पीले चेहरे का रहस्य (कहानी) : आर्थर कॉनन डॉयल

The Adventure of the Yellow Face (English Story in Hindi) : Arthur Conan Doyle

शर्लक होम्स एक ऐसा आदमी था, जो अपनी शारीरिक क्षमताओं का उपयोग वजह नहीं करता था । शक्ति और फुरती में बहुत कम लोग उसका मुकाबला कर पाते थे और निस्संदेह वह अपने भार वर्ग के सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर्स में से एक था । पर वह शक्ति के निरुद्देश्य प्रदर्शन को ऊर्जा का अपव्यय मानता था और उसका उपयोग तभी करता था, जब उससे कोई पेशेगत उद्देश्य पूरा होता हो । तब वह बिल्कुल अथक और अपराजेय होता था । यह तथ्य कि उसने इन परिस्थितियों में भी खुद को इतना फिट रखा था, असाधारण था, परंतु उसका खान-पान बहुत ही हलका और उसकी आदतें सादगीपूर्ण थीं। कभी- कभार कोकीन का सेवन करने के अलावा उसे कोई व्यसन नहीं था और यह ड्रग भी वह अपने अस्तित्व के उस नीरस दौर के विरोध के रूप में लेता था, जब उसके पास केस नहीं आते थे या दिलचस्प केस नहीं आते थे।

वसंत ऋतु के शुरुआती दिनों में एक दिन वह इतने अच्छे मूड में था कि उसने पार्क में जाने के लिए मुझे साथ ले लिया, जहाँ एल्म के पेड़ों पर पत्तियों के अंकुर फूटने शुरू ही हुए थे और चेस्टनट्स के चिपचिपे सिरों ने उनकी पाँच गुना पत्तियों का रूप लेना शुरू कर दिया था। दो घंटे तक हम साथ-साथ घूमते रहे। उस दौरान अधिकांशतः हम चुप ही रहे, जैसा उन दो पुरुषों के लिए स्वाभाविक ही है, जो एक-दूसरे को घनिष्ठता से जानते हों। जब हम एक बार फिर बेकर स्ट्रीट लौटे तो पाँच बजने वाले थे।

'माफ कीजिएगा, सर,' दरवाजा खोलते हुए हमारे किशोर घरेलू नौकर ने कहा, 'एक सज्जन यहाँ आए थे, जो आपके बारे में पूछ रहे थे । '

होम्स ने उलाहना भरी नजरों से मेरी ओर देखा । 'हम भी ! दोपहर भी कोई घूमने का वक्त है ? तो क्या वे सज्जन चले गए हैं?'

'हाँ, सर।'

'क्या तुमने उन्हें अंदर आने के लिए नहीं कहा ?'

'कहा था, सर । वे अंदर आए भी थे । '

'उन्होंने कितनी देर तक इंतजार किया ?'

'आधा घंटा, सर । वे सज्जन बहुत बेचैन थे। जितने समय वे यहाँ रहे, खीज से पैर पटककर इधर- उधर घूमते रहे। मैं दरवाजे पर खड़ा आपका इंतजार कर रहा था और उनकी पदचाप सुन सकता था । अंत में वे निकलकर गलियारे में आए और रोने लगे, 'क्या यह आदमी कभी नहीं आएगा ?' ये उनके आखिरी शब्द थे, सर । ' ' आपको बस थोड़ा सा इंतजार करना होगा, ' मैंने कहा । 'फिर मैं खुली हवा में इंतजार करूँगा । यहाँ मुझे घुटन महसूस होती है, ' उन्होंने कहा । 'जल्द ही मैं वापस आऊँगा ।' यह कहकर वे चले गए। मेरी कोई भी याचना उन्हें रोक न सकी । '

'ठीक है, तुम जो कर सकते थे, तुमने किया, ' अपने कमरे में दाखिल होते हुए होम्स ने कहा, 'पर यह बात है बहुत चिढ़ पैदा करने वाली, वाटसन । मुझे बेसब्री से एक दिलचस्प केस की तलाश थी और उस आदमी की अधीरता से ऐसा लगता है कि यह केस महत्त्वपूर्ण होगा । अरे, टेबल पर जो पाइप पड़ा है, वह तुम्हारा तो नहीं है ! वही आदमी छोड़कर गया होगा ! कीमती लकड़ी से बना हुआ पाइप, जिसमें चुनिंदा तंबाकू भरी हुई है। मुझे अचरज है कि लंदन में असली एंबर से बने कितने पाइप होंगे ? जो भी हो, वह सचमुच बहुत अशांत मानसिक स्थिति में होगा, जो अपना पाइप छोड़कर चला गया, उसके लिए बहुत कीमती था । '

'तुम कैसे जानते हो कि उसके लिए वह बहुत कीमती था ?' मैंने पूछा।

'मेरे हिसाब से इस पाइप की मूल कीमत सात शिलिंग, छह पेंस होगी ! अब, तुम देख सकते हो उसकी दो बार मरम्मत की गई है - एक बार लकड़ी के तने की और दूसरी बार एंबर में । ये दोनों तुम देख सकते हो, सिल्वर बैंड के साथ किए गए हैं, जिसमें पाइप की मूल कीमत से ज्यादा खर्च आया होगा। उस आदमी के लिए यह पाइप बहुत महत्त्व रखता होगा, क्योंकि वह उसकी मरम्मत कराना पसंद करता है, जबकि उतने ही पैसों में वह एक नया पाइप खरीद सकता था । '

' और कुछ ?' मैंने पूछा, क्योंकि होम्स उस पाइप को उलट-पलटकर देख रहा था और अपनी खास विचारमग्न मुद्रा में उसे घूर रहा था।

उसने पाइप को कुछ ऊँचाई पर रखकर अपनी लंबी - पतली तर्जनी से थपथपाया, जैसी हड्डी पर लेक्चर दे रहा कोई प्रोफेसर एक सेंपल हड्डी के साथ करता है।

'कभी-कभी पाइप असाधारण चीजें बयाँ करते हैं, ' उसने कहा, 'और किसी चीज का अपना व्यक्तित्व नहीं होता; शायद कलाई - घड़ियों और जूतों के फीतों को छोड़कर । परंतु यहाँ पर यह जिन बातों की ओर संकेत कर रहा है, वे न तो असामान्य हैं और न बहुत महत्त्वपूर्ण । इसका मालिक स्पष्ट रूप से एक बलिष्ठ आदमी है और लेफ्ट हैंडेड, उसके दाँत शानदार हैं, अपनी आदतों को लेकर लापरवाह और मितव्ययिता बरतने की उसे कोई जरूरत नहीं है।'

मेरे मित्र ने ये सारी सूचनाएँ बिना किसी तैयारी के तत्काल उड़ेल दी थीं, परतु मैंने देखा कि वह तिरछी नजरों से मेरी ओर देख रहा था, यह जानने के लिए कि मैं उसकी तर्क-प्रणाली को समझ पा रहा 'या नहीं।

'तुम समझते हो कि अगर कोई आदमी सात शिलिंग कीमत के पाइप का इस्तेमाल करता है तो उसे समृद्ध होना चाहिए ?' मैंने कहा ।

'यह तंबाकू एक ग्रॉसवेनर मिक्सचर है, जो आठ पेंस में एक औंस आता है, ' होम्स ने पाइप को थपककर थोड़ी सी तंबाकू अपनी हथेली पर रखते हुए जवाब दिया, 'इससे आधी कीमत में वह बढ़िया तंबाकू ले सकता था, इसलिए उसे पैसा बचाने की कोई जरूरत प्रतीत नहीं होती । '

' और तुमने जो दूसरी बातें कहीं, उनका क्या ?'

'उसे अपना पाइप लैंप्स और गैसजेट्स से सुलगाने की आदत है। तुम देख सकते हो कि उसका निचला भाग एक साइड से काफी जला हुआ है । अगर वह दियासलाई उपयोग करता तो ऐसा कभी नहीं होता। कोई भी आदमी एक जलती हुई दियासलाई को अपने पाइप के साइड में क्यों लगाएगा ? परंतु पाइप के माउथ का निचला हिस्सा जलाए बिना आप उसे एक चिमनी से नहीं सुलगा सकते और पाइप का जला हुआ सारा हिस्सा दाहिनी तरफ का है। इससे मैंने जाना कि वह एक लेफ्ट हैंडेड आदमी है। तुम अपना खुद का पाइप चिमनी के पास ले जाओ और देखो कि एक राइट हैंडेड व्यक्ति होने के कारण कितनी सहजता से पाइप के बाएँ हिस्से को जला देते हो। तुम चाहो तो एक बार दायाँ हिस्सा भी जला सकते हो, पर लगातार ऐसा नहीं होगा। इस पाइप को हमेशा एक ही स्थिति में पकड़ा गया है, फिर उसने तंबाकू की कठोर पैकिंग को दाँतों से काटकर खोला है। ऐसा करने के लिए एक आदमी मजबूत दाँतों का स्वामी होने के साथ-साथ तगड़ा और चुस्त भी होना चाहिए। परंतु अगर मैं गलत नहीं हूँ तो मैं सीढ़ियों पर उसी के चढ़ने की आवाज सुन रहा हूँ, इसलिए हमारे पास अध्ययन करने के लिए इस पाइप से ज्यादा दिलचस्प चीजें होंगी।'

एक क्षण बाद हमारा दरवाजा खुला और एक लंबे युवक ने कमरे में प्रवेश किया। उसने गहरे स्लेटी रंग का सूट पहना हुआ था। मेरे अंदाज से उसकी उम्र लगभग तीस वर्ष रही होगी। हालाँकि असल में वह उससे कुछ साल ज्यादा का था।

'मुझे माफ कीजिएगा,' कुछ लज्जित होते हुए उसने कहा, 'मैं समझता हूँ, मुझे दरवाजा खटखटाकर आना चाहिए। निश्चित रूप से मुझे ऐसा ही करना चाहिए था । असल बात यह है कि मैं कुछ परेशान हूँ और उसी की वजह से ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं; एक ऐसे आदमी की तरह, जो अपना आधा होश खो बैठा हो, उसने अपने माथे पर हाथ फिराया और कुरसी पर बैठने के बजाय लुढ़क सा गया।

‘मैं देख सकता हूँ कि आप एक या दो रातों से सोए नहीं है, ' अपने सहज और सौहार्दपूर्ण लहजे में होम्स ने कहा, 'काम ही नहीं, बल्कि मौज-मस्ती से भी ज्यादा अनिद्रा आदमी को थका देती है। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि मैं किस तरह से आपकी मदद कर सकता हूँ ?'

'मैं आपसे सलाह लेना चाहता था, सर ! मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ ? और मेरी जिंदगी पूरी तरह से बिखर गई है। '

'आप मुझे एक सलाहकार जासूस की तरह नियुक्त करना चाहते हैं ?'

'सिर्फ यही नहीं। एक बुद्धिमान और व्यावहारिक आदमी के तौर पर मैं आपकी राय चाहता हूँ। मैं जानना चाहता हूँ कि मेरा अगला कदम क्या होना चाहिए ? मुझे आशा है कि आप बता सकेंगे!'

उसकी बातें छोटे, तीखे, झटके से आ रहे उद्गारों के रूप में सामने आ रही थीं तथा मुझे ऐसा लग रहा था कि सिर्फ बोलना ही उसे बहुत कष्टप्रद लग रहा था, और यह कि उसकी इच्छाशक्ति उसे वह सब कहने के लिए प्रेरित कर रही थी, जो कहना उसकी प्रवृत्ति में नहीं था ।

यह एक बड़ा ही संवेदनशील मामला है, ' उसने कहा, 'कोई भी व्यक्ति अजनबियों के सामने अपने घरेलू मामलों के बारे में बात करना पसंद नहीं करता । यह भयावह लगता है कि मैं दो ऐसे व्यक्तियों के साथ अपनी पत्नी के व्यवहार के बारे में चर्चा कर रहा हूँ, जिन्हें मैंने इससे पहले देखा तक नहीं है। ऐसा करने की मजबूरी असहनीय है। मगर मेरा दिमाग काम ही नहीं कर रहा और मुझे सलाह चाहिए । '

'मेरे प्रिय मि. ग्रांट मुनरो.... ? ' होम्स ने बोलना शुरू किया।

हमारा मुलाकाती अपनी कुरसी से उछल पड़ा, 'क्या ? आप मेरा नाम जानते हैं ?'

होम्स ने मुसकराते हुए कहा, 'अगर आप अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हैं तो मैं आपको सलाह दूँगा कि आप अपने हैट की लाइनिंग पर अपना नाम लिखना बंद कर दें या जब आप किसी से बात कर रहे हों, तब यह हिस्सा पीछे की ओर कर लें। मैं कहने की वाला था कि मेरे मित्र और मैं इस कमरे में बहुत से अनोखे राज सुन चुके हैं और हमारी खुशकिस्मती रही है कि हम कई परेशान व्यक्तियों को सुकून पहुँचा पाए हैं। मुझे विश्वास है कि हम आपके लिए भी बहुत कुछ कर सकते हैं। चूँकि समय का फैक्टर महत्त्वपूर्ण हो सकता है तो क्या मैं आपसे याचना कर सकता हूँ कि अब और देरी किए बिना अपने केस से जुड़े तथ्य मेरे सामने रख दें ?'

हमारे मुलाकाती ने एक बार फिर अपने हाथ से माथा दबाया, जैसे वह जो कुछ बताने जा रहा था, उसे बताने में उसे बहुत तकलीफ हो रही थी । मैं देख सकता था कि वह अपने तक सीमित रहनेवाला एक रिजर्व्ह आदमी था, जिसके स्वभाव में ही कुछ घमंड झलकता था और वह उन लोगों में से था, जो अपने घाव दिखाने से ज्यादा उन्हें छिपाना पसंद करते हैं। फिर अचानक हवा में मुक्का घुमाते हुए, जैसे उसने सारी सावधानी उतार फेंकी हो, उसने बोलना शुरू किया।

'बात यह है, मि. होम्स, ' उसने कहा, 'पिछले तीन सालों से मैं एक शादीशुदा आदमी हूँ। इस दौरान मेरी पत्नी और मैंने एक-दूसरे से इतना प्यार किया है और इतने खुश रहे हैं, जितना कोई भी सुखी दंपती रहा होगा। हम दोनों की सोच, बातों और कृत्यों में एक भी मतभेद नहीं रहा है और अब, पिछले सोमवार से हम दोनों के बीच एक व्यवधान खड़ा हो गया है और मुझे ऐसा लग रहा है कि उसके जीवन या उसके मन में कुछ ऐसी बात है, जिसके बारे में मैं उतना कम जानता हूँ, जैसे वह मेरी पत्नी न होकर रास्ते में टकरा गई कोई अजनबी स्त्री हो। हम दोनों के बीच एक दूरी पैदा हो गई है और मैं उसका कारण जानना चाहता हूँ ।

‘अब इससे पहले कि मैं आगे बढूँ, मि. होम्स, एक चीज मैं आपके मन में बिठा देना चाहता हूँ। फी मुझसे प्यार करती है, इस बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। वह मुझे दिल की गहराइयों से प्यार करती है और जितना पहले करती थी, अब उससे भी ज्यादा करती है। यह मैं जानता हूँ, महसूस करता हूँ। उस बारे में मैं कोई बहस नहीं करना चाहता । जब एक स्त्री एक पुरुष से प्यार करती है तो यह उस पुरुष को आसानी से पता चल जाता है । परंतु हमारे बीच कोई रहस्य आ खड़ा हुआ है; और जब तक उस पर से परदा न उठ जाए, हमारा जीवन कभी पहले जैसा न होगा।'

'कृपया मुझे केवल मुख्य तथ्य बताएँ, मि. मुनरो ।' कुछ अधीरता से होम्स ने कहा ।

'एफी के इतिहास के बारे में मैं जो कुछ जानता हूँ, वह मैं आपको बताऊँगा । जब मैं उससे पहली बार मिला था, वह एक विधवा थी, पर बिल्कुल युवा - केवल पच्चीस वर्ष की । तब उसका नाम था- मिसेज हेब्रन। बहुत कम उम्र में ही वह अमेरिका चली गई थी और अटलांटा शहर में रहती थी; जहाँ उसने इस हेब्रन से शादी कर ली थी, जो एक वकील था और उसकी प्रेक्टिस अच्छी चलती थी। उनका एक बच्चा था, परंतु उनके मोहल्ले में बुरी तरह से पीला बुखार फैल गया, जिसकी चपेट में आकर उसके पति और बच्चे की मौत हो गई। मैंने उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र देखा है। इस घटना से उसका मन अमेरिका से उचट गया और वह मिडिलसेक्स की पिनर निवासी अपनी कुँवारी आंटी के साथ रहने के लिए वापस लौट आई । यहाँ मैं बता दूँ कि उसका पति आर्थिक रूप से उसे काफी सुरक्षित छोड़ गया था और उसके पास करीब साढ़े चार हजार पौंड की पूँजी थी, जो उसके पति द्वारा इतने अच्छे तरीके से निवेश की गई थी कि वह औसत रूप से सात प्रतिशत रिटर्न देती थी । उसे पिनर आए छह महीने ही हुए थे। जब मैं उससे मिला था, हम दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया और कुछ हफ्तों बाद हमने शादी कर ली। '

'मैं खुद एक घुमक्कड़ सेल्समैन हूँ और सात या आठ सौ पौंड मेरी आमदनी है। हमने खुद को काफी आरामदायक स्थिति में पाया और नोर्बरी में सालाना अस्सी पौंडवाला एक अच्छा सा विला ले लिया । शहर से इतना नजदीक होते हुए भी हमारी छोटी सी बस्ती में एक ग्रामीण महक थी । हमारे घर से कुछ ऊँचाई पर एक सराय एवं दो मकान थे और सामने एक मैदान के साथ एकमात्र कॉटेज बनी हुई थी, इनके अलावा, जब तक आप रेलवे स्टेशन का आधा रास्ता पार न कर लें, कोई और मकान नहीं था । बिजनेस के सिलसिले में कुछ खास मौसमों में मुझे शहर जाना पड़ता था, परंतु गरमियों में ज्यादा काम नहीं होता था और तब मेरी पत्नी व मैं अपने अर्ध-शहरी घर में उतने खुश रहते थे, जितने की कामना की जा सकती है। मैं कहता हूँ कि इस कंबख्त घटनाक्रम से पहले हमारे बीच अनबन की छाया तक नहीं थी।

'आगे बढ़ने से पहले मुझे आपको एक बात और बता देनी चाहिए। जब हमारी शादी हुई, मेरी पत्नी ने अपनी सारी संपत्ति मेरे नाम कर दी, बहुत हद तक मेरी इच्छा के खिलाफ, क्योंकि मैं देख सकता था कि अगर किसी कारण से मेरा बिजनेस ठीक से न चले तो यह कितना अटपटा लगेगा, फिर भी वह नहीं मानी और संपत्ति मेरे नाम हो गई। छह हफ्ते पहले वह मेरे पास आई।

उसने कहा, 'जैक, जब तुमने मेरे पैसे लिये थे, तब तुमने कहा था कि जब भी मुझे पैसों की जरूरत हो, मैं तुमसे ले सकती हूँ।'

'निश्चित रूप से, ' मैंने कहा, 'वह सारा धन तुम्हारा ही तो है ।'

'ठीक है, ' उसने कहा, 'मुझे सौ पौंड चाहिए । '

यह सुनकर मैं थोड़ा हिल गया, क्योंकि मैंने सोचा था कि उसे कोई नई ड्रेस या ऐसी ही कोई चीज लेनी होगी।

'किसलिए ?' मैंने पूछा ।

'ओह, ' उसने मजाकिया अंदाज में कहा, 'तुमने कहा था, तुम केवल मेरे बैंकर हो और तुम जानते हो कि बैंकर्स कभी सवाल नहीं पूछते।'

'अगर तुम सचमुच इतनी राशि चाहती हो तो निश्चित रूप से तुम्हें सौ पौंड मिल जाएँगे।' मैंने कहा । 'हाँ, मुझे चाहिए।'

' और तुम मुझे नहीं बताओगी कि तुम्हें सौ पौंड क्यों चाहिए ?'

'किसी और दिन शायद, जैक, पर इस वक्त नहीं।'

'मुझे उसके जवाब से संतोष करना पड़ा। हालाँकि वह पहली बार था, जब हमारे बीच कोई बात गुप्त रखी गई थी। मैंने उसे एक चेक दे दिया और उस विषय पर आगे कुछ नहीं सोचा। इस घटना का, बाद में जो कुछ हुआ, उससे भले ही कोई ताल्लुक न रहा हो, मगर मैंने उसे बताना ही ठीक समझा ।

'मैंने अभी-अभी आपको बताया था कि एक कॉटेज है, जो हमारे घर से ज्यादा दूर नहीं है। हमारे घर और उसके बीच बस एक मैदान हैं, पर वहाँ पहुँचने के लिए आपको मुख्य सड़क से जाना एवं आगे एक गली से मुड़ना होता है। उससे परे कुछ ही दूरी पर चीड़ के पेड़ों का एक छोटा सा सुंदर बाग है। और मुझे वहाँ टहलने का बड़ा शौक था, क्योंकि पेड़ हमेशा अपने से लगते हैं। पिछले आठ महीनों से वह कॉटेज खाली पड़ा था और यह दुखद था, क्योंकि वह एक दो मंजिला सुंदर भवन था, जिसमें पुरानी फैशन का एक पोर्च था, जिस पर हनीसकल बेल छाई हुई थी। मैंने कई बार वहाँ खड़े होकर सोचा है, अगर वहाँ घर बसाया जाए तो वह कितना रमणीय होगा !

'पिछले सोमवार शाम को मैं उसी रास्ते पर टहल रहा था, तभी सामने से आती एक खाली वैन दिखाई दी। उसके जाने के बाद मैंने देखा कि पोर्च के पास हरी घास से युक्त मैदान में कारपेट्स और ऐसी ही चीजों का ढेर लगा हुआ है। यह स्पष्ट था कि अंतत: कॉटेज किराए पर लगा दिया गया था। मैं उसे पार करके थोड़ा ठिठका, जैसाकि खाली बैठा कोई भी आदमी करता है। मैंने कॉटेज की ओर नजरें घुमाईं और अचरज करने लगा कि वे लोग किस टाइप के होंगे, जो हमारे इतने नजदीक रहने के लिए आ रहे थे । | मैं कॉटेज का अवलोकन कर ही रहा था कि अचानक मुझे अहसास हुआ, जैसे ऊपरी मंजिल की खिड़की से कोई चेहरा मुझ पर नजर रख रहा हो।

'मैं नहीं जानता कि उस चेहरे में ऐसा क्या था, मि. होम्स, परंतु ऐसा लगा, मानो उसे देखकर मेरी पीठ से नीचे की ओर एक सिहरन दौड़ गई हो। मैं खिड़की से कुछ तिरछा खड़ा था, इसलिए उसके नाक- नक्श ठीक से नहीं देख पाया था, मगर उस चेहरे में कुछ अस्वाभाविक और अमानवीय जरूर था । मुझे तो ऐसा ही लगा था और उस व्यक्ति, जो मुझ पर निगरानी रख रहा था, को नजदीक से देखने के लिए मैं तेजी से आगे बढ़ा। परंतु जैसे ही मैंने ऐसा किया, अचानक ही वह चेहरा गायब हो गया, इतनी जल्दी कि ऐसा लगा, मानो किसी ने उसे कमरे के अँधेरे में खींच लिया हो। उस पूरे घटनाक्रम पर सोचते और विश्लेषण करते हुए मैं पाँच मिनट तक वहीं खड़ा रहा। उसकी झलक इतनी क्षणभंगुर थी कि मैं यह भी नहीं कह सकता था कि वह चेहरा किसी पुरुष का था या स्त्री का ! वह मुझसे काफी दूर था । परंतु उसकी किसी एक चीज, जिसने मुझ पर सबसे ज्यादा छाप छोड़ी थी, वह था उसका रंग । वह चॉक जैसे सुरमई सफेद रंग का था और उसमें कोई चीज इतनी कसी हुई एवं अनम्य थी कि वह विचलित कर देनेवाला अप्राकृतिक चेहरा लगता था। मैं अशांत हो गया तथा मैंने उस कॉटेज के नए निवासियों के बारे में कुछ और जानने की ठान ली। मैंने जाकर दरवाजा खटखटाया, जिसे एक कठोर, अप्रीतिकर चेहरेवाली एक लंबी, पतली सी औरत ने खोला ।

'आपको किस चीज की तलाश है ?' उत्तरी इंग्लैंड के लहजे में उसने पूछा।

'मैं आपका पड़ोसी हूँ, मैदान के पार वह मेरा घर है, ' अपने घर की ओर इशारा करते हुए मैंने कहा, 'मैं देख रहा हूँ कि आपने अभी इस घर में प्रवेश किया है, इसीलिए मैंने सोचा कि किसी तरह की मैं आपकी मदद... !'

'जब हमें जरूरत होगी, आपसे कह देंगे।' उसने कहा और मुँह बनाते हुए दरवाजा बंद कर लिया । उस अभद्र झिड़की से आहत होकर मैं मुड़ा और घर की ओर चल दिया। हालाँकि पूरी शाम मैंने अपना ध्यान दूसरी चीजों पर लागने की कोशिश की, पर मेरा मन अब भी खिड़की पर खड़े उस प्रेतनुमा चेहरे और उस औरत की अभद्रता की ओर चला जाता था । मैंने तय कर लिया था कि उस भूतिया चेहरे के बारे में अपनी पत्नी को कुछ नहीं बताऊँगा, क्योंकि वह जल्द ही परेशान व उत्तेजित हो जानेवाली स्त्री थी और मेरी कोई मंशा नहीं थी कि मेरे मन पर जो अप्रिय छाप पड़ गई थी, उसे उसके साथ साझा करूँ। परंतु सोने से पहले मैंने उसे इतना जरूर बताया कि कॉटेज में अब कुछ लोग रहने के लिए आ गए हैं, जिसका उसने कोई जवाब नहीं दिया।

‘आमतौर पर मैं गहरी नींद में सोनेवाला व्यक्ति हूँ। मेरे परिवार में यह एक स्थायी मजाक बन गया है कि रात के समय कोई भी बात मुझे जगा नहीं सकती फिर भी उस खास रातों, भले ही वह उन नए पड़ोसियों का दरवाजा खटखटाने के मेरे छोटे से साहसिक कारनामे से उपजी उत्तेजना के कारण था या नहीं, मैं नहीं जानता, परंतु उस रात मैं आम रातों के मुकाबले बहुत कच्ची नींद में सोया । आधी नींद में ही मुझे हलका सा आभास हुआ कि हमारे कमरे में कुछ हो रहा था और धीरे-धीरे यह स्पष्ट हो गया कि मेरी पत्नी तैयार हो रही थी तथा अपने लबादे एवं टोपी पहने धीरे से निकल रही थी। इस असमय तैयारी पर मुझे आश्चर्य था; आपत्ति के कुछ उनींदे शब्द बुदबुदाने के लिए मेरे होंठ खुले ही थे कि तभी मेरी अधखुली आँखें उसके चेहरे पर पड़ी, जो मोमबत्ती के प्रकाश में चमक रहा था और मैं आश्चर्य से अवाक् रह गया। उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे, जो इससे पहले मैंने कभी नहीं देखे थे; ऐसे जो मैं समझता था, वह अपने चेहरे पर ला ही नहीं सकती थी । उसका चेहरा भयावह रूप से पीला था और वह तेजी से साँस ले रही थी। वह अपने लबादे का फीता बाँधते हुए चोरी से एक नजर पलंग पर डाल लेती थी, यह देखने के लिए कि कहीं उसने मुझे जगा तो नहीं दिया है, फिर शायद यह सोचकर कि मैं अब तक नींद में था, वह बिना आवाज किए कमरे से निकल गई और कुछ पलों बाद मैंने दरवाजे के चरमराने की तीखी आवाज सुनी, जो केवल घर के मुख्य दरवाजे के कब्जों से ही आ सकती थी। मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया, इस बात की पुष्टि करने के लिए कि मैं सचमुच जाग रहा था। मैंने अपनी उँगलियों की गाँठों से पलंग की लकड़ी पर ठक-ठक की। फिर तकिए के नीचे से मैंने अपनी कलाई घड़ी निकाली। सुबह के तीन बजे थे। सुबह के तीन बजे इस सुनसान देहाती सड़क पर मेरी पत्नी आखिर क्या कर रही होगी ?

'पत्नी के अजीब व्यवहार पर अपने दिमाग को मथते हुए और उसकी कोई तार्किक व्याख्या करने की कोशिश में मैं करीब बीस मिनट तक वहीं बैठा रहा। मैंने उसपर जितना सोचा, वह उतना ही असाधारण और उलझा प्रतीत हुआ । मैं अब भी इसी उधेड़बुन में था, जब मैंने मुख्य दरवाजे का आहिस्ता से बंद होना और सीढ़ियों पर पत्नी की पदचाप सुनी।

'आखिर तुम गई कहाँ थी, एफी ?' उसके प्रवेश करते ही मैंने पूछा ।

'जब मैं बोल रहा था, उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं और उसके मुँह से एक अस्पष्ट सी चीख निकली, जिसने मुझे बाकी सब चीजों से ज्यादा परेशान कर दिया, क्योंकि उनसे उसका अपराध-बोध साफ झलकता था। मेरी पत्नी हमेशा से एक खुली, स्पष्टवादी महिला रही थी, उसे अपने कमरे में धीरे से खिसक जाने और वहाँ जोर-जोर से रोता देखने तथा उसे चुप कराने के लिए उसके पास जाने पर उसके सिकुड़ जाने से मेरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई।

'तुम जाग रहे हो, जैक !' एक फीकी सी हँसी के साथ उसने कहा, 'मैं तो समझती थी, दुनिया की कोई भी चीज तुम्हें जगा नहीं सकती। '

'ये बताओ, तुम थी कहाँ ?' मैंने कुछ ज्यादा सख्त लहजे में पूछा।

'मैं समझ सकती हूँ कि तुम्हें भारी आश्चर्य हुआ होगा, ' उसने कहा और जब वह अपने लबादे की पट्टी खोल रही थी, मैंने देखा कि उसकी उँगलियाँ काँप रही थीं। 'मुझे याद नहीं आता कि मैंने जीवन में इससे पहले ऐसा कोई काम किया हो। सच्चाई यह है कि मुझे ऐसा महसूस हुआ, मानो मेरी साँस रुक रही हो और मेरे लिए बाहर जाकर खुली हवा में साँस लेना बेहद जरूरी हो गया था। अगर मैं बाहर न जाती तो पक्के तौर पर मैं बेहोश हो जाती । मैं कुछ मिनट तक दरवाजे पर खड़ी रही और अब मैं पूरी तरह से सामान्य हूँ।'

'उस पूरे समय, जब वह मुझे यह कहानी सुना रही थी, उसने एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा और उसकी आवाज बिल्कुल वैसी नहीं थी, जैसी आम तौर पर होती थी । यह बिल्कुल साफ था कि वह जो कुछ कह रही थी, झूठ था। जवाब में मैंने कुछ नहीं कहा, परंतु घोर विरक्ति के भाव से मैंने अपना मुँह दीवार की तरफ फेर लिया। मेरा मन हजार तरह के जहरीले संदेहों से भर गया था। वह क्या था, जो मेरी पत्नी मुझसे छिपा रही थी ? अपने उस विचित्र प्रवास पर वह कहाँ गई थी ? मुझे लगा कि जब तक मैं इस बात का पता नहीं लगा लूँ, मुझे चैन नहीं मिलेगा; परंतु उसके झूठ बोलने के बाद मैंने दोबारा वही सवाल करने से परहेज किया। तरह-तरह की थ्योरीज, जिनमें से हर एक दूसरे से ज्यादा नामुमकिन लगती थी, पर काम करते हुए मेरी शेष रात करवटें बदलते हुए ही बीती ।

'मुझे बिजनेस के काम से शहर जाना था, परंतु मेरा मन इतना अशांत था कि मेरे लिए बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करना बहुत मुश्किल था । मेरी पत्नी भी उतनी ही व्यथित लग रही थी कि मैंने उसके कथन पर विश्वास नहीं किया है, और यह कि वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए ! नाश्ते पर हम दोनों ने मुश्किल से ही कोई बात की होगी; और उसके तुरंत बाद खुली हवा में इस मामले पर विचार करने के इरादे से मैं बाहर चला गया।

'मैं घर से बहुत दूर क्रिस्टल पैलेस तक चला गया, वहाँ पार्क में एक घंटा बैठा रहा। दोपहर एक बजे तक मैं नॉर्बरी वापस लौट आया था। हुआ यह कि लौटते समय मेरा रास्ता मुझे उस कॉटेज की ओर ले आया और एक पल के लिए मैं वहाँ रुक गया, ताकि मैं खिड़की में उस विचित्र चेहरे की एक झलक देख सकूँ, जो दो दिन पहले मुझे ध्यान से देख रहा था। जब मैं वहाँ खड़ा था, मेरे आश्चर्य की कल्पना कीजिए, मि. होम्स, जब अचानक उसका दरवाजा खुला और मेरी पत्नी बाहर निकली।

'उसे देखकर मैं आश्चर्य से अवाक् रह गया; परंतु मेरी भावनाएँ उन भावों के सामने कुछ नहीं थीं, जो हमारी आँखें मिलने के बाद मेरी पत्नी के चेहरे पर आ गए थे। एक पल के लिए तो ऐसा लगा, मानो एक बार फिर वह उसी घर में लौट जाना चाहती हो और तब यह देखते हुए कि छिपने का कोई भी प्रयास अब व्यर्थ साबित होगा, बहुत ही सफेद चेहरे और डरी हुई आँखों, जो उसके होंठों के मुसकान को झुठला रही थीं, के साथ वह आगे बढ़ी।

'ओह, जैक,' उसने कहा, 'यह देखने के लिए कि क्या मैं हमारे नए पड़ोसियों के कुछ काम आ सकती हूँ, मैं अभी-अभी यहाँ आई थी। तुम मुझे इस तरह से क्यों देख रहे हो, जैक ? तुम मुझसे नाराज तो नहीं हो ?'

मैंने कहा, 'तो यह वो जगह है, जहाँ कल रात तुम आई थी ?"

'तुम्हारा मतलब क्या है ?' लगभग चीखते हुए उसने कहा ।

'तुम यहीं आई थी, मुझे पूरा विश्वास है। कौन हैं ये लोग, जिनसे तुम्हें इतनी रात को मिलना पड़ा ?"

'मैं यहाँ पहले कभी नहीं आई। '

'तुम कैसे मुझसे वह बात कह सकती हो, जो तुम जानती हो कि झूठ है!' मैं तेज आवाज में बोला, 'जिसे बोलते समय तुम्हारी आवाज ही बदल जाती है। क्या मैंने कभी तुमसे कोई बात गुप्त रखी है ? मैं अभी इस कॉटेज में जाऊँगा और पूरे मामले का पता लगाऊँगा ।'

'नहीं, नहीं जैक, ईश्वर के लिए !' अपनी भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश में वह हाँफते हुए बोली, फिर जैसे ही मैं दरवाजे की ओर बढ़ा, उसने मेरी आस्तीन पकड़ी और बड़ी ताकत से मुझे पीछे खींचा।

'मैं तुमसे याचना करती हूँ, जैक, ऐसा मत करो, ' वह रोने लगी, 'मैं कसम खाती हूँ, किसी दिन मैं तुम्हें सबकुछ बता दूँगी, पर अगर तुम इस वक्त कॉटेज में गए तो बरबादी के सिवाय कुछ हाथ न आएगा।' फिर जब मैंने झटककर अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की, वह आवेश में आकर मुझसे चिपक गई।

'मेरा विश्वास करो, जैक!' वह रोते-रोते बोली, 'बस इस बार मुझ पर विश्वास करो। तुम जानते हो कि तुमसे छिपाकर मैं कोई काम नहीं करूँगी, जब तक कि वह तुम्हारे भले के लिए न हो। इस प्रकरण से हम दोनों का जीवन खतरे में है। अगर तुम अभी मेरे साथ घर चलो तो सबकुछ ठीक हो जाएगा। अगर तुम जबरदस्ती इस कॉटेज में घुसे तो हम दोनों के बीच सबकुछ खत्म हो जाएगा।'

उसके हाव-भाव में इतनी ईमानदारी और निराशा थी कि उसके शब्दों से मेरे कदम रुक गए और मैं दरवाजे के सामने असमंजस में खड़ा रहा।

अंततः मैंने कहा, 'वो यह है कि अब से यह रहस्य पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए। तुम अपना भेद अपने पास रख सकती हो, पर तुम्हें वादा करना होगा कि अब से रातों में मुलाकातें नहीं होंगी और न तुम मुझसे छिपाकर कुछ करोगी। मैं पिछली गलतियों को भूलने के लिए तैयार हूँ, बशर्ते तुम वादा करो कि भविष्य में कोई गलती नहीं होगी।'

'मुझे पक्का यकीन था कि तुम मुझ पर भरोसा करोगे, ' राहत की एक लंबी साँस लेते हुए उसने कहा, 'ठीक वैसा ही होगा, जैसा तुम चाहते हो । अब चलो, ओह, अब घर चलो भी। '

'अब भी मेरा आस्तीन पकड़े वह मुझे कॉटेज से दूर ले गई। जाते हुए मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया ऊपरवाली खिड़की से वही पीला सुरमई चेहरा हमें देख रहा था । उस प्राणी और मेरी पत्नी के बीच कौन सा संपर्क-सूत्र हो सकता है ? या वह असभ्य, कठोर औरत, जिसे मैंने परसों देखा था, किस तरह से मेरी पत्नी से संबंधित हो सकती है ? वह एक विचित्र पहेली थी और फिर भी मैं जानता था कि जब तक मैं इसे हाल नहीं कर लेता, मैं कभी सामान्य नहीं हो पाऊँगा ।

'इसके बाद दो दिनों तक मैं घर पर ही रहा और मेरी पत्नी हमारे बीच हुए समझौते का निष्ठापूर्वक पालन करती प्रतीत होती थी, क्योंकि जहाँ तक मैं जानता हूँ, उसने घर से बाहर कदम नहीं रखा था। परंतु तीसरे दिन मेरे पास इस बात का पर्याप्त साक्ष्य था कि उसके द्वारा किया गया पक्का वादा, इस रहस्यमय आकर्षण, जिसने उसे अपने पति और अपने कर्तव्य से दूर कर दिया था, से परहेज रखने के लिए काफी नहीं था । '

'उस दिन मैं शहर गया था, परंतु मैं 3 बजकर 36 मिनट पर चलनेवाली अपनी सामान्य ट्रेन के बजाय 2.40 बजे की ट्रेन से लौट आया था। जैसे ही मैं घर पहुँचा, चकित मुद्रा में महरी दौड़कर हॉल में आ गई। '

'तुम्हारी मालकिन कहाँ है ?' मैंने पूछा।

'मैं समझती हूँ, वह कहीं घूमने गई हैं ?' उसने जवाब दिया ।

'तत्काल मेरा मन संदेहों से भर गया। इस बात की तसल्ली करने के लिए कि वह सचमुच घर में नहीं थी, मैं दौड़कर ऊपरी मंजिल पर गया। ऐसा करते हुए संयोग से मेरी नजर ऊपरी मंजिल की एक खिड़की से बाहर चली गई। मैंने देखा कि वह महरी, जिससे मैंने अभी बात की थी, मैदान के पार वाले कॉटेज की दिशा में दौड़ी चली जा रही थी। उसके बाद मैंने जो कुछ देखा, उससे इस पूरे ड्रामे का अर्थ समझ में आ गया। मेरी पत्नी वहीं गई थी और नौकरानी से कह गई थी कि अगर मैं लौट आऊँ तो उसे बता दे । गुस्से से उबलते हुए मैं तेजी से नीचे उतरा और भागकर मैदान पार किया। मैं कृतसंकल्प था कि इस मामले को हमेशा के लिए खत्म कर दूँगा। मैंने पत्नी और नौकरानी को गली के रास्ते तेजी से लौटते देखा, पर उनसे बात करने के लिए मैं रुका नहीं। उस कॉटेज में ही वह राज छिपा था, जिसने मेरे जीवन पर गम का साया डाल रखा था। मैंने कसम खाई कि चाहे जो हो, अब यह रहस्य बना नहीं रहना चाहिए। जब मैं वहाँ पहुँचा तो मैंने दरवाजा भी नहीं खटखटाया, बल्कि उसकी कुंडी घुमाई और तेजी से गलियारे में दाखिल हो गया।'

'ग्राउंड फ्लोर पर बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था । किचन में आग पर रखी केतली खदक रही थी और एक टोकरी में एक बड़ी सी बिल्ली अपने आप को सिकोड़कर लेटी थी, मगर उस औरत का कोई पता नहीं था, जिसे मैंने पहले देखा था । मैं तेजी से दूसरे कमरे में गया, पर वह भी उतना ही सुनसान था। फिर मैं तेजी से सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर गया; पर वहाँ भी दो कमरे खाली और सुनसान थे। पूरे घर में कोई नहीं था। फर्नीचर बिलकुछ साधारण और चित्र अश्लील किस्म के थे, सिवाय उस कमरे के, जिसकी खिड़की पर मैंने वह विचित्र चेहरा देखा था। वह आरामदायक और सुरुचिपूर्ण था और जब मैंने फायरप्लेस के ऊपर मेरी पत्नी की एक आदमकद तसवीर, जो तीन महीने पहले मेरे अनुरोध पर खींची गई थी, की एक कॉपी रखी देखी तो मेरे सारे संदेह ज्वाला बनकर भभक उठे। '

'इस बात की तसल्ली करने के लिए कि घर पूरी तरह से खाली था, मैं काफी समय तक वहाँ रुका रहा, फिर अपने दिल पर इतना भारी बोझ लिये, जैसा मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था, मैं उस घर से निकल गया। जैसे ही मैं अपने घर में दाखिल हुआ, मेरी पत्नी हॉल में आ गई, पर मैं इतना आहत और गुस्से में था कि मैंने उससे बात नहीं की; मैं उससे कतराकर निकल गया एवं अपने अध्ययन-कक्ष की ओर बढ़ा। परंतु इससे पहले कि मैं दरवाजा बंद कर पाता, मेरे पीछे-पीछे चलकर वह भी वहाँ पहुँच गई।

'मुझे दुःख हैं, जैक कि मैंने अपना वादा तोड़ दिया, ' उसने कहा, 'परंतु अगर तुम सारे हालात जानते तो मुझे विश्वास है कि तुम मुझे माफ कर देते।'

'फिर बताओ मुझे सारी बात !' मैंने कहा ।

'मैं नहीं बता सकती, जैक ।' वह रोने लगी।

'जब तक तुम मुझे यह नहीं बताओगी कि वह कौन है, जो उस कॉटेज में रहता आया है और वह कौन है, जिसे तुमने वह फोटोग्राफ दिया है, तब तक हम दोनों के बीच विश्वास पैदा नहीं हो सकता।' मैंने कहा और घर से निकल गया । यह कल की बात है, मि. होम्स और तब से मैंने उसे नहीं देखा है। और न मैं उस अजीब गोरखधंधे के बारे में कुछ और जानता हूँ। हम दोनों के बीच आई यह पहली छाया है और इसने मुझे इतना हिलाकर रख दिया है कि मैं नहीं जानता कि सबकुछ ठीक करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए ! अचानक आज सुबह मुझे ध्यान आया कि आप मुझे सही सलाह दे सकते हैं, इसीलिए मैं तुरंत आपके पास आया हूँ और अब मैं अपने आपको पूरी तरह से आपके हाथों में सौंपता हूँ। अगर कोई ऐसा पॉइंट है, जिसे मैं स्पष्ट नहीं कर पाया हूँ तो कृपया मुझसे सवाल पूछिए। मगर सबसे पहले मुझे जल्दी से बताइए कि मुझे क्या करना चाहिए, क्योंकि यह मुसीबत उससे कहीं ज्यादा भारी है, जिसे मैं झेल सकता हूँ ।'

होम्स और मैंने इस असाधारण बयान को पूरे ध्यान से सुना था, जो एक ऐसे आदमी ने अनगढ़ अंदाज में दिया गया था, जिसके मन में भारी भावनात्मक उथल-पुथल चल रही थी। विचारों में डूबा मेरा साथी कुछ समय तक अपनी ठुड्डी हाथ पर रखे चुपचाप बैठा रहा ।

'एक बात बताओ,' आखिरकार उसने कहा, 'क्या आप पक्के तौर पर कह सकते हैं कि आपने खिड़की पर जो चेहरा देखा था, वह किसी पुरुष का था ?'

'हर बार, जब मैंने वह चेहरा देखा, मैं उससे कुछ दूरी पर था, इसलिए मेरे लिए पक्के तौर पर कुछ भी कहना असंभव है।'

'मगर ऐसा लगता है कि वह आपको अप्रिय लगा था।'

'वह एक असामान्य रंग का था और उसके नाक-नक्श में एक अजीब सी कठोरता थी । जब मैं उसके नजदीक पहुँचा तो वह एक झटके से गायब हो गया।'

'उस बात को कितना समय हुआ है, जब आपकी पत्नी ने आपसे सौ पौंड माँगे थे ?'

'करीब दो महीने।'

'क्या आपने कभी उसके पहले पति का फोटो देखा है ?'

'नहीं, उसकी मृत्यु के बाद बहुत जल्द ही अटलांटा में विकराल आग लगी थी और एफी के सभी कागजात नष्ट हो गए थे।

'फिर भी उसके पास अपने पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र था ? आप कहते हैं कि आपने वह प्रमाण-पत्र देखा था । '

'हाँ, आग लगने के बाद उसने डुप्लीकेट हासिल कर लिया था । '

'क्या आप कभी किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो उसे अमेरिका में जानता था ?"

'नहीं। '

'क्या उसने कभी दोबारा अमेरिका जाने की बात की थी ?"

'नहीं।'

'या वहाँ से कोई पत्र आए हों ?'

'नहीं। '

'धन्यवाद ! अब मुझे इस मामले पर कुछ विचार करना होगा। अगर वह कॉटेज अब स्थायी रूप से सुनसान हो गया है तो हमारे लिए कुछ समस्या हो सकती है। दूसरी ओर मुझे इसी बात की संभावना ज्यादा लगती है कि अगर उस घर के वासियों को आपके आने के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी गई थी और कल आपके उस घर में दाखिल होने से पहले ही वे वहाँ से निकल गए थे तो अब वे वापस आ गए होंगे! इस स्थिति में हम आसानी से सारा मामला क्लीयर कर लेंगे। मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप नॉर्बरी लौट जाएँ और एक बार फिर उस कॉटेज की खिड़कियों की जाँच करें। अगर आपके पास यह विश्वास करने का कोई कारण है कि वे लोग उसमें रहने के लिए आ गए हैं तो उसमें जबरदस्ती घुसने के बजाय मेरे मित्र और मुझे एक तार भेज दें। तार मिलने के एक घंटे के भीतर ही हम आपके साथ होंगे और तब हम जल्द ही इस मामले की तह तक पहुँच जाएँगे।'

'और अगर वह अब भी खाली हो ?'

'इस स्थिति में कल मैं आपके घर आऊँगा और आपसे चर्चा करूँगा । बाय! और सबसे बड़ी बात, कुढ़ना बंद करो, जब तक कि आप जानते न हों कि कुढ़ने का सचमुच कोई कारण है। '

'मुझे डर है कि इस मामले के पीछे कोई कुटिल दिमाग काम कर रहा है, वाटसन, 'मि. ग्रांट मुनरो को दरवाजे तक छोड़कर आने के बाद मेरे साथी ने कहा, 'तुम्हें क्या लगता है ?"

'मामला अप्रिय लग रहा है।' मैंने जवाब दिया ।

'हाँ, इसमें कोई ब्लैकमेलर है या मुझसे कोई बड़ी गलती हो रही हैं।'

'और ब्लैकमेलर कौन है ?'

'वही प्राणी होना चाहिए, जो उस घर के एकमात्र आरामदायक घर में रहता है और फायरप्लेस के ऊपर एफी का फोटोग्राफ रखता है। एक बात बताऊँ, वाटसन ! खिड़की पर दिखा उस सुरमई चेहरे में कुछ बड़ा आकर्षण है और किसी भी कीमत पर मैं यह केस नहीं छोड़ता । '

'क्या तुम्हारे पास काई थ्योरी है ?"

'हाँ, एक अस्थायी थ्योरी । परंतु अगर वह सही नहीं बैठी तो मुझे आश्चर्य होगा । इस स्त्री का पहला पति उस कॉटेज में है । '

'तुम्हें ऐसा क्यों लगता है ? '

'उसका दूसरा पति उस कॉटेज में प्रवेश न करे, अन्यथा इस बात को लेकर उसकी उत्कट व्याकुलता की हम कैसे व्याख्या करेंगे? जहाँ तक मैं पढ़ पाया हूँ, केस से जुड़े तथ्य कुछ इस प्रकार हैं - यह स्त्री अमेरिका में विवाहित थी। उसके पति ने कुछ घृणित अवगुण विकसित कर लिये या यों कहें कि वह किसी अप्रिय बीमारी का शिकार हो गया और एक कुष्ठ रोगी या जड़बुद्धि हो गया । अंततः वह वहाँ से गायब हो जाती है, इंग्लैंड लौट आती है, अपना नाम बदल लेती है और अपने हिसाब से एक नाया जीवन शुरू करती है। दूसरी शादी किए तीन साल गुजर जाते हैं और अपने पति को किसी आदमी, जिसका नाम उसने धारण कर लिया था, का मृत्यु प्रमाण-पत्र दिखाकर वह खुद को बहुत सुरक्षित समझने लगती है; तभी अचानक उसके पहले पति या मान लें कि किसी शातिर औरत, जिसने खुद को उस अभागे आदमी से जोड़ लिया है, को उसके ठिकाने एवं अन्य बातों का पता चल जाता है। वे एफी को पत्र लिखकर धमकी देते हैं कि वे नॉर्बरी आकर उसकी पोल खोल देंगे। वह अपने पति से सौ पौंड माँगती है और उनसे अपने प्रताड़कों का मुँह बंद करने की कोशिश करती है। इसके बावजूद वे वहाँ आ जाते हैं और जब पति बातों-बातों में पत्नी को बताता है कि कॉटेज में कुछ नए लोग रहने आए हैं, वह किसी तरह समझ जाती है कि ये वही लोग हैं। वह अपने पति के सोने का इंतजार करती हैं और फिर अपने प्रताड़कों से याचना करने के लिए कि वे उसे शांति से जीने दें, वह कॉटेज की ओर दौड़ पड़ती है। इस प्रयास में सफल न होने पर अगली सुबह वह दोबारा वहाँ जाती है, जहाँ उसका पति उससे मिलता है, जैसा मि. मुनरो ने हमें बताया है । वह अपने पति से वादा करती है कि वह वहाँ कभी नहीं जाएगी, पर दो दिन बाद उसके मन में अपने शांति केलिए पड़ोसियों से पीछा छुड़ाने की आशा इतनी बलवती हो जाती है कि वह एक और प्रयास में अपना फोटोग्राफ, जिसकी शायद उससे माँग की गई थी, लेकर फिर वहाँ जाती है। इस साक्षात्कार के दौरान नौकरानी यह कहने के लिए दौड़ती हुई आई कि मालिक घर पहुँच गए हैं, जिस पर पत्नी ने यह जानते हुए कि वे सीधे कॉटेज चले आएँगे, गृहवासियों को जल्दी से पीछे के दरवाजे से चीड़ के बाग, जो बताया गया था कि पास में ही था, में भेज दिया। यही कारण था कि मि. मुनरो को घर खाली मिला था। परंतु मुझे बहुत आश्चर्य होगा, अगर वह अब भी वैसा ही मिलेगा, जब मि. मुनरो शाम को उसकी टोह लेने जाएँगे। तो मेरी थ्योरी के बारे में तुम क्या सोचते हो ?'

'यह सब अनुमान ही तो है ।'

'परंतु कम-से-कम यह सभी तथ्यों को शामिल तो करती है। जब हमारे संज्ञान में नए तथ्य आएँगे, जो इस थ्योरी में शामिल नहीं किए गए हैं, उस पर पुनर्विचार के लिए हमारे पास काफी समय होगा। जब तक हमें नॉर्बरी के हमारे मित्र का संदेश नहीं मिलता, हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।'

परंतु उसके लिए हमें बहुत लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ा। हमने अपनी चाय खत्म की ही थी कि वह आ गया।

'कॉटेज में अब भी किराएदार हैं, ' उसमें लिखा था, 'खिड़की पर दोबारा वही चेहरा देखा । सात बजे की ट्रेन में मिलते हैं। जब तक आप नहीं आते, कोई कदम नहीं उठाऊँगा।'

जब हम ट्रेन से उतरे, वह प्लेटफॉर्म पर हमारा इंतजार कर रहा था और स्टेशन के लैंप्स की रोशनी में हम देख सकते थे कि उसका चेहरा पीला पड़ गया था और वह घबराहट की वजह से काँप रहा था।

‘वे लोग अब भी वहीं हैं, मि. होम्स, ' मेरे मित्र की आस्तीन कसकर पकड़ते हुए उसने कहा, 'मैं जब वहाँ पहुँचा, मैंने कॉटेज की लाइटें जलती देखीं। अब हम हमेशा के लिए इसका निपटारा कर देंगे।'

'फिर आपका क्या प्लान है ?' कतारबद्ध पेड़ों से युक्त अँधेरी सड़क पर चलते हुए होम्स ने पूछा।

'अपनी आँखों से देखने के लिए कि घर में कौन-कौन लोग हैं, मैं जबरदस्ती घर में घुसनेवाला हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप दोनों भी गवाह के रूप में वहाँ मौजूद रहें। '

‘आपकी पत्नी की इस चेतावनी कि इस रहस्य पर से आप परदा न उठाएँ तो बेहतर होगा, के बावजूद आप कृतसंकल्प हैं कि आप वही करेंगे ?'

'हाँ, मैंने फैसला कर लिया है।'

'मैं समझता हूँ, आप सही हैं। एक अनिश्चित संदेह के घेरे में रहने से, जैसे भी हो सच का सामने आना बेहतर है। बेहतर होगा कि हम तुरंत चल पड़ें। निश्चित रूप से हम जो कुछ करने जा रहे हैं, वह कानूनी तौर पर बहुत ही गलत है, फिर भी मैं सोचता हूँ, यह कदम उठाने लायक है।'

वह एक घुप्पा अँधेरी रात थी और जब हम मुख्य मार्ग से एक सँकरी लेन, जिस पर गाड़ियों के पहियों के गहरे निशान थे और दोनों तरफ झाड़ियाँ थीं, में मुड़े तो हलकी-हलकी बारिश होने लगी थी। ग्रांट मुनरो ने बेसब्री से दौड़ लगाई और हम भी एक-दूसरे से टकराते हुए उसके पीछे भागने लगे।

'वे लाइटें मेरे घर की हैं,' एक पॉइंट पर पहुँचकर पेड़ों के बीच टिमटिमाती रोशनी की ओर इशारा करते हुए उसने कहा, 'और यह है वह कॉटेज, जिसमें मैं प्रवेश करनेवाला हूँ।'

जब वह बोल रहा था, हम लेन के नुक्कड़ पर मुड़े और वह बिल्डिंग हमारे बगल में ही थी। मकान के काले आँगन में एक पीली डंडी दिखाई दे रही थी, जो यह दरशाती थी कि दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं था और ऊपरी मंजिल पर एक खिड़की में जगमगाती रोशनी थी। हमने खिड़की के परदे के पीछे एक परछाई को एक ओर से दूसरी तरफ जाते देखा।

'वह प्राणी वही है!' ग्रांट मुनरो चीखा । ' आप खुद देख सकते हैं कि वहाँ कोई है। अब मेरे पीछे आइए और जल्द ही सबकुछ पता चल जाएगा।'

हम दरवाजे तक पहुँचे पर तभी अचानक एक स्त्री अँधेरे से निकलकर आई और लैंप की सुनहरी रोशनी में खड़ी हो गई। अँधेरे में मैं उसका चेहरा नहीं देख पाया, मगर उसकी बाँहें याचना की मुद्रा में फैली हुई थी ।

'ईश्वर के लिए ऐसा मत करो, जैक !' वह चिल्लाई, 'मुझे पूर्वाभास हो गया था कि आज शाम तुम आओगे। जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में सकारात्मक सोचो, प्रिय ! एक बार फिर मुझ पर विश्वास रखो तो तुम्हें कभी पछताना नहीं पड़ेगा।'

'मैंने बहुत लंबे समय तक तुम पर विश्वास किया है, एफी, ' उसने सख्त लहजे में कहा, 'मेरा रास्ता छोड़ दो। मैं तुम्हारी एक न सुनूँगा। मेरे मित्र और मैं आज इस किस्से को हमेशा के लिए खत्म करनेवाले हैं।' उसने एफी को एक तरफ धकेल दिया और हम उसके पीछे-पीछे चले। जैसे ही उसने एक धक्के से दरवाजा खोला, एक बूढ़ी औरत दौड़कर उसके सामने आई और उसका रास्ता रोकने की कोशिश की, पर उसने उसे धकियाकर पीछे ठेल दिया और एक पल में हम सब सीढ़ियों पर थे। ग्रांटा मुनरो ने तेजी से ऊपरी मंजिल पर प्रकाशित कमरे में प्रवेश किया और उसके पीछे-पीछे हमने भी ।

बढ़िया फर्नीचर से सजा वह कमरा आरामदायक था, जिसमें दो मोमबत्तियाँ टेबल पर और दो फायरप्लेस के ऊपर जल रही थीं। कोने में एक डेस्क पर झुकी एक आकृति बैठी थी, जो एक छोटी सी बच्ची लग रही थी। जब हमने कमरे में प्रवेश किया था, उसका चेहरा दूसरी तरफ था, पर हम देख सकते थे कि वह एक लाल फ्रॉक पहने थी और उसके हाथों पर एक लंबा सफेद दस्ताना था। जैसे ही वह हमारी तरफ घूमी, मेरे मुँह से आश्चर्य और भय की एक चीख निकल गई। जो चेहरा उसने हमारी तरफ घुमाया था, वह बहुत ही अनोखी सुरमई रंगत लिये हुए था और वह बिल्कुल ही भावशून्य था । एक क्षण बाद ही सारा रहस्य खुल गया । होम्स हँसते हुए अपना हाथ बच्ची के कान के पीछे ले गया और उसके चेहरे पर लगा मुखौटा हट गया तथा वहाँ कोयले के रंगवाली एक नीग्रो लड़की थी, जिसके सफेद दाँत हमारे चकित चेहरों के आगे विनोद भाव से दमक रहे थे। उसकी खुशी में शामिल होते हुए मैं भी ठहाका मारकर हँस पड़ा, परंतु ग्रांट मुनरो अपने हाथ से अपना गला पकड़े, उसे घूरता हुआ खड़ा रहा ।

‘हे भगवान्!' वह चीखा, 'इसका क्या मतलब हो सकता है ?"

'इसका मतलब मैं तुम्हें बताती हूँ, ' चेहरे पर गर्व का भाव लिये मुनरो की पत्नी ने शांत भाव से कहा, 'मैं तुम्हें बताना नहीं चाहती थी, पर तुमने मुझे मजबूर कर दिया। अब हम दोनों को इसे एक खूबसूरत मोड़ देना होगा। अटलांटा में मेरे पति की मौत हो गई थी। पर मेरी बच्ची बच गई।'

'तुम्हारी बच्ची ?"

उसने अपने गले से चाँदी का एक बड़ा सा लॉकेट निकाला । 'तुमने इसे कभी खोलकर नहीं देखा । ' 'मैं समझता था, वह खुलता ही नहीं ।'

एफी ने एक स्प्रिंग को छुआ और उसका आगेवाला भाग खुलकर गिर गया। उसके भीतर एक आदमी का चित्र था, जो देखने में बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान लगता था, परंतु उसके नाक-नक्श असंदिग्ध रूप से उसे अफ्रीकी मूल के दरशाते थे ।

‘ये हैं अटलांटा के जॉन हेब्रन, ' महिला ने कहा, 'और उनसे ज्यादा शालीन पुरुष इस धरती पर नहीं दिखा। उनसे शादी रचाने के लिए मैं अपनी नस्ल से टूट गई। परंतु जब तक वे जीवित रहे, मुझे एक पल के लिए भी पछतावा नहीं हुआ। यह हमारा दुर्भाग्य था कि हमारी एकमात्र संतान मेरे बजाय उनपर गई । उस तरह के जोड़ों के मामलों में अकसर ऐसा होता है और नन्ही लूसी उससे कहीं ज्यादा काली थी, जितना उसके पिता कभी रहे थे । परंतु काली या गोरी, वह मेरी अपनी बच्ची है और माँ की लाड़ली । ' नन्ही लूसी अपनी सीट से उठी और अपनी माँ के पास जाकर उसकी ड्रेस में छिप गई। 'जब मैंने इसे अमेरिका में छोड़ा था, ' उसने कहना जारी रखा, 'सिर्फ इसलिए कि वह कमजोर थी और देश परिवर्तन उसे हानि पहुँचा सकता था। उसे एक वफादार स्कॉच औरत, जो कभी हमारी नौकरानी रही थी, की देख-रेख में छोड़ दिया गया। मेरे मन में एक पल के लिए भी यह खयाल नहीं आया कि मैं उसे अपनी बच्ची मानने से इनकार कर दूँगी। परंतु जब संयोग से तुम मेरे जीवन में आ गए, जैक और मैं तुमसे प्यार करने लगी तो अपने बच्चे के बारे में तुम्हें बताने से मुझे डर लगने लगा। ईश्वर मुझे क्षमा करे, मुझे डर था कि मैं तुम्हें खो न बैठूं और इसलिए मेरी हिम्मत टूट जाती थी। मुझे तुम्हें एवं अपनी बच्ची के बीच किसी एक को चुनना था और यह मेरी कमजोरी थी कि मैंने अपनी छोटी सी बच्ची से मुँह मोड़ लिया। तीन साल तक मैंने उसके अस्तित्व को तुमसे छिपाए रखा, परंतु मुझे नर्स का एक पत्र मिला और मैंने जाना कि उसके साथ सबकुछ ठीक चल रहा था । परंतु अंत में मेरे मन में अपनी बच्ची को एक बार फिर देखने की उत्कट इच्छा जाग उठी। मैंने उसे दबाने की बहुत कोशिश की, पर असफल रही। हालाँकि मुझे खतरे का पता था, पर मैं बच्ची को यहाँ लाने के लिए कृतसंकल्प थी, चाहे कुछ हफ्तों के लिए ही क्यों न हो ! मैंने नर्स को सौ पौंड भेज दिए और उसे इस कॉटेज के बारे में बता दिया, ताकि वह हमारी पड़ोसी बनकर यहाँ आ सके। उसे सख्त निर्देश थे कि मेरा उससे कोई संबंध है, यह बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। मैंने यहाँ तक सावधानी बरती और उसे आदेश दिया कि वह दिन के समय बच्ची के चेहरे पर मुखौटा तथा हाथों में लंबे दस्ताने पहनाए रखे, ताकि कोई उसे खिड़की में देख भी ले तो इस बात की चर्चा न कर सके कि यहाँ पड़ोस में कोई अश्वेत बच्चा रहता है । अगर मैं कुछ कम सावधान रहती तो ज्यादा होशियार साबित होती, मगर इस डर से कि तुम्हें सच पता चल जाएगा, मैं आधी पागल हो गई थी। '

'वह तुम थे, जिसने मुझे बताया था कि उस कॉटेज में कुछ लोग रहने के लिए आ गए हैं। मुझे सुबह होने का इंतजार करना चाहिए था, परंतु मैं अपनी बच्ची से मिलने की आतुरता के कारण सो न सकी और इसलिए यह जानते हुए कि तुम्हें जगाना कितना मुश्किल है, मैं चुपके से निकल गई। परंतु तुमने मुझे जाते हुए देख लिया और वहीं से मेरी परेशानियों की शुरुआत हुई। अगले दिन मेरा राज तुम्हारी दया पर टिका था। तुमने उदारता दिखाते हुए मुझ पर दबाव डालने से परहेज किया। परंतु तीन दिनों बाद जैसे ही तुम दनदनाते हुए कॉटेज के मुख्य दरवाजे तक पहुँचे, वह नर्स और बच्ची जैसे-तैसे पिछले दरवाजे से निकल जाने में सफल रहे, परंतु आज रात अंतत: तुम सबकुछ जानते हो और मैं तुमसे पूछती हूँ कि अब हमारा, मेरी बच्ची का और मेरा क्या होगा ? अपने दोनों हाथों की उँगलियों को एक-दूसरे में फँसाकर वह जवाब का इंतजार करने लगी । '

दस मिनट के लंबे समय के बाद ग्रांट मुनरो ने खामोशी तोड़ी और जब उसका जवाब आया तो वह ऐसा जवाब था, जिसके बारे में सोचकर आज भी दिल खुश हो जाता है। उसने उस छोटी सी बच्ची को उठाया, उसे चूमा और फिर उसे गोद में लिये ही उसने अपना दूसरा हाथ अपनी पत्नी की ओर बढ़ाया और दरवाजे की ओर कदम बढ़ा दिए ।

'इस विषय पर हम घर पर आराम से बात कर सकते हैं, ' उसने कहा, 'मैं एक बहुत अच्छा आदमी नहीं हूँ, एफी, पर मैं समझता हूँ, मैं उससे कहीं बेहतर इनसान हूँ, जितने का तुमने मुझे श्रेय दिया है। ' होम्स और मैं गली तक उनके पीछे-पीछे चलते रहे; फिर जैसे ही हम बाहर निकले, मेरे दोस्त ने मेरी आस्तीन पकड़कर पीछे खींचा।

'मैं समझता हूँ, ' उसने कहा, 'हम नॉर्बरी की अपेक्षा लंदन में अधिक उपयोगी होंगे।'

इस केस के बारे में उसने एक शब्द और नहीं कहा, जब तक कि देर रात जलती हुई मोमबत्ती हाथ में लिये वह अपने शयन कक्ष में जाने के लिए मुड़ नहीं गया।

उसने कहा, 'वाटसन, अगर तुम्हें कभी महसूस हो कि मैं अपनी क्षमताओं को लेकर अति- आत्मविश्वास से ग्रस्त हूँ या किसी केस पर उतनी मेहनत नहीं कर रहा हूँ, जितने की वह माँग करता है तो कृपया मेरे कान में फुसफुसा देना 'नॉर्बरी' और मैं तुम्हारा अत्यंत आभारी रहूँगा।'

  • मुख्य पृष्ठ : आर्थर कॉनन डॉयल कहानियाँ और उपन्यास हिन्दी में
  • ब्रिटेन की कहानियां और लोक कथाएं
  • भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं की लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां