दो भाइयों की कहानी : अनपू और बाटा : मिस्र की लोक-कथा
Tale of Two Brothers Anpu and Bata : Egyptian Folk Tale
एक बार की बात है कि एक माता पिता के दो बेटे थे अनपू और बाटा । अनपू बड़ा था और बाटा छोटा। अनपू की शादी हो गयी थी और उसके पास एक घर था।
पर बाटा अभी कुँआरा था और वह अनपू के पास ही रहता था। अनपू के लिये उसका छोटा भाई उसके बेटे जैसा था।
वही उसके कपड़े बनवाता था और छोटा भाई भी अपने बड़े भाई के बैलों को उनके पीछे पीछे चल कर उसके खेतों तक ले जाता था।
एक भाई खेत जोतता था और दूसरा फसल काटता था। वह खेतों के सारे मामलों की देखभाल करता था।
सो अनपू का छोटा भाई बाटा आगे चल कर एक बहुत ही अच्छा काम करने वाला बना। उसके जैसा काम करने वाला देश भर में कोई नहीं था। उसके अन्दर तो जैसे देवता बसे हुए थे।
बाटा रोज सुबह अपने भाई के बैलों को खेत तक ले जाता था और शाम को घर वापस लाता था। शाम को उसके बैल खेत पर पैदा होने वाली चीज़ों से लदे होते, जैसे दूध, बहुत सारे तरह के पत्ते और भी बहुत कुछ जो कुछ भी उनके खेत पर होता था।
वह यह सब ला कर अपने बड़े भाई के सामने रख देता जो घर में अपनी पत्नी के साथ बैठा रहता। फिर वह खाता पीता और जानवरों के बाड़े में जा कर जानवरों के साथ ही लेट जाता।
अगली सुबह वह अपने भाई के सामने अपने हाथ से बनायी हुई रोटी रखता और फिर वह जानवरों को खेत पर और चरागाहों की तरफ ले जाता।
और जब वह उन जानवरों के पीछे पीछे चलता तो वे जानवर कहते कि “यह घास तो बहुत अच्छी है।” वह उनकी सब बातें सुनता रहता जो भी वे कहते रहते।
वह उनको बहुत अच्छी अच्छी जगह ले जाता जहाँ उनको अच्छा लगता। इससे उसके जानवर उससे खूब खुश रहते, तन्दुरुस्त रहते और वे बहुत जल्दी जल्दी बढ़ रहे थे।
एक बार जब खेत जोतने का समय आया तो अनपू बोला —
“अबकी बार हम अपने खेत जोतने के लिये अपने बहुत बढ़िया
बैलों की जोड़ी काम में लायेंगे क्योंकि हमारी जमीन अभी अभी पानी
में से बाहर निकल कर आयी है और इस समय उसको जोतने का
समय सबसे अच्छा है।
इसके अलावा तुम खेत पर दाना भी लेते आना क्योंकि हम कल सुबह ही अपना खेत जोतना शुरू कर देंगे।” सो उसके छोटे भाई ने अगले दिन की तैयारी शुरू कर दी।
अगले दिन सुबह होने पर वे दोनों खेतों को चले गये। वहाँ जा कर जब उन्होंने अपना काम शुरू किया तो वे बहुत खुश थे। कुछ देर बाद बड़े भाई ने कहा — “जाओ, जल्दी से दाना ले आओ।” सो बाटा दाना लेने के लिये घर चला गया।
वहाँ जा कर उसने देखा कि उसकी भाभी बैठी हुई अपने बाल सँवार रही थी। उसने भाभी से कहा — “भाभी उठो, ज़रा जल्दी से मुझे दाना दे दो ताकि मैं जल्दी से खेतों को वापस जा सकूँ। भैया ने जल्दी से दाना मँगवाया है। देर नहीं करो।”
वह बोली — “उस डिब्बे का ढक्कन खोलो और उसमें से जितना दाना चाहिये उतना निकाल लो ताकि मै ं जब अपने बाल बना रही हूँ तो मेरे बाल न गिरें।”
सो बाटा बाड़े में गया और डिब्बे में से काफी सारा दाना माप कर निकाल लिया क्योंकि वह ज़्यादा दाना ले जाना चाहता था। उसने उसमें से गेहूँ और जौ दोनों भर लिये और चल दिया।
उसको देख कर उसकी भाभी बोली — “तुमको कितना दाना चाहिये? क्या जितना तुम्हारे कन्धे पर है उतना ही?”
बाटा बोला — “तीन बुशैल जौ और दो बुशैल गेहूँ – कुल पाँच बुशैल चाहिये और वही मेरे कन्धे पर है।”
भाभी बोली — “तुम्हारे अन्दर बड़ी ताकत है। मैं तुम्हारी ताकत रोज देखती हूँ।” वह उसके जवान होने से ही उसकी इस ताकत को नापती थी।
वह उठी और उसके पास आयी और बोली — “आओ तुम मेरे पास आओ न, तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। मैं तुम्हारे लिये सुन्दर सुन्दर कपड़े सिलूँगी।” भाभी की यह नीच बात सुन कर बाटा को बहुत गुस्सा आया जिसको देख कर वह डर गयी।
बाटा बोला — “देखो भाभी, तुम मेरी माँ की तरह हो और तुम्हारा पति मेरे पिता की तरह है क्योंकि वह मुझसे बड़ा है और उसने मुझे पाला है। यह तुमने मुझसे कैसी नीच बात कह दी? आगे से फिर कभी ऐसी बात मत कहना। क्योंकि मैं यह बात किसी और से नहीं कहूँगा। क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि और कोई दूसरा भी कोई ऐसी बात किसी और से कहे।”
कह कर उसने अपना दाना उठाया और खेतों की तरफ चला गया। वह अपने बड़े भाई के पास आया और वे अपना काम करने में लग गये।
बाद में शाम को जब उसका बड़ा भाई घर लौट रहा था तो छोटा भाई उसके बैलों के पीछे पीछे चल रहा था। रोज की तरह उसके पास खेतों का बहुत सारा सामान था। वह अपने जानवरों को ले कर उनको उनके बाँधने की जगह ले आया ताकि वह वहाँ उनको लिटा सके।
बड़े भाई की पत्नी ने दिन में जो कुछ अपने पति के छोटे भाई से कहा था उसके लिये वह बहुत डर रही थी।
उसको ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे पीट दिया हो। वह अपने पति से कहना चाहती थी कि यह सब तुम्हारे छोटे भाई ने ही मुझसे कहा था।
शाम को जब उसका पति जैसे रोज आता था वैसे ही वह घर में आया तो उसको लगा जैसे किसी ने उसकी पत्नी को आज पीटा हो।
आज उसने उसको हाथ धोने को पानी भी नहीं दिया जैसे कि वह उसको रोज देती थी। आज उसने घर में रोशनी भी नहीं की। घर में अँधेरा छा रहा था। वह बीमार सी लेटी हुई थी।
उसके पति ने उससे पूछा — “क्या बात है? तुमसे किसी ने कुछ कहा है?”
“मुझसे किसी ने कुछ नहीं कहा सिवाय तुम्हारे छोटे भाई के। जब वह तुम्हारे लिये दाना लेने आया था तो उसने मुझे यहाँ अकेला बैठा देखा तो उसने मुझसे कहा — “आओ हम साथ साथ रहते हैं।
तुम अपने बाल बाँध लो फिर मेरे साथ चलो।” उसने मुझसे ऐसा कहा।
पर मैंने कहा — “क्या मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ? क्या तुम्हारे बड़े भाई तुम्हारे पिता जैसे नहीं हैं?”
यह सुन कर वह डर गया उसने मुझे इसलिये पीटा कि मैं यह सब तुमसे न कहूँ। अगर तुम उसको ज़िन्दा छोड़ दोगे तो मैं मर जाऊँगी। अब देखो न वह शाम को आ रहा है और मैं तुमसे उसकी शिकायत कर रही हूँ। उसने तो यह सब दिन में किया था।”
यह सब सुन कर बड़े भाई को बहुत ज़ोर का गुस्सा आया। उसने अपना चाकू निकाला, उसे तेज़ किया और उसे हाथ में ले कर अपने भाई को मारने के लिये बाड़े के दरवाजे के पीछे खड़ा हो गया ताकि जब वह जानवर रखने के लिये वहाँ आये तो वह उसको मार दे।
शाम हो गयी थी और बाटा के पास रोज की तरह खेत का बहुत सारा समान था।
जैसे ही उसकी पहली गाय उस बाड़े के अन्दर घुसी तो उसने अपने रखवाले से कहा — “देखो तुम्हारा बड़ा भाई तुमको मारने के लिये चाकू लिये हुए खड़ा हुआ है। तुम यहाँ से भाग जाओ।”
बाटा ने अपनी पहली गाय की बात तो अनसुनी कर दी पर फिर जब दूसरी गाय ने भी बाड़े में घुसने पर यही कहा तो उसने बाड़े के दरवाजे के नीचे झाँक कर देखा तो वहाँ उसको अपने बड़े भाई के पाँव नजर आये। वह दरवाजे के पीछे खड़ा हुआ था और उसके हाथ में चाकू था।
उसने तुरन्त ही अपना बोझ जमीन पर फेंका और वहाँ से तेज़ी से भाग लिया। यह देख कर बड़े भाई ने हाथ में चाकू लिये लिये ही उसका पीछा किया।
यह देख कर छोटा भाई अपने भगवान “रा हाराख्ती” से ज़ोर से बोला — “हे भगवान तुम ही हो जो बुराई को अच्छाई से अलग करते हो।”
रा ने उसकी यह रोती हुई आवाज सुनी तो उसने उसके और उसके बड़े भाई के बीच एक बहुत बड़ा पानी का तालाब बना दिया और उसको मगरों से भर दिया।
अब एक भाई उस पानी के एक तरफ खड़ा था और दूसरा भाई दूसरी तरफ। बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को न मार पाने की वजह से अपने हाथों को दो बार मारा।
छोटे भाई ने इस किनारे से दूसरे किनारे पर खडे, अपने बड़े भाई से कहा — “सुबह होने तक ऐसे ही खड़े रहो। सुबह जब रा आयेगा तब मैं उसके सामने तुम्हारा न्याय करूँगा। वही अच्छे और बुरे के बीच का भेद बतायेगा।
अब मैं तुम्हारे साथ कभी नहीं रहूँगा। मैं वहाँ नहीं रहूँगा जहाँ तुम रहते हो। मैं अकाकिया के पेड़ों की घाटी में चला जाऊँगा।” अगले दिन जब उजाला हुआ और रा आये तो दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा।
छोटा भाई बोला — “जब तुमने मुझसे कोई बात ही नहीं की तो तुम इतनी चालाकी से मुझे क्यों मारने चले थे? सच तो यह है कि मैं तुम्हारा भाई हूँ और तुम मेरे पिता की तरह हो और तुम्हारी पत्नी मेरी माँ की तरह है। क्या ऐसा नहीं है?
यह ठीक है कि जब तुमने मुझे दाना लेने के लिये घर भेजा था तो तुम्हारी पत्नी ने कहा था — “आओ तुम मेरे पास आओ।”
फिर उसने अपने बड़े भाई को समझाने की कोशिश की कि उस समय उसके और उसके भाई की पत्नी के बीच क्या हुआ था। फिर उसने रा की कसम खा कर कहा — “तुम्हारा अपने चाकू से मुझे धोखे से मारने के लिये आना बहुत ही बुरी बात है।”
उसके बाद बाटा ने अपने चाकू से अपने शरीर का थोड़ा सा माँस काटा और पानी में फेंक दिया जिसको मछली खा गयी। वह बेहोश हो गया और उसके बड़े भाई ने अपने आपको बहुत बुरा भला कहा कि उसने ऐसा क्यों किया। वह दूर खड़ा खड़ा रोता रहा।
वह समझ ही नहीं पा रहा था कि जहाँ वह खड़ा था वहाँ से वह अपने छोटे भाई के पास कैसे जाये क्योंकि उसके सामने वाले पानी में बहुत मगर थे।
छोटे भाई ने फिर कहा — “तुमको इस नीच काम करने का विचार ही कहाँ से आया? क्या तुम कोई अच्छा काम नहीं कर सकते थे जैसे कि मैं तुम्हारे लिये करता हूँ?
अब जब तुम अपने घर वापस जाओगे तो तुमको अपने जानवरों की देखभाल अपने आप ही करनी होगी क्योंकि अब मैं तुम्हारे पास नही रहूँगा। मैं तो अब अकाकिया पेड़ों की घाटी में रहने जा रहा हूँ,।
अब तुम यह सुनो कि तुम मेरे लिये क्या कर सकते हो। अगर तुमको यह पता चल जाये कि मेरे साथ क्या हो रहा है तो तुम मेरे पीछे पीछे मुझे ढूँढने के लिये आ जाना।
और यह सब हो जाने के बाद मैं मर जाऊँगा। मैं अपनी आत्मा को अकाकिया के पेड़ के सबसे ऊँचे फूल के ऊपर रख दूँगा। जब अकाकिया का पेड़ काटा जायेगा तो उस पेड़ के साथ साथ मेरी आत्मा भी नीचे गिर पड़ेगी तब तुम उसको ढूँढने आना।
और अगर तुम उसको सात सालों में भी न ढूँढ पाओ तो अपने मन में दुखी मत होना क्योंकि वह तुमको कभी न कभी मिल ही जायेगी। और जब वह तुमको मिल जाये तो उसको एक गिलास ठंडे पानी में रख देना और उम्मीद रखना कि मैं ज़िन्दा हो जाऊँगा।
ताकि फिर मैं तुमको बता सकूँ कि क्या गलत हो गया था और तुम इस बात को जान जाओ कि मेरे साथ क्या हो रहा है। जब तुमको एक गिलास बीयर पीने को दी जाये और वह हिल जाये। तब यह सब भी चला जायेगा।”
इतना कह कर छोटा भाई फिर अकाकिया की घाटी की तरफ चला गया और उसका बड़ा भाई अपने घर चला गया। बड़ा भाई बहुत दुखी हो कर अपने घर जा रहा था।
घर आ कर उसने अपनी पत्नी को मार डाला और मार कर कुत्तों को फेंक दिया। फिर वह अपने भाई का शोक मनाने के लिये बैठ गया।
इस घटना के काफी समय बाद जब छोटा भाई अकाकिया की घाटी में था और उसके साथ कोई नहीं था तो वह जंगली जानवरों का शिकार कर के अपना समय गुजार रहा था।
एक दिन वह एक अकाकिया के पेड़ के नीचे लेटने आया तो उस पेड़ ने उसकी आत्मा को उस पेड़ के सबसे ऊँचे वाले फूल पर रख दिया। फिर उस लड़के ने उसी अकाकिया की घाटी में अपने हाथों से अपने लिये एक बहुत ऊँची मीनार बनायी। उस मीनार में वे सब अच्छी अच्छी चीजें, थीं जो उसको अपने घर में चाहिये थीं।
इसके बाद वह मीनार में से निकल कर नौ देवताओं के पास गया जो सारी धरती को देखने के लिये बात करते हुए बाहर घूम रहे थे।
बाटा को देख कर वे बाटा से बोले — “ओ बाटा, ओ नौ देवताओं के बैल, क्या तुम अकेले ही रह रहे हो? क्या तुमने अपने बड़े भाई अनपू की पत्नी वजह से अपना गाँव छोड़ दिया?
अब तो उसने अपनी पत्नी को भी मार दिया है। तुमने भी तो उसको जो कुछ भी तुम्हारे साथ हुआ सब बता ही दिया है। फिर क्या बात है?”
और उन नौ देवताओं का दिल उसके लिये रो पड़ा। रा ने नूमू से कहा — “बाटा के लिये एक स्त्री बनाओ ताकि वह बेचारा अकेला न रहे।” और फिर नूमू ने उसके एक साथी बनाया जो उसके साथ रहता।
वह लड़की देश भर में बहुत सुन्दर थी। हर देवता का हिस्सा उसके अन्दर था। सात हथोर भी उसको देखने के लिये आये तो वे सब एक साथ बोले — “यह तो किसी नुकीले हथियार से मरेगी।”
बाटा उसको बहुत ज़्यादा प्यार करता था। वह उसके घर में रहती थी पर वह खुद रेगिस्तान में जा कर जंगली जानवरों का शिकार करने में अपना समय खर्च करता था। जो भी शिकार वह करता उसे ला कर वह अपनी पत्नी के सामने रख देता।
वह उससे कहता — “तुम बाहर नहीं जाना कहीं ऐसा न हो कि समुद्र तुमको पकड़ ले क्योंकि अगर उसने तुमको पकड़ लिया तो मैं तुमको उससे छुड़ा कर नहीं ला सकता क्योंकि मैं भी तुम्हारी तरह एक स्त्री की तरह ही हूँ।
मेरी आत्मा अकाकिया के एक पेड़ के सबसे ऊँचे फूल पर रखी हुई है। अगर कोई दूसरा उसको ढूँढ लेता है तो मुझे उससे लड़ना पड़ेगा।” और उसने उसको अपने और अपने भाई के बीच हुआ सारा किस्सा बता दिया।
इसके बाद जब बाटा रोज की तरह शिकार के लिये गया तो उसकी पत्नी अपने घर के पास लगे अकाकिया के पेड़ के नीचे गयी।
वहाँ उसको समुद्र ने देखा तो वह उसके ऊपर रीझ गया और रीझ कर अपनी लहरें उसके ऊपर फेंकीं। वह वहाँ से भागी और जा कर अपने घर में घुस गयी।
समुद्र ने अकाकिया से पूछा — “क्या मैं उसको पकड़ सकता हूँ?”
अकाकिया उसके बालों की एक लट ले आया और समुद्र उसको ले कर मिस्र चला गया। वहाँ जा कर उसने उसको शाही धोबियों91 की जगह में डाल दी जहाँ वे फैरो के कपड़े धोते थे।
उन बालों के लट की खुशबू फैरो के कपड़ों में बस गयी। धोबी लोग यह देख कर बहुत गुस्सा हो गये कि फैरो के कपड़ों में यह किसी तरह की बू आ गयी थी।
उन सबको उन कपड़ों की बू पर रोज डाँट पड़ती पर उनको समझ में ही नहीं आ रहा था कि वे इसके लिये क्या करें।
तब एक दिन उन धोबियों का सरदार समुद्र के किनारे घूमने गया क्योंकि रोज रोज की डाँट की वजह से उसका मन कुछ खट्टा हो गया था।
समुद्र के किनारे वह एक जगह शान्त खड़ा था। वह बालू पर उस बालों की लट के सामने ही खड़ा था और वह बालों की लट पानी में पड़ी थी।
उसने अपने एक आदमी को बुलाया और उससे पानी में से वह लट निकाल कर लाने के लिये कहा। जब वह उसे ले आया तो उसने देखा कि वह बू तो बालों की उस लट में से ही आ रही थी।
वह बालों की उस लट को फैरो के पास ले गया। उसने उसे बताया कि उसके कपड़ों में जो बू आ रही थी वह बालों की उसी लट से आ रही थी।
वहाँ बहुत सारे अक्लमन्द लोग उस लट को देखने के लिये बुलाये गये तो उन्होंने उसे देख कर बताया कि वह लट तो रा की बेटी की है और हर देवता का हिस्सा उस लड़की में है और तुम्हारे पास यह किसी दूसरे देश से आया है।
तुम इसकी खोज के लिये आस पास के सभी अनजाने देशों में अपने दूत भेजो और जो दूत अकाकिया की घाटी में जायेगा वहाँ उसके साथ उस लड़की को लाने के लिये बहुत सारे आदमी जाने चाहिये। राजा ने वैसा ही किया।
इस बात के काफी दिनों के बाद जो लोग उन अनजानी जगह भेजे गये थे वे सब आ आ कर अपना अपना हाल राजा को बताने लगे। पर इनमें से वह कोई नहीं था जो अकाकिया की घाटी में गया हो।
असल में जो लोग अकाकिया की घाटी में गये थे बाटा ने उन सबको मार दिया था सिवाय एक के जिसने राजा को आ कर वहाँ का हाल बताया।
तो राजा ने अपने बहुत सारे आदमी, सिपाही और घुड़सवार वहाँ उस लड़की को लाने के लिये भेजे। उसने उन सबके साथ एक स्त्री भी भेजी थी जिसको उसने कुछ गहने भी दिये।
वे लोग उस लड़की को ले कर फैरो के पास आ गये। सारे राज्य में बहुत खुशियाँ मनायी गयीं। राजा उसको बहुत प्यार करता था। उसने उस लड़की को बहुत ऊँचा ओहदा दिया और उससे अपने पति के बारे में बताने के लिये कहा।
लड़की बोली — “आप अकाकिया का पेड़ कटवा दें और फिर उस पेड़ को छोटे छोटे टुकड़ों में कटवा दें।”
सो राजा ने अपने कुछ आदमी उस अकाकिया के पेड़ को काटने के लिये भेजे। वे सब उस अकाकिया के पेड़ के पास आये और उस पेड़ को काटना शुरू किया। जैसे ही उन्होंने वह ऊपर वाला फूल काटा जिसमें बाटा की आत्मा थी बाटा वहाँ से गिर गया और गिर कर मर गया।
अगले दिन जब सुबह हुई तो अकाकिया का पेड़ काटा गया। उधर बाटा के बड़े भाई अनपू ने अपने घर में घुस कर अपने हाथ धोये। किसी ने उसको एक प्याले में बीयर दी तो वह हिलने लगी। एक दूसरे आदमी ने उसको एक प्याला शराब दी पर उसमें से भी बुरी बू आ रही थी।
वह समझ गया कि उसको अपने भाई को देखने जाना चाहिये। वह उठा, उसने अपना डंडा उठाया, अपने जूते और कपड़े पहने और अपने हथियार ले कर अकाकिया की घाटी की तरफ चल दिया।
वहाँ जा कर वह अपने छोटे भाई की मीनार में गया तो वहाँ उसने अपने भाई को उसकी चटाई पर मरा हुआ लेटा पाया। जब उसने अपने भाई को मरा हुआ देखा तो वह तो उसको देख कर बहुत रोया। फिर वह उसकी आत्मा को अकाकिया पेड़ के नीचे ढूँढने गया जहाँ वह शाम को लेटा हुआ था।
वह बाटा की आत्मा को तीन साल तक ढूँढता रहा पर वह उसको नहीं मिली। चौथे साल में उसने वापस मिस्र जाने की सोची। एक दिन उसने अपने मन में कहा “अब मैं कल सुबह चलता हूँ।”
सो अगले दिन जब दिन निकला तो वह एक बार फिर से उसकी आत्मा को ढूँढने के लिये उस अकाकिया के पेड़ के नीचे टहल रहा था कि जाने से पहले उस जगह को एक बार और देख लूँ शायद कुछ मिल जाये तो वहाँ उसको एक बीज मिला।
उसने उस बीज को उठा लिया। लो, वह तो उसकी आत्मा ही थी। उसने एक गिलास ठंडा पानी लिया और वह बीज उसमें डाल दिया और उसके ज़िन्दा होने की प्रार्थना करने लगा।
जब रात हुई तो बाटा की आत्मा ने पानी सोख लिया और वह अपने शरीर के सारे हिस्सों के साथ उठ खड़ा हुआ। उसने अपने बड़े भाई की तरफ देखा। उसकी आत्मा अभी भी गिलास के अन्दर थी।
अनपू ने गिलास का वह ठंडा पानी लिया जिसमें उसके भाई की आत्मा थी और बाटा को दे दिया। बाटा ने वह पानी पी लिया और अब उसकी आत्मा उसके शरीर में आ गयी थी। वह अब वैसा ही हो गया था जैसा कि पहले था।
दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और फिर खूब बातें कीं। बाटा ने अपने बड़े भाई से कहा — ‘देखो मैं अब बैल होने वाला हूँ जिसके सारे शरीर पर शुभ निशान होंगे। इसकी कहानी तो कोई नहीं जानता पर तुमको मेरी पीठ पर बैठना होगा।
कल जब सुबह सूरज निकलेगा तो मैं वहाँ जाऊँगा जहाँ मेरी पत्नी है ताकि मैं उसको जवाब दे सकूँ। तुम मुझको राजा के पास ले कर जाओगे क्योंकि तुमको सारे काम अच्छे ही करने चाहिये।
तुमको वहाँ सोने चाँदी से लाद दिया जायेगा क्योंकि तुम मुझको फैरो के पास ले कर जाओगे। क्योंकि मैं उनके लिये एक बड़ी शान की चीज़ होऊँगा इसलिये मेरे वहाँ पहुँचने पर पूरे देश में लोग खुशियाँ मनायेंगे। मुझको फैरो को दे कर तुम फिर अपने गाँव चले जाना।”
अगले दिन जब उजाला हो गया और दिन निकल आया तो बाटा अपनी उसी शक्ल में आ गया जिसमें उसने अपने भाई को कहा था कि वह आ जायेगा – यानी बैल की शक्ल में। तो अनपू उसके ऊपर बैठ गया और उसको फैरो के पास ले चला।
फिर वे राजा के पास आये और अनपू ने राजा को अपने बारे में बताया। राजा ने उसको देखा और देख कर बहुत खुश हुआ।
राजा ने उसको बहुत सारी भेंटें दीं और बोला — “यह तो सब से बड़ा आश्चर्य है जो मेरी ज़िन्दगी में आज हुआ है।”
सारे देश में बहुत खुशियाँ मनायी गयीं। उन्होंने उसके बड़े भाई को बहुत सारा सोना और चाँदी दिया। सोना चाँदी ले कर उसका भाई अपने गाँव चला गया।
राजा ने बैल को बहुत सारे आदमी और चीजें, दीं। फैरो उस बैल को बहुत प्यार करता था।
इस सबके बाद बैल को एक पवित्र जगह पर ले जाया गया। अब वह वहाँ आ पहुँचा था जहाँ राजकुमारी थी। उसने राजकुमारी से बात करनी शुरू की। उसने उससे कहा — “देखो मैं ज़िन्दा हूँ।”
“पर तुम हो कौन?”
“मैं बाटा हूँ। मुझे उसी समय पता चल गया था कि तुम मुझको मारना चाहती हो जब तुमने फैरो से वह अकाकिया पेड़ काटने के लिये कहा था जिस पर मैं रहता था ताकि मैं रह न सकूँ। पर देखो मैं अभी भी ज़िन्दा हूँ और अब एक बैल के रूप में हूँ।”
अपने पति के मुँह से यह सुन कर राजकुमारी बहुत डर गयी। और बाटा वहाँ से चला गया।
एक दिन राजा राजकुमारी के साथ बैठा हुआ आनन्द कर रहा था। वह उसके साथ खाने की मेज पर बैठी थी और राजा उससे बहुत खुश था।
सो समय देख कर उसने राजा से कहा — “भगवान की कसम खा कर तुम मुझसे कहो “जो कुछ तुम कहोगी मैं तुम्हारी खातिर वही करूँगा।”
राजा ने वह सब कहा जो उसने उससे कहने के लिये कहा था
और साथ में राजकुमारी ने उससे यह भी कहने के लिये कहा —
“अगर तुम कहो तो मैं इस बैल का जिगर भी खा लूँ क्योंकि यह
बैल तो किसी काम का है नहीं।” पर राजा यह सब सुन कर बहुत
दुखी हुआ।
अगले दिन सुबह राजा ने एक बहुत बड़ी दावत की घोषणा की। फिर उसने शाही कसाई को बुलवा भेजा ताकि वह उस बैल को काट सके।
लोग बैल को अपने कन्धों पर उठा कर ले आये। जब वे उसको काट रहे थे तो उसने अपनी गर्दन हिलायी और अपने खून की दो बूँद राजा के दो दरवाजे के सामने उछाल दीं। एक बूँद फैरो के दरवाजे के एक तरफ पड़ी और दूसरी उसके दरवाजे के दूसरी तरफ। तुरन्त ही वे दोनों बूँदें दो परसी पेड़ों के रूप में उग गयीं। दोनों ही पेड़ बहुत बढ़िया थे।
एक आदमी यह सब कहने के लिये राजा के पास गया —
“जहाँपनाह, शाही दरवाजे के दोनों तरफ रात भर में दो परसी के
पेड़ उग आये हैं।” इस बात पर राज्य भर खूब खुशियाँ मनायी
गयीं और उन पेड़ों के लिये कई भेंट दी गयीं।
इस घटना के काफी दिन बाद राजा को नीला ताज पहनाया गया। गले में फूलों की माला पहनायी गयी। फिर वह अपने पीले सोने के रथ पर चढ़ कर अपने महल के बाहर उन परसी के पेड़ों को देखने के लिये गया। राजकुमारी भी राजा के पीछे पीछे घोड़ों के साथ उन पेड़ों को देखने गयी।
वहाँ पहुँच कर राजा उनमें से एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उस पेड़ ने राजा की पत्नी से कहा — “ओ धोखा देने वाली, मैं बाटा हूँ। हालाँकि मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया है फिर भी मैं ज़िन्दा हूँ। मुझे मालूम है कि किसके कहने पर मेरे रहने का अकाकिया पेड़ राजा से कटवाया गया था। तब मैं एक बैल बन गया था और अब तुमने बैल को भी मारने का इन्तजाम कर लिया?”
इसके काफी दिन बाद एक दिन राजकुमारी फैरो की मेज के पास खड़ी थी और राजा उससे बहुत खुश था। उसने राजा से फिर कहा — “तुम भगवान की कसम खा कर कहो “जो कुछ भी राजकुमारी तुम मुझसे कहेगी मैं उसको मानूँगा।” सो राजा ने कह दिया।
और फिर राजकुमारी के कहने से उसने अपने बढ़ई लोगों को हुक्म दिया कि उन दोनों परसी के पेड़ों को काट कर उनके बहुत सुन्दर तख्ते बना दिये जायें। उन्होंने उन परसी के पेड़ों को काट दिया और उनके सुन्दर तख्ते बना दिये।
राजकुमारी खड़ी खड़ी यह सब देखती रही। इत्तफाक से जब वे बढ़ई तख्ते बना रहे थे लकड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा उछल कर राजकुमारी के मुँह में जा गिरा। वह उसे निगल गयी और समय आने पर उसने एक बेटे को जन्म दिया।
एक आदमी राजा को यह बताने गया कि आपके बेटा हुआ है। सारे देश में खूब खुशियाँ मनायी गयीं। बच्चे के पालने पोसने के लिये एक आया रख दी गयी।
जब वे लोग उस बच्चे का नाम रख रहे थे तो राजा बहुत खुश था। उसने उसको कुश का शाही बेटा कहा।
काफी दिनों बाद जब वह बड़ा हो गया तो राजा ने उसको युवराज बना दिया। और फिर काफी दिनों बाद जब राजा स्वर्ग चले गये तो नये राजा ने कहा कि मेरे पिता के कुलीन लोगों को मेरे सामने लाया जाये ताकि मैं उनको बता सकूँ कि मेरे साथ क्या हुआ है।
कुलीन लोगों के साथ साथ राजा की माँ को भी लाया गया। उसने अपनी माँ के साथ उन सबके सामने न्याय किया और वे उसके न्याय से राजी थे।
उसके सामने उसके बड़े भाई को भी लाया गया। उसने अपने भाई को अपने देश का राजकुमार बना दिया। फिर उसने मिस्र पर तीस साल तक राज किया। उसके मरने पर जब उसको दफ़नाया गया तब उसका भाई भी वहीं खड़ा था।
Anpu and Bata were the names of two gods. Anpu, or Anubis, was the God of mummification etc in jackal shape and Bata was an Upper Egyptian Bull deity.
Measure – a Khar (sack) during the New Kingdom measured about 80 Kilograms.
Ra Harakhti is the Sun God of Egypt
Nine gods mean “Ennead” – a collective name for all the gods of a particular locality, not necessarily means nine by counting. For example, Ennead of Thebes comprised 15 gods. This Bata was a bovine god – Bull.
Khnumu created the Man and his double, the Ka, from clay.
Seven Hathors – who write destiny at the time of birth.
The Royal Son of Cush – Cush is the name of the region nearby Egypt, Sudan and Western Ethiopia.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)