एक अभागे राजकुमार की कहानी : मिस्र की लोक-कथा
Tale of the Doomed Prince : Egyptian Folk Tale
एक बार की बात है कि मिस्र में एक राजा राज करता था जो बहुत दुखी रहता था क्योंकि उसके कोई बेटा नहीं था।
उसने देवताओं की बहुत पूजा की तो उन्होंने उसकी प्रार्थना सुनी। उन्होंने निश्चय किया कि उस राजा को उसका एक वारिस तो देना ही चाहिये।
समय आने पर राजा के एक बेटा पैदा हुआ। सात हैथोर ने राजकुमार को नमस्ते की और उसकी किस्मत बतायी। उन्होंने कहा कि उस राजकुमार की मौत अचानक होगी – या तो मगर से, या तो साँप से या फिर कुत्ते से।
राजकुमार की आयाओं ने राजा को बताया कि सात हथौर ने राजकुमार के भविष्य के बारे में क्या बताया। यह सुन कर राजा बहुत परेशान हो गया।
उसने तुरन्त ही अपने बेटे के लिये एक ऐसा घर बनाने का हुक्म दिया जो एक सुनसान जगह में हो ताकि उसके बच्चे की सुरक्षा वहाँ ठीक से हो सके।
वहाँ उसने काफी नौकर चाकर रखे, सब तरह की सुविधाऐं दीं और उन सब नौकरों को हिदायत कर दी कि राजकुमार को उसके रहने की जगह से बाहर बिल्कुल न ले जाया जाये।
बेटा धीरे धीरे बड़ा होने लगा और साथ में ताकतवर भी होता गया। एक दिन वह उस घर की एक चौरस छत पर चढ़ गया। वहाँ से उसने नीचे देखा तो देखा कि एक कुत्ता एक आदमी का पीछा कर रहा था।
यह देख कर उसको बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने अपने एक नौकर से कहा — “यह क्या है जो सड़क चलते इस आदमी का पीछा कर रहा है?”
नौकर बोला — “यह कुत्ता है।”
लड़का बोला — “मुझे भी एक कुत्ता चाहिये। तुम मेरे लिये एक कुत्ता ले कर आओ।”
राजकुमार ने जब ऐसा कहा तो नौकर ने राजा को जा कर बताया तो राजा ने कहा कि उसको एक बच्चा कुत्ता ला कर दे दो ताकि वह नाराज न हो। सो जैसा कि राजकुमार चाहता था उसको एक बच्चा कुत्ता ला कर दे दिया गया।
लड़का और बड़ा होता गया। अब वह जवान हो गया था और और भी ज़्यादा ताकतवर हो गया था। वह अब सचमुच में देश का राजकुमार लगता था।
अब वह उस अकेले घर में बेचैनी सी महसूस करने लगा सो उसने अपने राजा पिता को सन्देश भेजा — “पिता जी, आपने मुझे यहाँ कैदी बना कर क्यों रखा है। अगर मुझे या तो मगर से, या साँप से या फिर कुत्ते से ही मरना है तो यह तो भगवान की मर्जी है हम इसमें क्या कर सकते हैं।
पर अभी तो मुझे आप बाहर निकलने दीजिये और जब तक मैं ज़िन्दा हूँ मुझे अपने दिल की इच्छाऐं पूरी कर लेने दीजिये।”
राजा ने बेटे के सन्देश पर सोच विचार किया और फैसला किया कि वह अपने बेटे की इच्छा जरूर पूरी करेगा। उसने उसको एक रथ और सब तरह के हथियार दे दिये और उसके कुत्ते को उसके साथ रहने की इजाज़त भी दे दी।
राजा का एक नौकर उसको देश की पूर्वीय सीमा पर छोड़ आया कि अब आप आज़ाद हैं और जहाँ चाहे जा सकते हैं। लड़के ने अपने कुत्ते को पुकारा और उसको ले कर वह उत्तर की तरफ चल दिया। वह अपना रास्ता अपने आप ही बनाता जा रहा था और ठीक से जा रहा था।
कुछ समय बाद वह नाहरीना देश पहुँच गया। वहाँ जा कर वह एक सरदार के घर गया। इत्तफाक से इस सरदार के कोई बेटा नहीं था पर एक बहुत सुन्दर बेटी थी।
उसने अपनी बेटी के लिये एक बहुत ही शाही किस्म की मीनार बनवा रखी थी जिसमें सत्तर खिड़कियाँ थीं। और यह मीनार सात सौ फीट ऊँची एक पहाड़ी पर बनी हुई थी।
यह लड़की बहुत जल्दी ही देश देश में मशहूर हो गयी और जब यह लड़की शादी के लायक हो गयी तो उसके पिता ने सब राजाओं और राजकुमारों को यह खबर भिजवा दी कि जो कोई भी इस पहाड़ी पर चढ़ेगा मैं उसी के साथ अपनी बेटी की शादी करूँगा।
अब हर दिन लोग उस पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश करते। एक दिन जब लोग इस तरह उस पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे कि यह राजकुमार भी वहाँ पहुँच गया और उसने उनको पहाड़ी पर चढ़ते हुए देखा।
उन नौजवानों ने उसका स्वागत किया और उसको अपने घर ले गये। उन्होंने उसको नहलाया धुलाया, खुशबू लगायी और उसको खाना दिया। उसके घोड़े को घास और चारा खिलाया।
उसके साथ उन्होंने बहुत अच्छा बर्ताव किया और उसको पहनने के लिये जूते दिये। फिर उन्होंने उससे पूछा — “ओ नौजवान, तुम कहाँ से आये हो?”
राजकुमार बोला — “मैं फैरो के एक सारथी का बेटा हूँ। मेरी माँ मर गयी तो मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली। वह मुझसे बहुत नफरत करती थी सो मैं घर छोड़ कर भाग आया।” इतना कह कर वह चुप हो गया।
उन्होंने उसको ऐसे चूमा जैसे वे अपने भाई को चूम रहे हों। फिर उन्होंने उससे कहा कि अगर वह चाहे तो कुछ दिन उनके पास ही रह सकता था। राजकुमार ने पूछा कि वह वहाँ रह कर क्या करेगा।
उन्होंने कहा — “हम लोग यहाँ पर रोज इस पहाड़ी के ऊपर बने हुए महल तक चढ़ने की कोशिश करते हैं ताकि इस सरदार की बेटी से शादी कर सकें। तुम भी वही करना।
उसकी लड़की बहुत सुन्दर है और वह अपनी बेटी की शादी उसी से करेगा जो इस पहाड़ी पर चढ़ कर उसके महल तक पहुँचेगा।”
अगले दिन उन्होंने फिर उस पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया और वह राजकुमार उन सबसे अलग खड़े रह कर उनको चढ़ते देखता रहा।
हर रोज ऐसा ही होता। वे लोग पहाड़ी पर चढ़ते और वह राजकुमार अलग खड़े रह कर उनको देखता रहता। पर वे लोग पहाड़ी पर चढ़ने की बेकार ही कोशिश करते रहते क्योंकि वे वहाँ तक चढ़ ही नहीं पाते।
जब यह सब कई दिनों तक चलता रहा तो एक दिन राजकुमार बोला — “अगर तुम लोगों को कोई ऐतराज न हो तो तुम्हारे साथ मैं भी इस पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश करूँ?”
उन लोगों ने उसको उस पहाड़ी पर चढ़ने की इजाज़त दे दी। अब कुछ ऐसा हुआ कि उसी समय नाहरीना के सरदार की बेटी ने ऊपर से अपनी खिड़की से नीचे झाँक कर उन नौजवानों को देखा जो उस पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे।
राजकुमार ने भी उस लड़की को देखा तो उसने भी दूसरे सरदारों के बेटों के साथ चढ़ना शुरू किया और ऊपर चढ़ता ही चला गया और तब तक चढ़ता ही रहा जब तक वह सरदार की बेटी की खिड़की तक नहीं पहुँच गया।
उसके वहाँ पहुँचते ही सरदार की बेटी ने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और चूम लिया।
जो नौजवान लोग उस पहाड़ी पर चढ़ रहे थे उनमें से एक ने यह देखा तो वह सरदार का दिल खुश करने के लिये उसके पास दौड़ा गया और जा कर उसे बताया कि आखिर हममें से एक तुम्हारी बेटी के महल तक पहुँच ही गया है।
सरदार ने पूछा — “किसका बेटा है वह?”
वह नौजवान बोला — “वह लड़का कह रहा था कि वह फैरो के एक सारथी का बेटा है और अपनी सौतेली माँ के खराब बर्ताव से तंग हो कर मिस्र छोड़ कर यहाँ भाग आया है।”
यह सुन कर तो सरदार बहुत ही गुस्सा हुआ और गुस्से में भर कर बोला — “क्या मैं अपनी बेटी किसी मिस्र से भागे हुए नौजवान को दूँगा? नहीं नहीं। यह मैं नहीं कर सकता। उससे कहो कि वह तुरन्त ही अपने देश लौट जाये।”
यह कह कर उसने तुरन्त ही अपने दूतों को यह सन्देश ले कर उस मीनार में भेज दिया। उन्होंने उस राजकुमार से कहा — “जैसे तुम आये हो वैसे ही तुम अपनी जगह वापस चले जाओ।”
पर सरदार की बेटी तो उसको छोड़ ही नहीं रही थी। उसने भगवान से प्रार्थना की — “मैं रा हरमाचिस के नाम की कसम खाती हूँ कि अगर यह मेरा नहीं बना तो न तो मैं कुछ खाऊँगी और न ही कुछ पियूँगी।”
जैसे ही उसने यह कहा तो वह तो बेहोश सी होने लगी जैसे कि मरने वाली हो। आये हुए दूतों में से एक दूत तुरन्त ही सरदार को यह बताने के लिये उसके पास दौड़ा गया कि कैसे उसकी बेटी ने कसम खायी और फिर कैसे वह बेहोश हो गयी।
सरदार ने अपने कुछ आदमी फिर से उस मीनार में भेजे कि अगर वह अनजान आदमी कुछ देर के लिये भी उस मीनार में रहे तो वे उसको मार दें।
जब वे मीनार में आये तो लड़की बोली — “भगवान की कसम अगर तुममें किसी ने भी मेरे दुलहे को छुआ तो मैं भी मर जाऊँगी। अगर तुमने उसको मुझसे छीन लिया तो उसके बाद मैं एक घंटे भी ज़िन्दा नहीं रहूँगी।”
एक दूत ने सरदार को फिर खबर दी कि आपकी बेटी ऐसा ऐसा कह रही है। सरदार बोला — “ठीक है उस अजनबी नौजवान को मेरे पास लाया जाये।”
सो राजकुमार को सरदार के पास ले जाया गया। राजकुमार बहुत डरा हुआ था पर लड़की के पिता ने उसको गले से लगाया और प्यार किया और बोला — “तुम वाकई में एक कुलीन नौजवान हो। अब तुम मुझे बताओ कि तुम कौन हो। मैं तुमको इतना प्यार करता हूँ जैसे मैं अपने बेटे को करता।”
राजकुमार बोला — “मेरे पिता फैरो की सेना में रथ चलाने का काम करते हैं। मेरी माँ मर गयी तो मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली। मेरी सौतेली माँ मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं करती थी इसी लिये मैं घर से भाग आया।”
सरदार ने अपनी बेटी की शादी उस राजकुमार से कर दी। उनके लिये एक बहुत आलीशान मकान बनवा दिया। उस मकान के साथ में बहुत सारे नौकर चाकर थे, जमीन थी और जानवर थे।
कुछ समय गुजरने के बाद राजकुमार ने अपनी पत्नी को बताया कि मेरी मौत इन तीनों में से किसी भी तरह हो सकती है – या तो मगर से, या तो साँप से या फिर कुत्ते से।”
यह सुन कर उसकी पत्नी को उसकी सुरक्षा की बहुत चिन्ता हो गयी। उसने कहा तो कुत्ते को तो तुरन्त मार देना चाहिये।
राजकुमार बोला — “नहीं मैं अपने कुत्ते को मारने की इजाज़त कभी नहीं दूँगा। इसके अलावा वह मुझे कभी कोई नुकसान भी नहीं पहुँचायेगा।”
पर उसकी पत्नी को अभी भी उसकी सुरक्षा की चिन्ता थी। वह उसको कुत्ते को साथ ले कर अकेले कहीं नहीं जाने देती थी।
कुछ समय बाद वह राजकुमार अपनी पत्नी के साथ एक बार मिस्र गया तो वह उस जगह भी गया जहाँ वह पहले रहता था। उस समय उसके साथ एक बड़े साइज़ का आदमी भी था।
वह बड़े साइज़ का आदमी उसको अँधेरे में कहीं बाहर जाने नहीं देना चाहता था क्योंकि वहाँ रोज रात को एक मगर नदी में से बाहर आता था।
पर वह बड़े साइज़ का आदमी खुद ही उधर चला गया। मगर उससे बच नहीं सका क्योंकि उसने मगर के ऊपर जादू डाल दिया था।
रात को वह आदमी बाहर जाता था और सुबह को राजकुमार बाहर जाता था। सुबह को वह बड़े साइज का आदमी आ कर सो जाता था। यह सब दो महीने तक चलता रहा।
फिर कुछ समय और गुजर गया। एक दिन राजकुमार अपने घर में खुशियाँ मना रहा था। घर में बहुत बड़ी दावत हो रही थी। जब रात हो गयी तो वह आराम करने के लिये लेट गया और सो गया। उसकी पत्नी वहीं बैठ कर नहाने धोने में लग गयी।
अचानक राजकुमार की पत्नी ने एक साँप देखा जो राजकुमार को काटने के लिये एक छेद में से निकल आया था। वह वहीं अपने पति के पास ही बैठी थी।
उस साँप को देखते ही उसने अपने नौकरों को आवाज लगायी कि वे एक कटोरा भर कर दूध ले आयें जिसमें शहद मिली शराब भी हो। नौकर उस तरह का दूध ले आये। उसने साँप को वह दूध पिला दिया।
वह दूध पी कर साँप को नशा हो गया। अब वह मजबूर हो गया था और जमीन पर लोटने लगा। सरदार की बेटी ने अपना खंजर निकाला और उसको मार कर अपने नहाने की जगह फेंक दिया।
जब उसने यह सब काम खत्म कर लिया तब उसने राजकुमार को जगाया। राजकुमार ने जब यह सब देखा तो उसने अपनी पत्नी की बहुत तारीफ की कि वह साँप के काटे से मरने से बच गया। उसकी पत्नी बोली — “भगवान ने मुझे यह मौका दिया कि मैं तुम्हारी मौत के तीन कारणों में से एक कारण को हटा सकूँ। वह मुझे दूसरे कारण को भी हटाने का मौका जरूर देगा।”
राजकुमार ने भगवान को भेंट दीं और उनके सामने लेट कर उनको प्रणाम किया। फिर वह रोज ही ऐसा करने लगा।
फिर कुछ समय गुजर गया। एक दिन राजकुमार अपने घर से घूमने के लिये कुछ दूर तक चला गया। वह अकेला नहीं था उसका कुत्ता भी उसके साथ था।
इत्तफाक से जाते समय उसके कुत्ते को एक जानवर दिखायी दे गया जिसको वह पकड़ना चाहता था सो वह उस जानवर के पीछे भागा तो राजकुमार भी उसके पीछे पीछे भागा।
भागते भागते वे एक नदी के किनारे आ पहुँचे। कुत्ता जानवर का पीछा करते करते नदी में घुस गया और बोला —“मैं ही तुम्हारी बदकिस्मती हूँ।”
सो राजकुमार उससे बच कर नदी में उससे पहले ही दौड़ गया73 पर नदी में मगर था।
मगर ने राजकुमार को मारा नहीं बल्कि वह राजकुमार को वहाँ ले गया जहाँ पानी की आत्मा रहती थी। असल में राजकुमार से लड़ने के लिये मगर को पहले उस आत्मा से सहायता चाहिये थी।
मगर बोला — “मैं तुम्हारी बदकिस्मती हूँ और मैं तुम्हारा पीछा करता ही रहूँगा। मैं उस बड़े साइज़ वाले आदमी से बहस तो नहीं करूँगा पर याद रखना कि मैं हमेशा तुम्हारे ऊपर नजर रखूँगा। तुम मुझ पर उस बड़े साइज के आदमी की तरह से जादू तो डाल सकते हो पर अगर तुम मुझे फिर से आते देखोगे तब तुम निश्चित रूप से नष्ट हो जाओगे।”
इसके बाद फिर कुछ समय, दो महीने, बीत गया। राजकुमार फिर गया ....।
यहाँ आ कर इस पैपीरस का टुकड़ा नष्ट हो गया है सो हम नहीं जानते कि इसके बाद में राजकुमार का क्या हुआ।
ऐन्ड्रू लैंग के अनुसार
क्योंकि यह लोक कथा मिस्र की एक बहुत ही मशहूर लोक कथा है तो यह लोक कथा ऐन्ड्रू लैंग ने भी लिखी है। इसके आगे का हिस्सा हम ऐन्ड्रू लैंग की लिखी हुई कथा में कुछ इस तरह से पाते हैं।
“एक दिन राजकुमार अपने कुत्ते को साथ ले कर शिकार के लिये जा रहा था कि वे एक नदी के किनारे आ पहुँचे। राजकुमार अपने कुत्ते के पीछे बहुत तेज़ी से दौड़ता जा रहा था कि वह रास्ते में पड़े एक लकड़ी के लठ्ठे से टकरा कर गिर गया। तभी उसको एक आवाज सुनायी दी तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह कौन बोला।
पर वह लकड़ी का लठ्ठा नहीं था वह तो मगर था। मगर कह रहा था — “तुम मुझसे बच नहीं सकते। तुम जहाँ कहीं भी जाओ और तुम जो कुछ भी करो तुम मुझे अपने सामने पाओगे। मेरी ताकत को दूर करने का केवल एक ही तरीका है।
अगर तुम सूखे रेत में एक गड्ढा खोद सकते हो जो हमेशा पानी से भरा रहे तो मेरा यह जादू टूट जायेगा। अगर तुम ऐसा नहीं कर पाये तो मौत तुमको और जल्दी आयेगी। मैं तुम्हें एक मौका देता हूँ जाओ।”
राजकुमार बेचारा उदास हो कर चला आया। जब वह अपने महल पहुँचा तो वह अपने कमरे में चला गया और उसे अन्दर से बन्द कर लिया। उसने हर एक से मिलने के लिये मना कर दिया, यहाँ तक कि अपनी पत्नी से भी।
शाम के बाद तक भी जब राजकुमार के कमरे से कोई आवाज नहीं सुनायी पड़ी तो राजकुमारी को डर लगा। उसने इतना शोर मचाया कि राजकुमार को अपना दरवाजा खोलना ही पड़ा।
उसने राजकुमारी को अन्दर बुलाया। राजकुमारी उसे देखते ही रो पड़ी बोली — “ओह तुम कितने पीले पड़ गये हो। क्या किसी ने तुम्हें कोई तकलीफ दी है। मैं तुमसे विनती करती हूँ कि मुझे कुछ बताओ तो सही। शायद मैं तुम्हारी कुछ सहायता कर सकूँ।”
इस पर राजकुमार ने उसे अपनी सारी कहानी सुना दी। उसने उसे उस नामुमकिन काम के बारे में भी बताया जो मगर ने उसे बताया था।
उसने फिर कहा — “रेत में बना कोई गड्ढा कैसे हर समय पानी से भरा रह सकता है। वह तो उससे बाहर निकल ही जायेगा न। मगर ने इसे एक इत्तफाक कह दिया है वरना तो वह तुरन्त ही मुझे नदी में खींच ले जाता। उसने सच ही कहा था कि मैं उससे बच नहीं सकता।”
राजकुमारी ज़ोर से बोली — “ओह तो तुम क्या इसी बात के लिये परेशान हो रहे थे। इससे तो मैं खुद तुम्हें आजाद करा सकती हूँ। क्योंकि मेरी परी गौडमदर ने मुझे यहाँ उगे हुए कुछ खास पौधों का इस्तेमाल करना सिखाया है।
यहाँ से कूछ दूरी पर चार पत्तियों वाला एक पौधा उगता है जो गड्ढे में पानी हमेशा भरा रखता है। मैं कल सुबह ही इस पौधे को देखने जाऊँगी और तुम मेरे पीछे जितनी जल्दी हो सके रेत में एक गड्ढा खोद कर रखना।”
इस तरह से धीरे धीरे बोल कर राजकुमारी ने राजकुमार को तसल्ली दी। पर यह बात वह अच्छी तरह जानती थी कि उसके सामने भी करने के लिये यह कोई आसान काम नहीं था। पर उसके अन्दर ताकत थी और पक्का इरादा था कि वह किसी भी तरह से अपने पति को बचा कर जरूर रहेगी।
अगले दिन दिन निकलने से पहले ही तारों की रोशनी में वह एक बर्फ से सफेद गधे पर चढ़ी और नदी से दूर पश्चिम की तरफ चल दी। कुछ देर तक तो उसे सिवाय रेतीली जमीन के सिवा और कुछ दिखायी नहीं दिया जो आगे जाने पर सूरज के ऊपर आने की वजह से गर्म और गर्म होती जा रही थी।
तभी उसको और उसके गधे को बहुत ज़ोर की प्यास लग आयी पर उनकी प्यास बुझाने के लिये वहाँ कुछ भी नहीं था। और अगर उसको कुछ मिल भी जाता तो भी उसके पास रुकने का समय ही नहीं था क्योंकि अभी तो बहुत दूर आगे जाना था और फिर शाम तक वापस भी आना था क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि मगर यह कह दे कि राजकुमार ने उसकी शर्त पूरी नहीं की।
सो उसने इस बारे में अपने गधे से अच्छे से बात की तो उसके जवाब में उसका गधा रेंका और दोनों आगे बढ़ गये।
कुछ दूर जाने के बाद उन्होंने सामने ही एक बड़ी चट्टान देखी। उसके देखते ही वे यह तो भूल गये कि ये प्यासे थे और सूरज बहुत ऊपर उठ आया था कि उनको लगा कि उनके नीचे से जमीन ने आसमान में उड़ना शुरू कर दिया था। यहाँ तक कि कुत्ता भी अपने आप ही रुक कर छाँह में खड़ा हो गया था।
पर गधा तो आराम कर सकता था पर राजकुमारी को चैन कहाँ। क्योंकि उसको मालूम था कि वह पेड़ वहीं कहीं उसी चट्टान पर ही उगता था।
खुशकिस्मती से वह अपने साथ एक रस्सा ले कर आयी थी। सो उसने एक हाथ से उसका फन्दा बना कर उस चट्टान में डाला। पहले तो फन्दा चट्टान में पड़ा नहीं पर आखिर वह चट्टान में किसी तरह फँस गया। वह किसमें फँसा यह उसे नहीं पता चला।
फिर वह अपना सारा बोझ उस पर डाल कर उसे पकड़ कर वह सुरक्षित रूप से पहाड़ी के दूसरी पार चली गयी। बीच में तो कोई अप्रिय घटना नहीं घटी पर जैसे ही उसने उस पहाड़ी पर अपना पैर रखा तो उसके पैर के नीचे का पत्थर टूट गया और वह वहीं आ गिरी जहाँ से वह चली थी।
इस तरह समय तो बीतता ही रहा। दोपहर हो आयी थी। जैसे जैसे राजकुमारी को देर हो रही थी उसकी नाउम्मीदी बढ़ती जा रही थी। उसने अपने चारों तरफ देखा तो उसे एक पत्थर दिखायी दिया जो दूसरे पत्थरों से ज़्यादा मजबूत था।
सो वह उस पत्थर तक पहुँचने के लिये बीच वाले पत्थरों पर बहुत ही हल्के से कदम रख कर किसी तरह से उस मजबूत पत्थर तक पहुँच गयी। लहू लुहान हाथों को ले कर वह उस पहाड़ी की चोटी तक पहुँच गयी।
पर यहाँ इतनी तेज़ हवा बह रही थी कि उसकी आँखों में धूल घुसी जा रही जिससे उसको कुछ दिखायी नहीं पड़ रहा था। इससे वह नीचे गिर पड़ी और वहाँ उसे वह कीमती बूटी मिल गयी।
पहले तो उसको लगा कि चट्टान पर कुछ नहीं है वह नंगी है पर कुछ पलों में ही उसको उनकी एक दरार में एक पेड़ के होने का एहसास हुआ। वह एक पौधा था यह तो साफ पता चल रहा था पर वह किस चीज़ का पौधा था यह वह अभी तक तय नहीं कर पायी थी।
देख वह पा नहीं रही थी क्योंकि हवा अभी भी बहुत तेज़ थी जो उसको अन्धा बना रही थी। वहीं लेटे लेटे उसने हाथ से उसकी पत्तियाँ गिननी शुरू कीं – एक़ दो, तीन और चार। अरे यह तो वही चार पत्तियों वाला पौधा है।
उसने उसकी एक पत्ती तोड़ी और अपने हाथ में मजबूती से पकड़ ली। वह वापस जाने के लिये मुड़ी ही थी कि तेज़ हवा की वजस से वह फिसल गयी और सीधी नीचे तक फिसलती ही चली आयी। भगवान का लाख लाख धन्यवाद कि बीच में कहीं वह फँसी नहीं।
इत्तफाक से वह अपनी रस्सी के पुल के पास ही गिरी। उसका गधा उसको देख कर खुशी से चिल्ला पड़ा और उसको तुरन्त ही घर ले गया। उसको लगा ही नहीं कि उसके पैरों के नीचे धरती भी उतनी गर्म थी जितना कि उसके सिर पर सूरज।
नदी के किनारे पर जा कर गधा रुक गया। राजकुमारी तुरन्त ही गधे से उतर कर राजकुमार के पास गयी जो अभी अभी गड्ढा खोद कर चुका था। उसके पास ही पानी का एक बहुत बड़ा बरतन रखा हुआ था।
पास में ही कुछ दूरी पर मगर लेटा हुआ था। उसका मुँह खुला हुआ था जिसमें से उसके पीले दाँत दिखायी दे रहे थे।
जैसे ही राजकुमारी ने उसको इशारा किया तो उसने गड्ढे में पानी डाला और जैसे ही गड्ढे में पानी ऊपर तक भरा राजकुमारी ने डरते डरते उसमें अपनी लायी हुई पत्ती डाल दी। क्या यह टोटका काम करेगा या फिर उसको पानी धीरे धीरे कर के सब रेत में सूख जायेगा और बेचारा राजकुमार इस राक्षस के फन्दे में फँस जायेगा।
आधे घंटे तक दोनों की आँखें उस गड्ढे पर टिकटिकी लगा कर देखती रहीं। पर गड्ढे का पानी उतना ही भरा हुआ रहा जितना शुरू में था। पत्ती पानी पर तैर रही थी।
राजकुमार खुशी से चिल्ला उठा और मगर अपना सा मुँह ले कर पानी में चला गया।
अब राजकुमार अपनी तीन किस्मतों में से दो को जीत चुका था – साँप को और मगर को। वह अभी भी मगर को देखता हुआ खड़ा था। वह बहुत खुश था कि उसने अपने मगर वाली किस्मत को भी हमेशा के लिये जीत लिया था।
तभी वह अपने ऊपर से एक जंगली बतख को उड़ते देख कर चौंक गया। वह बतख नदी के किनारे उगी हुई झाड़ियों में अपने रहने की जगह ढूँढ रही थी।
अगले ही पल उसका कुत्ता उसका पीछा करने दौड़ा तो अपने मालिक की टाँगों से बहुत ज़ोर से टकरा गया। राजकुमार काँपा और लड़खड़ा कर नदी की तरफ नीचे गिर पड़ा जहाँ वह कीचड़ और झाड़ियों में फँस गया। उन्होंने उसे कस कर जकड़ लिया था। उसने चिल्ला कर अपनी पत्नी को आवाज दी जो दौड़ती हुई उसके पास आयी। उसके पास रस्सी अभी तक थी। कुत्ता तो नदी में डूब गया था पर राजकुमारी ने रस्सी के सहारे राजकुमार को कीचड़ में से बाहर खींच लिया था।
खुश हो कर राजकुमार बोला — “मेरी किस्मत से ज़्यादा तो मेरी पत्नी की किस्मत में ज़ोर है।”
Seven Hathors – in Egyptian mythology they write the destiny of the newborn at the time of his or her birth.
Ra Harmachis – same as Ra Horakhti, Horus of the Horizon, the morning Sun – Egyptian Sun god
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)