नहीं पाएंगे तो हमें ढूंढने की कोशिश जरूर करेंगे ।"

“हां, निश्चित रूप से वे हमें ढूंढ़ेंगे ।"

“वे कब जान पाएंगे, टॉम, कि हम लोग खो गए हैं ?"

" जब नावें किनारे लगेंगी बेकी !”

जाने कितना समय बीत गया इसी तरह । एकाएक उन्हें हल्की-हल्की-सी आवाजें सुनाई दीं। कुछ आशा जगी मन में, किंतु फिर कोई आवाज नहीं सुनाई दी। वे एक जल स्रोत के निकट जा बैठे। बेकी उसकी बांहों के सहारे बैठी सिसक रही थी ।

एकाएक टॉम को एक तरकीब सूझ गई। उसे पास ही कई रास्ते दिख रहे थे । इसलिए जेब से पतंग की डोरी निकालकर उसने एक स्थान पर बांध दिया और बेकी को साथ लेकर एक तरफ चलने लगा; किंतु उन्हें रास्ते में एक गधा खड़ा दिखा और लौटकर फिर से उन्हें जल-स्रोत के निकट ही बैठ जाना पड़ा। टॉम ने फिर कोशिश की एक बार । किंतु वह थोड़ी ही दूर गया होगा कि एक आदमी एक कोने से हाथ में मोमबत्ती लिए हुए निकला। उसे देखते ही टॉम भय से कांप उठा । वह इंजुन जोय था। टॉम लौट आया अपने पुराने स्थान पर ।

अब उनकी मोमबत्ती भी खत्म हो चुकी थी । गहरे अंधकार में बैठे थे वे दोनों ।

टॉम ने बेकी को फिर चलने के लिए कहा, तो उसने इंकार कर दिया । कहने लगी कि वह जहां है, वहीं बैठी-बैठी मर जाएगी। टॉम जिधर जाना चाहता हो, जाए, वह उसका इंतजार करती रहेगी। टॉम से उसने कहा कि वह पतंग की डोर के सहारे रास्ता ढूंढ़ना चाहता है तो जाए, मगर जरा-जरा देर में उससे मिल जरूर जाए। उसने टॉम से वादा करा लिया कि वह बेकी की मृत्यु के समय उसके पास मौजूद रहेगा और जब तक सब-कुछ समाप्त नहीं हो जाएगा, तब तक उसका हाथ अपने हाथों में लिए रहेगा। टॉम ने झुककर उसका कंधा थपथपाया और फिर पतंग की डोर के सहारे रास्ता ढूंढ़ने चल पड़ा ।

उधर सेंट पीटर्सबर्ग में बड़ी उदासी छाई हुई थी। खोज "जारी थी, किंतु टॉम और बेकी के वापस आने की आशा समाप्त हो चुकी थी । श्रीमती थैकर और पाली मौसी का रोते-रोते बुरा हाल हो गया था ।

मंगल की आधी रात । एकाएक सारे गांव में शोर मच गया। जो जिस हालत में था घर से निकल आया। लोग चिल्ला रहे थे, “देखो, वे लोग मिल गए ! वे लोग मिल गए !” सारे गांव में रोशनी हो गई। उस रात फिर कोई सो नहीं सका।

पाली मौसी की खुशी का ठिकाना न था । श्रीमती कर भी बहुत खुश थीं, किंतु उन्हें गुफा से अपने पति के लौटने का इंतजार था। उन्होंने अपने पति के पास एक संदेशवाहक भेज दिया ।

टॉम एक सोफे पर लेटे-लेटे अपने विचित्र अनुभवों को उत्सुक श्रोताओं को सुनाता रहा। उसने बताया कि कैसे कई रास्तों पर पतंग की डोर के सहारे जाने के बाद एक रास्ते पर उसे दिन की हल्की-सी रोशनी दिखाई दी, कैसे रेंग-रेंगकर आगे बढ़ने के बाद गुफा से निकलने का एक छोटा-सा रास्ता उसे दिखा और मिसीसिपी नदी बहती दिखाई दी और फिर कैसे बेकी को लेकर एक लंबे समय के बाद वह दिन की रोशनी में आया ।

टॉम और बेकी कई दिन तक बिस्तर पर ही पड़े रहे । उठना-बैठना भी मुश्किल हो रहा था उनके लिए ।

टॉम को हकिलबरी की बीमारी का भी पता चला, किंतु वह उससे मिल नहीं पाया, क्योंकि हकिलबरी की हालत ऐसी नहीं थी कि उससे किसी तरह की उत्तेजनापूर्ण बात की जा सके। श्रीमती डगलस बराबर उसकी सेवा-सुश्रुषा कर रही थीं ।

बहादुर टॉम-11

उस दिन जब न्यायाधीश थैकर ने बताया कि उन्होंने गुफा के दरवाजे पर एक लोहे का दरवाजा लगवा दिया है, तो टॉम का चेहरा फक हो गया। जल्दी से पानी पिलाया गया उसे तो उसका मन शांत हुआ । न्यायाधीश थैकर ने पूछा, “क्या बात थी, बेटे टॉम ?"

“इंजुन जोय गुफा में है !”

मिनटों में यह खबर कस्बे भर में फैल गई। ढेर-के-ढेर आदमी मेक्डागल की गुफा की तरफ चल पड़े। टॉम न्यायाधीश थैकर के साथ था ।

गुफा का दरवाजा खोला गया। इंजुन का मृत शरीर पड़ा हुआ था दरवाजे पर ही । उसका चेहरा दरवाजे की ओर था, जैसे वह मरते समय भी बाहर की रोशनी देखने की कोशिश कर रहा था। इंजुन का चाकू उसके निकट पड़ा हुआ था। उसका फल टूटकर दो हो गया था। शायद उसने चाकू से दरवाजे के कुलावों को काट डालने की कोशिश की थी। उसे गुफा के निकट ही दफना दिया गया।

कुछ दिन बाद एक दिन सुबह ही टॉम ने हकिलबरी को बताया कि उसका खयाल है कि वह खजाना गुफा में ही है, जिसे इंजुन पा गया था । बस, फिर क्या था, चल पड़े वे दोनों खजाने की खोज में। टॉम हकिल को उसी रास्ते से गुफा के अंदर लिवा ले गया, जिससे वह बेकी को लेकर निकला था। वे खजाने की देर तक खोज करते रहे, पर निराशा के सिवा और कुछ हाथ न लगा ।

किंतु एकाएक उन्हें वहां लकड़ी का एक संदूक दिखाई दिया। उन्होंने उसे खोला तो सचमुच खजाना हाथ लग गया। उन दोनों ने अपने थैलों में सारा धन भर लिया।

संदूक में दो बंदूकें थीं और कुछ और सामान भी था। हकिल ने वह सब भी ले चलने को कहा। किंतु टॉम ने यह कहकर रोक दिया कि भविष्य में जब वे डाकू बनेंगे तो ये बंदूकें काम देंगी, क्योंकि वे गुफा को ही अपना अड्डा बनाएंगे ।

टॉम और हकिलबरी धन-दौलत लेकर कस्बे की ओर जा ही रहे थे कि बूढ़े दादा वेल्शमैन मिल गए। वे जबर्दस्ती पकड़ ले गए दोनों को श्रीमती डगलस के यहां । गांव के सभी बड़े-बड़े लोग वहां मौजूद थे ।

टॉम और हकिलबरी को नहला - धुलाकर नए कपड़े पहनाए गए। फिर पार्टी शुरू हुई । दादा वेल्शमैन ने अब भाषण देना शुरू किया, जिसमें उन्होंने बताया कि श्रीमती डगलस की जान बचाने में उनका और उनके लड़कों का ही नहीं, एक अन्य व्यक्ति का भी हाथ था, और वह व्यक्ति था हकिलबरी ।

श्रीमती डगलस अत्यधिक कृतज्ञता से देखने लगीं हकिल की ओर। उन्होंने कहा कि वे उसे अपने घर में रखकर उसे पढ़ाने लिखाने को तैयार हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि वे जब कभी रुपये बचा सकेंगी तो हकिल के लिए कोई व्यवसाय शुरू करा देंगी ।

अब टॉम के बोलने का मौका आ गया था। वह बोला, "हकिल को इसकी जरूरत नहीं । उसे आप गरीब न समझें। वह अमीर है, बहुत अमीर !”

सब लोग चौंक पड़े। किसी को टॉम की बात पर विश्वास नहीं हुआ । और तब टॉम बोला, "अरे, आप लोगों को हंसी आ रही है मेरी बात पर ! हकिल सचमुच बहुत अमीर है। मैं आप लोगों को दिखा सकता हूं।” और वह दरवाजे की ओर दौड़ गया ।

टॉम किसी तरह झोले को उठाकर ले आया और सोने के ढेर सारे सिक्के उन लोगों के सामने उंडेल दिए ।

"देखिए, मैंने आपसे कहा था न ! इसका आधा हकिल का है और आधा मेरा ।"

लोग आश्चर्य से आंखें फाड़े देखते ही रह गए। बहुतों ने तो कभी इतने सारे सिक्के एक साथ देखे ही नहीं थे । सिक्के गिने गए। बारह हजार डॉलर थे ।

श्रीमती डगलस ने हकिल के रुपयों को छ: प्रतिशत ब्याज पर उधार दिला दिया और पाली मौसी के अनुरोध पर न्यायाधीश थैकर ने टॉम के धन का भी इसी तरह उपयोग करवा दिया । इस तरह दोनों को एक डालर प्रति सप्ताह की आमदनी हो गई ।

न्यायाधीश थैकर टॉम की प्रशंसा करते न थकते थे । उनका कहना था कि टॉम के स्थान पर और कोई साधारण लड़का होता, तो कभी उनकी बेटी को गुफा के बाहर नहीं ला पाता । वे चाहते थे कि टॉम एक महान वकील या सेनानी बने ।

और हकिल को श्रीमती डगलस भी एक महान व्यक्ति बनाना चाहती थीं । उसे अब साफ-सुथरा रहना पड़ता, छुरी-कांटे से भोजन करना पड़ता और पढ़ना-लिखना पड़ता । हकिल के लिए यह सब कुछ एक असह्य बंधन, एक भयंकर बोझ बन गया ।

तीन हफ्ते तक वह ये सारे कष्ट उठाता रहा, और फिर एक दिन श्रीमती डगलस के यहां से गायब हो गया । श्रीमती डगलस ने उसकी बहुत खोज करवाई, किंतु कहीं पता न लगा। टॉम भी ढूंढने निकला और उसने खोज ही निकाला उसे । पुराने बूचड़खाने के पीछे एक गंदी-सी छायादार जगह पर पड़ा सो रहा था हकिलबरी । चुराकर लाई गई चीजें रखकर वह वहां सो गया था। उसके कपड़े फटे-पुराने थे, बाल बिखरे हुए थे, सारे बदन पर धूल-गर्द लिपटी हुई थी, किंतु उसके चेहरे पर अपार शांति और गहरा सन्तोष झलक रहा था।

हकिल को जगाकर टॉम ने उससे श्रीमती डगलस के यहां से भागने का कारण पूछा तो वह बोला, “वहां के बारे में बात न करो ! वह जीवन मेरे लिए नहीं है । मैंने बहुत कोशिश की कि अपने को उस जीवन के अनुरूप ढाल लूं. पर मुझसे यह नहीं हो सका। मेरे लिए तो यही ठीक है !”

टॉम ने उससे कहा कि अमीर हो जाने पर भी वह अपना डाकू-दल जरूर बनाएगा और उसे भी अपने दल में जरूर शामिल करेगा। लेकिन अगर वह श्रीमती डगलस के घर से इस तरह भागा रहेगा, तो लोग यही कहेंगे कि टॉम सायर के दल में बड़े चरित्रहीन और गिरे हुए लोग हैं। अंत में टॉम ने कहा, "अगर मेरे दल में शामिल होना चाहते हो, हकिल, तो श्रीमती डगलस के यहां लौट जाओ !"

थोड़ी देर तक सोचने के बाद हकिल बोला, “ठीक है, मैं वहां वापस जाता हूं। मैं वहां के सारे बंधनों को बर्दाश्त करूंगा, हर कष्ट सहूंगा, मगर मुझे अपने डाकू दल में जरूर रखना, टॉम !”

(अनुवाद : श्रीकांत व्यास)

  • मुख्य पृष्ठ : मार्क ट्वेन कहानियाँ और उपन्यास हिन्दी में
  • अमरीकी कहानियां और लोक कथाएं हिन्दी में
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां